छोटी छोटी चूचियों का पहला मजा

फर्स्ट गर्ल फर्स्ट किस का मजा मैंने कैसे लिया था अपनी जिन्दगी में … इस कहानी में वही सब बता रहा हूँ. वह मेरी बहन की सहेली थी, हमारे घर टीवी देखने आती थी.

सभी पाठकों को नासिक से पंजाबी पुत्तर विमल का प्यार भरा नमस्कार.

आशा है आप मुझे भूले नहीं होंगे.

आज मैं आपके लिए एकदम नई और धांसू सेक्स कहानी ‘फर्स्ट गर्ल फर्स्ट किस स्टोरी’ लेकर प्रस्तुत हूँ.

सुमन मेरी छोटी बहन की सहेली थी और हमारे घर के सामने ही रहती थी.
मेरा और उसका एक दूसरे के घर में काफी आना जाना था.

सुमन मुझसे लगभग 3 साल छोटी थी और मेरी बहन के जैसे ही मुझे भैया कहती थी.
यह उस समय की बात है, जब घरों में नए नए टीवी लगना शुरू हुए थे.

हमारे घर में डायोनारा का रंगीन टीवी आया.
पूरे मुहल्ले में सिर्फ हमारे ही घर में टीवी लगा था.

उस समय सभी लोग सीरियल देखने रात को हमारे घर में इकट्ठा हो जाते थे.

रविवार को तो सुबह से ही सभी का जमघट लग जाता था.
हमारा ड्राइंग हॉल काफी बड़ा था मगर तब भी ये लोगों से पूरा भरा रहता था.

टीवी के सामने सोफा और आखिरी में एक बड़ा तख्त पड़ा था.
रात में टयूब लाईट बंद करके, छोटा नाइट लैंप जला दिया जाता था ताकि पिक्चर साफ दिखे.

उस समय सुमन खिल ही रही थी और मैं भी अपने लौड़े के उठान वाली अवस्था में था.
सुमन के छोटे छोटे निम्बू जैसे मम्मे निकलना शुरू हो गए थे.

मेरे मन में वैसे सुमन के लिए ऐसा-वैसा कुछ नहीं था.
पर एक रात टीवी पर करमचंद सीरियल आ रहा था.
मैं तख्त पर लेटा हुआ था, सुमन मेरे बाजू में बैठी थी.

हम दोनों मूंगफली खा रहे थे.
मूंगफली एक टोकरी में थी और टोकरी सुमन की गोदी में थी.
हम दोनों लगभग अंधेरे में बैठे थे.

हम दोनों सीरियल देखते हुए मूंगफली खा रहे थे.
मैंने जैसे ही मूंगफली लेने टोकरी में हाथ डाला, मेरा हाथ गलती से सुमन के एक मम्मे से टकरा गया.

उसका नर्म अहसास पाते ही मैं झेंप गया लेकिन वह अहसास मुझे अच्छा लगा.

मैंने सुमन की ओर देखा लेकिन सुमन को कोई फर्क नहीं पड़ा था.
वह तो सीरियल ही देखे जा रही थी.

सुमन ने सिर्फ एक फ्रॉक पहना था, उसने अन्दर समीज भी नहीं पहनी थी और ब्रा के लायक अभी उसकी उम्र और मम्मे दोनों नहीं थे.

मेरे को थोड़ी शरारत सूझी और मैंने दुबारा जानबूझकर उसके निम्बू को टच किया और थोड़ा ज्यादा समय तक अपने हाथ को वहां घुमाया, जैसे मूंगफली ढूंढ रहा हूँ.

उसने अचकचाकर मेरी ओर देखा लेकिन मैं नॉर्मल बन कर टीवी देखने लगा.

उसे लगा शायद गलती से टच हो गया होगा.
वह फिर से टीवी देखने लगी.

उसके निम्बू जैसे मम्मों को छूने से मेरे शरीर में खून गर्म होने लगा.
यह मेरी जिंदगी का पहला मौका था, जब मैंने किसी लड़की के मम्मों को छुआ.

उस दिन मैंने पांच छह बार उसे छुआ और उसके नर्म नर्म मम्मों का मजा लिया.
अब सुमन को भी ये समझ आने लगा था कि मैं ये सब जानबूझकर कर रहा हूँ.

उसके बाजू में उसकी दादी बैठी थीं, मेरे घर वाले भी सब सामने बैठे थे.
उसकी कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हुई.

बस अब वह मेरा हाथ रोकने की कोशिश कर रही थी और मैं हाथ इधर उधर से घुसाकर उसके चीकुओं को दबाने लगा था.
एक अजीब सा मजा आ रहा था.

अंधेरे में किसी को कुछ समझ नहीं आने वाला था.

उसके मम्मे दिखने में तो निम्बू जैसे थे पर पकड़ने पर ये समझ आया कि अच्छे बड़े थे; पूरी हथेली में समा रहे थे.

सभी लोग सीरियल देखने में व्यस्त थे और हम दोनों के बीच कुछ अलग ही सीरियल चल रहा था.

अगले दिन सुमन मुझसे बहुत दूर बैठी.
उसने मेरी ओर जब भी देखा, मैंने उसे अपने पास आने का इशारा किया मगर वह जीभ दिखाकर मुझे चिढ़ाने लगी और नहीं आई.

तीसरे दिन रविवार था.

सुबह से ही रंगोली वगैरह कार्यक्रम आना चालू हो जाते थे.

सुमन भी सुबह सुबह आ गई थी.
लेकिन दिन में सबके सामने ये सब करने की हिम्मत नहीं हो रही थी.

दोपहर को एक क्विज प्रोग्राम देखने के बाद टीवी के सीरियल बंद हो गए.

मेरी बहन ने लुका-छिपी खेलने को कहा और हम सब तैयार हो गए.
ये हम पहले भी खेलते ही रहते थे.

हमारे साथ मेरे बहन की दूसरी तीन और सहेलियां भी साथ में खेल रही थीं.

जब मेरी बहन पर खोजने की चाल आई तो मैं अपनी मम्मी के कमरे में छुपने के लिए घुस गया.
सुमन भी मेरे पीछे पीछे वहीं आ गई.

मैंने उसका हाथ पकड़ा और अंधेरे में ले गया.
वह बोलने लगी- मुझे डर लग रहा है.

मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और फुसफुसा कर कहा- डर मत, यहां हमें कोई नहीं पकड़ पाएगा और मैं भी तो हूँ तेरे साथ!
उसने पलटकर मुझे कस कर पकड़ लिया.

मैंने उसे धीरे से अलग किया और गले में हाथ डालकर उसके नीम्बुओं को सहलाने लगा.
वह थोड़ा अचकचाई और दूर जाने लगी.

मैंने उसे जोर से पकड़ लिया और उसके नीम्बुओं को उसकी फ्रॉक के ऊपर से ही जोर जोर से दबाने लगा.

उसने कहा- थोड़ा धीरे करो, दर्द होता है.

बस फिर क्या था … मैं उसके मम्मों को उसकी फ्रॉक के अन्दर हाथ डालकर मसलने लगा.
पता नहीं ये कैसा सुख था, जिसमें डर भी लग रहा था और म़जा भी आ रहा था.

दूसरी पारी में सुमन फिर मेरे साथ ही उसी कमरे में आ गई.
मुझे समझ आ गया कि उसे भी शायद मजा आ रहा है.

उस उम्र में हम दोनों को ही सेक्स के बारे में कुछ समझ नहीं थी पर अनजाना सा मजा आ रहा था.

अब मैंने सुमन की फ्रॉक उठाकर उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया.
उस उम्र में चूत एकदम सफाचट (यानि बाल अभी उगे ही नहीं थे) और मस्त फूली हुई थी.

कुछ दिख नहीं रहा था.
उसने मेरा हाथ रोकने की कोशिश की मगर मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी.

वह मेरा हाथ पकड़कर बाहर करने लगी.
मैं अपनी उंगली उसकी चूत में घुमा रहा था.

अन्दर पता नहीं कुछ हड्डी जैसी जगह तक मैं अपनी उंगली ले गया.
इसमें वैसे ज्यादा मजा नहीं आया.

फिर हम लोग बाहर आ गए.

अगली पारी में सुमन फिर मेरे साथ आई मगर उसने कहा कि नीचे उंगली मत करना, दर्द होता है.
मैं मान गया क्योंकि मुझे भी इसमें कुछ खास मजा नहीं आया था.

तब मैं उसके मम्मों को दबाकर ही मजे लेने लगा.
उसके बाद जब भी हमें मौका मिलता, हम दोनों अपने काम में जुट जाते.

धीरे धीरे चूत में उंगली करने का मजा भी आने लगा था.

मैंने कई बार उसकी चूत में 2-2 उंगलियां भी डाल दी थीं और मम्मों को भी खूब दबाया था.

थोड़े दिनों में ही सुमन के मम्मे अच्छे बड़े बड़े दिखने लगे थे.
यह शायद मेरी मेहनत का ही नतीजा था.

उस समय मम्मे दबाने और चूत में उंगली डालने के अलावा और क्या क्या होता है, ये पता ही नहीं था.

कभी कभी मैं अपना लंड सुमन के हाथ में दे देता था और वह उसे मसलती रहती थी.

उन दिनों कभी भी मेरा या सुमन का स्खलन नहीं हुआ.
इस बारे में कुछ पता भी नहीं था.

बस दिमाग में यह पता था कि ये सब गलत है और कभी बात खुल गई, तो बहुत मार पड़ेगी.

सुमन के मम्मे मसलने के बाद मेरी हिम्मत बहुत बढ़ गई थी.

गर्मियों की छुट्टियों में उसकी हमउम्र तीन कजिन बहनें भी आ जाती थीं.

समता, ममता दो सगी बहनें मुंबई से और उसकी मौसी की लड़की काजल पुणे से आती थी.

ये सभी ज्यादातर हमारे घर में ही रहा करती थीं क्योंकि हमारे घर में कूलर, खेलने के सामान जैसे कैरम, शतरंज, लूडो आदि सभी सामान थे और साथ में अब तो टीवी भी था.

उनके घर में और हमारे घर में अलग सा कुछ नहीं था.
दोनों परिवार एक घर जैसे ही रहते थे.

सारी दोपहर सभी मिलकर धमा चौकड़ी मचाते.
शाम को बाहर खेलने और पतंग उड़ाने जाते और रात में लुका-छिपी खेलते, साथ बैठकर गप्प लड़ाते.

समता लगभग मेरी उम्र की ही थी. समता और ममता दोनों बहुत सुंदर थीं. ममता, समता से दो साल छोटी थी.
कुल मिलाकर सब लगभग एक उम्र के ही थे और साथ साथ ही खेलते थे.

एक बार मैं और सुमन पीछे बैठकर टीवी देख रहे थे और मैं सुमन की फ्रॉक में हाथ डालकर उसके मम्मे दबा रहा था.
अचानक मेरा ध्यान गया कि समता जो मेरे सामने बैठी थी, पीछे मुड़कर हमें देख रही है.

मेरी तो एक बार गांड ही फट गई कि कहीं ये किसी को कुछ बता ना दे.
लेकिन फिर जब वह मुस्कुरा दी, तब मेरी जान में जान आई.
मगर अब ये बात समता को मालूम पड़ गई थी.

समता मुम्बई की रहने वाली थी. वह भी बड़ी क्लास में पढ़ रही थी. थोड़ा थोड़ा सेक्स उसे समझ में आता ही होगा.

कुछ देर में वह उठकर पानी पीने गई और वापस आकर मेरे और सुमन के बीच में बैठ गई.
मैंने उसकी ओर देखा तो वह मुस्कुरा दी.

मुझे उसके इरादे कुछ समझ नहीं आ रहे थे. फिर उसने अपना हाथ मेरी जांघ पर रखा और सहलाने लगी.
मैंने हिम्मत करके साइड से उसके मम्मे को छुआ.

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वह मुस्कुरा दी.
लाइन क्लियर हो गई.

समता के मम्मे, छोटे संतरे जितने बड़े थे.
उसने भी फ्रॉक ही पहनी थी. वह आलथी-पालथी मारकर बैठी थी, जिससे उसकी मांसल जांघें नजर आ रही थीं.

सब लोग टीवी देखने में मशगूल थे.
मैंने उसे बाहर आने का इशारा किया और पहले खुद उठ कर बाहर आ गया.

थोड़ी देर में ही समता भी बाहर आ गई और बड़ी मासूमियत से पूछने लगी- क्यों बुलाया?
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बाजू की गली में ले गया.
गली में नीम अंधेरा था.

मैंने उसे दीवार से सटाया और उसके मम्मे दबाने लगा.
वह कसमसाई और आह ऊह करने लगी.

उसने मेरे दोनों गाल पकड़कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगी.
मुझे बड़ा अजीब सा लगा.

फर्स्ट गर्ल फर्स्ट किस यही थी मेरी.
इससे पहले मैंने ना किसी को होंठों पर किस किया था और ना ही ऐसा कहीं देखा था.
मुझे बड़ा अजीब लगा, पर मजा भी आ रहा था.

मैं भी उसके होंठ जोर जोर से चूसने लगा.

किस करते हुए मैं एक हाथ से समता के मम्मे दबा रहा था और एक हाथ मैंने उसकी चूत में डाल दिया.

उसने अपने पैरों को थोड़ा फैला लिया था, मेरी उंगली उसकी चूत में अन्दर तक चली गई थी.

मैं अपनी उंगली उसकी चूत में घुमा रहा था.
समता की चूत के आस पास मुलायम मुलायम बाल थे. उसका एमसी भी शुरू हो गया था.

वैसे मुझे उस समय एमसी क्या होता है, ये पता भी नहीं था.

चूत में उंगली अन्दर बाहर करते हैं, ये भी पता नहीं था.
मैं तो बस उंगली अन्दर डाल कर घुमाता रहता था.

समता मुंबई की रहने वाली थी इसलिए सेक्स के बारे में शायद ज्यादा ही जानती लग रही थी.

थोड़ी देर में सीरियल खत्म हो गया, सब बाहर आने लगे.
हम दोनों भी कपड़े ठीक करके अलग हो गए.

किसी को कुछ पता नहीं चला.
सिर्फ सुमन ने आकर पूछा कि कहां गए थे.

मैंने उसे फुसला दिया और कहा- अरे यहीं तो बैठे थे और पढ़ाई की बात कर रहे थे.

गर्मियों के समय हम सभी छत पर बिस्तर बिछा कर सोते थे.
रात को कहानी सुनाना, तारे गिनना या ताश खेलना और फिर सो जाना, यही रुटीन होता था.

दोनों घरों के बच्चे कहीं भी सो जाते थे.

उस रात मेरे एक और सुमन और दूसरी ओर समता सोई थी.

लगभग 10 बजे तक धींगा मुश्ती चली.
फिर मेरी मम्मी ने लाईट बुझा दी और सबको चुपचाप सोने को कहा.

चारों ओर अंधेरा हो गया.

थोड़ी देर तक हम सब खुसुर फुसुर करते रहे और फिर एक एक करके सोने लगे.

अचानक समता ने चादर ओढ़ ली और मुझे कोहनी मारी.
मैं उसकी चादर में घुस गया.

मैंने हाफ पैंट और बनियान पहनी थी.
समता ने सि़र्फ समीज … वह भी मिनी स्कर्ट जैसी छोटी सी ही थी.

समता ने अपना हाथ मेरी पैंट में डाल दिया और मेरे लंड को हिलाने लगी.
मैंने उस समय तक कभी मुठ भी नहीं मारी थी.
मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था.

फिर मैंने भी अपना हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया.
समता एकदम से चिहुंक उठी.

मैं उसकी चूत में उंगली घुमाने लगा.
अब समता का हाथ मेरी हाफ पैंट में और मेरा हाथ उसकी पैंटी में था.

फिर समता मेरी ओर घूमी और उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में कैद कर लिया.
मैंने चादर ऊपर सिर तक ओढ़ ली ताकि कोई देख ना ले.

अब हम दोनों एक दूसरे की बांहों में जकड़े थे.
मैं उसकी पैंटी में हाथ डालकर उसकी गांड मसक रहा था और वह मेरी.

छाती से छाती मिली हुई थीं, कमर से कमर. लंड चूत में डालना चाहता था मगर ये कैसे होता है, पता नहीं था.
बस ये मालूम था ये सब गंदा काम है.

पर जो हो रहा था, उसमें बहुत मजा आ रहा था.
हम दोनों एक दूसरे में, ऊपर से ही समाने की कोशिश कर रहे थे.

समता ने अन्दर हाथ डाल्कर मेरे पैंट के बटन खोल दिए और मेरी पैंट उतार दी.
मैंने भी उसकी पैंटी खींचकर उतार दी.

हम फिर एक दूसरे के लंड और चूत को सहलाने लगे.
मेरा लंड खड़ा और कड़ा हो गया था.
समता की सांसें जोर जोर से चल रही थीं.

उसने अपनी समीज ऊपर करके अपना एक दूध मेरे मुँह में डाल दिया.
उसका निप्पल चने के दाने के समान था.

मैं उसका दूध जोर जोर से चूस रहा था और दूसरे को दबा रहा था.

अचानक समता चादर के अन्दर ही, मेरे ऊपर आ गयी.
मेरी बनियान और उसकी समीज ऊपर हमारी गर्दन पर थी और नीचे हम दोनों एकदम नंगे थे.
जीवन में पहली बार किसी लड़की से मैं इस तरह चिपका था.

वह अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ने लगी.
हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था.

समता की सांसें बहुत तेज तेज चलने लगी थीं और उसने मुझे कस कर पकड़ लिया.

वह तेज झुरझुरी सी लेने लगी और मैंने अपनी जांघों पर कुछ गर्म गर्म सा महसूस किया.

समता ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी.
मुझे भी अपने अन्दर कुछ अजीब सा लगने लगा और शरीर अकड़ने लगा.

लंड से मानो कुछ निकलना चाह रहा था पर निकला नहीं.
एक अजीब सा उन्माद छा गया.

जब वह उन्माद शांत हुआ तो ऐसा लगा मानो सारी शक्ति निचुड़ गई.
एक शांति सी महसूस हुई.

यही हाल समता का भी था.

हम दोनों का ज्वार अब उतर गया था.
दोनों ने अपने अपने कपड़े पहने और गले में हाथ डालकर सो गए.

सुमन बाजू में तो थी, पर वह तो घोड़े बेचकर सो रही थी.
उसे कुछ पता ही नहीं चला कि बाजू में क्या गुल खिलाए जा रहे हैं.

थोड़े दिनों के बाद समता मुम्बई चली गयी और मेरा और सुमन का सिलसिला फिर से चल पड़ा.

अब मैं अपने द्वारा अर्जित ज्ञान का प्रयोग सुमन पर करता रहता था.

जब भी हमें मौका मिलता, मैं उसके होंठ चूसना, निप्पल चूसना, मम्मे दबाना, चूत में उंगली करना, लंड चूत पर घुमाना और उसके हाथ से अपना लंड मसलवाना ये सब करता था.

कामदेव की कृपा से ना हम कभी पकड़े गए और ना ही हम पर किसी को शक हुआ.

स्कूल की परीक्षा के बाद मुझे आगे की पढ़ाई के लिए मुम्बई जाना पड़ा.

उसके बाद सुमन से ज्यादा मुलाकात नहीं हो पाती थी लेकिन जब भी मौका मिलता, मैं उसके मम्मे और गांड दबाने से नहीं चूकता था.

मुंबई में समता थी और यहां सुमन भी जवान हो रही थी.
कैसे अपने बचपन के प्यार के साथ जवानी में चुदाई हुई, ये सब जल्द ही अगले भाग में लिखूंगा.

यह फर्स्ट गर्ल फर्स्ट किस स्टोरी आपको कैसी लगी ये आप मुझे ईमेल करके बता सकते हैं.
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