मेरी प्यारी चाची का बर्थडे गिफ्ट-4

हॉट लव सेक्स कहानी मेरी चाची की चूत की है. हम चाची भतीजा सेक्स के लिये उतावले हो रहे थे. तभी चाची ने मेरा लंड मुंह में ले लिया. उसके बाद …हॉट लव सेक्स कहानी के पिछले भाग
चाची भी अपनी चूत मरवाना चाहती थी
में आपने पढ़ा कि चाची ने मेरे साथ चुदाई का पूरा कार्यक्रम बना लिया था. वो मुझे अपने मायके में ले आयी थी जहाँ कोई नहीं था.

चाची- पता है तुम्हारी नाराज़गी दूर करने के लिए मैंने ये सब प्लान किया है वर्ना मेरे मम्मी पापा तो उस शादी में जाने को तैयार ही नहीं थे, मैंने उन्हें जबदस्ती भेजा और फिर दीदी को तैयार किया कि मेरे साथ तुझे भेज दें.

मैं मुस्कराने लगा और चाची से लिपट गया.
चाची ने भी मुझे बांहों में भर लिया.
मैं और चाची एकदूसरे को चूमने लगे.

मैंने खड़े खड़े चाची की एक चूची को निकाल कर मुँह में भर लिया और अपने हाथों से चाची के चूतड़ों को पकड़कर मसलने लगा.
हमारे गीले बदन सुलगने लगे.

मेरा लौड़ा चाची की जांघों में घुसने लगा और उसी रगड़ाई में मेरा टॉवल खुल कर नीचे गिर गया.

चाची ने अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लौड़े को पकड़ लिया और धीरे से बोली- तू क्या समझता था मैं तुझसे नाराज़ हो गई थी? राज, तुम तो मेरी सांसों में बस गए हो, मैं तो पिछली तीन चार रातों से सो ही नहीं सकी थी.

मैं- चाची, मेरा गिफ्ट मिलेगा न?
चाची- सारी रात मिलेगा.

मेरी चाची लौड़े को सहलाती रही, मैंने भी चाची के पेटिकोट को पीछे से उठा दिया और उनके चूतड़ों और जांघों को मसलने लगा.

चाची लण्ड को पकड़े पकड़े नीचे बैठ गई और बैठते ही मेरे लण्ड को मुंह में भर कर चूसने लगी.
मैं भी चाची के गालों पर हाथ फिराते हुए उनके मुँह को चोदने लगा.

अचानक जोर से बिजली कड़की, रोशनी हुई और मोंटू जोर से डर कर चिल्लाने लगा.
हम पीछे हट गए.

चाची भाग कर मोंटू के पास गई और उसपर हाथ रखकर थोड़ी देर उसके पास बैठ गई.

मैंने नीचे से टॉवल उठाया और फिर लपेट लिया.
मोंटू चुप हो गया था.

चाची- पहले मैं मोमबत्ती ढूंढकर जला देती हूँ.
वो किचन की ओर जाने लगी तो मैं भी पीछे पीछे जाने लगा.

चाची किचन में चलती हुई मोमबत्ती ढूंढती रही और एक जगह जा कर जैसे ही एक दराज खोलने को नीचे झुकी तो मैंने चाची को पीछे से पकड़ लिया.

तो चाची चिहुँक गई; वो बोली- थोड़ा सब्र कर, सारी रात पड़ी है.

मैंने चाची को नहीं छोड़ा और उनकी दोनों चूचियों को आगे से पकड़ कर लण्ड को पीछे से उनके पेटिकोट को उठा कर चूतड़ों में फंसा दिया.

उनकी पैंटी के नीचे से मैंने अपना लौड़ा डाल दिया लेकिन लण्ड चूत के अंदर नहीं गया और नीचे की ओर चला गया.

चाची- पागल, आज पहले मैं तुझे ट्रेंड करूँगी, फिर टार्गेट पर शॉट मारना.

तभी चाची को मोमबत्ती मिल गई और उन्होंने गैस के पास पड़ी माचिस से जला दी.
चाची कमरे की ओर चल पड़ी, मैं उनके पीछे चिपके चिपके चलता रहा.

चाची बोली- पहले कुछ काम कर लूँ.
मैं- नहीं बाद में करना.

चाची- काम खत्म करके फिर आराम से करते हैं, बस दस मिनट लगेंगे.
मैंने कहा- पेटिकोट निकालो और केवल टॉवल पहन कर ही काम करो.
चाची कुछ नहीं बोली.

यह कहकर मैंने चाची की कमर से पेटिकोट का नाला खोल दिया.
पेटिकोट नीचे गिर गया.

चाची ने गीली ब्रा पैंटी निकाल कर टॉवल की बजाए एक चुन्नी को अपनी आधी चूचियों के ऊपर से लपेट लिया और बोली- बस, अब तो खुश हो?
अकेली चुन्नी में चाची गजब की सेक्सी लग रही थी.

नीचे की ओर चुन्नी चाची की गांड को पूरा नहीं ढक पाई.

मैंने चाची को एक बार फिर पकड़ा और पीछे से दिख रही गांड में अपना लण्ड अड़ा दिया.

गीले कपड़े उतारने के बाद भी चाची की गांड और शरीर बिल्कुल गर्म लग रहा था.

चाची- राजू, प्लीज थोड़ा रुक जाओ, जल्दबाजी में मज़ा नहीं आएगा, मैं खुद भी मजा लूँगी और तुम्हें भी दूँगी, अभी छोड़ो.

मैंने चाची को छोड़ दिया लेकिन किचन में उनके पीछे पीछे चलता रहा और बराबर अपने लौड़े को उनके चूतड़ों में अड़ाता रहा और उनके शरीर पर हाथ फिराता रहा.

चाची बोली- तुम तो किसी नए नए जवान हुए साँड की तरह बे-सब्रे होकर मेरे पीछे पीछे चल रहे हो.

तब चाची ने फटाफट डॉगी को खाना दिया, हमारे लिए फ्रिज से सब्ज़ी निकाल कर गर्म किया, कुछ रोटियाँ बनाई और मोंटू का दूध गर्म करके बोतल में भरकर मोंटू के मुँह में लगा दिया.

तभी लाइट भी आ गई.
मैंने लाइट में चाची के गोरे नंगे बदन को देखा तो मेरा लौड़ा फिर से तिलमिलाने लगा.

अभी तक मैंने चाची के नंगे बदन को नहीं देखा था.
चाची की चुन्नी में से झाँकती सुडौल बड़ी बड़ी चूचियाँ, गोल चिकनी बाजू, गोल सुन्दर उठी हुई गांड, और भारी भरे हुए सुडौल हाथी की सूँड की शेप के पट (जांघ) और पाँव, चाची के हर अंग में सेक्स टपक रहा था.

चाची बोली- चल, पहले खाना खा लेते हैं.
मैं- नहीं, चाची, अब नहीं रुका जा रहा, पहले चूत … फिर खाना.

चाची मुस्कराने लगी.

मैंने चाची को बांहों में भर लिया. चाची भी साथ देने लगी.

हम दोनों ने खड़े खड़े एक दूसरे के होंठों को चूसना शुरू किया.

मैंने चाची के निचले होंठ को अपने होंठों से जी भर कर चूसा. चाची ने हाथ नीचे करके मेरे लण्ड को पकड़ा और उसे आगे पीछे करने लगी.

चाची- मैंने कभी नहीं सोचा था कि इतनी सी उम्र में तुम्हारा लौड़ा इतना बड़ा और मोटा होगा.

मैंने भी चाची की चूत पर हाथ फिराया तो ऐसा लगा जैसे हाथ किसी गर्म मखमली चीज को छू गया हो.
चूत रस से सरोबार थी.

जैसे ही मैंने हाथ को नीचे घुसाना चाहा तो चाची ने अपनी टाँगें थोड़ी चौड़ी करके हाथ को जगह दे दी.

मैंने चाची की चूत को अपनी मुट्ठी में भींच लिया, चाची की एकदम ‘आह’ निकल गई.
अपनी बड़ी उंगली मोड़कर मैंने चाची की चूत की दरार में चलाना शुरू किया.

चाची ने मुझे बेड पर बैठा दिया और मेरी टाँगों के बीच खड़ी हो कर ऊपर से चुन्नी ढीली कर दी जिससे उनकी चूचियाँ बाहर आ गई.

मैंने एक चूची को मुँह में डाला और दूसरी को हाथ से मसलने लगा.
चाची के मुँह से तरह तरह की आहें निकलती रही.

मैं- चाची, अब इंतज़ार नहीं हो रहा, मेरा बर्थडे गिफ्ट दिखाओ.

चाची ने मुस्कराकर मुझे किस किया और बेड पर टाँगों को थोड़ा चौड़ा और ऊपर की तरफ मोड़ कर लेट गई और बोली- ये देखो, अपना स्पेशल गिफ्ट … पसन्द आया?

अपनी चाची की चूत को देखकर मज़े से मेरी आँखें बन्द हो गई.
क्या नज़ारा था.

स्वस्थ पटों और जांघों के बीच उभरी हुई दो मोटी फाँकों के बीच चूत का गुलाबी छेद!
और ऊपर की ओर सुंदर क्लिटोरियस, उसके नीचे छोटी गुलाबी पंखुड़ियां और उनके बीच झलकती कामरस की बूंदें.

नीचे कत्थई रंग का सुन्दर गांड का चुन्नटों वाला छेद जिसके ऊपर कामरस की हल्की सी लकीर चूत से बह कर बाहर आ गई थी.

मैं- चाची, आपका सबकुछ बहुत ही सुन्दर है.
चाची- और तुम्हारा गिफ्ट?
मैं- वह तो बहुत ही सुंदर है.

चाची- किस नहीं करोगे अपने गिफ्ट पर?

मैं तुरन्त नीचे झुका और चाची की दोनों जांघों पर अपने हाथ रखते हुए खुली चूत के छेद पर अपने होंठ रख दिये.
होंठ रखते ही चाची मजे से चिल्लाई- अई ईई …

मैं चाची की चूत को चाटने लगा.
वास्तव में आनंद की कोई सीमा नहीं थी.

चाची मुझे अपने ऊपर खींचने लगी.
उन्होंने अपने बदन पर लिपटी चुन्नी को अलग कर दिया और बिल्कुल नंगी हो गई.

जैसे ही चाची मुझे जगह देने के लिए ऊपर खिसकी तो वह सोए हुए मोंटू से टकरा गई और मोंटू रोने लगा.

चाची ने अपने माथे में हाथ मारा और गुस्से से मोंटू को जोर जोर से थपथपाने लगी.
उसी वक्त बिजली की गड़गड़ाहट हुई और लाइट फिर चली गई.

लेकिन अबकी बार केवल अन्दर वाली लाइट गई जबकि बाहर स्ट्रीट लाइट से काफी रोशनी आ रही थी.

बारिश एकदम तेज हो गई.

मोंटू फिर सो गया और हम दुबारा से तैयार होने लगे.

चाची उठी और दूसरे कमरे में जाकर एक गद्दा लाई और उसे कमरे में जाली के दरवाजे के आगे बिछा दिया.
फिर मुझे बोली- राजू, यहां आओ, यहाँ थोड़ी बारिश की फुहार भी लग रही हैं और मौसम भी आशिकाना है, तुम्हें आज पूरा आनन्द दूँगी.

गद्दे पर चाची कमर के बल लेट गई और मुझे अपने ऊपर बुला लिया.
चाची के घुटने थोड़े मुड़े हुए थे.

उन्होंने अपने घुटनों को थोड़ा चौड़ा करके मुझे वहाँ समा जाने की जगह बना दी और मैं चाची की जांघों में अपनी जांघें रख कर उनके पेट पर लेट गया.

चाची ने मुझे अपने गदराए चिकने शरीर पर भींच लिया और मेरे मुँह और होंठों को चूमने चूसने और काटने लगी.

मैं भी पूरे जोश में आकर चाची के शरीर को जगह जगह से नोचने, काटने लगा.

गजब का माहौल था- बारिश, अंधेरा, उजाला, दो तपते जिस्म, बेफिक्री का आलम और किसी के आने का डर नहीं.
मेरा लौड़ा बार बार चूत के आसपास घर्षण कर रहा था.

चाची- चलो, अंदर डालो.
मैं थोड़ा ऊपर उठा और लण्ड के फनफनाते सख्त सुपारे को चूत के नर्म छेद पर लगाया.
चाची- धीरे धीरे जोर लगाकर अंदर करते जाओ.

मैंने ज़ोर लगाया तो सुपारा चूत की गर्म, चिकनी दीवारों को फैलता हुआ अन्दर जाने लगा.

चाची कभी मेरे चेहरे की ओर देखती तो कभी आनन्द से आंखें बंद कर लेती.

मैंने एक जोर का झटका दिया तो लण्ड गच्च से पूरा चूत में बैठ गया.
चाची ने एकदम आईईई … करके मेरी कमर में अपनी बाँहें डाल दीं और मुझे चूमने लगी- वाह मेरे शेर, तुमने तो किला फ़तह कर दिया, अब पहले धीरे धीरे आगे पीछे होकर चोदो और फिर धीरे धीरे स्पीड बढ़ाते जाओ, जल्दी डिस्चार्ज नहीं करना है, मैं कहूँ तब छोड़ना.

मैं चाची के कहे अनुसार चुदाई करने लगा.
हर झटके पर चाची आह … आह … मेरे राजा … चोदो … चोदो अपनी चाची को … हाय मेरे बलमा … जोर से करो अब … और जोर से … चूचियों को भी मसलते जाओ … आह … ईईई, बहुत मज़ा दे रहे हो … हाँ मेरे राजा … चाचा की कसर पूरी कर दो.

मैंने चाची के घुटनों को अपनी बांहों में ले कर थोड़ा उठा कर मोड़ लिया जिससे चूत और चाची के चिकने चूतड़ अच्छी तरह मेरे नीचे आ गये.

मैं अब जबरदस्त तरीके से चूत में लण्ड पेलने लगा.

चाची की चौड़ी जांघों में मेरी मजबूत जांघें पटा पट बज रही थीं.

बाहर बारिश पड़ने की आवाजें आ रही थी और अन्दर चूत और लण्ड में घमासान जारी था.

मुझे लग रहा था जैसे इससे अच्छा दुनिया में कोई आनन्द नहीं है.

चाची ‘शाबाश … शाबाश …’ कह कर मेरा जोश बढ़ रही थी.

हम दोनों पसीना पसीना हो रहे थे.
चाची मेरे नीचे लेटी चुद रही थी.

चाची- राज, मेरा होने वाला है, तुम भी अपना छोड़ लो.

मैंने अपने चूतड़ों को जोर जोर से ऊपर नीचे करके लण्ड को चूत की जड़ तक चलाना शुरू किया.

अचानक चाची अईईई … की आवाज से जोर से चीखी और उन्होंने अपनी दोनों टाँगों को मेरी कमर में लपेट कर मुझे जकड़ लिया और मेरा मुँह चूमने लगी.

चाची की चूत ने पानी छोड़ दिया था और उसी वक्त मेरे लण्ड ने अपनी गर्म पिचकारियाँ चूत में छोड़नी शुरू की.
हम दोनों अपनी चरमसीमा पर साथ पहुंचे.

मैं चाची के होंठों को चूसता रहा. दोनों की साँसें तेजी से चल रही थी.

कुछ देर में चाची ने अपनी टाँगों की कैंची को खोला और चाची के चूतड़ बहुत देर बाद नीचे गद्दे पर टिके.

चाची पूरी तरह से सन्तुष्ट थी.

मैं ऊपर से उतर कर चाची के साथ लेट गया.

चाची मेरे गालों को चूमते हुए बोली- कैसा लगा बर्थडे गिफ्ट?
मैं- बहुत अच्छा, हर रोज मिलेगा या बस?
चाची- चाची की चूत अब तुम्हारी हुई, जब मर्जी मार लेना.

उसी वक्त लाइट फिर आ गई.

चाची उठकर बैठ गई.
बैठते ही चाची ने अपनी टाँगें चौड़ी कर के चूत की ओर देखा तो चूत में से सफेद वीर्य बाहर बह रहा था.

चाची उसे देखकर मुस्कराई और मेरी तरफ देखकर बोली- क्या मस्त चुदाई की है! चलो अब खाना खा लो.

यह कह कर जैसे ही चाची उठी तो वीर्य बाहर आ कर उनके पटों पर फैलते हुए नीचे आने लगा.

चाची अपनी चौड़ी चौड़ी टाँगें करते हुए बाथरूम चली गई और बाहर आकर कपड़े पहनने लगी.

मैंने कहा- चाची, कपड़े नहीं, ऐसे ही रहेंगे.
चाची- चुन्नी तो लपेट लूँ?
यह कहकर चाची ने वही चुन्नी उसी तरह लपेट ली और रसोई में चली गई.
मैंने भी टॉवल लपेट लिया.

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लेखक के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दी जा रही है.

हॉट लव सेक्स कहानी जारी रहेगी.

इस कहानी का अगला भाग: मेरी प्यारी चाची का बर्थडे गिफ्ट-5