दोस्त की विधवा को पटाया, उसकी बहू को चोदा

अंकल बहू सेक्स कहानी में मैं अपने दोस्त की मौत पर उसके घर गया तो भाभी से सेटिंग हो गयी. पर इससे पहले कि मैं भाभी को चोद पाता, उनकी छोटी बहू मेरे लंड का मजा ले गयी.

दोस्तो, मैं चन्दन सिंह
मेरी पिछली कहानी थी: बहन की चुदक्कड़ जेठानी और उसकी बेटियां

आज एक नई सेक्स कहानी के साथ हाजिर हुआ हूँ.
इस Uncle Bahu Sex Kahani में मैं राजस्थान में अपने पुश्तैनी घर गया था.

मेरा पड़ोसी व बचपन का दोस्त सुरेन्द्र सिंह है जो एक सरकारी कर्मचारी था.
अपने घर राजस्थान जाने पर मालूम पड़ा कि रिटायरमेंट के बाद उसको केन्सर हुआ था, जिस वजह से उसकी मृत्यु हुए एक साल हो गया था.

उसका घर व मेरा घर एक दूसरे से जुड़ा होने के कारण पहले मेरा एक पैर उसी के घर में रहता था.
मैं उसे अपना मित्र कम भाई ज्यादा समझता था.

उसकी पत्नी विमला भाभी से मैं मित्र के नाते मजाक कर लेता था.
उनके साथ घर में दो बेटे-बहुएं, बड़ी बहू सरिता और छोटी रिया हैं.
और दो ही बेटियाँ भी हैं.
मेरे मुंबई जाने से पहले बड़े बेटे की शादी हो गयी थी और बहू सरिता आ गई थी.

दूसरे बेटे की शादी में मैं आ नहीं सका था.

इस बार मैं उनके घर गया और अफसोस जता कर वापस आ गया.
कुछ दिन उधर रुक गया था तब भी मैं अपने उस दोस्त के घर नहीं गया.

उसकी पत्नी यानि विमला भाभीजी ने एक दिन बोल दिया- चन्दन जी, आप के भाई चले गए, तो क्या आपने आना ही बन्द कर दिया!

मैंने कहा- नहीं, बस यूं ही थोड़ा व्यस्त हूँ, इस कारण नहीं आ पा रहा हूँ. वैसी कोई बात नहीं है.
यह कह कर मैं बात खत्म करके अपने घर आ गया.

दूसरे दिन सुबह छह बजे सब्जी लेने के लिए थैला लेकर निकलने लगा.

मुझे घर का गैराज खोलता देख, विमला भाभी ने मुझसे पूछा- सुबह सुबह कहां जा रहे हो?
मैंने बताया कि सब्जी लेने जा रहा हूँ.

वह बोली- मुझे भी लानी है.
मैंने कहा- मैं स्कूटी बाहर निकालता हूँ, तब तक आप थैला लेकर आ जाइए.

मैंने स्कूटी बाहर निकाली.
सर्दी का मौसम शुरू हुआ ही था, इस कारण सड़क पर कोई नहीं था.

मैंने स्कूटी स्टार्ट की और विमला भाभी को पीछे बैठा कर स्कूटी बढ़ा दी.

जैसा कि मैंने बताया कि मैं कभी कभी उनसे मजाक भी कर लेता था.
कुछ दूर चलने पर विमला भाभी का बैलेंस सही नहीं होने के कारण मैंने मजाक में उनसे बोला- भाभीजी सही से बैठिए, आपका वजन ज्यादा होने के कारण गाड़ी सही नहीं चल पा रही है.

भाभी बोली- एक बार स्कूटी रोकिए.
मैंने गाड़ी रोक कर उसे फिर से सही से बैठाया और गाड़ी आगे बढ़ा दी.

इस बार भी भाभी ने मुझसे दूरी बना कर रखी थी.
वैसे भी स्कूटी की सीट पर दो वयस्क व्यक्ति जब चिपक कर बैठें … तब बराबर चलती है.

भाभी लगातार हिल रही थी तो मेरा संतुलन बिगड़ रहा था.
मैंने एक बार गाड़ी को पुनः रोका.

मैंने भाभी से कहा- देखिए भाभी, गाड़ी बराबर नहीं चल रही है. जैसे आप भाई के साथ बैठती थीं, वैसे बैठिए न!
वह बोली- ना, कोई देख लेगा!
तब मैंने कहा- आप घूँघट निकाल लो न!

उसको यह आइडिया समझ में आ गया और अब वह मुझसे एकदम चिपक कर बैठ गई.

सुबह की ठण्डी हवा में आगे से ठंड लग रही थी और पीछे से भाभी के बदन की गर्मी मस्त अहसास दे रही थी.

सब्जी मंडी तीन किलोमीटर दूर थी.
पाँच सौ मीटर से ढाई किलोमीटर तक कोई मकान दुकान नहीं था.

जब उस जगह आया, तब गाड़ी एक बार रोक कर मैंने भाभी से कहा- जब भंगन (सफाई कर्मी की पत्नी) को हाथ लगाओ और बांह में लो, तब एक ही बात है.
वह समझ गई और बोली- आप में और आपके भाई में घणा फर्क है.

मैंने कहा- भाई तो नहीं रहे, अब काम तो मैं ही आऊंगा. आप सुबह की ठण्ड का मजा लीजिए!
जहां मैंने गाड़ी रोकी थी, वहां से सुनसान शुरू होता था.

मैंने शाल को लपेट रखा था, तो मैंने शाल को ठीक करने के बहाने बड़ी चतुराई से लंड को बाहर निकाल लिया और उसे शाल के अन्दर कर दिया.

अब मैंने दुबारा स्कूटी चालू की.

इस बार विमला भाभी कुछ इस तरह से बैठी, जैसे अपने पति के पीछे बैठी हो.

मैंने स्कूटी की रफ्तार धीरे कर दी और विमला भाभी का एक हाथ पकड़ कर अपनी शाल के अन्दर लेकर लंड पकड़ा दिया.
जैसे ही विमला भाभी ने लंड का स्पर्श किया तो वह एकदम से खुल गयी.

उसने मेरे बड़े लंड को हाथ में लिया और बोली- वाह चन्दन, इतने सालों तक अपनी भाभी से छुपा कर रखा!
मैंने कहा- अरे विमला रानी, जब जागो तब सवेरा!

वह लंड मसलती हुई बोली- अब घर आना बन्द नहीं करना!
मैं बोला- आकर भी क्या करूँगा. बहुएं और बेटी घर में रहती हैं.
तब विमला बोली- उनकी चिंता मत करो. एक दो दिन रुको, मैं उन्हें बाहर भेज दूंगी.

अब सब्जी मण्डी आने वाली थी.
मैं स्कूटी रोक कर लंड को वापिस पैंट में डाल लिया.

हम दोनों ने सब्जी मण्डी से खरीदी की और वापस लौटने लगे.

अब तक लोगों का आना जाना चालू हो गया था, सड़क पर लंड खुला रखना ठीक नहीं था.
तब से मैं हर दो चार दिन में भाभी के घर जाने लगा. लेकिन चुदाई का मौका नहीं बन रहा था क्योंकि बहुएं पास ही होती थी.

मैं बड़ी वाली बहू सरिता के साथ विमला के बैठे होने पर भी बात कर लेता, ऐसा छोटी बहू ने भी देखा.
तीन चार दिन में छोटी वाली भी मुझसे बोलने लग गयी.

बड़ी बहू मेरे साथ सेट होने लगी थी, उससे मेरी आंखों से आंखों से बात होती रहती थी.

एक दिन छोटी बहू ने यह नैन मटक्का देख लिया.

जिस दिन छोटी बहू ने मुझे बड़ी बहू के साथ अंखिया लड़ाते देखा, उसी समय कोई आ गया था.
विमला और बड़ी बहू उससे मिलने बाहर चली गईं.

छोटी बहू ने पूछा- अंकल जी, ये कब से?
मैं समझ गया कि इसने देख लिया है.

मैं बोला- बस जो देखा इससे ज्यादा अभी कुछ नहीं है!
तब वह बोली- क्या वह मुझसे भी ज्यादा सुन्दर लगी?

मैं समझ गया और बोला- सच बात यह है कि तुम हीरा हो, हीरा की कीमत मेरे जैसे जौहरी ही जानते हैं. मैं तो डर के मारे तुमसे बात नहीं कर रहा था.

तभी वह बाहर झांक कर वापस कमरे में आ गई.
मैंने पूछा- बाहर क्या है, कोई आया है क्या?
वह हां में सर हिलाने लगी.

मैंने कहा- तो फिर?
वह बोली- अभी दस मिनट जाने वाला नहीं है.

ये बोलते ही उसने मेरे करीब आकर मेरी पैंट की चैन पर हाथ फेरना चालू कर दिया.

मैंने कहा- मरवाओगी क्या?
वह बोली- हां मार लो.

मैं हंस दिया तो वह बोली- दस मिनट तक कोई नहीं आएगा!
यह कह कर अब तक उसने चैन खोल दी.

मैंने पैंट का हुक भी खोल दिया, अपने अंडरवियर से लंड को खींच कर बाहर निकाला.
इस समय लंड मुरझाया हुआ भी पांच इंच से बड़ा था.

छोटी बहू ने कुछ देर हिलाया तो और बड़ा हो गया.
वह बोली- कल मेरे साथ होटल में चलना. मैं मायके जाने का बहाना कर दूंगी. परसों सुबह वापिस आएंगे.

मैंने पूछा- अगर तेरे पति को मालूम हो गया कि तुम मायके नहीं गई हो?
वह बोली- मेरे मायके में एक मेरी बूढ़ी मां और एक मेरी बहन भर है, जो तलाकशुदा है. उसकी डेट जिसके साथ चल रही है, उसने मुझे बता रखा है. वैसे हम दोनों बहनों आपस में कोई जानकारी छुपा कर नहीं रखती हैं. मैं उसे फोन करके बता दूंगी. अरे हां फोन से याद आया … आप अपना फोन नंबर तो दे दो.

तब तक मैं पैंट में लंड डाल कर सामान्य अवस्था में बैठ गया था.
वह भी दूर को हो गई थी.

मैंने उसे अपना मोबाइल नंबर डायल करने के लिए फोन दे दिया.
उसने एक घंटी करके नंबर ले लिया और फोन वापस दे दिया.

अब वह उठ कर बाहर गयी.
मेरे लिए पानी ले आई.

तब तक बड़ी बहू और विमला भाभी भी आ गयी.

आते ही विमला भाभी ने पूछा- बोर तो नहीं हुए?
मैं बोला- छोटी बहू के होते बोर कैसे हो सकता हूँ. एक बात तो है भाभी, ये बहू पढ़ी लिखी और बड़ी होशियार है.

बड़ी बहू आंखों के इशारे से पूछने लगी- कुछ हुआ क्या?
मैंने नहीं का इशारा कर दिया.

कुछ देर और गप्प लगा कर मैं घर आ गया.
घर आकर मैंने छोटी बहू का नंबर सेव किया और व्हाट्सप्प खोल कर देखा, तो उसमें उसका एक मैसेज आया हुआ था.

उसमें लिखा था कि कल सुबह आप नौ बजे से पहले किसी होटल में जाकर कमरा बुक करा लेना और मुझे होटल सुरक्षित वाला चाहिए.

मैंने जवाब में लिखा कि फाइव स्टार होटल चलेगा!
वह बोली- नाम बताओ?

तब मैंने उससे ही पूछा- तुम ही बता दो.
उसने एक नाम लिखा.

दूसरे दिन सुबह नौ बजे उसके बताये फाइव स्टार होटल में एक छोटी अटैची में एक जोड़ी कपड़े लेकर पहुंच गया.

उस समय सीजन ऑफ चल रहा था तो कमरा आसानी से मिल गया था.

मैं कमरे में जाकर आराम से इन्तजार करने लगा.
साढ़े बारह बजे वह आई और आते ही बोली- सॉरी यार, सासु सुसरी मायके जाने ही नहीं दे रही थी … बड़ी मुश्किल से समझाया कि एक रात रह कर वापिस आ जाऊंगी. बहुत समझाने पर मानी.

मैं हंस दिया.

वह बोली- क्या कुछ मंगवाया नहीं?
मैंने पूछा- क्या मंगवाना था?

वह बोली- बिल्कुल बुद्धू हो क्या, आजकल शराब बियर का जमाना है.
मैंने कहा- अभी लो.

मैंने तुरंत इंटरकॉम से फोन किया.
थोड़ी ही देर में एक शराब की बोतल के साथ नमकीन आ गया.

तीन तीन पैग पीने तक छोटी बहू मस्त हो गई.

दोस्तो, उसका नाम रिया रख लेता हूँ.

रिया मेरे सीने पर अपने शरीर का वजन रख कर शराब पीती रही, साथ में वह सिगरेट का धुआं उड़ाती रही.
साली सिगरेट शराब की बड़ी शौकीन थी.

जब मैंने पूछा- ये सब कब से?
रिया बोली- पढ़ाई की कोचिंग के लिए पांच साल कोटा में रही, तब से!

मैंने उससे और आगे पूछा- इसका मतलब तो यह हुआ कि उधर सेक्स करना तो सामान्य होगा!
वह बोली- यार तुम बाबा आदम के जमाने के हो क्या, आजकल जिस उम्र में पीरियड आने लगता है, तब से सेक्स की इच्छा होने लग जाती है.

मैं- अच्छा एक बात बताओ- अब तक कितने लोगों का ले चुकी हो?
वह बोली- गिनती को कौन याद रखे. जब मन हुआ, कर लेती थी. पर यार एक बात सच बोलूँ कि मैंने लंड तो बहुत से देखे, तुम्हारे जैसा नहीं देखा. पहली बार में ही लौड़े पर फ़िदा हो गयी.

मैंने पूछा- आखिर बड़े होने से क्या वह सुकून नहीं मिलता?
रिया बोली- नहीं, बड़ा जब पूरा अन्दर जाता है तब उसका मजा कुछ और ही आता है. चलो पहले डाइरेक्ट एक राउण्ड करेंगे, दूसरे राउण्ड में पप्पी चूमाचाटी करेंगे. अब तक मेरी खुजली बहुत तेज हो चुकी है. तुम अपने कपड़े खोलो मैं अपने कपड़े … एक एक सेकेण्ड को ऐसे ही नहीं गंवाना चाहती हूँ.

जब उसने कपड़े खोले तो भूखी शेरनी की माफिक मेरे ऊपर शिकार करने की नियत से कूद पड़ी.
साली लंड को पकड़ कर चूत पर सैट करके दबाव लगाने लगी.

जब लौड़े की मोटाई का अहसास हुआ, तब उसके माथे पर पसीने की बूंदें दिखने लगीं.
मैंने हंस कर पूछा- क्या हुआ, पसीना आ गया?
वह हार कर बोली- मैं नीचे आती हूँ, तुम ऊपर आकर मेरी मदद करो.

मैंने उसे अपने नीचे लिया और उसके ऊपर चढ़ कर उसकी चूत के ऊपर लंड को फिराना चालू किया.
चूत की फांक पर ऊपर से नीचे तक सुपारे को दस बार रगड़ा.
इससे उसकी चूत में गीलापन आ गया.

मैंने मन ही मन सोचा कि साली ने कोचिंग के समय कितने लंड लिए, उसकी संख्या याद नहीं. आज इसे संख्या याद दिला कर ही रहूँगा.

यह सोच कर मैंने लंड को बराबर चूत के बीच रख दिया और उसके दोनों हाथों को अपने हाथ में पकड़ लिया.

उसके होंठों पर अपने होंठों रख कर जोर से लंड का दबाव बनाया और चूत फाड़ते हुए लंड को पेल दिया.

जैसा रिया ने कहा था कि जब पूरा लंड अन्दर आता है, तब चुदने का मजा आता है.
मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर जाकर गर्भाशय से टकरा गया.

मैंने पहले ही रिया को दबाये रखा था. मुझे मालूम था कि इसकी मां चुद जाएगी.
वही हुआ.

साली की आंखों से आंसुओं की धार बहने लगी.
आधा घंटा बहू सेक्स अंकल में कुतिया की चूत से चार बार झरना बहा, तब मैं रुका.
वह एकदम से शिथिल पड़ी थी और मुझसे रुकने का इशारा कर रही थी.

उसे लंड का मजा चखाने के चक्कर में मुझे लगातार उसे चोदना पड़ा, जिसके कारण थकान महसूस होने लगी.

मैं लंड चूत से खींच कर उसके बगल में लेट गया.
वह लंड देखने लगी कि अभी तक झड़ा ही नहीं है.

वह खुश हो गई और उलटी होकर पेट के बल मेरे सीने पर आकर लेट गई.

उसने अपना सर मेरे सीने पर रखा और हांफती हुई बोली- रियली यार … यू आर ग्रेट मैन.

इतना बोल कर उसने मेरे लबों पर एक चुम्बन दिया और वापिस सीने पर सर रख कर आराम करने लगी.

उसी बीच मैंने दारू की बोतल उठाई और दो तीन घूंट नीट लगा कर सिगरेट की डिब्बी उठाने लगा.

उसने भी बोतल से दो घूंट नीट लगाए और एकदम से मुँह कड़वा हो जाने से मेरे हाथ से सिगरेट लेकर स्वाद सही करने लगी.

हम दोनों एक दूसरे के नंगे जिस्म का मजा ले रहे थे.

मैं आधा घंटा बाद उठ गया.

उसने एक बड़ा सा पैग बना कर मुझे पकड़ा दिया और एक खुद भी पिया. साथ में एक और सिगरेट होंठों से लगा कर कश लगाने लगी.

मैंने हाथ बढ़ाया तो मुझे दे दी.

जब तक मैं कश लगाता, वह वापिस पैग पीने लगती और स्वाद सही करने के लिए मुझसे सिगरेट ले लेती.

एक पैग समाप्त होने के बाद एक और पैग बना कर बोली- मैं बहुत सालों से चुदाई कराती आ रही हूँ, पर एक तुम हो … जिसने मेरे ऊपर पहली बार में इतना प्रभाव छोड़ा. अन्यथा मैं अब तक तो अपनी चुदाई करवा कर उसे चलता कर देती. तुम्हें तो मैं इस जीवन में कभी नहीं भूल सकती हूँ.

दो पैग पीने के बाद हमारा एक और राउंड शुरू हुआ. मैंने विभिन आसनों के साथ उसकी चुदाई की.
एक घंटा बाद जब हम दोनों स्खलित हुए, तब मैं नीचे था और वह मेरे ऊपर थी.

हमेशा से विपरीत, उसने स्खलन के समय मुझे पुरुष की तरह जकड़ लिया. जब वह शान्त हुई, तो लेटी रही.
मैं भी उसकी चुदाई की तकनीक से प्रभावित हो

दोस्तो, जब हम दोनों आराम करने के बाद उठे, तब रिया बोली- अब यहां से मेरे मायके चलो, बाकी मजा वहीं पर करेंगे.
मैंने कहा- कल चलेंगे.
वह बोली- कल क्यों?

मैंने कहा- तुम नशे में हो.
वह बोली- अभी दो पैग और पी लूँ तब भी एकदम फिट दिखूँगी.

जब मैंने उससे चल कर बताने को कहा तो उसकी आवाज भी सही निकल रही थी.
फिर उसने चल कर भी दिखाया तो उसकी चाल भी सही लगी.

मतलब रिया खाँटी पियक्कड़ थी.

हम दोनों ने अपनी पैकिंग की और होटल के काउंटर पर पहुंच कर बिल चुकता किया.
होटल की गाड़ी ही हम दोनों को रिया के मायके छोड़ने चली.

रास्ते में शराब शॉप से दो तीन ब्रांड की स्टेंडर्ड शराब की बोतलें लेकर गाड़ी आगे बढ़ गई.
आगे सड़क के किनारे एक ठेला पर अण्डे मिल रहे थे, उसने ले लिए और हम दोनों उसके मायके आ पहुंचे.

उसकी बहन कविता ने देखा तो पूछ बैठी- रिया तुम तो कल आने वाली थी न!
वह बोली- दीदी, आज कोहिनूर हीरा मिला, तो सोचा आपको भी दर्शन करवा दूँ.

कविता तीस साल की थी और रिया अठाईस साल की.
दोनों ने अपनी अपनी खूबसूरत बॉडी को अच्छा मेन्टेन कर रखा था.

वे दोनों लगभग हम-शक्ल थीं.
बॉडी का नाप दोनों का एक समान था, 34-28-36 का कामुक फिगर था.

कविता की मां को दिखाई कम देता था, उसने अपने बेडरूम में बिस्तर पकड़ रखा था.
जब रिया डाइनिंग हॉल में आई तो उसने कविता से कहा- दीदी, एक बार दो चार पैग जमा लो, उसके बाद हम आपके साथ हीरा को सेलिब्रेट करेंगे.

इतना बोल रिया किचन में चली गयी.
वह मुझे हिदायत देकर गई थी कि कविता को दारू पिला कर मस्त करो.

मैंने उसे चार पैग पिला दिए.

तब तक रिया किचन से चखना बना कर ले आई.
वह एक बर्तन में गर्म पानी में उबले अण्डे के साथ, प्लेट में अण्डे की भुर्जी ले आई थी.

हम सभी ने फिर से पैग बना कर लेना शुरू किया.

अभी दोपहर के चार बजे का समय हो रहा था.

कुछ पैग पीने के बाद कविता बोल उठी- रिया, ऐसी क्या खास बात है तुम्हारे कोहिनूर में … जबकि तुम्हें मालूम है. अब मुझे एक अच्छा साथी मिल गया, जो मुझे पूर्ण सन्तुष्ट कर सकता है.

रिया बोली- दीदी तुमने भी अनगिनत लंड खाये और मैंने भी खाये, मगर आज ये मिले. इन्हें मिलाने ले आई ताकि एक बार तुम भी इनके लंड का मजा ले लो. बाद में तुम मुझसे शिकायत नहीं कर सकती.

कविता उठ कर मेरे पास कुर्सी पर आकर बैठ गयी और मेरे पैंट की जिप खोल कर उसने अंडरवियर से लंड बाहर निकाल लिया.

मुरझाया हुआ लंड देख कर बोली- बाप रे … अभी तो ये बैठा हुआ है, जब बड़ा होगा तब कितना बड़ा होगा?

कविता ने मुझसे उठने को बोला.
उसने कुर्सी पीछे लेकर मेरी पैंट और अंडरवियर उतार कर लंड को बड़ी मस्ती से सहलाया और चूसने लगी.

सच कहूँ तो कविता ने लंड को चूसने में मास्टरी हासिल कर रखी थी.
जब लंड अपनी औकात में आया, तब सुपारा उसके मुँह में नहीं आ रहा था.

वह रिया को देख कर बोली- सच में यार … आज तक ऐसा हीरा नहीं देखा.
कविता ने मैक्सी पहन रखी थी.

मैंने एक झटके में उसकी मैक्सी को उतार दिया और ब्रा पैंटी को भी उतार दिया.
वह कुर्सी पर आकर लंड पर चढ़ गई और उसको हाथ में लेकर अपनी चूत पर रगड़ने लगी.

उसकी चूत गीली हो चुकी थी मगर तब भी वह लंड अन्दर नहीं ले पा रही थी.

मैं मस्ती से उसकी हरकतों को देख रहा था. मेरा लंड एकदम मोटे गन्ने सा कड़क था.

जब उसकी अपनी चूत के अन्दर लंड डालने की सारी कोशिश विफल हो गई, तब कविता बोली- अब ये अन्दर कैसे जाएगा?

रिया हंस कर बोली- बेड पर लेटने के बाद जाएगा.

कविता मुझे लेकर बेड पर आ गयी.
मेरे नीचे लेटकर उसने मुझसे कहा- अब तुम ही डालो, मेरे बस की बात नहीं है.

तब तक शराब की बोतल और गिलास में पैग बना कर रिया भी आ गयी.
उसने भी अपने कपड़े उतार दिए.

रिया मेरे कान में बोली- साली की चूत को एक झटके में फाड़ दो.
मैंने वैसा ही किया.

रिया ने उसके मुँह पर हाथ रखा हुआ था.
कविता ने चीखना तो बहुत चाहा मगर रिया के हाथ की वजह से वह चीख ही नहीं पायी.

कुछ देर रुकने के बाद कविता अपनी चूत हिलाने लगी.
तब मैं समझ गया कि अब इसे चुदाई चाहिए.

मेरी पीठ के पीछे रिया मेरी गांड में अपनी जीभ डाल कर गांड चूसने लगी.
आगे कविता की चूत का भर्ता बन रहा था.

इस तरह रात भर उन दोनों की मस्त चुदाई की.

सुबह स्नान करके मैं घर आ गया.

बाद में रिया के लिए उसके पति का फोन आया था.

रिया ने कह दिया- मम्मी से कह दो कि मुझे पीरियड आ गया है. दो तीन दिन बाद आ जाऊंगी.

हकीकत यह थी कि मैंने दारू पिला पिला कर दोनों बहनों की चूत का भोसड़ा बना दिया और गांड गड्डे में तब्दील हो गई थी.

रिया और कविता से चलते नहीं बन रहा था.
वे दोनों कम से कम दो दिन आराम के बाद ही सामान्य हो पाएंगी.

दोस्तो, आपको मेरी यह अंकल बहू सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज अपना प्यार दें.
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