मेरी चूत का लंड से पहला साक्षात्कार-2

मेरी देसी फ्रेश चुत की चुदाई कैसे हुई, वही आप इस कहानी में पढ़ने वाले हैं. मेरी चूत में खुजली तो होती थी पर मैंने अपनी कुंवारी बुर में कोई लंड लेने की सोची नहीं थी.

देसी फ्रेश चुत की चुदाई के पहले भाग
भोलेपन में एक लड़के के सामने चूत खोल दी मैंने
में आपने पढ़ा कि मैं अपनी पहचान की दूकान पर रेजर लेने गयी चूत के बाल साफ़ करने के लिए. उसके पास रेजर नहीं था तो उसने कुछ देर में घर पहुंचाने को कहा.
मेरे घर वो रेजर देने आया तो मैंने उसे अंदर बुला लिया.

वो मुझे, बाल साफ़ कैसे करते हैं, इसके बारे में बताने लगा.
बातों बातों में उसने मुझे मेरी बगलों के बाल साफ़ करने के लिए राजी कर लिया.
फिर उसने इसी तरह मेरी चूत के बाल भी साफ़ किये.

यहाँ कहानी सुनें.

अब आगे देसी फ्रेश चुत की चुदाई:

“कैसा फील हो रहा है?” जतिन ने आंख मार कर पूछा।
“बहुत अच्छा फील हो रहा है भैया!” मैंने सादगी से उत्तर दिया।
“मुझे फिर से एक बार अपनी चूत देखने दे ना!” जतिन ने अनुनय भरे शब्दों में कहा।

“जरूर देख लो; आखिर तुमने बहुत मेहनत की है इसे चिकनी करने के लिए!” मैंने मुस्कुराकर कहा और अपनी स्कर्ट ऊपर करके पैंटी को थोड़ा सा नीचे खींच कर जतिन को दिखाया।

जतिन ने मुझे पकड़कर सोफा पर बैठा दिया।
खींचकर उसने मेरी पैंटी पूरी उतार दी और प्रशंसा भरी निगाहों से मेरी चूत को देखने लगा।

थोड़ी देर चूत को निहारने के बाद जतिन बोला- बहुत सुंदर लग रही है तेरी चूत। बिल्कुल फिसल पट्टी की तरह चिकनी है।

“धत्!” मैंने शरमा कर कहा और अपनी स्कर्ट नीचे कर ली।
“मुझे एक बार तेरी देसी फ्रेश चुत का चुंबन लेना है।” जतिन की आवाज कुछ कांपने लगी थी।

“छी: ऐसी गंदी बात कर रहे हो। ऐसी गंदी जगह का कोई चुंबन थोड़ी लिया जाता है!” मैंने जतिन को घुड़की देते हुए बोला।

“यार, बहुत सुंदर लग रही है तेरी चूत! एक बार तो चूमने दे ना!”जतिन ने फिर से अनुरोध किया।

मैं चुपचाप खड़ी थी। मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मुझे इस वक्त क्या करना चाहिए।

इतने में जतिन ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे पकड़ कर बेडरूम में ले आया तथा मुझे बिस्तर पर बैठा दिया।
“एक बार मुझे चूमने दे। तुझे भी बहुत मजा आएगा।” जतिन ने मेरी स्कर्ट ऊपर करते हुए कहा।

मैंने जतिन के द्वारा स्कर्ट ऊपर उठाए जाने पर कोई प्रतिरोध नहीं किया।
इससे जतिन ने हिम्मत करके मेरी स्कर्ट को पूरा ऊपर उठा दिया और मेरी पैंटी को नीचे खींच कर उतार दिया।
मैंने महसूस किया कि मेरी धड़कन अब बढ़ने लगी थी।

मेरी चिकनी नंगी चूत को देखकर जतिन खुश हो गया और उसने मुझे बेड पर लेटा दिया इसके बाद जतिन ने मेरी टांगें थोड़ी चौड़ी कर दी और उसने आहिस्ता अपने होठों को मेरी चूत पर रख दिया।

“उईईई ईईई…” जतिन के होठों के चूत को स्पर्श करते ही मैं चिहुँकने लगी और मैंने अपनी खुली हुई टांगें बंद कर ली।
जतिन का मुंह मेरी दोनों जांघों के बीच में बंद हो गया।

उसने बलपूर्वक मेरी टांगों को फिर से चौड़ा किया और फिर से उसने अपने होठों को मेरी फ्रेश चूत पर रख दिया लेकिन उसने अपने दोनों हाथ मेरी जांघों पर रखें रहे ताकि मैं फिर से अपनी टांगें ना बंद कर सकूं।

अब जतिन नीचे से ऊपर की तरफ मेरी चूत को अपनी जुबान से चाटना शुरू किया।
जतिन की जुबान के स्पर्श से मुझे अंदर में कुछ गुदगुदी सा अहसास होने लगा और चूत के अंदर कुछ रस रिसता हुआ महसूस हुआ।

जैसे-जैसे जतिन ने मेरी चूत को चाटना शुरू किया, मेरा शरीर मानो अपने काबू में ना रहा और मैं भी अपने नितंब नीचे से उछाल उछाल कर जतिन को सहयोग देने लगी।
अपने आप ही मेरे हाथ उंगलियां जतिन के बालों में चलने लगी और मैं उसका सर अपनी चूत की तरफ दबाने लगी।

मेरे मुंह से जाने क्या क्या अस्फुट से शब्द बड़बड़ाहट के रूप में निकलने लगे।

थोड़ी देर मेरी चूत को चाटने के बाद जतिन ने मेरी चूस तो दोनों तरफ से फैला दिया और मेरे भगांकुर को देखने लगा।

अब उसने मेरी फैली हुई चूत में अपनी जुबान डाल दी और होठों से मेरे भगांकुर को पकड़ लिया और चूसने लगा।

जतिन के इस कृत्य में मुझमें मानो अंदर तक आग लगा दी और मैं मछली की तरह छटपटाने लगी।
मैंने जोर जोर से अपने नितंबों को इधर-उधर तथा ऊपर नीचे जोर जोर से हिला कर उसकी पकड़ से छूटने का प्रयास किया लेकिन जतिन ने मुझे मजबूती से पकड़ रखा था उसने मुझे और सताते हुए मेरी चूत में अंदर तक अपनी जुबान डाल दी।

“आह हम्मह हहह … उईई ईईश्स … मेरे मुंह से सीत्कार फूटने लगे तथा मुझ पर धीरे-धीरे बेशर्मी छाने लगी।
दिमाग यह कह रहा था कि जो हो रहा है वह गलत है लेकिन मन यह चाह रहा था कि कोई मुझे अच्छे से चोद डाले।

तभी अचानक मेरा बदन अकड़ने लगा और मेरी चूत से काम रस बहने लगा।
मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं झड़ गई हूं।

तभी अचानक जतिन ने अपना मुंह मेरी चूत से हटाया और पूछा- डॉली कैसा लग रहा है?
“मालूम नहीं जतिन … पर अंदर में बहुत गर्मी लग रही है कुछ अजीब अजीब मेरे अंदर हो रहा है।” मैंने हांफते हुए जतिन को जवाब दिया।

मैंने अब यह महसूस किया कि मेरे मुंह से जतिन के लिए ‘भैया’ नहीं निकल रहा था और मैं उसे नाम से पुकारने लगी थी।

“ऐसा इसलिए हो रहा है मेरी प्यारी डॉली, क्योंकि तेरी चूत अब लंड चाह रही है। तुम अगर हां बोलो तो इसे चोद दूं?” जतिन ने मेरी आंखों में झांक कर बोला।
उसकी आंखों में मुझे अपने लिए कामवासना साफ नजर आ रही थी।

“जो करना है करो बस इतना ख्याल रखना कि मुझे गर्भ नहीं ठहरे।” मैंने अपने दिल के हाथों मजबूर होते हुए कहा।

“इसकी फिक्र मत करो डॉली! मैं तुम्हें कंडोम लगाकर चोदूंगा।” जतिन मेरी चूत को सहलाते हुए बोला।

जतिन ने फटाफट अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरी तरह से नंगा हो गया।
उसका लंड पूरी तरह खड़ा हुआ था और उसका सुपारा सुर्ख लाल लग रहा था।

जतिन ने अब मेरी स्कर्ट तथा टीशर्ट को पूरा उतार दिया; मुझसे सटकर उसने मेरे अधरों को चूमा और मुझे बांहों में लेकर मेरी ब्रा का हुक भी उसने खोल दिए और ब्रा को उतार कर एक तरफ फेंक दिया।

अब मैं भी पूरी तरह नंगी थी और चुदने के लिए अंदर से तैयार भी।

जतिन मेरे होंठों को चूसता हुआ नीचे उतरने लगा तथा उसने मेरी गर्दन को चूमा तथा इसके बाद वह मेरे स्तनों को सहलाते हुए चूत में लगा।

उसकी काम क्रीड़ा से मेरे अंदर भी ज्वाला प्रचलित होने लगी. मैंने भी उसे बांहों में भर लिया और उसके चुंबन का जवाब उसके बालों में उंगलियां घुमा कर देने लगी।

जब जतिन ने अपनी जुबान मेरी नाभि में डाली तो मैं जैसे कामवश में होकर मदमस्त हो गई।

जतिन ने पूरी मेहनत से मेरे पूरे शरीर को चूमा।

अब जतिन अपने लंड पर कंडोम चढ़ा कर मेरी टांगों के बीच में आकर बैठ गया। मेरी दोनों टांगें फैला कर जतिन ने अपना लंड मेरी चूत के छेद पर रखा कर धक्का लगाया.
लेकिन उसके लंड का निशाना चूक गया।

जतिन ने पुनः एक बार फिर से मेरी चूत में डालने का प्रयास किया लेकिन उसका लंड फिर से फिसल कर छेद में नहीं घुस पाया।

अब जतिन ने मेरी कमर के नीचे एक तकिया रखा और मेरी टांगों को फैला कर मोड़ दिया।
उसके ऐसा करने से मेरी चूत आगे से थोड़ी खुल गई और इस बार जब जब जतिन ने मेरी चूत पर लंड रखकर धक्का लगाया तो उसके लंड का टोपा मेरी टाइट चूत में घुस गया।

लेकिन मुझे थोड़ा दर्द होने लगा इसलिए मैंने जतिन से लंड बाहर निकालने को कहा।

जतिन ने अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरी चूत में थोड़ा तेल डालकर फिर से अपने लंड को अंदर डाला।

इस बार उसका लंड मेरी चूत में थोड़ा और अंदर तक चला गया और मुझे दर्द भी ज्यादा नहीं हुआ।

जतिन ने हल्के हल्के छह-सात धक्के और मारे तो उसे पूरा लंड मेरी चूत में डालने में सफलता मिल गई।

जब जतिन मेरी चूत में लंड डाल रहा था तब मुझे हल्का सा दर्द जरूर हुआ लेकिन कुल मिलाकर मुझे दर्द से ज्यादा मजा आ रहा था।

पूरा लंड चूत में घुसाने के बाद जतिन लंड को मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगा।

दोस्तो, बहुत जल्दी मेरी चूत को भी मजा आने लगा और मैंने अपनी दोनों टांगें जतिन की कमर के इर्द गिर्द लपेट दी और मैं भी नीचे से अपने चूतड़ को उछाल उछाल कर चुदाई का मजा लेने लगी।
जतिन अब पूरा मुझ पर लेट गया और उसने मेरी चुदाई जारी रखी।

कमरे में अब मेरे मुंह से निकलने वाले अस्फुट आह हहहां हम्मह के रूप में सीत्कार और लंड के अंदर बाहर होने से फच फच की आवाज होने लगी।

जतिन का लंड मेरी चूत में बहुत आसानी से अंदर बाहर हो रहा था. और दोस्तो, मुझे चुदाई में इतना मजा आ रहा था कि मन कर रहा था कि वह जिंदगी भर मेरी चूत में ऐसे ही फंसाए रखे।
बीच-बीच में मेरा बदन में लगता था और मेरी चूत से मुझे कुछ रिसाव सा महसूस होता था मैं समझ गई कि मैं बार-बार झड़ रही हूं।

थोड़ी देर के बाद जतिन मुझे बहुत तेजी से चोदने लगा और मुंह से अस्पष्ट आवाज निकालते हुए झड़ गया।

मेरे साथ साथ जतिन के भी दिल की धड़कन बहुत तेज धौंकनी की तरह चल रही थी।
जतिन ने मेरी चूत से तुरंत ही अपने लंड को बाहर निकाला और कंडोम को अपने लंड से हटाया।

जब जतिन ने लंड बाहर निकाला तो उसने देखा कि कंडोम पर कहीं भी मेरी चूत से खून नहीं लगा है जैसा कि पहली चुदाई में सामान्यत: निकलता है।

जतिन ने आश्चर्यचकित होकर मुझसे पूछा- डॉली, तुम पहले भी किसी का लंड ले चुकी हो क्या? तुम्हारी सील पहले से टूट चुकी है क्या?

तब मैंने जतिन को समझाया कि एकांत में कामवश होकर मैंने अपनी चूत में उंगली जरूर डाली है, लेकिन मेरी चूत का लंड से यह पहला साक्षात्कार है। कदाचित मेरी चूत में जब मैं उंगली डालती थी तो उस वजह से मेरी सील टूट गई हो और मुझे पहली चुदाई में होने वाला रक्तस्राव नहीं हुआ।

थोड़ी देर तक जतिन और मैं नंगे एक दूसरे की बांहों में लेटे रहे।

कुछ समय बाद मुझे सुसु करने की इच्छा हुई। जब वॉशरूम जाकर मैंने सुसु किया तब मैंने यह पाया कि मुझे ढेर सारा मूत्र आया तथा मूत्र विसर्जन के दौरान मेरी चूत से हल्की सी सीटी जैसी आवाज निकल रही थी।

कुछ समय बाद जतिन का लंड फिर से खड़ा हो गया और उसने एक बार फिर से संभोग की इच्छा जाहिर की।
मेरी चूत को सहला कर उसने फिर से मुझे गर्म किया।

एक बार फिर से मेरी चूत को जतिन के लंड से गर्म गर्म चुदाई का आनंद मिला।

मेरी दो बार चुदाई करके जतिन खुशी-खुशी वापस चला गया।

मेरी चूत में बहुत दिनों से जो लंड के लिए जो खुजली हो रही थी वह फिलहाल शांत हो गई।

जतिन के जाने के बाद मैं तीसरी बार नहाने के लिए गई और पूरे बदन को रगड़ रगड़ कर मैंने साफ किया।
मैंने ऐसा महसूस किया कि मेरे शरीर के अंदर से जतिन के बदन की खुशबू फिर भी आ रही थी।

बाहर आकर मैंने फिर से अपने नंगे बदन को आईने में देखा और मन ही मन अपनी चिकनी चूत को देख कर मुस्कुराने लगी।

चुदाई के बाद मुझे अपना शरीर बहुत हल्का लग रहा था और मैं खुशी खुशी सो गई।

अगले दिन मुझे जतिन ने फिर से चोदा और इसके बाद जब भी मौका मिलता था हम दोनों चुदाई का आनंद लेते थे।

दोस्तो, यह थी मेरी देसी फ्रेश चुत की चुदाई की दास्तान! मैं उम्मीद करती हूं, आपको अवश्य पसंद आई होगी।

आप सभी के कमेंट्स का मुझे बेसब्री से इंतजार रहेगा।
मेरा मेल आईडी है [email protected]
धन्यवाद।

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