दोस्त के पड़ोसी से गांड मरवा ली

गांड फाड़ गे चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैं टॉप और बॉटम दोनों हूँ. मेरा लंड बड़ा है पर मुझे गांड मरवाने में मजा आता है. मैंने अपने दोस्त के पड़ोसी से अट्टा बट्टा किया.

दोस्तो, मैं आपका प्यारा आजाद गांडू!
मेरी पिछली कहानी थी: मेरी मकान मालकिन ने मेरा लंड देख लिया

आज फिर से आपकी सेवा में एक Gand Faad Gay Chudai Kahani लेकर हाजिर हूँ.

दोस्तो, एक दिन मैं अपने दोस्त नितिन की गांड मारने उसके हॉस्टल में गया तो उसका पड़ोसी रूममेट सानू बरांडे में खड़ा था.

मैं नितिन से मिलने गया था पर उसका रूम बंद था.
मैं सानू को जानता था, वो मेरे ऑफिस में ही काम करता था.

मैंने उससे नितिन के बारे में पूछा कि ये कहां गया है?
सानू ने कहा- मुझे मालूम नहीं … मगर आइए, वो जब तक आता है, तब तक आप तब तक मेरे रूम में बैठें, कैसे आना हुआ … कोई खास काम?

मैंने कहा- बस ऐसे यूं ही गप्पें लगाने आया था.
सानू हंस दिया.

मैंने उसकी तरफ देखा तो वो बोला- मुझे मालूम है कि आप नितिन के साथ क्या गप्पें लड़ाते हैं.

मैं भी समझ गया कि सानू को मालूम है कि मैं नितिन की गांड मारने का मजा लेने आया था.

सानू- चलिए कमरे में चल कर बात करते हैं … नितिन से आपकी ज्यादा पटती है, वो बहुत चिकना माशूक है.
मैंने भी खुलते हुए कहा- यार, तुम भी कम स्मार्ट नहीं हो.

सानू- उस दिन सर को सपोर्ट करके बहुत हिम्मत दिखाई थी आपने.
मैं- अरे यहां अपने कोई रिश्तेदार तो बैठे नहीं हैं, एक दूसरे को सपोर्ट नहीं करेंगे, तो कैसे काम चलेगा.

सानू शरारत से मुस्कराया- हां वो तो है. आपने उस दिन बड़ा मस्त डायलॉग बोला था … वो क्या कहा था … एक बार फिर से कहिए ना?
मैं- अरे जाने दो यार … उस दिन जोश में कह गया.

सानू- सब ट्रेनी तब से दोहरा रहे हैं … एक बार फिर से कहो न!
मैं- मैंने कहा था कि अगर सर का बहुत सुरसुरा रहा था तो ‘मेरी’ में डाल देते.

सानू हंस पड़ा और बोला- अरे यार … ‘तुम्हारी’ में अब कौन डाल सकता है, पर अब भी तुम नमकीन तो हो.
मैं- क्या तेरा डालने का इरादा है तो मैं पैंट खोलूं!

ये कह कर मैं अपनी बेल्ट खोलने लगा.

सानू गर्म आवाज में बोला- डाल दूंगा, तो आपकी फट जाएगी.
मैंने भी उसे उकसाया- चल तो फिर डाल कर देख ले.

मैंने पैंट नीचे खिसकायी.

सानू- मेरा देखेगा?
मैं- हां दिखा.

वो मेरी आंखों में वासना से देखने लगा.
तभी मैंने उसके लंड पर हाथ मारा.
वह बरमूदा पहने था, मैंने ताकत लगाकर उसे एकदम नीचे खिसका दिया.

उसका लंड मेरे हाथ में आया तो मैंने लंड पकड़ कर मसक दिया.

सानू- आह धीरे कर यार … चल अब छोड़, देख लिया!
मगर मैंने लंड नहीं छोड़ा, बल्कि हाथ में लेकर दो तीन सड़का मारे तो वह लंड छुड़ाने लगा.

वो बोला- बड़े बेशर्म हो.
मैंने कहा- हां, तू तो बड़ा शर्मदार है, चल आ जा, अब मेरा पकड़ ले.

मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया, वह हटाने लगा तो मैंने अपने हाथ से उसका हाथ अपने लंड पर दबा दिया.

वो भी समझ गया और मजा लेने लगा.
उसका हाथ मेरे लंड को सहलाने लगा.
मेरा लंड खड़ा होने लगा.

फिर मैंने पैंट की चैन खोल कर उसके अन्दर उसका हाथ डाल कर बोला- अब बाहर निकाल ले.

उसने मेरी बात मानी और अन्दर से मेरा लंड अपने हाथ से निकाला.

वह घूरने लगा, तो मैं कहा- इसे छोड़ मत … पकड़े रह. तेरी गांड में भी लज्जत दे देगा.

वह मुस्कुराया और उसने मेरा लंड फिर से पकड़ लिया. अब वो लंड आगे पीछे हिलाने लगा.

मैंने कहा- जानते तो सब हो, चूतिया होने का दिखावा करके मुझे चूतिया बना रहे थे, कभी किसी का हथियार ऐसे पकड़ा है?
उसके दांत निकल आए.

मैं- चल ठीक से पकड़ … मुट्ठी से अच्छी तरह से मसल. ये कलम नहीं है, लंड है. जानते तो होगे.

अब सानू ने मेरे लंड मुट्ठी में ले लिया और सड़का मारने लगा.
मैं उसके लंड को पकड़े था.
वह खाट पर बैठ गया.
मैं उसके सामने स्टूल पर बैठ गया.

वह बार बार मेरे लंड को देख रहा था.
फिर शायद मन ही मन अपने लंड से मेरे लंड की तुलना कर रहा था.

मेरा लंड उसके लंड से डेढ़ गुना लम्बा और ज्यादा मोटा था.
मैं भी उससे तगड़ा था.
अब हम दोनों एक दूसरे का लंड थामे हिला रहे थे.

वह बोला- तुम्हारा हाथ तगड़ा है और रूखा है.
मैंने कहा- तेल लगाए लेते हैं. लाओ तेल ले आओ.

सानू- तेल नहीं है … क्रीम की शीशी है, वो सामने रखी है.
मैं क्रीम उठा लाया और अपने हाथ से उंगली में लेकर उसके लंड पर मल दी.

वह बोला- थोड़ी सी मुझे भी दे दो.
उसने अपनी उंगली में क्रीम ले ली.

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मैं शीशी बंद करके उठा और उसे वहीं टेबिल पर रखने को मुड़ा.
तभी वह अचानक उंगली मेरे लंड पर लगाने को हाथ बढ़ा चुका था, मेरे मुड़ने से उसकी उंगली की क्रीम मेरे चूतड़ पर लग गई.

मैं क्रीम टेबिल पर रख कर आया और उससे कहा- यार क्रीम तो सही जगह लगा दे.

उसने क्रीम चूतड़ पर से उंगली पर ले ली.
मैं उसके सामने खड़ा होकर उसकी तरफ पीठ कर ली और उसकी कलाई पकड़ कर उसकी क्रीम अपनी गांड पर उसकी उंगली रख दी.

मैं कहा- ले इधर मल.

वह झिझकते हुए गांड में क्रीम मल रहा था.
अब मैं अपने चूतड़ रख कर उसकी गोद में बैठ गया.
वह अपने हाथ से मुझे धकेल रहा था, पर मैं बैठ गया और उसका लंड पकड़ कर अपनी गांड पर टिका लिया.

फिर जरा गांड हिलाकर लंड सैट किया तो सुपाड़ा अन्दर चला गया और मैं जम कर बैठ गया.

वह फिर नखरे करने लगा- यार, तुम बहुत भारी हो.
मैं- अरे यार अब नखरे नहीं, धक्का दो.

उसने मुझको जकड़ लिया और बैठे बैठे धक्के देने लगा.
मैंने उसके गले में हाथ डाल कर उसका चुम्बन ले लिया.

वह फिर मुस्कराते हुए बोला– पक्के बेशर्म हो.
मैंने कहा- जब तक शर्म करते रहोगे … कुछ मजा नहीं मिलने वाला. अब तुम भी अपनी शर्म छोड़ दो और ढंग से मजा लो.

वो मेरी गांड मारने में लग गया.
दो चार मिनट के धक्कों के बाद वह रुक गया.
शायद उसका माल निकल गया था.
मेरी गांड में उसका रस गीला गीला लग रहा था.
साले ने लार सी टपका कर लंड झाड़ लिया था.

मैं समझ गया कि ये पक्का गांडू बनेगा और सिर्फ गांड मराने के काम का है. इसके लंड में किसी दूसरे की गांड मारने की दम नहीं है.

ये सब सोचते हुए मैं उठा और उसको खड़ा कर दिया.
वो समझ गया था कि अब उसकी बारी आ गई है. वो खाट पर फिर से बैठ गया.

मैंने टेबिल से क्रीम की शीशी लेकर अपने लंड पर पोती, कुछ क्रीम उंगली पर लगाई और उसे बांह पकड़ कर उठाया.

मैंने कहा- अब मेरी बारी है.
वह बोला- मैं नहीं करवाऊंगा, कभी करवाई नहीं.

मैं- मादरचोद, कभी करवाई नहीं है या शर्मा रहा है. आज मेरी मार ली है तब भी शर्मा रहा है. चल आ जा ज्यादा नखरे न कर.

मैंने उसे खड़ा किया और चुपचाप दीवार के पास खड़ा किया.
उसका चेहरा दीवार की ओर था, मेरी तरफ पीठ थी.

वो बार बार मंत्र की तरह दोहराए जा रहा था- मैं नहीं, मैं नहीं. मेरी फट जाएगी.

मैंने उसका बरमूडा पूरा नीचे खिसका कर अलग कर दिया.
फिर अंडरवियर भी नीचे करके उसे नंगा कर दिया.
वो मना भी कर रहा था और कपड़े भी उतरवा रहा था.

मैंने एक हाथ से उसकी कमर पकड़ी और घेरा बनाते हुए उसे अपनी तरफ कर लिया.
फिर क्रीम वाली उंगली से उसकी गांड पर क्रीम मलने लगा.

वो उन्ह आंह करने लगा.

मैंने उंगली उसकी गांड में डाल दी.
वह चिहुंक उठा.

मैंने महसूस किया कि गांड का छेद ढीला तो था मगर साले ने शायद अब तक गाजर मूली से ही का चलाया था या झूठ बोल रहा था कि लंड नहीं लिया है.
मैंने उससे पूछा- सच बता तेरी खुली सी है.

इस बार उसने हामी भर दी कि एक प्लास्टिक के लंड से गांड में मजा लिया था.
मैंने कहा- वो प्लास्टिक का लंड किधर है?

उसने बताया, तो मैंने उस प्लास्टिक के लंड पर क्रीम लगाकर सानू की गांड ढीली की.
कुछ देर में उसे गांड में मजा आने लगा.

कुछ देर बाद मैंने क्रीम से लिपटा लंड मैंने उसकी गांड पर टिकाया तो वह फिर से गांड सिकोड़ने लगा.

मैंने कहा- टाईट करोगे तो तुम्हें लगेगी, ढील दिए रहो … मैं लंड डाल रहा हूं.

बस ये कह कर मैंने सुपाड़ा अन्दर कर दिया, तो उसने अपनी गांड थोड़ी ढीली कर ली.

मैंने धक्का दिया तो लंड सटाक से अन्दर घुस गया.
वो एकदम से कराहा और उन्ह उन्ह करने लगा.

अब मैं रुक गया और उसका चुम्बन लेते हुए उसके लटके लंड को सहलाने लगा.
उसे मजा आने लगा.

मैं एक हाथ उसकी गोटियों को मसलता हुआ और दूसरे हाथ से उसकी छाती की घुंडी को मींज कर उसे मजा देने लगा.

वो खुद से अपनी गांड को मेरे लंड पर रगड़ने लगा.

मैंने लंड हिलाते हुए पूछा- कोई परेशानी तो नहीं हो रही.
वह मुस्कराया- साले ने पूरा लंड पेल दिया और पूछ रहा है कि परेशानी तो नहीं हो रही है. अब लंड चला … मेरी गांड हल्की हल्की चिनमिना रही है.

मैंने कहा- ढीली करे रहो, थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा.
वो- यार तुम करते रहे, तुम्हारे लंड से ढीली हो जाएगी.

मैंने कहा- साले गांड में लंड लेने में मजा आ रहा है और भोसड़ी के मुझे बच्चा समझ रहा है. कम से कम अब तो चूतिया मत बनाओ.
उसके दांत निकल आए, उसने पूरी तरह तो स्वीकार नहीं किया, पर बोला- तुम जो समझो, मगर अब काम पूरा करो.

मैंने कहा- मजा नहीं आ रहा, तो निकाल लूं?
वह चुप हो गया, तो मैं चालू हो गया.

मैंने धक्के शुरू कर दिए, लंड अन्दर बाहर अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
अब वह सहयोग कर रहा था.

मैंने इशारा किया तो उसने टांगें चौड़ी कर लीं और अपने आप आगे की ओर झुक गया. मैंने चुम्बन लिया तो मुस्कराने लगा.

वो आंखें हल्के से बंद करके शांत होकर लंड के धक्के झेल रहा था.
उसका चेहरा बता रहा था, उसे मजा आ रहा है.

थोड़ी देर बाद तो उसकी गांड में हरकत होने लगी.
वो थोड़ा स्लिम था पर नमकीन था और गांड मराने की आर्ट में एक्सपर्ट था क्योंकि सही जगह पर रिस्पोंस दे रहा था.

वह उम्र में भी कम नहीं था. चौबीस पच्चीस के लगभग का रहा होगा.

अब मेरे बदन में सनसनी होने लगी, बदन गर्म सा हो गया.
मैं उससे चिपक कर गांड फाड़ चुदाई करता रहा.

मैंने पूरा लंड डाल दिया तो वह ‘आह आह आ आ …’ करने लगा.

थोड़ी देर में पानी छूट गया.
हम अलग हुए.

मैं थक गया था तो उसकी खाट पर ही लेट गया.
वह कपड़े पहन कर खाट पर ही बैठ गया.

मैं जाने लगा और कहा- नाईस मीटिंग थैंक्यू.

तब तक नितिन आ गया, मैं उसे मार्केट से कुछ सामान दिलाने उसके साथ बाजार चल दिया.
बाद में आकर नितिन की गांड मारने का मजा लिया. वो अगली बार लिखूंगा.

मेरी इस देसी गांड फाड़ चुदाई कहानी के लिए आप मुझे मेल जरूर करें.
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