दो गए तो तीन लंड मिले मुझे

गे सेक्स फक स्टोरी में जूनियर कॉलेज में मेरी दोस्ती दो लड़कों से हुई। वे मुझे खूब खिलाते पिलाते थे. मैं मोटा हो गया. फिर एक दिन उन्होंने मेरी गांड मारी, मुझे मजा आया.

कॉलेज के दिनों में दो दोस्त संजय की गांड मारा करते थे। बाद में दोनों दोस्त बिछड़ गए।
किस्मत और कोशिश से संजय को उसकी गांड की प्यास बुझाने के लिए तीन मर्द मिले।

यह कहानी मेरे पाठक संजय ने मुझे भेजी है।
उनकी अनुमति से मैंने इसे संपादित कर, थोड़ा और रंगीन और रोचक बनाकर आपके सामने पेश किया है।
यह संजय की अपनी जुबानी बयान की गई कहानी है।

संजय की Gay Sex Fuck Story, उसकी जुबानी:

मैं संजय हूँ। जब मैं 19 साल का था, जूनियर कॉलेज में बारहवीं कक्षा में पढ़ता था, तब मेरी दोस्ती दो लड़कों से हुई।

मैं गरीब घर से था, दुबला-पतला, गेहुँआ रंग का, जबकि वे दोनों अमीर घरों से थे, तगड़े और हट्टे-कट्टे।

बातचीत के दौरान वे मुझे गले लगाते, मेरे गाल चूमते, और मुझे यह सब अच्छा लगता था।

वे मुझे अंडे, फल और पौष्टिक खाना लाकर देते थे, कहते थे, “यह खाओ, तुम बहुत दुबले हो।”
मुझे अपने साथ जिम में कसरत कराते थे।

दो महीनों में मेरा शरीर भरने लगा, ताकत बढ़ने लगी।

हमारे कॉलेज में शनिवार और रविवार को छुट्टी होती थी।

एक शनिवार को दोनों मुझे एक फ्लैट में ले गए।

वहाँ उन्होंने मेरी शर्ट उतार दी, मुझे चूमने लगे, मेरे पुरुष चूचे दबाने लगे, निप्पल मरोड़ने लगे।
मुझे मजा आने लगा।

फिर उन्होंने कहा, “हमें तुम्हारी गांड मारनी है। क्या तुमने कभी गांड मरवाई है?”
मैंने जवाब दिया, “नहीं, मैंने कभी गांड नहीं मरवाई, बस इसके बारे में सुना है।”

उन्होंने मुझे नंगा करके पेट के बल लिटा दिया, खुद भी नंगे हो गए।
वे मुझसे बोले, “अपने कूल्हे हाथ से फैलाओ, गांड ढीली करो।”
मैंने वैसा ही किया।

उन्होंने नोजल वाली तेल की बोतल से मेरी गांड में तेल भर दिया।

एक दोस्त ने अपने लंड पर तेल लगाया और बोला, “शुरुआत में थोड़ा दर्द होगा, अपना मुँह तकिए में दबा ले, चीखना मत, उसके बाद मजा ही मजा है।”
उसने धीरे-धीरे लंड मेरी गांड में डालना शुरू किया।

मुझे दर्द हो रहा था, मैंने कहा, “दर्द हो रहा है।”
उसने पुचकारते हुए कहा, “थोड़ा सह ले।”

मैंने अपना मुँह तकिए में दबा दिया।
दोस्त ने पूरा लंड अंदर डालकर मेरे ऊपर लेट गया।

मुझे दर्द के साथ एक नया मजा महसूस हुआ, कुछ देर में दर्द कम हो गया।
मैंने कहा, “अब दर्द कम है।”

उसने धीरे-धीरे मेरी गांड मारना शुरू किया।
मुझे दर्द कम और मजा ज्यादा आने लगा।

उसने गांड मारने की स्पीड बढ़ा दी, करीब पाँच मिनट बाद मेरी गांड वीर्य से भर दी।

वह मेरे ऊपर से उतर गया।
मैं बाथरूम गया, गांड धोकर आया।

मुझे चलने में थोड़ी मुश्किल हो रही थी, मैं लेट गया।

कुछ देर बाद मुझे गांड खाली-खाली लगने लगी।

दूसरा दोस्त बोला, “अब मेरी बारी है।”
उसने लंड पर तेल लगाया और मेरी गांड मारने लगा।

वह भी पाँच मिनट में झड़ गया।

हमने लंड और गांड धोए, कपड़े पहने।

उन्होंने मुझे घर के पास छोड़ दिया।

अगली सुबह मल त्यागते वक्त थोड़ा दर्द हुआ, लेकिन शाम तक दर्द गायब हो गया।

उसके बाद हर शनिवार को हम पढ़ाई के बहाने उस फ्लैट में जाते।
स्मार्टफोन पर गे सेक्स वीडियो देखते, उसे आजमाते।

मैंने लंड चूसना, वीर्य पीना, मूत पीना सीख लिया।

दोनों दोस्त अलग-अलग आसनों में मेरी गांड मारते, बहुत देर तक टिकते।

मैं गांड मरवाते वक्त बिना लंड छुए झड़ जाता।

मैं घोड़ी बनकर पलंग के किनारे खड़ा होता, वे बारी-बारी फर्श पर खड़े होकर मेरी कमर पकड़कर गांड मारते, मेरे कूल्हों पर चाँटे मारते।

इसमें मुझे सबसे ज्यादा मजा आता था।

मेरे बदन के बाल उन्होंने ट्रिमर से साफ कर दिए।

दोस्तों ने मुझे स्कूटर चलाना सिखाया, ड्राइविंग लाइसेंस दिलवाया।
दो साल तक उन्होंने मेरी गांड मारी।

मैं सोचता था, गांड मरवाना भी अजीब चीज है— हर बार शुरू में दर्द होता है, बाद में मजा आता है।

एक बात बताना भूल गया, उनके लंड करीब 5 इंच लंबे और 1.5 इंच मोटे थे।

हम तीनों बारहवीं पास हो गए।
हमारे छोटे शहर में अच्छे कॉलेज नहीं थे, इसलिए वे दोनों बड़े शहर पढ़ने चले गए।

जाते वक्त उन्होंने अपना स्कूटर मेरे नाम कर दिया।
मुझे कहा, “सिर्फ हम दोनों तुम्हारी गांड मारते हैं, इसलिए कंडोम नहीं लगाते। अगर किसी और से गांड मरवाने की इच्छा हो तो कंडोम और के वाई जेली इस्तेमाल करना।”
उन्होंने मुझे यौन बीमारियों के बारे में बताया।

मैं नौकरी ढूँढने लगा।

मेरे पड़ोस का एक लड़का पास के बड़े शहर में नौकरी करता था।
जब वह घर आया, मैं उससे मिला।

उसने बताया कि वह ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी में डिलीवरी का काम करता है।

मेरे पास स्कूटर था तो मुझे भी वैसी नौकरी मिल सकती थी।
मैं उसके साथ गया, मुझे नौकरी मिल गई।

मैं उसके कमरे में रहने लगा।

छह महीने से काम कर रहा था लेकिन मुझे गांड मरवाने की इच्छा सताने लगी।
पड़ोसी को नहीं बता सकता था, वरना उसने घर में बता दिया तो मुश्किल हो जाती।

मैं अकेले में मोमबत्ती गांड में डालकर मुठ मारता, पर उसमें गांड मरवाने जितना मजा नहीं आता था।

गर्मी के दिन थे।
एक रात आठ बजे मैं आखिरी डिलीवरी करने एक फ्लैट में गया।

एक युवक ने दरवाजा खोला, सामान लिया और बोला, “पानी पिएगा?”
मैंने हाँ कहा।
वह बोला, “अंदर आकर बैठो।”
कमरे में एक और युवक था।

दोनों 20-22 साल के लग रहे थे।
उसने पानी और नाश्ता लाकर दिया।

उन्हें देखकर मुझे कॉलेज के दोस्त याद आ गए, जो मेरी गांड मारा करते थे।

मैं उनके पैंट की तरफ देखने लगा, सोचने लगा, “इनका लंड कैसा होगा, काश ये मेरी गांड मारें।”

उन्होंने पूछा, “नाम क्या है, कहाँ रहते हो, कितनी डिलीवरी बाकी है?”

मैंने कहा, “मेरा नाम संजय है। यहाँ से 20 किलोमीटर दूर दोस्त के साथ रहता हूँ। यह आखिरी डिलीवरी है।”
मैंने धन्यवाद कहा और स्कूटर की तरफ गया।

दोनों मुझे देख रहे थे, आपस में कुछ बात कर रहे थे।

मैंने जानबूझकर स्कूटर शुरू न होने का नाटक किया; चाबी लगाई, पर ऑन नहीं किया।

उनके पास जाकर बोला, “कोई मैकेनिक मिल सकता है? स्कूटर शुरू नहीं हो रहा।”
उन्होंने कहा, “इतनी रात को नहीं मिलेगा।”
वे मुझे बैठक में ले गए।

एक युवक बोला, “क्या तुम बॉटम हो? तुम हमारे लंड की तरफ देख रहे थे।”
मैंने सोचा, यही मौका है।
मैंने कहा, “कॉलेज में दो दोस्त मेरी गांड मारा करते थे। वे दूसरे शहर पढ़ने चले गए। मैं यहाँ छह महीने से नौकरी कर रहा हूँ, यहाँ कोई टॉप नहीं मिला।”

एक युवक बोला, “तुम्हारी कहानी हमारी जैसी है। हम तीनों कॉलेज में एक लड़के की गांड मारते थे। इस शहर में हमें बॉटम नहीं मिला। हमारा तीसरा दोस्त रेस्तराँ में है। हम तीनों मिलकर रेस्तराँ चलाते हैं। आज रात यहीं रुक जाओ, मजे करेंगे।”
मैं राजी हो गया।

मैंने कहा, “कंडोम और के वाई जेल का इस्तेमाल करना होगा, सुरक्षित सेक्स के लिए।”
एक युवक बोला, “मेरा नाम सुनील है।” अपने दोस्त की तरफ इशारा कर बोला, “यह अनिल है। तीसरा दोस्त विजय रेस्तराँ में है, रात को आएगा।”

सुनील बोला, “मैं कंडोम वगैरह ले आता हूँ। संजय, तुम नहा लो।”
मुझे बरमूडा और टी-शर्ट दी।

मैं नहाकर आया।
अनिल विजय को फोन पर मेरे बारे में बता रहा था।

सुनील आते ही मुझे बेडरूम ले गया, मेरे कपड़े उतारे।

कॉलेज के दोस्तों ने मेरे चूचे दबाकर-चूसकर फुला दिए थे।
सुनील उन्हें देखकर खुश हुआ, चूचे दबाने, निप्पल मरोड़ने लगा।

मैं उत्तेजना से सिसकारियाँ लेने लगा।

उसने मुझे मिशनरी पोजीशन में लिटाया।
मैंने गांड में जेल लगाया, चित लेटकर पैर छाती की तरफ उठाकर पकड़ लिए।

सुनील नंगा होकर लंड पर कंडोम लगाने लगा।

उसका लंड मेरे कॉलेज के दोस्तों जितना लंबा लेकिन ज्यादा मोटा था।
उसने मेरे ऊपर आकर लंड गांड में पेल दिया।

छह महीने से मैंने गांड नहीं मरवाई थी, गांड टाइट हो गई थी, दर्द हुआ।

वह गांड मारने लगा, थोड़ी देर में मजा आने लगा।
करीब 15 मिनट बाद वह कंडोम में झड़ गया।

सुनील के जाते ही अनिल आया।
मैं बिस्तर पर लेटा था।

उसने मुझे पेट के बल लिटाया।

मैंने कूल्हे फैला दिए।
अनिल ने कंडोम लगाकर मेरी गांड मारी।

उसका लंड लंबा और पतला था, बहुत अंदर तक जा रहा था।
मैं सिसकारियाँ ले रहा था।

सुनील बोला, “मजा आ रहा है?”
मैंने कहा, “बहुत।”

गांड मारने की गति बढ़ गई, अनिल झड़ गया।

मुझे कपड़े पहनने को कहा।
चलते वक्त थोड़ी मुश्किल हुई।

थोड़ी देर में विजय आया।
अनिल ने मेरा परिचय कराया।

सबने साथ डिनर किया।

आधे घंटे बाद विजय मुझे अपने बेडरूम ले गया।

मुझे नंगा करके पलंग के पास खड़ा किया, हाथ पलंग पर रखने को कहा।

मैं घोड़ी बनकर खड़ा था।

विजय ने लंड पर कंडोम और जेल लगाया।

उसका लंड सबसे लंबा और मोटा था।
वह मेरे कूल्हों पर चाँटे मारकर गांड मारने लगा।

बड़े लंड, जोरदार चुदाई और चाँटों से मैं बिना लंड छुए झड़ गया।
विजय ने काफी देर गांड मारी।

मैं बाथरूम से आकर सो गया।
आज गांड मरवाकर मैं तृप्त हो गया था।

सुबह सबके साथ नाश्ता किया, एक-दूसरे का मोबाइल नंबर लिया, फिर आने का वादा कर काम पर चला गया।

हफ्ते में एक-दो बार पार्सल डिलीवर करने उनके इलाके जाता, रात रुकता।

सुनील, अनिल, विजय मेरी गांड मारते।

एक महीने बाद अनिल बोला, “हम तीनों को कंडोम लगाकर मजा नहीं आता। हमारा प्रस्ताव है संजय, तुम्हारी डॉक्टरी जाँच करा लो। अगर कोई यौन बीमारी नहीं है तो बिना कंडोम मजा करेंगे। तुम हमारे साथ रहोगे, रेस्तराँ में काम करोगे। अभी जितनी तनख्वाह मिलती है, उससे ज्यादा देंगे।

मैंने कहा, “मुझे भी कंडोम से मजा नहीं आता। लेकिन आप तीनों भी जाँच कराओ, तो मैं तैयार हूँ।”

हम चारों अलग-अलग डॉक्टर के पास गए, कहा, “शादी होने वाली है, जाँच करानी है कि कोई यौन या अन्य बीमारी तो नहीं।

डॉक्टर ने जाँच की, खून के नमूने लिए, बोला, “अगर बिना कंडोम सेक्स किया है तो तीन महीने बाद फिर जाँच करानी होगी, एड्स के लिए।
हमने कहा, “छह महीने से बिना कंडोम सेक्स नहीं किया।”
रिपोर्ट आई, हम चारों को कोई बीमारी नहीं थी।

मैं उनके साथ रहने गया।
सुनील, अनिल फ्लैट में थे।

सुनील मुझे एक बेडरूम में ले गया, मेरा सामान अलमारी में रखकर बोला, “संजय, तुम इस बेडरूम में रहोगे।”
फ्लैट में तीन बेडरूम थे।

सुनील ने मेरा माप लिया, मुझे ब्यूटी पार्लर ले जाकर शरीर के अनचाहे बाल वैक्सिंग से हटवा दिए, बॉडी क्रीम दी।
पहली बार मैंने सुनील को बताया था कि सेक्स के वक्त खुद को लड़की महसूस करता हूँ। उसे यह याद था।

सुनील मुझे लड़कियों के कपड़े की दुकान ले गया।
मेरे माप की ब्रा, पैंटी, मिनी स्कर्ट, बिना बाजू की टी-शर्ट खरीदी।

मेकअप का सामान और नकली गहने लिए।
सुनील शौकिया नाटक में काम कर चुका था।

फ्लैट में उसने मुझे नए कपड़े पहनाए, मेकअप किया, गहने पहनाए।

मैं आईने में खुद को नहीं पहचान पाया … मैं एक सुंदर लड़की लग रहा था।

अनिल मुझे लड़की के रूप में देखकर खुश हुआ।
बाद में मैंने मेकअप सीख लिया।

सुनील मेरे होंठ चूमने लगा।
जल्द ही हम फक गे सेक्स के लिए नंगे हो गए।

उसने मिशनरी पोजीशन में बिना कंडोम लंड पर तेल लगाकर मेरी गांड मारी, गांड वीर्य से भर दी।

मुझे सुकून मिला, जैसे गर्मी के बाद बरसात।
फिर अनिल ने मुझसे लंड चुसवाया, घोड़ी बनाकर बिना कंडोम गांड मारी।

मुझे लड़कों के कपड़े पहनाकर रेस्तराँ ले गए, सबसे नए कर्मचारी के रूप में परिचय कराया, काम समझाया।

वे बारी-बारी दो शिफ्ट में काम करते— सुबह 6 से दोपहर 2 बजे, दोपहर 2 से रात 11 बजे।
तीसरा दोस्त खरीददारी करता।

मुझे सुबह की शिफ्ट मिली।

सुनील मुझे घर ले आकर फिर लड़की बना देता।
अनिल रेस्तराँ जाता।

दोपहर ढाई बजे विजय आया। मेरे लड़की रूप को देखकर मुग्ध हो गया, मुझे चूमकर बोला, “रात तुम मेरे साथ रहोगी।”

डिनर के बाद मैं विजय के बेडरूम गया।
हम एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे। उसने मुझे घोड़ी बनाकर पलंग के पास खड़ा किया, कूल्हों पर चाँटे मारते हुए बिना कंडोम घमासान गांड मारी।

हमने गांड-लंड धोकर सो गए।

सुबह मैंने विजय का लंड चूसकर वीर्य पी लिया।
नहाकर अनिल के साथ रेस्तराँ काम करने गया।

रोज मेरी गांड मारी जाती।

तीनों मेरे लिए लड़कियों के कपड़े खरीदने की होड़ में लग गए।
मुझे साथ ले जाते, साड़ी, सेक्सी ब्लाउज, वेस्टर्न ड्रेस, ब्रा, पैंटी खरीदते, रुपये देते, जैसे मैं उनकी पत्नी हूँ।

एक साल बीत गया।
फिर कोविड शुरू हुआ।

रेस्तराँ में ग्राहक कम हो गए।
24 मार्च 2020 को आधी रात से लॉकडाउन की घोषणा हुई।

हमने रेस्तराँ का कच्चा माल कार में भरा, तैयार खाना कुछ लिया, कुछ नौकरों में बाँट दिया।

अनिल, सुनील, विजय को दिन भर साथ रहने का मौका नहीं मिलता था।

उन्होंने तय किया कि शाम को शराब पार्टी करेंगे।
घर में काफी बोतलें थी।
उन्होंने चखना बनाया।

शाम को पार्टी शुरू हुई। मैं उनकी फरमाइश पर ब्रा, पैंटी, स्कर्ट, ब्लाउज, मेकअप में तैयार हुआ।

मैंने कभी शराब नहीं पी थी।
तीनों बारी-बारी मुझे गोद में बिठाकर अपने गिलास से शराब पिलाने लगे, मेरे होंठ चूमने, चूचे दबाने लगे।

दूसरे पेग में मुझे सिर्फ ब्रा-पैंटी में गोद में बिठाकर पिलाया। मुझे उनका प्यार पाकर खुशी हो रही थी।

मैंने कहा, “मैं और नहीं पी सकता।”
तीसरे पेग में उन्होंने मुझे नंगा कर दिया, खुद भी नंगे हो गए, बोले, “सबके लंड चूसो।”
तीनों ने मेरा सिर पकड़कर लंड गले तक डालकर वीर्य पिला दिया।

हल्के डिनर के बाद तीनों मुझे बेडरूम ले गए।
एक ने मुझे घोड़ी बनाकर गांड मारी, दूसरा मुँह चोद रहा था, तीसरा चूचे दबा रहा था, निप्पल मरोड़ रहा था।
वे जगह बदलते रहे।

थोड़ी देर पहले लंड चुसवाकर झड़े थे, इसलिए बहुत देर टिके।

मैं थककर नंगा सो गया।
मेरी गांड की शामत आ गई थी।

अगले दिन नाश्ते के बाद तीनों गे वीडियो देखकर तय करने लगे कि क्या करना है।

मैं उनकी फरमाइश पर साड़ी-ब्लाउज पहने था।

तीनों ने मुझे घेर लिया।
सुनील-अनिल मेरे चूचे दबाने लगे, विजय मेरे होंठ चूसने लगा।

मैं उत्तेजित हो गया। सभी नंगे हो गए।
मैंने उनके लंड चूसे।

विजय पलंग पर चित लेट गया, उसका शरीर कमर तक पलंग पर था, पैर फर्श पर।

मुझे उसके लंड पर तेल लगाकर, उसकी तरफ पीठ करके लंड की सवारी करने को कहा।

मैं लंड गांड में लेकर उछल रहा था।

विजय ने मुझे पकड़कर अपने ऊपर लिटा लिया।

अनिल ने मेरे पैर पकड़कर आसमान की तरफ कर दिए।
सुनील लंड लहराते आया, मेरे पैर कंधों पर रखकर मेरी गांड में लंड पेल दिया।

दो लंड एक साथ मेरी गांड में गए, मैं दर्द से चीखने लगा।
अनिल ने मेरा मुँह हथेली से बंद कर दिया।
सुनील के बाद अनिल ने गांड मारी।

मेरी गांड में तेज दर्द था, मैं गांड पर हाथ रखकर सुबकने लगा।

अनिल ने बर्फ से सेंक कर कहा, “नशे में हम ज्यादा जोश में आ गए।”
मुझे दर्द निवारक दवा दी।
मैं सो गया।

सुबह चलने में मुझे तकलीफ हुई। दिन भर आराम किया, दवा ली। शाम तक दर्द खत्म हो गया।

शाम को जब तीनों पीने बैठे, मैं शामिल हो गया।
मेरी गांड खुजलाने लगी।

उनके पूछने पर मैंने कहा, “मैं तैयार हूँ, पर दो लंड एक साथ नहीं।”
तीनों ने मुझसे लंड चुसवाए, मेरी गांड प्यार से मारी।

अगले दिन से हम चारों गे वीडियो देखते।
जो पसंद आता, वैसा करते।

मुझे रफ सेक्स में मजा आने लगा।

मिशनरी पोजीशन में गांड मारते वक्त अनिल ने कहा, “मुँह खोलो।” उसने मेरे मुँह में थूक दिया, मैंने पी लिया।
बाद में सुनील-विजय ने भी ऐसा किया।

हमने बीडीएसएम वीडियो देखा, सबको पसंद आया।
तीनों सोफे पर नंगे पैर फैलाकर बैठते।
मैं नंगा होकर सोफे पर हाथ रखकर झुकता, उनके लंड चूसता।
वे मेरे कूल्हों पर बेल्ट से मारते।
पिटने से मैं और जोश में लंड चूसता।

मुझे चित लिटाकर आँखों पर पट्टी बाँधते, हाथ पलंग से बाँध देते। मेरे पैर कंधों पर रखकर लंड गांड में डालते, पूछते, “बताओ, किसका लंड है?” गलत बताया तो सजा मिलती—निप्पल मरोड़े जाते, गाल पर हल्के थप्पड़ पड़ते।

मैं मुँह खोलता, वे मुँह में थूकते।

हम गुलाम की नीलामी का खेल खेलते।

बेडरूम में एक खाली हुक था। मुझे नंगा कर रस्सी से हाथ ऊपर बाँधते, चूचे चूसते।
मेरी नीलामी होती, जो जीतता, पहले गांड मारता।

चोदने के बाद बाथरूम में बिठाकर मेरे मुँह में मूतते, मैं पी जाता।

मैं दिन भर लड़कियों के भेष में रहता।
मेरे चूचे और बड़े हो गए।

हर दिन तीनों मेरी गांड कम से कम दो-दो बार मारते। 6-7 बार गांड मरवाने से मेरी गांड खुल गई।

मैं कभी-कभी उनसे एक साथ दो लंड गांड में डालने को कहता।

जब लॉकडाउन खत्म हुआ तो रेस्तराँ खुल गया।

मैं उनके साथ तीन साल से हूँ।
हर तीन महीने में वैक्सिंग से शरीर के बाल साफ करवाता हूँ।

दो जन शाम को घर आते, जब मर्जी होती, मेरी गांड मारते, लंड चुसवाकर वीर्य पिलाते।
जो दूसरी शिफ्ट में होता, रात 12 बजे आता। थका होता, मूड हुआ तो लंड चुसवाता, वीर्य पिलाता, मुझे लंड की सवारी करने को कहता।

एक दिन मैंने पूछा, “जब तुम तीनों शादी कर लोगे, मेरा क्या होगा?”
उन्होंने कहा, “तुम्हारे लिए अलग फ्लैट लेंगे। तुम हम तीनों के रहोगे। तुम्हारे साथ जितना यौन आनंद करते हैं, बीवी इसके लिए राजी नहीं होगी।”

मैं मेहनत से काम करता हूँ। उनका मैनेजर बन गया हूँ, प्रॉफिट में हिस्सा मिलता है।
हम एक और रेस्तराँ खोलने की सोच रहे हैं।

आपको गे सेक्स फक स्टोरी कैसी लगी, बताएँ। मेल भेजते वक्त कहानी का नाम “दो गए तो तीन लंड मिले मुझे” लिखें, क्योंकि मैंने कई कहानियाँ लिखी हैं।
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लेखक की अगली कहानी: गाँव की बहू की चूत में लंड की होली

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