बुआ Xxx अन्तर्वासना कहानी में पढ़ें कि गाँव में रहने वाली बुआ ने मुझे अपने पास बुलाया. वे अकेली रहती थी. फूफाजी विदेश में थे. मेरी सेक्सी बुआ ने मेरी वर्जिनिटी अपनी चूत से ले ली.
मैं 21 साल का एक नवयुवक हूँ.
मेरी ऊंचाई 6 फीट है और मेरा शरीर स्वस्थ व आकर्षक है.
लड़कियां मुझे एक बार पलट कर अवश्य ही देखती हैं. उस वक्त मेरा 7 इंच का लंड कड़क होने लगता है.
मैंने हाल ही में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की है और अब प्रतियोगी परीक्षाओं की ऑनलाइन तैयारी कर रहा हूँ.
मैं अपने माता-पिता के साथ शहर में रहता हूँ.
लेकिन गांव में हमारा एक पुश्तैनी घर है, जहाँ मेरी पिता जी की चचेरी बहन माया बुआ रहती हैं.
माया बुआ की बेटी रूपा है, जो उन्नीस साल की मस्त माल है.
वह बारहवीं पास कर चुकी है और अब मुंबई के एक कॉलेज में पढ़ने चली गई है.
माया बुआ ने मेरी मां से बात की और मुझे कुछ समय के लिए गाँव आने के लिए कहा.
माया बुआ जो कि 40 साल की हैं, लेकिन वे दिखने में 30 साल से अधिक की नहीं लगती हैं.
उनके पति अमेरिका में रह कर जॉब करते हैं इसलिए वे गांव में अकेली रहती हैं.
माया बुआ एक ऐसी महिला हैं, जिनका व्यक्तित्व और सुंदरता हर किसी को आकर्षित करती है.
उनका फिगर 34-28-36 का है और उनकी मुस्कान में एक अनोखा जादू है.
उनके बारे में सोचते ही मेरे मन में एक अजीब सी गर्माहट और बेचैनी होने लगती थी.
जैसा कि मैंने बताया कि माया बुआ के पति यानि के मेरे फूफा जी अमेरिका में नौकरी करते हैं और हर एक या दो साल में भारत आते हैं. इस वजह से माया गांव में अकेलेपन का सामना करती थीं.
जब माया बुआ ने मेरी मां से बात की और मुझे कुछ महीनों के लिए गांव आने को कहा तो पिताजी ने भी मुझे जाने का आदेश दे दिया.
पहले तो मैंने थोड़ा नाटक किया जैसे कि मैं बुआ के पास जाना नहीं चाहता लेकिन मन ही मन मैं काफी उत्साहित था.
मेरे दिमाग में माया बुआ के प्रति एक अनकहा आकर्षण पनप रहा था और मैं उन्हें चोदना चाहता था.
मुझे लगता था कि बुआ भी मेरे साथ सेक्स करना चाहती हैं क्योंकि उन्हें फूफा का लंड अब लगभग मिलता ही नहीं था.
यह Bua Xxx Antrwasna Kahani इसी बुआ की चुदाई की है.
हमारा गांव का घर विशाल और पुराना है.
इसमें एक बड़ा हॉल, चार शयनकक्ष और एक रसोईघर है.
घर के आसपास अन्य मकान हैं और गांव के लोग मुझे मेरे आकर्षक व्यक्तित्व और सौम्य व्यवहार के कारण जानते और पसंद करते हैं.
मैं अपने सामान कुछ किताबें, लैपटॉप और कपड़े लेकर गांव पहुंच गया.
माया बुआ ने भी मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया.
जैसे ही मैं हॉल में घुसा, उन्होंने मुझे गले से लगा लिया.
उनके मम्मों के स्पर्श में एक ऐसी कोमलता थी कि मैं कुछ पल के लिए सब कुछ भूल गया.
मैं उनसे चिपका ही रहा और बुआ ने भी मुझे अपने से अलग नहीं किया.
लेकिन मेरे लौड़े में तनाव आने लगा था जिसे बुआ ने महसूस कर लिया था तो वे मुसकुराती हुई मुझसे अलग हो गईं.
उन्होंने मुझे देख कर एक कंटीली मुस्कान देते हुए कहा- अब तू काफी बड़ा हो गया है.
मैं समझ गया कि वे कहना चाह रही हैं कि मेरा लंड काफी बड़ा हो गया है.
मैंने भी अपने लौड़े पर हाथ फेरते हुए कहा- हां बुआ, मेरे पास बड़े होने से रोक पाने का कोई विकल्प ही नहीं था!
वे हंसने लगीं और एक बार वापस मेरे करीब आकर मेरे कान खींच कर मुझे प्यार से डपटने लगीं.
उसके बाद मैं आराम करने लगा और बुआ अपने काम में व्यस्त हो गईं.
अब तक शाम ढल चुकी थी.
माया बुआ ने जल्दी से मेरा सामान एक शयनकक्ष में व्यवस्थित किया और रसोई में खाना बनाने चली गईं.
बाद में हम दोनों ने साथ में स्वादिष्ट खाना खाया, जिसमें माया बुआ ने अपने हाथों से दाल, रोटी और गांव की ताजी सब्जियां बनाई थीं.
खाने के बाद हम दोनों दिन भर की थकान के बाद गांव की शांत रात के आलम में सो गए.
गांव में मुझे तीन दिन हो गए थे.
मेरा रूटीन तय था.
सुबह जल्दी उठना, पढ़ाई करना और रात को नहाकर सो जाना.
एक रात मैं कामुकता में एक ब्लू फिल्म देख रहा था. मैंने इन्टरनेट पर कामुकताज डॉट कॉम के वीडियो सेक्शन में भोजपुरी एक्ट्रेस मधुकर तृषा की चुदाई की फिल्म देखी तो मैं एकदम से गर्म हो गया.
रात को सोते समय मुझे उसी एक्ट्रेस का सपना आने के कारण मेरा नाइट फाल हो गया जिसके कारण मेरा अंडरवियर गीला हो गया.
मैंने सोचा कि इसे धो लूँ या साफ कर लूँ.
फिर एक विचार आया.
मैंने अंडरवियर को बाथरूम में रस्सी पर टांग दिया और वापस आकर सो गया.
सुबह माया बुआ कपड़े धोने बाथरूम गईं.
मुझे उसी वक्त सुसू करने जाना था तो मैं बाथरूम के बाहर खड़ा हो गया.
मैंने उन्हें आवाज नहीं लगाई कि वे जल्द ही वापस आ जाएंगी.
पर जब बुआ काफी देर तक वापस नहीं आईं तो उत्सुकतावश मैं चुपके से देखने गया.
दरवाजे की झिरी में से झाँकने पर मैंने देखा कि माया बुआ मेरे अंडरवियर को ध्यान से देख रही थीं.
फिर अचानक से उन्होंने अंडरवियर पर लगे वीर्य को उंगली से उठा कर चाट लिया.
मैंने यह सब बड़े ध्यान से देखा तो मुझे समझ आ गया कि बुआ को लंड की जरूरत है.
बुआ के चेहरे पर एक अजीब सी भावना थी, जैसे वे कुछ गहरे सोच में डूबी हों.
मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गईं.
मैं समझ गया कि बुआ के मन में भी मेरे प्रति कुछ कामुक भावनाएं जाग रही हैं.
मैं सोचने लगा कि यदि मैं पहल करूं तो शायद बुआ मेरे लंड से चुदने को राजी हो जाएंगी.
उस दिन रात को खाना खाने के बाद माया बुआ ने मुझसे कहा कि वे मेडिकल स्टोर से कुछ दवाइयां लाने जा रही हैं.
मैंने उनसे ग्लिसरीन, माउथ फ्रेशनर और कुछ ठंडे पेय लाने को भी कहा.
पढ़ाई में व्यस्त होने के बावजूद मेरे मन में माया बुआ के प्रति आकर्षण बढ़ता जा रहा था.
उनकी हर अदा, उनकी बातें और उनकी मुस्कान मुझे अपनी ओर खींच रही थी.
रात को, खाना खाने के बाद माया बुआ ने घर का दरवाजा बंद किया और अपने कमरे में सोने चली गईं.
मैं अपने कमरे में था लेकिन नींद नहीं आ रही थी.
मेरे मन में एक अजीब सी बेचैनी थी.
मैंने अपने कमरे का दरवाजा खुला छोड़ दिया और लैपटॉप पर एक सेक्सी ब्लू फिल्म चला दी.
उसमें चुदाई की तेज आवाजें कमरे में गूँज रही थीं.
मैं रात को बारह बजे पूरा नंगा हो गया.
मैंने अपने रूम का दरवाजा खोल दिया और लैपटॉप पर फुल वॉल्यूम में पोर्न मूवी चलाने लगा.
कुछ देर बाद मुझे हल्की सी आहट सुनाई दी. मैंने दरवाजे की ओर देखा तो मुझे माया बुआ की परछाई दिखी.
वे चुपके से मुझे देख रही थीं.
मेरे दिल की धड़कनें और तेज हो गईं.
मैंने फिल्म की आवाज थोड़ी बढ़ा दी और बिस्तर पर लेट गया, जैसे कुछ हुआ ही न हो.
बुआ छुप कर मुझे देख रही थीं तो मैं भी जोर जोर से अपना लंड हिलाने लगा.
करीब पांच मिनट बाद मैं झड़ गया और मेरा पूरा रस मेरे पेट पर गिरा हुआ था.
मैंने आंखें बंद करके ऐसे दिखाया मानो मैं सो गया हूँ.
थोड़ी देर बाद माया बुआ मेरे कमरे में आईं.
अंधेरे में उनकी साड़ी चाँदनी की रोशनी में चमक रही थी.
वे मेरे पास आईं और धीरे से मेरे माथे पर हाथ फेरा.
उनकी उंगलियों की गर्माहट ने मुझे एक अनोखा सुकून दिया.
मैंने धीरे से जरा सी आंख खोलकर उनकी ओर देखा और मुस्कुरा दिया.
तभी मुझे अपने पेट पर उनका हाथ चलता हुआ महसूस हुआ.
जरा सी आंख खोल कर मैंने देखा तो बुआ मेरे पेट पर पड़ी मेरी मलाई को उंगली से उठा कर चाट रही थीं.
मैंने उन्हें पकड़ लिया.
बुआ- अरे सुमित, तुम सोए नहीं?
जैसे ही माया बुआ ने धीमी आवाज में पूछा, मैंने उन्हें अपने ऊपर खींचते हुए कहा.
‘नींद नहीं आ रही थी, माया जी!’
मैंने उनकी आंखों में देखते हुए कहा और जानबूझकर उन्हें ‘बुआ’ की जगह ‘माया जी’ कहा, ताकि हमारे बीच की औपचारिकता थोड़ी कम हो.
बुआ बेड से उठ कर जाने ही वाली थीं कि तभी मैंने उनको पीछे से पकड़ लिया और उनके चूचे दबाने लगा.
आह क्या मुलायम मम्मे थे.
वे चिल्लाईं- आह सुमित यह क्या कर रहा है … छोड़!
पर मैं हवस में बुआ की गांड और चूचे दोनों दबाए जा रहा था.
करीब दो मिनट की खींचा-तानी के बाद बुआ के मुँह से कुछ शब्द निकले.
वे बोलीं- तुझे मैंने गांव मेरी प्यास बुझाने ही बुलाया था पर तूने पहले ही शुरुआत कर दी … अब छोड़ मुझे!
ये सुनते ही मानो मुझ में कोई शक्ति आ गई थी.
मैंने बुआ तो बेड में पटका और उल्टा कर दिया. उनकी साड़ी के ऊपर से ही मैं उनकी गांड मारने लगा.
ये सिलसिला पांच मिनट तक चलता रहा और मैं बुआ की साड़ी पर ही झड़ गया.
मैं बेड में लेट गया.
बुआ ने कुछ नहीं का.
फिर मेरी आंख लग गई और मैं नंगा ही सो गया.
कुछ देर बाद मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि बुआ मेरा लंड चूस रही थीं और मेरे अंडकोशों से खेल रही थीं.
पहली बार किसी महिला ने मेरा लंड अपने मुँह में लिया था तो ऐसा लग रहा था मानो मैं स्वर्ग में पहुंच गया हूँ.
बुआ मेरा लंड अपने मुँह में पूरा गले तक ले रही थीं.
ये देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनके बाल पकड़ लिए.
वे भी मस्ती से लगी रहीं.
और मैं बुआ के ऊपर चढ़ कर उनका मुँह चोदने लगा.
आह … क्या मजा आ रहा था.
पूरे कमरे में खच खच की आवाज गूंजने लगी थी.
मैंने अपने लंड से सारा माल बुआ के मुँह में ही छोड़ दिया और उनके ऊपर से हट गया.
बुआ भी लेटे लेटे मेरे सारा वीर्य पी गईं.
अब मैंने देर न करते हुए बुआ की साड़ी निकाल दी और उन्हें पूरी नंगी कर दिया.
मैं उनकी चुत चाटने लगा.
मुझे चुत से कुछ नमकीन सा स्वाद आ रहा था.
बुआ भी उम्ह्ह उम्ह आह करके मजे ले रही थीं.
अब बारी थी मेरी वर्जिनिटी तोड़ने की.
मैंने अपना लंड बुआ के हाथ में दे दिया और चूसने को कहा.
बुआ ने चूस चूस कर मेरा लंड सख्त कर दिया.
अब मैंने बुआ को उल्टा लिटा दिया और धीरे धीरे उनकी चुत में अपना लंड घुसाने लगा.
बुआ पूरी गीली हो चुकी थीं तो मैंने ज़ोर से एक धक्का मारा और पूरा लंड अन्दर पेल दिया.
बुआ दर्द से चिल्ला रही थीं पर मैंने लंड बाहर नहीं निकाला.
आह … सच में क्या मस्त अनुभव हुआ था.
पूरा लंड गर्म गर्म लग रहा था.
कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद बुआ शांत हो गईं और अपनी गांड हिलाने लगीं.
मैंने उन्हें चूमना शुरू कर दिया था.
उस वक्त मैं तो मानो हवा में उड़ रहा था.
अपनी जिंदगी की पहली चुदाई के न/शे में मैं इतना खो गया था कि मैं भी धक्का मार सकता हूँ … यह भूल गया था.
तभी बुआ ने कहा- अब चोदो न, रुके क्यों हो?
यह सुनकर मैंने भी जोर जोर से धक्का मारना शुरू कर दिया.
पूरा रूम बुआ की आह उम्ह्ह्ह और चुदाई की आवाजों से गूंज उठा.
करीब आधा घंटा तक लगातार चोदने के बाद मैं झड़ने को हुआ तो मैंने बुआ से बताया.
बुआ बोलीं- अन्दर ही निकाल दे, मैं मेडिकल से गोली खरीद कर लाई हूँ.
मैंने पूछा- दुकान वाले को कुछ शक नहीं हुआ क्या?
तो वे बोलीं- मैंने अपनी सहेली से उसकी दुकान से मँगवाई है!
ये सुनते ही मैंने और जोर जोर से धक्का मारा और पूरा वीर्य बुआ की चुत में भर दिया और उसी पोजीशन में उनके ऊपर ही सो गया.
सुबह उठा तो ग्यारह बज चुके थे और मैं कमरे में बिल्कुल नंगा पड़ा था.
मैंने आवाज देकर बुआ को बुलाया तो वे भी अपनी गांड मटकाती हुई मेरे पास आईं.
बुआ बोलीं- उठ गए जानू!
मैं हंस दिया और मैंने उन्हें अपनी बांहों में खींच लिया.
मैंने उनकी कमर पर हाथ रखा और धीरे से उन्हें और करीब खींच लिया.
उनकी आंखों में एक गहरा आकर्षण था.
मैंने धीरे से उनके माथे पर एक चुम्बन दिया.
वे मुस्कुराईं और मेरे गाल पर हाथ फेरा.
‘सुमित, क्या तुम्हें लगता है कि हमारा ये रिश्ता सही है?’ उन्होंने पूछा.
मैंने कहा- बुआ जी, अगर हम दोनों एक-दूसरे के लिए सच्चे हैं और एक-दूसरे का सम्मान करते हैं, तो इसमें कुछ गलत नहीं है.
उसके बाद हमने एक-दूसरे को और करीब महसूस किया.
माया बुआ ने मेरे नंगे सीने पर हाथ फेरा.
उनकी उंगलियों की गर्माहट ने मेरे पूरे शरीर में एक सिहरन पैदा कर दी.
मैंने उनकी साड़ी की पिन हटाई और उनके कंधे पर एक हल्का सा चुम्बन दिया.
उनकी त्वचा इतनी कोमल थी कि मैं खो सा गया.
हम दोनों बिस्तर पर लेट गए.
माया ने मेरे लंड को धीरे से छुआ और मैंने उनकी चुत के पास हल्के से हाथ फेरा.
बुआ ने कहा- कल रात तुम्हारे इस शैतान ने मेरी चूत फाड़ दी.
मैंने उनकी चुत टटोलते हुए कहा- किधर फटी, एकदम मस्त फूली सी तो है!
वे हंस दीं और बोलीं- मस्त फ़ूली नहीं है बल्कि सूज गई है!
मैं भी हंस दिया और मैंने कहा- इसे और सुजा देता हूँ … बोलो मन है!
बुआ ने मुझे चूम कर कहा- हां मन है तभी तो तुम्हारे पहलू में आई हूँ.
बस एक बार फिर से हम दोनों चुदाई की मस्ती में डूबने लगे.
करीब आधा घंटा तक चुदाई की धींगा मुश्ती चलती रही.
अब हम दोनों के बीच एक गहरा शारीरिक और भावनात्मक जुड़ाव बन गया था.
हमने संभोग किया, लेकिन यह सिर्फ शारीरिक नहीं था.
यह हमारी आत्माओं का मिलन था.
हर स्पर्श में प्यार और सम्मान था.
माया बुआ की साँसें मेरे कानों में गूँज रही थीं और मैं उनकी हर आह में खो रहा था.
संभोग के बाद, हम एक-दूसरे की बाहों में लेटे रहे.
माया बुआ ने मेरे सीने पर सिर रखा और कहा- सुमित, तुमने मुझे फिर से जवान कर दिया है.
मैंने उनके माथे पर चुम्बन दिया और कहा- बुआ आप हमेशा मेरे लिए खास रहेंगी.
मैं जीतने दिन भी गांव में रहा मैंने हर दिन सुबह शाम बुआ को भरपूर चोदा और उन्हें हर तरह से संतुष्ट भी किया.
उसी दरमियान उनकी मेडिकल स्टोर वाली सहेली को भी पेलने का अवसर मिला था.
वह सेक्स कहानी आपको बाद में लिखूँगा.
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