दीदी की जेठानी और उसकी बहन को चोदा

कार सेक्स का मजा मैंने लिया दो लड़कियों के साथ. दोनों सगी बहनें थी और मेरी बहन की रिश्तेदार थी. मैं बहन के घर गया तो मुझे वे अच्छी लगी और उनको मैं पसंद आ गया.

दोस्तो, मैं आपका दोस्त सैम एक बार फिर हाज़िर हूँ. मैं अपनी ज़िंदगी की एक ओर घटना अपने शब्दों में आपके सामने रख रहा हूँ … आनन्द लीजिए.

मेरी पिछली कहानी
1st क्लास ट्रेन में दीदी के साथ सेक्स
में आपने पढ़ा कि मैं अपनी दीदी को उनकी ससुराल छोड़ने जा रहा था. तो मैंने चलती ट्रेन में बहन की गांड मारी!

अब आगे Car Sex With Two Girls :

हम दोनों (मैं और दीदी) जब स्टेशन से दीदी की ससुराल जा रहे थे तो दीदी ने बताया कि चार महीने पहले उनके जेठ की दूसरी शादी हुई है. उनकी दूसरी बीवी एकदम चकाचक बम माल है. पहली बीवी से जेठ जी को बच्चा नहीं हुआ तो शादी के सात साल बाद उन्होंने उसे तलाक दे दिया है. अब जो दूसरी वाइफ है, वो मुंबई की है और जेठ जी के साथ ही उनकी कंपनी में फाइनान्स डिपार्टमेंट में थी. उसका नाम प्रेरणा है.

यही सब बात करते करते हम दीदी की ससुराल पहुंच गए.

दीदी की ससुराल बहुत पैसे वाला घराना था. हम लोगों ने भी इसी लिए जल्दी से शादी कर दी थी.

जब हम घर पहुंचे तो दीदी की सासू मां और जेठ अस्पताल के लिए निकल रहे थे.
दीदी ने उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया.
तो दीदी की सासू मां ने हमें आराम करने के लिए कहा और ये भी कहा कि तुम शाम को अस्पताल आ जाना.

फिर सासू मां चली गईं.

हम दोनों ने जब घर में प्रवेश किया तो दीदी की जेठानी प्रेरणा और उनके साथ एक और खूबसूरत लेडी बाहर आई.
प्रेरणा, दीदी से गले मिली और बोली.

प्रेरणा- ये है मेरी बहन नैना!
दीदी- और ये है मेरा छोटा भाई समर्थ, प्यार से हम सब इसे सैम कहते हैं.

प्रेरणा ने मुझसे हाथ मिलाया और उसके बाद नैना ने भी.
कुछ मिनट बाद दीदी अपने कमरे में चली गईं जो इस बंगले की पहली फ्लोर पर था.

दीदी की ससुराल का घर एक तीन मंजिल का बंगला था. दीदी और उनकी जेठानी पहले फ्लोर पर रहते थे और उसी फ्लोर पर गेस्ट रूम भी था.
गेस्ट रूम में नैना रुकी हुई थी.

दीदी अपना सामान बेडरूम में रख कर आ गईं और मुझे दूसरे गेस्ट रूम में ले गईं.
लेकिन वहां पर वॉशरूम नहीं था तो मुझे पहले फ्लोर का कॉमन वॉशरूम यूज करना था.

जब दीदी मुझे गेस्ट रूम में ले गईं तो मैंने दीदी से कहा- दोनों एकदम हॉट हैं.
दीदी- हां, दोनों एकदम गर्म हैं. मेरे जेठ भी मेरे हज़्बेंड के जैसे पूरा दिन पैसे के पीछे भागते रहते हैं.

मैं- ट्राइ मारूं क्या?
दीदी- संभाल कर, ये मेरा ससुराल है.
मैं- चिंता मत करो दीदी … सब कुछ आराम से करूंगा.

इतना बोल कर मैंने दीदी के होंठ चूम लिए और उनके एक दूध को हल्के से दबा दिया.
दीदी ने गुस्से से मेरी ओर देख कर एक आंख मारी और बाहर चली गईं.

दीदी बाहर गईं तो मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और अपने बैग से तौलिया निकाल कर फ्रेश होने बाहर के कॉमन बाथरूम में चला गया.
कॉमन बाथरूम में मैं वहां नहा रहा था कि तभी अचानक से किसी ने दरवाजा खोल दिया.

मैं पूरा नंगा था.
उस समय मेरा लंड पूरा खड़ा था और जब मैंने देखा, तो नैना दीदी सामने खड़ी थीं और मेरे लंड को बड़े गौर से देख रही थीं.
मैंने कुछ भी रिएक्ट नहीं किया और न ही अपने लंड को छिपाने का प्रयास किया.

जल्दी ही दरवाजा बंद हो गया और मैं नहाने में मस्त हो गया.
बस मेरे लंड को नैना की चूत की आस जाग गई थी.

कुछ समय बाद जब मैं नहा कर बाहर आया तो नैना और प्रेरणा दोनों ही मेरी तरफ देख कर हंस रही थीं.

हॉल में उस समय कोई भी नहीं था सिर्फ़ मैं, नैना और प्रेरणा थे.

नैना- कैसे हो? किसको याद कर रहे थे?
मैं- आप ही को याद कर रहा था. आप हो ही इतनी खूबसूरत!

प्रेरणा- और मैं?
मैं- वो शेर हैं तो आप सवा शेर हैं … आपका फिगर तो क़यामत है.

प्रेरणा- तो क़यामत से दूर रहा करो.
मैं- हम तो क़यामत को गले लगा कर रहते हैं.

प्रेरणा- हमको कब गले लगाओगे?
मैं- जब बोलो तब गले लगा लूंगा.
प्रेरणा- ठीक है, समय आने पर देखेंगे.

मैं- और समय कब आएगा?
प्रेरणा ने मुस्कुरा कर कहा- बहुत जल्द.

जब मैंने देखा तो दीदी अपने रूम से मुझे देख रही थीं और मुस्कुरा रही थीं. दीदी ने हमारी सारी बातें सुन ली थीं.

मैं अपने रूम में गया और कपड़े चेंज करने लगा.
कपड़े चेंज करके मैं हॉल में पहुंचा तो दीदी, प्रेरणा और नैना शाम का नाश्ता और चाय लेकर बैठी थीं.

दीदी ने मुझे भी चाय, चकली और ड्रायफ्रूट के अलावा खाने के लिए और भी काफ़ी सारी चीज़ें परोस दी थीं लेकिन मैंने सिर्फ़ ड्रायफ्रूट खाए और चाय पी.

बाद में दीदी ने ड्राइवर से कहा कि वो गाड़ी निकाल ले. सब पिताजी (दीदी के ससुरजी) को देखने अस्पताल जाएंगे.

जब हम गाड़ी के पास पहुंचे तो दीदी ड्राइवर के बाजू में आगे बैठ गईं और मुझे प्रेरणा व नैना के बीच में बैठा दिया.

नैना और प्रेरणा के बूब्स मेरे बाइसेप्स को टच हो रहे थे.
कुछ देर बाद वो दोनों अपने बूब्स मेरे बाइसेप्स पर रगड़ने लगीं.

मैंने भी समय का लाभ लेते हुए दोनों के एक एक दूध को दबाना शुरू कर दिया.

जल्दी ही दोनों ने आंखें बंद कर ली और मम्मे दबवाने का मज़ा ले रही थीं.

कुछ देर बाद हम तीनों, पीछे को होकर सीट से अपनी पीठ सटा कर बैठ गए.
मैं अपने दोनों हाथों को दोनों के ब्लाउज में डाल कर बूब्स को दबाने लगा.

दीदी लेफ्ट साइड के साइड मिरर से सब कुछ देख रही थीं और मुस्कुरा रही थीं.
उनसे नजरें मिलते ही उन्होंने मुझे इशारा किया कि सम्भल कर, ड्राइवर देख सकता है.

अब तक मेरा लंड बिल्कुल खड़ा हो गया था.
मैंने प्रेरणा का हाथ अपने लंड पर रख दिया.

प्रेरणा ने मेरी पैंट की ज़िप खोल कर लंड को बाहर निकाला और हिलाने लगी.

कुछ समय बाद मेरा लंड एकदम कड़क होने लगा.
प्रेरणा समझ गयी कि मेरा निकलने वाला है.
उसने अपने रूमाल से मेरे लंड के टोपे को कवर कर लिया और दूसरे हाथ से मेरा लंड हिलाने लगी.

कुछ मिनट बाद मेरे लंड से पिचकारी निकली और प्रेरणा का रूमाल पूरा भीग गया.
नैना उस समय आंख बंद करके एंजाय कर रही थी.

मेरे दोनों हाथ दोनों के ब्लाउज में थे और मैं दोनों के मम्मों को मसल रहा था.

कुछ समय बाद ड्राइवर ने कहा- अस्पताल आ गया. कार बेसमेंट में पार्क करूं या ओपन एरिया में?
मैंने कहा- बेसमेंट में ज्यादा अच्छा है.

जब तक गाड़ी बेसमेंट में पहुंची, हम तीनों ने अपने आपको सही पोजीशन में किया.
फिर गाड़ी से उतर कर हम लिफ्ट से दूसरी फ्लोर पर आ गए, जहां दीदी के ससुर जी आईसीयू में थे.
हम वहां चले गए.

मैं, दीदी, जीजू, जीजू के भाई, दीदी की सास, जेठानी और उनकी बहन सब आइसीयू के बाहर खड़े थे.

दीदी की सास लाइट ग्रीन कलर की साड़ी पहनी हुई थीं और उन्होंने एकदम टाइट ब्लाउज पहना हुआ था.
कुछ समय बाद डॉक्टर साहब अपनी पूरी टीम के साथ आईसीयू के राउंड से बाहर आए और बोले कि पेशेंट (दीदी के ससुर जी) को तीन घंटे बाद प्राइवेट वॉर्ड में शिफ्ट कर देंगे. डरने की कोई बात नहीं है.

दीदी की सास बहुत खुश हो गईं और उन्होंने हाथ जोड़ कर डॉक्टर साहब को प्रणाम किया.
डॉक्टर साहब ने भी उन्हें प्रणाम किया और चले गए.

सभी के चेहरे एकदम तनावमुक्त हो गए.

कुछ समय बाद जीजू ने कहा कि उन्हें एयरपोर्ट जाना है. उनकी बहन और जीजू मुंबई से आ रहे हैं.
मेरी दीदी भी जीजू के साथ एयरपोर्ट जा रही थीं.

जीजू ने ड्राइवर से कहा- एसयूवी निकाल लो और कार की चाभी प्रेरणा भाभी को दे दो.
दीदी की सास ने कहा- मैं और तेरे बड़े भाई रात में यहीं रुकेंगे और कल सुबह घर आएंगे.

हम सब बेसमेंट पार्किंग में पहुंचे तो प्रेरणा ने दीदी से कहा- मैं ओर नैना कुछ शॉपिंग के लिए मार्केट जा रहे हैं. सैम भी हमारे साथ मार्केट देख लेगा.
दीदी- हां ठीक है ना … इसे भी मार्केट दिखा देना.

प्रेरणा- हां ये भी हमारे साथ मार्केट घूम लेगा.
मेरी ओर देख कर दीदी ने आंख मार दी.

दीदी जीजू गाड़ी लेकर निकल गए और पीछे पीछे हम भी कार से निकल गए.
प्रेरणा और नैना दोनों आगे बैठी हुई थीं.
मैं अकेला पीछे था.

दोनों गाड़ियां मेन हाइवे पर चल रही थीं. कुछ समय पश्चात दीदी की गाड़ी जो हमारे आगे चल रही थी, वो लेफ्ट साइड पर टर्न हो गयी और हम हाइवे पर सीधा आगे बढ़ गए थे.

कुछ समय बाद प्रेरणा ने गाड़ी लेफ्ट साइड पर रोकी और नैना जल्दी से गाड़ी से उतर कर पीछे आकर बैठ गयी.
मैं समझ गया कि इन्हें कार सेक्स का मजा लेना है.

गाड़ी थोड़ी दूर जाने के बाद लेफ्ट साइड पर टर्न हो गयी.

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गाड़ी टर्न होते ही नैन ने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा और उसे सहलाने लगी.
मैंने भी समय बर्बाद ना करते हुए अपने होंठ उसके होंठों से सटा दिए और उसके होंठों को चूसने लगा.

प्रेरणा- एंजाय गाइस एंजाय, मैं रात में मज़ा लूँगी.
मैंने कुछ मिनट में नैना का ब्लाउज उतार दिया और उसकी ब्रा में से उसके बूब्स को निकाल कर चूसने लगा.

नैना- आह आह … आह वाउ चूस लो मेरे मम्मों को बेबी … आह सक हार्ड.
ये सुन कर मेरे अन्दर और जोश आने लगा और मैं नैना के मम्मों को जोर ज़ोर से चूसने लगा.
उसके निप्पल लाइट ब्राउन कलर के थे.

कुछ मिनट चूसने के बाद में मैंने नैना के पेटीकोट में हाथ डाला.
उसकी पैंटी पूरी भीगी हुई थी.

नैना पीछे की सीट पर सीत्कार कर रही थी और आगे प्रेरणा का हाल बुरा था.

मैंने अपनी पैंट को उतार दिया, अंडरवियर भी निकाल दी.
नैना मेरे लंड को देख कर बोली- वाउ … तेरी उम्र के अनुसार तेरा लंड तो काफ़ी बड़ा है!
मैं- आपके भी तो बूब्स आपकी उम्र के लिहाज से काफ़ी भरे हुए हैं.

नैना- ये क्या आप आप लगा रखा है … तुम कहो.
मैंने ओके कहा.

नैना- मेरे हबी के पास तो इनकी तरफ देखने का टाइम ही नहीं है!
मैं- तुम तो मुंबई में रहती हो यार … मुझे याद कर लिया करो.

नैना- मुझे क्या पता कि तुम मुंबई में रहते हो? मैं 10 दिन बाद मुंबई आ रही हूँ … फिर मिल कर मज़ा करेंगे.
मैं- अगर तुम्हारे घर कुछ इश्यू हो तो मेरे घर चली आना.

बातों बातों में मैंने नैना को पूरी नंगी कर दिया था.
मैं- नैना तुम आगे की सीट पर बैठ कर उसको पूरा 180 डिग्री स्ट्रेट कर दो और सीट को पीछे की तरफ पुश करो.
कार सेक्स का मजा ऐसे ही आता है.

नैना चलती गाड़ी में पूरी नंगी फ्रंट सीट पर बैठ गयी और उसने सीट को पीछे की ओर पुश किया. फिर साइड हुक को पुल करके बिल्कुल सीधा कर दिया.
अब मैं डॅशबोर्ड और नैना की टांगों के बीच में बैठ गया और उसकी चूत की फांकों को फैला दिया.

नैना की चूत बहुत छोटी थी और अन्दर डार्क पिंक कलर की थी.
मैंने समय बर्बाद किए बिना अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा दी.

गाड़ी के चारों ग्लास ऊपर तक 100% टिंटेड थे.
उस समय शाम के 07.30 हो चुके थे, इसलिए किसी को कुछ भी नहीं दिख रहा था.

नैना- अब मुझे चोदो … मेरी चूत तड़प रही है.
मैं- अभी तो चाटने का मज़ा आ रहा है मेरी जान.
नैना- सैम, मुझे तुम्हारा लंड अपनी चूत में चाहिए.

मैं- तुम्हें तो ज़रूर चोदूंगा, चिंता मत करो मेरी जान. आज तुम्हारी पूरी प्यास बुझा दूँगा. तुम्हारी सूखी चूत में बाढ़ आ जाएगी. ऐसा चोदूंगा कि तुम अगले दस दिन तक मेरे लंड को याद करती रहोगी.

कुछ देर ओर चूत चाटने के बाद मैंने प्रेरणा की तरफ देखा.
उसके चेहरे पर पसीना पसीना था.

मैंने प्रेरणा के बूब्स को हल्के से अपने एक हाथ से दबा दिया.
प्रेरणा ने मुझसे कहा- अभी तो तू इसे चोद ले. रात को मैं तुझसे बराबर चुदवाऊंगी. तेरे लंड को पूरी रात चाट चाट कर खड़ा रखूँगी.

मैंने समय नष्ट किए बिना अपने लंड का सुपारा नैना की चूत के मुँह पर सैट किया और एक ज़ोरदार झटका मारा.

नैना की चीख निकल पड़ी- उई मम्मी मर गई … आह क्या करता है … जान लेगा क्या?
मैं- अभी तो सिर्फ़ आधा लंड तुम्हारी चूत में गया है मेरी बुलबुल.

नैना- आदमी का लंड है या गधे का?
मैं- जब पूरा अन्दर जाएगा तो तुम्हें पता चल जाएगा कि किस जानवर का लंड लिया है.

फिर मैंने एक और ज़ोरदार झटका मारा और अपना पूरा लंड जड़ तक नैना की चूत में उतार दिया.
नैना की जोर से चीख निकल गयी और वो कराहने लगी.

नैना- आह बाहर निकाल इसको … ये मेरी जान ले लेगा … प्लीज़ सैम … बाहर निकाल ले!
मैं- मेरी जान कुछ नहीं होगा तुम्हें, कुछ समय दर्द होगा. बाद में मज़ा आएगा.
नैना- नहीं … मुझे नहीं चाहिए ऐसा मज़ा … निकाल ले इसे बाहर … बहुत दर्द हो रहा है यार … मेरी फट जाएगी.

प्रेरणा हंसती हुई बोली- बहुत जल्दी थी ना लंड लेने की साली कुतिया को … अब झेल छिनाल इस दर्द को.

मैंने कुछ समय तक अपने लंड को नैना की चूत में ऐसे ही रहने दिया.
कुछ मिनट बाद मैंने हल्लू हल्लू अपना लंड आगे पीछे करना स्टार्ट किया.

जब मैं लंड आगे पीछे करने लगा तो नैना को मज़ा आने लगा और वो भी एंजाय करने लगी.
कुछ समय बाद मैंने अपने झटकों की स्पीड बढ़ा दी और नैना के मम्मों को देखने लगा.
उसके 36 साइज़ के मम्मे मेरे हर झटके के साथ बेहद हिल रहे थे.

ये सब देख कर प्रेरणा की चूत में खुजली होना शुरू हो गई और उसने एक लेफ्ट टर्न लेकर कार एक वीरान बंगले के बैक साइड में रोक दी.
वहां काफ़ी अंधेरा था.

प्रेरणा ने भी अपने ब्लाउज के बटन खोल दिए और मेरे एक हाथ को अपने मम्मों पर रख दिया.
अब मैं नैना को चोद रहा था और प्रेरणा के मम्मों को मसल रहा था.

मैं प्रेरणा को स्मूच करने लगा और नैना को चोदता जा रहा था.
कुछ ही मिनट बाद मेरा लंड एकदम टाइट हो गया पर मैं कुछ बोल नहीं पाया.

मेरे लंड से पिचकारी छूट गई और सारा का सारा माल नैना की चूत में चला गया.
नैना इस बीच दो बार झड़ चुकी थी.

अब मैं थक चुका था इसलिए मैं पीछे की सीट पर जाकर लेट गया.

नैना भी पूरी पसीने में भीगी हुई थी.
प्रेरणा ने डॅशबोर्ड में से एक पेपर नैपकिन निकाला और नैना को दे दिया.

नैना ने अपनी बॉडी को साफ़ किया और अपनी चूत को अच्छी से पौंछा.

उसके बाद नैना मेरे लंड को साफ़ करना चाहती थी.
मैं- नहीं, मेरे लंड को तुम चाट कर साफ़ करोगी.

नैना- तुमने मेरी चूत को कहां चाट कर साफ़ किया है?
मैं- मैंने तुम्हारी चूत को चाट चाट कर गर्म किया था. तुमने कब मेरे लंड मुँह में लिया था?

प्रेरणा ने झट से मेरा लंड मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी.
प्रेरणा मेरे लंड को दस मिनट तक चूसती रही और उसने मेरा लंड फिर से खड़ा कर दिया.

मैं बैक सीट पर लेटा हुआ था.
अब प्रेरणा ने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और वो मेरे ऊपर आ गई.

प्रेरणा की उम्र 22 या 23 साल होगी, पर उसके बूब्स 36 इंच साइज़ के थे.
उसके निप्पल लाइट पिंक कलर के थे, वो बहुत गोरी थी.

प्रेरणा ने अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी.
मैं उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर चाट रहा था और वो मेरा लंड चूस रही थी.

लंड थोड़ा ज़्यादा अन्दर जाने से वो सहन नहीं कर पाई और उसकी आंखों में आंसू आ गए.
जैसे ही प्रेरणा ने लंड अपने मुँह से निकाला, नैना ने मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी.

अब मैं प्रेरणा की चूत चाट रहा था और नैना मेरा लंड चूस रही थी.

प्रेरणा ने नैना की चूत चाटनी शुरू कर दी.
इससे यह त्रिकोण बन गया और 15 मिनट तक चुसाई का कार्यक्रम चलता रहा.

प्रेरणा मेरे मुँह में एक बार झड़ चुकी थी और नैना भी प्रेरणा के मुँह में एक बार झड़ चुकी थी.
कार में बिल्कुल खामोशी थी.

अब नैना फिर से मेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए रेडी हो गयी और कुछ ही समय में वो मेरे लंड पर बैठने लगी.

इस बार नैना की चूत पूरी तरह से गीली थी जिस कारण मेरा लंड तुरंत ही उसकी चूत में प्रवेश कर गया.

इस बार मैं नीचे लेटा हुआ था और प्रेरणा की चूत मेरे मुँह पर थी.
मेरा लंड नैना की चूत में था.

अब नैना ओर प्रेरणा एक दूसरे को स्मूच कर रही थीं.

दस मिनट बाद मेरा लंड एकदम अकड़ गया और अगले कुछ मिनट तक मैंने अपनी चोदने की स्पीड बहुत तेज़ कर दी.
कुछ मिनट बाद मैं ओर नैना दोनों एक साथ झड़ गए और उसी समय प्रेरणा मेरे मुँह में झड़ गयी.

अब हम तीनों एकदम थक चुके थे.
प्रेरणा ने घड़ी देखी तो 9.30 का समय हो गया था.

हम तीनों ने जल्दी जल्दी कपड़े पहने और घर की ओर निकल पड़े.

जब हम घर पहुंचे, तो घर पर कोई नहीं था.
उनके घर की मेड ने बताया कि जीजू का फोन आया था कि मुंबई की फ्लाइट रात 8.45 बजे तक पहुंचेगी. एयरपोर्ट से दीदी की ससुराल 90 मिनट का रास्ता था.

हम तीनों जल्दी जल्दी अपने अपने रूम में गए ओर कपड़े चेंज करके हॉल में आकर सोफा पर बैठ गए.
प्रेरणा ने मैड से चाय बनाने को कहा.

दोस्तो, मेरी कार सेक्स कहानी में आपको मजा आया होगा.
आगे और भी आएगा बस मेल करते रहें और मेरी अगली कहानी जो इस कहानी से आगे की घटना होगी, का इन्तजार करें.

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कार सेक्स के बाद की कहानी: