सेक्सी भाबी रफ सेक्स का मजा मुझे तब मिला जब मेरे दोस्त की शादी हुई और उसे माल बीवी मिली. पर शायद वह उसकी सील भी अच्छे से नहीं तोड़ पाया था.
नमस्ते दोस्तो, आप सब कैसे हैं? मैं सागर, कानपुर का रहने वाला हूँ और लखनऊ में जॉब करता हूँ.
मेरी जॉब शुरू होने से पहले मेरे एक दोस्त की शादी हो गई थी.
उसकी शादी के दो साल बाद मुझे लखनऊ में नौकरी मिली तो मैं वहां रहने लगा.
लेकिन हर हफ्ते वीकेंड पर मैं कानपुर चला जाता था.
एक दिन की बात है, मेरे दोस्त की मिसेज यानि भाभी जी किसी काम से लखनऊ से कानपुर जा रही थीं.
मैं वीकेंड के लिए अपनी कार से कानपुर जा रहा था, तभी मेरे दोस्त का फोन आया.
उसने कहा कि आज तुम्हारी भाभी भी कानपुर जा रही हैं, उन्हें पिक कर लेना.
मैंने कहा- ठीक है, वैसे भी मैं कार से जा रहा हूँ, एक की जगह दो लोग हों तो क्या फर्क पड़ता है?
मेरे दोस्त ने अपनी मिसेज का नंबर मुझे दे दिया.
मैंने कॉल किया और भाभी को उनकी बताई जगह से पिक कर लिया.
मैंने उस दिन पहली बार भाभी जी को कैजुअल ड्रेस में देखा था, वे गजब का माल लग रही थीं.
अब तक तो मैंने उन्हें सिर्फ शादी में दुल्हन बने हुए ही देखा था तो उनकी खूबसूरती का मुझे कोई अहसास ही नहीं था कि भाभी जी इतनी खूबसूरत भी हो सकती हैं.
वे उस समय एक लैगी कुर्ती पहनी हुई थीं और उनकी चूचियों का जलवा उनके गहरे गले वाली कुर्ती से मेरे कलेजे को हलक से बाहर लाए दे रहा था.
भाभी की पारखी नजरों ने मेरी काम पिपासु नजरों को ताड़ लिया था और वे नजरअंदाज करती हुई झुक कर गाड़ी में बैठने लगीं जिससे तो समझो मेरे लौड़े की वाट ही लग गई थी.
मुझे तो बस लग रहा था कि सीधे कुर्ती के गले में हाथ डाल कर उनके दूध दबोच लूँ.
पर मैं Sexy Bhabi Rough Sex कर नहीं सकता था.
भाभी मेरे साथ कार की आगे वाली सीट पर बैठ गई थीं.
मैं उन्हें देख कर उनके फिगर का अंदाजा लगाने लगा था.
सच बता रहा हूँ यार कि भाभी जी एक नंबर की माल थीं.
उनका फिगर एकदम सुराही जैसा. गले से लेकर सीने तक का उभार ऐसा कि देखते ही दिल धड़कने लगे और लंड फड़कने लगे.
कार आगे बढ़ गई.
मगर मेरी नजरों को तो मानो बाजू में रखी रबड़ी की प्लेट में मुँह मारने की जिद सी हो गई थी.
मैं बार बार उन्हें देख रहा था और गाड़ी चलाता जा रहा था.
जब भी मैं उन्हें देखता, मेरा लंड तन जाता और होंठों पर सूखापन आ जाता जिसे मैं अपनी जीभ से पुन: गीला करने की कोशिश करने लगता.
उस दिन की घटना को याद करके आज भी मेरे लौड़े का वैसा ही हाल हो रहा है.
मैं उन्हें ताड़ता हुआ ड्राइव कर रहा था, वे सामने देख रही थीं लेकिन कभी-कभी उनकी नजर मेरे पैंट के नीचे खड़े लंड पर चली जा रही थी.
फिर भाभी ने मुझसे पूछा- अगर भगवान तुम्हें एक ख्वाहिश मांगने को कहें, तो क्या मांगोगे?
पहले तो मैं उनके इस सवाल से अचकचा गया कि सीधे ऐसा सवाल क्यों?
फिर मैंने उनसे बात करने की यह एक अच्छी शुरुआत समझी और उनकी तरफ देखने लगा.
उन्होंने पुनः कहा कि बताओ न!
मैंने कहा- कुछ नहीं.
लेकिन भाभी ने जिद की- बोलो ना, मुझे जानना है!
मैं बताना नहीं चाहता था, पर मन में तो कब से उमड़-घुमड़ रहा था, सोचा अब बोल ही दूँ.
तो मैंने कह दिया- अगर मुझे एक ख्वाहिश मिले, तो मैं मांगूँगा कि आपको छूने का मौका मिले, आपको प्यार करने का सुख मिले. क्योंकि आपको देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है. मन करता है बस आपको अभी चोद दूँ.
न जाने किस झौंक में मैं उनके सामने अपनी बात को इतने अश्लील तरीके से कह गया था.
इस बात का अहसास होते ही मैंने फिर से हल्के से कहा- सॉरी भाभी जी, आपने पूछा तो बता दिया.
भाभी थोड़ी देर के लिए सोच में डूब गई, फिर बोलीं- अच्छा, मान लो मैं कह दूँ कि तुम्हारी ख्वाहिश पूरी हो गई, तो तुम क्या करोगे?
मैंने कहा- फिर तो भाभी, मैं आपको इतना खुश कर दूँगा कि आप मुझे भूल ही न पाएं.
तभी भाभी ने मेरे लंड पर हाथ रख दिया और धीरे से बोलीं- थोड़ा सब्र करो, मंडे को मैं लखनऊ वापस जाऊंगी. साथ चलना है न? मैं भी तो वहीं जॉब करती हूँ!
फिर दो दिन बाद वह पल आया.
मेरे दोस्त का कॉल आया- भाभी को लखनऊ ले जाना, साथ में हैं. उनके ऑफिस तक अच्छे से छोड़ देना.
मैंने कहा- हां भाई, अच्छे से ले जाऊंगा.
मैं उसके घर गया, भाभी को पिक किया.
पहले वे पीछे की सीट पर बैठी थीं, लेकिन शहर से बाहर निकलते ही वे मेरे बगल वाली सीट पर आकर बैठ गईं.
फिर भाभी ने कहा- सब्र का फल मीठा होता है.
यह कह कर उन्होंने अपना नर्म हाथ मेरे लंड पर रखा और लौड़े को सहलाने लगीं.
मुझे तो जैसे जन्नत का अहसास होने लगा.
भाभी ने पूछा- होटल का रूम बुक किया है या नहीं?
मैंने कहा- नहीं!
तुरंत भाभी ने ऑनलाइन रूम बुक कर लिया. उन्होंने यह कमरा करंट लोकेशन से नजदीक ही बुक किया था क्योंकि न मुझे कंट्रोल हो रहा था, न उन्हें.
हम दोनों उस होटल में पहुंचे और औपचारिकता पूरी करने के बाद रूम की चाभी ले ली.
हम दोनों ऐसे दिखा रहे थे, जैसे पति पत्नी हों.
होटल के कमरे में घुसते ही हमने एक-दूसरे को बांहों में भर लिया और बिना रुके, बिना थके, हम दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे.
मैंने भाभी के होंठों को खूब चूमा, उनके मस्त मम्मों को दबाया, हाथ को उनकी चुत पर ले गया.
हमारे चुंबन में ऐसी आग लगी कि दोनों के कपड़े कब उतरे, पता ही नहीं चला.
मैं सिर्फ अंडरवियर में था, भाभी पैंटी और ब्रा में थीं.
फिर मैंने उनकी ब्रा उतारी और उनके रसीले, मस्त चूचों से खेलना शुरू कर दिया.
एक दूध को मुँह में ले लिया. उसे कभी मैं चूसता, कभी हल्के से काटता.
उनके निप्पल्स ऐसे पिंक थे जैसे किसी ने पहले कभी छुआ ही न हो.
फिर धीरे-धीरे मैं नीचे की ओर बढ़ा, उनकी पैंटी की तरफ आने लगा.
उनके गदराए जिस्म चूमते-चूमते मैं उनके जिस्म की आग को महसूस कर रहा था.
भाभी कामुक सिसकारियां ले रही थीं.
उनकी चुत ने अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया था.
मैंने उनकी पैंटी उतारी और उनकी गीली चुत पर टूट पड़ा.
जैसे ही मेरी जीभ ने उनकी चुत को छुआ, वे एकदम से मचल उठीं.
वे बोलीं- मेरी चुत को आज तक किसी ने ऐसे नहीं चाटा. आज कितना अच्छा लग रहा है!
वे मेरे सिर को अपनी चुत में जोर जोर से दबाने लगीं और मैं उनकी चटाई करता रहा.
फिर अचानक से भाभी ढीली पड़ गईं.
मुझे समझ आ गया कि वे झड़ गईं.
अगले ही पल वे मेरे मुँह पर अपनी चुत रगड़ने लगीं.
मैं उठा और मैंने झट से अपना अंडरवियर उतार कर अपना 7 इंच का तना हुआ लंड उनके सामने ले आया.
भाभी बोलीं- इतना बड़ा लंड! मेरी तो चुत ही फट जाएगी, आज दूसरी सुहागरात मनेगी.
फिर उन्होंने मेरे लौड़े को हाथ में पकड़ लिया और उसके टोपे को प्यार से अपनी जीभ की नोक से चाटा और मम मम करके उसका स्वाद लेने लगीं.
मैंने उनकी चूची को मसल कर कहा- कैसा लगा स्वाद?
वे हंस कर बोलीं- नमकीन है मस्त स्वाद है!
यह कह कर उन्होंने लौड़े को मुँह में डाल लिया और अन्दर बाहर करने लगीं.
मुझे भी लंड चुसवाने में मज़ा आने लगा, मैं भी उनके मुँह में धक्के देने लगा.
झटकों के कारण उनके मुँह में लंड ज्यादा अन्दर जाने लगा था जिस वजह से उनकी साँस फूलने लगी.
मैंने लंड बाहर निकाला और सीधे उनकी चुत पर रखने का कहा.
वे हंसने लगीं और बोलीं- पहले पोजीशन तो बनाओ!
मैंने भाभी को उठाकर बेड पर लिटा दिया और अपने लंड को उनकी चुत पर टिका दिया.
अब मैं धीरे-धीरे लंड को अन्दर डालने लगा.
सच में ऐसा लग रहा था मानो कोई सपना सच हो रहा हो.
भाभी की चुत इतनी टाइट थी कि लग रहा था जैसे वर्जिन चुत की सील तोड़ रहा हूँ.
भाभी को दर्द हो रहा था, वे आह आह करती हुई मेरे पेट पर हाथ रख कर मुझे रोकने की कोशिश कर रही थीं.
फिर मैंने एक हल्का सा झटका दिया तो मेरा 5 इंच अन्दर घुस गया और उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े.
भाभी की चुत से खून की एक पतली सी धार भी निकल आई.
मैं हैरान था कि मेरे दोस्त के लौड़ा इतनी मस्त भाभी की चुत का अब तक झांट का बाल भी नहीं टेड़ा कर सका.
यह तो बाद में समझ आया कि मेरा लंड मेरे दोस्त के लौड़े से काफी मोटा था.
भाभी जब शांत हुईं तब मैंने एक और दमदार झटका दे मारा.
इस बार मेरा पूरा लंड उनकी चुत की गहराई में समा गया.
भाभी दर्द से कराह रही थीं.
लेकिन मैंने उनके बूब्स दबाए, होंठों को चूमा, उनके हाथ पकड़े और धीरे-धीरे चोदना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर बाद भाभी को मज़ा आने लगा.
वे बोलीं- और जोर से चोदो देवर जी! आह आपका लंड मुझे पहले क्यों नहीं मिला? आपके दोस्त का तो पतला है, ठीक है, लेकिन आपका लंड तो घोड़े जैसा है … आह बस आज तो चोदते रहो, अपनी ख्वाहिश पूरी करने के लिए मुझे पूरी ताकत से चोदो राजा!
कुछ देर बाद मैंने उन्हें उठाया और अपने लंड पर बिठा कर चोदने लगा.
भाभी मस्ती में चुदवाने लगीं.
मैंने भाभी की चुत को काफी देर तक चोदा.
सेक्सी भाबी रफ सेक्स के बीच वे एक बार झड़ चुकी थीं.
फिर मैंने उन्हें घोड़ी बनाया.
वे नॉटी भाषा में बोलीं- अब घोड़े जैसा लंड लेगी ये भाभी!
मैंने उनकी कमर पकड़ी और पीछे से लंड उनकी चुत में डालकर चोदने लगा.
उनकी गांड हिल रही थी, देखकर मन किया कि गांड में भी लंड डाल दूँ, पर अभी चुत ही चोद रहा था.
भाभी बोलीं- देवर जी, अभी तो पूरा दिन बाकी है.
मेरे मन में लड्डू फूटने लगे.
उनकी गांड कैसे मारी, वह अगली कहानी में बताऊंगा.
जब मैं झड़ने वाला था तो मैंने उनसे कहा कि भाभी, मेरा निकलने वाला है!
वे बोलीं- अन्दर ही निकालो, जो होगा देखा जाएगा.
तीन बार झड़ने के बाद भी उन्हें मेरे स्पर्म चाहिए थे.
मैंने स्पीड बढ़ाई और चोदते चोदते ही उनकी चुत में अपना सारा माल छोड़ दिया.
भाभी को जैसे चरम सुख की प्राप्ति हुई.
फिर हम दोनों बेड पर लेट गए, एक-दूसरे से चिपके हुए.
आगे की सेक्स कहानी बाद में.
उम्मीद है आपको इस सेक्सी भाबी रफ सेक्स कहानी में मजा आया होगा.
लड़कों ने अपने लंड से पानी निकाला होगा और लड़कियों की चुत गीली हो गई होगी.
लड़कियो फिंगरिंग कर लो, या कोई लंड मिल जाए तो उसके साथ खुश हो लो.
धन्यवाद.
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