यह Chhoti Bahan ki Chudai Kahani 2 साल पुरानी है जब मैं 21 साल की थी.
जो मुझे करना पड़ा था वो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था.
मेरा एक भाई है उसका नाम है शेखर.
वो मुझसे उम्र में 2 साल बड़ा है.
मेरी एक अच्छी सहेली थी जिसका नाम था रिंकी.
उसने मेरे कहने पर मेरे भाई को ही अपना बॉयफ्रेंड बना लिया था.
रिश्ते में वो मेरी भाभी लगती थी लेकिन मैं उसको रिंकी ही कहती थी.
उनकी लव स्टोरी को बहुत समय हो चुका था.
रिंकी अक्सर मेरे घर आती जाती रहती थी और उसकी चुदाई मेरे भाई से बहुत बार हो चुकी थी.
मेरा भाई भी उसके प्यार में पागल था.
मेरा भी एक बॉयफ्रेंड था शैन्की.
जब मैंने शैंकी को बॉयफ्रेंड बनाया था तभी रिंकी ने मेरे भाई को अपना बॉयफ्रेंड बना लिया था.
लेकिन मेरा शैन्की से ब्रेकअप हो गया.
मेरे ब्रेकअप को 6 महीने हो चुके थे. मैं अपने दुख दर्द से उबर चुकी थी.
इधर रिंकी और मेरे भाई के बीच तनातनी चल रही थी, भाई रिंकी से नाराज थे.
भाई ने 3 महीनों से मेरी सहेली की चुदाई नहीं की थी.
इस बीच मैंने भैया को बहुत मनाया, रिंकी बहुत रोयी लेकिन वो नहीं माने!
एक दिन मेरे भाई शेखर का चुदाई का मन हुआ तो उसने रिंकी से बात की.
लेकिन रिंकी का पीरियड भी था.
फिर भी उसने मेरे भाई को खुश करने के लिए चुदाई के लिए हां कर दी.
उनकी चुदाई उस दिन मेरे ही घर पर होनी थी क्योंकि घर पर मैं ओर शेखर ही थे.
मेरे मम्मी पापा मेरे नाना नानी के यहां गए हुए थे.
रिंकी पीरियड के दिन चुदवाना नहीं चाह रही थी लेकिन वो उसको भी नाराज नहीं करना चाहती थी.
वो मुझसे कहने लगी- शनाया, तुझे मेरी मदद करनी होगी.
मैं बोली- कैसी मदद?
वो बोली- मैं शेखर का लंड आज नहीं ले सकती, मेरे पीरियड हैं. मुझे बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है और पेट में दर्द भी है. मैं तेरे भाई की आंखों पर पट्टी बांध दूंगी और तू मेरी जगह चली जाना.
मैंने उससे कहा- नहीं, शेखर मेरा भाई है. मैं ऐसा नहीं कर सकती.
रिंकी मुझसे मरने की बात करने लगी.
कुछ समय सोचने के बाद मुझे हां करना पड़ा क्योंकि रिंकी एक मिजाजी लड़की थी.
मुझे डर था कि वो कहीं कुछ कर न बैठे.
मुझे ये सब एक पल को गलत लग रहा था लेकिन मैं कुछ कर नहीं सकती थी.
अब रात हुई.
शेखर रिंकी को मेरे सोने के बाद घर में ले आया लेकिन मैं सो नहीं रही थी, बस मैं सोने का नाटक कर रही थी.
प्लान के मुताबिक रिंकी को मुझे मैसज करना था और उसका मैसेज मिलने के बाद मुझे नंगी होकर उनके पास जाना था.
मैं लेटी हुई बस इंतजार कर रही थी.
रात को 11 बजे के करीब रिंकी का मैसेज आया कि हमारे रूम के दरवाजे पर आ जाओ और जब मैं हाथ से इशारा करूं तो अंदर आ जाना.
मैं वहां गई.
मैंने देखा तो शेखर बिना कपड़ों के बेड पर लेटा था. रिंकी उसके लम्बे लण्ड को चूस रही थी.
उसका लण्ड … मतलब अपने ही भाई का लण्ड देखकर मैं डर गई और मुझे शैंकी की याद आ गई.
वहीं कुछ डर रिंकी की पहले की चुदाई की दास्तां का भी था.
जब रिंकी पहली बार मेरे भाई से चुदी थी तो उसने बताया था कि शेखर आधे घंटे से पहले रुकता नहीं है और बहुत ही स्पीड में चोदता है.
कुछ समय बाद रिंकी ने मुझे इशारा किया.
मैंने वहीं बाहर अपने कपड़े उतारे और अंदर चली गयी.
रिंकी ने मेरे मुंह को एक कपड़े से बांध दिया.
शेखर का लन्ड बिल्कुल सीधा आसमान को देख रहा था.
उसका मोटा लम्बा लण्ड मुझे मेरे बॉयफ्रेंड शैंकी की याद दिला रहा था.
उस समय मैंने भाई बहन के रिश्ते को नहीं सोचा और भाई की जान और उसके प्यार को सोचा.
रिंकी ने उसके लन्ड पर थूक लगाया और शेखर से कहा- अब मैं ऊपर बैठ रही हूं.
शेखर ने कहा- हां, मेरी जान … बैठो जल्दी … तुम्हें अब जी भरकर चोद लूं!
तभी रिंकी दूर हुई और मैं भाई के ऊपर खड़ी हुई. रिंकी के बदन को पकड़ कर मैं भाई के लन्ड पर बैठने लगी.
जैसे ही मेरी चूत की कोमल पलकों पर शेखर का लन्ड टच हुआ वैसे ही मेरे शरीर में एक अलग सी हवा सी उठी. मगर मैंने अपने पैरों का सारा दम लगाकर खुद को संभाला हुआ था क्योंकि मैं बहुत दिनों बाद चुद रही थी. झटके से चुदने में मेरी जान चली जाती है.
मैं रिंकी को पकड़ कर थोड़ी सी बैठी और लण्ड को थोड़ा सा अंदर किया.
चूत में लन्ड का अहसास होने लगा था और अब भाई के मोटे और लम्बे लंड से मेरी चूत में दर्द होने लगा था.
मेरे मुंह में कपड़ा फंसा हुआ था इसलिए मैं चिल्ला भी न सकी.
मैंने ऐसे ही पांच मिनट निकाल दिए.
भाई का लंड पूरा लेने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी.
तभी भाई ने ‘अरे यार …’ बोला और मेरी कमर पकड़ ली और खुद नीचे से धक्का लगाने लगा.
4-5 धक्कों में उसका लन्ड मेरी चूत को फाड़ते हुए अंदर तक घुस गया.
लंड के झटकों से मेरी आंखों से आंसू बहने लगे.
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रिंकी मेरे आंसू पौंछ रही थी और अपने मुंह से कामुक आह्ह … आह्ह … की सिसकारी निकाल रही थी ताकि शेखर को मेरे दर्द का पता न चले.
मेरी सहेली बार बार मेरे बालों को सहलाते हुए मुझे संभाल रही थी.
अब मैं भी अपने दर्द को कम करने के लिए अपने मम्में खुद ही दबा रही थी.
मेरा भाई मुझे आज अपनी रिंकी समझ कर चोद रहा था. छोटी बहन की चुदाई बड़े भाई से हो रही थी.
शेखर मेरी कमर को पकड़ कर तेजी से मुझे चोदने लगा.
जैसा रिंकी ने बताया था कि वो बहुत स्पीड में चोदता है.
रिंकी ने देखा कि मैं सह नहीं पाऊंगी तो उसने अपनी आवाज में कहा- आह्ह जान … आराम से करो … आज बहुत दर्द हो रहा है.
फिर उसने आराम से चोदना शुरू कर दिया.
अब मुझे मजा आने लगा मगर दर्द अब भी बना हुआ था.
कुछ देर में ही मेरे पैर दर्द करने लगे थे और मैं रुक गयी.
मैं शेखर के ऊपर ही लेट गई और उसके होंठों को चूसने लगी.
मैंने उसकी आंखों की पट्टी को टाइट कर दिया ताकि राज न खुले.
अगर उस दिन पट्टी खुल जाती तो उन दोनों की लड़ाई हो जाती और हमारा भाई-बहन का रिश्ता भी कोई नया ही रिश्ता बन जाता.
कुछ देर के बाद मैं उठी.
अब रिंकी ने भाई का लंड चूसा और वो उसके मुंह में झड़ गया.
रिंकी उसका पूरा माल पी गयी.
मैंने रिंकी को इशारा किया कि मैं जा रही हूं.
उसके बाद मैं अपने रूम में आ गयी.
मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा था.
मैं लेट गयी और फिर 20 मिनट के बाद रिंका का मैसेज मिला.
वो कहने लगी कि एक बार आकर इसे संभाल लो.
दोस्ती की खातिर एक बार फिर से मैं वहां अपनी चूत की बलि देने चली गयी.
अब वहां फिर से शेखर अपने घोड़े जैसे लौड़े को हाथों से हिला रहा था.
इस बार उसका टोपा अलग ही लाल चमक रहा था और कड़क भी ज्यादा ही लग रहा था.
उसकी आंखों पर पट्टी बंधी और लंड पर भी.
ये रिंकी मेरे भाई के साथ एक अजीब सा खेल खेल रही थी.
मैं अपनी दोस्ती के नाम पर अपने भाई से ही चुद रही थी.
रिंकी बोली- मेरी जान … अब तुम मेरे पैर उठा कर करो, मैं ऊपर नहीं उछल सकती.
उसने कहा- ठीक है, लेट जाओ.
रिंकी की जगह जाकर मैं लेट गयी.
शेखर ने रिंकी समझ कर मेरे पैर पकड़े और उठा कर चूत में लण्ड फ़साने लगा.
रिंकी मेरे सिर के यहाँ बैठी थी.
वो बोली- यार कुछ तो लगा लो … थूक ही लगा लो.
तभी शेखर ने मेरे मुंह के पास लंड कर दिया और बोला- रिंकी डार्लिंग, इसको अच्छे से चूस दे, थूक अपने आप ही लग जाएगा.
मैंने रिंकी को देखा तो वो हाथ जोड़कर रिक्वेस्ट करने लगी.
फिर मैंने होंठों को खोला और उसके लण्ड को मुंह में लिया और चूसने लगी.
उस समय मुझे भाई के लौड़े से मजा नहीं आ रहा था लेकिन उसने 5 मिनट तक मेरा मुंह अच्छे से चोद डाला.
अब वो उठकर पीछे आ गया तो मुझे राहत की सांस मिली.
भाई ने समय न लगाते हुए पैर कंधों पर रखे और चूत की दरार, जो फैल चुकी थी, में लौड़े को रखा और अंदर पेल दिया.
वो झटके देने लगा, हाथों को मेरे चूचों पर रखकर मसलने लगा.
वो चोदता और फिर रुक जाता; फिर चूचे मसलता और फिर शुरू हो जाता.
इस तरह से मेरे भाई ने 25 मिनट तक मेरी रगड़ कर चुदाई कर डाली.
अब मेरे बदन में अकड़न होने लगी, मेरे पैर अकड़ने लगे और मैंने रिंकी को अपने हाथों में जकड़ लिया और उसके बदन में नाखून गड़ाने लगी.
मेरा पानी निकलने वाला था, मेरी हिम्मत सी टूट गई थी. मेरी आँखें मिंच गईं और मैं झड़ गई.
उस समय मेरी जीभ मेरे होंठों से खेलने लगी थी. उस समय में मैंने जो आनन्द लिया वो मैं बता नहीं सकती.
अब शेखर ने उठाकर मुझे घोड़ी बनाया और चोदने लगा.
करीब 20 मिनट की चुदाई उसने बहुत तेज-तेज की.
चुदाई में पट्ट पट्ट की आवाज निकलती जा रही थी.
मेरे मन में यही ख्याल आ रहा था कि आज तो मेरी फुद्दी जमकर चुद जायेगी.
आज मर्द के बच्चे से पाला पड़ा है.
जैसा रिंकी ने बताया था, शेखर की ताकत उतनी ही निकली.
आज मैं समझ गई कि क्यों रिंकी इतना खुश रहती है.
फिर करीब 20 मिनट घोड़ी बनाकर चोदने के बाद अब शेखर भी झड़ने लगा.
उसने लंड एकदम से निकाला और मेरे मुंह में दे दिया.
शेखर ने मेरे मुंह में लंड फंसा दिया और मेरे सिर को पकड़ कर चोदने लगा.
मेरी सांस एकदम से रुकने लगी. वो घोड़े की तरह मेरे मुंह पर चढ़ा हुआ था.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि उसको कैसे संभालूं.
मेरी आंखों से आंसू आने लगे.
वो लगातार 15-20 धक्के मेरे मुंह में लगाने के बाद एकदम से रुकता चला गया.
उसके लंड से पानी निकल कर मेरे मुंह में जाने लगा.
उसका मीठा मीठा रस मुझे मेरी जीभ पर महसूस हुआ और मैंने उसको पी लिया.
मुझे अच्छा लगा.
उसके लंड के रस का स्वाद भी मैंने ले लिया.
फिर शेखर पट्टी बंधे हुए ही सो गया.
उसके सोने के कुछ देर बाद रिंकी ने मेरी मदद की और मेरी दुखती चूत के साथ मुझे सहारा देकर मेरे रूम में ले गयी.
मेरे रूम में ले जाकर उसने मेरी चूत साफ की और मुझे कपड़े पहनने में हेल्प की क्योंकि इस लम्बी और जोरदार चुदाई में मैं बहुत थक गई थी.
फिर दर्द की गोली खाकर मैं सो गयी.
अगले दिन मैं 12 बजे उठी.
मैंने भाई को बता दिया कि तबियत ठीक नहीं है.
भाई ने रिंकी को फिर से घर आने को बोला तो रिंकी ने भी तबियत ठीक न होने का बहाना कर दिया और कह दिया कि रात को उसकी हालत खराब हो गयी.
फिर दोस्तो, अलगे दिन मम्मी पापा घर आ गए.
अब मेरा बड़े लंड से चुदाई का डर खत्म हो गया क्योंकि मैं समझ गई कि चुदना तो एक न एक दिन पड़ता ही है.
मगर उसके बाद मैंने रिंकी को साफ साफ बोल दिया कि जो भी हो करुँगी लेकिन ये सब करने को मत कहना … क्योंकि यदि भाई को पता चल जाता तो हो सकता था उसको खराब लगता या फिर हो सकता था कि मेरी इस मजबूरी का वो रोज ही फायदा उठाता.
इस सब के बाद मेरी बहुतों से चुदाई हुई क्योंकि मेरी जरूरतों ने मेरी आदतों को बदल दिया था.
वो सब कहानियां कभी आपको जरूर सुनाऊंगी.