सरदार जी को खिलाया चूत का मेवा- 2

गबरू ड्राईवर सेक्स कहानी में मैंने अपनी कम्पनी के ट्रक डाइवर से चूत मरवाई तो मुझे बहुत मजा आया. एक बार मैं शाम को उसके साथ उसके ट्रक में जाकर नंगी हो गयी.

कहानी के पहले भाग
अपने ट्रक ड्राईवर पर दिल आ गया
में आपने पढ़ा कि मुझे सेक्स का शौक शुरू से ही रहा है. शादी के बाद पति काम में व्यस्त हुए तो मैंने बाहर के लंड लेने शुरू कर दिए.
एक दिन मैं अपने गोदाम में गयी तो वहां हमारा ड्राईवर सरदार ट्रक खाली करवा रहा था. सरदार का बदन देख मेरी चूत लंड मांगने लगी.
तो बस … मैंने अपने चरित्तर दिखाने शुरू कर दिए.
सरदार मेरे जैसे सेक्सी माल को खान छोड़ता भला!

उसके वीर्य की एक एक बूंद मैं पी गई। मैंने चाट चाट कर उसका लन्ड साफ कर दिया।
उसने पूछा- मालकिन, कैसा लगा हमारा रस?
मैंने बोला- अरे सरदार जी, अमृत है ये तो! मजा आ गया।
अब मैं उठ गई, उससे लिपट गई और जबरदस्त स्मूच करने लगी।

अब आगे Gabru Driver Sex Kahani:

मैं संतुष्ट हुई थी मगर मेरा मन सरदार के लन्ड से अभी भरा नहीं था।
मुझे उसके लन्ड की और ठुकाई चाहिए थी।

मैंने परविंदर से कहा- सरदार जी, मेरा मन खुश हुआ है, अभी भरा नहीं!
उसने कहा- अरे मालकिन, तो आप मुझे जब चाहिए तब बुला लो। आप जी भर कर प्यार कर लेना!

मैंने कहा- मौका मिलते ही मैं कॉल करूंगी, तब आ जाना।

कहकर मैंने उसका नम्बर लिया।
उसने भी मेरा नम्बर लिया।

अब हम बाहर आए।
सब काम ख़त्म कर के मैं घर चली गई और वह ट्रक लेकर निकल गया।

इस बीच दो तीन दिन बीत गए लेकिन उसके लन्ड को मैं भूल नहीं पा सकी।
हर बार परविंदर की याद आ जाती।

मैं जैसे उसके प्यार में खो चुकी थी।
मैंने उसे एक दिन कॉल किया।

“हेलो सरदार जी, कैसे हैं? लगता है अपनी मालकिन को भूल गए?” मैंने कहा।
“अरे मेरी मखमली मालकिन … आपको और आपकी मुनिया को कैसे भूल सकता है आपका सेवक!” उसने जवाब दिया।

मैंने कहा- अरे यार, मेरी मुनिया तो उस दिन से सिर्फ आपका बबुआ मांग रही है। आपका नाम याद आते ही बहने लगती है। कब मिलोगे?
उसने कहा- अरे मालकिन, कल राजकोट की ओर जा रहा हूं, मैटेरियल लाने। चलेंगी साथ में?

मैंने कहा- अरे पर वहां करेंगे कहां, कैसे? तुम्हारा साथी भी तो होगा।
वो बोला- वो सब आप मुझ पर छोड़ दीजिए मोहतरमा! कल शाम निकलना है। चलिए, रात भर मजे करेंगे।

मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे।
मैंने झट से हामी भर दी।

वैसे मेरा मायका भी राजकोट ही था।
मैंने मन बना लिया कि कुछ भी करके जाना तो है ही!

तब मैंने पहले मॉम को सब बता दिया।
मॉम ने तो ना कहना ही नहीं था।

अब मैंने रात में पति को बताया- मुझे कल मॉम के पास जाना है। मेरी एक फ्रेंड जा रही है, तो उसके साथ जाऊंगी।
उन्होंने भी हां कर दिया।

मैं अब जाने की तैयारी करने लगी।
मैंने एक छोटा बैग लिया जिसमें मेरे बढ़िया सेक्सी कपड़े ले लिए।

शाम पांच बजे मैं घर में सबको बता कर निकल गई।

मैं निकली तब एक हरे रंग की साड़ी पहन कर आई थी।

हमें शाम सात बजे निकलना था।
तब तक मैंने एक सहेली के यहां टाइमपास किया और परविंदर को कॉल करके सीधा हाई वे पर पिकअप का बता दिया।

सात बजे तक मैं हाई वे पहुंच गई।
थोड़ी ही देर में मेरा सरदार ट्रक लेकर आ गया।

शाम का वक्त था, मैं ट्रक में चढ़ गई।
तर्क ऊंचा था, सरदार में मेरे चूतड़ों को दोनों हाथों से ऊपर धकेल कर मुझे ट्रक में चढ़ाया.

मैंने अंदर जाकर देखा तो परविंदर अकेला ही था। आज उसका साथी ड्राइवर नहीं था।

ट्रक को अंदर से बिल्कुल एक कमरे की तरह सजाया हुआ था।

ड्राइवर सीट के पीछे एक आदमी को सोने का बेड बनाया हुआ था।
खाने पीने का सामान था।

मैं बैठी तो साइड की खिड़की बंद कर दी।

परविंदर ने मस्त पंजाबी गाने चला रखे थे।
उसने मुझे ऊपर से नीचे तक निहारा और आंख मार दी।

मैंने पूछा- क्या सरदार जी … अब नजर लगाओगे?
उसने कहा- अरे मालकिन, उस रात आपको ठीक से देख नहीं पाया था। आज तो आप और भी ज्यादा कमाल लग रही हैं।

अब मुझे शरारत सूझी और उसे कहा- रुको और कुछ जलवा दिखाती हूं।
इतने में मैंने अपना पल्लू हटा दिया और साड़ी निकालने लगी।

जल्द ही मैंने अपनी साड़ी उतार दी।
साथ ही अपना पेटीकोट खोल कर सिर्फ पैंटी में आ गई।

सरदार एकदम हक्का बक्का रह गया और बोल पड़ा- मालकिन जान लोगी क्या अब?
मैंने उसको अनसुना करते हुए अपना ब्लाउज भी निकाल दिया।

अब मैं एक ट्रक में ड्राइवर सरदार के सामने सिर्फ एक सफेद रंग की ब्रा और पैंटी में थी।

फिर मैंने अपने पैर मोड़ कर उसके जांघ पर ले गई और पैरों से उसकी जांघ सहलाने लगी।
मैंने सरदार की हालत खराब कर दी।

मैं हंस रही थी और वह गाड़ी चलाते हुए अपने आप को कंट्रोल करने में लगा था।

रात के आठ बज रहे थे।

अब उसने गाड़ी एक सुनसान जगह पर खड़ी कर दी।
फिर उसकी ओर की खिड़की बंद करके वह मेरे पास आया।

उसने एक झटके से मेरी ब्रा निकाली और पैंटी भी!
मैं अब ट्रक में पूरी तरह से नंगी हुई।

उसने अपना पजामा खोला, अंडरवीयर उतार कर वो नीचे से बिल्कुल नंगा हो गया।

मैं तो पहले से उसकी कायल थी।
मैंने उसे पीछे वाले सीट पर खींचा और उसे लिटाकर ऊपर चढ़ गई।

अब उसका लन्ड पकड़ कर मैं सीधी उस पे बैठ गई।
मैंने आहिस्ता से उसका लन्ड मेरी चूत में ले लिया और ऊपर नीचे होने लगी।

सरदार का मोटा लन्ड मेरी बच्चेदानी तक घुस चुका था।
मेरी सिसकारियां निकलने लगीं।

अब वह मेरे मम्मे दबाने लगा।
मैं झुककर उसके सीने पर लेट गई और उसके मुंह में मुंह डाल कर चूमने लगी।

वह भी मंद आहें भरने लगा- मालकिन, आप की चूत में तो स्वर्ग का अहसास होने लगा है। हाय ओ मेरे रब्बा क्या गजब की माल हो आप!

मैंने उसे उकसाते हुए एक चमाट उसके मुंह पर लगा डाली और कहा- साले चूतिये, ये क्या मालकिन की रट लगा रखी है। मैं तो तेरी रण्डी बनकर तेरे ही ट्रक में अपनी मरवा रही हूं। मुझे रण्डी बोल, रखैल बना अपनी! चोद मुझे जोर से!

अब उसका ईगो हर्ट हुआ।
वह तो था हट्टा कट्टा पंजाबी सरदार … मैं उसके हमले के इंतजार में थी।

इतने में उसने एक जोरदार थप्पड़ मेरे मुंह पर लगा दिया।
मेरी तो आंखों से आंसू निकल पड़े।

मैं संभलती, उसके पहले ही उसने अपने दोनों हाथों से मेरे मुंह पर चांटों की झड़ी लगा दी।
वह एकदम वहशी हो गया- साली रण्डी, छीनाल औरत … इज्जत दी तो तू मुझे नामर्द समझने लगी? अब देख तेरा क्या हाल करता है ये सरदार!
कह के उसने मुझे अपने ऊपर से हटाया.

और तब मुझे नीचे सीट पर लिटाकर मेरी टांगों के बीच आ गया और अपना डंडा मेरी चूत में एक ही बारी में ठूंस दिया।
मेरी हालत खराब हो गई।

उसका हर एक जबरदस्त शॉट मेरी बच्चेदानी तक टकराता।
मैं भी हार मानने के मूड में नहीं थी, उसके हर शॉट पर मैं ‘अह्ह्ह … चोद साले … चोद … ठोक अंदर तक … क्या चोदता है मेरे ठोकू!” बोलकर उसे उकसाती।

अब उसने स्पीड दोगुनी करते हुए दसएक जोरदार ठोकरें लगाई और अपना लन्ड निकाल कर मेरे मुंह के पास लाया।
मैंने चूस चूस के उसका पानी निगल लिया।

अब हम दोनों हाम्फते हुए अलग हो गए।
उसने एक लुंगी पहन कर ट्रक चलाना शुरू किया और हम आगे बढ़ गए।

मैं नंग धड़ंग उसी सीट पर गिरी पड़ी थी।

बाद में उठकर मैंने शॉर्ट और टॉप पहन लिया।
मुझे बहुत थकावट महसूस हो रही थी।

तबी मुझे शराब पीने का मन हुआ।
“शराब है सरदारजी?” मैंने पूछा।
“हां है ना मालकिन, आप के लिए तो जान हाजिर!” उसने कहा।

उसने एक बैग मुझे दिया जिसमें शराब की बोतल थी।
मैंने उसे खोला और गिलास में दारू डाली और पानी मिलाकर एक घूंट में ही गटक ली।

झट से मैंने दूसरा पेग बनाया और उसे भी ख़त्म किया।
अब मैंने एक और पेग बनाकर परविंदर को दे दी।

“आपके हाथ से शराब पीकर मालकिन मैं तो धन्य हो गया।” उसने कहा।

मैंने उससे पूछा- अब आगे क्या इरादा है?
उसने बताया- ओ जी, आगे अपने यार का ढाबा है। वहां खाना-पीना और रात में खूब मजे करेंगे मेरी जान!
मैंने कहा- यार सरदार जी, आप मजा तो बहुत देते हो। मैं तो बिल्कुल तृप्त हो गई।

परविंदर और मैं हंसने लगे।
मैंने एक और पेग मारा।

अब हमारा ट्रक ढाबे पे पहुंचा।

उसने मुझे उतरने को कहा।
हम उतर कर ढाबे के पिछले वाले दरवाजे से अंदर गए।
वह मुझे एक छोटे से कमरे में ले गया।

उसने ढाबे वाले को बुलाकर वो कमरा खुलवाया।
वह भी एक सरदार था।

उसने आते ही परविंदर को पूछा- ओ भाह जी, इतनी पटाखा आइटम? कहां से उठा लाए?
परविंदर बोला- मिली जामनगर में! सड़कछाप रण्डी है साली!

उसे क्या पता मैं तो इस ट्रक और पूरे कंपनी के मालिक की इकलौती बीवी हूं।

कमरे में एक चारपाई लगाई हुई थी।
हम उस पर बैठ गए।

परविंदर ने शराब मंगाई और खाना लगाने को कहा।

शराब आई और साथ में कुछ नॉन वेज भी था।
हमने पेग लगाना शुरू किया।

आज तक मैंने नॉन वेज नहीं खाया था मगर परविंदर के जोर देने पर मैं शराब के साथ चखने लगी।

इसके बाद खाना आया।
मुझे भूख लगी थी।

और इसके बाद हम जिस्म की भूख भी मिटानी थी तो हमने खाना खत्म किया और थोड़ा आराम करने उसी चारपाई पर लेट गए।

हम एक दूसरे को लिपट कर सो गए थे।

कुछ देर बाद मुझे मूतने की तलब लगी, मैंने सरदार को कहा और उठकर मूतने चलने लगी।
परविंदर मेरे पीछे पीछे आ गया।

मैं ढाबे के पीछे की ओर गई.
अंधेरा था तो वहीं पे मेरा शॉर्ट खिसका कर मूतने लगी।

हम दोनों पर शराब का नशा छाया हुआ था।

परविंदर आकर अपनी लुंगी उठाके सीधा मेरे मुंह पर मूतने लगा और मुझे बोला- रण्डी मालकिन, पीयेगी सरदार का मूत?
मैंने झट से अपना मुंह खोल दिया और परविंदर का मूत पीने में लग गई।
क्या स्वाद था उसके मूत का खारा खारा!

शराब के नशे में मैं धुत्त थी … मैं जितना पी सकती, उतना मूत पी गई, बाकी सब मेरी टॉप पर गिर गया।

हम दोनों वापिस कमरे में आए।
आते ही मैं सरदार से मुंह लगाकर चूमती रही।

जल्द ही हमारे कपड़े उतर गए और हम दोनों मादरजात नंगे हो चुके थे।

परविंदर ने कहा- अब कैसा मजा चाहती है मेरी रण्डी मालकिन?
मैंने बोला- अम्मम्म … सरदार जी, अब मेरी गांड की मरम्मत कीजिए ना अपने लोहे से!

अब उसने मुझे टांगें चौड़ी कर के लिटाया और मेरी पीठ के नीचे एक तकिया लगाया.
वह मेरी चूत से लेकर गांड को चाटने लगा।

फिर से मेरी वासना जाग उठी; मैं सिसकारियां भरते हुए तड़पने लगी।

उसने मेरी गांड में अपनी जीभ लगाकर उसे गीला कर दिया और उठ कर अपना लन्ड मेरी गांड की के छेद पर टिका दिया।

मैंने उसे रोका और उसका लन्ड चाट कर थोड़ा गीला कर दिया ताकि आसानी से वो मेरी गांड में घुसे।

अब उसने नीचे जाकर फिर से मेरी गांड में निशाना साधते हुए एक जोरदार धक्का लगाया।
मैं पहले भी गांड मरवा चुकी थी तो लन्ड अन्दर तो घुसा मगर बड़ा और मोटा होने की वजह से मेरी तो गांड फट गई।

उसने एक झटके में ही पूरा लौड़ा अंदर कर दिया।
पीठ के नीचे तकिया लगाने से मेरी गांड बिल्कुल खुल गई थी।

अब वह मेरी टांगें फैला कर मेरी गांड मारने लगा।
साथ ही वह मेरी चूत में उंगली करने लगा।

अब मेरी गांड में लन्ड और चूत में उंगली थी जिससे मेरा मजा डबल हो गया।

मैं आंखें बंद करके इस पल का आनंद ले रही थी।
चूत में उंगली मजा देती मगर गांड में लन्ड की ठोकर मुझे दर्द देने लगी- अअह्ह्ह … मेरे सरदार, मेरे ठोकू … मजा आ रहा है।

उस हरामी ने अब अपना एक अंगूठा टेढ़ा करके मेरी गांड में लन्ड के साथ ही अंदर फसा दिया।
यह बहुत ही अजीब था मेरे लिए!
एक तो उसका तगड़ा लन्ड और साथ में अंगूठा, मेरा हाल दर्द से बेहाल हुआ।

मैं कराहने लगी- उई माआ आआआ … भोसडी के सरदार … बहुत दर्द हो रहा है … अम्ह्ह्हह्ह … उह्ह्ह्ह!
दर्द में मैं बिलबिलाने लगी।

अब वह मेरे मुंह पर आकर मुझे चूमने लगा।
सरदार का भारी भरकम शरीर अब मुझे असहाय महसूस कर रहा था।

सरदार मेरी मासूम गांड के चीथड़े उड़ाने में लगा हुआ था।
मेरी गांड में अब जलन होने लगी थी।
दर्द इतना था कि मैं अब कराहना भी भूल गई; बस चित लेटी हुई उसका हर धक्का सहने लगी।

शर्म हया छोड़ छाड़ के मैं अपने पति के ड्राइवर से एक ढाबे में चुदवा रही थी।
परविंदर अब हर शॉट में अधिक जोर लगा रहा था।

लगभग दस पन्द्रह मिनट मेरी गांड ठोकने के बाद वो एकदम हांफता हुआ मेरी गांड में ही झड़ गया।
मेरी गांड में उसका गरमागरम वीर्य मुझे महसूस हुआ।

एक के बाद एक पिचकारियां छोड़ कर सरदार मेरे उपर निढाल होकर लेट गया।

हम दोनों आनन्द के सातवें आसमान पर पहुंच गए थे।
जहां मेरी गांड सरदार के मूसल से फटी पड़ी थी, मगर मेरी वासना एकदम संतुष्ट हो चुकी थी।

साथ ही परविंदर, जिसने कभी सपने में भी सोचा नहीं होगा, उस औरत यानी अपनी मालकिन की चूत और गांड की धमाकेदार चुदाई करने से वह एकदम स्वर्ग में था।

मेरे ऊपर लेटे लेटे अब वह मुझे आहिस्ता से चूम रहा था।
इस चुम्बन में एक अलग ही आनंद था जिसके हम दोनों बराबर के हिस्सेदार थे।

हम दोनों एक दूसरे की आंखों में आंखें डालकर उस आनन्द का अहसास करने लगे।
फिर मैंने उसकी छाती के बालों को चूमकर उसे और ज्यादा खुश किया।

यौन तृप्ति के इस चुम्बन के बाद वो मुझसे अलग हो गया- आज तक मैंने मालिक की सेवा की थी, और आज मुझे मालकिन का मेवा मिला। मालकिन आप साक्षात देवी हो, मेरा जीना सफल हो गया।

कहते हुए उसने मेरे पैर छुए।

सुबह के छह बजे तक हमने वहां आराम किया और सुबह फ्रेश होकर हम वहां से निकल पड़े।
मैं मॉम के घर गई और सरदार अपनी ट्रक लेकर निकल गया।

यह थी मेरी गबरू ड्राईवर सेक्स कहानी ड्राइवर परविंदर के साथ घमासान चुदाई की।

आशा करती हूं कि आप इसे भी मेरी बाकी कहानियों की तरह पसंद करेंगे।
मिलेंगे जल्द ही किसी नए और मजेदार ठुकाई की कहानी के साथ।

आपकी प्यारी और रण्डी अंजु भाभी का सबको प्यार भरा बाय!
गबरू ड्राईवर सेक्स कहानी पर अपने विचार मुझे बताएं.
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सेक्सी बहन की चिकनी चूत की चुसाई