देशी XXX चूत चुदाई कहानी में मैंने अपने गाँव की दो चूतों को चोदा. दोनों मुझसे बड़ी थी पर दोनों बिन ब्याही थी. तब तक मैंने सेक्स का मजा नहीं लिया था.
हैलो फ्रेंड्स, मेरे गांव में मेरे साथ एक ऐसी घटना हुई थी, जिसमें मुझे एक साथ दो चुत चोदने का मजा मिला था.
इस चुदाई में मुझे परम आनन्द की प्राप्ति हुई थी.
मुझे आशा है कि आपको भी इस Desi XXX Chut Chudai Kahani से आनन्द मिलेगा.
अब मैं आपको इस कहानी के पात्रों से अवगत करा देता हूँ.
इस कहानी में पात्रों के नाम एवं कहानी का हर अंश शत-प्रतिशत सत्य है, केवल जगह का नाम बदला हुआ है.
मैं, अपनी व जिसके बारे में कहानी लिखी जा रही है, उसकी निजता भंग न हो, इसलिए ज्यादा कुछ उजागर नहीं करूंगा.
इस कहानी का नायक यानि मैं अंकित पटेल, एक 26 वर्षीय युवक हूँ.
मेरा कद 5 फिट 10 इंच है और पाठिकाओं के कौतूहल का सबसे महत्वपूर्ण अंग, मेरे लंड का आकार काफी मस्त है. ये 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है.
मैं छत्तीसगढ़ के एक गांव का निवासी हूँ.
इस कहानी की पहली नायिका जो कि देखने में सांवली थी, परन्तु उसके भरे हुए मोटे मोटे 36 इंच के चुचे, इतने ज्यादा आकर्षक थे कि जिसको हर कोई मर्द निचोड़ना चाहे.
उसकी 30 इंच की मादक कमर और 38 इंच की गांड किसी के भी लंड को खड़ा कर सकती थी.
गदरीली मांसल देह और मोटी मोटी जांघें, तीखे नैन नक्श किसी को भी एक नजर में वश में कर ले. उसका नाम रेखा था.
दूसरी नायिका का भी क्या कहना. वो 38-30-40 का गदर और भरा हुआ माल.
उसका गठीला बदन देख कर मैं तो तभी से पागल हो गया था, जब से उसको देखा था.
इसका नाम हफ्ज़ा था और ये एक रांड औरत थी.
अब तक ना जाने कितनी बार मैंने इन दोनों के नाम की मुठ मारी होगी.
परिचय के पश्चात मैं कहानी के उन दिनों में आता हूँ, जब मैंने इन दोनों को स्वर्ग के सुख का आनन्द दिया और खुद भी इन दोनों के साथ जिंदगी का परम आनन्द प्राप्त किया.
ये बात तब की है, जब मैं 19 साल का था. मैंने उसी दौर में अपने स्कूल के मित्रों से ब्लू फिल्म और अन्तर्वासना साइट के बारे में जाना था.
मैं इस सबका एकदम से आदी हो गया था.
अपनी बारहवीं क्लास में पास करने से पहले ही मैं इन दोनों औरतों से कई बार मिला था लेकिन कभी भी मेरे मन में गंदे ख्याल नहीं आए.
आख़िर ये दोनों कौन थीं.
रेखा मेरी पड़ोसन थी और बहुत गरीब थी. वो अपनी बूढ़ी मां के साथ रहती थी. मजदूरी करके अपना और अपनी मां का जीवन चला रही थी.
जबकि हफ्ज़ा हमारे घर में खेतों के काम करने आती थी.
तो दोस्तो, मैंने जैसे बताया कि मैं सेक्स स्टोरी और पोर्न मूवी देखने का आदी हो गया था. धीरे धीरे मैंने 12 वीं पास की और मैं इंजीनियरिंग करने के लिए रायपुर चला गया.
मैं वहां कुछ दोस्तों के साथ किराये पर कमरा लेकर रहने लगा और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने लगा.
इंजीनियरिंग के दौरान मैंने बहुत सारी चीजें देखीं. वहां इंजीनियरिंग के दोस्त अपने गर्लफ्रैंड के साथ सेक्स मौज मस्ती सब करते थे और ये बात मुझे अन्दर तक झझकोर देती थी.
कोई आंटी पटाकर अपने रूम में ले जाकर चोदता, तो कोई भाभी ले जाता.
ये सब देखकर मुझे भी इस सबमें रुचि आने लगी थी मगर मुझे इस सबसे डर भी लगता था कि कहीं मम्मी पापा को पता न चल जाए, तो वो मेरी पढ़ाई बंद करके मुझे सीधे गांव में बुला लेंगे.
इस सबका हवाला देने का आशय ये था कि मेरे मन में अब भी अपने गांव की उन दोनों कामवालियों के जिस्म को लेकर कामुक विचार आने लगे थे.
जब मैंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म की, तो उसके बाद मेरी मां का ऑपरेशन हुआ.
मैं अपने मां बाप का इकलौता बेटा हूँ, तो घर पर मम्मी की देख रेख करने वाला कोई नहीं था.
मां की देखभाल करने के लिए मैं गांव आ गया.
मेरे गांव आने से दिक्कत कोई समाप्त नहीं होने वाली थी क्योंकि इतना बड़ा घर, रोज रोज घर की साफ सफाई करने में दिक्कत थी.
इसलिए मैंने और पापा ने सोचा कि एक कामवाली रख लेते हैं.
पापा ने इधर उधर बहुत ढूंढा, उनको कोई कामवाली नहीं मिली.
फिर हुआ यूं एक दिन रेखा मेरी मां का हाल पूछने आई.
वो मेरी पड़ोसन थी तो उसको कहीं से पता चल गया था कि मां का ऑपरेशन हुआ है. वो हाल जानने आ गई.
जब रेखा घर में आई, तब मैं मां को दवाई वगैरह दे रहा था.
अचानक रेखा ने भाभी भाभी करके आवाज मारी तो मैंने दरवाजा खोला.
जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो मैं स्तब्ध रह गया.
रेखा के कामुक बदन से अजीब सी महक आ रही थी.
उसकी कमर में नाभि से नीचे बंधी साड़ी से उसकी कामुक नाभि के दर्शन हो रहे थे और गहरे गले का ब्लाउज पहनी थी, जिसमें से उसकी चूचियों का क्लीवेज साफ दिख रहा था.
वो एक गचाड़ औरत लग रही थी.
इंजीनियरिंग में जाने के बाद मेरी दृष्टि बदल गई थी.
मैंने रेखा को इस रूप में कई बार देखा था लेकिन ऐसा अहसास आज पहली बार हुआ था.
फिर मैंने उससे नमस्ते की और पैर छूने के लिए झुका.
उसने कहा- अरे बेटा, इतने दिनों बाद मिले हो, तेरा स्थान यहां नहीं है.
ये कह कर मुझे अपने गले से लगा लिया.
जैसे ही उसने मुझे गले से लगाया, उसके जिस्म की खुशबू नाक में उतर कर दिमाग में छा गई. मेरा लंड फनफनाने लगा, उसके चुचे मेरे सीने पर दबे हुए थे.
मैंने महसूस किया कि रेखा ने भी मेरे जिस्म का गर्म अहसास बखूबी कर लिया था.
फिर उसने कहा- भाभी कहां हैं?
मैंने कहा- मम्मी, अन्दर रूम में आराम कर रही हैं.
मैं उसको मां के पास ले गया.
उसने मां से बहुत सारी बातें की. मैं बगल में बैठकर उसके गदराए जिस्म को निहार रहा था.
उसी समय मेरे मन में एक आईडिया आया कि क्यों ना रेखा को घर के काम में लगा लिया जाए.
वैसे भी ये गरीब है, इधर उधर मजदूरी तो करती ही है. मेरे घर पर काम करने लगेगी तो साथ ही इसके जिस्म को निहारने का मौका भी मिलने लगेगा.
मैंने बात रखी- बुआ हमें एक कामवाली की आवश्यकता है, आपकी नजर में कोई है क्या?
मैं रेखा को बुआ कहता था क्योंकि मेरे मां पापा को वो भैया भाभी कहती थी. वो मुझसे उम्र में बड़ी भी थी.
मेरी बात पर रेखा बुआ ने कहा- मेरे नजर में तो फिलहाल कोई नहीं है, लेकिन मेरा भी अभी कोई काम नहीं चल रहा है, तुम चाहो तो मैं कर सकती हूँ.
मैंने भी कहा- ये तो अच्छी ही बात है बुआ … आप हमारी पड़ोसन हैं और हमारे घर का काम काज भी जानती हैं.
वो बोलीं- ठीक है अंकित, मैं कल से आ जाऊंगी.
ये कहकर रेखा चली गई.
फिर अगले दिन वो आई और अपने काम में लग गई.
रेखा झाड़ू पौंछा कर रही थी.
वो कुछ देर बाद मेरे रूम में झाड़ू पौंछा करने के लिए आई.
मैं रोज अपने रूम एक्सरसाइज करता हूँ.
जब मैं रायपुर में रहता था तो उधर रोज जिम जाता था लेकिन गांव में जिम नहीं था इसलिए मैं घर में ही पुश-अप करता हूँ.
जब रेखा बुआ कमरे में आई तो उस समय मैं सिर्फ शॉर्ट्स पहनकर एक्सरसाइज कर रहा था.
वो मेरे रूम में आई और मुझे एकटक देखने लगी.
जिम जाने के वजह से मेरा शरीर गठीला और तगड़ा था.
वो मुझे चोर नजर से देख रही थी.
फिर मेरी नजर अचानक से उस पर पड़ी तो मैंने उठते हुए कहा- अरे आप!
वो बोली- अंकित, मुझे कमरे में झाड़ू पौंछा करना है. अगर तुम्हारी कसरत हो गई हो तो मैं कर दूं.
मैंने उसके मम्मे ताड़ते हुए कहा- ठीक है, आप अपना काम कीजिए.
ये बोलकर मैं रूम से बाहर आ गया.
फिर पता नहीं उसको क्या हो गया था; अगले दिन से वो अपने चुचे और जांघें बहुत ज्यादा खुला करके काम करने लगी थी.
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मैं तो पहले से ही उसके शरीर की खुशबू और कसावट का दीवाना था. रेखा की चुत चोदने के बारे में सोच रहा था.
लेकिन अभी अभी ये काम करने घर में आई है, ऐसे ही चांस मारना मुझे कुछ ठीक नहीं लगा.
फिर हुआ यूँ कि एक दिन उसकी मां की तबीयत ठीक नहीं थी, वो अपनी मां की कहकर जल्दी चली गई.
मैंने थोड़ी देर बाद मां से पूछा- क्या हुआ मां, आज बुआ नहीं आई थी क्या?
मां बोलीं- नहीं बेटा, वो आई थी अपना काम करके चली गई. उसकी मां की तबीयत ठीक नहीं थी.
मैं चुप हो गया.
फिर मां ने कहा- बेटा, जरा जाकर देख तो आ, क्या हुआ है उसकी मां को. समय पर उस बेचारी ने हमारी मदद की है और यदि उसी मां की तबीयत ज्यादा खराब हो, तो तू उन्हें अस्पताल ले जाना. वो बड़ी गरीब है.
मां के कहने पर मैं उसके घर गया.
उसके घर में दो कमरे थे. पीछे बाड़ी और आंगन में चूल्हा था, जिसमें वो अपना खाना बनाती थी.
जब मैं उसके घर गया और आवाज दी, तो कोई जवाब नहीं आया.
मैं बाड़ी की तरफ गया तो देखा रेखा की मां नहा रही थी.
मैंने उधर जाना उचित नहीं समझा.
मैं घर वापस आने को हुआ तो रेखा के रूम से अजीब सी आवाजें आ रही थीं.
मैं उसके रूम के नजदीक गया, उसमें एक छोटी सी खिड़की बनी थी, बिल्कुल वैसी थी, जैसे ऊपर की तरफ रोशनदान होता है, उतनी ही बड़ी थी.
मैं जैसे ही उसकी खिड़की में से अन्दर की तरफ झांका, तो अन्दर का सीन देखकर स्तब्ध रह गया था.
रेखा अपने रूम में पूरी नंगी लेटकर अपने स्तनों से खेल रही थी.
मैं क्या बताऊं दोस्तो, मैंने उसके शरीर की जितनी कल्पना की थी, वो तो उससे भी ज्यादा मस्त माल और वासना की देवी लग रही थी.
रेखा को नंगी देखकर लग रहा था कि वो बहुत ज्यादा प्यासी है.
मेरा मन तो कर रहा था कि साली को अभी जाकर इतना चोदूं कि इसकी चूत का भोसड़ा बना दूं.
फिर मैंने सोचा कि अभी इसकी मां घर में हैं, कहीं हम दोनों को पकड़ लिया, तो लफड़ा हो जाएगा.
और इस रेखा ने भी अगर मना कर दिया तो मेरा काम उठ जाएगा.
पहली बार मैं नंगी औरत देख रहा था, वो भी इतनी ज्यादा हॉट और सेक्सी.
वो मन में कुछ बड़बड़ा रही थी, किसी का नाम लेकर अपनी चूत में उंगली कर रही थी और अपने चुचे को मसल रही थी.
कमरे में अन्दर पंखा खड़खड़ करके चल रहा था, तो उसकी धीमी आवाज स्पष्ट सुनाई में नहीं आ रही थी.
मैं वहीं पर खड़े होकर अपना लंड निकालकर मुठ मारने लगा.
तभी मैंने किसी आने की आहट सुनी.
बाड़ी की तरफ से उसकी मां आ रही थी.
मैं रूम की खिड़की की तरफ से हटकर आंगन की तरफ आ गया और मैंने वहीं अपने लंड का माल टपका दिया.
सामने देखा कि रेखा की ब्रा और पैंटी सूखने टंगी थी.
मैंने उसकी ब्रा पैंटी को अपनी जेब में रख लिया.
अब तक रेखा की मां आ गयी थीं.
उन्होंने मुझसे कहा- अरे बेटा अंकित तू, आ बैठ जा.
फिर उसने रेखा को आवाज लगाई- अंकित आया है.
वो सुन नहीं रही थी, तो उसकी मां उसे बुलाने जाने लगी.
मैंने झट से कहा- अरे आप रहने दीजिए, मैं खुद जाकर उनको बुला ले आता हूँ. आप बैठिए, आपकी तबीयत ठीक नहीं है ना.
उन्होंने कहा- अच्छा ठीक है बेटा, तू जा बुलाकर ले आ.
मुझे पहले से पता था कि वो नंगी अपने जिस्म से खेल रही है और इतनी मगन है कि उसे किसी की आवाज भी सुनाई नहीं दे रही है. मैं जाऊंगा और सीधा उसके रूम में घुस जाऊंगा. कम से कम उसके जिस्म को एकदम करीब से देख पाऊंगा.
मैं गया और उसके रूम में सीधा घुस गया.
वो अपने हाथ में पैंटी रखे थी और पहनने को हो रही थी.
मुझे अचानक से अन्दर देखकर उसके चेहरे का रंग उड़ गया.
उसने एक हाथ से अपनी पैंटी चूत पर रख ली और उसको ढक ली; दूसरे हाथ से उसने अपने चुचे ढांप लिए.
रेखा ने कहा- ऐसे किसी के कमरे में बिना खटखटाए कौन आता है. मैं अभी नहा कर आई हूँ, कपड़ा पहन रही हूँ. चल बाहर जा बदमाश, मैं आ रही हूँ.
मैं तो उसको इतने पास से ऐसे देखकर पागल हो गया था और मैंने मन में ठान ही लिया था कि एक दिन इसको पटक पटकर चोदूंगा.
फिर मैं बाहर आ गया.
थोड़े समय के बाद रेखा आई.
मैंने बताया- मां ने मुझे भेजा है कि दादी (रेखा की मां) की तबीयत ठीक नहीं है, देख आऊं. यदि दादी की तबीयत ठीक नहीं हो तो मैं आपकी मदद कर दूं, अस्पताल ले जाना हो तो मैं रेडी हूँ.
रेखा बोली- अरे इसकी कोई जरूरत नहीं है, मैं अकेले ले जाऊंगी.
मैंने बोला कि आप ऐसा मत कहिए, मेरे साथ चलिए न!
मैं अपनी कार ले आया और उनको ले गया.
हम सब कुछ देर में वापस आ गए.
मेरे दिमाग में अभी भी रेखा का नंगा बदन ही चल रहा था.
अगले दिन वो घर में काम में आई तो मैंने उससे कल की बात के लिए माफी मांगी तो उसने कहा- कोई बात नहीं अंकित धोखे से हुआ, तुमने जानबूझ कर तो नहीं किया ना!
इतना कह कर वो अपना काम करने लगी.
अब जब भी मुझे उसकी याद आती थी, मैं उसकी ब्रा और पैंटी को पकड़कर सूंघ लेता था.
अब मैं अक्सर उसके घर जाने लगा कि फिर से रेखा के वैसे ही दर्शन देखने को मिल जाएं, लेकिन नहीं मिले.
मैं उसको चोदना तो चाहता था लेकिन पड़ोसन थी, कहीं उल्टा सीधा न हो जाए … इस डर से मैं उससे दिल की बात न कह सका.
एक दिन मैं उसके घर गया था तो वो अपनी मां से अपनी ब्रा पैंटी के बारे में पूछ रही थी.
वो मैं वहां उठाकर ले गया था. वो उस समय अपनी मां के कमरे में ऐसी ही नंगी चली गई थी.
उसकी मां कह रही थी- कोई तुम्हारा ही कोई आशिक ही ले गया होगा, जो तुझे चोदने आता होगा. साली छिनाल तो तू है ही. मेरे सामने साली नंगी आ जाती है.
रेखा ने अपनी मां से कहा- तो इसमें बुरा क्या है मां, मैं भी अपनी जवानी में शादी करना चाहती थी लेकिन कोई मुझे पसंद ही नहीं करता था. क्योंकि मैं काली हूँ. मगर मेरे भी जिस्म में आग है, अब मैं इसे कैसे बुझाऊं, इसलिए ये सब करती हूँ. चलो उसे छोड़ो मां, अंकित को आपने ध्यान से देखा है … क्या गठीला बदन है उसका … और मुझे लगता है उसका लंड भी बहुत बड़ा होगा. मेरा मन तो करता है कि उसे खा जाऊं, लेकिन डर भी लगता है. वो पढ़ा लिखा है, कहीं उसने मना कर दिया तो बदनामी हो जाएगी.
उस दिन मैंने उन दोनों की बात सुन ली थी.
अब मेरी लाइन क्लियर हो गई थी … लेकिन मैं उसे सरप्राइज देकर चोदना चाहता था.
उस दिन उन दोनों की बातें सुनकर मैंने ये भी समझ लिया था कि रेखा अपनी मां के साथ काफी खुली हुई है.
फिर कुछ दिनों में दीवाली आने वाली थी तो पिताजी ने पुताई करने के लिए हमारे खेत में काम करने वाली हफ्ज़ा को बुलाया था.
वो तो साली पूरी रांड थी.
मैंने उसके चुदाई के बहुत किस्से सुने थे इसलिए मैं उसे भली भांति जानता था.
मेरी उसको चोदने की इच्छा भी थी.
जब वो हमारे यहां पुताई करने आई तब वो ऊपर सीढ़ी पर चढ़कर पोत रही थी. मैं नीचे से सीढ़ी पकड़े खड़ा हुआ था.
मैं जब ऊपर की ओर देखता तो उसकी नंगी गदरायी हुई जांघें दिखने लगतीं.
वो साड़ी ही पहनती थी और अन्दर पैंटी नहीं पहनती थी.
उसने पैर को सीढ़ी पर ऐसे फैलाया हुआ था कि उसकी चूत की झांटें भी हल्की हल्की दिखने लगी थीं.
वो सब देख कर मेरा लंड हिचकोले मारने लगा था.
हमारे घर में बाथरूम पूरा नहीं बना था, मतलब उसकी छत नहीं थी. ऊपर से खुला था.
अगले दिन मैं उसी में नहा रहा था, तब वो बाड़ी की तरफ पुताई करने आई थी. वो सीढ़ी लगा कर पोतने लगी और ऊपर से बाथरूम की छत न होने से वो अन्दर झांकने लगी.
मैं अन्दर नंगा नहा रहा था और अपना लंड सहला रहा था.
दोस्तो, इस देशी XXX चूत चुदाई कहानी के अगले भाग में मैं आपको हफ्ज़ा और रेखा दोनों की एक साथ चुदाई लिखूँगा.
आपको अब तक की चुदाई की कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करके बताएं.
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देशी XXX चूत चुदाई कहानी का अगला भाग: विलेज सेक्स कहानी