अनएक्सपेक्टेड सेक्स प्लेज़र मुझे मेरी आंटी ने दिया. मैं उनके घर गया हुआ था. तो आंटी की हरकतें मुझे कुछ कामुक सी लगी. तो मैं भी गर्म हो गया.
फ्रेंड्स, मेरा नाम विजय है. मैं केरल का रहने वाला हूँ. मेरी हाइट अच्छी खासी लंबी है और मेरा रंग भी गोरा है. दिखने अच्छा हट्टा-कट्टा 21 साल का सांड जैसा मर्द हूँ.
यह Unexpected Sex Pleasure कहानी आज से दो साल पहले की उस वक्त की है जब मैं अपनी आंटी के यहां उनके घर ऐसे ही गया था.
मेरी आंटी दिखने में काफ़ी अच्छी हैं.
उनके बूब्स व गांड एकदम कड़क हैं.
उन दिनों अंकल भी अपने काम के चलते सारे दिन बाहर रहते थे.
अंकल का पहली बीवी से एक बेटा था, वह अपनी बीवी के साथ अलग रहता था.
अंकल ने नई आंटी से शादी करके उन्हें अपने साथ रख तो लिया था पर वे आंटी की सही से चुदाई नहीं कर पाते थे इसलिए आंटी शायद लंड की भूखी थीं.
यह बात मुझे उस वक्त पता चली थी जब मैंने उन्हें अपने लौड़े से ताबड़तोड़ चोदा था.
उस दिन मैं आंटी के घर गया हुआ था.
आंटी और मैं उनके बेडरूम में बातें कर रहे थे.
उनके घर के हॉल में कुछ सामान रखा हुआ था, आंटी मुझे अपने बेडरूम में ले गई थीं.
हम दोनों इधर उधर की समय पास वाली बातें करने लगे थे.
उसी दौरान मैं कुछ जोक सुनाने लगा और आंटी मेरे चुटकुले सुन कर हंस रही थीं.
मैं कसम से सच कह रहा हूँ कि उस समय तक मेरे मन में आंटी के लिए कोई ग़लत अहसास नहीं था.
उस दिन आंटी ने लाल रंग की एक प्लेन साड़ी पहनी हुई थी और कसे हुए बड़े गले के ब्लाउज से उनके बूब्स की दरार साफ दिख रही थी.
बातों ही बातों में आंटी ने मुझसे कहा- तुम जरा रुकना, कोई आए जाए तो बता देना. तब तक मैं नहा कर आती हूँ.
मैंने हामी भर दी और बैठ कर टीवी देखने लगा.
आंटी अपने एक पेटीकोट में अन्दर नहा रही होंगी.
उसी वक्त वे नहाने के बाद बाथरूम में कपड़े पहन रही थीं कि अचानक से मुझे बहुत जोर से सुसू आई और मुझे बाथरूम जाना था.
मैंने उनसे पूछा- आंटी आपका नहाना हो गया हो, तो आप बाहर आ जाओ. मुझे बहुत जोर से सुसू लगी है.
आंटी ने कह दिया कि आ जाओ, मैं नहा चुकी हूँ.
मैंने बाथरूम के दरवाजे को धक्का दिया तो वह खुला हुआ ही था.
दरवाजा खोला तो देखा कि मेरे सामने आंटी सिर्फ़ पेटीकोट में थीं.
उन्होंने अपने मम्मों तक पेटीकोट को चढ़ा रखा था.
वे मुझे देख हल्की सी रुकी, फिर निकल कर मुस्कुराती हुई बेडरूम में चली गईं.
मैं बाथरूम में दरवाजा बंद करके सुसू करने लगा.
मैं अपने हाथ में लंड पकड़े हुए आंखें बंद करके अपने मन में आंटी की उस छवि को याद करने लगा, जिसमें वे एक पेटोकोट में अपने दूध कसे हुई खड़ी थीं.
कसम से उनके आधे दूध उस गीले से पेटीकोट में क्या मस्त दिख रहे थे … मैं तो बस गनगना ही गया था.
मेरे मन से अब आंटी एक चोदने लायक माल नजर आने लगी थीं.
बस अब तो उनके शेष शरीर की छवि दिमाग में उभरने लगी थी.
उनके गीले पेटीकोट में कसी हुई बिना चड्डी की गांड तो मानो मुझे अपनी ओर खींच रही थी.
हाथ में पकड़ा हुआ लंड पेशाब की धार खत्म कर चुका था और लंड ने कड़क होना शुरू कर दिया था.
अचानक से लंड की इस हरकत को देख कर मुझे अच्छा लगने लगा और मैं लंड हिलाने लगा.
कुछ ही देर में मेरी बंद आंखों के सामने चाची की मादक और कामुक काया थी.
मैं अपने लौड़े को तेज तेज हिला रहा था.
जल्दी ही लंड से वीर्य की पिचकारियां निकल गईं और मैं फ्रेश होकर बेडरूम में आ गया.
तब तक आंटी अपने कपड़े पहन चुकी थीं.
अब हम दोनों बैठ कर टीवी देख रहे थे.
मैं टीवी के सामने था और आंटी पीछे को बैठी थीं.
अचानक से न जाने मेरे दिमाग में क्या आया कि मैंने घूम कर पीछे देखा.
उधर देखा तो आंटी अपनी चूत खुजा रही थीं.
उन्होंने अन्दर चड्डी नहीं पहनी थी.
उनकी साड़ी घुटनों से ऊपर तक उठी हुई थी.
मुझे अपनी तरफ देखता पाकर उन्होंने अपना हाथ पेटीकोट से बाहर निकाल लिया.
मैंने टीवी बंद किया और कहा- अच्छा, अब मैं चलता हूँ आंटी जी. अंकल भी आते ही होंगे.
तभी अंकल का कॉल आ गया.
आंटी ने मुझे रुकने का इशारा किया और वे स्पीकर पर अंकल से बात करने लगीं.
उन्होंने बात की तो वे कह रहे थे कि उनको अचानक काम आ गया है और वे दो दिन बाद घर आएंगे.
आंटी ने कहा- मैं क्या घर पर अकेली रहूँगी?
इस पर अंकल ने आंटी से कहा कि या तो तुम बेटे बहू के यहां चली जाओ … या अकेली रह लो.
मैंने आंटी को फोन पर बात करते हुए देखा, तो उनसे कहा- आंटी, मैं जा रहा हूँ.
तभी आंटी ने फोन पर बात करते हुए ही मुझसे कहा- अरे विजय, तुम कहां जा रहे हो, बैठो न!
अंकल ने यह सुन लिया और कहा कि क्या विजय घर आया है. अरे तो विजय को ही घर पर रोक लो न. मेरी उससे बात करवाओ.
आंटी ने कहा कि फोन स्पीकर पर ही है.
अंकल ने मुझसे कहा- विजय, यदि तुमको कुछ काम ना हो बेटा, तो क्या तुम दो दिन अपनी आंटी के पास रुक सकते हो?
तो मैंने कहा- हां ठीक है अंकल, मैं यहीं रुक जाता हूँ.
वैसे भी मैं आज आंटी को चोदने का मूड बना चुका था और यह सुनहरा मौका छोड़ना नहीं चाहता था.
अंकल ने मेरी सहमति सुनते ही आंटी से कहा- चलो ठीक है मधु, अब तो कोई समस्या नहीं है?
आंटी ने कहा- नहीं अब कोई दिक्कत नहीं है. अच्छा है विजय यहां रहेगा, तो मेरा मन भी बहल जाएगा.
शायद आंटी भी इस बात को समझ गई थीं कि इस सुनहरे मौके का फायदा उठाया जा सकता है.
अब आंटी ने कॉल कट किया और एक मस्त अंगड़ाई लेती हुई मुझसे बोलीं- चलो अब शुरू करते हैं.
मैंने कहा- क्या?
आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा- अरे यार खाना नहीं खाना है क्या? वही शुरू करते हैं.
हम दोनों ने खाना खाया और उस समय भी आंटी ने मुझे अपने दूध दिखाते हुए काफी गर्म किया.
फिर हम दोनों बेडरूम में आ गए और बेड पर बैठ गए.
उस वक्त तक मुझे काफी कुछ समझ में आ गया था कि आज आंटी को चूत में लंड लेने की खुजली है और मेरे लंड को काम मिलने वाला है.
आंटी ने अपनी अल्मारी से निकाल कर मुझे एक रेडियो दिया और बोलीं- इसे देखना, यह विजय चालू हो जाए, तो रात को गाने सुनते हुए नींद आ जाएगी.
दोस्तो, उन दिनों बारिश भी बहुत तेज हो रही थी … तो रोकने टोकने भी कोई नहीं आ सकता था.
मैंने रेडियो लिया और उसे सुधारने लगा.
उसी दरमियान मैं तिरछी नज़रों से आंटी को भी देखता जा रहा था.
उनकी साड़ी का पल्लू सरक गया था और उनके आधे से ज्यादा दूध ब्लाउज के बड़े गले से बाहर को निकलते हुए दिखाई दे रहे थे.
यह सीन देख कर मेरा लंड टनटना गया था.
उन्होंने भी मुझे अपने दूध देखते हुए देख लिया था, तब भी उन्होंने अपने मम्मों को छिपाने का प्रयास नहीं किया.
वे झुक कर मेरे काम को देखने लगीं कि मैं किस तरह से रेडियो सुधार रहा हूँ.
मैंने एक गहरी सांस भरी, तो वे मुझसे दूर होकर लेट गईं.
आंटी ने अब अपना एक हाथ पेटीकोट में डाल दिया और चूत को खुजलाने लगीं.
तभी मैंने रेडियो चालू कर दिया और गाना बजने लगा
‘आख़िर तुम्हें आना ही होगा, ज़रा देर लगेगी.’
वे खिलखिला कर बोलीं- अरे वाह यह तो सही हो गया और गाना भी मस्त बज रहा है.
उसके बाद मैं भी आंटी के बगल में लेट गया और हम दोनों बातें करने लगे थे.
आंटी का पल्लू अब उनके मम्मों से अलग था और उसी वक्त उन्होंने अपने एक हाथ को पेटीकोट में डाल रखा था, जिससे वे अपनी चूत खुजाने के लिए ही आगे पीछे कर रही थीं.
उनके हाथ से ऐसा लग रहा था मानो वे अपनी चूत में उंगली करती हुई मुठ मार रही हों.
मैंने पूछा- आंटी क्या हो गया, कुछ प्राब्लम है क्या?
वे बोलीं- अरे यार पता नहीं, आज मुझे नीचे खुजली बहुत हो रही है.
तभी मैंने चुदास भरी आवाज में कहा- आप कहें तो मैं देखूं?
वे बोलीं- हां ले देख … उसमें क्या है!
यह कहते हुए आंटी ने अपने पेटीकोट को पेट तक उठाया दिया और उनकी चूत दिखाई देने लगी.
उनकी इस बिंदास हरकत से यह साफ हो गया था कि आज तो कबड्डी का खेल होना ही है. मैं अनएक्सपेक्टेड सेक्स प्लेज़र मिलने की संभावना से उत्तेजित हो गया.
मैंने आंटी की टांगों के बीच में देखा, तो घने काले बालों से घिरी हुई गुलाब की पंखुरियों के जैसी खुली हुई चूत एकदम चिकनी सी नजर आ रही थी.
मैंने उनकी चूत को देखते हुए कहा- आंटी इन बालों की वजह से आपको खुजली हो रही है. आप कहें तो मैं इसका इलाज कर दूँ!
आंटी बोलीं- हां कर दे.
मैंने कहा- ओके आप जरा रुकिए, मैं पहले आपके बाल साफ कर देता हूँ.
मैंने अंकल के जिलेट गार्ड वाले रेजर से आंटी की चूत के सारे बाल साफ कर दिए.
इसी दौरान आंटी की चूत को मैंने कई बार स्पर्श किया, पर चूत से खेला नहीं.
आंटी की चूत टपकने लगी थी और वे बस अपनी आंखों में वासना भर कर मुझे झांटें साफ करते हुए देख रही थीं.
आप खुद सोचिए कि एक औरत अपनी चूत खोल कर किसी जवान लड़के से झांटें साफ करवाएगी, तो उसकी चूत का क्या हाल होगा!
यही हुआ, आंटी की चुदास एकदम से भड़क उठी और उन्होंने मेरी उंगली अपनी चूत में लेकर कहा- खुजली यहां हो रही है पगले.
मैंने कहा- अच्छा ऐसा है क्या!
वे अपने होंठ गोल करके और आगे को करती हुई बोलीं- हां विज्जू आज मेरी प्यास बुझा दे.
मैंने एक पल भी न लगाया और आंटी के होंठों को अपने होंठों में भर लिया.
उन दोनों ने एक दूसरे को एक लंबा चुंबन किया और एक दूसरे को चूसने लगे.
मैंने आंटी के मम्मों पर हाथ फेरा और एक दूध को दबा दिया.
आंटी के मुँह से हल्की सी आह निकलने को हुई, पर मेरे मुँह में ही दब कर रह गई.
मैंने झटके से उनके ब्लाउज के सभी चटकनी बटनों को खींच कर चटचट करते हुए खोल दिए.
और आंटी ने अपने हाथ ऊपर हवा में उठा दिए, मैंने ब्लाउज को हटा दिया.
जल्द ही उनकी साड़ी और पेटीकोट को भी हटा दिया.
ब्रा पैंटी उन्होंने पहनी ही ना थी.
उन्होंने मेरे शॉर्ट्स भी उतार कर मुझे भी नंगा कर दिया था
अब आंटी मेरे सामने नंगी लेटी थीं और मैं उनके सामने नंगा खड़ा था.
वे मेरे खड़े लंड को देख रही थीं.
मैंने आंटी के ऊपर लेट कर उनके दूध चूसना शुरू कर दिए और उनके दोनों थन खूब खींच खींच कर चूसे.
मैं उनके मम्मे चूस रहा था, तो उनमें से हल्का हल्का दूध भी आ रहा था.
मैंने आश्चर्य से आंटी से पूछा कि यह दूध कैसे?
इस पर उन्होंने बताया कि पिछले महीने ही मैंने दवा ली है. मैं प्रेग्नेंट हो गई थी, तो थोड़ा बहुत दूध आ गया होगा.
मैं उनके स्तनों को पीते हुए उनके दूध को पीने की कोशिश कर रहा था और साथ ही उनके दूध को दबा भी रहा था.
पर बहुत ज्यादा दूध नहीं निकला था.
आंटी ने कहा- दूध से ही खेलता रहेगा क्या? छेद की खुजली भी तो मिटा दे.
मैंने एकदम से याद आ गई हो, ऐसे रिएक्ट किया और नीचे को खिसक कर उनकी चूत को चाटने लगा.
आंटी ने मेरे बाल पकड़ लिए और मुझे अपनी चूत में दबाते हुए कहा कि आह चाट ले साले … जोर जोर से चाट साले और निकाल दे मेरा रस … पी ले मेरे जानू चोद दे मुझे … बुझा दे मेरी प्यास … बरसात के इस मौसम में मेरी चूत की आग भड़क गई है जान!
मैंने तुरंत 69 में होकर अपना लंड आंटी के मुँह में पेल दिया और वे लंड को आइसक्रीम की तरह चाटने और चूसने लगी थीं.
मैं लंड से उनके मुँह को चोदता जा रहा था.
कुछ ही देर में मैंने अपना लंड रस उनके मुँह में टपका दिया.
आंटी ने रस खाते हुए कहा- तू तो झड़ गया … अब मेरी खुजली कैसे मिटेगी?
मैंने कहा- अरे मेरी जान … एक बार रस निकालना जरूरी था. बस अब इस बार आप इसको चूस कर खड़ा करो और अपनी खुजली का गारंटी से इलाज करवाओ.
आंटी ने मेरे लौड़े को चूस कर खड़ा कर दिया और बोलीं- अब बस जल्दी से चोद दे … और मत तड़पा. आज मुझे खुलकर चुदवाना है तुझसे.
मैंने उन्हें अपनी ओर खींच लिया और उनकी दोनों टांगें हवा में उठा कर लंड का सुपारा चूत की दरार में रगड़ दिया.
वे मस्त हो गईं और गांड उठा कर लंड गपकने की कोशिश करने लगीं.
मैंने भी देर न करते हुए एक ही शॉट में पूरा लंड पेल दिया.
आंटी की चूत मेरे लंड को एक ही बार में पूरा निगल गई और उनकी एक आह निकल आई- आह मर गई.
मेरा लंड चूत की गहराइयों में मचलने लगा था.
कमरे में हम दोनों की घपाघप चालू हो गई थी.
आंटी कामुक सिसकारियां ले रही थीं- आह चोद दे विजय … और ज़ोर से चोद दे … यस्स ऐसे ही बाबू अहह उहह अरे इतनी स्पीड से मैं कभी किसी से नहीं चुदी … आज तो मजा आ गया … आह फाड़ दे … मिटा दे चूत की खुजली पूरी! उहह अहह … ओह यस विजय … आह फक मी हार्ड … उहह चोद डाल अपनी आंटी को … आज से मैं तेरी गर्लफ्रेंड, जब चाहे चोद लेना.
मैंने आंटी को हर तरह से चोदा.
कभी घोड़ी से बना कर, कभी टांग उठा कर.
वे मुझे कसके दबा लेतीं, मेरे ऊपर आकर कूदने लगतीं और लगातार चूमती जा रही थीं.
ऐसा लग रहा था कि हम दोनों दुनिया से दूर किसी जन्नत में सैर कर रहे थे.
खूब जोरदार चुदाई चल रही थी.
आंटी को चोदते चोदते मेरा पसीना छूटने लगा था.
उनकी मादक आवाज मुझे और ज्यादा जोश दे रही थी.
मैंने उन्हें पूरे 35 मिनट तक चोदा.
इस दौरान आंटी दो बार झड़ गई थीं.
अब मैं झड़ने की कगार पर आ गया था.
मैंने पूछा- आंटी माल निकलने वाला है … कहां निकालूं?
वे बोलीं- अरे मैंने दवा ली हुई है. तू बिंदास मेरे अन्दर ही झड़ जा … उहह आह.
अब दोनों तरफ से तेज तेज शॉट लगने लगे थे.
अचानक से मैं और आंटी एक साथ झड़ गए और हम दोनों थक कर एक दूसरे से चिपक गए.
आधा घंटा तक हम दोनों बेसुध लेटे रहे.
आंटी ने धीमे से कहा- विजय, मुझे अब तुझसे रोज चुदवाना है.
मैंने उन्हें चूमा और कहा- ठीक है डार्लिंग.
उन्होंने डार्लिंग सुनकर स्माइल की और हम दोनों चूमते चाटते हुए मजा लेते रहे.
उस रात मैंने आंटी को दो बार चोदा और अगले दिन पूरे समय हम दोनों घर में नंगे ही पड़े रहे.
बारिश के कारण कोई आ भी नहीं पाया था.
नाश्ता करने के बाद चुदाई, खाना खाने के बाद चुदाई, शाम को चुदाई, रात को चुदाई … यानि मैंने आंटी को चोद चोद कर उनकी चूत का भोसड़ा बना दिया था.
मैं खुद भी इतना ढीला पड़ गया था कि आंटी ने ताकत देने के लिए मुझे दो लीटर दूध और काफी सारे ड्राइ फ्रूट्स खिलाए.
दो ताकत वाले कैप्सूल भी दिए.
उस दिन के बाद से मैं आंटी को जी भरके चोदता हूँ और अब तो मैंने उनकी गांड को भी खोल दी है.
उनकी मैंने इतनी ज्यादा चुदाई की है कि अब वे सारे दिन नाइटी पहनने लगी हैं ताकि मैं कभी भी उन्हें नंगी किए बिना चोद लूं.
अब चूंकि अंकल का भी नियम हो गया कि वे महीने में बीस दिन बाहर रहने लगे हैं, तो हम दोनों बिंदास चुदाई करने लगे हैं.
आंटी और मेरा पति पत्नी वाला रिश्ता बन गया है.
मैं आंटी को चोदते हुए खूब गाली भी देता हूँ और वे भी अब मुझे जी भरके गरियाती हुई चुदवाती हैं.
हम दोनों पॉर्न वीडियो देख कर वैसे ही चुदाई करते हैं.
अपनी खुद की चुदाई की वीडियो भी शूट करते हैं.
आंटी और मैं इन छुट्टियों में शिमला मनाली जाकर हनीमून मनाने जाने वाले हैं.
उन्हें अब खुली वादियों में चुदवाना है.
इन दिनों उन्होंने मुझे अश्वगंधा, सफेद मूसली पाउडर, खजूर और ड्राइ फ्रूट आदि दूध में डाल कर देती हैं और काफी मजबूत कर दिया है. वे मेरे लंड की नियमित तेल मालिश करती हैं.
मैं भी उन्हें रोजाना हचक कर पेलता हूँ. धकापेल चुदाई होती है.
आंटी ने अब अपनी सहेलियों के साथ भी चुदना चालू कर दिया है.
हम लोग आंटी के फार्महाउस में आ जाते हैं और उधर मैं उनकी दो सहेलियों के साथ चुदाई कर लेता हूँ.
स्विमिंग पूल में खूब मस्ती होती है.
घर में भी खूब मज़े करते हैं.
तीन औरतों के नौ छेदों का सुख पाकर मैं निहाल हो गया हूँ.
इसके आगे की सेक्स कहानी में मैं आपको आंटी और उनकी दोनों सहेलियों की चुदाई की कहानी लिखूँगा.
उनके फार्महाउस में मैंने तीनों को चोद कर प्रेग्नेंट कर दिया था.
यह सब मैं आपको जरूर लिखूंगा.
आप भी मुझे अपने कमेंट्स से बताएं कि मेरी अनएक्सपेक्टेड सेक्स प्लेज़र कहानी कैसी लगी.
[email protected]