बदचलन मां और उसकी बेटियों को चोदा

होल फॅमिली सेक्स स्टोरी में मैंने पड़ोस में रहने वाली एल लड़की को चोदा. उसके बाद उसकी छोटी बहन को चोदा, उसकी उनकी माँ की गांड मारी और सबसे बाद में उनकी सबसे छोटी लड़की को चोदा.

हाय दोस्तो, मेरा नाम राज है. मैं राजस्थान के एक गांव से हूं.

यह Whole Family Sex Story एक वास्तविक घटना पर आधारित है जो मेरे और पड़ोस की मां बेटियों को चोदने की है.

मेरे पड़ोस में रहने वाली एक महिला और उसकी 3 बेटियों का परिचय कुछ ऐसे है.

आंटी जी का नाम माया है.
वे 44 साल की इकहरी देह की सांवली रंगत वाली महिला हैं.
उनकी आंखों में एक जबरदस्त नशा है जो किसी भी मर्द को घायल कर देने में पूरी तरह से सक्षम हैं.

वे अपने पति के न होने के कारण गैर मर्दों के साथ चुदाई का सुख लेती हैं.

उनकी बड़ी बेटी का नाम प्रियंका है.
वह 23 साल की है और उसका रंग रूप भी अपनी मां के ऊपर ही गया है.
वह अभी जवान है तो उसकी चितवन किसी हिरनी के जैसी है और जब चलती है तो एकदम हिरनी जैसी ही फुदकती हुई दिखाई देती है.
उसका सांवला रंग ही उसकी खूबसूरती है.

दूसरी बेटी वंदना है, वह 21 साल की मस्त माल है.
उसके दूध अपनी बड़ी बहन से थोड़े बड़े हैं.
शायद वह अपने दूध खुद ही मींजती है.

छोटी बेटी आरती है, वह 19 साल की है और एकदम दूध सी गोरी रंगत वाली गचागच सी लौंडिया है.

उसे पहली नजर में देख कर ही मन में सवाल उठना लाजिमी होता है कि इसका रंग इतना गोरा कैसे हो गया है.
क्या इसका बाप कोई दूसरा था?!?

खैर … आगे बढ़ते हैं और इनके उछलते मचलते यौवन के उस भाग का रस लेते हैं जो आपके लंड में आग लगा देने के लिए काफी होगा.

आंटी जी का घर मेरे घर से बिल्कुल लगा हुआ है.

मैं रोजाना छत पर आंटी से मिला करता था लेकिन हमारे बीच कभी कुछ हुआ नहीं था.

एक दिन मैंने प्रियंका को प्यार से प्रपोज किया तो वह एक झटके में ही मुस्कुरा दी और मेरे साथ मुहब्बत के सिलसिले को आगे बढ़ाने के लिए मान गई.
मेरी उसके साथ प्यार की चौंचें लड़ना आरंभ हो गईं.

लड़की के ऊपर पूरी जवानी छाई थी, तो उसकी टांगों के बीच में कुछ ज्यादा ही खुजली हो रही थी.
कुछ दिन मोबाइल पर बात करते हुए मैंने उसे सेक्स के लिए तैयार कर लिया.

वह तो साली खुद ही चुदने को मरी जा रही थी.
मेरे कहने पर वह रात में आने के लिए तैयार हो गई.

गर्मी की रात थी.
वह रात को 11 बजे सबके सोने के बाद छत के रास्ते मेरे कमरे में आ गई.

मेरा कमरा छत पर ही बना हुआ है.

जब वह आई तो एक घुटनों तक आने वाली बिना आस्तीन की लंबी फ्रॉक कहें या बेबीडॉल नाइटी कहें, पहनी हुई थी.

मैंने उसे छत से ही मेरी छत पर आने का इशारा किया तो वह इधर उधर देखती हुई और अपने मम्मों को फुदकाती हुई मेरे कमरे में आ गई.

कुछ ही पलों बाद प्रियंका किसी मस्त माल की तरह गदराई हुई नवयौवना सी मुस्कुराती हुई मेरे सामने आ खड़ी हुई.
उसने मेरी तरफ अपनी बांहें पसार दीं.

मैंने उसकी फैली हुई बांहें देखीं और उसे अपने आगोश में लेकर चुंबन करना शुरू कर दिया.

वह भी किसी आग की तरह मेरे सीने पर अपने दोनों कबूतरों को रगड़ने लगी.
मैंने उसे चूमते हुए ही उसके एक दूध पर हाथ रखा और दबाया तो बिल्कुल मक्खन के गोले सा मस्त दूध था.

उसकी आह के साथ ही मैंने उसके दोनों चूचों का मर्दन शुरू कर दिया.
वह मचलने लगी और जल्दी करने की कहने लगी.

मैंने धीरे धीरे उसके कपड़े उतारे और पूरे शरीर को चूसने लगा.
उसका शरीर सांवला था लेकिन मस्त रसीला था

कुछ ही देर बाद वह पूरी नंगी हो गई थी.
उसे मैंने बिस्तर पर चित लिटाया और उसकी चुत पर हाथ लगाया तो उसकी चुत एकदम गीली थी.

मैंने चुत पर मुँह लगा दिया और रस चूसने लगा. वह मस्त होने लगी थी और अपनी गांड उठा उठा कर चुत चुसवा रही थी.

कुछ देर बाद मैंने उससे लंड चूसने को कहा तो उसने मना कर दिया.
वह बोली- अब जल्दी से मेरा काम उठा दो.

मुझे मन में हंसी सी आई कि साली को काम उठवाने की कितनी जल्दी है.

एक बार को तो लगा कि कहीं चुदी चुदाई तो नहीं है.
फिर सोचा कि उससे क्या दिक्कत है; चुत तो चुदने को मिल ही रही है.

अब मैंने अपने लंड में थूक लगा मसला और उसे रगड़ कर उसकी चुत में सैट कर दिया.
वह लंड के सुपारे के स्पर्श से ही मचलने लगी और कमर उठा कर लंड को अन्दर लेने की कोशिश करने लगी.

मैं भी मदांध हो गया था.
मैंने अपनी कमर को झटका देते हुए लंड को चुत में घुसाया तो वह सुपारे के प्रहार से ही रोने लगी.
उसके मुँह पर मैंने अपना मुँह लगाया और लंड पेल दिया.

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उसको बहुत तेज दर्द हुआ लेकिन मैंने जबरदस्ती अपने समूचे लंड को चुत के अन्दर पेल दिया और रुक गया.
उसकी चुत एकदम सील पैक माल थी.
मुझे लंड से अहसास हो रहा था.
मेरा लंड मानो किसी शिकंजे में फंस सा गया था.

कुछ देर रुकने से चुत की मांसपेशियां फैल सी गईं और लंड को हल्की सी राहत सी मिलने लगी.
अब मैं धीरे धीरे प्रियंका को चोदने लगा.

उसकी चुत सच में बहुत टाइट थी, लंड फंस फंस कर अन्दर जा रहा था.
बड़ा मजा आ रहा था.

मैंने इतनी टाइट चुत अब तक नहीं चोदी थी.
अब तक मुझे सिर्फ भाभियों और आंटियों की चुत का ही स्वाद मिला था तो प्रियंका की सीलपैक चुत तो मेरे लिए एक अनोखा उपहार सरीखी थी.

कुछ देर की पीड़ा के बाद प्रियंका को भी चुदने में मजा आने लगा.
उसने अपनी टांगें हवा में उठा दीं और कमर से मेरे लंड को ललकारना शुरू कर दिया.
यह देख कर मैंने उसे तेज तेज चोदना शुरू कर दिया.

कुछ मिनट बाद मेरा और उसका पानी एक साथ छूट गया.
उसकी चुत मेरे वीर्य से भर गई थी.

चुदाई के बाद स्खलन से हम दोनों निढाल हो गए थे, कुछ देर तक यूं ही नंगे लिपटे बेसुध पड़े रहे.

जब होश आया तो वह बोली- मेरे ऊपर से हटो, वजन लग रहा है.
मैंने कहा- चुदाते समय तो मजा लिया और अब हटा रही है.

वह हंस दी और मेरे नीचे से निकल कर अपनी फ्रॉक पहन कर चली गई.
उसके बाद रोजाना रात वह चुदाई करवाने आने लगी.

कभी कभी तो मैं उसको दिन में भी चोद देता था, दिन के वक्त मैं उसे खेत पर चोदता था.

एक महीने बाद उसकी छोटी बहन वंदना ने खेत की झाड़ियों में उसे चोदते हुए पकड़ लिया और कहने लगी कि वह सबको बता देगी.

उसकी चेतावनी से हम दोनों परेशान हो गए.
उस वक्त प्रियंका मेरे लंड पर चढ़ी हुई थी और मुझे दूध चुसवाती हुई चुद रही थी.

जब वंदना ने हम दोनों को चुदाई करते हुए देखा और धमकी दी तो प्रियंका मेरे लंड से उठी और वंदना की तरफ देखने लगी.
वंदना मेरे चमकते हुए लंड को देख रही थी.
यह प्रियंका ने देख लिया था कि वंदना मेरे लंड पर मोहित हो रही है.

अब प्रियंका ने नंगी ही उठ कर उससे कहा- किसी को मत बताना, तू भी मजा लेना चाहे तो ले सकती है.
वंदना मान गई.
उसकी टांगों के बीच वाले छेद में भी सुरसुरी हो रही थी.

प्रियंका मेरे बाजू में आकर मेरे लंड को हाथ से सहला कर वंदना को दिखाने लगी.
वंदना भी नीचे बैठ गई और मुझे चुंबन करने लगी.

मैंने उसकी गांड पर हाथ लगाया तो उसने कहा- उधर नहीं. मैं केवल चुत चुदाई करवा सकती हूँ.
तो मैंने कहा कि चल ठीक है … मुझे तो तुझे चोदना है. चाहे कहीं से भी चुद.

मैंने उसके कपड़े उतारे तो देखा कि उसकी चुत बिल्कुल साफ थी.
तब मैंने उसकी चुत चाटी, तो उसने कहा कि मुझे भी लंड चूसना है.

प्रियंका यह देख कर हैरान थी कि उसकी छोटी बहन को लंड चूसना पसंद है.

मैंने पूछा- पहले किसका चूसा था?
उसने कहा- स्कूल में एक टीचर मुझको लंड चुसाता है लेकिन अब तक चोदा नहीं है.

मैं समझ गया कि इसके दूध तभी बड़े हो गए हैं.
मैंने उसको 69 में लिटा लिया. वह मस्त लंड चूस रही थी.

साले मास्टर ने वंदना को लंड चुसाई में दक्ष कर दिया था.
वह मेरे टट्टों को गजब चूसती हुई लंड सहला रही थी.

कुछ मिनट बाद वंदना ने लंड चूसना छोड़ दिया और चुदाई के लिए कहने लगी.

मैंने उसे चुदाई की पोजीशन में लिटाया और प्रियंका को इशारा कर दिया कि सील पैक की चुदाई के वक्त आवाज न हो, इसकी जिम्मेदारी तेरी है.

तब मैंने वंदना की चुत में लंड घुसा दिया.
उसको दर्द हुआ लेकिन कम चिल्ला पाई.
साथ में प्रियंका ने भी अपना काम सही से किया था.
वह अपनी बहन का मुँह बंद किए हुई चूचियों को सहला रही थी.

मैंने वंदना को चोदना शुरू किया और दस मिनट में उसकी कुंवारी चुत में अपने लंड का पानी भर दिया.

उसी रात उसको अपने कमरे में बुलाया और कई बार चोदा.
उसके बाद रोजाना दोनों बहन मेरे कमरे में रात को आ जाती थीं और मस्त चुदवाने लगी थीं.

एक दिन उसकी मां ने अपनी दोनों बेटियों को चुदवाते समय पकड़ लिया.
उन्हें देखते ही उनकी दोनों बेटियां मेरे कमरे से बाहर चली गईं.

आंटी जी मुझे हड़काती हुई बोलीं- ये सब कब से चल रहा है?
मुझे आंटी जी के काले कारनामे मालूम थे कि आंटी जी गांव में किस किस से चुदवाती हैं.

मैंने बिना डरे कह दिया- आंटी, आप भी तो गांव के लौंडों से चुदवाती हो!
यह सुन कर आंटी जी चुप हो गईं.

मैंने उनकी गांड देख कर कहा कि मुझे भी एक बार गांड मारने दो, मैं ये बात किसी को नहीं बताऊंगा.
वे मान गईं.
पर उस वक्त कमरे से जाने की कहने लगीं.

मैंने दूसरे दिन आंटी को खेत पर बुलाया और उनके आते ही मैंने उन्हें सीधा घोड़ी बना दिया.
वे भी चुपचाप अपनी गांड में लंड घुसने का इंतजार करने लगीं.

मैंने अपने लौड़े पर थूक लगा कर उनकी गांड में घुसाया.
तो पता चला कि आंटी की गांड एकदम टाइट थी.

मैंने जोर से घुसा दिया.
आंटी जी को थोड़ा सा दर्द हुआ, फिर वे मस्त हो गईं.

मैंने भी आंटी की गांड धकापेल बजाई.

उनकी गांड काली सी थी लेकिन मस्त थी.

उसके बाद जब भी मेरा मन करता, तब उनके घर में ही चला जाता और किसी को भी पकड़ कर चोद लेता था.

अब दिक्कत आरती की थी.
वह मस्त माल थी लेकिन साली मुझे पसंद नहीं करती थी.

एक दिन मैं उसके घर गया तो घर पर वह अकेली थी और खुले में नहा रही थी.

उस वक्त आरती बस एक पैंटी में थी.
उसकी मादक जवानी देख कर मेरा दिमाग खराब हो गया.

मैंने आगे बढ़ कर उसे पकड़ लिया.

वह मना करने लगी लेकिन मैंने पैंटी फाड़ दी और अपने कपड़े भी उतार दिए.
वह मेरा लंड देख कर हैरान थी.

मैंने उसके हाथ में लंड पकड़ा दिया, वह लंड को देखती हुई सहलाने लगी.
मैंने कहा- पसंद आया हो तो चूस ले.

वह हंस दी और लंड चूसने लगी.

कुछ देर बाद वह चुदवाने के लिए राजी हो गई.
मैंने तेल लगा कर लंड उसकी चुत में घुसा दिया.

मोटे लंड से उसकी चुत की सील फट गई.
वह चिल्लाने लगी.

लेकिन अब इस घर में सब मेरी रंडियां थीं तो मुझे किसी का डर नहीं था.
मैं उसके ऊपर चढ़ा रहा और धकापेल चुदाई करता रहा.

कुछ मिनट बाद उसको भी लंड का मजा आने लगा तब उसका चिल्लाना बंद हुआ.

उसके बाद उसके मजे ही मजे थे.
बाद में वह मेरे लंड पर मस्त कूदी भी.

उसकी चुदाई के समय ही वंदना भी आ गई और वह भी नंगी होकर चुदाई के खेल में शामिल हो गई.

अब होल फॅमिली फक का मजा मुझे मिल चुका है तो मेरा जब भी जिसको भी चोदने का मन करता है, मैं उसको पकड़ लेता हूँ और सबके सामने चोद देता हूँ.

लेकिन सबसे ज्यादा मजा प्रियंका की चुत और आंटी की गांड मारने में आता है.

दोस्तो, कैसी लगी मेरी होल फॅमिली सेक्स स्टोरी, कमेंट करके जरूर बताएं.
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