सहेली के पति ने मेरी चूत मार ली

देसी होली सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी एक सहेली और उसके पति हमारे घर होली खेलने आये. उसका हस्बैंड मुझे लाइक करता है। तो होली पर उसने मेरे साथ क्या किया?

दोस्तो, मेरा नाम है अक्षिता!
मैं अन्तर्वासना पर एक बार फिर से हाजिर हूं आपके लिए एक नई कहानी लेकर!

आप मुझसे बहुत अच्छी तरह से वाकिफ हैं. मेरी अब तक तीन चार कहानियां प्रकाशित हो चुकी हैं।

मैं अन्तर्वासना की रीयल लेखिका हूँ।

जिन्होंने मेरी कहानियां नहीं पढ़ी हैं, मेरा उनसे अनुरोध है कि पहले आप मेरी पुरानी कहानियां पढ़ें।
इससे आपको मेरे फिगर और मेरे जिस्म के बारे में मालूम होगा।

चलिए अब मैं आपको अपनी लाइफ का एक नया किस्सा होली सेक्स का सुनाती हूं।

मेरी एक बहुत अच्छी दोस्त है नेहा!
वह हमारे घर पर आती रहती है और उसका हस्बैंड भी हमारे घर पर आता रहता है।
हम सब एक दूसरे को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं।

मैंने बहुत बार यह नोट किया है कि उसका हस्बैंड मुझे लाइक करता है। पर मैंने कभी उसको अपने साथ कोई शरारत करने की परमिशन नहीं दी।
या यूं कह सकते हैं कि मैंने कभी उसको भाव नहीं दिया।

यह बात 2020 की होली से दो-तीन दिन पहले की है.

नेहा का मुझे कॉल आया; उसने मुझसे पूछा कि अबकी बार होली पर क्या प्लान कर रही है।
तो मैंने उससे कहा- ऐसा तो कुछ खास नहीं है. पर तू बता क्या प्लान है तेरा?

उसने मुझसे कहा- अक्षिता, अबकी बार हम मिल कर इंजॉय करते हैं।
आगे उसने मुझसे कहा- अबकी बार ऐसा करते हैं कि मैं और मेरे हस्बैंड तुम्हारे घर आ जाते हैं; हम मिलकर होली पर इंजॉय करेंगे।

मैंने भी उसका यह ऑफर स्वीकार कर लिया और मैंने उसको अपने घर पर इनवाइट कर दिया।
हमारा प्लान एकदम फिक्स हो गया।

होली पर रंग वाले दिन वे दोनों आ गए.
मैं और मेरे हस्बैंड भी सारी तैयारियां कर चुके थे।

जब वह आई तो उसने मुझे हैप्पी होली विश किया; मेरे चेहरे पर रंग लगाया।

उसके हस्बैंड ने भी मुझे हैप्पी होली विश किया। उसके हस्बैंड ने मेरे माथे पर बस रंग का टीका लगाया।

फिर उन्होंने मेरे हस्बैंड को भी विश किया। मैंने भी उनके साथ ऐसा ही किया।

तब हम सब ड्रिंक करने बैठ गए; हमारी बहुत सी बातें होती रही।

जब हम सबने 3-4 पैग ले लिए तो उसके हस्बैंड ने कहा- अक्षिता यार … तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो!
तो हम सब हंसने लगे क्योंकि शायद सबको नशा सा हो गया था।

हम ड्रिंक करते रहे।
मेरी फ्रेंड नेहा को ज्यादा नशा हो गया क्योंकि उसने कुछ ज्यादा ही पैग ले लिए थे।
लेकिन उस दिन होली थी तो सब मान्य था।

फिर हम सब का पकौड़े खाने का मन हुआ तो मैं किचन में चली गई.
वहां जाकर पकौड़े बनाने की तैयारियां करने लगी।

नेहा ने भी मुझसे कहा- मैं भी तुम्हारी मदद करती हूं.
लेकिन मैंने उसको कहा- नहीं, तुम रहने दो क्योंकि तुम को ज्यादा नशा हो रहा है। मैं खुद थोड़ी देर में बनाकर लाती हूं।

नशा तो मुझे भी हो रहा था लेकिन मुझे इतना नशा नहीं था.
मैं किचन में पकौड़े बनाने लगी।

लेकिन कुछ देर बाद नेहा का हस्बैंड वहां आया और मुझसे पानी मांगने लगा।
मैंने उसको पानी की बोतल दी तो उसने बोतल पकड़ने के बहाने मेरा हाथ पकड़ लिया।

मैं उससे कहने लगी- आप यह क्या कर रहे हो?
तो फिर वह मुझसे कहने लगा- आपने मुझसे रंग नहीं लगवाया. मैंने सिर्फ आपको टीका लगाया है, मुझे आपको रंग लगाना है।

मुझे भी नशा हो रहा था हल्का सा तो मैंने भी उससे कहा- आपने टीका लगा तो दिया और कैसे आप रंग लगाना चाहते हो?
तो उसने रंग लिया और मेरे सारे चेहरे पर और मेरी गर्दन पर और मेरे सूट के अंदर हाथ डाल कर मेरी चूचियों और मेरे पेट पर रंग लगा दिया।

मेरा चेहरा तो एकदम से लाल हो गया था; मुझे कुछ समझ ही नहीं आया।
लेकिन मेरे चेहरे के हाव भाव देखकर वह मुझसे कहने लगा- सॉरी अक्षिता, मुझे माफ करना; लेकिन यार तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि मैं तुम्हें रंग लगाए बिना नहीं रह पाया।

मुझे भी थोड़ा नशा हो रहा था तो मैंने भी उसको बोल दिया- ठीक है।

फिर वह मेरे पास आया और मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा।

शायद मैं भी नशे में थी या पता नहीं क्यों मैं भी उसका साथ देने लगी।
वह मेरे सारे बदन को कपड़ों के ऊपर से ही दबा रहा था और चूस रहा था।

फिर वह नीचे बैठ गया और उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया फिर उसने मेरी सलवार को नीचे खिसका कर मेरी चूत पर अपना मुंह लगा दिया और मेरी चूत को चूसने लगा।

मैं सीधी खड़ी थी तो मैंने भी तेजी से उसका सर पकड़ लिया और बहुत देर तक वह मेरी चूत में अपनी जीभ को अंदर डालता रहा।
कभी वह जीभ को पूरी अंदर डाल देता और कभी निकाल लेता।

अब मुझसे सीधे खड़ा नहीं हुआ जा रहा था. अब मेरा मन लेटने का कर रहा था.
लेकिन हम किचन में थे तो मैं लेट भी नहीं सकती थी।

फिर वह खड़ा हुआ और उसने मुझे नीचे किचन में फर्श पर ही लेटा लिया।
बस उसने मेरी सलवार और मेरी पैंटी को मेरी टांगों से अलग कर दिया और उसने अपनी पैन्ट से अपना लंड बाहर निकाला और सीधा मेरे गीली चूत में डाल दिया।

उसके चूत चुसने के कारण मेरी चूत एकदम गीली हो गई थी तो लंड एकदम पूरा अंदर चला गया।

कमीज के ऊपर से ही वह मेरे बूब्स को दबाने लगा। कमीज के गले के ऊपर जो हल्के हल्के बूब्स दिखाई देते हैं वहां किस करने लगा।
और वहां से ही उनको चूसने लगा।

नीचे मेरी चूत में वह जमकर धक्के लगा रहा था।
फिर मैं भी उसमें खोने लगी, मुझे भी होली सेक्स का आनंद आने लगा।

मैं भी कपड़ों के ऊपर से ही उसके बदन को महसूस करने लगी। मैं उसकी शर्ट को ऊपर करके उसकी नंगी कमर पर हाथ डालने की कोशिश करने लगी और नीचे पैन्ट में भी … क्योंकि हमने कपड़े पहने हुए थे तो जितना हो सकता था मैं उसको महसूस करना चाहती थी।
हम कपड़े नहीं उतार सकते थे क्योंकि हम दोनों के पार्टनर बाहर ही थे।
लेकिन जैसे भी हो रहा था मजा बहुत आ रहा था।

वह मेरी चूत में जमकर धक्के लगा रहा था; पूरा लंड उसका अंदर जा रहा था।
मेरे मुंह से कामुक सिसकारियां निकल रही थी।
लेकिन वह मेरे मुंह पर हाथ रखकर बहुत तेज धक्के लगा रहा था।

फिर उसने मुझे पेट के बल लेटा लिया और मेरे चूतड़ों में से होकर अपने लंड को मेरी चूत में डाल दिया।
और फिर वो धक्के लगा कर मुझे चोदने लगा।
सच बताऊं तो मुझे बहुत मजा आ रहा था।

मुझे चोदते चोदते वह मेरी कान के लटकन को अपने मुंह में लेकर चूस रहा था।

बहुत देर तक वह मेरे चूतड़ों का ऐसे ही मजा लेता रहा।

फिर उसने मुझे खड़ा किया और मुझे खड़े-खड़े घोड़ी स्टाइल में हल्का सा झुका दिया और पीछे से अपना लौड़ा मेरी चूत में डाल दिया।

उसने अपने दोनों हाथों से मेरे हिप्स को पकड़ा और अपने लंड पर दे मारा।
मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगी और मुझे मजा आने लगा.

शायद मेरा पानी निकलने वाला था तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाई। और मेरा पानी निकलने लगा मेरा शरीर अकड़ने लगा.
मुझे लगा कि वह मुझे सामने से चोदता तो मैं उसकी कोली भर के झड़ जाती. लेकिन वह मुझे पीछे से चोद रहा था तो मैं किचन की स्लेप को ही पकड़ कर झड़ गई।

मेरा हल्का हल्का सा पानी मेरी चूत से निकलकर मेरी जांघों पर बहने लगा।

अब उसकी बारी थी तो वह मेरी पीछे से पूरी तरह से कोली भर कर मुझे अपने आगोश में लेकर मुझे अपने अंदर समेटने की कोशिश करने लगा. फिर रगड़ रगड़ कर धक्के लगाने लगा.
और उसने भी अपना सारा पानी मेरी चूत में ही निकाल दिया। मेरी चूत और मेरी जांघें हमारे पानी से एकदम सन गई थी।

फिर उसने मुझे नीचे बैठने का इशारा किया और मैं नीचे बैठ गई।
तो फिर उसने मुझे अपने लंड चूसने को कहा मैं अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसके लौड़े को चूसने लगी.

उस लंड से मेरी चूत और उसके वीर्य की मादक खुशबू आ रही थी।
मैं नशे में थी या पता नहीं कैसे … मुझे उसके लंड को चूसने में बहुत मजा आ रहा था।

उसके लंड को मैं पूरा अपने मुंह में डालने लगी और उसको चाट चाट कर एकदम साफ कर दिया.

फिर मैंने उसको अलग किया और एक कपड़े से वह सारा पानी साफ किया। फिर मैंने उसको भी वह कपड़ा दिया उसने भी अपना लंड उस कपड़े से पौंछ लिया।

तब मैंने उसको बाहर जाने के लिए कहा।
और वह चला गया।

मैंने अपनी सलवार पहनी और मैं फिर से किचन में पकौड़े बनाने लगी।

मैं सोचने लगी यह मैंने क्या किया!
लेकिन यह होली सेक्स मुझसे मेरी वासना और मेरे नशे के कारण हो गया।

यह वाकया सिर्फ 10 मिनट के अंदर हो गया होगा।
लेकिन मुझे इस को बताने में ज्यादा टाइम लगा।
हम दोनों किचन के अंदर सिर्फ 10 मिनट एक साथ रुके होंगे।

यह कहानी छोटी है, मैं जानती हूं.
लेकिन जब इस से ज्यादा कुछ हुआ ही नहीं था तो मैं बयां भी नहीं कर सकती. जैसा हुआ बस मैंने वही लिख दिया।

आप लोगों को मेरी यह देसी होली सेक्स कहानी कैसी लगी मुझे ईमेल करके बताएं।