हॉस्पिटल चुदाई कहानी में पढ़ें कि पति मुझे पहली रात में ही नहीं चोद पाया। मैं आगे पढ़ाई करके नौकरी खोजने लगी। नौकरी मिली तो वहां से जिन्दगी कैसे बदली?
यह कहानी सुनें.
हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम सविता है। मेरी उम्र 28 साल की है और मेरा फिगर 38-28-40 का है।
मैं उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। मैं सांवली हूँ लेकिन मेरे उरोज यानि बूब्स खूब बड़े, मोटे और कसे हुए हैं। मेरी गांड भी खूब बड़ी, मोटी, चौड़ी और अभी एकदम टाइट है। मेरी गांड काफी बाहर को उठी हुई है।
मैं हर तरह के कपड़े पहनना चाहती हूं लेकिन पहले मेरे घर में मेरे मम्मी पापा और शादी के बाद मेरे पति ने मुझे पहनने नहीं दिये। मैं खुद तो सेक्सी दिखती ही हूँ लेकिन मुझे सेक्स करने का भी बहुत शौक है।
मुझे हमेशा लंड लेने की इच्छा होती है। मगर पहले घर का ऐसा माहौल नहीं था और बाद में मुझे मेरे पति भी ढीले मिले। इसलिए मुझे घर की इज्जत बचाने के लिए वो सब बस अपने मन में ही रखना पड़ा।
तो अब मैं आप लोगों का ज्यादा टाइम न लेते हुए सीधे अपनी देसी टीचर सेक्स कहानी पर आती हूँ। ये हॉस्पिटल चुदाई कहानी आज से 6 साल पहले की है।
इंटर पास होते ही जब मैंने ग्रेजुएशन में अपना एडमिशन लिया तो पापा ने मेरी ज़बरदस्ती शादी तय करवा दी।
फिर मेरे बहुत नाटक करने के बाद मेरे पिता ने मेरे ससुराल में ये शर्त रखी कि हमारी बिटिया आगे पढ़ना चाहती है.
तो इस पर मेरी सास तैयार हो गयी।
मेरे ससुराल में मेरी सास और मेरे पति बस दो ही लोग हैं।
तो शादी के शुरुआती दिनों में मैंने मेरे साथ कुछ अच्छा होने की उम्मीद की थी लेकिन मेरे पति सुहागरात में मेरी सील अपने लन्ड से नहीं तोड़ सके।
उस दिन वो मुठ मारकर सो गये और मैं पूरी रात अपने शरीर की कामाग्नि में जलती रही। उस दिन के बाद से उन्होंने उंगली डाल डालकर मेरी सील खोली और फिर वो उसमें बस पांच मिनट में ही झड़कर सो जाते थे।
मेरे शरीर की बनावट के हिसाब से मुझे कोई ऐसा मर्द चाहिए था जो मुझे दिन भर किसी जानवर की तरह चोदकर मेरी पूरी जवानी का रस पी जाता।
किस्मत देखिये कि मुझे एक छब्बीस साल की उम्र में एक सौ साल का बुड्ढा मिला था जो अपनी मस्त चौकस बीवी की सही से सील भी नहीं तोड़ सका।
अब कुछ दिन बाद जब मैंने ग्रेजुएशन के साथ एक अलग कोर्स करने के लिए फॉर्म भरा तो मेरे पति मुझे मना करने लगे।
वो बोले- अब क्या ज़रूरत है … शादी हो गयी है और कौन सा तुमको नौकरी करनी है?
अब ये बात शाम तक मैंने अपनी सास को कही तो उन्होंने मेरे पति को बुलाकर समझाया और मुझे आगे पढ़ाई जारी रखने को बोला।
मेरी सास मेरा बहुत ज़्यादा साथ देती थी क्योंकि वो मुझे अपनी बेटी की तरह मानती थी।
कुछ दिन से मुझे सेक्स नहीं मिला था। मेरा व्यवहार बहुत ही चिड़चिड़ा होने लगा। हर छोटी बात पर पति से लड़ाई होने लगी।
अब उन्होंने सेक्स करना मेरे साथ बिल्कुल ही बंद कर दिया था।
इसी तरह एक दिन मेरे पीरियड मिस हो गये तो मेरी सास बहुत खुश हो गयी।
मुझे भी अच्छा लगा।
मेरी सास मुझे डॉक्टर के यहां ले गयी।
वहां डॉक्टर ने मेरी जांच की और बताया कि अब मैं कभी मां नहीं बन सकती हूं।
ये सुनने के बाद तो जैसे मेरे ऊपर एक और बड़ा पहाड़ सा टूट पड़ा।
शाम को जब मेरे पति को यह बात पता चली तो उन्होंने मुझे तलाक देने का फैसला कर लिया।
मैं भी गुस्सा हो गयी और मैंने भी कह दिया कि ले लो तलाक।
अब मेरी सास बीच में आयी और हम दोनों को समझाते हुए बोली कि इसमें औरत या मर्द की कोई गलती नहीं होती, ये सब कुदरत की मर्ज़ी है और उसके आगे किसी की कुछ नहीं चलती।
वो अपने बेटे को समझाते हुए बोली- तुम इससे अलग होना चाहते हो तो ठीक है अलग हो जाओ. लेकिन तुम्हारे पापा की इस समाज में अभी भी बहुत इज़्ज़त है और अगर इस घर में तलाक हुआ तो शायद उनकी आत्मा को भी शांति ना मिले।
अब आगे वो बोली- तुम दोनों इसी घर में रहो लेकिन अलग रह लो। जब कभी किसी के सामने जाना हो तो पति पत्नी की तरह जाना और तुम दोनों को जो करना हो अपनी ज़िंदगी में वो करो, हां मगर इस घर की इज्ज़त का ख्याल रखना।
तो हम दोनों पति पत्नी होते हुए भी अलग हो गए और मैं अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने लगी।
एक दिन मेरी एक फ्रेंड जो एक सरकारी स्कूल में टीचर थी तो उसने मुझसे बोला कि एक भर्ती निकलने वाली है तुम फॉर्म भर दो, इसमें मेरा जुगाड़ है। मैं तुम्हारा काम करवा दूंगी और जो पैसा लगेगा वो दे देना।
मैंने फॉर्म भरा और उसने उसमें मेरा चयन करवा दिया लेकिन कॉलेज मुझे सहारनपुर में मिला था।
तो मैंने उसको बोला कि कहीं पास में ट्रांसफर करवा दो क्योंकि मैं अपने शहर में रहकर नौकरी करना चाहती हूं।
उसने बोला कि ठीक है मैं कोशिश करती हूं। जब ये बात मैंने अपनी सास और माँ को बतायी तो वो दोनों बहुत खुश हुईं और मुझे नौकरी करने की इजाज़त दे दी।
अब पति से कोई खास मतलब तो था नहीं।
इसी तरह एक दिन मेरी फ्रेंड का कॉल आया और उसने बोला- कल तेरी जोइनिंग की आखिरी तारीख है। अगर कल नहीं जॉइन करोगी तो तुम्हारी ये सीट रद्द हो जाएगी।
मैंने उसको बोला- मैं इतनी दूर अकेले कैसे रहूंगी और तुमने मेरा ट्रांसफर भी नहीं करवाया।
वो बोली- अभी ट्रांसफर नहीं हो पायेगा और तुमको अगर ये नौकरी करनी है तो वहां जॉइन करना ही होगा।
मैंने अपनी सास को सारी बात बतायी तो वो मुझे डांटते हुए बोली- कोई नौकरी तुम्हारे घर में नहीं मिलेगी। अब तुम वहां जाकर बढ़िया से अपनी आगे की पढ़ाई भी पूरी करो और नौकरी भी।
शाम तक मैंने अपनी मम्मी से भी पूछा तो उन्होंने भी जाने को बोला सहारनपुर।
मैं उसी रोज रात तक अपना सारा सामान बांध कर सहारनपुर जाने वाली बस में बैठ गयी और सुबह आठ बजे के करीब वो बस सहारनपुर पहुंच गयी।
मैं वहां उतरकर फ्रेश हो रही थी कि तभी मेरी फ्रेंड का कॉल आया और मुझसे पहुंचने के बारे में पूछने लगी।
फिर उसने वीडियो कॉल की तो मेरे कपड़े देखकर डांटने लगी कि कैसे गंवारों वाले कपड़े पहने हुए हैं।
वो मुझे समझाते हुए बोली- तुम यहाँ अकेली हो और ये बड़ा शहर है। यहां किसी के पास किसी के लिए समय नहीं है। अगर तुम चाहती हो कि इस शहर में रुक कर अच्छे से नौकरी कर सको तो थोड़ा बोल्ड बनो और कुछ चालू हो जाओ।
उसने बताया कि उसने अपने स्कूल में अपने प्रिन्सिपल को पटा रखा है और वो उसका बिस्तर गर्म करती है जिससे प्रिन्सिपल उसका पूरा सपोर्ट करता है।
अब मैंने फिर बाथरूम में जाकर एक ब्लैक कलर की बहुत सेक्सी सी ब्रा और पैंटी पहनी और उसके ऊपर एक काले रंग की बहुत टाइट लैगिंग पहनी।
मैंने ऊपर एक आधी आस्तीन की कुर्ती पहनी जो बहुत चुस्त और बड़े गले की थी।
कुर्ती में से मेरे मोटे मोटे वक्ष अच्छे खासे बाहर दिख रहे थे।
मैं थोड़ा मेकअप करके एकदम लल्लनटॉप माल बन गयी।
अब मैं बाहर निकली और हल्का नाश्ता करके सीधे कॉलेज चली गयी।
वहां पहले मैं प्रिंसिपल से मिली जो 45 साल का एक आदमी था लेकिन उसकी आँखों में बहुत ज़्यादा ठरक थी।
कुछ देर बाद उसने मुझसे सारे कागज़ी काम कराए और मुझसे बारह बजे के करीब बोला- आप अपना एक स्वास्थ्य प्रमाण पत्र बनवा लीजिये क्योंकि हमारा ऑफिस पांच बजे तक खुला रहेगा बस। देर होने पर दिक्कत होगी आपको!
मैं वहां से करीब साढ़े बारह बजे तक निकली और ऑटो करके सहारनपुर के सरकारी अस्पताल आयी।
यहां मेरे शहर के हिसाब से बहुत ज़्यादा भीड़ थी और मुझे ज़्यादा कुछ मालूम भी नहीं था।
मैंने एक आदमी से पूछा जो वहीं पर खड़ा था कि मेडिकल कहां बनेगा तो उसने सीएमओ ऑफिस की तरफ इशारा करते हुए बताया।
मैं सीधे उस ऑफिस में चली गयी और उनको मेडिकल के लिए बोला।
उन्होंने पहले पर्चा बनवा कर लाने को कहा और जब मैं पर्चा बनवाकर पहुंची तो उन्होंने लिखा कि चार डॉक्टरों से चेकअप करवा कर आओ।
अब मैं जब उनके ऑफिस गयी तो वो सब उठ चुके थे।
एक ही डॉक्टर वहां बैठे थे।
उन्होंने कहा- मेरे पास आने से पहले आपके तीन चेकअप और होने थे। अब आपको कल ही आना होगा। पहले के तीन चेकअप के बाद आप मेरे पास आना। कल दस बजे ही आपका मेडीकल बन पाएगा।
मैं अब वहां से निराश होकर निकलने लगी। तभी एक पचास साल के आसपास का अधेड़, नाटे कद का आदमी खड़ा था। उसने बोला कि क्या हुआ … आज ही बनवाना ज़रूरी है?
तो मैंने बोला कि हां, आज ही बनवाना था।
वो बोला- मेरे साथ आओ।
फिर वो मुझे उस कमरे से बाहर एक किनारे पर लेकर आया।
फिर बोला- देखिये अब सब डॉक्टर उठ गए हैं लेकिन तब भी मैं बनवा दूंगा अगर आप थोड़ी सी मेरी बात मान लें तो।
मैंने उससे बोला- क्या बात है बताइये?
तो वो बोला- एक बार आप मुझे खुश कर दीजिये तो आपका काम हो जायेगा।
मैं उसकी इस बात पर एकदम से भड़क गयी और उस पर चिल्ला कर बोली- रहने दीजिये, मैं बनवा लूंगी।
वो आदमी बेशर्मों की तरह हंसते हुए बोला- ठीक है मैडम, बनवा लीजिये लेकिन अगर आज काम न हुआ तो मैं यहीं मिलूंगा। आप आ जाइयेगा। मैं करवा दूंगा।
मैं वहां से अलग हट गयी और करीब एक घंटे तक खूब कोशिश की लेकिन पैसे देने के बाद भी आज कोई बनाने को तैयार नहीं था।
तब मैं थक हारकर ना चाहते हुए भी उसकी शर्त मानने को मजबूर हुई और उसके पास चली गयी।
अब उसने मुझे देखते ही अपने पीछे आने का इशारा किया और फिर वो मुझे अंदर एक कमरे में ले गया। दरवाज़ा खोल कर उसने मुझे भी अंदर बुला लिया और दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया।
फिर मुझसे नीचे घुटनों पर बैठने को बोला। मेरे बैठते ही उसने पैंट में से अपना लन्ड बाहर निकाल कर मेरे मुंह के सामने कर दिया और कहने लगा- इसको चूसो।
उसका लन्ड कोई पांच इंच के आसपास का था।
जैसे ही मैं अपना मुंह उसके लन्ड के पास ले गयी तो उसमें से इतनी गंदी बदबू आ रही थी कि मुझे एक बार को तो उबकाई सी आ गयी।
मगर वो आदमी मुझसे बोला- मैडम जल्दी करो वर्ना कोई आ जाएगा और फिर आपका काम रह जायेगा।
ना चाहते हुए भी मुझे उस इंसान का बदबूदार लन्ड अपने मुंह में लेना पड़ा और आज ये मेरे जीवन में पहली बार था कि मैं किसी आदमी का लौड़ा अपने मुंह में लेकर चूस रही थी।
मेरे पति मुझे कभी अपना लन्ड नहीं चूसने देते थे लेकिन मुझे मन बहुत करता था कि मैं किसी का लन्ड चूसूं।
शायद इसीलिए इस आदमी का इतना गंदा लन्ड भी मैं बिना नाटक किये चूसने लगी।
दो ही मिनट बाद वो बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गया और मेरे सिर को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से लन्ड को मेरे मुंह के अंदर बाहर करके वो झड़ गया।
उसके झड़ते ही मैंने उसका सारा वीर्य बाहर थूक दिया जो मेरे मुंह में भर गया था।
मैं उठ खड़ी हुई और हम दोनों खुद को सही करके बाहर निकल आये।
अब उस आदमी ने मुझसे दो सौ रुपए मांगे और मुझे उसी जगह के बाहर खड़ा करके बोला कि मैडम आप यहीं रुको मैं सब काम करा कर यहीं लाकर देता हूं आपको।
अब करीब वो आधे घंटे बाद मेरा चिकित्सा प्रमाण पत्र ले आया और सभी डॉक्टर्स ने उस पर लिख भी दिया था।
वो बोला- मैडम, आपकी एक समझदारी ने आपकी नौकरी बचा ली। अब बस सीएमओ साहब को लिखना है। वो पीछे की ओर अपने कमरे में आराम कर रहे होंगे। आप वहां जाकर उनसे मिल लीजिये।
वो मुझे अपने साथ उस मेन डॉक्टर के कमरे के बाहर ले गया। वहां ले जाकर उसने मुझे बाहर ही रुकने को बोला।
वो अंदर गया और फिर थोड़ी देर के बाद बाहर आया और कहा- मैडम आप अंदर जाइये, मैंने साहब को कह दिया है।
फिर वो वहां से चला गया। मैं अब उस कमरे का दरवाजा खोलकर जैसे ही अंदर घुसी तो वहां अंदर बहुत ठंडा था। ए.सी. चलने की वजह से तापमान बहुत कम था।
जब मैंने दूसरी तरफ देखा तो एक 45 साल के करीब का मोटा सा आदमी सिर्फ पैंट और बनियान में लेटा था।
मुझे उसने बड़ी गौर से एक बार नीचे से ऊपर तक देखा और बोला- आइए मैडम क्या काम है?
मैं उसके पास जाकर अपनी सारी बात बताने लगी तो उसने मेरी बात बीच में काटते हुए मुझे बोला- बैठ जाइये।
मैंने इधर उधर देखा तो वहां पर कोई भी कुर्सी या कोई जगह बैठने लायक नहीं थी।
वो डॉक्टर बोला- इसी तख्त पर बैठ जाइये।
मैं बोली- कोई बात नहीं, रहने दीजिये।
मगर वो जोर देकर बोला तो फिर मैं बैठ गयी।
मैं उसको सारी बात बताने लगी.
तभी उसने अपना एक हाथ धीरे से मेरे बाएं हाथ के कंधे पर रख दिया।
मैं एकदम से चौंक कर उठ खड़ी हुई और उस पर चिल्लाते हुए बोली- ये क्या कर रहे हैं आप? मुझे आप लोगों ने ऐसी वैसी समझ रखा है क्या? यहां आप लोग सबकी मजबूरी का फायदा इसी तरह उठाते हो क्या? अगर मैंने आपकी शिकायत कर दी तो आपकी नौकरी चली जायेगी।
मेरे इतना कुछ कहने का उस पर जैसे कोई असर ही नहीं हुआ और मेरे बोलने के बाद वो बोला- बस मैडम … आप बोल चुकीं, इतना ही बोलना था क्या? अगर मेरी शिकायत करनी है तो कर दीजिये, मेरी नौकरी ले लीजिये।
वो आगे बोला- इस सब काम में एक दिन से ज़्यादा का समय लगेगा। मगर तब तक आपकी भी नौकरी नहीं बचेगी। अभी तो मैंने आपके साथ कुछ किया नहीं है लेकिन अगर मैं आपको यहीं पकड़ कर आपके साथ सेक्स भी कर लूं तो आपका मेडीकल तब भी इसी अस्पताल में होगा। आपकी रिपोर्ट मेरे ही पक्ष में आयेगी। मेरा तो कुछ नहीं जायेगा लेकिन आपकी नौकरी और इज्जत दोनों ही चली जायेंगी। आप समझदार हो, सोचकर देख लो।
सीएमओ बोलता रहा- आपको अपना काम करवाना है, उसके बदले अगर आप जैसे हसीन माल से मैं थोड़ा मज़ा ले लूं तो इसमें मेरी समझ से कोई गलत बात नहीं है। वैसे भी आप यहां जिस आदमी के साथ आयी हो वो तो पहले खुद चख कर ही कोई माल मेरे पास लाता है। अगर आप उससे राजी हो गयीं तो मेरे साथ क्या दिक्कत हो रही है?
अब उसने फिर से मुझे अपने पास बुला कर बिठाया और मेरे कंधे पर हल्के से हाथ रख कर बोला- मैडम थोड़ा आप मानो, थोड़ा हम!
इतना कहते ही जैसे ही उसने मेरे कंधे को एक बार फिर से अपने हाथ से ज़ोर से दबाया तो इस बार शायद मैं उससे राज़ी होने की वजह से सिहर सी गयी।
शायद इस चीज़ को देख कर उसने भी भांप लिया कि मैं भी बहुत भूखी और गर्म हूं। उसने ज़रा भी देर ना करते हुए अपना दूसरा हाथ मेरी एक जांघ पर रख दिया और उसे अपने कड़क हाथों से मसलने लगा।
अब तक मेरी आँखें अपने आप बंद हो गयीं और मैंने अपनी गर्दन को एकदम ढीला छोड़ दिया।
मेरा मुंह ऊपर की तरफ हो गया। इसका फायदा लेते हुए उस सीएमओ ने अपना पहले वाला हाथ जो कंधे पर रखा था उसको धीरे से नीचे सरका लिया।
उस हाथ को उसने मेरे सीन पर रख दिया और मेरे स्तनों को धीरे धीरे दबाने लगा।
मुझे मजा सा आने लगा। किसी पराये मर्द ने पहली बार मेरे स्तनों को छुआ था और मैं भी बहुत दिनों से सेक्स की प्यासी थी।
उसकी इस हरकत से मैं मचलने लगी। वो पकड़ बढ़ाता गया और मेरे उरोजों को कस कर दबाने लगा। अब मेरी आहें निकलना शुरू हो गयीं। मैं गर्म होती चली गयी।
आपको मेरी देसी चुदाई की ये हॉस्पिटल चुदाई कहानी कैसी लग रही है, मुझे बताना जरूर। मैं आपके मैसेज का इंतजार करूंगी। जल्द ही कहानी के अगले भाग में आपसे फिर मुलाकात होगी।
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हॉस्पिटल चुदाई कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
इस कहानी का अगला भाग: टीचर के रूप में एक रण्डी-2