इंडियन हाउसवाइफ सेक्स कहानी मेरे पति के दोस्त के साथ चुदाई की है. एक दिन वो पार्टी में गये. उनका एक दोस्त उन्हें घर छोड़ने आया. वो मेरी चूचियाँ घूरने लगा तो …
इस कहानी को लड़की की सेक्सी आवाज में सुनें.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम रेखा है और आज पहली बार मैं अपनी पसंदीदा सेक्स कहानी साइट कामुकताज डॉट कॉम पर एक मज़ेदार इंडियन हाउसवाइफ सेक्स कहानी लिख रही हूँ।
फ्रेंड्स, ये बात तब की है जब मेरी शादी को 2 साल ही हुए थे। मेरे पति रात में मुझे संतुष्ट अच्छे से किया करते थे। तब मेरी उम्र केवल 21 साल थी।
उन बीते 2 सालों में मेरे पति ने मुझे चोद-चोदकर मेरे बदन का रंग-रूप ही बदल दिया था। मेरे बदन का नाप तब 36-30-38 था।
मेरे पति वैसे मुझे हर रात चोदा करते थे और मुझे संतुष्ट भी किया करते थे। हस्बेंड का लौड़ा बहुत दमदार था और मेरी चूत को फाड़कर रख देता था।
मैं उनकी चुदाई से बहुत खुश रहती थी।
मगर इन दो सालों में मैंने उन्हें अपनी गांड कभी नहीं मारने दी थी।
वैसे तो उनमें कोई कमी नहीं थी सिवाय इसके कि कभी-कभी वो पीकर घर आते थे। उससे मुझे यह फायदा तो था कि उस रात वो मुझे चोदते नहीं थे लेकिन फिर भी मुझे उनका शराब पीना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था।
असल में वो एक क्लब के सदस्य थे जहां अक्सर पार्टियां होती ही रहती थीं लेकिन मेरे पति कभी-कभार ही उनमें जाया करते थे।
ऐसे ही एक शाम उन्होंने मुझे फोन करके बता दिया कि वो अपने दोस्तों के संग क्लब में पार्टी करने जा रहे हैं।
उस समय मैंने भी उन्हें इस कारण मना नहीं किया क्योंकि पिछली 9 रातों में उन्होंने मुझे चोद-चोदकर मेरी चूत को काफी हद तक सुजा दिया था।
खैर, मैंने फिर अपने लिए जल्दी से खाना बना लिया और खाना खाकर टीवी देखते-देखते उनका इंतजार करने लगी।
जब भी वो क्लब जाते थे तो देर रात ही लौटते थे। लगभग 11 बजे के करीब ही लौटते थे।
मुझे भी जल्दी नींद तो आती नहीं थी क्योंकि मेरे पति मुझे देर रात तक चोदते रहते थे।
उस रात टीवी देखते-देखते साढ़े ग्यारह बज गए लेकिन वो नहीं आए।
मैंने कई बार उन्हें फोन किया लेकिन उन्होंने नहीं उठाया।
मेरा जी घबराने लगा।
तभी घर की डोरबेल बजी।
मुझे लगा हस्बेंड आ गये हैं और मैं दौड़कर गई और दरवाजा खोला।
मेरे सामने एक हट्टा-कट्टा आदमी खड़ा था और उसने मेरे पति को थाम रखा था।
उसने मुझे देखते ही कहा- क्या ये यहीं रहते हैं?
मैंने कहा- हां, मैं इनकी बीवी हूँ।
ये कहकर मैंने मेरे पति को अपने कंधों पर ले लिया और अंदर सोफे पर ले जाकर लेटा दिया और उस आदमी को अंदर आने का न्यौता दिया।
मेरे पति सोफे पर लेट गए और वो वहीं सो गए।
वो जनाब अंदर आकर मेरे पास बैठ गये।
उन्होंने बैठते ही कहा- आपके पति ने आज बहुत पी ली थी इसलिए मैं उन्हें छोड़ने घर तक आ गया। मेरा नाम सिद्धार्थ है। मैं इनका परम मित्र हूँ।
पाठको, मैं आपको ये बता देती हूँ कि उस वक्त मैं कैसी लग रही थी।
उस समय मैंने एक नीले रंग की नाईटी पहनी हुई थी। नाईटी मेरे बदन के नाप की थी इसलिए मेरे बदन से लगभग पूरी ही चिपकी हुई थी। उसमें मेरे मम्मों का उभार साफ दिख रहा था।
साथ ही नाईटी का गला डीप होने के कारण मेरा क्लीवेज भी काफी हद तक बाहर था।
मेरे बाल तब खुले हुए थे इसलिए मैं और भी सेक्सी दिख रहा थी।
मेरी नाईटी ज्यादा लंबी नहीं थी और वो मेरे घुटनों के ऊपर तक ही थी जिससे मेरी गोरी-गोरी जांघें भी उसके सामने उजागर हो रही थीं।
हम दोनों बातें कर रहे थे कि पार्टी में क्या-क्या हुआ … मेरे पति ने इतनी कैसे पी ली?
वो बताने लगा और उसकी नजर बार बार मेरे स्तनों का जायज़ा लेने लगी।
मैंने उसकी नज़र को नज़रअंदाज करते हुए उससे बातें करना जारी रखा।
मैंने पूछा- आपके घर में और कौन-कौन है?
उसने कहा- जी, मैं यहाँ अकेला रहता हूँ। मेरे माता-पिता गांव में रहते हैं। मैं महीने में एक-आध बार गांव घूम आता हूँ।
फिर मैंने कहा- और आपके बीवी-बच्चे?
वो- जी, शादी नहीं हुई है मेरी अभी तक!
मैं- अच्छा जी! तो फिर अपना खाना पीना कैसे मैनेज करते हैं अकेले? या तो कोई लड़की जरूर होगी आपकी जिन्दगी में?
वो मुस्कराते हुए बोले- नहीं, अब तक तो कोई लड़की नहीं है मेरी जिन्दगी में।
मैं उससे बात किए जा रही थी और वो लगातार मुझे ताड़े जा रहा था। ख़ासतौर पर मेरे स्तनों को।
साथ ही मैं अपने एक पैर के ऊपर दूसरा पैर चढ़ाकर बैठी थी तो वो मेरी जांघों को भी वो घूरते हुए मेरी चूत तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश कर रहा था कि उसको एक नजारा उस अंधेरी गुफा का भी मिल जाये।
उसकी नज़रें कहां जा रही थीं वो मैं साफ देख सकती थी। उसकी नज़र तब कामवासना से सराबोर थी। मैं समझ सकती थी कि वो कुंवारा है इसलिए इतनी रात को नाइटी में बैठी एक शादीशुदा महिला से बात करते हुए उत्तेजना होना कोई अलग बात नहीं थी।
जब उसकी कामवासना ने उसको चैन से चुप न रहने दिया तो उसने अपने प्रयास को एक कदम आगे बढ़ाते हुए कहा- आप बहुत सुंदर हैं।
मैं- शुक्रिया! आप भी वैसे काफी हैंडसम हैं।
वो- अरे क्यों मजाक कर रही हैं आप, अगर इतना ही हैंडसम होता तो अब तक सिंगल नहीं होता। अब तक कोई न कोई पट चुकी होती।
मैं- चिंता मत करो। पट जाएगी जल्दी ही। ट्राई करते रहो और उम्मीद मत हारो।
उसने कहा- जी हां, उम्मीद पर तो दुनिया कायम है।
वो और मैं अब खुलकर बातें करने लगे थे। वो मुझे अब और ज्यादा घूरने लगा था और मुझे उसकी आंखों में मेरे लिए हवस साफ दिखाई दे रही थी।
वह मुझे पाना चाह रहा था लेकिन उसे हिम्मत नहीं मिल रही थी।
शायद इस कारण कि मेरे पति उसके सीनियर थे।
अब मुझे भी उसके लिए कुछ-कुछ महसूस होने लगा था। इतनी रात में एक हैंडसम और हट्टे कट्टे मर्द के साथ बात करके चूत भी थोड़ी गीली हो ही सकती है।
मैं भी अब उसकी ओर आकर्षित होने लगी थी। शायद मुझे उस समय उसका मजबूत शरीर रास आने लगा था।
साथ ही उसे देखकर मुझे यह भी लग रहा था कि शायद वो अब तक अक्षतयौवन है और वो मुझे अधिक संतुष्ट नहीं कर पाएगा।
मगर तब भी मेरे अंदर उसके लिए एक आग सी जलने लगी थी। मैं भी उसके जवान जोश को चखना चाह रही थी कि एक जवान प्यासा मर्द जब एक चुदी हुई चूत पर चढ़ता है तो कैसा मजा देता है।
उस पल वो भी कुछ नहीं बोल रहा था और मैं भी।
घर में एक अज़ीब सी खामोशी पसर गयी थी।
मेरे पति बगल में पड़े हुए सो रहे थे और हम दोनों एक-दूसरे को देखे जा रहे थे।
आग हम दोनों के अंदर ही लगी हुई थी लेकिन कोई भी पहल नहीं कर रहा था।
थोड़ी देर शांत रहने के बाद वो ही बोला- अच्छा तो अब मैं चलता हूँ, रात काफी हो चुकी है।
मैंने भी तब हां में अपना सिर हिला दिया। वो उठा और दरवाजे की ओर बढ़ने लगा।
मेरा दिल धड़कने लगा कि कहीं वो जाते हुए कुछ करेगा तो नहीं? क्या पता उस आखिरी लम्हे में उसकी हवस उससे खुद ही पहल करवा दे?
यही सोचते हुए मैं भी उसके पीछे-पीछे चलने लगी।
उसने आगे बढ़कर दरवाजा खोला और बाहर निकलकर पीछे मेरी ओर मुड़ा, उसने कहा- अच्छा! तो फिर कभी मिलेंगे!
और फिर वही हुआ जो मैं सोच रही थी।
उसने मेरे गालों पर एक किस किया।
मैं चौंक गई और शरमा गई।
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं अब क्या करूँ लेकिन प्यास तो मेरे अंदर भी थी।
मैं अब इस मौके का फायदा लेना चाहती थी। पहली बार किसी गैर-मर्द के बारे में मैं यह सोच रही थी और उसे पाना चाह रही थी।
मेरे गाल पर किस करने के बाद वो भी शर्माने लगा और अपना सिर नीचे कर लिया।
उसे तब मैंने कुछ नहीं कहा और उसका हाथ पकड़कर अंदर ले आई।
अब मैं कुछ नहीं सोच रही थी, बस उसके साथ इस हवस भरे लम्हे को पूरा निचोड़ना चाह रही थी।
मैं सीधा उसे अपने बेडरूम में ले गई और दरवाजा बंद करके उसे दिवार से सटाकर उसके होंठों पर किस करने लगी।
वो भी पूरा खुलकर मुझे किस करने लगा. मेरे माथे को पकड़कर वो मेरे गुलाबी होंठों को चूस रहा था.
साथ ही हम दोनों की जीभ भी अंदर ही अंदर एक दूसरे की जीभ को खींच रही थी।
वो मेरी पीठ भी अपने दोनों हाथों से लगातार सहलाए जा रहा था। उसका हाथ मेरी पीठ के हर कोने तक जा रहा था।
हम दोनों एक अलग दुनिया में पहुँच गए थे और दोनों बस एक दूसरे में ही खोए हुए थे।
लगातार 3 से 4 मिनट तक हम एक-दूसरे के होंठों का रसपान करते रहे।
जब हम दोनों का चूमना खत्म हुआ तो वो अपना हाथ नीचे करके सिर झुका कर खड़ा हो गया।
मैंने पूछा- क्या हुआ सिद्धार्थ? मज़ा नहीं आया क्या?
वो- नहीं नहीं। मैं तो ये सोच रहा था कि कहीं हम दोनों कुछ गलत तो नहीं कर रहे?
मैं- तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है? देखो, तुम्हारी अभी नई नई जवानी है और इस समय में लड़कों को औरतें बहुत पसंद आती हैं। वो लड़कियों को छोड़ औरतों के प्रति अधिक आकर्षित होते हैं। उन्हें औरतों का जिस्म बहुत पसंद आता है। यही कारण था कि जब से तुम मेरे घर आए, तब से तुम मुझे घूरे जा रहे थे।
मैं उससे ये सब बातें करते हुए उसके चेहरे पर अपनी एक उंगली फिराए जा रही थी और वो मेरी बातों से शर्माए जा रहा था।
मैंने फिर आगे कहा- तुम ही बताओ, क्या तुम्हें मेरा जिस्म अच्छा लगा?
उसने बहुत ही धीमी आवाज में कहा- हां … अच्छा लगा।
मैंने फिर कहा- तो फिर तुम्हें क्या दिक्कत है? तुम्हें मेरा जिस्म अच्छा लगा और मुझे तुम भा गए। तुम एक मर्द हो और मैं एक औरत … तो हम दोनों को एक दूसरे को खुश करना देना चाहिए।
वो बोला- लेकिन अगर आपके पति को पता चल गया तो?
मैं- अरे उन्हें खाक पता चलने वाला है? जब वो ऐसे पीकर आते हैं तो सुबह 7 बजे से पहले नहीं उठते और अभी तो रात के 12 ही बजे हैं। तब भी तुम टेंशन मत लो, मैं उन्हें दूध में नींद की गोली मिलाकर पिला दूंगी ताकि वो नशा उतरने के बाद भी ना उठे।
अब उसके चेहरे पर हल्की-हल्की मुस्कान तैरने लगी जैसे आज उसकी लॉटरी लग गयी हो।
मैं फिर से उसे किस करने लग गई।
अब उसकी भी हिम्मत बढ़ गई.
अब वो सिर्फ मेरी पीठ को ही नहीं बल्कि मेरे कूल्हों को भी सहलाने लगा था, मेरी नाईटी के ऊपर से ही वो मेरी गांड को कस कसकर दबा रहा था।
अबकी बार की किस पिछली किस से भी ज्यादा लम्बी थी।
फिर मैंने उसे आजाद किया और कहा कि मैं अपने पति को दूध देकर आती हूँ तक तक तुम बैठो।
वो बेड पर बैठ गया और मैं किचन में चली गई।
मैंने एक ग्लास में दूध लिया और उसमें दो नींद की गोलियाँ मिला दीं।
मैं दूध का गिलास लेकर सोफे की ओर चली जहां मेरे पति सोये पड़े थे।
वो बिल्कुल भी होश में नहीं थे।
हाथ बढ़ाकर मैंने उनकी ठुड्डी पकड़ी और उनका मुँह खोला। मैं उनका मुंह खोलकर उन्हें दूध पिलाने लगी।
वो नशे और नींद में थे. धीरे-धीरे उन्होंने पूरा दूध पी लिया।
फिर मैंने अपने हुस्न को थोड़ा और उभारा। अपने स्तनों को अपनी नाइटी से थोड़ा और बाहर निकाल लिया. गांड के पास से नाईटी को और कसकर बांध लिया जिससे मेरे चूतड़ और अधिक उभरे हुए दिखने लगे।
अपनी कमर मटकाते हुए मैं सिद्धार्थ वाले कमरे में पहुँची।
मुझे देखते ही सिद्धार्थ खड़ा हो गया।
उसके पास तक भी मैं कमर मटकाती हुई और गांड मटकाती हुई गई।
मेरी गांड मटकाने की वजह से आगे से मेरी जांघों के बीच का हिस्सा यानि मेरी चूत के आसपास का भाग की मटक रहा था।
मेरे पहुँचने तक वो मुझे कामवासना से भरी नज़रों से देखता रहा।
मैं उसके पास पहुँची और उसके सीने से लिपट गई। उसने भी मुझे अपनी बांहों में भर लिया। हम दोनों एक-दूसरे को कसकर गले लगाए हुए थे।
हम एक-दूसरे के बदन की गर्मी को साफ महसूस कर पा रहे थे।
इस समय तक हम दोनों ने कुछ भी नहीं किया था।
थोड़ी देर तक ऐसे ही लिपट कर रहने के बाद सिद्धार्थ ने मुझे पहले मेरे माथे पर किस किया।
उसके बाद जब मैंने उसकी ओर देखा तो उसने झट से मेरे होंठों को अपने होंठों से दबोच लिया।
वो मुझे ज़ोर-ज़ोर से किस करने लगा।
मैं भी उसका साथ तो दे रही थी लेकिन वो इतना उतावला हो चुका था कि वो भूल ही गया था कि उसे कैसे एक औरत को किस करना चाहिए।
उसके दांत मेरे होंठों में लग कर मुझे दर्द दे रहे थे।
इसके साथ ही वो अपनी जीभ से मेरी जीभ का स्वाद भी नहीं ले पा रहा था।
ऐसे में मैंने तुरंत उसे किस करने से रोक दिया। मैंने कहा- क्या कर रहे हो? आराम से करो।
उसने कहा- क्या करूँ, आप जैसे भरे बदन की मालकिन आज तक नहीं मिली तो थोड़ा ज्यादा ही उत्तेजित हो गया हूँ।
मैं- आज पूरी रात मैं तुम्हारी ही हूँ, तो जो भी करना हो आराम से और प्यार से करो। काफी समय है हमारे पास।
वो मुस्कराया और अपने होंठों को मेरे होंठों से मिला दिया।
इस बार वो बड़े प्यार से मेरे होंठों का रसपान कर रहा था। धीरे-धीरे से वो अपने होंठों को मेरे होंठों के ऊपर फिरा रहा था। अपनी जीभ से भी मेरे होंठों को चाट रहा था।
थोड़ी देर तक उसने मेरे होंठों के ऊपरी भाग को चाट-चाटकर उनका अनुभव लिया. फिर वो अपने होंठों को मेरे मुँह के अंदर तक ले गया.
मुंह में लेकर उसने मेरे होंठों के चारों ओर दो-तीन बार अपनी जीभ को फिरा दिया। फिर हम दोनों की जीभ एक-दूसरे से मिली और हम आपस में प्यार करने लगे।
हम दोनों तब बस एक-दूसरे में ही खोए हुए थे। हमें तब और किसी बात की फिक्र नहीं थी। हम एक दूसरे के माथे को पकड़कर एक-दूसरे को किस कर रहे थे। हमारा य चुम्बन कम से कम पांच मिनट तक चला होगा.
अब दोनों ने एक दूसरे को प्यासी नजरों से देखा और उसने मेरे बदन को जहां तहां से चूमना शुरू कर दिया. ऐसा लग रहा था कि उसको मैं बरसों के बाद मिली हूं और वो मेरा पिछले जन्म का बिछड़ा हुआ आशिक़ हो।
वो कभी मेरे गाल पर किस करता तो कभी गर्दन पर चूमने लगता. कभी पीछे हाथ ले जाकर मेरी पीठ और नितम्बों को भी सहलाने लगता।
बीच बीच में वो मेरे चूतड़ों को कसकर दबा भी देता था.
उसका मेरे नितम्बों को दबाना मुझे अत्यधिक उत्तेजित कर रहा था।
मुझसे और सहा नहीं गया और मैंने दोबारा उसे चूमना शुरु कर दिया।
उसने भी मेरा फिर से पूरा साथ दिया और जीभ को मेरी जीभ से मिला दिया।
किस करते हुए ही मैंने अपना हाथ उसके सीने पर रखा और उसकी शर्ट के बटन खोलने लगी। सारे बटन खोलने के बाद मैंने उसकी शर्ट को नीचे उतार फेंका।
अब वो ऊपर से नंगा हो गया। उसकी छाती काफी आकर्षित करने वाली थी. मेरे पति की जवानी अब धीरे धीरे ढलने लगी थी लेकिन सिद्धार्थ अभी नया जवान था और उसके बदन में बहुत आकर्षण था।
शर्ट उतरते ही उसने मुझे ज़ोर से अपने सीने से लगा लिया। मेरे मम्में उसके सीने से चिपके हुए थे। वो मुझे अपनी ओर खींचते हुए मेरे मम्मों को अपने सीने पर रगड़ रहा था।
इससे मुझे और ज्यादा उत्तेजना हो रही थी और मैं मदहोश होने लगी।
मेरी इंडियन हाउसवाइफ सेक्स कहानी आपको कैसी लगी मुझे कमेंट में बतायें जो नीचे दिया है। आपसे रिक्वेस्ट करती हूं कि कमेंट्स में मेरा संपर्कसूत्र व पता आदि न मांगें. केवल कहानी के बारे में ही बात करें। धन्यवाद।
इंडियन हाउसवाइफ सेक्स कहानी का अगला भाग: ग़ैर मर्द से चुदाई की हसीन रात- 2
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