जंगल में बड़ी चाची की चूत का मंगल

इस जंगल सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैंने मेरी बड़ी चाची को जंगल में चोदा. बड़े चाचा से उसकी चूत की प्यास नहीं बुझी तो उसने मुझ जवान लौंडे को पटा लिया.

हाय दोस्तो, मैं राहुल साहू गरियाबंद (छत्तीसगढ़) के पास के गांव का हूँ.
रोज रोज कामुकताज डॉट कॉम पर कहानी पढ़कर मेरी भी वासना बढ़ गयी जिसके कारण मुझे भी अपनी कहानी लिखने की इच्छा हुई.

यह जंगल सेक्स कहानी मेरी और मेरी ब्लैक ब्यूटी बड़ी चाची के साथ सेक्स संबंध की कहानी है।

मेरी उम्र अभी 26 है, कद 5 फ़ीट 10 इंच, लंड का आकार 8 इंच लंबा व 3 इंच मोटा है.
अपने इस मूसल लंड से मैंने कई आंटियों को चोदा है और चोद चोदकर भरपूर संतुष्ट किया है.

ये मेरी सबसे रोचक चुदाई की कहानी है और मेरी कहानी में बिल्कुल भी कोई कल्पना नहीं है। ये वाकया एकदम सत्य घटना पर आधारित है.
अब आपको अपनी जंगल की चुदाई वाली स्टोरी पर लिये चलता हूं.

मेरी बड़ी चाची भले ही देखने में काली है लेकिन गदरीली मांसल जांघों वाली और मोटी गांड की मालकिन है. उसके बड़े बड़े चूचे हैं जो कि उसके ब्लाउज को रुलाते रहते हैं.

उसका कद 5 फिट 6 इंच और साइज 36-30-38 का है. उसके अंगों में इतनी मादकता है कि काली होने बावजूद वो मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित किया करती है.

हम दोनों का परिचय तो हो गया. अब मैं असली घटना का वर्णन करूंगा कि कैसे, कब और क्या हुआ था.
यह कहानी तब की है जब मैं 19 साल का था और मेरी बड़ी चाची 38 की थी।

मेरे तीन दादा थे. मेरी बड़ी चाची मेरे बड़े दादा की बहू थी. मेरा घर और बड़ी चाची का घर अगल बगल में जुड़ा हुआ था तो मेरा आना जाना लगा रहता था और वो भी हमारे यहां आती जाती रहती थी.

मैंने पहले उनको कभी गन्दी नजरों से नहीं देखा था लेकिन एक बार हम दोनों की जिंदगी में ऐसी घटना घटी कि उसकी बाद से मेरे विचार उनके लिए बदल गये.

हुआ यूँ कि दोस्तो, मैं एक दिन दोपहर में उनके घर गया था. मैं भैय्या को ढूंढते हुए उनके रूम गया तो कोई नहीं था वहां. फिर मैंने सोचा घर में कोई नहीं है और मैं वापस आ रहा था.

अचानक मुझे जोर से कराहने की आवाज आई और हाँफने की.
फिर मैं बड़ी चाची के रूम की तरफ गया.
वहाँ जो नजारा था वो देखकर मैं स्तब्ध रह गया.

बड़ी चाची पूरी नंगी होकर बड़े चाचा से चुदवा रही थी. जल्द ही बड़े चाचा का झड़ गया.
उससे बड़ी चाची भड़क गयी और बोल रही थी- तुम्हारे लंड में अब दम नहीं रहा, मुझे शांत किये बिना ही झड़ जाते हो।

फिर बड़े चाचा कपड़े पहनकर बाहर चले गये.

आप लोग जानते हो कि गांव में पति पत्नी में उम्र का काफी फासला देखा जाता है. वैसा ही उन दोनों में भी था.

बड़ी चाची चुदक्कड़ थी. रंग से काली थी, मगर भरा-पूरा बदन देखकर लगता था कि बहुत लंड ले चुकी है. इसकी पुष्टि करने के लिए मैंने बड़ी चाची से दोस्ती करने की सोची.

धीरे धीरे मैं उनके करीब आया. वो भी चुदक्कड़ थी तो मेरे जैसा जवान लंड देखकर जल्दी ही खुल गयी.
तब उन्होंने बताया था कि जवानी में बहुत लोगों के लंड लिए थे. शादी से पहले भी चुदवाई थी.

उसने ये भी बताया कि बड़े चाचा ने उनके मांसल शरीर और बड़े स्तन और बड़ी गांड देखकर ही शादी की थी।
मजे की बात तो ये थी दोस्तो कि शादी फिक्स होने के बाद सगाई से पहले बड़े चाचा ने बड़ी चाची को खेत में चोदा था.

भले ही बड़े चाचा अभी उनको संतुष्ट नहीं कर पाते थे लेकिन पहले वो भी बहुत बड़े हवसी थे।
ये सब कहानी बड़ी चाची ने मुझे उनकी चुदाई के बाद बतायी थी.

तो दोस्तो, ये तो बड़ी चाची और बड़े चाचा की कहानी हो गयी. अब आगे चलते हैं.

मेरी बड़ी चाची बड़े चाचा की अधूरी चुदाई से नाराज अभी भी नंगी बिस्तर में चूत में उंगली कर रही थी.
उसको देखकर मैं भी लंड निकालकर मुठ मारने लगा।

फिर उसके बाद मैं सोच रहा था कि इसकी चूत में इतनी ही प्यास है तो मैं ही जाकर चोद दूँ क्या?
फिर मैंने सोचा कि आखिर वो मेरी बड़ी चाची है. मुझसे चुदेगी क्यों?
यही सोचकर मैं वापस आ गया.

चाची की चुदाई का ये सब नजारा मैंने खिड़की से देखा था. मुझे नहीं पता चला था कि बड़ी चाची ने भी मुझे देख लिया था. वो भी मुझे अपना शिकार बनाना चाह रही थी.

अब अगले दिन से मैं उनके घर जाने लगा. वैसे पहले भी लगभग रोज ही जाता था.

वो गहरे गले का ब्लाउज पहनती थी जिससे उनके क्लीवेज साफ साफ दिखते थे. बड़े बड़े स्तन थे उनके और वो इतने टाइट ब्लाऊज पहनती थी कि बटन टूटने को हुए रहते थे.

मैं रोज उनके बदन के दर्शन करने उनके घर जाता था.

एक दिन तो वो नहा रही थी बाथरूम में और घर में उस वक्त कोई नहीं था.

मैं आवाज देते हुए गया. सोचा कि यहीं कहीं मूतने गयी होगी तो चूत के दर्शन कर लूंगा.
मैं छुपकर देखने लगा.

मैंने देखा कि वो चुदासी औरत पेटीकोट को स्तन के ऊपर तक बांध कर नहा रही थी।

फिर मैंने उनको पुकारा तो वो बोली- मैं नहा रही हूँ. अच्छा हुआ कि तू आ गया. एक बार आकर जरा साबुन लगा दे मेरी पीठ पर।

उसके बाद फिर मैं गया और उनकी पीठ पर साबुन लगाने लगा. उसके भीगे बदन को देखकर मेरा लंड फुफकार मारने लगा।
फिर वो बोली- जा बेटा … मैं नहाकर आती हूँ।

फिर मैं आकर वहीं पर पास में ही छुप गया. मैं वहां से गया नहीं. मैंने देखा कि उसने अपना पेटीकोट उतार दिया और वो पूरी की पूरी नंगी होकर नहाने लगी.
मैंने वहीं पर उसको नंगी देखकर मुठ मारी और फिर आकर रूम में बैठ गया.

वो अपनी पैंटी और ब्लाउज रूम में छोड़कर गयी हुई थी.

फिर वो आई और मुझसे अपनी पैंटी मांगने लगी. उसने पैंटी ली और मेरी ओर पीठ करके पहनने भी लगी.

मैं तो उसको देखकर पागल हुआ जा रहा था. मन किया कि साली को यहीं पटक कर चोद दूं. मेरा दिमाग खराब कर रही थी गांड दिखाकर. मगर मेरे मन में डर भी था कि कहीं कुछ उल्टा हो जाये और फिर सब गड़बड़ हो जाये.

फिर उन्होंने अपनी जांघों पर तेल लगाया और एक टांग को पलंग पर रखकर मालिश करने लगी. वो जान बूझकर ये सब कर रही थी. उसके बाद उन्होंने फिर मेरी तरफ पीठ की और अपने पेटीकोट को चूचियों से नीचे करते हुए अपने ब्लाऊज को पहनने लगी.

उसके बाद उन्होंने मुझे हुक लगाने को बोला. मैं हुक लगाते हुए उसकी बड़ी सी गांड में लंड को टच करने लगा.
मैं बहाने से उसकी पीठ पर हाथ फिरा रहा था और वो कुछ बोल भी नहीं रही थी.

मेरे पास मौका था लेकिन डर के मारे उस दिन मैं उनके साथ कुछ नहीं कर पाया। ये सिलसिला बहुत दिनों से चल रहा था. उनका अंग प्रदर्शन करना और मेरा उनका दीदार करना।

फिर एक दिन मैं अपने घर में टी.वी. पर डब्ल्यू.डब्ल्यू.ई. देख रहा था और बड़ी चाची मेरी साइड में आकर चिपककर बैठ गयी.
उस समय पुरुषों का मैच चल रहा था.

उसके बाद महिलाओं का मैच चालू हो गया तो मैंने चैनल बदल दिया.
बड़ी चाची ने कहा- चलने दे बेटा, मेरे को अच्छा लगता है.

फिर वो खत्म हो गया तो मैंने मूवी लगायी.

इत्तेफाक से मर्डर मूवी चल रही थी। उसमें हॉट सीन चल रहा था तो मैंने चेंज कर दिया.

अब उसने मेरे हाथ से रिमोट ही छीन लिया. फिर उसने दोबारा से वही मूवी लगा दी और मेरे पैरों पर अपने पैर रगड़ने लगी.

वो अब पूरा सिग्नल दे रही थी.
ये सब होने के बाद भी मैं उनसे कुछ नहीं बोल पाया।

हम लोग एक मध्यमवर्गीय परिवार से थे. मार्च-अप्रैल महीने में हमारी तरफ रोजगार का साधन नहीं रहता तो हम लोग महुआ संग्रहित करने जाते हैं जिससे शराब बनायी जाती है।

मैं और बड़ी चाची हर वर्ष सुबह 5 बजे उठकर जाते थे. मैं उनकी सहायता करता था। हम लोग शराब नहीं बनाते हैं. हम लोग उसे संग्रहित करके व्यापारियों को बेच देते हैं और फिर उनको व्यापारी लोग कोल्ड स्टोर में रखकर कुछ महीनों के बाद जो शराब बनाते हैं उनको बेचते हैं।
ये हम जंगल वासियों के लिये रोजगार का साधन जैसा होता है.

तो अब वापस से स्टोरी पर आते हैं. मैं बड़ी चाची के साथ जंगल में था और वो झुककर काम करते हुए मुझे अपने चूचे दिखा रही थी.

फिर वो वहीं बैठकर पेशाब करने लगी. मैं उसकी ओर देख रहा था. उसकी गांड मुझे दिख गयी. मैंने सोच लिया कि अब तो इसकी चुदाई जंगल में ही कर दूंगा मैं.

अगले दिन हम लोग बाइक से जा रहे थे और वो मेरे से बिल्कुल चिपक कर बैठी हुई थी. मेरा लंड लोअर में पूरा तन चुका था. उसका उभार साफ साफ नजर आ रहा था.

हम लोग जैसे ही पहुंचे वहाँ मैंने गाड़ी साइड में लगा दी.

बड़ी चाची अपनी साड़ी और पेटीकोट को जांघ के ऊपर तक लाकर बांधकर काम करने लगी.
मैं आज उसकी जांघों को निहार रहा था. चूचे तो उसके रोज ही देखता था.

मैंने सोच लिया था कि आज इसको चोदना है. फिर मैं भी महुआ बीनने लग गया. जानबूझ कर मैं उनकी तरफ ही गया उनके पीछे। फिर उनके एकदम करीब पहुंच गया.

क्या होता है कि जब महुआ बीनते हैं तो सर ऊपर नहीं करते हैं और मैं कब उनके इतने करीब पहुंच गया कि पता ही नहीं चला. उनकी सेक्सी टाँगें व मोटी मोटी जांघें इतने करीब से देख कर मैं पागल हो गया।

हिम्मत करके मैंने उनकी जांघों को अपने हाथों से पकड़ लिया.
बड़ी चाची झट से पलटी और बोली- राहुल … ये क्या कर रहा है?
मैंने बोला- 2 महीने से जो आपने मुझमें वासना की आग जलाई है उसका परिणाम है।

वो झूठी नौटंकी करते हुए बोली- ये गलत है राहुल, मैं तुम्हारी चाची हूं।

फिर मैं खड़ा हुआ और बोला- रोज मुझे अपने नंगे शरीर का दीदार कराती थी तो वो क्या था? मेरे पैरों को अपने पैरों से रगड़ना वो क्या था? मेरे सामने अपनी जांघों में तेल लगाना … मेरे सामने पैंटी पहनना और मुझसे ब्लाउज के हुक लगवाना क्या था?

इस बात पर वो हंसने लगी और बोली- मुझे क्या पता वो क्या था?
फिर मेरे पास आई और कहा- गांडू इतने दिनों से तेरे को लाइन दे रही हूं, खुले आम ऑफर दे रही हूं, 2 महीनों से नहीं चुदी हूँ … तुझे कुछ दिखाई नहीं देता क्या चूतिया?

ये कहते हुए उसने मेरे लंड को हाथ में पकड़ लिया और बोली- इसके लिए ही ये सब किया मैंने!

बस फिर क्या था दोस्तो … फिर हमारा कार्यक्रम चालू हो गया.
उन्होंने मेरे होंठों को चूमना चालू कर दिया. मैं भी उनका बराबर का साथ दे रहा था.

फिर तो हम एक दूसरे को बेताहाशा चूमने लगे।

देखते ही देखते पूरे नंगे हो गये. मैंने उनकी जांघों से धीरे धीरे चुसाई करते करते चूत का रास्ता ले लिया.

अब मैं चूत में जीभ डालकर चाटने लगा. वो सिसकारी मारने लगी। फिर मैंने आवाज ज्यादा न गूंजने से बचाने के लिए बड़ी चाची के मुंह में लंड दे दिया. वो मेरा लंबा मोटा लंड देखकर खुशी से पागल हो गयी और मेरी मस्त चुसाई करने लगी.

कुछ देर तक मैंने उसके मुंह में धक्के दे देकर लंड चुसवाया और फिर हम दोनों 69 की अवस्था में एक दूसरे को तृप्त करने लगे.
चुसाई करते हुए हम दोनों एक बार झड़ गए.
हम एक दूसरे के रस को चाट चाटकर पी गए।

फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों ने एक दूसरे को फिर से तैयार किया. मेरा लंड जैसे ही खड़ा हुआ मैंने उनको लिटा कर उनकी चूत में लंड झटके से डाल दिया.

आधा लंड उनकी चूत में घुस गया.
वो चिहुँक उठी.

मैं धीरे धीरे करके लंड को घुसाने लगा और वो भी दर्द में तड़पती रही।
थोड़ी देर के बाद वो मेरा खूब साथ देने लगी।

वो अब कमर हिला हिलाकर चुदवाने लगी। चाची कईयों का लंड ले चुकी थी इसलिए पूरे अनुभव के साथ मुझसे चुदवा रही थी।
चुदाई में मस्त होकर वो मेरी पीठ कर खरोंचने लगी. मेरी पीठ पर जलन होने लगी थी.

मैं अपनी पूरी ताकत के साथ चूत को पेल रहा था। फिर मैंने उनको डॉगी पोज़ में भी चोदा और फिर उनको गोदी में उठाकर पेला।
वो मेरी चुदाई से बहुत खुश हो रही थी.

उसके चेहरे पर संतुष्टि झलक रही थी.
वो कहने लगी- आह्ह राहुल … तेरा लंड और चुदाई मजेदार है … मुझे चोदता रह … आह्ह … चोदता जा … जब तक मैं तुझे रोकूं नहीं.

मैं उनको उठाये हुए चोद रहा था. मेरे हाथ उसकी गांड के छेद को सहला रहे थे.
मैंने बोला- ये छेद तो रह ही गया.
वो बोली- मैंने आज तक गांड चुदाई नहीं करवाई है मगर तेरी इच्छा है तो कर लेना.

मैंने उसको नीचे उतारा और उसको कुतिया बनाकर उसकी गांड के छेद को चाटने लगा.
मैं उसकी गांड के छेद में जीभ घुमाकर चूसने लगा.
वो पागल हो रही थी.

फिर मैंने ढेर सारा थूक हाथ पर डाला और उसकी गांड के छेद में उंगली करने लगा.
उसको दर्द हो रहा था. वो मना करने लगी.

मैंने उसकी गांड में अपना लंड घुसा दिया और वो एकदम से चीख पड़ी.
वो मुझे पीछे धकेलने लगी.

लेकिन मैं उस पर चढ़ गया और गांड को चोदने लगा.
वो कराहती रही और मैं चोदता गया.

जब उसकी गांड खुल गयी तो वो फिर आराम से चुदवाने लगी.

उसकी चूचियों को भींचते हुए अब मैं उसकी गांड को लंड से ठोक रहा था.

उसके चूतड़ हर धक्के के साथ उछल रहे थे. फिर चोदते हुए मैंने उसकी गांड में माल गिरा दिया.

2 घंटे की इस घमासान मैराथन चुदाई के बाद हम लोग बेहद थक गए थे। थोड़ी देर बाद हम लोग घर आ गए।

रात को चाची ने मुझे फिर बुलाया और फिर हमने पूरी रात चुदाई की क्योंकि बड़े चाचा एक बार सोने के बाद उठते ही नहीं थे.
चाची अपनी अय्याशी के लिए बड़े चाचा को नींद की दवा दे देती थी.

हम लोग उनकी बगल में ही चुदाई करते रहे और वो सोते रहे. जितने दिन महुआ के लिये गये तो हम लोगों ने रोज ही कम से कम एक घंटा जंगल में मंगल किया।

जंगल में चुदवाने के बाद फिर रात को वो मेरी बीवी की तरह चुदवाती थी. आज भी मैं उनको चोदता हूँ. वो मेरे घर में आती है तो मेरे रूम में जरूर आती है.

चुपके से वो मेरे रूम के अंदर मुझसे अपनी चूत और गांड चटवाती है. मैं भी उसकी मोटी गांड और प्यासी चूत के पूरे मजे लेता हूं. उसने पैंटी और ब्रा पहनना छोड़ रखा है और सीधे आकर मेरे मुंह से चूत लगा देती है.

तो ये थी मेरी बड़ी चाची की चुदाई की कहानी. आपको जंगल सेक्स कहानी पसंद आई होगी. मुझे अपने मैसेज में जरूर बतायें. मुझे आपके रेस्पोन्स का इंतजार होगा.