बीवी की चुदाई पड़ोसी से होती देखने की ख्वाहिश- 2

सेक्सी इंडियन वाइफ स्टोरी में पढ़ें कि कैसे पराये मर्द के सामने अपनी बीवी को नंगी होते देख मेरी भी वासना अपने चरम पर थी. उसकी यौनेच्छायें मेरे सामने आई.

नमस्ते दोस्तो, मैं अनिल अपनी बीवी की गैर मर्द से चुदाई की कहानी की दूसरी किश्त पेश कर रहा हूं. आशा करता हूं कि आप इसका भी भरपूर आनंद लेंगे.

सेक्सी इंडियन वाइफ स्टोरी के पहले भाग
मेरी बीवी की पराये लंड से चुदने की तमन्ना
में आपने पढ़ा कि मेरे दोस्त से चुदने की मेरी बीवी की ख्वाहिश को मैंने उजागर कर दिया था और मेरा दोस्त भी अपना लंड एक बार उसको दिखा चुका था जिसके बारे में बाद में उसने खुद बताया मुझे।

अब मैं अपनी बीवी को चुदवाने के लिए एक होटल में ले गया और पंकज को भी वहीं पर बुला लिया था हमने.
होटल के रूम में उन दोनों ने मेरे पीछे से चूमा-चाटी की. मैं बाथरूम से बाहर आया तो वो अलग हो गये.

जब मैंने अपनी बीवी को अपने दोस्त के सामने छेड़ना शुरू किया और उसका हाथ दोस्त के लंड पर रखवाया तो उत्तेजना में मेरी बीवी की चूत ने पानी छोड़ दिया.

अब आगे की सेक्सी इंडियन वाइफ स्टोरी मेरी बीवी सुमन के ही शब्दों में:

मेरी चूत ने पंकज के लंड को छूते ही पानी छोड़ दिया था.
अनिल ने फिर हंसते हुए मुझे एक बार फिर से चूमा और मेरे कान के पास मुँह लाकर धीरे से बोले- मेरी जान, तुम्हें तुम्हारी पसंद का बड़ा लंड और मेरे सामने पराये मर्द के लंड से पहली चुदाई मुबारक! अब खुल कर मजे लो ताकि मेरे मन की इतने दिनों से पाली हुई तुम्हें रन्डी की तरह किसी दूसरे के लंड पर गांड उछाल कर चुदवाते हुए देखने की इच्छा पूरी हो सके.

ऐसा बोलकर अनिल बिस्तर से उठकर सोफ़े पर बैठ गए और पंकज को शुरू करने के लिए बोल दिया.

अनिल के ऐसा कहकर हटते ही पंकज ने मुझे अपनी बांहों में लपेट कर अपने ऊपर खींच लिया.

वो अब मेरे होंठों को मुँह में लेकर चुभलाते हुए मेरी चूत को ड्रेस के ऊपर से ही सहलाने लगे. फिर मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी लोवर के नीचे डालकर अपना मोटा और तगड़ा लन्ड मेरे हाथ में पकड़ा दिया.

हाथ में उसका लंड पकड़ कर मैं एकाएक अनिल को दिखाते हुए बोल उठी- सच में लंबा है यार!
मेरे ऐसा बोलते ही अनिल भी वीडियो बनाते हुए ही अपना लंड निकाल कर सहलाने लगे.

अनिल बोले- अब तुम यहां मत देखो. तुम बस पंकज के लंड को देखो और उससे मजे लेकर चुदवाओ.

मेरे पति के ऐसा कहते ही मैंने फिर अपने को पूरी तरह से पंकज के हवाले कर दिया.

पंकज ने फिर से मुझे अपनी ओर खींच कर मेरी गांड के छेद को अपनी उंगलियों से सहलाना शुरू कर दिया.
वो मेरे होंठ, गाल और कान की लौ को चूसने और चुभलाने लगा।

मेरे कान की लौ को जब उसने अपनी जीभ से छेड़ा तो मैं तो बेसाख़्ता ही उससे लिपट गयी और ज़ोर ज़ोर से उसे अपनी ओर खींच कर दबाते हुए उसकी पीठ पर अपने हाथों से सहलाने लगी।

उसका लंड अपने पूरे आकार में आ चुका था और पंकज के ऊपर गिरी हुई अवस्था में ही मैंने खुद को अपनी टांगों के द्वारा थोड़ा एडजस्ट करके उसके लंड को अपनी चूत के ठीक बीचोंबीच दबा लिया था.

लंड को चूत पर लगवाकर मैं उस समय धीरे धीरे उसके विशालकाय लंड पर रगड़ रही थी जिससे मुझे काफ़ी मज़ा भी आ रहा था। अब ना तो पंकज को अनिल की कुछ चिंता थी और ना मैं ही अब उस तरफ़ कुछ सोच रही थी.

हम दोनों अब एक दूसरे को खा जाने और एक दूसरे के शरीर में समा जाने के लिए आतुर हो चले थे।
मेरी चूत जब मैं पंकज के लंड पर रगड़ रही थी तो वो लगातार पानी छोड़ती जा रही थी.

पैंटी तो मैंने पहनी ही नहीं थी. मेरी ड्रेस आगे से पूरी तरह से मेरी चूत के पानी में भीग चुकी थी।

अनिल चुपचाप बिस्तर के सामने लगे सोफ़े पर बैठा हुआ अपनी चिर अभिलाषा को पूरी होते देख रहा था.

अब आगे की कहानी अनिल के शब्दों में:

मैं अपनी बीवी को एक गैर मर्द से चुदते हुए देख रहा था और एक अजीब सी संतुष्टि और उत्तेजना को एक साथ महसूस कर रहा था.

सुमन किसी लता की तरह पंकज से लिपटी हुई थी और अपनी उन्नत चूचियों को उसके सीने में चिपकाकर अपनी चूत उसके लंड पर रगड़ रही थी।

तभी एकाएक पंकज ने सुमन को पीठ के बल लिटा दिया और उसकी ड्रेस को ऊपर करके सुमन की गदराई हुई चूत के प्रथम दर्शन किए.

सुमन की फूली हुई पाव रोटी के स्लाइस की तरह नर्म चूत और कटिप्रदेश किसी को भी दीवाना बनाने के लिए काफ़ी थे।

लेकिन यह क्या … हमेशा अपनी चूत को चिकना रखने वाली सुमन की चूत इस समय क़रीब दस दिन से बढ़ाए झाँटों से भरी हुई थी और उसकी चूत से लगातार निकलने वाले रज की बूँदें उन काले रेशमी झाँटों के ऊपर ऐसे चमक रही थीं जैसे सर्द रात की सुबह होने पर फूलों के ऊपर की ओस चमकती है।

सुमन की चूत को भरपूर नज़रों से देखने के बाद पंकज सिसकार मारते हुए चूमने लगा और फिर अपनी टी-शर्ट निकाल कर सुमन की चूत और चूचियों को मसलने लगा।

अब सुमन की आग पूरी तरह से भड़क चुकी थी और वो ग़ज़ब की तेज आवाज़ में मादक सिसकारियाँ भर रही थी और साथ में पंकज के सिर को अपनी चूत की तरफ़ धकेल रही थी।

सुमन ने अपनी दोनों टाँगें खूब ज़ोर से भींच रखी थीं. ऐसा लग रहा था कि पति के सामने ग़ैर मर्द, जिसके लंड को पहली बार उसने अपने पति से छिपा कर अवैध रूप से देखा था, उस लंड से अपने पति की मौजूदगी में चुदाई करवाने का अहसास उसको कुछ ज्यादा ही उत्तेजित कर रहा था.

पंकज के शरीर के सामीप्य ने उसे लगातार बार बार झड़ने के लिए बाध्य किया हुआ था.
वो एक पराये मर्द के जिस्म का स्पर्श पाकर अपनी चूत पर अपना नियंत्रण जैसे खो ही बैठी थी.

उसकी चूत लगातार नदी बनकर बह रही थी और मैं ये सब देखकर मंत्रमुग्ध तरीक़े से अपनी प्यारी बीवी को मदहोश होते देख रहा था.

तभी मुझसे रहा न गया और पास जाकर मैंने सुमन से उसकी चूत के बढ़े झाँटों के बारे में पूछ ही लिया।

हमेशा ही अपनी मुनिया को चिकनी रखने वाली सुमन ने सिसकारी भरते हुए मुझे अपनी वासना से बोझिल उनिंदी निगाहों से देखा और मादक आवाज़ में धीरे से कहा- मुझसे क्या पूछ रहे हैं … इन्होंने ही कहा था कि झाँट साफ़ मत करना।
वो पंकज की तरफ़ इशारा करके बोली.

मैं ये सुनकर निहाल हो गया कि मेरी संस्कारी बीवी अपने यार की फ़रमाइश पर अपनी चूत की झाँटें बढ़ाती रही लेकिन मुझे बताया भी नहीं!

चूँकि मैंने एक सप्ताह से उसे चोदा ही नहीं था तो उसका ये राज़ मेरे लिए राज़ ही रहा।

मैं इधर अपने खयालों में खोया था और उधर पंकज ने सुमन की चूचियाँ चूसकर निप्पल लाल कर दिए थे.

वो अब अपनी लोवर को नीचे खिसका कर अपने लंड को मेरी सेक्सी बीवी की चूत पर रगड़ रहा था।

सुमन की मादक और उन्मुक्त सिसकारियों से पूरा कमरा गूंज रहा था और कमरे में सुमन के शरीर से निकलती रज की महक फैली हुई थी।

उसे इस तरह बेचैन होकर मादक सिसकारियाँ भरते मैंने आज तक कभी नहीं देखा था.
काफ़ी कम उम्र में ब्याह के बाद मैंने ही उसकी अनछुई चूत की सील तोड़ कर किलाभेदन किया था.

उस समय भी वो दर्द और आनंद दोनों को ही अपने कर्तव्यपालन के भाव में छिपा ले गयी थी।

मेरी वही संस्कारी पत्नी आज अधनंगी होकर अपनी चूचियां और चूत-गाँड सब मसलवा रही थी.

मादक सीत्कारें भरकर बार बार एक ग़ैर मर्द की बांहों में झूल कर भलभला कर झरते हुई अपनी चूत को जाँघों के सहारे सिकोड़ने के प्रयास में और भी ज़्यादा बेचैन सिसकारियाँ भरते हुए अपने यार के सिर को लगातार चूत की ओर खींच रही थी।

पंकज शायद चूत चूसने के स्वाद से अनभिज्ञ था और वो अपने चिंघाड़ते हुए लंड को सुमन की चूत से रगड़ कर अब अपना लंड चूत में घुसाने के लिए व्यग्र हो रहा था.

सुमन की चूत से रिस रहे रस ने उसके लंड को पूरी तरह से भिगोकर उसे और चमकीला बना दिया था.
बरसात की रात में भीगे हुए काले नाग की तरह अब उसका वो लंड बिल में घुसने के लिए बेचैन हो रहा था।

तभी सुमन ने किंचित बेचैनी से वासना की आग में जलकर मद्धिम हो चुकी मादक आवाज़ में धीरे से बोला- मेरी चूत को चाटो ना प्लीज़!
और बोलते हुए उसने ज़ोर लगाकर पंकज के सिर को अपनी चूत पर दबा लिया.

सिर को दबाकर उसने अपनी दोनों टाँगें हवा में उठा लीं और अपनी पुष्ट चिकनी जाँघों से उसके सिर को जकड़कर अपनी गाँड उछाल उछाल कर अपनी चूत को पंकज के मुँह पर रगड़ने लगी।

पंकज इस मामले में लगभग अनाड़ी ही था.
मेरी बीवी ने शिकायत के अंदाज में मुझे बताया- इसको चूत चाटना सिखाइये ना … इसे बढ़िया से नहीं आता है.

अब वो पूरी तन्मयता से मेरी बीवी की चूत में अपनी जीभ को घुसाकर पेलने लगा.

और सुमन की हालत तो देखने वाली थी इस समय … वो अजीब अजीब आवाज़ें निकाल कर सिसकारियाँ भर रही थी.

पंकज ने एक दो बार साँस लेने के लिए चेहरा हटाना चाहा तो भी सुमन ने लगभग ज़बर्दस्ती उसे जकड़ कर अपनी चूत में घुसाए ही रही.
ऐसा लग रहा था कि जैसे लंड की जगह वो पंकज के सिर को ही अपनी भूखी रसीली और बुरी तरह पनियाई हुई चूत में घुसा लेगी।

थोड़ी देर में ही जब पंकज छटपटाने लगा, तब जाकर उसने उसके सिर से अपनी जाँघे हटाईं.

फिर झपट कर उसे नीचे बिस्तर पर गिराकर उस पर चढ़ गयी.
अब वो पागलों की तरह उसके मुँह, नाक, गाल, गले से होती हुई उसके सीने पर मुँह टिकाकर उसके निप्पलों को अपनी जीभ से छेड़ते हुए चूसने लगी.

कुछ देर निप्पलों को पीने के बाद फिर पेट के रास्ते नीचे जाकर उसकी लोवर को एक झटके में नीचे खींच दिया और उसका मनपसंद खिलौना उसके सामने था.

उसका लंड मेरे लंड से करीब दो इंच बड़ा और थोड़ा मोटा भी ज्यादा था.
लंड को आजाद करने के बाद वो महीनों से भूखी औरत उसको अपने हाथों से प्यार से सहलाने लगी.

फिर उससे रुका न गया तो उसको अपने मुंह में निगल गयी.
पहले तो पूरा लंड मुँह में लेने में उसे थोड़ी परेशानी हुई लेकिन देखते ही देखते पंकज के पूरे लम्बे और तक़रीबन दो ढाई इंच चौड़े लंड को सुमन ने पूरा अपने मुँह में घुस लिया.

सीत्कारें भरती हुई वो लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.
मेरी सती-सावित्री एकलंडा पत्नी अब अपने जीवन के दूसरे लंड को अपने पति की मौजूदगी में बिल्कुल बेपरवाह पेशेवर रंडियों की तरह गले तक लेकर जा रही थी.

उसके बाद उसने लंड को बाहर निकाला और एक हाथ से मुठ मारते हुए पंकज के आंडों को उसने मुंह में भर लिया.
वो जोर जोर से आंडों पर मुंह चलाती हुई लंड की मुठ मारने लगी तो पंकज के होश लड़खड़ाने लगे.

अगले ही पल उसने पंकज की गांड के छेद को भी अपनी जीभ से टटोल डाला.
पंकज तो इस समय पूरा स्वर्ग में था.

और बार बार जब सुमन उसकी गाँड की छेद को चाटती और जीभ से कुरेदती थी, तब अपनी गाँड को पूरा हवा में उठा कर वो चिहुंक सा जाता था।

मैं ये सब देखकर बिल्कुल हैरान था कि आख़िर अब तक मेरी बीबी ने लंड और गाँड चाटने की अपनी कुशलता मुझे क्यूँ नहीं दिखाई भला?
इस पल में आकर अब पहली बार मुझे पंकज से ईर्ष्या सी हुई।

पंकज के लंड और गाँड को चाटती हुई सुमन अपने दोनों घुटनों और कुहनियों के बल पर स्थित थी. इस दशा में उसकी अड़तीस इंच साइज़ की गुदाज़ गाँड इधर उधर हिलते हुए ग़ज़ब का नजारा पेश कर रही थी.

जानकार पाठक अन्दाज़ा कर सकते हैं कि उसकी गाँड का गुलाबी छेद जिसमें आज दोपहर को ही मैंने अपना लंड घुसा कर चोदा था, बेसाख्ते ही सिकुड़ और खुल रहा था.

कुतिया का गाँड नचाना भी फेल था सुमन की गाँड के आगे। मैंने अब बिना सोचे ही सुमन के पीछे जाकर उसकी गाँड की दरारों में अपना मुँह घुसा दिया।

आह … क्या मदमस्त करने वाली सुगंध थी.
उसकी चूत से लगातार रिस रहे रस ने उसकी गाँड और जाँघों के चारों ओर की जगह में एक सफ़ेद परत सी बना दी थी और गाँड का छेद भी पूरी तरह से रस सिक्त हो गया था.

मेरी जीभ को अपनी गाँड के द्वार पर महसूस करते ही सुमन ने एक बार पीछे मुँह घुमा कर मुझे देखा.
उसकी आंखों में अलग ही चमक थी.
सेक्स की भूखी शेरनी की तरह ही अपने शिकार को पाकर उसकी शिकारी आँखें चमक रही थीं.

उसने फिर से अपना मुँह घुमाया और पंकज के लंड और आँडों को एवं गाँड के छेद को चाटने-चूसने में व्यस्त हो गई।

मैंने भी उसकी तरफ़ से अपना ध्यान हटाकर उसकी मादक गाँड के छेद पर केंद्रित किया.

बीवी की गाँड को दोनों दरारों से फैला कर मैंने अपनी जीभ घुसेड़ दी।
मेरी जीभ घुसने में ज़्यादा परेशानी भी नहीं हुई और चूत रस से सराबोर अपनी गाँड के छेद को सुमन ने भी थोड़ा बाहर की तरफ़ निकाल कर इसमें मेरी मदद की।

अपनी गाँड में मेरी जीभ घुसवाते ही सुमन ने पूरी शक्ति लगा कर अपनी गाँड को मेरी जीभ की नोंक पर नचाना शुरू कर दिया.
मैंने अपने एक हाथ की दो उँगलियां उसकी चूत में घुसा दीं और उसकी क्लिटोरिस को छेड़ने लगा।

सुमन के लगातार आक्रमण से उसका शिकार पंकज अब घायल हो चुका था और उसके प्राण- मतलब वीर्य … निकल जाने में थोड़ी ही कसर शेष थी.

तभी पंकज एक तरह से रिरिया कर बोला- मेरा अब निकल जाएगा सुमन, छोड़ दो अब … बस … करो।
पंकज की हालत मेरी शिकारी बीवी ने खराब कर दी थी.

उसने पकंज की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया. वो लंड को चूसती ही रही.
थोड़ी देर में ही सिपाही ने मैदान छोड़ दिया और ज़ोर से बोला- सुमन … मैं झड़ने वाला हूँ … कहाँ गिराना है बता दो?

मैंने सुमन की गाँड से अपना मुँह हटाकर सोचा कि शायद ये अब पंकज के लंड को छोड़ देगी.
मगर उसके उलट वो तो पंकज के लंड को पूरा अंदर तक निगलने लगी और उसकी आँखों में देखती हुई उसे अपने मुँह में ही झड़ने का मूक आमंत्रण दे रही थी।

थोड़ी ही देर में पंकज के भीतर से खौलता हुआ लावा फूट पड़ा और वो गुर्राते हुए … थरथराते हुए झड़ने लगा।
मैं सब भूलकर उस दृश्य को गौर से देख रहा था क्योंकि आज तक सुमन ने कभी मेरा वीर्य अपने मुँह में नहीं गिरने दिया था.

हम पति-पत्नी की चुदाई में जब भी ऐसा वक़्त आता तो मेरे लाख चालाकी करने के बाद भी मेरे स्खलन के समय को वो भाँप जाती थी और मेरे लंड का पानी हाथ से चलाकर ही बाहर निकाल देती थी.

मगर आज मेरी बीवी का रंडीपन उसे वीर्य पीने के लिए मजबूर कर गया था.
पंकज के लंड को उसने तब तक अपने मुँह में लिए हुए चूसना जारी रखा जब तक कि वीर्य का एक एक कतरा निकलता रहा.

जब पंकज ढीला पड़ गया तब जाकर उसने चटखारे लेकर अपना मुँह खोला और उसके बाद भी लंड को जीभ निकाल कर चाट चाटकर पूरा माल निगल गयी।

मैं सच में अपनी बीवी के इस रूप से अब तक अनभिज्ञ था कि उसके भीतर कितनी कमाल की राँड छिपी बैठी है.
आज जब उसका ये रूप सामने आया तो इतना मज़ा आ रहा था कि एक बार पहले ही झड़ने के बाद भी मेरा अपना लंड दोबारा फटने को तैयार था.

तभी मेरी बीवी ने रंडियों वाला लुक देते हुए कहा- इधर आइए जी … आपका भी झाड़ देती हूँ, मेरा बाबू … देखिए कितना ग़ुस्सा होकर उछाल मार रहा है … ले आइए इधर इसे!

मैंने भी बिना आगा पीछा सोचे ही बहती गंगा में हाथ धोने के लिए अपना लंड उसके मुँह की तरफ़ बढ़ा दिया.
मेरी बीवी पंकज के झड़कर मुरझा चुके लंड को एक हाथ से सहलाती हुई पंकज की जाँघों पर अपने मादक नितम्ब टिका कर बैठ गयी और मेरे लंड को चूसने लगी.

सोच रहा था कि ये साली रण्डी कल तक शिकायत करती थी कि लंड चूसने से मुँह फैल गया है और आप बहुत तंग करते हैं आदि आदि … और अब यहाँ एक लंड को पूरा निचोड़ कर वीर्यपान कर लेने के बाद मेरे लंड को भी अंदर तक लेकर चूस रही है?

उधर पंकज के लंड को सुमन के अनुभवी हाथों ने फिर से जीवन देना शुरू कर दिया था और वो अधलेटा होकर मेरा लंड चूस रही मेरी बीवी की गाँड को सहला रहा था.

साथ ही उठ उठकर वो मेरी बीवी की एक चूची, जो उसकी तरफ़ थी, उसके निप्पलों को छेड़ रहा था।
ये सब देखते हुए और इतनी देर से उत्तेजित रहने के कारण तुरंत ही मेरा काम हो गया.

मेरा भी एक बूँद वीर्य सुमन ने मेरी आँखो में देखते हुए और एक हाथ से मेरी गाँड के छेद को सहलाते हुए अपने गले के नीचे उतार लिया।
मेरे झड़ते ही सुमन ने अपनी कुत्सित नज़रों से विजयी अन्दाज़ में मुझे देखा और फुसफुसाई- देखिए जी … अब तो कोई शिकायत नहीं है ना आपको?

हाँ सच में दोस्तो, अब मुझे क्या शिकायत हो सकती थी … सुमन ने बारी बारी से हम दोनों मर्दों के लंड झाड़ दिए थे और अब तो पंकज का लंड भी सुमन के अनुभवी हाथों के जादू से फिर नाग की तरह फुंफकारने लगा था।

सेक्सी इंडियन वाइफ स्टोरी पर अपनी राय देना न भूलें. आपके सुझावों का हमें इंतजार रहेगा.

सेक्सी इंडियन वाइफ स्टोरी अगले भाग में जारी रहेगी.

इस कहानी का अगला भाग: बीवी की चुदाई पड़ोसी से होती देखने की ख्वाहिश- 3