सेक्सी घर की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैंने कैसे अपनी बेटियों को अपनी जैसी चालू चुदक्कड़ बना लिया. मैंने अपनी बेटियों के शौहरों के लंड का मजा लिया.
मेरा नाम समीना बेगम हैं दोस्तो.
मैं 44 साल की एक मदमस्त खूबसूरत और हॉट बीवी हूँ, पढ़ी लिखी हूँ और उच्च घराने से ताल्लुक रखती हूँ।
हमारे पास न पैसों की कभी है और न लंड की!
लेखिका की पिछली कहानी थी: फार्म हाउस में घमासान सामूहिक चुदाई
यह Sexy Ghar Ki Chudai Kahani मेरे घर की ही है.
लंड तो मैं अपनी पढ़ाई की उम्र से ही पकड़ने लगी थी।
कॉलेज के दिनों मैं लड़कियों से खुल कर बातें करती थी और वहीं से मैंने लंड पकड़ना चालू किया।
मैं अपने जिस्म से पूरी तरह जवान हो चुकी थी।
मेरे बूब्स बड़े बड़े हो गए थे और मेरे चूतड़ भी उभरने लगे थे।
मेरी मस्तानी गांड अपने जलवे दिखाने लगी थी और मेरी सेक्सी बाहें हर किसी का मन मोह लेतीं थीं। मेरी जांघें मोटी मोटी हो गई थीं और घुटनो की गोलाई सबको बड़ी खूबसूरत लगती थी।
मैं बीच बीच में स्कर्ट भी पहनती थी ताकि लोगों को मेरे नंगे घुटने दिखाई पड़ें।
मुझे अपना जिस्म दिखाने में मज़ा आता था।
बातें मैं सबसे खुल कर करती थी और अपनी सहेलियों के बीच में मैं बिना लंड, बुर, चूत, भोसड़ा बोले कुछ कहती ही नहीं थी।
मेरे मुंह से गालियां भी खूब निकलतीं थीं और मैं अपने ग्रुप में बड़ी मशहूर हो गयी थी।
लंड की बातें चोदा चोदी की बातें खूब जम कर करती थी।
मैं अकेली नहीं थी, मेरी जैसी कई लड़कियां थीं।
कुछ तो मुझसे भी आगे थीं। वो तो लंड के साथ साथ चुदाई की बातें भी करतीं थीं.
एक दिन मैं एक लड़के के साथ सिनेमा हॉल गयी पिक्चर देखने!
वहीं मैंने पहली बार लंड पकड़ा।
हम लोग बॉलकनी में सबसे पीछे थे। जैसे ही हॉल में अन्धेरा हुआ, उसने अपनी पैंट की जिप खोल ली, वैसे ही मैंने उसका लंड पकड़ लिया और पूरे टाइम मैं लंड पकडे बैठी रही।
बीच बीच में झुक कर लंड चूस भी लेती थी।
फिर बीच में उठ कर बाथरूम में जाकर लंड की मुठ मारी और लंड का वीर्य पिया।
मैंने 3 घंटे खूब हिलाया लंड और मज़ा लिया।
ऐसा मैंने उन दिनों 3-4 लड़कों के साथ किया।
मुझे लंड पीने का चस्का वहीं से लग गया था।
फिर मैं मौक़ा पाकर चुदवाने लगी; कभी कॉलेज के लड़कों से कभी अपने कुनबे वालों से!
मेरे कुनबे वाले भी मुझे बुरी नज़र से देखते थे और लंड पकड़ाने के फिराक में रहते थे।
फिर मैं भी पीछे नहीं हटी और लंड पे लंड पेलवाने लगी चूत में!
मुझे मज़ा आने लगा और मैं यही सब करते करते बेशरम और बेहया हो गयी।
मैं अपनी शादी की उम्र तक आते आते कई लोगों से चुद चुकी थी।
शादी के बाद भी मैं ग़ैर मर्दों से चुदवाती रही और आज भी चुदवा रही हूँ।
इसी बीच मेरी दो बेटियां हो गईं तब्बू और साहिरा, दोनों जवान हो गईं हैं।
तब्बू 21 साल की है और साहिरा 20 साल की दोनों ही माशा अल्लाह बड़ी खूबसूरत, सेक्सी और हॉट हैं।
दोनों से मैं खुल कर बातें करती हूँ; चोदा चोदी की भी बातें करती हूँ और बड़े प्यार से गालियां भी देती हूँ।
मैं चाहती थी कि ये दोनों भी मेरी तरह जवानी का मज़ा लूटें।
अब देखो न मेरी उम्र 44 साल की है लेकिन मैं 30-32 साल की ही लगती हूँ।
यह मेरा कमाल नहीं है बल्कि लंड का कमाल है।
औरत को अगर लंड पर लंड मिलते रहें तो वह चूत चोदी हमेशा जवान रहती है।
एक दिन जब तब्बू घर लेट आई तो मैंने पूछा- इतनी देर से कहाँ माँ चुदा रही थी तू अपनी तब्बू?
वह बोली- माँ नहीं चुदा रही थी अम्मी जान, पड़ोसी अंकल का लंड हिला रही थी. उसी में देर हो गयी। लंड साला झड़ ही नहीं रहा था लेकिन जब मैंने मस्ती से उसे देर तक चूसा तो वह मेरे मुंह में ही झड़ गया।
मैं यह सुनकर बड़ी खुश हुई और उसके गाल थपथपा कर कहा- तूने अच्छा किया चूत चोदी तब्बू, अब तू सच में जवान हो गयी है।
अब मैं अभी अपनी बेटियों से पूरी तरह खुल चुकी थी।
एक दिन मैं एक मस्त जवान लड़के के साथ बैठी थी।
कमरे का दरवाजा खुला था खिड़कियां खुलीं थीं।
मैंने साहिरा को आवाज़ लगाई, कहा- बेटी साहिरा, ज़रा वो बाल हटाने वाला रेज़र ले आना।
वहीं तब्बू से कहा- बेटी ज़रा मसाज आयल लेकर आना।
तब तक मैं इधर उस लड़के को बिस्तर पर नंगा लिटा चुकी थी और उस पर चादर डाल कर उसका लंड सहला रही थी।
लंड तन कर खड़ा हो चुका था।
साहिरा जब रेज़र लेकर आई तो मैंने उस लड़के के लंड के ऊपर से चादर हटाई।
उसका खड़ा लंड देख कर साहिरा बोली- ओ माय गॉड इतना बड़ा लंड? किसका है ये मादर चोद लंड अम्मी जान?
मैंने कहा- यह मैं बाद में बताऊंगी पहले तुम इसकी झांटें बना दो। मुझे चिकना लंड पसंद है।
वह बोली- मुझे भी चिकना लंड पसंद है अम्मी जान!
साहिरा ने बड़े मन से झांटें बना दीं.
लंड एकदम चिकना हो गया।
तब तक तब्बू आ गयी।
वह लंड देख कर बोली- हाय दईया, बड़ा हैंडसम लंड है! किसका है इतना प्यारा लंड अम्मी जान?
मैंने कहा- ये ताहिर है मेरी दोस्त फरज़ाना का बेटा। इसके लंड के बारे में सुना था आज मैं भी पहली बार इसे पकड़ कर देख रही हूँ। मैं चाहती हूँ कि तुम दोनों मिलकर इस तेल से लंड की मालिश करो।
तब्बू बोली- ओ यस … मैं करती हूँ लंड की मालिश अम्मी जान!
तब्बू और साहिरा दोनों मिलकर बड़े प्यार से करने लगी लंड की मालिश और मैं उन्हें देख देख कर एन्जॉय करने लगी।
आप सोच रहे होगें दोस्तो कि मैं कैसे अपने बेटियों से इतनी खुल गई और इतनी बेशरम हो गयी?
तो इसका जवाब है कि मैंने तब्बू को अपने चचा जान का लंड चूसते हुए देखा है.
उसकी बेटी बता भी रही थी कि तब्बू तो मेरे अब्बू से चुदवाती भी है।
इसी तरह मैंने साहिरा को शकील का लण्ड चाटते हुए देखा है।
शकील मेरी ननद का बेटा है।
जब मैंने देखा की साहिरा शकील का लंड चाट रही है तो मैं भी चुपके से उसके पास गई और बड़े प्यार से कहा- बुरचोदी साहिरा, मेरे भी मुंह में घुसेड़ दे लंड!
फिर मैं भी उसके साथ लंड चाटने लगी।
एक दिन ऐसे ही मैं अपनी सहेली के मियां का लंड चूस रही थी।
दोपहर का समय था।
इतने में मैंने देखा कि तब्बू मुझे लंड चूसते हुए देख रही है तो मैंने उसे इशारे से बुलाया और लंड उसके मुंह में घुसा दिया, बोली- अब तू भी जवान है तब्बू. ले अच्छी तरह से चूस ले लंड।
मैं तो नंगी थी ही … वह भी नंगी हो गयी।
फिर हम दोनों माँ बेटी नंगी नंगी चाटने लगीं लंड।
मैंने कहा- बेटी तब्बू, अब मेरी चूत और तेरी चूत में कोई फर्क नहीं है। लंड चाहे इधर पेलो चाहे उधर! लंड चाहे माँ के भोसड़े में पेलो चाहे बिटिया की चूत में।
फिर हम दोनों ने लण्ड का मज़ा भर पूर लिया।
तबसे हम तीनों बन गयीं एक दूसरे की पक्की दोस्त।
एक दिन तब्बू बोली- अम्मी, तुमसे एक बात कहनी है।
मैंने कहा- अच्छा तो कहो क्या बात है?
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वह बोली- कल मैं खाला जान के घर में रात में रुक गईं थी। वहां रात में खुल्लम खुल्ला चुदाई होने लगी। मैंने देखा तो मैं भी उत्तेजित हो गयी। मेरी भी चूत में आग लग गयी। मैंने देखा कि बिल्कुल मेरे बगल में मेरा खालू मेरी खाला की चूत चोद रहा है। इतनी नजदीक से चुदाई देखी तो मैं अपने आपको रोक न सकी. खालू का लंड जैसे ही चूत से बाहर निकला तो मैंने उसे लपक कर पकड़ लिया। मेरे पकड़ते ही लंड साला और सख्त हो गया। मुझे बहुत अच्छा लगा लेकिन मैंने जब उसका चेहरा देखा तो मालूम हुआ कि वह मेरा अब्बू है। यानि मैंने खालू के धोखे अब्बू का लंड पकड़ लिया। मुझसे यह गलती हो गयी अम्मी जान! मुझे माफ़ कर दो।
मैंने कहा- अरी पगली माफ़ी मांगने की कोई जरुरत नहीं है। ये तो बड़ी कॉमन सी बात है। पहले ये बता तुझे कैसा लगा मेरे शौहर का लंड?
उसने कहा- लंड तो बड़ा जबरदस्त है तेरे शौहर का अम्मी जान। बड़ा मोटा तगड़ा है बहनचोद!
अम्मी ने कहा- अच्छा तो अब सुन, तूने मेरे शौहर का लंड पकड़ लिया। जब तेरी शादी हो जाएगी तो मैं तेरे शौहर का लंड पकड़ लूंगी। हिसाब बराबर हो जाएगा. और यह भी सुन ले कि जब तेरा अब्बू वहां तेरी खाला का भोसड़ा चोद रहा था तो यहाँ तेरा खालू तेरी माँ का भोसड़ा चोद रहा था।
हम दोनों हंसने लगीं।
फिर एक दिन तब्बू का निकाह मेरे सबसे छोटे भाई रफ़ी से हो गया। तब्बू मेरी भाभी बन गयी और मैं तब्बू की ननद!
उसके कुछ दिन बाद साहिरा का निकाह मेरे सबसे छोटे देवर सैफुद्दीन से हो गया।
साहिरा मेरी देवरानी बन गईं और मैं उसकी जेठानी।
हमारी बेटियां शादी हो जाने के बाद भी हमारे ही कुनबे में रह गईं।
यह एक ऐसा इत्तिफ़ाक़ था कि दोनों रफ़ी और सैफुद्दीन दुबई में रहते हैं और वहीं कारोबार करते हैं।
सैफुद्दीन मेरा देवर है पर मैंने कभी उसका लंड नहीं देखा और रफ़ी का भी लंड देखने का मौक़ा कभी नहीं मिला।
इसलिए मैं बड़ी लालायित थी यह जानने के लिए कि इनके लंड कैसे हैं और क्या इनके लंड मेरी बेटियों को पसंद हैं?
लगभग 3 महीने के बाद एक बार दोनों बेटियां एक साथ ही अपने अपने शौहर के साथ मेरे घर आ गईं यानि अपनी मायके आ गईं।
मैं दोनों बेटियों से दिल खोल कर मिली और दोनों दामादों से भी।
मेरे घर में रौनक हो गई, ख़ुशी का माहौल हो गया।
फिर मैंने चुपके से पूछा- तब्बू, तेरे मिया का लौड़ा कैसा है बेटी?
वह आँख मटकाती हुई बड़े मजाकियां लहज़े में बोली- हाय दईया, मैं तेरी बेटी नहीं हूँ तेरी भाभीजान हूँ मेरी ननद रानी। लंड तो मेरे मियाँ का जबरदस्त है।
तब तक साहिरा आ गयी तो मैंने उससे भी यही सवाल पूछा.
तो वह बोली- हाय मेरी बुरचोदी जेठानी, वो तो तेरा देवर है और तू अपने देवर का लंड नहीं जानती? नहीं जानती तो पकड़ कर देख ले न अपने देवर का लंड … तुझको किसने रोका है?
फिर दोनों अपने अपने मियां के साथ बाहर घूमने चली गईं।
मैं सच में उनके लंड देखने के लिए छटपटा रही थी, रात होने का इंतज़ार कर रही थी।
इतने में मेरी ननद का फोन आ गया.
वह बोली- अरे भाभीजान, सुनती हो. कल मैंने रात भर अपनी बेटी के मियां से चुदवाया। क्या मस्त लौड़ा है उसका … फाड़ डाला उसने मेरा भोसड़ा और उधर मेरी बेटी अपने अब्बू से चुदती रही। बड़ा मज़ा आया यार! उस भोसड़ी वाली ने और आग लगा दी मेरी चूत में!
किसी तरह से मेरा एक एक पल बीता और रात आ गयी।
मैं अपने मन से भी और तन से भी अपने दोनों दामादों से चुदने के लिए तैयार थी।
दोनों लंड का मज़ा लेने के लिए बड़ी बेताब थी।
फिर अचानक मैंने दोनों की बात सुनी।
तब्बू कह रही थी कि साहिरा आज हम दोनों क्यों न शौहरों की अदला बदली करके चुदवायें?
मैंने कहा- हां बिल्कुल ठीक है, मैं भी तुम लोगों का साथ दूँगी।
दोनों एक स्वर में बोली- हां तो फिर हो जाए हम तीनों के बीच मियों की अदला बदली।
रात को एक बड़ा सा बिस्तर मैंने ज़मीन पर लगा दिया।
वैसे भी हम लोग सब ज़मीन पर ही सोते हैं, उसी पर मर्द भी और औरतें भी सोती हैं।
रात को खाना वगैरह हो जाने के बाद सब लोग बिस्तर पर आ गए और खूब मस्ती से बातें होने लगीं।
इन बातों में अधिकतर तब्बू और साहिरा के ससुराल की ही बातें थीं।
लगभग 10 बजे ये बातें ख़त्म हो गईं। हम सब लोग लेट गए और फिर एकदम सन्नाटा हो गया।
लगभग एक घंटा तक सन्नाटा रहा।
पता नहीं किसके मन में क्या था? कौन क्या करने वाला था?
मेरा मन तो रफ़ी और सैफुद्दीन के लंड में ही रखा था इसलिए मैं चुपचाप उठी और सैफुद्दीन के बगल में लेट गयी।
मैं धीरे धीरे अपना जिस्म उसके जिस्म से टकराने लगी।
फिर मैंने आहिस्ते से उसके पाजामे का नाड़ा खोला और चुपके से अपना हाथ उसमें घुसेड़ दिया।
मेरा हाथ उसके लंड तक पहुँच गया।
लंड पहले से ही खड़ा था।
मैंने उसे पकड़ा तो मज़ा आ गया।
मैं जान गई कि लंड दमदार है।
तब साहिरा उठ कर अपने जीजू यानी रफ़ी के बगल में लेट कर उसका पजामा खोलने लगी।
लाइट बहुत धीमी जल रही थी लेकिन इतनी थी कि लंड चूत गांड भोसड़ा सब साफ़ साफ़ दिखाई पड़े।
मैंने बड़े मजे से सैफी का लौड़ा बाहर निकाल लिया। मैंने जब पूरा लंड देखा तो उसके कान में कहा- हाय मेरे देवर राजा, क्या मस्त लौड़ा है तेरा यार! मज़ा आ गया इसे पकड़ कर!
उसने मुझे अपनी तरफ खींच कर चिपका लिया और बोला- भाभी जान, तुम आज भी बड़ी खूबसूरत हो, नमकीन हो और मेरी चहेती हो।
तब तक उधर साहिरा ने रफ़ी का लंड बाहर निकाल कर बड़ी बेशर्मी से हिलाने लगी, बोली- हाय जीजू, तेरा लंड तो एकदम घोड़े का लंड लग रहा है यार! क्या खिलाते इसे?
वह बड़ी दबी जबान में बोला- तेरी जैसी खूबसूरत बीवियों की चूत खाता है मेरा लंड!
तब तक इधर तब्बू ने अपने अब्बू के लंड पर हमला बोल दिया।
लंड तो उसका जाना पहचाना था। तब्बू पहले भी पकड़ चुकी थी अपने अब्बू का लंड!
लेकिन आज यह लंड उसके अब्बू का नहीं बल्कि उसके ननदोई का था।
लंड उसके पकड़ते ही फनफना उठा।
तब्बू ने लंड बड़े प्यार से चूमा और बोली- हाय मेरे ननदोई राजा, तेरा तो लंड भोसड़ी का पहले से ज्यादा मोटा हो गया है। दिन पर दिन मोटा ही होता जा रहा है तेरा लंड!
वह बोला- जब मेरा लंड मेरे साले की बीवी पकड़ेगी तो लंड साला अपने आप ही मोटा हो जायेगा।
तब्बू बोली- हां, यह बात तो सही है। तेरा लंड तो ख़ुशी के मारे झूम रहा है बहनचोद!
इतने में एक एक करके सबके कपड़े उतरने लगे।
देखते ही देखते हम तीनों बीवियां नंगी हो गईं और इनको नंगी देख कर तीनों मर्द भी नंगे हो गए। तीनों के लंड तन कर खड़े हो गए।
तब पूरी महफ़िल में गर्मी छा गई, मस्ती छा गई और मियां अदल बदल कर होने वाली चुदाई का नशा छा गया।
फिर क्या … मैं नंगी नंगी खुल्लम खुल्ला साहिरा के मियां का लंड चूसने लगी.
साहिरा नंगी नंगी तब्बू के मियां का लंड चूसने लगी और तब्बू नंगी नंगी मेरे मियां का लंड चूसने लगी.
हम तीनों एक दूसरे के मियां का लंड बड़ी बेशरमी से चूसने लगीं, लंड से खेलने लगीं और लंड का टोपा चाटने लगीं.
पराये मरद का लंड चाटने और चूसने में किस बुरचोदी को मज़ा नहीं आता?
हम सब मस्ती में डूब गईं और एक दूसरे को लंड चूसते हुए देखने लगीं।
कुछ देर बाद मेरे मियां शब्बीर ने तब्बू की चूत में लंड घुसा दिया और बार बार लंड अंदर बाहर करता हुआ उसकी चूत चोदने लगा, बोला- मुझे तो अपनी साले की बीवी चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा है।
तब तक उधर सैफुद्दीन मेरा भोसड़ा चोदने में जुट गया और बोला- मुझे तो अपनी भाभी की चूत बड़ा मज़ा दे रही है। आज पहली बार इसकी चूत ले रहा हूँ।
मैंने कहा- अरे देवर राजा, तुम भाभी की ही नहीं अपनी सास का भोसड़ा भी चोद रहे हो.
वह भी खुल कर बोला- हां यार. मैं अपनी बीवी की माँ चोद रहा हूँ और बीवी की माँ चोदना बड़े फक्र की बात होती है।
तब तक रफ़ी बोला- हां यार सैफुद्दीन, मैं तो तेरी बीवी चोद रहा हूँ। मुझे अपनी बीवी के आगे तेरी बीवी चोदने में बड़ा लुत्फ़ आ रहा है। वैसे तेरी बीवी मेरी साली भी है और साली की चूत जीजू को सबसे ज्यादा अच्छी लगती है।
अब पूरे घर में चुदाई की आवाज़ गूंजने लगी. घर पूरा चुदाई की महक से भर गया।
मैंने कहा- आज पहली बार बीवियों की अदला बदली, मियों की अदला बदली और लंड की अदला बदली एक साथ हो रही है।
तब्बू बोली- अब मैं अपनी ससुराल में भी इसी तरह की सबके साथ अदला बदला करूंगी।
साहिरा बोली- हां यार, अब तो मुझे आज से ही अदला बदली का चस्का लग गया है। अब मैं अपनी सहेलियों के साथ और अपनी शौहर के दोस्तों के साथ भी अदला बदली करूंगी।
चुदाई की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी।
बीवियां भी अपनी अपनी गांड उठा उठा के चुदवाने में पूरा साथ दे रहीं थीं।
कुछ देर तक इसी तरह चुदाई होती रही।
फिर थोड़ी देर में रफ़ी ने लंड साहिरा की चूत से निकाल कर मेरी चूत में घुसा दिया.
तब सैफुद्दीन ने लंड मेरी चूत से निकाल कर तब्बू की चूत में पेल दिया और मेरे मियां ने लंड तब्बू की चूत से निकाल कर साहिरा की चूत में घुसेड़ दिया और बोला- वाह वाह, मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा है अपने छोटे भाई की बीवी चोदने में!
साहिरा भी बोली- हाय … मेरे जेठ जी, पूरा लौड़ा पेल दो मेरी चूत में! फाड़ डालो मेरी बुर, चीर डालो मेरी चूतचोदी चूत, बड़ा मोटा है तेरा भोसड़ी का लंड।
उधर मुझे तब्बू का मियां चोदे चला जा रहा था और तब्बू को साहिरा का मियां बड़ी बेरहमी से चोदे जा रहा था।
मुझे तो सच में अपनी बेटियों के साथ मियों की अदला बदली करके सेक्सी घर की चुदाई में बड़ा मज़ा आया।
तो यह थी मेरी सेक्सी घर की चुदाई कहानी मेरे दोस्तो!
आपको कैसी लगी, जरूर बताइयेगा।
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