चचेरी भाभी के बाद किरायेदार भाभी चोदी

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हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम देव है, मैं दिल्ली से हूँ. एक बार मैं फिर से एक नई सेक्स स्टोरी लेकर हाजिर हूँ.

मैंने आपको अपनी पिछली सेक्स स्टोरी
भाबी जी लंड पर हैं
में कैसे मैंने अपने लंड से भाबी की चुत और गांड की सेवा करके उन्हें खुश कर दिया था. इस तरह जब भी हम दोनों को मौका मिलता, हम चुदाई कर लेते.

उस दिन गांड मराने के बाद भाबी के पास उनकी सहेली प्रिया जी का कॉल आया. वो भाबी की बेस्ट फ्रेंड थीं. प्रिया जी भी दिल्ली में ही रहती थीं, इसलिए प्रिया जी ने भाबी को अपने यहां 2-3 दिन रहने के लिए बुलाया.

इसके बाद नताशा भाबी, राम भैया, माँ और दादा जी से आज्ञा लेकर प्रिया जी के घर रहने चली गईं.

यहां मैं ऊपर अपनी एक किरायेदार सीमा भाबी को लेकर थोड़ा चिंतित था क्योंकि जैसा कि मैंने आपको अपनी पिछली सेक्स स्टोरी में बताया था कि जब मैं नताशा भाबी के साथ सेक्स में मशगूल था, तब दरवाजा बंद करना भूल जाने के कारण कैसे सीमा भाबी ने वो सब नज़ारा देख लिया था. शायद इसी वजह से से सीमा भाबी का नज़रिया अब मेरे लिए बदला बदला नज़र आने लगा था.

मैंने इस बात को ऐसे महसूस किया कि जो सीमा भाबी बिना मतलब के मुझसे बात नहीं करती थीं, आज वो मुझे अकेले पाकर कैसे कमेन्ट मारने लगी थीं. इससे पहले कि मैं इस कहानी में आगे बढूँ, मैं आप सभी को सीमा भाबी के बारे में बताना चाहूँगा.

सीमा भाबी हमारे घर के तीसरे फ्लोर के एक फ्लैट में रहती थीं. वो एक हाउस वाइफ थीं. सीमा भाबी की शादी को 5 साल हो गए थे, उनकी एक 4 साल की छोटी लड़की भी थी. भाबी के हज़्बेंड यानि कि भैया का नाम विकास था, जो कि पेशे से एक टूरिस्ट वैन के ड्राइवर थे. इस वजह से अक्सर बाहर चलते ही रहते थे. आए दिन वे कहीं बाहर घूमने के लिए भी बुकिंग लेते रहते थे.

आज से 2 साल पहले सीमा भाबी और विकास भैया को रूम की तलाश थी, इसलिए हमने उनको कमरा रेंट पर दे दिया था.

भाबी एक शांत स्वाभाव की 27 साल की पतली सी, छोटे चूचों वाली माल किस्म की औरत हैं. भाबी अपने काम से काम रखती हैं.

मेरा ऊपर आना जाना किसी न किसी बहाने से लगा रहता था. जब भी मम्मी कपड़े धोती थीं तो मैं ही उन धुले हुए कपड़ों को ऊपर सूखने डालने जाता था. तीसरे फ्लोर की ग्रिल पर ही मैं कपड़े सुखाने डालता था. इसलिए जब भी मेरा ऊपर जाने का चक्कर लगता था, मैं भाबी के कमरे में जरूर झाँक लेता था. मुझे अक्सर भाबी एक मैक्सी में ही दिखती थीं. उनकी मैक्सी का गला इतना बड़ा होता था कि अगर भाबी कभी झुकी हुई दिख जाती थीं, तो मुझे उनकी दोनों चुचियां बाहर आती हुई दिखने लगती थीं. मेरी भी हमेशा यही कोशिश रहती थी कि मैं भाभी को कुछ ऐसी पोजीशन में देखने का प्रयास करूं, जिसमें मुझे उनके मस्त चूचे हिलते हुए दिख जाएं.

इस बात को भाभी ने भी ताड़ लिया था. इसलिए भाभी मुझे देखते ही सबसे पहले अपनी मैक्सी का गला ठीक करती थीं.

सीमा भाबी को लेकर मेरे मन में सिवाए उनके मस्त जिस्म को देखने के अलावा कभी कोई बुरे विचार नहीं आए थे क्योंकि हम एक दूसरे से ना के बराबर बात करते थे.

वैसे भी सीमा भाबी का फिगर नताशा भाबी जितना सेक्सी तो नहीं था, जिसे देख कर मेरा लंड भी सलामी दे दे. मतलब सीमा भाबी से मेरा अब तक ऐसा ही बर्ताव रहता था.

लेकिन जब से सीमा भाबी ने मुझे नताशा भाभी के साथ चुदाई करते देखा था. तब से उनके बर्ताव में बदलाव आने लगा था. मैंने भी उनकी चाहत को समझ लिया था कि जो भाबी अपने काम से काम रखती थीं, आज वही भाबी मुझे देख कर स्माइल पास करती हैं और अकेले मिलने पर कमेन्ट भी मारती हैं.

उनके इस बदलते बर्ताव से मुझे टेंशन होने लगी थी, क्योंकि मुझे थोड़ा डर लगा रहता था कि कहीं सीमा भाबी, मेरी मम्मी को सब कुछ ना बता दें. यही सोचते हुए मुझे उनसे जाकर बात करना उचित लगा.
मैं नताशा भाभी के जाने के दूसरे ही दिन सीमा भाबी से बात करने के लिए ऊपर तीसरे फ्लोर पर गया. उस वक्त दिन के 3 बज रहे थे.

मैंने सीमा भाबी के कमरे के बाहर खड़ा होकर उन्हें आवाज़ दी, पर भाबी की कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. उस टाइम भाबी के कमरे का दरवाजा खुला था, बस एक परदा लगा था. मैंने पर्दे को थोड़ा खिसका कर अन्दर झांका, अन्दर झांकते ही मेरी गांड फट गई.

भाबी और उनकी 4 साल की बेटी सो रही थी. भाबी के दोनों चुचे मैक्सी के गले से बाहर की तरफ़ निकले हुए थे. मैं उनके परदे को छोड़ कर अपने रूम में नीचे जाने लगा.

मुझे अभी भी सीमा भाबी के नंगे चूचे वासना से भड़का रहे थे. नीचे जाते ही मैं जल्दी से टॉयलेट में घुस गया और भाबी के नाम की मुठ मारने लगा. बस पांच मिनट में लंड हल्का हो गया तो मैं अपने रूम में आकर सो गया.

दो घंटे की गहरी नींद लेने के बाद मैं उठ गया. थोड़ी देर बाद माँ भी आ गई थी. माँ बताने लगीं कि तेरी नताशा भाबी का कॉल आया था, तेरी भाबी वहां अभी और 2-3 दिन रहने की इजाज़त माँग रही थी क्योंकि तेरी भाबी की सहेली के पति काम के सिलसिले में कुछ दिनों के लिए न्यूयॉर्क जा रहे हैं. जिस कारण नताशा वहां और रुकने की इच्छा जाहिर कर रही थी, मैं उसकी बात मान गई हूँ.

मैं माँ की बात सुनकर ‘हूँ हां …’ कह कर चुप ही रहा.

फिर मैं खाना खा कर सोने के लिए अपने रूम में आ गया. बिस्तर पर लेटते ही दोपहर का वही सब नजारा मेरी आंखों के सामने आ गया कि कैसे सीमा भाबी अपने चूचों को बाहर निकाले सो रही थीं. यही सोचते हुए मेरा लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया और मैं फिर से टॉयलेट में जा कर भाबी के नाम की मुठ मारने लगा.

अब मेरे मन में सीमा भाबी की चुदाई के विचार आने लगे थे. इसलिए मेरा मन फिर से भाबी के चुचे देखने का होने लगा. मैंने सोचा कि भाभी को देखने का कल वाला समय ही सही रहेगा क्योंकि रात में जाने में खतरा था. अगर भाभी दिन में मुझे देखतीं, तो मैं बहाना बना सकता था कि मैं काम से आया था, लेकिन रात में क्या बहाना बनाया जा सकता था.

दूसरे दिन मैं जानबूझ कर उसी टाइम पर ऊपर भाबी के कमरे के बाहर आ गया. उधर कल जैसी ही स्थिति आज भी थी. मैंने फिर से परदा खिसका कर अन्दर झांकने की कोशिश की. मैंने देखा कि आज उनकी एक चूची मैक्सी के गले के बाहर थी और भाबी की मैक्सी उनकी जांघों तक उठी हुई थी जिससे भाबी की बिना पेंटी की चूत दिख रही थी. हालांकि उनकी काली झांटों के कारण चूत तो ठीक से नहीं दिखी लेकिन नजारा बड़ा गर्म था.

इस सीन को देखकर मेरा लंड एकदम रॉड की तरह खड़ा हो गया. मैंने आज थोड़ी हिम्मत की और जैसे ही थोड़ा पास जा कर देखने की कोशिश की कि उतने में ही भाबी ने करवट ले ली. उनके करवट लेने से मेरी गांड फट के हाथ में आ गई और मैं हड़बड़ाहट से बाहर निकलने की कोशिश करने लगा, जिससे दरवाजे के पास टेबल पर रखा ग्लास गिर गया. गिलास गिरने की आवाज से भाबी की झट से आंख खुल गई.

भाभी मुझे देखते ही अपनी जांघों से मैक्सी ठीक करने लगीं और अपना बाहर निकला हुआ मम्मा मैक्सी के अन्दर कर लिया. मैं चुपचाप सिर झुका कर वहीं खड़ा हो गया.
सीमा भाबी गुस्से से कहने लगीं- देव, तुम्हें इस तरह मेरे कमरे में अन्दर आकर मुझे देखते हुए शर्म नहीं आई?
मैं- भाबी सॉरी … वैसे भी मैंने आपको आवाज़ दी थी. पर जब आपका कोई उत्तर नहीं मिला, तब मैं अन्दर आ गया.
जबकि आज मैंने भाभी को आवाज दी ही नहीं थी.

भाबी- अच्छा तो इसका मतलब ये हुआ कि तुम सीधा अन्दर आ जाओगे और कल भी तुम आए थे ना?
मैं उनके मुँह से ये सुनकर चौंक गया.
मेरे मुँह से अचानक ही निकल गया कि नहीं भाबी, मैं तो आज ही आया हूँ और आपने मुझे देख भी लिया.

भाबी अपने मुखड़े पर बिल्कुल हल्की सी स्माइल के साथ, जो कि उन्होंने बिल्कुल शो नहीं होने दी थी, कहने लगीं- अच्छा आज देख लिया … नहीं तो तुम क्या कल भी आते? सच बताओ तुम कल भी आए थे न क्योंकि कल ये परदा ऐसे भी आधा खुला हुआ था?

उनकी इस बात से मेरी फट गई. मैंने इस बात का ध्यान ही नहीं दिया था. मैं हड़बड़ाते हुए कहने लगा- नहीं भाबी … वो तो मैं ऐसे ही बस कपड़े सुखाने आया था.
भाबी- झूठ मत बोलो देव … कल आंटी जी ने कोई कपड़े धोए ही नहीं थे … ये बात तुम भी जानते हो.
मैं- सॉरी भाबी.
भाबी- मुझे ऐसे देखते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती क्या? ऑश … सॉरी में तो भूल ही गई थी … शर्म और तुम्हें … जो कि अपने भाई की वाइफ को ऐसे चोदता हो, उसे शर्म किधर से आती होगी.

भाबी के मुँह से खुल्लम खुल्ला ‘चोदता हो.’ जैसे शब्द सुन कर मेरे लंड में हलचल होने लगी.
मैं- भाबी प्लीज़ मेरी बात पर यकीन कीजिए … मैंने आज आपको आवाज़ दी थी, आपने नहीं सुना था, तब मैंने परदा हटा कर देखा था, तो आप सो रही थीं. जैसे ही मैं जाने को हुआ, ये ग्लास गिर गया. सॉरी भाबी … मेरा वो मतलब नहीं था जैसा आप सोच रही हो. मैं तो बस इसी बारे में एक रिक्वेस्ट करने आया था आपसे बात करने के लिए.

भाबी- किस बारे में बात करने के लिए आए थे?
मैं- भाबी जो अभी आपने कहा, आपने उस दिन मुझे और नताशा भाबी को चुदाई करते हुए देख लिया था, इसलिए मैं आपसे रिक्वेस्ट करने आया था कि प्लीज़ इस बात को मम्मी को कभी ना बताएं.
भाबी- वाह बेटा … चुदाई करते वक़्त तुम्हें ये बात नहीं सूझी थी. जब तो काफ़ी मज़े से चूत चाट रहे थे तुम अपनी भाभी की … और वो भी बड़े चाव से देवर का लंड चूस रही थी.

अब खुल्लम खुल्ला लंड चूत चुदाई जैसे शब्द माहौल की कामुकता को खोलने लगे थे.

मैं- सॉरी भाबी.
भाबी- वैसे चल कब से रहा ये सब नताशा और तेरा? और मुझसे झूठ मत बोलना.
मैं- भाबी उस दिन सेकंड टाइम था.
भाबी- फर्स्ट टाइम कब हुआ था?
मैं- फर्स्ट टाइम … वो जब मैं एग्जाम देने एमपी गया था, तब वहां हुआ था.

भाबी- बहुत पक्की चुदक्कड़ लगती है ये नताशा, जो एक साथ दो लंड खा रही है, एक अपने पति का और एक तेरा. उसके पति से उसका पूरा नहीं होता क्या, जो अब वो तेरे लंड के पीछे पड़ी है?

भाबी के इस तरह के शब्द सुन कर मेरे लंड में हलचल होने शुरू हो गई और लंड धीरे धीरे भाबी के सामने निक्कर में ही टेंट बनाने लगा जिसको भाबी ने भी नोटिस कर लिया.

मैं भी सीमा भाबी के सामने खुल कर चुदाई भरे शब्द इस्तेमाल करता हुआ बात करने लगा, जिससे भाबी गर्म हो जाएं.

मैं- दरअसल भाबी … नताशा भाबी बोलती हैं कि राम भैया का लंड मेरे लंड से छोटा है और मेरे जितना मोटा लंड भी नहीं है. जिस वजह से नताशा भाबी भैया के संग चुदाई में प्यासी की प्यासी रह जाती हैं.

मैं देख रहा था कि सीमा भाबी अब मेरे खड़े लंड को निहार रही थीं.
भाबी- अच्छा जभी तेरा ये ऐसे निक्कर फाड़ के बाहर आने को हो रहा है.
मैं भाबी के सामने निक्कर के ऊपर से लंड को एड्जस्ट करते हुए कहने लगा- नहीं भाबी, ये तो बस आपकी रेस्पेक्ट में खड़ा हुआ है.

ये सुनते ही भाबी के मुखड़े पर कटीली मुस्कराहट आ गई- अच्छा दिखा तो जरा अपना लंड … मैं भी तो देखूं कि ये सही से रिस्पेक्ट कर भी रहा है या नहीं.
मैंने अंजान बनते हुए पूछा- मतलब भाबी?
भाबी- अब लंड दिखा रहा है या वहीं आकर निक्कर के ऊपर से पकडूं इसे?

मैं भाबी के बेड के करीब आ गया. करीब आते ही भाबी ने निक्कर के ऊपर से मेरा लंड पकड़ कर दबा दिया- वाकयी देव … बड़ा सॉलिड लंड है तेरा.
मैं- भाबी लेकिन आप वो बात मम्मी को तो नहीं बताओगी ना?
भाबी- चूतिए … अगर बताना ही होता, तो मैं उसी दिन बता सकती थी … लेकिन जब से तेरा लंड नताशा की चुत चोदते हुए देखा है ना … तब से यही सोच कर मेरी चुत पता नहीं कितनी बार पानी छोड़ चुकी है. मेरे नीचे पता नहीं अजीब सी इचिंग होने लगती है, जब भी मैं वो लम्हा याद करती हूँ, जिसमें तुम नताशा की चुत चाट रहे थे.

मैं मन ही मन समझ गया था कि सीमा भाबी भी अपनी चुत मुझसे चटवाना चाहती हैं.

भाबी ने काफ़ी गर्म होते हुए मैक्सी के ऊपर से अपनी चुत को सहलाया- मुझे कल भी पता था, जब तुमने कल मुझे आवाज़ दी थी. मैंने जानबूझ कर अपने मम्मे बाहर करके सोते हुए रहने का ड्रामा किया था. मैं देखना चाह रही थी कि तुम मेरे मम्मे देख कर क्या करते हो. लेकिन तुम कल चले गए थे. आज मैंने ही वहां टेबल पर किनारे पर जानबूझ कर ग्लास रखा था ताकि मेरे करवट लेते टाइम तुम जल्दी से जाने की सोचो, तो पहले पर्दे से फिर ग्लास से टकराने से वो गिर जाए.

मैं भाबी की प्लानिंग सुनकर टोटली शॉक्ड था. मुझे जान कर इतनी हैरानी हो रही थी कि मैं सीमा भाबी की चुदास को शब्दों में बयान नहीं कर सकता. फिर आख़िरकार भाबी के नर्म हाथों में मेरा लंड आ गया था, जिसे भाबी सहलाने लगी थीं. फिर मैंने भी भाबी के चुचे उनकी मैक्सी के ऊपर से पकड़ लिए.

तभी भाबी ने भी मेरे लंड को पकड़ लिया. उन्होंने मेरे निक्कर में हाथ डाल कर लंड को बाहर निकाल लिया था. कुछ देर में ही लंड एकदम भाभी के मुँह के सामने तन्ना रहा था. भाबी भी मेरे गुलाबी सुपारे को बड़ी ललचाई नजर से देख रही थीं. मैं भाबी के मुँह में लंड डालने को हुआ, पर भाबी ने लंड चूसने से मना कर दिया.

भाभी- प्लीज़ देव … मैं ये सब नहीं चूसती हूँ … तुम्हारे भैया का लंड भी मैंने आज तक नहीं चूसा है.
मैं भाबी को इमोशनल करते हुए बोला- भाबी हमने भी तो कभी चुदाई नहीं की है … आपको मेरी कसम है, आज सिर्फ़ मेरे कहने पर कर लो … इसके बाद मैं कभी आपको लंड चूसने के लिए नहीं कहूँगा.
भाबी- ठीक है … देव आज तुम्हारे लंड का रस चख कर देखती हूँ.

भाबी के मुँह में लंड देते हुए मैंने उनकी मैक्सी उतार दी. भाबी मेरा पूरा लंड मुँह में ले कर बड़े मजे से चूसने लगीं. फिर भाबी ने अपनी चुत की तरफ़ इशारा किया. मैंने फ़ौरन भाबी को अपने ऊपर खींच लिया और 69 में आकर भाबी की झांटों भरी चुत पर अपने होंठ रख दिए. अब मैं अपनी जीभ से भाबी की चुत चाटने लगा. दूसरी तरफ़ भाबी भी मेरे लंड को काफ़ी अच्छे से चाट रही थीं.

कुछ ही देर बाद भाबी गांड उठा उठा कर अपनी चुत मेरे होंठों पर रगड़ने लगीं. जिससे कुछ देर बाद ही उनकी चूत का लावा मेरे मुँह पर फूट पड़ा. भाबी ने अपना सारा कामरस मेरे मुँह पर निकाल दिया. मेरा लंड भी झड़ गया था जिसे भाबी ने भी पूरा सफाचट किया हुआ था.

मैं मन ही मन हंस रहा था कि सीमा भाबी भी कितनी बड़ी चुसक्कड़ निकली, कहां तो लंड चूसने में कतरा रही थीं और कहां मेरे लंड का रस चाट कर साफ़ कर दिया.

खैर … अब मैं उठ कर भाबी के ऊपर लेट गया और मैंने भाबी की टांगों को अच्छे से चौड़ा कर दिया ताकि लंड बेहिचक सीधा भाबी जी की चुत में घुस जाए.

मैंने अपना लंड भाबी की चुत पर सैट किया और एक ज़ोरदार झटका दे मारा, जिससे मेरा आधा लंड सीधा भाबी की चुत में घुस गया. इसी के साथ ही भाबी की आंखें बड़ी हो गईं और एक दर्द भरी कराह भी निकल गई.

मैंने उनकी आह कराह को इग्नोर किया और ताबड़तोड़ 5-6 झटकों में अपना पूरा लंड भाबी की चुत में घुसेड़ डाला. भाबी की मादक सिसकारियां निकलने लगीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… देव …
मैं भाबी की चुत पर धड़ाधड़ वार करता हुआ कहने लगा- आह भाबी, कैसा लगा मेरा लंड?
भाबी- डंडा सॉलिड है तुम्हारा देव … तुम्हारे भैया से भी मोटा लंड है तुम्हारा … ऐसा लग रहा है तुम्हारा ये लंड मेरी चूत को फाड़ ही देगा.

कुछ देर बाद मैंने भाबी के दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया. इससे भाबी का भोसड़ा खुल कर मेरे सामने आ गया था. भाबी के भोसड़े पर लंड रख कर मैं जोरदार झटके मारने में लग गया. इससे मेरा लंड भाबी की चुत को पूरा चीरता हुआ अन्दर तक घुस गया. अब मेरा लंड भाबी की चुत को जम कर चोद रहा था. भाबी भी मज़े से अपनी गांड उठा उठा कर अपनी चुत चुदवाने का मजा लूट रही थीं.

इसके बाद मैंने भाबी को अपने लंड पर बैठने के लिए कहा. ये मेरा फेवरिट पोज़ है.

मैं सीधा लेट गया और भाबी टांगें खोल कर मेरे लंड पर बैठने लगीं. उनके मेरे लंड पर बैठते ही मेरा 6 इंच का लंड उनकी चुत को फाड़ता हुआ पूरा का पूरा भाबी की चुत में फंस गया, जिससे भाबी को थोड़ा दर्द होना शुरू हो गया. भाबी ने दर्द के मारे अपनी गांड थोड़ा ऊपर उठा ली. मैंने नीचे से भाबी की चुत में धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए.

अब भाबी को मेरे खड़े लंड पर जंप करने में आराम हो गया था. आख़िरकार वही हुआ, भाभी मस्त हो गईं. अब मैं अपनी स्पीड बढ़ा कर ज़ोर ज़ोर से उनकी गांड उठा कर उन्हें चोदने लगा. भाबी जी ने भी मेरे खड़े लंड पर मज़े से जंपिंग करना शुरू कर दिया, जिससे मुझे परम आनन्द की प्राप्ति होने लगी.

इस बार फिर से भाबी ने मेरे लंड पर अपना कामरस निकाल दिया, जिससे मेरा लंड पूरा भाबी के माल में लथपथ हो गया. अब मेरा लंड और चिकना हो गया था. मैं भाबी की चिकनी चूत की तेज़ी से चुदाई करने लगा.
अंत मैं भी भाबी की चुत में ही डिसचार्ज हो गया.

कुछ देर बाद हम एक दूसरे को साफ करने के लिए बाथरूम में आ गए. भाबी मुझे नहलाने लगीं, मेरे लंड को अच्छे से साफ करने लगीं और माल से लथपथ अपनी चुत को भी साफ करने लगीं.

इसके बाद सीमा भाबी मेरे लंड की मुरीद हो गईं. इसी तरह जब भी विकास भैया लंबे टूर पर जाते, भाबी और मैं जम कर चुदाई का मज़ा ले लेते. आपको मेरी यह सेक्स कहानी कैसी लगी प्लीज़ मुझे मेल कीजियेगा.

इसके बाद मैं अपनी अगली सेक्स स्टोरी में लिखूंगा कि नताशा भाबी, जो कि अब तक अपनी बेस्ट फ्रेंड प्रिया के घर कुछ दिन रहने के लिए गई थीं. नताशा भाबी को लाने के चक्कर में मैंने कैसे प्रिया जी से संभोग किया.

मेरी हिंदी में एडल्ट सेक्स स्टोरी पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद.