मेरा फर्स्ट सेक्स कैसे हुआ था, इस कहानी में मैंने यही बताया है. वो मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड थी, उससे खूब चुदवाती थी. मेरी उससे दोस्ती हो गयी और बात सेक्स तक पहुँच गयी.
दोस्तो, मेरी सेक्स कहानी में आप सभी का स्वागत है.
कहानी के प्रथम भाग
दोस्त की गर्लफ़्रेंड को सेट किया
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैंने शिज़ा को अपने शहर में आने का कहा था. वो राजी भी हो गई थी.
अब आगे मेरा First Sex:
शनिवार का दिन था.
मैं सुबह से ही अपनी झांटें साफ़ करके शिज़ा के आने का इंतज़ार कर रहा था.
उसको सोचते हुए मैंने एक बार लंड को छुआ, तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने लंड को मसल मसल कर उसका पानी निकाल दिया.
वो शाम को सात बजे पहुंचने वाली थी तो मैं बस स्टैंड पर आधे घंटे पहले ही पहुंच गया.
क़रीब साढ़े सात बजे जब वो बस से उतरी तो काफ़ी थकी हुई सी लग रही थी.
मैं उसको एक रेस्टोरेंट में ले गया और वहां कुछ नाश्ता किया.
मैंने वहीं से दो लोगों के लिए खाना भी पैक़ करवा लिया.
क़रीब साढ़े आठ बजे हम दोनों ने एक रिक्शा लिया और अपने दोस्त के कमरे की तरफ़ चल दिए.
हॉस्टल पहुंच कर मैंने शिज़ा को फ़्रेश होने को बोला.
जब वो फ़्रेश होकर निकली, तो उसने एक टी-शर्ट और लोवर पहन रखा था.
इन कपड़ों में उसके चूचों और गांड का आकार पूरी तरह दिख रहा था.
उसकी तनी हुई चूचियों को देखकर मेरा लंड बहुत टाइट हो गया.
शिज़ा ने भी मस्ती के अंदाज़ में अपनी टी-शर्ट ऊपर उठा कर अपनी चूचियों के दर्शन करवाए.
उसकी नंगी चूचियां देखकर मैं अपने को रोक नहीं पाया और आगे बढ़कर उसकी चूचियों को मसल दिया.
वो कराह उठी.
उसकी ये अदा देखकर मैंने उसे वहीं बगल में चारपायी पर पटक दिया और उसकी मस्त 34 साइज़ की चूचियों को दबाने और चूसने लगा.
शिज़ा की भी चुदास बढ़ी हुई थी.
चूची दबवाते हुए वो सिसकारियां भरने लगी और तेज़ी से बड़बड़ाने लगी.
शिज़ा- आंह मेरी जान, मसल दो मेरी चूचियों को … खा जाओ इन्हें.
मैं- अरे जानेमन, बहुत मस्त चूचियां हैं तुम्हारी. आज तो इन्हें दबा के चूसूँगा.
शिज़ा- तो ज़ोर से दबाओ ना … और चूस लो.
इधर मेरा भी लंड मेरे पैंट में कड़क होकर उसकी जांघों पर रगड़ रहा था.
उसने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ा और ज़ोर से दबाने लगी.
शिज़ा की सांसें गहरी होने लगीं.
वह बीच बीच में ‘सी … सी इस्स …’ की आवाजें निकालने लगी.
मैंने मौका देखकर अपने होंठ में उसके होंठ ले लिए और चूसने लगा.
वह भी मेरा पूरा साथ देने लगी.
कुछ मिनट बाद जब हमारी सांसें फूल गईं तब हमने एक दूसरे के होंठों को छोड़ा और मैं उसके गालों को चूमने लगा.
मैं अपने हाथ से उसके पेट, नाभि को सहलाते हुए उसकी चूत को लोवर के ऊपर से मसलने लगा.
वह लगातार ‘सी … इ … आह … उम्म … इस्स …’ की मादक आवाजें निकाल रही थी.
अब मैंने उसे उठा कर उसका लोवर और टी-शर्ट दोनों को निकालकर फैंक दिया.
मेरे सामने वो सिर्फ काले रंग की पैंटी में थी.
उस काले रंग में उसका गोरा जिस्म बिल्कुल संगमरमर के पत्थर सा कसा हुआ एकदम चमक रहा था.
मैंने अपनी दोनों टांग फैलाईं और अपने हाथों से उसका सर पकड़ कर अपने लंड की तरफ कर दिया.
मैंने शिज़ा से कहा- जान, इसे आजाद करो.
शिज़ा ने मेरी पैंट का बटन खोलकर जिप नीचे की और मेरे कूल्हों से पकड़ कर मेरी पैंट चड्डी समेत नीचे कर दी.
मेरा फनफनाता लंड आजाद होकर ऊपर की ओर फड़फड़ा रहा था.
उसने अपने मुलायम हाथों से मेरा लंड सहलाया.
अहह … मैं तो उसके स्पर्श से सातवें आसमान पर पहुंच गया.
फिर मैंने अपने लंड को उसके होंठों पर लगाया, तो उसने अपना मुँह खोल दिया और मेरे गर्म गर्म लंड के टोपे को अपनी जीभ से चाटने लगी.
उसने दो तीन बार मेरे लंड के टोपे को ऊपर से नीचे तक अपनी गर्म गर्म जीभ से चाटा.
अब सिसकारियां लेने की बारी मेरी थी.
उसने मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
मेरे मुँह से आह … निकलने लगी.
सच में लंड चुसवाने में बड़ा मजा आ रहा था, जन्नत का सा आनंद आ रहा था.
पहली बार मेरे लंड को कोई छेद नसीब हुआ था.
क़सम से दोस्तो, वो पूरा मन लगा कर लंड मुँह में ले रही थी.
मैं बता नहीं सकता कि कितना मज़ा आ रहा था, दिल कर रहा था कि वो ऐसे ही अपनी जीभ से मेरे लंड को चूसती रहे.
मैं- अहह जान … ईईई और जोर से चूसो मेरे लंड को प्लीज़ … आंह खा जाओ मेरे लंड को … चबा जाओ.
अपने लंड को मैं धीरे धीरे उसके मुँह के अन्दर बाहर करने लगा और अपने दोनों हाथों से शिज़ा के गालों को मसल रहा था.
उसे भी जन्नत का मज़ा आ रहा था.
तब मैंने उससे कहा- शिज़ा, मेरे पूरे लंड को अपने मुँह में भर लो और जोर जोर से चूसो.
मैंने उसके सर को पकड़ा और कसके अपने लंड पर दबा दिया.
तभी शिज़ा ने मेरे दोनों कूल्हों को बहुत सख्ती से पकड़ा और अपने मुँह की तरफ ऐसे खींचने लगी जैसे वो मेरे लंड को पूरा खा जाना चाहती हो.
मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और ताबड़तोड़ उसके मुँह को अपने लंड से चोदने लगा.
क्योंकि यह मेरा पहली बार था तो मैं झड़ने वाला था.
मैंने ज़बरदस्ती उसके मुँह से लंड निकाला और तभी लंड ने पिचकारी छोड़ दी.
वास्तव में मुझे बहुत मज़ा आया.
इसके बाद वो बाथरूम चली गयी और मैं सुस्ताने लगा.
जब वह बाथरूम से आयी और मेरे बग़ल में लेटकर मेरे सीने की घुंडियों को हाथों से छेड़ने लगी.
बीच बीच में वो मेरे लंड को भी सहला देती थी.
थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से अकड़ने लगा.
अब मैं उसके ऊपर चढ़ गया.
मैंने उसके गोल गोल मस्त मम्मों को अपने हाथों में पकड़ा और एक को मुँह में भरकर चूसने लगा.
शिज़ा ‘सी … सी … आह … आह …’ की आवाजें निकाल रही थी.
दोनों बूब्स को मसलते और चूसते हुए मैंने अपना एक हाथ शिज़ा की चूत पर रख दिया.
वो अचानक से सिहर उठी और लम्बी आहें भरने लगी.
उसकी चूत पानी छोड़ रही थी और तप्त भट्टी की तरह गर्म हो रही थी.
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मैं शिज़ा की नाभि को अपनी जीभ से चाटता हुआ, अपनी जीभ उसकी गर्म चूत पर ले आया और उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही धीरे धीरे चाटने लगा.
उसकी पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी.
मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी. क़सम से उसकी चुत क्या मस्त फूली हुई सफ़ाचट थी.
जब मैंने उसकी चूत पर मुँह लगाया तो उसकी मस्त ख़ुशबू से मैं पागल होने लगा.
थोड़ी देर मैंने जीभ से चूत को चाटा.
फिर चूत की दोनों फांकों के बीच में अपनी जीभ डालकर चूत के दाने को सहलाने लगा.
शिज़ा अपने हाथों से मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगी.
वह पागल हुई जा रही थी.
बीच बीच में वो अपनी चूत को उठा कर मेरे मुँह पर रगड़ देती थी.
वो लगातार ‘सी … सी … ईस्स … आह … आह …’ की आवाजें निकाल रही थी.
कुछ मिनट बाद शिज़ा जोर से अकड़ी और उसने मेरा मुँह अपनी जांघों में भींचकर मेरा सर जोर से चूत पर दबा लिया.
मैं भी लगातार चूत चाटता रहा.
वो अचानक से ‘आह … आह … उम्म …’ करती हुई मेरे मुँह पर झड़ गई.
मैं उसका नमकीन पानी चाटने लगा, जो कि मैं थोड़ा तो चाट गया बाकी मुझसे नहीं चाटा गया, तो मैं हट गया.
कुछ पल बाद मैंने फिर से शिज़ा की चूत चाटना शुरू कर दिया.
उसे फिर से उत्तेजना होने लगी.
अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था. मैं जल्दी जल्दी से शिज़ा की चूत में अपना लंड उतार देना चाहता था.
लेकिन मैं पहली बार सारे मज़े लेना चाहता था इसलिए मैं अपना लंड शिज़ा की मोटी चूचियों के बीच रगड़ने लगा.
शिज़ा पहले से ही अनुभवी थी तो उसने अपने दोनों चूचियों को अपने हाथों से साइड से दबा दिया.
जब मेरा लंड ऊपर जाता, तो शिज़ा उसे अपने जीभ से चाटने की कोशिश करती. मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था.
थोड़ी देर बाद शिज़ा सिसकारी भरती हुई मुझे नीचे की तरफ़ धक्का देने लगी.
मेरा भी जोश बहुत ज़्यादा हो गया था इसलिए मैं उसकी चूचियों से लंड हटा कर नीचे आ गया.
मैं उसके ऊपर चढ़कर अपने हाथ से उसकी चूचियों को मसलने लगा और उसके होंठों को पीने लगा.
इधर वो मेरे लौड़े को अपने हाथ में लेकर अपने चूत के पास रगड़ने लगी.
उसकी चूत पर लंड रगड़ने से मेरा लौड़ा और तन गया.
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से लगा दिया और हथेलियों से उसकी मस्त चूचियों को भर कर रगड़ने लगा.
वो मस्ती में सिसकारियां लेने लगी.
जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत के छेद के पास पहुंचा, उसने नीचे से गांड उठाकर लंड को अपनी चूत में ले लिया.
लंड के चूत में जाते ही मुझे 440 वोल्ट का झटका लगा.
मैंने उसके होंठों को चूसना छोड़ कर उसे जकड़ लिया और अपना पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया.
उसने भी अपनी गांड उठाकर अपने दोनों पैर मेरे कमर के पीछे फंसा दिए.
मुझे इतना मज़ा आया कि मेरे मुँह से एक तेज सिसकारी निकल गयी.
धीरे धीरे मैंने उसकी चूत में झटके लगाना शुरू कर दिया.
वो भी अपनी गांड उठा उठा कर लंड को चूत में समाने लगी.
शिज़ा मस्ती में बड़बड़ाने लगी- आह जानेमन, मेरी चूत फाड़ दो … तुम्हारे लंड के लिए मैंने बहुत इंतज़ार किया है.
जैसे ही मैं उसकी चूत में लंड पेलता, वो अपनी गांड उठा कर लंड को अपनी चूत में अन्दर दबा लेने की कोशिश करती.
उसको चोदते हुए मैं उसकी चूचियों को ज़बरदस्त मसलने लगा था.
मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं आप लोगों को शब्दों में नहीं बता सकता.
क़रीब पांच मिनट की चुदाई के बाद उसने अपनी कमर उठा कर मेरे लंड को पूरा अपनी चूत में फंसा लिया.
मैं उसकी इस अदा को देखकर और जोर से लंड उसकी चूत में पेलने लगा.
तभी मुझे अपने लंड पर उसकी चूत का तगड़ा दबाव महसूस हुआ. ऐसा लगने लगा मानो मेरे लंड को किसी ने दबोच लिया हो.
वो मेरी गांड को अपने हाथों में पकड़ कर ज़ोर से अपनी चूत की तरफ़ दबाने लगी.
उसकी इस हरकत से मेरा लौड़ा पिचकारी छोड़ने को होने लगा.
मैंने उससे कहा कि मैं आने वाला हूँ.
ये कह कर मैं अपना लंड निकालने लगा क्योंकि मैंने कंडोम नहीं लगाया था.
उसने सिसकारी लेते हुए कहा- मैं अपनी चूत में लंड की पिचकारी महसूस करना चाहती हूँ. मुझे और ज़ोर से पेलो … आआह उम्मह अहह … हय याह यस यसस्स.
मैं समझ गया कि इसको माल का मजा लेना है.
अब मैंने बिंदास उसको और ज़्यादा रगड़कर चोदना शुरू कर दिया.
उसने मुझे और ज़ोर से कसके पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी.
शिज़ा- आह … मेरी चूत का भोसड़ा बना दो … इसके लिए मैं इतने दिन से तड़प रही हूँ … पेल दो अपना लंड … हाय बहुत मज़ा आ रहा है चोदो राज्ज्जा …आह.
मैं भी पूरे जोश में उसको चोदता रहा.
तभी शिज़ा चिल्लाती हुई झड़ने लगी और उसने मुझे कसके जकड़ लिया.
तभी मेरे लंड ने भी अपना लावा उगलना शुरू कर दिया.
शिज़ा ने मुझे इतनी ज़ोर से जकड़ रखा था कि मैं अपना लंड आगे पीछे नहीं कर पा रहा था.
मैंने उसकी चूचियां पकड़ कर उसे खूब ज़ोर से दबा दिया और और ज़बरदस्ती अपना लंड आगे पीछे करने लगा.
हम दोनों काफ़ी देर तक झड़ते रहे और उस पल का आनन्द महसूस करते रहे.
झड़ने के बाद मैं उसके ऊपर ऐसे ही लेटा रहा.
वो भी इतनी ज़ोर ज़ोर से सांसें ले रही थी कि लगता था कि कहीं बहुत दूर से दौड़ कर आयी है.
मेरे फर्स्ट सेक्स के बाद हम दोनों काफ़ी देर वैसे ही पड़े रहे.
थोड़ी देर बाद हम दोनों ने डिनर किया और एक दूसरे से लिपट कर लेट गए.
उस रात में मैंने उसे तीन बार चोदा.
मैं उसकी मस्त बड़ी बड़ी गांड भी मारना चाहता था लेकिन उसने किसी और दिन के लिए बोला.
सुबह मैंने उसे उसके शहर जाने वाली बस में बैठा दिया.
इसके बाद वो मुझसे रोज़ बात करने लगी.
मैं उसको एक महीने में 2-3 बार चोद ही देता था.
बाद में मैंने उसकी गांड भी मारी.
इसके बाद कालेज खतम होते ही मेरी नौकरी लग गयी.
मैंने उसको एक बार अपने पास बुलाया और तीन दिन तक चुदाई की.
कुछ दिनों बाद उसकी शादी हो गयी और मेरा भी दूसरी जगह ट्रांसफ़र हो गया.
दोस्तो, शिज़ा ने मुझे लड़कियों के बारे में बहुत सी बातें बतायी थीं जिससे मेरा आत्मविश्वास बहुत बढ़ गया था.
शिज़ा के द्वारा मिले अनुभवों की वजह से मैं जहां भी रहा, मुझे चूत की कमी नहीं रही.
तो दोस्तो, आपको मेरी ये मेरे फर्स्ट सेक्स की कहानी कैसी लगी?
मुझे मेल ज़रूर करें ताकि मैं आप सबसे, अपने बाद के अनुभवों को शेयर कर सकूँ.
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