पड़ोसन चाची की गांड मारी

देसी गांड सेक्स कहानी मेरी पड़ोसन चाची की गांड मारने की है. उस चाची की चुदाई मैं पहले कर चुका था. तो मजा लें गाँव की देसी गांड चुदाई का!

नमस्कार दोस्तो, मैं राज रोहतक से अब विस्तार से बताऊंगा कि कैसे चाची की गांड भी मारी.
क्योंकि मेरी पिछली कहानियों के बारे में दोस्तो के कमेंट आए. उसमें ये शिकायत थी कि आप सेक्स के बारे में विस्तार से नहीं लिखते हैं.
तो आज मैं कोशिश करूंगा कि सेक्स कहानी को विस्तार से लिखूं.

इस देसी गांड सेक्स कहानी में मैं कुछ हरियाणवी शब्दों का भी प्रयोग करूंगा क्योंकि मेरे बहुत से हरयाणवी पाठकों को पसंद ये हैं.

जब मेरी पड़ोस की चाची से मेरे जिस्मानी संबंध बन गए, तो अब मैं चाची को मौक़ा मिलते ही चोदने लगा.

कुछ समय के बाद मैं एक दिन चाची से मिला और चुदाई की तैयारी से पहले चाची की गांड पर हाथ फेरने लगा.

चाची बोलीं- गांड मारेगा के!
मैं बोला- ना तो.
इस पर चाची आंख दबाते हुए बोलीं- मार लिए … जी करता हो त … तेरा चाचा भी म्हारी गांड मारा करता सै.

चाची की भरी हुई गांड मारने का मन तो मेरा भी था क्योंकि औरत की गांड मारने में बहुत मजा आता है, अगर वो खुद से अपनी गांड मरवाने के लिए सहमत हो तो सच में बड़ा मजा आता है.

मैंने कहा- चाची, फेर तो मुझे थारी गांड ही मारनी सै.

बस मैं चाची की गांड में उंगली करता हुआ उनके मस्त गाल चूमने लगा और चाची मेरे लंड पर हाथ फिराने लगी.

थोड़ी देर में ही मेरा लंड तैयार हो गया और मैं चाची के ऊपर चढ़ गया.

मैं चाची के रसीले होंठ चूसने लगा. चाची भी मेरी कमर पर हाथ फिराने लगीं और जल्द ही हमारी जीभ एक दूसरे आपस में प्यार करने लगी थीं.
हम दोनों मस्ती से एक दूसरे की लार को चूस कर गर्म होते जा रहे थे.

इस बीच मेरा लंड चाची की चुत के ऊपर टक्कर मार रहा था. कुछ देर बाद हम दोनों ने किस करना बंद किया और एक दूसरे की आंखों में देखने लगे थे. चाची वासना से मेरे गालों पर, कभी होंठों पर उंगली चला रही थीं.

चाची बोलीं- मैंने कदे भी ना सोची थी कि फेर चुत न लाठी मिलेगी.. बस यू सोचा था कि अब तो अगले जन्म में ही शान्ति मिलेगी.
मैं बोला- चाची ज्यादा ना सोचा करते … जो सोचे हैं ना … वो कदी होया ना करता.

चाची कुछ नहीं बोली, बस मुझे देखने लगी और अपना मुँह ऊपर करके होंठ से होंठ मिला लिए.

मेरा लंड भी और जोश में आ गया था और चाची की चुत में घुसने की कोशिश करने लगा.

चाची ने भी अपने हाथ से लंड पकड़ कर चुत पर लगा लिया, तो मैंने जोर से झटका दे मारा.
इस झटके से मेरा आधे से ज्यादा लंड चुत में घुस गया.

चाची को अभी अहसास ही नहीं था कि मैं ऐसा करूंगा. उन्होंने दर्द की वजह से मेरा होंठ काट लिया.

फिर चाची बोलीं- जान सी काढ दी तनै … तों अराम त बाड़ देता.
मैं बोला- जानू दर्द में ही त मजा आबे है.

चाची सीत्कार भरती हुई बोलीं- कमीना है पक्का.

मैंने चाची की बात पर हंसते हुए उनके होंठों पर होंठ टिका दिए और चाची को धकापेल चोदने लगा.

इस वक्त हमें कोई होश नहीं था … बस हम दोनों लंड चुत की चुदाई में मस्त थे.
मैं लंड थोड़ा सा बाहर निकालता और फिर एकदम से अन्दर डाल देता.
इससे चाची मुँह से ‘ऊऊऊऊ.. ’ की आवाज निकाल देतीं क्योंकि उनके होंठ मेरे होंठों में कैद थे.

दस मिनट की पेलमपाली के बाद अब चाची झड़ने के करीब आ गयी थीं और उन्होंने मुझे कसके बांहों में जकड़ लिया था. मैं भी तेजी से चाची को चोदने लगा.

चाची दो चार धक्कों में ही बिल्कुल से अकड़ गईं और ‘आहहा हाह …’ करती हुई बोलीं- गई … मैं तो आआ आहह.

इस तरह चाची झड़ गई थीं. मेरे लंड पर चाची के कामरस की बरसात हो रही थी और चाची के गर्म रस से पिघल कर मेरा लंड भी अब बरसात करने के मूड में आ गया था.

आठ दस झटकों में ही मैंने भी चाची की चुत को वीर्य से भर दिया.

हम दोनों निढाल होकर कुछ मिनट तक ऐसे ही चिपके लेटे रहे.
फिर मेरा लंड भी अब छोटा होकर चाची की चुत से बाहर आ गया.

हम दोनों उठे और बाथरूम में जाकर पेशाब करके लंड चुत साफ़ करने लगे.

चाची ने अपनी चुत में उंगली डाल कर उसे साफ की और मेरे लंड को भी प्यार से साफ कर दिया.

हम दोनों कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गए.

अब मेरी नजर चाची की गांड पर थी.
मैं चाची की चूचियों को सहलाने लगा तो चाची बोलीं- अब सो जा.
मैं बोला- अभी ना.

चाची बोलीं- और ईब ना करना … छक गी मैं तो आज.
मैं बोला- ना … एक बार और करूंगा और वो भी गांड में.
चाची बोलीं- मैं के मना करूं हूँ … पर इब ना. इब सुबह कर लिए.

मैंने सोचा कि थोड़ी देर आंख बन्द कर लेता हूँ. फिर गांड मारना चालू करूंगा. मैंने कहा- ठीक है.
फिर हम एक दूसरे की बांहों में सो गए.

आधे घंटे बाद मेरी आंख खुल गई और मैं चाची का चेहरा देखने लगा.
वो आंखें मूंदे सो रही थीं. मुझे उनके मासूम मुस्कान भरे संतृप्त चेहरे को देख कर बहुत प्यार आ रहा था.

मैंने उनके माथे को चूम लिया. इससे कुछ ही पलों में मेरे लंड ने फिर से गर्दन उठानी शुरू कर दी.

मैं चाची के गालों को चूमने लगा.
तो चाची ने आंख खोली और बोलीं- माने कोन्या.
मैं बोला- जान रुका ना जाता.

मैंने चाची का हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया.
चाची बोलीं- यो भी नहीं रूकता … चाल मैं मूत कै आऊँ हूँ.

चाची उठ कर बाथरूम में जाने लगीं तो मैं उनकी गांड देखने लगा.
फिर मैं भी पेशाब करने चला गया और हम दोनों एक साथ पेशाब करने लगे.

चाची पेशाब करके उठीं और बेड पर लेटने के जाने लगीं.
मैंने उन्हें पकड़ लिया और उनकी गांड पर लंड रगड़ने लगा और उनकी एक चुची को दबाने लगा.

चाची भी गांड हिलाने लगीं और मैं चाची की गर्दन और कानों को चूमने लगा.

वो फिर से गर्म होने लगीं और उन्होंने पीछे हाथ करके लंड को पकड़ लिया.

चाची बोली- यो त थकता ही ना है!
मैं बोला- इसके सामने इतनी खूबसूरत चुत है तो ये क्यों थकेगा!

फिर चाची ने कमरे में चलने का इशारा किया, तो हम दोनों बेड पर आ गए.
मैं लेट गया और चाची मेरे ऊपर चढ़ कर लेट गईं. उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
वो मस्ती से मेरे होंठों को चूसने और हल्का हल्का काटने लगीं.

मैं भी चाची के रसीले होंठों में खो गया. फिर चाची मेरे होंठों को छोड़ कर धीरे-धीरे मेरी छाती को चूमने लगीं.

उनके नाजुक होंठों की छुअन से मुझे इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि लंड तो इतने में झटके देने लगा.

चाची ने भी लंड का कड़ापन महसूस कर लिया था. वो मेरे शरीर को चूमते चूमते नीचे को आ गईं और मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया.
अचानक से चाची ने लंड पर अपने होंठ रख दिए और लंड के टोपे को मीठी टॉफी की तरह चूसने लगीं.

मैं क्या बताऊं … इतना मजा तो मुझे अब तक किसी कुंवारी लौंडिया ने भी नहीं दिया था.

कुछ ही पलों बाद चाची मेरा पूरा लंड मुँह में लेने की कोशिश करने लगीं. इससे मेरा लंड बिल्कुल से नियंत्रण खोने लगा.

मैंने खुद को सम्भाला और चाची को रुकने को कहा क्योंकि मुझे चाची की गांड मारनी थी.
लंड झड़ जाता तो आधा घंटा फिर से लग जाता.

चाची रुक गईं और बोलीं- के होया … मजा ना आया के?
मैं बोला- मजा त बहुत आया … पर अभी मुझे थारा मुँह नहीं … कुछ और चोदना है.

चाची समझ गईं और चाची उठीं और अन्दर चली गईं.
वो सरसों के तेल की शीशी लेकर आईं और मेरे लंड पर तेल टपकाते हुए उसकी मालिश करने लगीं.
उस शीशी के छेद से लंड पर तेल टपकाते हुए चाची ने लंड को तेल में पूरा भिगो दिया था.

मैं बोला- जानू, तुम पेट के बल लेट जाओ.

अब मैं खड़ा हो गया. चाची पेट के बल लेट गईं … उनके पहाड़ से उठे कूल्हों को देख कर मैं खुद को रोक नहीं पाया.
मैं चाची के ऊपर लेट गया और लंड को कूल्हों की दरार में फंसा दिया.

चाची अब गांड को भींच रही थी … तो कभी खोल रही थीं. चाची बोलीं- तेल की शीशी उठा ले.

मैं भी उठ कर तेल की शीशी को हाथ में लेकर आ चढ़ गया. मैं एक उंगली तेल में भिगोई और चाची की गांड में घुसा दी.
चाची की गांड ज्यादा टाइट नहीं थी क्योंकि चाचा चाची की गांड भी मारते थे.

मैंने दो तीन बार तेल में उंगली डुबो कर गांड में डाली और गांड को लंड के लिए तैयार कर दी.

मैंने बेड पर ही चाची को घोड़ी बनने को कहा.
तो चाची घोड़ी बन गईं और मैं उनके पीछे आ गया.
मैंने खड़े लंड को गांड के छेद पर लगा दिया और चाची को गांड ढीली छोड़ने को कहा.

चाची ने गांड ढीली छोड़ी, तो मैंने लंड के सुपारे पर शीशी से तेल टपका दिया. फिर उसी पल लंड को थोड़ा सा दबाव दिया, तो लंड का टोपा गांड में अन्दर घुस गया.

चाची ने ‘आईईई ..’ की आवाज निकाली, तो मैंने फिर से तेल टपकाया और थोड़ा और दबाव बनाया.
मेरा लंड थोड़ा और अन्दर घुस गया.

चाची कराह रही थीं.
इस वजह से मैं रुका रहा.

फिर मैंने थोड़ा लंड बाहर निकाला और जोर से झटका दे मारा. इस बार मेरा लंड पूरा अन्दर घुस गया था.

चाची मेरे इस झटके से सम्भल नहीं पाईं और उन्होंने बिस्तर पर मुँह टिका दिया. साथ में वो जोर से चिल्ला दीं- आईईई मां … मार दी कती. (मुझे बिल्कुल मार दिया)
मैं बोला- बस जान हो गया … जो होना था.

चाची कराहते हुए बोलीं- आराम त बाड़ देता … मैं के मना करूं थी.
मैं बोला- गलती हो गई … अब आराम से करूंगा.

बस मैंने चाची की कमर पकड़ ली और आराम से झटके लगाने लगा. चाची सीत्कार भरते हुए बेड पर मुँह दबाने लगीं.

मैं भी बड़े प्यार से चाची की गांड चोदने लगा. सच में चाची की मखमली गांड मारने में बहुत मजा आ रहा था.

कुछ देर बाद मैंने लंड निकाल लिया और बोला- जान, ऐसे ही पेट के बल लेट जाओ.

चाची लम्बी लेट गईं और मैं चाची के ऊपर छा गया.
उनके चूतड़ों को फैला कर गांड का छेद चौड़ा किया और चाची की गांड में लंड पेल दिया.
अबकी बार आराम से लंड अन्दर चला गया.

चाची को भी मजा आ गया था.

अब मैं मस्ती में चाची की गांड मारने लगा.
चाची भी गांड मटकाते हुए बोलीं- आह इब मजा आने लगा … करता रह.

मैं चाची की और तेजी से गांड चोदने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने लंड निकाल लिया और चाची को सीधा करके बेड के किनारे ले आया. उनकी दोनों टांगें उठा कर गांड में लंड डाल दिया और चाची के होंठों को चूसने लगा.

चाची भी अब मुझे बांहों में जकड़ कर चूम रही थीं.
मैं तेजी से चाची की गांड सटासट चोदने लगा और चाची की गांड में ही झड़ गया.

फिर चाची ने ही मेरे लंड को साफ किया और सुबह 3 बजे मैं घर आ गया.

चाची की देसी गांड सेक्स कहानी कैसी लगी … कमेंट करना न भूलें.