विधवा की कामवासना- 1

नंगी कहानी में पढ़ें कि मैं भारी जवानी में ही विधवा हो गयी और मैंने दोबारा शादी नहीं की. लेकिन शरीर को सेक्स की जरूरत थी. तो मैंने क्या किया?

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम दीपाली पाटिल है और मैं 35 साल की हूँ. मेरी शादी 24 साल की उम्र में ही हो गई थी और वो लवमैरिज थी.

कामुकताज डॉट कॉम पर यह मेरी पहली नंगी कहानी है.

इस कहानी को सुनकर मजा लें.

हम पति पत्नी एक दूसरे को बहुत चाहते थे. हालांकि हर प्रेम कहानी की तरह शादी के कुछ सालों बाद हमारे रिश्ते भी बिगड़ते चले गए.

हमें एक दूसरे से किसी बात ने बांधे रखा था, तो वो हमारी बेटी की चाहत ने. मुझमें पहले से ही सेक्स में इतनी रुचि कभी नहीं रही थी.
ये भी हमारा रिश्ते बिगड़ने की एक वजह थी.

मैं दिखने में सांवली जरूर हूँ पर मुझे मेरे पति अक्सर मेरे फ़िगर की प्रशंसा करते थे.

खैर … एक साल पहले बीमारी के चलते मेरे पति का स्वर्गवास हो गया. उनके बीमा के चलते मुझे अच्छी ख़ासी रकम मिल गई थी जिससे मुझको काम करने की नौबत नहीं आयी.

अब मैं अपनी मुख्य सेक्स कहानी को सुनाती हूँ.

पति के स्वर्गवास के बाद कभी सेक्स की इच्छा तो नहीं हुई, पर वो कहते हैं ना 30 से 40 की उम्र में शरीर में वासना अधिक बढ़ जाती है. रिश्तों में तनाव के कारण वैसे भी हम बहुत कम … या ना के बराबर ही सेक्स करते थे.

उनके जाने के 6 महीने बाद मेरे शरीर में वासना भड़क उठी थी.

शादी के पहले और बाद मैंने कभी किसी पराए मर्द की तरफ उस नजर से नहीं देखा था.
लेकिन अब मैं खुद को संभाल ही नहीं पा रही थी.
वैसे मेरे पति भी अक्सर कहा करते थे कि मुझे कोई बॉयफ्रेंड पटा लेना चाहिए. वो अक्सर सेक्स करते समय रोल प्ले किया करते थे.

हमारी बेटी जिस स्कूल में पढ़ने जाती थी वहीं पर एक आदमी उसके बेटी को लेने और छोड़ने रोज आया करता था.
वो रोज मेरी तरफ ऐसे देखता था जैसे अक्सर लड़की को पटाने वाले लड़के देखते हैं.

उस समय मेरे पति थे तो मैंने यह बात अपने पति को भी बताई थी.
फिर मेरे पति ने एक दिन उसी आदमी को सोच कर मेरे साथ सेक्स किया था.
वो सेक्स मुझे न जाने क्यों बड़ा सुखद लगा था.

मैंने अपने पति से इस बात को कहा … तो उन्होंने मेरे साथ सेक्स करते समय उसी को रखना चालू कर दिया था.
जब भी मेरे पति मुझे चोदते तो मुझसे उसी आदमी को अपने ऊपर चढ़ा हुआ सिच कर चुदाई का मजा लेने को कहते थे.

हालांकि मुझे रोज रोज ऐसा करना कभी भी अच्छा नहीं लगा था और इस वजह से हमारे बीच कई बार झगड़े भी हुए.

अब जब पति नहीं रहे और मेरे अन्दर वासना भड़क उठी, तो मेरे जेहन में वही आदमी आने लगा.
वैसे भी मुझ जैसी स्त्री को ऐसे ही सोशियली अच्छे और नेक आदमी ही चाहिए होते हैं.

अब मैंने अपना मन बना कर उस आदमी को लिफ्ट देना चालू कर दिया. यानि कि मैं भी उसकी तरफ देख कर उसकी मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराहट से देने लगी.

एक दिन वो मेरे पास आकर अपना परिचय देने लगा.
मैंने भी अपना परिचय दिया और ‘हाई हैलो …’ कर दिया.

उसने एक कॉफी की गुजारिश की, जो मैंने मना नहीं की.
वो अपनी गाड़ी में मुझे सीसीडी लेकर गया जहां हम दोनों ने खुद के बारे में कुछ बातें की.

उसका नाम विकी था. विकी ने मेरे विधवा होने पर उसने शोक जताया, पर मन ही मन जरूर खुश हुआ होगा क्योंकि वो पिछले तीन साल से मुझे ताड़ रहा था.

अब मुझे परेशानी यह थी कि आगे कैसे बढ़ा जाए … क्योंकि मुझे चुदाई की इच्छा तो जरूर थी, पर डर भी लग रहा था.

खैर … हमने एक दूसरे का मोबाइल नंबर लेकर विदा ले ली.
अब हमारी रोज व्हाट्सएप पर बातें शुरू हो गईं. वो रोज मुझे शायरी, गुड मॉर्निंग और गुड नाइट के मैसेज भेजने लगा.

यह सिलसिला कब डबल मीनिंग वाले मैसेज में बदल गया समझ ही नहीं आया. अब तो हमारी चैट सेक्सी और कामोत्तेजक मैसेज में तब्दील हो गई थी.
हालांकि मैंने कभी वैसे मैसेज उसको नहीं भेजे, पर उसके भेजे ऐसे मैसेज को एंजॉय जरूर करने लगी थी.

एक दिन ऐसे ही कॉफी शॉप में बैठे बैठे उसने पूछा- हमें कहीं अकेले में भी मिलना चाहिए.
मैंने उसे ‘सोच कर बताऊंगी ..’ कहकर टाल दिया.

लेकिन मन ही मन उसकी चाहत जरूर थी या यूं कहो कि मैं भी यही चाहती थी.

फिर घर पहुंचने तक उसका ‘आई लव यू ..’ का मैसेज आ गया था और वो मुझे अकेले में मिलकर अलग ढंग से इजहार करने की इच्छा रख रहा था.

बस मैंने उसे दो दिन बाद मेरे अपने घर मिलेंगे कह के हां कह दी.
जिसके जवाब स्वरूप उसने बहुत सारे किसिंग वाली स्माइली भेज दीं.

मुझे दो दिन का समय खुद को संवारने के लिए चाहिए था.
मैंने दो दिन में वैक्सिंग फेशियल वगैरह कर ली.

वो गुरुवार का दिन था, हमेशा की तरह हम दोनों अपनी अपनी बेटियों को स्कूल पहुंचाने आ गए.

मैं अपनी स्कूटी पर निकली और उसे अपने पीछे आने का इशारा कर दिया. मेरे अपार्टमेंट के कुछ कदम पहले स्कूटी रोककर, मैंने उसे फोन किया और अपना फ्लैट नंबर बता दिया.

मैंने उसे ये भी हिदायत दी कि वो मेरे पहुंचने के दस मिनट बाद आए और सीधा दरवाजा खोल कर अन्दर आ जाए ताकि कोई उसे मेरे घर आते देख न ले.
साथ ही विंग में आते ही एक मिस कॉल देने के लिए कह दिया.

विकी भी हिदायतों का पालन करते हुए मेरे घर में दाखिल हो गया.
मैं दरवाजे के ठीक पीछे ही खड़ी थी.

जैसे ही विकी घर में दाखिल हुआ, मैंने तुरंत दरवाजा बंद कर दिया.

विकी ने मुझे तुरंत अपने बांहों में भर लिया और कहा- तुम बहुत अच्छी हो, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ.
बस उसने मेरे ऊपर चुंबनों की झड़ी लगा दी.
मैं भी उसका साथ देने लगी.

मैं वन पीस सिल्क बेबीडॉल नाइटी पहने हुई थी जो सामने से खुली रहती है और एक तरह से सुविधाजनक ही रहती है.

प्रेम से उसने फिर से मेरे मस्तक पर किस करते हुए कहा- तुम बहुत खूबसूरत हो … और जितना लाजवाब तुम्हारा बदन है, उससे कहीं ज्यादा सुंदर तुम्हारा अन्तर्मन है.
मैंने भी जवाब में कहा- मैं भी तुम्हें चाहने लगी हूँ. यह वक़्त मुझे तुम्हारे नाम करना है. आज तुम मुझको महका दो, मुझे बहका दो … मेरे ख्वाबों को हकीकत बना दो.

मेरा बदन चिकना था और हर अंग में कटाव था. सुडौलता और सुंदरता की धनी, रूप लावण्य का रस छलकाती हुई उसकी बांहों में सिमटी मेरी जवानी उसकी कामकला के प्रदर्शन की प्रतीक्षा करने लगी.

वो मेरे रसीले होंठों से कामरस चूसने लगा और उसके हाथ मेरे उन्नत नोकदार उरोजों को सहलाने लगे.
मैं बिन जल मछली की भांति उसकी बांहों में छटपटाने लगी.

दो धधकते जिस्मों के बीच वासना और उत्तेजना के द्वन्द की शुरुवात हो चुकी थी.
मैंने उसके गले में बांहों का हार डाल दिया और उसके सर को खींच कर अपने उरोजों तक ले आई.

मेरी ब्रा से बाहर झांकते गुंदाज उभारों को वो जीभ से सहलाने लगा और हाथों से मेरी चुचियों की गोलाई को नापते हुए ब्रा के अन्दर हाथ डाल दिया.

उसने मेरे उरोजों को बाहर निकाल लिया. मेरे निप्पल बाहर आ गए थे, एकदम तने हुए काले निप्पल बाहर निकलकर मुझे मानो मुँह चिढ़ा रहे थे.

उसने उन्हें अपनी उंगलियों के बीच दबाकर उमेठ दिया. मैं दर्द और मजे से दोहरी हो गई और दूसरे ही पल उसने मेरे एक कड़क निप्पल पर अपना मुँह लगा दिया.

मैं ‘ईस्स ..’ करके रह गई.
मेरी कातिल आंखों पर वासना के डोरे पड़े थे. मेरी उंगलियां उसके बालों की जड़ में फंस कर उसे कस रही थीं.

मैंने अपने नाजुक होंठों को दातों के बीच दबा लिया था. वक़्त ठहर सा गया था, उत्तेजना उफान पर थी और उसका लंड अभी भी कपड़ों की कैद में था.
वो आज़ादी के लिए फड़फड़ा रहा था और कह रहा था कि इस कामुक मिलन का साक्षी मुझे भी बना लो. मेरे बिना तुम्हें जन्नत नसीब न होगी.

उसने बैचेनी से मेरी नाइटी खोलनी चाही और मैंने उसका साथ भी दिया.
इसी दौरान उसने भी अपने वस्त्रों को अपने तन से जुदा कर दिया.

मैं पिंक कलर की नाइटी के नीचे लाल कलर की जालीदार ब्रा पैंटी पहन कर आई थी.

मेरी नजर उसकी सजीली गठीली काया को निहार कर उसके लिंगदेव पर आकार ठहर गई.
उसका लिंगदेव उत्तेजना के कारण आसमान को ताक रहा था. लंड के ऊपर की त्वचा नीचे सरक चुकी थी और उसका गुलबी सुपारा चमक कर मेरी आंखों को चौंधिया रहा था.

उसके चुंबनों के वजह से मेरी चुत गीली हो गई थी. मेरे पैर उत्तेजना से कांपने लगे थे. मैं धड़ाम से सोफ़े के ऊपर बैठ गई.

विकी ने मेरी टांगों के बीच में जगह बनाई और घुटनों के बल बैठ गया. मेरे करीब आकर उसने पहले मेरी चुत को सूंघा. सूंघने से उसको चुत की सौंधी सी खुशबू आ रही थी.
मेरी चुत तो पहले ही गीली हो चुकी थी. मैंने खुद की उंगलियों से चुत की दोनों फांकों को अलग कर दिया.

उसने करीबन 5-6 बार मेरी चुत की चुम्मी ली और फिर चुत चुसाई में लग गया. उसने जीभ से चुत की लंबी फांक को सहलाना शुरू किया और अपने एक हाथ की बीच उंगली को मेरी चुत में घुसा दी.

मैं चिहुक उठी- उफ़्फ़. … आआहह … ऊई ईईईई..

मेरे हाथ उसके सर के पीछे थे, जो उसके बालों को सहला रहे थे और चुत की ओर लगातार खींच रहे थे. वो तो बस मेरी चुत चुसाई में तल्लीन था.

उसके मुँह से केवल ‘लप … लपर … लप ..’ सुनाई दे रहा था. उसकी उंगलियां मेरी चुत के गहराई में उतर रही थीं.
वो कभी मेरी चुत के दाने को चूसता, कभी दांतों से हल्के से काट लेता. ऐसा करके मुझे वो चरम सुख की ओर ले जा रहा था.

तभी मैंने उसके सर को अपनी जांघों के बीच में जकड़ लिया और दोनों हाथों से उसके सर को चुत की ओर खींचने लगी.

एक चीख मेरे मुँह से फूटी- आहहह आईईई … हाहहह … मैं गईईईई … और चूसो … आह चूस डालो सब रस.

मैं वासना में न जाने क्या क्या बड़बड़ाने लगी थी. तभी मैं झड़ कर निढाल हो गई.
विकी बोला- बिना लंड लिए ही झड़ गई तुम तो!

मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और सर को पकड़ कर चूमने लगी.
उसने भी मुझे अपने आगोश में भर लिया.

एक हाथ से मैंने उसके लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी.

उसने मेरी आंखों में देखा, हम दोनों मदहोश हो गए थे और एक दूसरे में समा जाने के लिए बेकरार थे.

उसका खड़ा लंड अब काफी सख्त और लंबा हो गया था.
उत्सुकतावश मैं थोड़ी सी अलग होकर उसके लंड को निहारने लगी. करीब 7 इंच का लंड था जो मेरे पति के लंड से एक इंच ही शायद बड़ा था. पर हां मोटाई मेरे पति के लंड के मुक़ाबले दुगनी थी.

एक गैर मर्द का लम्बा मोटा लंड देख कर मेरे मुँह और चुत दोनों में पानी आ गया था.

दोस्तो, इस मस्त लंड से मेरी चुत चुदाई की नंगी कहानी का अगला भाग जल्द ही आपके सामने होगा. आप प्लीज़ लंड हिलाने से पहले मुझे कमेंट करके अवश्य बताएं कि आपको मेरी सेक्स कहानी में कितना मजा आया.

नंगी कहानी का अगला भाग: विधवा की कामवासना- 2