40 साल की कुँवारी महिला को चुदाई सिखाई

मेच्योर लड़की सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि एक लड़की की शादी टूटी तो उसने शादी नहीं की. ना ही किसी से सेक्स किया. पढ़ें कि कैसे मुझे मौक़ा मिला उसकी पहली चुदाई का.

मेरी कहानियाँ जब पब्लिश होती हैं तब देश के विभिन्न हिस्सों से अच्छे बुरे मेल आते रहते हैं।
कुछ पाठकों के साथ दो चार दिन ही बात होती हैं तो कुछ के साथ लंबे समय तक बातचीत का दौर चलता रहता है।

ऐसी ही एक पाठिका थी सरिता।

सरिता एक 40 साल की कुँवारी महिला थी। उसका होने वाला पति नामर्द था इसलिए शादी के मंडप से भाग गया था.
तब से सरिता जी ने ना शादी की सोची थी ना ही किसी से प्यार किया था.
इसलिए वह 40 साल की उम्र तक कुँवारी थी।

उसके घर में उसके अलावा उसकी बूढ़ी माताजी थी।

वह वक्त गुजारने के लिये एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती थी। वहीं पर उसे एक नई सहेली मिली थी जो कामुकता की कहानियाँ रेगुलर पढ़ती थी।
उसी सहेली ने सरिता को मेरा ईमेल आईडी दिया था जिसकी वजह से हमारी बातचीत हो रही थी।

शुरू में सरिता बात करने में बहुत ही हिचकिचाती थी. पर जैसे जैसे हमारी बातचीत बढ़ने लगी थी वह खुल कर बात करने लगी थी।

कुछ नॉर्मल चैट और सेक्स चैट के बाद मैं उस पर भी सेक्स स्टोरीज लिखने लगा था।

शुरू में कहानियाँ पढ़ कर वह बहुत शरमाती थी, उसमें लिखे लंड, चूत, चूची ऐसे शब्दों पर उसे आपत्ति होती थी. पर बाद में उसे वही सेकसी वर्ड्स पसंद आने लगे थे और वह चैटस् में भी खुद उन शब्दों का प्रयोग करने लगी थी।

हमने कभी एक दूसरों को देखा नहीं था, ना कभी एक दूसरे की तस्वीर मांगी थी. इसलिए मैं कैसे दिखता हूँ यह उसे नहीं पता था और वह कैसी दिखती थी मुझे नहीं पता था।
जितना उसने अपने बारे में बताया था उससे तो लगता था के वह बहुत ही सुंदर महिला है।

मेरे साथ सेक्स चैट करते रहने से और सेक्स स्टोरीज पढ़ते रहने से उसके मन में भी सेक्स करने की इच्छा जागृत हो रही थी.
बावजूद इसके वह ना ही शादी करना चाह रही थी और ना ही किसी से शारिरिक संबंध रखना चाह रही थी।

हमारी बातचीत का दौर यू ही लंबे समय तक चलता रहा।

एक बार मुझे काम के सिलसिले में उसके शहर जाने का मौका मिला तो मैंने उससे होटलों की इंक्वायरी की।

तो उसने कहा- हमारा घर होते हुये आप होटल में क्यों रहेंगे?
“मैं आपके घर में कैसे ठहर सकता हूँ? आपकी माताजी क्या कहेंगी?”मैंने पूछा।
“माताजी को मैं बता दूंगी कि आप मेरे दोस्त हो या उनको मेरे मामाजी के घर छोड़ आऊँगी। आप चिंता ना करे आ जाईये।” उसका रिप्लाय आया।

उसके बाद तय दिन, तय वक्त पर मैं उसके घर पहुँच गया।

डोर बेल बजायी तो एक अत्यंत सुंदर महिला ने दरवाजा खोला।
उस महिला को देखकर मैं अपने आप को भूल गया और उसे जी भर के देखने लगा।

“एक्सक्यूज मी! ” वह मेरी तरफ देख के बोली।
“आय आय आय … रवि रवि रविराज! मैं रविराज हूँ!” मैंने हड़बड़ाकर कहा।

“ओह! आइये, अंदर आइये।” उसने हँसकर कहा और दरवाजे से पीछे हट गयी।
मैं अंदर चला गया।

उसका घर काफी बड़ा था। घर में और कोई दिख नहीं रहा था शायद वह अपनी माताजी को उसके मामाजी के घर छोड़ आयी थी।

उसके घर में बहुत सारे कमरे थे जिसमें से एक कमरे में उसने मुझे ठहराने का इंतजाम किया था।

“आप नहा धोकर फ्रेश हो लीजिये; तब तक मैं खाने का इंतजाम करती हूँ।” कहकर वह कमरे से बाहर चली गयी।

मैं वहाँ रात के समय पहुँचा था इसलिये फ्रेश होने के बाद हम सीधे खाना खाने बैठ गये।
खाने की टेबल पर बस यहाँ वहाँ की बातें होती रही।

“अब आप जा के सो जाइये, सफर से थक गये होंगे।” कहकर वह प्लेट्स उठायी और किचन में चली गयी।
मैं कुछ बोल ना सका, चुपचाप अपने कमरे में चला गया।

नींद तो आ नहीं रही थी इसलिये अपने मोबाईल पर सरिता जी को लेकर एक नई कहानी बनाने लगा।

थोड़ी ही देर में दरवाजे पर दस्तक हुयी।
मैंने दरवाजा खोला तो सरिता जी थी।

“मैं बस पूछने आयी थी के आपको किसी चीज की जरूरत तो नहीं है?” वह बोली।
“नहीं, जरूरत की सारी चीजें यहाँ मौजूद हैं।” मैंने कहा।
“फिर भी किसी चीज की जरूरत पड़ेगी तो मुझे आवाज दीजिये, मैं बगल के कमरे में ही सो रही हूँ।” वह बोली।

“आप अंदर तो आइये!” मैं बोला।
“नहीं, आप को आराम की जरूरत है।” उसने कहा।

“मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैं तो ऐसे ही टाइमपास करने के लिये स्टोरी लिख रहा था।” मैं बोला।
“ओह ! तब तो मैंने आपको डिस्टर्ब किया।” वह बोली।
“अरे नहीं, प्लीज आप अंदर आ जाईये।” कहकर मैं दरवाजे से पीछे हटा।

“वैसे किस टॉपिक पर स्टोरी लिख रहे थे?” बेड पर बैठते हुये उसने पूछा।
“आप पर!” मैंने कहा।
“मुझ पर?” उसने हँसते हुये पूछा।

“हाँ, और भी चार पाँच लिखी हुई हैं पहले से, जो आपको सेंड नहीं की थी।” मैं बोला।
“चार पाँच?” उसने आश्चर्य से पूछा।
“हाँ, सोचा था आपसे मिल ही रहा हूँ तो आपको पढ़ के सुनाऊँगा।” मैंने कह तो दिया पर मेरी धड़कन तेज हो गयी यह सोचकर कि कहीं वह नाराज ना हो जाये।

“पढ़ के सुनाओगे?” उसने हँसकर पर शरमाते हुये पूछा।
“हाँ, सोच के तो यहीं आया था।” मैंने कहा।

वह कुछ बोली नहीं बस हँसते हुये अपनी गर्दन नीचे झुका दी।

“सुनाऊ?” मैंने पूछा।
“हाँ!” उसने झुकी गर्दन से ही जवाब दिया।

उसकी रजामंदी पाकर मैंने उसे सारी कहानियाँ सुना दी।
वह हर कहानी के बाद उठती और टॉयलेट चली जाती।

“जब आखरी कहानी खत्म हुई तब मैंने उससे पूछा- आप बार बार टॉइलेट क्यों जा रही हो?
“कहानी सुन के बार बार सु सु आ रही है।” वह नजर झुका कर ही बोली।

“आप मुझसे नजरें क्यों चुरा रही हो?” मैंने पूछा।
“शर्म आ रही है.” बोल के उसने मेरी तरफ देखा।

“ओह, माय!” मेरे तने हुये लंड से पैन्ट पर उभार आ गया था, जिसकी तरफ देखते हुये उसके मुँह से निकल गया।

“ओह, सॉरी। आपको कहानी सुना रहा था ना इसलिये। हम मर्दों के साथ यही दिक्कत होती हैं, हमारा छुपा नहीं रह सकता। आप औरतों का अच्छा है, कुछ मालूम नहीं पड़ता।” मैं थोड़ा शरमाकर बोला।
“हमें भी परेशानी होती है, हम लोग गीली हो जाती हैं।” वह बोली।

“पर ऊपर तो नहीं दिखता ना हमारी तरह!” मैं बोला।
“लेकिन अंदर तो पूरा गीला हो जाता है।” वह शरमाते हुये बोली।
“कपड़े तो सेफ हैं।” मैं बोला।

“पैन्टी बुरी तरह से गीली हो चुकी है।” वह थोड़ी डेरिंग करते हुये बोली।
“काश मैं देख पाता!” थोड़ी शैतानी करते हुये मैं बोला।

“क्या पैन्टी? छी! उसमें क्या देखना हैं?” वह बोली।
“इतनी दूर आया हूँ, कुछ और नहीं तो आपकी पैन्टी ही सही।” मैं बोला।

“रुकिये मैं अभी आती हूँ!” कहकर वह बाथरूम में चली गयी।
वापस आकर उसने अपनी गीली पैन्टी मुझे थमा दी।

उसकी गीली पैन्टी में जो पानी जमा हुआ था, उस पर मैंने अपनी उंगली फेरी, फिर तर्जनी और अँगूठे पर थोड़ा पानी लेकर उसे मसलते हुये बोला- काफी चिपचिपा है।
वह शरमायी पर हँसते हुये पूछने लगी- क्या आप लोगों का भी गीला होता है? आपकी पैन्ट भी गीली हुई है?’

“हाँ, देखना चाहोगी?” पूछते हुये मैंने लंड को पैन्ट के ऊपर से ही सहलाया।

मेरी इस हरकत से उसकी गालों पर लाली बढ़ गयी, वह और ज्यादा शरमायी और बोली- आपकी कहानियाँ पढ़ कर मन तो बहुत करता हैं कि मैं भी … पर मैंने यह फैसला कर लिया है कि मैं शादी भी नहीं करूंगी और किसी से प्यार भी नहीं करूंगी।
“हाँ, मुझे पता है। आपने मेल में भी यह बात बतायी थी।” मैं बोला और चुप हो गया।

“आप अपनी कहानियों में जो अलग अलग सेक्स पोज़ीशन्स लिखते हैं उनमें से कुछ तो मुझे समझ में ही नहीं आती। मैंने कभी किसी को सेक्स करते हुये देखा नहीं है, ना ही कभी सेक्स व्हिडिओज देखे हैं।” मेरी चुप्पी को तोड़ने के लिये वह बोली।

“किस पोज़ीशन के बारे में आप जानना चाहती हो?” मैंने पूछा।
“जितनी आप बता सको। डॉगी स्टाईल क्या होती है? उसे बहुत सारी कहानियों में पढ़ा गया है।” उसने पूछा।

“जिस तरह कुतिया आगे खड़ी होती है और कुत्ता पीछे से उसको चोदता है वैसे ही औरत …” मैं आगे बोलने ही वाला था।

“मैंने कभी कुत्तों को सेक्स करते हुये नहीं देखा।” वह बीच में ही बोल पड़ी।
“आपने कभी किसी को घोड़ी बनते हुये देखा है?” मैंने पूछा।

“हाँ, ऐसे ना?” कहती हुई वह बेड पर घोड़ी बन गयी।
“हाँ, ऐसे ही, फिर मर्द औरत के पीछे घुटनों के बल बैठ जाता है और उसकी चूत या गांड में लंड डालता है।” मैं बोला।

“ठीक से हो पाता है? हाईट के हिसाब से काफी एडजस्टमेंट्स करनी पड़ती होगी। कभी ऊपर कभी नीचे।” कहती हुयी वह अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगी।

“मे आय? सिर्फ दिखाऊँगा कुछ करूँगा नहीं!” मैंने उसकी गांड के पीछे जाने की परमिशन माँगी।

“यस, प्लीज!” कहते हुये उसने मुझे अपने पीछे आने की अनुमति दे दी।
मैं अपने घुटनों के बल उसकी गांड के पीछे बैठ गया।

“चूत में लंड डालने के लिये कुछ इस तरह से पोज़ीशन में आते हैं। ओह! सॉरी।” मैं उसे पोज़ीशन दिखाने गया पर मेरा लंड उसकी चूत से टकरा गया इसलिये मैं तुरंत सॉरी बोला।

“इट्स ओके, हमने कपड़े पहन रखे हैं।” वह बोली।
थँक यू कहकर मैं आगे की पद्धति बताने लगा।

“थोड़ा ऊपर उठे तो इसी पोज़ीशन में गांड भी मार सकते हैं.” कहते हुये मैंने अपना लंड उसकी गांड को टच किया।

उसने अपनी गांड आगे खींच ली तो मैंने फिर सॉरी बोला।
“नो नो इट्स ओके, मैंने कभी यह सब किया नहीं हैं ना इसलिये थोड़ा सा डर रही हूँ। जब मर्द धक्के मारता है तो औरत आगे की तरफ़ नहीं गिरती?” उसने पूछा।

“नहीं, मर्द उसकी कमर पकड़ता है.” कहकर मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़ी और लंड को एक बार चूत पर और एक बार गांड पर रगड़ा।
“आह!” उसके मुँह से सिसकी निकल गयी जिससे मुझे बड़ा मजा आया।

“इस पोज़ीशन में एक ही वक्त पर चूत और गांड दोनों में बारी बारी लंड डाला जा सकता है।” कहते हुये मैंने फिर एक बार लंड को चूत और गांड पे रगड़ा।

“और कौन सी पोज़ीशन्स हैं? 69 की पोज़ीशन को भी मैं कभी समझ नहीं पायी.” वह बोली।

“आप एक करवट सो जाइये.” कहकर मैंने उसे एक करवट पर सुला दिया।
फिर मैं भी उल्टा होकर उसकी बगल में लेट गया।
ऐसा करने से मेरा लंड उसकी मुँह की तरफ आ गया और उसकी चूत मेरे मुँह की तरफ आ गयी।

“इस पोज़ीशन में औरत लंड चूसती हैं और मर्द चूत चाटता है।” मैंने सिर्फ बताया, उसे कहीं टच नहीं किया।

“बस ऐसे ही? एक दूसरे के बगल में लेटकर?” उसने पूछा।

“इसे एक दूसरे के ऊपर लेटकर भी किया जाता है।” मैं बोला।
“कैसे?” उसने पूछा।

“मे आय?” मैंने उसके ऊपर लेटने की परमिशन माँगी।
“यस!” कहकर उसने परमिशन दे दी।

मैं तुरंत उठकर उसके ऊपर लेट गया। ऐसा करने से मेरा लंड उसके मुँह पर रगड़ खाने लगा।
मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह टच किया तो वह ‘आह’ भरकर सिसकार उठी।

“इसमें कभी औरत नीचे होती हैं तो कभी मर्द.” कहते हुये मैं खुद नीचे हो गया और उसे अपने ऊपर खींच लिया।
अब उसका मुँह मेरे लंड पर आ गया और उसकी चूत मेरे मुँह पे आ गयी।

वह मेरे ऊपर लेटी हुई थी इसलिये उसकी चूत मेरे मुँह में आकर फिट हो गयी जिससे उसे मजा आने लगा और वह कमर को और नीचे दबाने लगी।
मैं भी अपने होंठों को दायें बायें, ऊपर नीचे फेरने लगा।
वह मदहोश होकर अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़ने लगी।

कुछ देर बाद वह उठी और पूछने लगी- जब औरत मर्द की कमर पर बैठ जाती हैं तो मर्द को दर्द नहीं होता क्या? लंड तो बुरी तरह से मुड़ जाता होगा?
“नहीं, वह चूत के अंदर चला जाता हैं या जांघों से चिपक जाता है.” मैंने कहा।

“मे आय?” इस बार उसने मेरा वाला सवाल पूछा।
“ओह! यस प्लीज!” खुश होकर मैंने उसका वाला जवाब दिया।

वह तुरंत मेरी जांघों पर आकर बैठ गयी।
उसने अपनी पैन्टी पहले ही निकाल दी थी जिसकी वजह से उसके सलवार का कपड़ा उसकी चूत से चिपक गया था इसलिये जैसे ही वह मेरी जांघों पर बैठी मेरा लंड उसकी चूत की दरार में धंस गया।
उसके मुँह से फिर एक आह निकली।

“इसमें मर्द को सही में दर्द नहीं होता? थोड़ा तो होता होगा, खासकर तब जब औरत उछलती होगी या जोर जोर से अपनी कमर हिलाती होगी?” पूछते हुये वह अपनी कमर आगे पीछे करने लगी जिसकी वजह से उसकी चूत मेरे लंड पर रगड़ खाने लगी।

उसने अपना आपा खो दिया था, वह अब पूरी तरह से चुदाई के मूड में आ गयी थी.
पर चूंकि उसको रिअल सेक्स करना नहीं था इसलिये वह चूड़ीदार के ऊपर से ही सेक्स का मजा लेना चाह रही थी।
वह जोर जोर से कमर आगे पीछे करने लगी।

“आ आह आ ओ आ ओ यस ई ओ या” उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी।

उन सिसकारियों के साथ ही थोड़ी देर बाद वह झड़ गयी और निढाल होकर मेरे ऊपर गिर गयी।
उसके पीछे पीछे मैं भी कुछ देर अपनी कमर उचकाकर झड़ गया।

उसकी सलवार और मेरी पैन्ट दोनों बुरी तरह से भीग गये।

“सॉरी, मैं खुद पर काबू नहीं रख पायी।” वह मेरे कान के पास फुसफुसाई।
“इट्स ओके, ऐसा होता है।” कहकर मैंने उसके गुलाबी गाल को चूम लिया।

उसने ऑब्जेक्शन नहीं लिया उल्टा खुद भी मेरे गाल को चूम लिया।
उसका साथ पाकर मैंने फिर से उसके गाल को चूमा, उसने भी फिर मेरे गाल को चूमा।

यह सिलसिला कुछ देर ऐसे ही चलता रहा।

थोड़ी देर बाद मैंने अपने दोनों हाथों से उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसके होंठों से अपने होंठ सटाकर उसे किस करने लगा।
उसे मजा आने लगा वह भी मेरा साथ देती हुई मुझे किस करने लगी।

थोड़ी देर होंठों को किस करने के बाद मैं नीचे से ऊपर आ गया और उसे अपने बदन के नीचे ले लिया।
फिर धीरे धीरे उसके चेहरे को चूमने लगा।
वह मदहोश होने लगी।

कुछ देर चेहरा चूमने के बाद मैं उसका गला और कंधा चूमने लगा।
धीरे धीरे नीचे खिसकते हुये मैं उसके सीने की गहराई को चूमने लगा; उसकी गोल मटोल चूचियों को अपने हाथ में पकड़ कर मसलने लगा, शर्ट के ऊपर से ही उसकी दोनों चूचियों को बारी बारी चूसने लगा।

वह प्रतिकार करने की दशा में नहीं थी; उल्टा उसे फोरप्ले का मजा आने लगा था।

मैं चूमते चूमते सीने से पेट पर गया फिर पेट से कमर तक गया। कमर तक जा के मैंने उसका कुर्ता थोड़ा ऊपर किया जिससे उसकी कमर नंगी हो गयी.

फिर मैं उस नंगी कमर को चूमता हुआ उसके कुर्ते को और ऊपर उठाता गया।
जैसे जैसे मैं कुर्ता उठाता गया, वैसे वैसे मैं उसके नंगे बदन को चूमता भी गया।

ऐसे ही चूमते हुये मैंने उसका कुर्ता गले तक ऊपर उठा लिया। उसने ब्रा नहीं पहनी थी इसलिये उसकी चूचियाँ बिल्कुल नंगी थी.
मैं एक एक करके दोनों चूचियों को मुँह में भरने लगा। कभी मैं उसके निपल पर जीभ फेरता, कभी चूची को मुँह में भर लेता।

यह सिलसिला कुछ देर ऐसे ही चलता रहा।

थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर से तन गया और उसकी जांघों से रगड़ खाने लगा।

“आपको कोई प्रॉब्लम ना हो तो आपका पजामा और मेरी पैन्ट निकाल दें? काफी गीले हुये हैं।” मैंने पूछा।
“हाँ, निकाल दीजिये।” उसने कहा।

उसकी अनुमति पाकर मैंने अपनी पैन्ट, शर्ट, अंडरवीयर निकाल दी अब मैं पूरी तरह से नंगा था।
मैंने अपनी पैन्ट से अपना गीला लंड साफ किया। फिर उसका पजामा भी निकाल दिया और उसके पजामे से उसकी गीली चूत साफ की।

“आपकी चूत तो एकदम क्लीन है, एक भी बाल नहीं हैं इसके ऊपर!” उसकी चूत पे हाथ फेरते हुये मैं बोला।
“मैं क्लीन ही रखती हूँ.” वह कसमसाती हुई बोली।

मैंने उसकी चूत को चूम लिया और उसकी दरार में अपनी जीभ फेरी।
वह आह भरकर बोली- प्लीज ऐसा मत करो, मैं फिर अपना आपा खो दूंगी।

मैंने उसकी बात को अनसुना करते हुये उसकी चूत को चाटना शुरू किया।

उसको मजा आने लगा तो उसने अपनी दोनों टांगें मेरी गर्दन में डाल दी और अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ कर उसे चूत पर दबाने लगी।
मैं अपनी जीभ पूरी की पूरी उसकी चूत में घुसेड़ने की कोशिश करने लगा।

कुछ देर चूत चाटने के बाद मैं उठा और उसे किस किया फिर उसके मुँह के पास मेरा लंड ले जाकर उसे चूसने को कहा।
वह मेरे लंड को मुँह में लेने की कोशिश करने लगी पर उसे उबकाई आने लगी।

“सॉरी, मुझे बड़ा अजीब लग रहा है। मैं यह नहीं कर सकती, प्लीज बुरा मत मानना।” वह थोड़े से नाराज सुर में बोली।
“कोई बात नहीं!” कहते हुये मैं उसे किस करने लगा।

बीच बीच में किस रोक कर मैं उसकी चूचियाँ चूमता, बदन चूमता।

उसे धीरे धीरे सेक्स का नशा चढ़ने लगा। वह अपनी कमर उचकाकर मेरे लंड से अपनी चूत रगड़ने लगी।
मैंने भी मौका देखकर अपना लंड उसकी चूत से ऐसा सटाये रखा कि उसके हर उचकने से साथ मेरा लंड थोड़ा सा उसकी चूत में दाखिल होने लगा।

वह मस्ती में और ज्यादा कमर उचकाने लगी।
मैं उठकर उसे चोदने लगता तो खेल खराब हो जाता, इसलिये मैंने धीरज से काम लेना ही मुनासिब समझा।

“लंड को अंदर डालेंगे तो कुछ होगा तो नहीं?” थोड़ी देर बाद उसने पूछा।
“नहीं, कुछ नहीं होगा.” कहते हुये मैंने बिना उसकी परमिशन लिये ही अपने लंड का सुपारा उसकी चूत में दाखिल कर दिया।
“ओह! दर्द तो होता है, जलन हो रही है।” वह कराहती हुई बोली।

उसकी चूत काफी टाइट थी। मेरा सुपारा एकदम टाईट फिट हुआ था।
मैंने उसे किस करके थोड़ा और लंड अंदर दाखिल कर दिया।

“ओह! मर गयी, प्लीज बाहर निकालो।” वह दर्द के मारे चिल्लाई।

मैंने फिर उसे किस किया और थोड़ा और लंड अंदर डाला। फिर थोड़ा, फिर थोड़ा!
ऐसे ही किस करते करते मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में दाखिल कर दिया।

जब पूरा लंड अंदर गया तब मैं उसकी चूचियों को चूमने लगा और उसे किस करने लगा।

धीरे धीरे उसका दर्द कम होने लगा तो वह खुद कमर उचकाने लगी।
मैं समझ गया उसे अब धक्कों की जरूरत है; मैं अपनी कमर को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा।

“आ आ आ आ आ आ” उसके मुँह से आवाजें निकलने लगी।

मैं धीरे धीरे धक्कों की स्पीड बढ़ाता गया; वह ‘आह आह ओह ओह’ करने लगी।

“थोड़ा स्पीड से करोगे?” कुछ देर बाद वह बोली।
मैं उठकर उसकी जांघों में बैठ गया, उसकी दोनों टांगें फैला दी, उसकी चूत में अपना लंड दाखिल कर के जोर जोर से धक्के मारने लगा।

वह फिर ‘ओ ओ ओ ओ आह आह आह’ करने लगी।

“मुझे नहीं पता था सेक्स करने में इतना मजा आता है। ओह माय … प्लीज चोदो मुझे … खूब चोदो … बड़ा मजा आ रहा है।” वह सेक्स की मस्ती में बड़बड़ाने लगी।
“आपको चोदते हुये मुझे भी बड़ा मजा आ रहा हैं” कहते हुये मैं और जोर से धक्के लगाने लगा।

“आह उह आह ओह आह आह आ… ई… ओह ओ” करती हुई कुछ देर बाद वह झड़ गयी।

मैं भी कुछ देर और धक्के लगाता रहा फिर उसकी चूत में ही झड़ गया।
इस बार मैं निढाल होकर उसके ऊपर लेट गया।

“थँक यू, आपकी वजह से आज मुझे चुदाई का असली मजा मिला. वरना स्टोरीज में तो सिर्फ कल्पना करती रहती थी कि ऐसा होता होगा वैसा होता होगा।” कहकर वह मुझे चूमने लगी।

यह मेच्योर लड़की सेक्स का दौर सारी रात ऐसे ही चलता रहा।

जब तक मैं वहाँ था, उसे खूब चोदता रहा। लगभग सारी सेक्स पोज़ीशन्स में हमने चुदाई कर ली थी।

मेरी सारी कहानियाँ काल्पनिक होती हैं, यह मेच्योर लड़की सेक्स स्टोरी भी काल्पनिक है।
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