ओल्ड अंकल सेक्स कहानी में मैं और मेरे पति गैर औरत मर्द से सेक्स में परहेज नहीं करते, एक बार मैंने एक शादी में गाँव में गयी. वहां एक अंकल के अकेलेपन को मैंने अपनी चूत देकर दूर किया.
सभी दोस्तों को सलोनी का दिल से प्यार!
आज मैं अपने दिल की गहराइयों से एक ऐसी सेक्स कहानी निकाल कर आपको सुना रही हूँ, जो एकदम सच है और मेरे जिस्म व आत्मा के हर रेशे में बसी है.
मेरे पति रमेश, मेरे जीवन की धड़कन हैं.
हमारी शादी को दस वर्ष बीत चुके हैं और इन दस सालों में हमने प्यार के हर रंग को जिया है.
हमारे ब/च्चे हॉस्टल में अपनी दुनिया बुन रहे हैं, इस वजह ने भी हमें एक-दूसरे के साथ अनमोल पल बिताने की आज़ादी दी.
हमारा वैवाहिक जीवन एक सुलगती आग की तरह है.
वासना और कामेच्छाओं का ऐसा समंदर, जिसमें हम बार-बार डूबते-उतरते हैं.
रात की खामोशी में, जब दुनिया सो रही होती, रमेश और मैं एक-दूसरे की बांहों में खो जाते.
कभी हम दोनों नग्न होकर गर्म व सेक्सी कहानियां पढ़ते, जिनके कामुक शब्द हम दोनों को अन्दर तक छू जाते और आधी कहानी के बीच में ही हम दोनों के बीच चुदाई शुरू हो जाती.
कभी ब्लू फिल्म में काले लंड और सफेद चुत की चुदाई के नशीले दृश्यों में डूब जाते.
उन फिल्मों से मेरी चुत में एक अजीब-सी सिहरन जग जाती और उसी वक्त मेरे मम्मों पर रमेश के हाथों का स्पर्श, उनकी गर्म सांसें मेरी चूचियों के निप्पलों पर जैसे ही पड़ते, उसी पल मेरे जिस्म में उत्तेजना की लहर दौड़ जाती और हम दोनों के बीच चुदाई की धकापेल शुरू हो जाती.
ये सिलसिला सालों से चला आ रहा है और आज भी मेरे रग-रग में वही आग धधकती है, जो कभी बुझने का नाम नहीं लेती.
ये Old Uncle Sex Kahani दो साल पुरानी उस वक्त की है जब गर्मी अपने चरम पर थी.
आसमान तप रहा था और हवा में एक अजीब-सी बेचैनी थी.
एक दोपहर जब मैं घर में अकेली थी, मेरी सहेली का फोन आया.
उसकी आवाज़ में गजब का उत्साह था- सलोनी, मेरी छोटी बहन की शादी है. तुझे हर हाल में आना है!
उसकी बातों ने मेरे दिल में एक नया जोश जगा दिया.
मैंने शाम को रमेश से बात की.
उनकी मुस्कान और प्यार भरी हामी ने मेरा मन हल्का कर दिया.
मैंने अपने बैग में कुछ कपड़े, थोड़ा मेकअप और ढेर सारी उम्मीदें भरीं और उसके गांव की ओर निकल पड़ी.
छह घंटे का सफर लंबा था.
बस की खिड़की से बाहर आती हवाएं मेरे चेहरे को छू रही थीं और मेरे मन में एक अनजानी बेचैनी थी.
क्या ये सफर सिर्फ़ शादी तक सीमित रहेगा या कुछ और मेरे लिए इंतज़ार कर रहा था?
जब मैं गांव पहुंची, तो रात ढल चुकी थी. सहेली का घर रंग-बिरंगी लाइटों से सजा था.
मिलते ही उसने मुझे गले लगाया और इतने दिनों बाद उसकी गर्मजोशी ने मेरे दिल को बाग-बाग कर दिया.
शादी दो दिन बाद थी, लेकिन तैयारियों का मेला अभी से शुरू था.
उसने मुझे अपने परिवार और दोस्तों से मिलवाया.
हंसी-मज़ाक और गर्मजोशी के बीच, मेरी नज़र एक शख्स पर ठहर गई.
पड़ोस के अंकल, जिनकी उम्र यही कोई पचास के आसपास होगी.
उनकी आंखों में एक चमक थी और उनकी बातों में एक ऐसी कशिश जो मेरे दिल को बेकरार कर रही थी.
वे मुझसे खुलकर बातें करने लगे.
कभी गांव की कहानियां, कभी ज़िंदगी के किस्से सुनाते.
उनकी नज़रें मेरे चेहरे पर ठहरतीं और फिर धीरे-धीरे मेरे जिस्म पर फिसलती हुई मेरे मम्मों पर टिक जातीं.
मैंने महसूस किया कि मेरे मम्मों पर उनकी नज़रें कुछ ज्यादा ही रुक रही थीं और शायद उनके होंठों की कल्पना में मेरे दूध चूसने की कोशिश की जा रही थी.
यह सब सोचते ही मेरे भीतर एक हल्की-सी सिहरन दौड़ गई.
क्या ये सिर्फ़ मेरी कल्पना थी, या उनकी आंखें वाकयी मेरे जिस्म को चोद रही थीं?
अगले दिन सहेली ने एक प्लान बनाया.
गांव के पास एक पुरानी हवेली थी, जिसके बारे में लोग तरह-तरह की कहानियां सुनाते थे.
‘चलो, वहां घूमकर आते हैं!’ उसने उत्साह से कहा.
तो सबके बीच रजामंदी बन गई और हमारा छोटा-सा झुंड निकल पड़ा.
मैंने उस दिन एक हल्की, सफेद लॉन्ग स्कर्ट पहनी थी, जो हवा के झोंकों में लहरा रही थी.
मेरा ब्लाउज़ मेरे कर्व्स को हल्के से उभार रहा था और मेरे दूध हर कदम पर हल्के से हिल रहे थे.
रास्ता बेहद खूबसूरत था. हरियाली, पहाड़ और दूर तक फैली शांति.
लेकिन रास्ता थोड़ा दुर्गम था और कुछ लोग थककर पीछे रह गए.
मैं और अंकल बातों में डूबे, आगे बढ़ते रहे.
उनकी बातें मेरे दिल को छू रही थीं.
कभी मज़ाक, कभी गहरी बातें.
मैंने कई बार महसूस किया कि उनकी नज़रें मेरी स्कर्ट के नीचे झांक रही थीं.
जब मैं एक चट्टान पर बैठी, थकान से हांफती हुई तो अंकल मेरे ठीक सामने खड़े थे.
मेरी स्कर्ट हल्की-सी ऊपर सरक गई थी और मुझे लगा कि उनकी आंखें मेरी चिकनी जांघों पर रेंग रही थीं.
मेरी चुत में एक हल्की-सी गुदगुदी हुई. मैं समझ चुकी थी कि अंकल मेरी चुत को ताकने का प्रयास कर रहे हैं.
चूंकि मैंने और मेरे पति रमेश ने कई बार कपल स्वाइप का मजा लिया था तो कड़ियल मर्द देखते ही मेरी चुत में चुनचुनी होने लगती थी.
इस बात को लेकर मैंने कभी भी परहेज नहीं किया था और मेरे पति रमेश ने भी मुझे कभी गैर मर्द के लौड़े से चुदने से मना नहीं किया था.
वे खुद भी मेरे अलावा किसी भी खूबसूरत लड़की या स्त्री के साथ संभोग का मजा लेने में पीछे नहीं रहते थे.
अपनी इसी आदत के चलते मैं मूड बनाने लगी थी और अंकल को समझने की चेष्टा करने लगी थी.
‘अंकल, आपका पसंदीदा रंग कौन-सा है?’
मैंने माहौल को हल्का करने की कोशिश में हल्के से पूछा.
उनकी मुस्कान गहरी हो गई.
‘मुझे नीला पसंद है!’
उन्होंने कहा और फिर एक ठहराव के साथ बोले- मगर नीला और सफेद का मेल तो जैसे दिल चुरा लेता है.
उनकी बात ने मेरे होश उड़ा दिए.
मैंने उस दिन नीली पैंटी पहनी थी, जिसके किनारों पर सफेद लेस थी.
क्या उनकी नज़रें इतनी गहरी थीं कि उन्होंने उसे देख लिया था?
मेरे मम्मों में एक अजीब-सी बेचैनी जाग उठी और मेरी चुत में गर्मी बढ़ने लगी.
तभी आसमान ने करवट बदली.
बादल घिर आए और बारिश की बूंदें हमें भिगोने लगीं.
देखते ही देखते हम दोनों तरबतर हो गए.
मेरी स्कर्ट मेरे जिस्म से चिपक गई थी और गीले कपड़ों ने मेरे मम्मों और चुत को और उभारा.
मेरी ब्रा और पैंटी साफ़ नज़र आ रही थीं. ठंडी हवा ने मुझे कंपकंपी दे दी.
मैं सर्दी से ठिठुर रही थी और एक पल को मैंने बिंदास अपनी वासना को पंख देते हुए खुद को अंकल की बांहों में झुला दिया.
उनकी गर्माहट मेरे जिस्म को सुकून दे रही थी.
तभी मैंने उनके लंड की सख्ती महसूस की, जो मेरे पेट से टकरा रहा था.
मेरी चुत में एक तेज़ उत्तेजना दौड़ी.
दो मिनट बाद हम अलग हुए, लेकिन मेरे मन में एक तूफान सा उठ रहा था.
हम चुपचाप हवेली की ओर बढ़ चले.
हवेली पुरानी थी लेकिन उसमें एक रहस्यमयी सौंदर्य था.
दीवारों पर समय की परतें जमी थीं और हवा में एक अजीब-सी खामोशी.
हम वहां अकेले थे.
बातों-बातों में अंकल की आंखें नम हो गईं.
‘मेरी पत्नी कुछ साल पहले चली गई!’ उन्होंने धीमे स्वर में कहा.
‘उसके बाद से मैं बहुत अकेला हूँ.’ ओल्ड अंकल सेक्स को याद कर रहे थे.
उनकी उदासी ने मेरे दिल को छू लिया.
मैंने प्यार से कहा- अब मैं हूँ ना, अंकल … आपकी दोस्त. हम साथ हंसेंगे, बातें करेंगे.
मेरी बात सुनकर उनकी आंखों में चमक लौट आई.
उन्होंने मुझे गले लगाया और उनका स्पर्श मेरी रीढ़ में एक करंट-सा दौड़ गया.
उनका हाथ मेरी पीठ पर फिसल रहा था और अचानक मेरी नितंबों पर ठहर गया, उनकी उंगलियां वहां हल्के-हल्के नाचने लगीं.
फिर उनके होंठ मेरे होंठों से मिले.
वह चुम्बन इतना गहरा था कि मेरी चुत में आग-सी भड़क उठी.
मेरे दूध सख्त हो गए और मेरे जिस्म में उत्तेजना की लहरें बेकाबू हो गईं.
अंकल ने मेरी आंखों में देखा और फिर धीरे-धीरे मेरे कपड़े मेरे जिस्म से अलग किए.
मेरी नंगी त्वचा हवा के स्पर्श से सिहर उठी.
उनकी नज़रें मेरे मम्मों पर ठहरीं और फिर मेरी चुत की ओर फिसलीं.
वे मेरे जिस्म को चूमने लगे … मेरे दूध, मेरी कमर, मेरी जांघें.
उनकी जीभ मेरी त्वचा पर मखमली अहसास छोड़ रही थी.
मेरी चुत इतनी गीली हो चुकी थी कि उनकी उंगलियां वहां आसानी से फिसल रही थीं.
अंकल का हर स्पर्श मेरे जिस्म में बिजली-सी दौड़ा रहा था.
हमारा ये चुम्बनों और स्पर्शों का नृत्य काफी देर तक चला.
आखिरकार उन्होंने मेरी जांघें फैलाईं और उनका लंड मेरी चुत में समा गया.
उस गर्माहट ने मुझे पूरी तरह लपेट लिया.
उनकी हर हरकत मेरे जिस्म में तृप्ति की लहरें छोड़ रही थी.
धकापेल चुदाई चलने लगी. मुझे भी अंकल के लंड ने मस्त कर दिया था.
वे मेरे दोनों दूध बारी बारी से चूसते हुए चोद रहे थे.
चरम पर आने के बाद जब उनका वीर्य मेरी चुत में समा गया.
मुझे एक अजीब-सा सुकून मिला जैसे मैं किसी और दुनिया में खो गई थी.
मैं अपने कपड़े समेट ही रही थी कि तभी एक छाया दरवाजे पर उभरी.
वह एक युवा लड़का था, उसकी आंखों में हैरानी और एक अनकही भूख थी.
उसने मुझे और अंकल को नंगा देख लिया.
वह मेरे करीब आया और धीमे स्वर में बोला- मुझे भी एक चुदाई का मौका दो … मैं किसी को नहीं बताऊंगा!
मेरा दिल ज़ोरों से धड़का.
मैंने अंकल की ओर देखा.
उनकी हल्की मुस्कान ने माहौल को हल्का कर दिया.
‘मज़ा ले ले!’ उन्होंने हंसते हुए कहा- पति को कुछ पता नहीं चलेगा.
मैंने एक पल सोचा और फिर हामी भर दी.
लड़का मेरे करीब आया, उसका लंड मेरे जिस्म को छू रहा था.
उसका स्पर्श तेज़ और बेताब था.
उसने मेरी चुत को अपने लंड से भरा और उसकी हर हरकत ने मेरे जिस्म को झकझोर दिया.
मेरी सांसें थम-सी गईं.
पंद्रह मिनट बाद उसका वीर्य मेरी चुत में मिल गया.
मैं थकान से चूर थी, लेकिन मेरे भीतर एक अजीब-सी तृप्ति थी.
हम दोनों वहां से निकले और सहेली के घर पहुंचे.
रात में खाने की महक, हंसी-मज़ाक और अंताक्षरी की रौनक ने माहौल को हल्का कर दिया.
हम सब देर तक गाते-हंसते रहे और फिर नींद ने हमें अपनी आगोश में ले लिया.
अगले दिन शादी थी.
रंग-बिरंगे लहंगे, ढोल की थाप और खुशियों का मेला. सब कुछ सपने-सा बीता.
शादी के बाद मैं घर लौटी.
रात को, मैं अपने कमरे के बाहर मोबाइल पर खोई थी, जब अचानक पास के कमरे का दरवाज़ा खुला.
किसी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अन्दर खींच लिया.
दरवाज़ा बंद हो गया.
अंधेरे में मैंने उसे पहचाना. वही लड़का, जिसका लंड मैं हवेली में अपनी चुत में ले चुकी थी.
कमरे में अंकल भी थे, कुर्सी पर बैठे, उनकी आंखें मुझे ताक रही थीं.
वे मेरे करीब आए. अब मैं दोनों की गर्माहट के बीच थी.
अंकल पीछे से मेरे नितंबों को सहला रहे थे और लड़के के होंठ मेरे होंठों को चूस रहे थे.
उनके हाथ मेरे जिस्म पर रेंग रहे थे. मेरे दूध, मेरी कमर, मेरी चुत.
मेरे भीतर फिर से वही आग सुलग उठी. मेरे कपड़े कब ज़मीन पर बिखर गए, मुझे नहीं पता.
मैं नंगी, उनकी बांहों में मचल रही थी.
दोनों ने बारी-बारी से मेरी चुत को अपने लंड से भरा.
मैं शादीशुदा थी, अनुभवी थी और मैं उन दोनों के हर धक्के का जवाब दे रही थी.
पहली बार मैंने दो लिंगों की ताकत महसूस की, जो मेरी चुत को झकझोर रही थी.
मैं पूरी रात उनके साथ चुदाई के खेल में मस्त खोई रही.
मैं हर पल को जी रही थी.
सुबह की किरणों ने मुझे जगाया.
मैं सबसे मिली और अपने घर की ओर निकल पड़ी.
मैं बस से जाना चाह रही थी.
तभी अंकल ने कहा- बस की क्या ज़रूरत? मैं तुम्हें छोड़ दूँगा. मेरा भी वहां कुछ काम है.
रास्ते में हमने एक जगह रुक कर चुदाई की और बाद में एक ढाबे पर खाना खाया, हंसी-मज़ाक किया और नंबरों का आदान-प्रदान हुआ.
फिर मैं अपने घर की देहरी पर थी.
इसके बाद अंकल ने मुझे एक बार और चोदा.
उनके साथ इस बार एक और दूसरा सांड जैसा लड़का था.
उस दिन रमेश भी घर में थे.
अपने पति के सामने मैं दो सांडों से एक साथ आगे पीछे से सैंडविच बन कर चुदी और उस पल को हम सभी ने इन्जॉय किया.
उस सेक्स कहानी को मैं बाद में लिखूँगी.
अभी आप अपने कमेंट्स लिख कर बताएं कि आपको मेरी ओल्ड अंकल सेक्स कहानी कैसी लगी.
धन्यवाद.