दो अजनबी लंड से गांड चुदाई का मजा

Gay Xxx गांड पोर्न स्टोरी में पढ़े कि मैंने स्टेशन के शौचालय में दो आदमियों को सेक्स करते देखा तो मैं भी घुस गया क्योंकि मैं भी गांड मारने मरवाने का शौकीन हूँ.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अजीत है. मेरी उम्र 25 साल है और मैं एक निजी क्षेत्र की कंपनी में काम करता हूँ.

मुम्बई के पास एक जगह है कल्याण, मैं वहीं का रहने वाला हूँ.

मैं एक बायसेक्सयुअल हूँ. मुझे जितना मजा चूत चोदने में आता है, उतना ही मजा गांड मारने और अपनी गांड मरवाने में आता है.

इधर काफी महीनों से मैंने सेक्स नहीं किया था.
न तो कोई लड़की मिली थी जिसकी चूत चुदाई का मजा लिया जा सके और न ही कोई गांडू सज्जन मिले थे, जिनसे अपनी गांड मरवा लेता या उन महोदय की गांड मार लेता.
बस … अपने हाथ से अपने लंड को सहला कर काम चला रहा था.

यह पिछले ही हफ्ते की बात है, जब मेरे लंड को तो नहीं, पर मेरी गांड को एक साथ दो लंड मिल गए थे जिससे मेरी कुछ बेचैनी कम हो गई थी.

इस Gay Xxx गांड पोर्न स्टोरी में उसी घटना का वर्णन है.

उस दिन मुझे चुदाई करने का बहुत ही ज्यादा मन कर रहा था, मैं बेचैनी से अपने लंड को सहला रहा था.

उधर मेरी गांड में भी कुलबुलाहट हो रही थी, गांड का अपना अलग राग बज रहा था.
उसे भी अपनी खुजली मिटाने के लिए लंड की दरकार थी.

उस दिन ऑफिस से निकलने में काफी देर हो चुकी थी. रात का 1 बज चुका था और मुझे जोरों की पेशाब लगी थी इसलिए मैं रेलवे के टॉयलेट के अन्दर चला गया.
वहां कोई नहीं था, सब सुनसान था.

तभी मैंने गौर किया कि बाजू के टॉयलेट के अन्दर से कुछ आवाजें आ रही थीं.
आवाजें कुछ मदमस्त का देने वाली थीं तो मैं शांत भाव से सुनता रहा.

उन आवाजों में चुदाई की मस्ती थी तो मेरे लंड में हरकत होने लगी.

थोड़ी देर बाद जब मुझसे न रहा गया तो मैंने बाजू के टॉयलेट के अन्दर झांक कर देखा तो वहां दो आदमी थे.
उनमें से एक नीचे झुक कर दूसरे का लंड चूस रहा था.

मैंने सोचा कि चुदाई करने का यही सबसे अच्छा मौका है.
तब मैंने अपने मोबाइल की टॉर्च जलाई और टॉयलेट के दरवाजे को धक्का दिया.

दरवाजा खुला ही था, मैं अन्दर चला गया.
उस रोशनी से उन दोनों को झांट असर नहीं हुआ.
वो मुझे देख कर न ही चौंके और न ही डरे.
दोनों ने अपना काम चालू रखा.

उसमें से जो बंदा अपना लंड चुसवा रहा था, वो काफी हट्टा-कट्टा लग रहा था.
उसका लंड देख कर तो मेरे भी होश उड़ गए. उसका इतना बड़ा लंड देख कर तो मेरे मुँह में भी पानी आ गया था.

तभी वो मुझ पर चिल्लाते हुए बोला- क्या है बे भड़वे … क्या देखने आया है यहां … चल निकल मादरचोद!
मैं उसके कहने के बाद भी वहां से हटा नहीं, उल्टा आज मैंने ठान ली थी कि आज तो मज़ा लेकर ही घर जाऊंगा.

मैं सीधा उसकी ओर गया और नीचे वाले बंदे को हटा कर उस हट्टे-कट्टे मर्द का लंड मुँह में लेकर चूसने लगा.

ये देख कर थोड़ी देर के लिए तो वो दोनों चौंके लेकिन कुछ देर बाद दोनों हंसने लगे.
वो पहलवान जिसका मैं लंड चूस रहा था, वो आह आह करते हुए मेरे सर को अपने लौड़े पर दबाने लगा.

“आह मादरचोद क्या चूस रहा है भैन के लंड … आह साले और अन्दर लेकर चूस भोसड़ी के गांडू!”
इसी के साथ वो अपनी कमर आगे करते हुए मेरे गले तक अपने लौड़े को पेलने लगा था.

उसका लंड वाकयी बड़ा दमदार था.
मैंने ऐसा लंड अभी तक नहीं चूसा था, मुझे गांड पोर्न में बहुत मज़ा आ रहा था.

मैं उसके लंड को अन्दर तक लेता और गले के अंतिम छोर तक लेकर गों गों करके लंड के सुपारे से अपने गले को टच कराने लगता.

फिर एकदम से लंड को होंठों से दबा कर चूसता हुआ बाहर तक लाता और उसको बाहर से चूसने लगता.
जब लंड को बाहर से चूसता तो सुपारे से जीभ फेरता हुआ लंड की जड़ तक जीभ को फेरता चला जाता.

लंड के सबसे नीचे आते ही मैं उसके दोनों गोटों को बारी बारी से चूसता और सहलाता.

जब एक गोटे को मुँह में भर कर चूसता तब दूसरे वाले अंडे को हाथ की मुट्ठी में भर कर दबाता और मुँह के अन्दर वाले को होंठों से दबा कर खींच कर चूसता.

मेरी इस हरकत से वो पहलवान की हालत खराब होने लगी और वो अपनी गांड सिकोड़ कर मेरे मुँह में अपने लंड को ऐसा फंसा सा महसूस करने लगा था मानो कोई मोटा चूहा किसी चूहेदानी में फंस गया हो और निकलने की जुगत में हो.

उसके मुँह से अपुष्ट शब्द निकल कर उसकी उत्तेजना को जाहिर कर रहे थे ‘आंह माँआआदर चोओद साले एए खाआ जाएगाआ क्या?’

तभी दूसरा वाला बोला- उस्ताद ये तो, ऐसा लगता है कि मुझे मजा ही नहीं लेने देगा?
मैंने उसकी बात सुनी तो हंस कर उस पहलवान का लंड मुँह से बाहर निकाल दिया और नशीली आंखों से उस दूसरे वाले को देखा.

वो मेरी तरफ किसी सौतेली लुगाई के जैसे देख रहा था.
मैंने कहा- ले, तू भी चूस ले ना!

तभी उस पहलवान ने मुझसे मेरे बारे में पूछा.
मैंने उसे अपने बारे में नाम सहित सब बताया.

अब कुछ देर के लिए चुसाई रुक गई थी और हम तीनों बातें करने लगे थे.

हम तीनों ने एक दूसरे को अपना परिचय दिया.
उस पहवान का नाम रमेश था और उसके दोस्त का नाम अखिलेश था.
दोनों वहीं के पहरेदार थे.

मैंने उनसे पूछा- आपको मैंने डिस्टर्ब तो नहीं किया, अचानक से आने के लिए माफी चाहता हूँ. लेकिन आज मुझसे रहा नहीं गया इसलिए मैं सीधा अखिलेश को हटाकर चूसने लगा.
मैं रमेश का लंड हिलाते हुए ही ये सब बात कर रहा था.

रमेश बोला- कोई बात नहीं, तीन में ज्यादा मज़ा आएगा.
अखिलेश भी लंड पकड़ने की कोशिश कर रहा था.

तब रमेश बोला- एक काम करो, तुम भी कपड़े उतार लो. यहां बाजू में मेरी गद्दी है. वहीं पर चल कर हम चुदाई का आनन्द लेते हैं.
ये कह कर वो मूतने लगा.

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मैंने भी अपने कपड़े उतार लिए.
उसे मूतता देख कर मैं भी उसके करीब चला गया और लंड देखने लगा.

उसके लंड से मूत की तेज़ धार निकल रही थी.
मैंने सीधे उसके लंड को पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और उसके लंड से निकलते उस नमकीन अमृत को पीने लगा.

उसने पूछा- क्या तुम्हें पेशाब पीना अच्छा लगता है?
मैंने उससे कहा- मैंने आज ही पहली बार पिया है, पर मज़ा आया.

रमेश बोला- तुम तो बड़े ही अजीब शौक पालते हो, चलो आज तो मैं तुम्हें अच्छे से चोदूँगा.
अब हम तीनों उसकी गद्दी के पास आ गए थे.

उधर उसने दारू की बोतल उठाई और ऐसे ही मुँह से लगा कर गटगट करके तीन चार घूँट लगा लिए.
उसके बाद उसने वो बोतल मेरी तरफ बढ़ा दी.

मैंने अभी तक नीट दारू कभी नहीं पी थी, तो मैं झिझका.

अखिलेश समझ गया.
उसने एक गिलास उठा कर दिया और मैंने उसमें एक पैग बना लिया.

अखिलेश ने पानी की बोतल मुझे थमा दी और मुझसे दारू की बोतल लेकर अपने मुँह से लगा ली.

वो दोनों नीट दारू पीने के आदी लगते थे.
दारू का दौर चलने लगा.

रमेश ने तीन बीड़ी सुलगाईं.
उसने एक मुझे थमाई और एक अखिलेश को थमा दी.
मैं बीड़ी भी पहली बार ही पी रहा था.

उसके बाद हम तीनों बात करने लगे.

रमेश बोला- तुझे इतना अच्छा लंड चूसना कैसे आता है … क्या कहीं से ट्रेनिंग ली है तूने?
मैंने कहा- नहीं, ट्रेनिंग व्रेनिंग कहीं से नहीं ली है. बस ऐसे ही चूसते चूसते सीख गया हूँ.

वो बोला- वाह … अच्छा ये बता कि अब तक कितनों के चूस चुका है?
मैंने कहा- मैं केवल चूसता ही नहीं हूँ. चुसवाता भी हूँ.

इस बार अखिलेश बोला- अच्छा मतलब तू देता भी और लेता भी है?
मैंने कहा- हां सही पकड़ा तूने … और सुन, मैं गांड चूत दोनों का ही शौकीन हूँ. मैंने एक से बढ़ कर एक चूतें चोदी हैं.

मेरी बातें सुनकर रमेश एकदम से उत्तेजित हो गया और बोला- अबे तो इसमें कौन सी बड़ी बात है. गांड मारने से ज्यादा सरल काम तो चूत चोदने का होता है.
मैंने कहा- हां रमेश भाई, तुमने सही कहा … लेकिन चूत को पटाना जरा मुश्किल होता है.

रमेश बोला- हां, तभी तो गांड मारना पड़ रही है. चल अब बकचोदी छोड़ और औंधा हो जा. तेरी गांड मारने का मन करने लगा है.
मैंने कहा- अरे यार अभी दारू का मजा तो ले लेने दो.

वो बोला- एक बार गांड में लंड ले ले फिर लंड लिए लिए पीते रहना … चल उठ और पहले लौड़ा चूस कर कड़क कर दे.
मैंने कहा- ओ के चलो सीधे बैठ जाओ.

उसने मुझे अपने सामने बिठा कर मेरे मुँह में लंड देना शुरू किया.
वो जोर जोर से मेरे मुँह में लंड दे रहा था.

तभी अखिलेश मेरे पीछे आया, उसने मेरी गांड के छेद को जीभ से चाटना शुरू कर दिया.
वो मेरी गांड को जीभ से चोद रहा था, मेरी गांड में उंगलियां डालकर अन्दर बाहर कर रहा था.

मेरी गांड में अजीब सी खुजली हो रही थी.

उधर रमेश सामने से अपना लंड मेरे मुँह में मेरे हलक तक लेकर जा रहा था.
मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी.

मैं सोच रहा था कि रमेश ही मेरी पहले मारेगा तो मैं बस अपनी गांड चुसाई का मजा ले रहा था.
मुझे अंदाज ही नहीं था कि अखिलेश मेरी गांड मारने की शुरुआत कर सकता है.

उसी वक़्त अखिलेश ने मेरी गांड में अपना लंड घुसा दिया.
मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ लेकिन चीखता भी कैसे, मेरा मुँह जो बंद था.

लगभग दस पंद्रह मिनट तक दोनों लगे रहे.
दर्द के मारे मेरी हालत खराब हो गयी थी.

और उसी वक़्त रमेश मेरे मुँह में झड़ गया. मैंने उसका सारा वीर्य पी लिया.
उसने अपना लंड निकाला और मुझसे सब साफ करवा लिया.

अब वो उल्टा घूमा और मुझे उसकी Xxx गांड साफ करने बोला.
मैंने उसकी गांड अपनी जीभ से अच्छे से चाट चाट कर साफ कर दी.

पीछे से अखिलेश मेरी गांड मारे ही जा रहा था.
तभी उसने बोला- मेरा निकलने वाला है.

मैंने बोला- आगे आओ मुझे मेरे मुँह में तुम्हारा रस चाहिए, मुझे पीना है.
उसने तुरंत अपना लंड मेरी गांड से निकाल कर मेरे मुँह में दे दिया और मेरे मुँह में अपना गाढ़ा रस छोड़ दिया.
मैं भी बड़े चाव से उसके वीर्य को पीने लगा.

फिर दोनों मेरे सामने आए और मुझ पर मूतने लगे.
मैं उनकी पेशाब में नहा रहा था, बीच बीच में उनका पेशाब पी भी रहा था.
उस दिन ऐसा लगा मेरी बरसों की तमन्ना पूरी हुई.
मैंने कभी किसी मर्द के साथ इतना आनन्द नहीं महसूस किया था.

उस रात हम तीनों ने एक दूसरे को चोदा.

रमेश ने तो मेरी गांड का भोसड़ा बना दिया था.
उसकी चुदाई कहानी को मैं अगले भाग में बताऊंगा.

तब तक के लिए आप से विदा लेता हूँ.
मेरी गे Xxx गांड पोर्न स्टोरी कैसी लगी, ये आप मुझे मेरी मेल आइडी पर बता सकते हैं.
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