लंड की सील कुंवारी चूत से खुली- 1

हॉट Xxx हिंदी कहानी में मुझे शुरू से सेक्स पसंद था. अपने साथ पढ़ने वाली लड़कियों के साथ मैंने काफी मस्ती की पर किसी को चोदा नहीं. जब मेरी नौकरी लगी तो भी मैं किसी चूत को नहीं चोद पाया था.

मेरा नाम आशु है, मैं मध्यप्रदेश के देहाती इलाके का रहने वाला हूं.
हामरे यहाँ बच्चों को देर से स्कूल भेजते हैं तो स्कूल में 12वीं में मेरी उम्र 19 साल की हो चुकी थी.

मुझे शुरू से सेक्स करना बहुत पसंद है.

मैं जब स्कूल में 12वीं में पढ़ता था तभी से मुझे मुठ मारने की आदत लग गई थी.
मुठ मारने की भी एक वजह यह थी कि मेरे स्कूल में को-एजूकेशन सिस्टम था.
मतलब लड़के लड़कियां एक साथ पढ़ते थे.

उस समय मेरे घर के पास रहने वाली यानि पड़ोस की तीन लड़कियां बिन्नी, सुन्दरी और रजिया भी उसी स्कूल में पढ़ती थीं.
मेरी उनके साथ बहुत ज्यादा और बहुत खास दोस्ती थी.
मैं उन्हीं तीनों के साथ स्कूल जाता था.

बिन्नी और सुन्दरी बहनें थी, उनके पिता की करियाना की दूकान थी.

हम चारों स्कूल जाते जरूर थे लेकिन स्कूल के बैग क्लास में रख कर घंटा पार करने निकल जाते थे.
स्कूल की बाउंड्री के पीछे अरहर का खेत था तो वे तीनों और मैं उसी खेत में आ जाया करते थे.

हम चारों रोजाना उस खेत में काम वासना वाली हरकतें करते थे.
जब कभी क्लास बंक नहीं कर पाते थे, तब लंच में हम लोग अरहर के खेत में चले जाते थे.

उधर पहुंच कर वे तीनों लड़कियां अपनी अंडरवियर उतार देती थीं.
फिर वे तीनों अपनी अंडरवियर उतार कर अपनी अपनी चूत में उंगली करती थीं और मैं उनके सामने अपना लंड निकाल कर उनको दिखाता था.

जब मैं अपने लंड को बाहर निकाल कर उसके ऊपर का हिस्सा बाहर निकालता तो मेरे सुपारे पर उस समय कुछ सफेद सफेद सा कुछ लगा रहता था.

उसे देख कर वे तीनों बोलती थीं- इसे साफ कर लिया करो!
फिर जब मैं उसे साफ करता तो उन तीनों में से कोई एक उसे हाथ में लेकर थोड़ा मसलती, उससे मुझे अच्छा लगता था.

फिर मैं उन तीनों की चूत में उंगली करता था.
उस समय मैं बस यही करता था, इससे ज्यादा मुझे कुछ पता नहीं था.

कभी कभी उन्हें उल्टा करके लिटा कर उनके ऊपर चढ़ कर मैं सेक्स करने का प्रयास करता, लेकिन उनकी गांड के ऊपर ही मेरा लौड़ा घिसता रहता और छूट हो जाने से उनमें से किसी एक की गांड गीली हो जाती थी.
यह काम लगातार 3 साल तक चला.

जब मैं उस किरणे की दुकान में जाता था तो उसके घर में वे दो लड़कियां ही रहती थीं.
उस वक्त उनके घर वाले अपने खेत में चले जाते थे, तो वे मुझे अपने घर के अन्दर बुला लेती थीं.

उधर एक दुकान में बनी रहती और दूसरी अन्दर आकर अपनी अंडरवियर उतार कर मुझे चूत दिखाती थी और मैं उसकी चूत में उंगली करता था.

उसके बाद दूसरी अन्दर आ जाती थी और उसके साथ भी पहली वाली के जैसा कर देता था.

ऐसे ही एक दिन स्कूल में वे तीनों मेरे बगल में बैठी थीं.
तो मैंने धीरे से रजिया की अंडरवियर के अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी चूत में उंगली करने लगा.
वह मुझसे बोली- अपना हाथ निकालो, कोई देख लेगा!

मैंने हाथ बाहर कर लिया.
स्कूल के समय यही सब चलता रहा.

कुछ समय बीत जाने के बाद स्कूल से निकल कर हम लोग अलग अलग पढ़ाई करने लगे.

उस दौरान एक दिन मैं बेड पर बैठा था.
तब ठंडी का मौसम था तो मैंने ऊपर से रजाई ओढ़ रखी थी.

मैंने अपने अंडरवियर के अन्दर हाथ डाल रखा था और अपनी लुल्ली को सहला रहा था.
नुन्नू अकड़ने लगी थी तो मैंने उसके सुपारे के ऊपर की खाल सरकाई और सुपाड़े को थोड़ा थोड़ा मसलने लगा.
मुझे सनसनी होने लगी.

लंड को ऐसे ही मसलते मसलते कुछ मिनट बाद मैं चरम पर आ गया और मेरे नुन्नू से कुछ गर्म गर्म बाहर निकल आया.
आज यह कुछ अलग किस्म का गाढ़ा सा पदार्थ निकला था जिसके निकलने से मुझे बहुत ही अच्छा लगा.

उसके बाद जो हल्कापन महसूस हुआ, उससे ऐसा लगा जैसे मैं एकदम से सुकून में आ गया हूँ.

कुछ देर के बाद मैंने देखा कि मेरी अंडरवियर गीली हो गई थी और उस गीली चड्डी में भी मुझे बड़ा सुख मिल रहा था.

तभी मां ने आवाज देकर खाना के लिए बुला लिया.
तो मैंने बिस्तर पर खाना खाने का कह दिया और ऐसे ही गीली चड्डी में खाना खाकर सो गया.

अब मैं रोजाना ऐसा करने लगा. मुझे अच्छा लगने लगा था.
मैं उसी जगह रोज वैसे करने लगा.
मुझे लगा कि मुझे वैसे बैठने की वजह से वैसी फीलिंग आती है.

धीरे धीरे इसके बारे में थोड़ा थोड़ा पता चलने लगा कि यह हस्तमैथुन कहलाता है.
फिर जब मैं बाहर टॉयलेट जाता तो उधर भी मैं यही करता तो वीर्य निकल जाता और मुझे सुकून मिल जाता था.

मैं अब रोज हस्तमैथुन करने लगा था.
जब मुझे घर वालों ने स्मार्टफोन दिला दिया तो मैं मोबाइल में चुदाई की वीडियो देखने लगा, तब जाकर मुझे सब मालूम हुआ कि ये सब कैसे करते हैं. यह चुदाई कहलाती है.

लेकिन अब मैं पछता भी रहा था कि आम मुँह में होकर भी मैंने कभी खाया नहीं.
अब वे तीनों बड़ी हो चुकी थीं और मेरे साथ नहीं पढ़ती थीं.

वे तीनों अलग अलग कॉलेज में चली गई थीं.
मैंने उनसे बात करनी चाही लेकिन वे सब मेरी बात को टाल देती थीं.

मैंने भी किसी से ज्यादा नहीं कहा.
मुझे लगा कि जबरन करने से बात बिगड़ सकती है, इन्होंने कहीं किसी को बता दिया तो इज्जत के लौड़े लग जाएंगे.

इसी लिए मैं बस लड़कियों के बारे में सोच कर और ब्लूफिल्म देख कर रोज मुठ मार लेता.

अब मैं एकदम गबरू जवान हो गया था, लेकिन मेरा लंड अभी भी एकदम से कुंवारा था.
उसने किसी चूत या गांड की सैर का मजा अब तक नहीं लिया था.

फिर मैं कमाने के लिए अपने एक दोस्त के साथ सूरत चला गया.
वहां मुझे सिक्योरिटी गार्ड की जॉब मिल गई.

यह जॉब शारीरिक बनावट को देख कर आसानी से मिल जाती है जबकि अन्य किसी जॉब के लिए बिना अनुभव के इतनी जल्दी जॉब नहीं मिलती है.
सिक्योरिटी गार्ड की जॉब मिलने के बाद मैं एक बड़ी कंपनी में गया.

यह एक टाइल्स निर्माण कंपनी थी.
उधर धीरे धीरे सबसे मेरी अच्छी जान पहचान हो गई.

फिर मैं वहां की लड़कियों की पूरी जानकारी रखने लगा.
मैंने सबका नाम पता कर लिया.

कंपनी की एचआर तृप्ति मैम थीं, वे बड़ी कड़क स्वभाव की थीं और बहुत सुंदर भी थीं.

कंपनी बस्ती से दूर जंगल में थी, यह बहुत बड़ी कंपनी थी. उसके चारों ओर सुनसान जंगल था, कोई आता जाता नहीं था. मुझे उधर ही एक कमरे में रहने मिला था.
उधर मेरी ड्यूटी टावर सिक्स में लगती थी.
यह टावर मेरे कमरे के पास ही था और कंपनी की बाउंड्री के पास होने से मैं सारा समय उधर ही बिताता था.

फिर एक ऐसा दिन आया कि उस दिन के बाद टावर सिक्स मेरे लिए खास बन गया था.
जिनके साथ यह सेक्स कहानी हुई थी, मैं अब उनके बारे में मैं बात कर रहा हूं.

उन मैम का नाम तृप्ति जोशी था.
मैम की जवानी ने मुझे एकदम से तृप्त कर दिया था.

मैम उस कंपनी के नाम की टी-शर्ट और जींस की पैंट पहनती थीं.
वे ज्यादातर बार फोन पर बात करती हुई इधर उधर टहलती रहती थीं.

वह ठंडी का सीजन था इसलिए लोग बाहर आकर धूप लेते थे.
तृप्ति मैम भी फोन पर बात करने के लिए धूप में आ जाती थीं.

मैं तृप्ति मैम को देखता तो मुझे सुकून मिल जाता.
तृप्ति मैम के बूब्स की साइज बिल्कुल कच्चे अमरूदों के जैसी थी.

उनके दूध आप यूं समझ लीजिए मानो 18 साल की कमसिन लड़की के दूध रहते हैं, बिल्कुल उसी की तरह नोकदार चूचियां मैम की टी-शर्ट से एकदम क्लियर दिखाई देती थीं.

सच कह रहा हूँ दोस्तो, मुझे वैसे तो बड़े दूध वाली पसंद आती है, लेकिन तृप्ति मैम की नोकें देख कर लंड खड़ा हो जाता था और मैं तृप्ति मैम को आंखों से चोदता रहता था.

तृप्ति मैम के फिगर की साइज भी एकदम मस्त थी और वे हर तरह से फिट आइटम थीं.

एक दिन की बात है, वे फ़ोन पर बात करती करती आगे बढ़ती हुई आ गईं.
उन्हें पता ही नहीं चला कि वे टॉवर सिक्स की ओर आती जा रही थीं.

टॉवर सिक्स के पास काफी घने घने पेड़ और बहुत लंबी लंबी घास है, जिसमें कोई इंसान तक नहीं दिखता.
यह टॉवर एडमिन ऑफिस से बहुत दूर है.

तृप्ति मैम फोन में बात करती हुई टॉवर सिक्स के पीछे वाले रास्ते से आ गईं.
मैं उसी तरफ गया हुआ था और टावर से नीचे उतर कर सुसु कर रहा था.

मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैम मेरे सामने आकर खड़ी हो गई थीं.
वे अचानक से मुझे और मेरे धार मारते लंड को देखते ही चिल्ला उठीं ‘आऊच …’

बस इतना कह कर वे पीछे मुड़ गईं.
मैं भी अपने सामने मैम को देख कर डर गया और मैंने जल्दी से अपनी जिप बंद की.
जिससे मेरी नुन्नू जिप में फंस गई और मैं एकदम से कराह कर रोने लगा.

दोस्तो, मैं कुछ ज्यादा ही सेंसेटिव हूं और जल्दी रोने लगता हूं.

मैं रोने लगा- प्लीज हेल्प आह … मर गया बहुत दर्द हो रहा है … आह बचाओ!
मैम ने मेरी तरफ मुड़ कर देखा और वे धीरे धीरे से अपनी आंखें खोल कर आगे आने लगीं.
मैं अपने लौड़े पर हाथ रख कर दर्द के मारे रो रहा था.

मेरे पास आकर मैम ने हिचकिचाते हुए पूछा- क्या हुआ है … तुम रो क्यों रहे हो? चुप हो जाओ, नहीं तो कोई मेरे बारे में गलत सोचेगा कि मैंने ही कुछ किया है.
तब मैंने कहा- मेरी नुन्नू जिप में फंस गई है और मुझे बहुत दर्द बहुत हो रहा है. प्लीज हेल्प मी.

तृप्ति मैम दांत पीसती हुई बोलीं- अबे लौड़े … मैं तेरी क्या हेल्प करूं? अगर इतना दम नहीं था तो क्यों यहाँ जॉब करने आया हैं तू साले भोसड़ी के! ऐसे क्या छोटे बच्चों की तरह रोने लगा!
मैं तृप्ति मैम की इस भाषा से हतप्रभ हो गया था लेकिन उस वक्त मेरी नुन्नू जिप में फंस गई थी इसलिए मैंने रोते हुए ही कहा- प्लीज तृप्ति मैम, हेल्प मी!

तृप्ति मैम बोलीं- मैं तेरे लौड़े को अपने हाथ से थोड़ी निकालूंगी, तू खुद निकाल … नहीं तो रोता रह, मैं जा रही हूं.
मैं अपने लंड पर हाथ रख कर फिर से तेज तेज रोने लगा.

तो मैम मेरे मुँह पर हाथ रख कर बोलीं- चुप हो जा यार … क्यों बच्चों की तरह रो रहा है!
मैं कराह कर बोला- मेरी नुन्नू दर्द कर रही है!

तृप्ति मैम बोलीं- भोसड़ी के चूतिए … पहले तो इसको नुन्नू बोलना बंद कर … वह लंड है! न जाने ऐसे कैसे लोगों को जॉब में रख लेते हैं. पहले देख तो लिया करें कि वह मैच्योर हो गया है या नहीं!
मैं आह आह करने लगा.

तृप्ति मैम बोलीं- अच्छा ठीक है चुप हो जा साले … मैं निकालती हूं!
मैम की उम्र 25 साल थी.

वे बोलीं- किसी को मत बताना कि मैंने ये सब किया है!

मैम नीचे घुटने के बल बैठ गईं और मेरे पैंट की जिप को नीचे करने लगीं.
मैं दर्द के मारे रो रहा था तो मैम ने एकदम अचानक से जिप नीचे कर दी.

मेरी चीख निकल गई- आआह!
फिर मैम बोलीं- चलो अपना पैंट नीचे करो!

मैं थोड़ा डर रहा था, तो मैम खुद ही नीचे करने लगीं, तो मैंने खुद ही नीचे करके पैंट उतार दी.
मैम मेरे अंडरवियर को नीचे उतार कर देखने लगीं.
मेरा लौड़ा छोटा हो गया था और लंड में थोड़ा सा कट लग गया था.

तृप्ति मैम ने पूछा- दर्द हो रहा है?
मैंने कहा- हां मैम!

‘चलो ठीक हो जाएगा, अपनी पैंट पहन लो!’
मैंने पैंट को ऊपर चढ़ा कर पहन लिया.

अब मैम मेरे बारे में पूछने लगीं.

मैंने सब कुछ डिटेल से बताया तो मैम बोलीं- तुम तो अभी छोटे हो, इसी लिए तो रोने लगे, चलो कोई बात नहीं … ठीक हो जाएगा, गलती मेरी ही थी मैं ही अचानक से सामने आ गई थी, सॉरी!
मैम ऐसे बोलीं तो मैं चुपचाप मैम को देखने लगा था.

फिर मैम अचानक से बोलीं- लाओ, अपना फ़ोन नंबर दो.
मैं चुप रहा.

फिर उन्होंने खुद ही अपना नंबर दिया और कहा- मुझे एक मैसेज करो.
मैंने मैसेज किया.

मैम चली गईं.

दूसरे दिन मैम ने मैसेज से पूछा- कैसे हो, अब तुम्हारा लंड कैसा है … ठीक हो रहा है या नहीं!
मैंने बताया कि मैंने दवाई लगाई है, थोड़े दिनों में ठीक हो जाएगा.

चार दिन बाद मैम टॉवर सिक्स की तरफ फिर से आ गईं.
उस दिन भी उस समय सुसू कर रहा था लेकिन उस दिन मैं दूसरी तरफ करके सुसु कर रहा था.
मैंने आज भी मैम को नहीं देख पाया था तो मैम मेरे पीछे आ गईं.

मैंने किसी के आने की आवाज सुनी तो मैं झट से अपनी जिप बंद करने लगा.

जैसे ही मैंने जिप बंद करने की कोशिश की, तो मैम हंस कर बोलीं- आराम से, नहीं तो फिर से कट जाएगा!
मैंने आराम से जिप बंद की.

तृप्ति मैम बोलीं- अब कैसा है तुम्हारा लंड?
मैंने कहा- ठीक है एकदम से!
मैम बोलीं- दिखाओ जरा, मैं भी तो देखूं!

आज मैं थोड़ा शर्मा सा रहा था.
तृप्ति मैम बोलीं- उस दिन नहीं शर्मा रहे थे, जिस दिन अपना काम करवाना था? आज बड़े शर्मा रहे हो, उस दिन तो बोल रहे थे … मेरी नुन्नू को मेरी जिप से निकाल दो, आज शर्मा रहे हो! चलो नीचे करो अपनी पैंट!

मैंने धीरे से अपनी पैंट को नीचे किया और अंडरवियर भी नीचे की.

मुझे मैम से डर भी लग रहा था क्योंकि तृप्ति मैम एचआर थीं.
वे चाहतीं, तो मुझे जॉब से निकलवा सकती थीं.

तृप्ति मैम ने मेरी नुन्नू को देखा तो वह छोटा सा था क्योंकि मैम से डर के मारे सिकुड़ गया था.

मैम फिर से घुटने के बल बैठ कर मेरे नुन्नू को देखने लगीं.
वे बोलीं- ये तो अब एकदम से ठीक हो गया है!
मैंने कहा- हां.

मैम अपने हाथ में मेरे नुन्नू को लेकर धीरे धीरे से अपने नर्म और मुलायम हाथों से मसलने लगीं.
मुझे सुरसुरी होने लगी.

दोस्तो, मेरा कुंवारा लंड आज शायद मैम को पसंद आ गया था और मुझे इसकी ओपनिंग की उम्मीद बंधने लगी थी.

अपनी इस रसदार कामुक सेक्स कहानी के अगले भाग में आपको मैम की सीलपैक चूत की चुदाई की कहानी को विस्तार में लिखूँगा.
आप मुझे बताएं कि आपको यह हॉट Xxx हिंदी कहानी कैसी लग रही है.

हॉट Xxx हिंदी कहानी का अगला भाग: लंड की सील कुंवारी चूत से खुली- 2

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