आंटी की नंगी गांड मेरे सामने आई तो मैंने चूत के बजाये उनकी गांड में लंड पेल दिया और आंटी दर्द से चीख पड़ी. लेकिन मैंने उन्हें गांड मरवाने का पूरा मजा दिया.
दोस्तो, मेरा नाम सोनू है.
मैं गुजरात का रहने वाला हूँ.
यह सेक्स कहानी मेरी और मेरी सोसाइटी में रहने वाली एक नकचड़ी आंटी के बीच हुई चुदाई की कहानी है.
मैंने इसमें बताया है कि कैसे मैंने उन्हें पटाया और पूरी रात Aunty Ki Nangi Gand Chudai की.
आगे बढ़ने से पहले मैं आपको अपने बारे में बताना चाहता हूँ.
मेरी उम्र 24 साल है और यह कहानी आज से करीब 3 साल पहले तब की है, जब मैं कॉलेज में था.
दिखने में मैं कोई फिल्म स्टार तो नहीं हूँ लेकिन मेरी बॉडी बहुत अच्छी है.
मैं जिम जाता हूँ, तो उधर भी सब लड़कियां मेरी बॉडी को देखती हैं.
अपने लंड की बात करूं मैं … तो यह 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है.
लड़कियों को सोचना चाहिए कि मैं उन्हें चोद कर कितना मज़ा दे सकता हूँ.
उन आंटी का नाम वंदना (नाम बदला हुआ है) था.
उनकी उम्र करीब 32 साल की रही होगी लेकिन वे आज भी एकदम कमाल की आइटम लगती हैं.
चूचियां उनकी 34 इंच की थीं, कमर 30 की और गांड 38 इंच की थी.
सोसाइटी के सब लौंडे उनकी गांड के दीवाने थे और मैं भी.
लेकिन समझ ही आ रहा था कि आंटी से बात कैसे की जाए.
फिर एक दिन उनकी कार रास्ते में शायद खराब हो गई थी.
उस वक्त मैं वहीं से अपनी बाइक लेकर आ रहा था.
मैं कॉलेज से आ रहा था.
उस वक्त गर्मी भी बहुत ज्यादा थी, वे पसीने में पूरी भीगी हुई थीं.
मैं उनके पास जाकर रुक गया और मैंने पूछा- आंटी, आपको कोई मदद चाहिए?
आंटी- अरे, तुम तो मेरी ही सोसाइटी में रहते हो ना!
उन्होंने मुझे कई बार उन्हें घूरते हुए देखा था शायद इसी लिए उन्हें पता था.
मैं- हां आंटी, हम दोनों एक ही सोसाइटी में रहते हैं.
आंटी- बेटा, मेरी गाड़ी अचानक बंद पड़ गयी है. समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करूं. मेरे पति भी यहां नहीं है कि उनको फोन करके बुलाया लूँ. वे कुछ काम से इंडिया से बाहर गए हैं.
मैं- आंटी, यह रास्ता भी थोड़ा सुनसान है. यहां आपको कोई मैकेनिक भी नहीं मिलेगा. आप एक काम करने कि आप मेरे साथ मेरी बाइक पर चलें. मैं बाद में किसी मैकेनिक को लेकर यहां आ जाऊंगा और गाड़ी घर पर ले आऊंगा.
आंटी- ठीक है बेटा, वैसे भी यहां आस-पास कोई दिख भी नहीं रहा है.
फिर आंटी अपनी गांड उचका कर मेरी बाइक पर बैठ गईं और उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया.
मैं बाइक चलाने लगा.
हमारे बीच में बहुत कम जगह थी.
उस वजह से आंटी के बूब्स और मेरी पीठ कभी कभी आपस में टकरा जा रहे थे.
मुझे उनके गद्दे जैसे दूध का स्पर्श बड़ा सुख दे रहा था तो मैं जानबूझ कर पीछे को होने लगा था.
यह महसूस करके उन्होंने भी मुझसे बात करना शुरू की.
आंटी- बेटा तुम्हारा नाम क्या है?
उनकी इस बात को सुनकर मैं पहले तो एकदम से घबरा गया कि अचानक से आंटी ने यह क्यों पूछा.
मैं अपनी उसी घबराहट में बोला- जी, सोनू.
आंटी समझ गयी थीं कि मैं क्यों घबरा रहा हूँ.
फिर ऐसे ही बात करते करते कब घर आ गए, पता ही नहीं चला.
उन्हें घर पर छोड़ कर मैं अपने घर आ गया.
लेकिन जाने से पहले उन्होंने खुद ही मेरा नंबर मांग लिया था.
उन्होंने यह कहते हुए नंबर मांगा था कि अगर कुछ जरूरत होगी, तो मुझे मदद कर देना.
मैंने भी हां कहते हुए उन्हें अपना मोबाइल नंबर दे दिया.
फिर ऐसे ही 2 दिन बीत गए.
शाम को मेरे व्हाट्सैप पर एक मैसेज आया.
उसमें हाई लिखा था.
मैंने पूछा- आप कौन?
सामने से रिप्लाइ आया कि मैं वंदना बोल रही हूँ.
मैं- अरे वंदना आंटी, यह आपका नंबर है?
आंटी- हां, यह मेरा ही नंबर है. मुझे कुछ काम था. बाजार जाना था कुछ शॉपिंग करने … अगर तुम आ सकते हो तो आ जाओ.
मैं- हां क्यों नहीं आंटी, मैं अभी आ जाता हूँ
फिर मैं अच्छे से तैयार होकर उनके साथ शॉपिंग करने चला गया और उन्होंने खूब शॉपिंग की.
मैंने रात को उनके घर ही खाना खाया और अपने घर वापस आ गया.
रात को उनका मैसेज आया.
आंटी- सोनू तुम मुझे खाना खाते वक़्त घूर क्यों रहे थे?
सोनू- अरे आंटी नहीं, मैं तो बस खाना खा रहा था. मैं कहां घूर रहा था?
आंटी- लगता है तुम्हारी मम्मी से शिकायत करनी पड़ेगी कि लड़का हाथ से निकल जाएगा अगर ऐसे ही हरकतें करता रहा तो!
मैंने रोने वाली इमोजी भेजी और बोला- सॉरी आंटी, आगे से ऐसा नहीं होगा.
आंटी- मैंने तुझे बहुत बार देखा है कि तू मुझे घूरता रहता है. वैसे तू इतना क्या देखता है?
मैं आंटी के इस सवाल पर थोड़ा सोच में पड़ गया और बोला- कुछ नहीं आंटी, सॉरी आगे से नहीं करूँगा!
आंटी- सीधे सीधे बता रहा है … या बताऊं तेरी मम्मी को?
सोनू- आंटी आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो, जब से मैंने आपको देखा है, आप ही मेरे दिमाग में रहती हो. मैं आपसे प्यार करने लगा हूँ.
आंटी हंसती हुई बोलीं- पागल हो गया है … तुम मुझसे कितने छोटे हो और मैं तो अब ढल चुकी हूँ. ऐसा है ही क्या मुझमें, जो तुमको मुझसे प्यार हो गया है?
सोनू- किसने कहा कि आप ढल चुकी हो … आप अभी भी कमाल की लगती हो. इतनी सुंदर कि मैं तो बस आपको ही देखता रहूँ.
आंटी- चल ठीक है, कल मेरे घर आना, मुझे तुझसे कुछ काम है!
मैंने भी डरते डरते हां बोल दिया और सो गया.
सुबह उठकर जल्दी से आंटी के घर पहुंच गया.
आंटी ने तब नाइटी पहन रखी थी, जो उनके घुटनों तक ही आ रही थी.
क्या लग रही थी इसमें आंटी!
उन्हें इस बेबीडॉल नाइटी में देख कर मेरा लंड तो वहीं दरवाजे पर ही खड़ा हो गया था.
शायद उन्होंने भी मेरे लंड को मेरे लोवर में फूलता हुआ देख लिया था कि वह जाग चुका है.
आंटी ने कहा- अरे अभी तो अन्दर भी नहीं आया … और तुम्हारा तो काम भी शुरू हो गया.
यह कह कर आंटी हंसने लगीं.
फिर मैंने खुद को संभालते हुए आंटी से कहा- आपने क्यों बुलाया था आंटी?
उन्होंने मुझे अन्दर आने को कहा और वह सोफे की तरफ जाने लगीं.
मैं भी उनके पीछे पीछे उनकी मटकती हुई गांड को देखता देखता पीछे आने लगा.
तभी अचानक से वे रुक गईं और में उनकी गांड पर नजर टिकाए सीधा सीधा चलता रहा.
उनके एकदम से रुक जाने से मेरा लंड उनकी गांड की दरार से जा टकराया.
मेरे कड़क लंड की चोट सीधी गांड की गहराई में लगी तो उनकी आहह निकल गयी.
मैंने आंटी से कहा- सॉरी आंटी!
आंटी- इतना क्या घूर रहा है मेरी गांड को कि रास्ता भी नहीं दिखाई देता?
उनके मुँह से गांड शब्द सुनकर मैं तो हक्का बक्का हो गया और उनको वापस बार बार सॉरी बोलने लगा.
उन्होंने मुझसे फिर से सवाल करना शुरू कर दिया कि मुझे उनमें क्या अच्छा लगता है … बताओ!
मैंने कुछ नहीं कहा.
उन्होंने फिर से कहा- अरे शर्माओ मत यार, मैं इस बारे में किसी से कुछ नहीं कहूँगी!
फिर मैंने भी सोच लिया कि जो होगा, सो देखा जाएगा.
जब आंटी ही इतना फोर्स कर रही हैं, तो मैं क्यों पीछे हटूँ!
बस मैंने तय कर लिया कि अब आर पार की हो ही जाने दो.
मैं बोला- आंटी मुझे आपका फेस बहुत पसंद है!
आंटी- और …
मैं- आपके हाथ भी.
आंटी- और …
फिर मैंने हिम्मत करके उनके बूब्स और गांड के लिए भी बोल दिया कि आपके माउंट्स बहुत अच्छे लगते हैं.
वे बोलीं- माउंट्स … मतलब क्या? सीधे सीधे बोलो न!
मैंने कहा- बूब्स और हिप्स.
आंटी- अच्छा, इसी लिए तू मुझे इतना घूरता है?
मैं- हां आंटी.
फिर आंटी ने अचानक कुछ ऐसा कहा, जिसे सुनकर मेरे होश उड़ गए.
आंटी- क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगे?
मैं- आंटी यह आप क्या कह रही हो?
आंटी- अब ज्यादा भोला मत बन, मुझे सब पता है कि तेरी पैंट में लंड क्या देख कर खड़ा हो गया है, मुझे और मेरे चूचे गांड देखते ही खड़ा हुआ है न … तो आ जा … चोद दे न मुझे!
बस फिर क्या था.
मैं कुछ आगे बोलता कि उससे पहले आंटी उठ कर मेरी गोद में आकर बैठ गईं और उन्होंने मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच में लॉक कर दिया.
एकदम से सनसनी सी दौड़ गई.
लंड की मां चुद गई थी.
वह आंटी की गांड के नीच दबा हुआ बिलबिला रहा था.
मुझे भी बड़ा मज़ा आ रहा था.
मैं भी पूरे जोश में आकर आंटी को किस करने लगा.
कभी मैं उनके मुँह में अपनी जीभ डालता, तो कभी वे मेरे मुँह में.
फिर यह किस करीब 10 मिनट तक चलती रही.
फिर हम दोनों अलग हुए.
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे बेडरूम ले गईं.
वहां जाते ही उन्होंने मुझे बेड पर धकेल दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गईं.
वे मेरी टी-शर्ट निकाल कर पागलों की तरह मेरी छाती को चाटने लगीं, निप्पलों को किस करने लगीं.
मैंने भी उनके बूब्स दबाना शुरू कर दिए और धीरे से उनकी नाइटी की डोरी खोल दी.
आंटी ने अन्दर कुछ नहीं पहना हुआ था.
वे नाइटी हटते ही एकदम नंगी हो गई थीं.
मैं तुरंत उनके मम्मों टूट पड़ा और एक दूध को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा, दूसरे को जोर जोर से दबाने लगा.
उनके मुँह से ‘अहम्म्मल आहहा’ की कामुक आवाजें आ रही थीं.
मैं उन्हें बेताबी से किस करता करता चाटने लगा और नीचे सरकता गया.
अब मैं आंटी की नाभि को किस करने लगा.
वे पागलों की तरह ‘आह यस … और किस करो’ बोल रही थीं.
मैंने जब आंटी की चूत पर अपना हाथ रखा, तो वे ऊपर को उछल गईं.
उनकी पूरी चूत भीग चुकी थी और चूत से पानी बह रहा था.
मैंने देर ना करते हुए सीधा चूत को मुँह में ले लिया और चाटने लगा.
आंटी- आह … ऐसे ही चाटो मेरी चूत को … मिटा दो इसकी खुजली … आह और चाटो.
वे अपनी मादक आवाजें निकालती रहीं और मैं पूरी तन्मयता से चूत को चाटने में लगा रहा.
‘आहह ह्म्म्म्म और तेज और तेज …’
मैं भी आंटी की चूत के दाने को बीच बीच में धीरे से काट लेता था, जिससे उनकी तेज आवाज निकल जाती थी.
मैंने तब तक उनकी चूत चाटी, जब तक वे झड़ नहीं गईं.
उनकी चूत का पानी तो बहुत ही ज्यादा गाढ़ा और सफेद था.
उनके पानी का स्वाद मैं आज तक नहीं भूल पाया.
फिर वे थक कर लेट गईं और मैं भी उनके बगल में लेट गया.
थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरा लोवर और चड्डी दोनों एक साथ निकाल दिया.
चड्डी हटते ही वे मेरा 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड देख कर हैरान हो गईं.
उन्हें इतने मस्त लौड़े का अंदाजा ही नहीं था.
वे एकदम से गर्म हो गईं.
आंटी- वाह तेरा लंड तो बहुत बड़ा और तगड़ा है … आज तो मेरी चूत का भोसड़ा ही बन जाएगा.
सोनू- हां मेरी वंदना डार्लिंग, आज तो मैं तेरी चूत ही नहीं, तेरी गांड भी मारूँगा … और गांड को तो सुजा कर रख दूँगा … तू देख बस!
आंटी गांड मारने की बात सुनकर थोड़ा डर गईं और बोलीं- मैंने आज तक गांड नहीं मरवाई है, मुझे दर्द होगा. मैं नहीं मरवाऊंगी.
मैंने आंटी से कहा- ठीक है … जैसा आप चाहोगी.
लेकिन मैंने तो मन बना लिया था कि आंटी की गांड तो जरूर ही मारूँगा, पर बिना बताए गांड में लंड जाएगा.
अब आंटी ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और मज़े से रंडी की तरह चूसने लगीं.
सच में दोस्तों, मुझे वह पल बहुत मज़ा दे रहा था!
वे गले के अंतिम छोर तक मेरा लंड अन्दर ले रही थीं. मैं उनके बालों को पकड़ कर उनके मुँह को चोद रहा था.
कुछ देर बाद मेरा सारा रस निकल गया और वे किसी प्यासी रंडी की तरफ वीर्य को निगल गईं.
उन्होंने वीर्य की एक बूँद भी नीचे नहीं गिरने दी. सब माल खा गईं.
अब मैंने फिर से आंटी की चूत चाटने के लिए कहा, तो वे मान गईं.
मैं इस बार उनकी चूत नहीं गांड चाटने लगा, तो वे फिर से डर गईं कि मैं उनकी गांड मारूँगा.
मैंने उनसे कहा- मैं सिर्फ़ गांड को चाटूँगा, मारूँगा नहीं!
तब जाकर उन्होंने मुझे गांड चाटने दी.
दोस्तो, मुझे भाभी या आंटी की गांड चाटने में बड़ा मज़ा आता है. ऐसा पता नहीं क्यों है … लेकिन यह मेरे लिए एक नशा जैसा है.
मैंने काफी देर तक आंटी की गांड चाटी … बीच बीच में मैं अपनी एक उंगली भी उनकी गांड में डाल देता.
तो वे उछल जातीं और बेड पर पड़ी हुई ‘आहह उहह यस आह ओह’ बस यही सब बोल रही थीं.
मैंने देर ना करते हुए अपना लंड उनकी चूत पर रखा और एक ही झटके में आधा लंड घुसेड़ दिया.
इस अचानक हुए हमले से उनकी चीख निकल गयी.
आंटी कराहती हुई कहने लगीं- आह मर गई … साले मादरचोद आराम से नहीं डाल सकता था … भोसड़ी वाले जानता नहीं है क्या कि तेरा लंड बहुत मोटा है … भैनचोद धीरे धीरे डाल!
मैंने भी गाली देते हुए बोल दिया- साली रंडी … चुपचाप मेरा लंड खाती रह … वर्ना तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा बहन की लौड़ी कुतिया.
यह कह कर मैंने एक और झटका मारने के साथ ही अपना पूरा लंड उनकी चूत में जड़ तक डाल दिया.
अब वे मज़े से चुद रही थीं और कामुक आवाजें निकाल रही थीं- हां साले … और जोर से चोद आअहह उहह … और चोद यस बेबी फक मी हार्डर यस यस … फाड़ दे.
मैं भी पूरी ताकत से उन्हें धकापेल चोद रहा था.
फिर मैंने उनसे कहा- डॉगी स्टाइल में लेना है?
वे बोलीं- हां लेना है.
उन्होंने तुरंत कुतिया बन कर अपनी गांड ऊपर उठा दी.
मैंने एक झटके में उनकी चूत में लंड पेल दिया और सटासट सटासट चोदने लगा.
वे बस ‘आआहह उहह यस चोदो चोदो …’ करती रहीं.
इसी बीच आंटी एक बार झड़ भी चुकी थीं.
लेकिन मेरा काम नहीं हुआ था.
मैंने अपना थूक आंटी की नंगी गांड के छेद में लगाया और अचानक से चूत से लंड निकाल कर उनकी गांड में डाल दिया.
वे इस अचानक हुए हमले से जोर से चिल्ला दीं- आह साले भड़वे … उधर रहने दे कमीने … आह निकाल मादरचोद … मुझे बहुत दर्द हो रहा है … जल्दी से निकाल इसे बाहर … मेरी गांड में बहुत दर्द हो रहा है … आह मैं मर जाऊंगी.
आंटी दर्द से तड़फ कर रोने लगीं.
मैंने कुछ नहीं सोचा और बस उसकी गांड में लंड पेलता रहा.
उनकी गांड में से खून आ गया.
मैंने फिर भी कोई फ़िक्र नहीं की और गांड मारता रहा.
आंटी रोती रहीं और भीख मांगने लगीं- जाने दो मुझे!
मैं थोड़ी देरी बाद आंटी की गांड में लंड डाले हुए ही उन्हें किस करने लगा और उनके मम्मों से खेलने लगा.
अब कहीं जाकर वे शांत हुईं और उन्होंने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया.
फिर उन्हें गांड में जलन हो रही थी तो वे लंड हटाने के लिए कहने लगीं.
मुझे भी लंड में जकड़न हो रही थी.
साली आंटी की गांड बहुत छोटी सी थी. उनकी गांड की मैंने ही पहली बार ओपनिंग की थी.
अब मैंने धीरे धीरे आंटी की गांड को चोदना शुरू किया. उन्हें भी स्लो मोशन में गांड मरवाने में मज़ा आने लगा था.
अब वे भी ‘आआहह उहह उम्म …’ बोलती हुई कहने लगीं- आह फाड़ डाल इस गांड को … आज से यह तेरी है बस … फाड़ दे गांड को.
वे बोलती रहीं.
इधर मैंने उनकी चूत में भी उंगली को फेरना शुरू कर दिया था.
उसी वक्त वे एक बार फिर से झड़ गईं और निढाल होकर बेड पर गिर गईं.
मेरा भी होने ही वाला था तो मैं जोर जोर से झटके लगाने लगा.
वे आहह ऊओह यस एस आअहह उहह करती रहीं.
मैंने अपनी पिचकारी का पानी उनकी गांड में ही डाल दिया.
मैं उनके ऊपर ऐसे ही लेट गया.
जब मेरा लंड आंटी की गांड से बाहर निकला तो मेरा माल भी खून के साथ गांड से बाहर आ रहा था.
उन्होंने मेरे लंड को देखा, तो उस पर भी खून लगा था.
साली आंटी की गांड थी ही इतनी छोटी सी … मैंने पूरी गांड सुजा दी थी.
उन्हें चलने में भी दिक्कत हो रही थी.
मैं उन्हें सहारा देकर बाथरूम में ले गया और उधर उन्हें व खुद को साफ किया.
फिर वापस बाहर लाकर बेड पर बैठाया.
उनको दर्द तो हो रहा था लेकिन उनके चेहरे पर एक सुकून भी था.
उन्होंने मुझसे कहा- आज से पहले मैंने कभी इतना मज़ा नहीं किया. इतना मज़ा देने के लिए थैंक्यू.
वे मेरे होंठों पर किस करने लगीं.
मैंने भी किस करना शुरू कर दिया और दो मिनट बाद हम दोनों अलग हो गए.
अब हमारे बीच में यह सिलसिला चलता ही रहता है.
जब भी हमें वक्त मिलता था, हम दोनों मिलकर खुद चुदाई करते थे और खूब मज़े करते थे.
यह मेरी सच्ची घटना है, जिसे मैंने आंटी की नंगी गांड चुदाई स्टोरी के रूप में लिखा है.
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