कोवर्कर चुदाई कहानी में मेरे साथ एक लड़की काम करती थी. उसका उसके पति से झगड़ा हो गया तो उसे सेक्स की कमी लगने लगी. तब हम दोनों ने आपस में सेक्स करके मजा किया.
दोस्तो, मैं राजेंद्र कोटा से!
मेरी पिछली कहानी थी:
प्यासी विधवा मकान मालकिन की चूत चुदाई
आज मैं फिर से आपके लिए अपने जीवन की एक सच्ची सेक्स कहानी लेकर आया हूँ.
यह Coworker Chudai Kahani करीब 10 साल पुरानी है.
उस समय मैं एक कॉलेज में लैब असिस्टेंट था.
मेरे साथ एक मैडम थी, वह भी लैब असिस्टेंट थी.
उस मैडम का नाम सीमा था.
हम दोनों का काम स्टूडेंट्स को मदद करना होता था.
वह मैडम देखने में बड़ी हॉट थी और स्कूल के कई टीचर्स उसकी लेने की फिराक में रहते थे.
लेकिन वह किसी को भाव ही नहीं देती थी.
जबकि वह हंसमुख बहुत ही ज्यादा थी.
उसकी इसी आदत के चलते मैं उससे काफी मजाक करता रहता था.
मेरी हमेशा मज़ाक करने की आदत भी थी, इसी वजह से मैं हमेशा कह देता था कि मैडम क्या डेट पर चलोगी?
वह मुस्करा देती थी.
उसने मुझसे कभी कुछ नहीं कहा कि आप मुझसे ऐसी बात नहीं किया करो या कुछ भी गुस्सा वाली बात नहीं दिखाई दी थी.
यदि वह मुझसे एक बार भी कह देती कि आप मुझसे यह सब नहीं कहा करो तो मेरी उसके साथ मजाक करने की कभी हिम्मत ही न होती.
हालांकि मेरे मन में कुछ गलत नहीं था, बस इतना कहने का मन करता था और मैं हमेशा ही ऐसा कहकर उसको छेड़ देता था.
जब स्टूडेंट्स की और टीचर्स की छुट्टियां भी हो जाती थीं, तब भी हम दोनों की ड्यूटी होती थी क्योंकि हम दोनों टीचिंग स्टाफ में नहीं थे.
धीरे धीरे हम दोनों काफी नजदीक आते गए.
साथ में टिफिन शेयर करना, एक दूसरे के काम कर देना, यही सब चलता रहता था.
वह मेरे खाने की बड़ी तारीफ करती थी और मैं उसके हाथ के बने खाने की तारीफ करता था.
मैं रोजाना उसकी आदतों को लेकर तारीफ करता रहता था तो वह कहती- आप झूठे हो, मुझे यूं ही बनाते हो.
मैं भी कह देता- चलो झूठ को ही सच मान लो, क्या घट जाएगा!
इस पर वह हंस पड़ती थी.
एक बार उसने मेरे सामने अपना दुखड़ा रोया कि उसके पति ने उसे छोड़ दिया और वह काफी अकेला महसूस कर रही है.
मैं समझ गया कि इसको क्या अकेलापन लग रहा है.
मैंने उसे दिलासा देते हुए कहा- तुम मुझसे अपने दिल की बात कह कर अपना मन हल्का कर लिया करो.
उसने मेरी तरफ देखा और वह मेरे कंधे से सर लगा कर लंबी लंबी सांसें लेने लगी.
इसी तरह से वह मेरे साथ काफी क्लोज हो गई थी.
गर्मी की छुट्टी में हम दोनों रोजाना कॉलेज जाते थे और लैब में ही होते थे.
उस दौरान टाइम निकालना मुश्किल होता था क्योंकि हमारे पास कोई काम तो होता नहीं था, बस यूं ही बैठ कर समय गुजार देते थे.
एक दिन सीमा मैडम ने कहा- सर आप रोज मुझे कहते हो कि डेट पर चलो, डेट पर चलो. आज बोलो कहां चलना है!
मैं उसकी इस बात को सुन कर एकदम से स्तब्ध रह गया.
मैंने उसकी तरफ सवालिया नजरों से देखा.
तो वह बोली- ये बात किसी से नहीं कहना, मैं सच में आपके साथ चलूँगी.
यह कहती हुई वह मेरे पास आकर बैठ गयी.
वह मेरे काफी करीब बैठी थी, बोली- आपने ही तो कहा था कि अपने दिल की बात मुझसे कह कर अपना मन हल्का कर लिया करो!
मैंने उसकी आंख में आंख डालकर देखा और पूछा- क्या सच में डेट पर चलना है?
वह बोली- हां!
मैंने कहा- मालूम है कि डेट पर चलने का अर्थ क्या होता है?
वह हंस दी और बोली- नहीं मालूम है … आप बताओ कि डेट पर चल कर क्या होता है?
जबाव में मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर रखा, तो उसने भी मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया.
मुझे समझ आ गया कि आज यह मुझसे कुछ चाह रही है.
मैंने उसे चूमा, तो वह उठकर गेट के पास गयी और इधर उधर देख कर वापस आ गयी.
आते ही वह मेरी गोद में बैठी और कुछ सेकंड के बाद उठ गयी.
वह वापस दरवाजे के पास चली गयी.
दुबारा से उसने इधर उधर झांक कर देखा और फिर से मेरे पास आकर बैठ गयी.
मैंने उसके गाल पर उंगली फिराई, वह शांत रही.
मैंने उंगली ऊपर से नीचे उसके 36 साइज के मम्मों पर फेरना चालू की, तब भी वह चुप रही.
तब मैंने उसके एक दूध को कसके पकड़ लिया.
उसने एक गहरी सांस ली और हवस भरी निगाहों से मुझे देखने लगी.
अब तक मेरे भी तन बदन में आग लग चुकी थी.
मेरा लंड फनफना रहा था, मेरी भी सांसें तेज हो चुकी थीं.
मैं बार बार लंड पर हाथ रख रहा था.
वह यह नजारा देख रही थी.
फिर मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर ले गया.
जैसे ही उसने मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड पर हाथ रखा, वह ऊपर से नीचे तक सिहर गयी.
उसने अपने होंठों को दांत से काटना शुरू कर दिया और आंख बंद करके लंड को सहलाने लगी.
मैं भी उसकी चूचियों को दबाता हुआ सहला रहा था.
उस दौरान वह अपने होंठों को अपने दांतों से काटती गयी.
उसने कहा- अब मुझसे रहा नहीं जाता!
मैंने कहा- अभी इधर ही डेट पूरी कर लें?
उसने हां में सर हिला दिया.
मैं झट से उठ कर फिर से दरवाजे पर आया और देखा कि बाहर कोई है तो नहीं.
उधर कोई नहीं था.
मैं वापस आया.
वह खड़ी थी.
मैंने पीछे से उसे पकड़ा और उसकी दोनों चूचियों को कस कसके दबाने लगा.
उसका हाथ मेरे हाथ के ऊपर था.
जब जब मैं उसकी मस्त चूचियों को दबा रहा था, वह इस्स्स आह की आवाज़ निकाल रही थी.
फिर वह झटके से मेरी तरफ घूम गयी और मुझे पकड़ कर मेरे होंठों पर अपने होंठ ले आयी.
वह मुझे किस करने लगी.
उसका किस एकदम वाइल्ड किस था.
वह अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा रही थी, तो कभी हल्के से दांतों से काट रही थी.
उसके दोनों हाथ मेरे गाल पर आ गए थे और वह चुंबन का मजा ले रही थी.
मैंने भी अपने हाथ उसके पीछे किए और उसके दोनों उभरे हुए चूतड़ों को पकड़ कर जोर से दबाया. ताकि उसकी चूत मेरे लंड के करीब आ जाए.
जैसे ही वह मेरे लौड़े से चूत रगड़ने लगी, मैं जोर जोर से धक्का लगाने लगा.
हम दोनों की बेचैनी बढ़ रही थी, क्योंकि अभी तक हमारे जिस्म से जिस्म मिले नहीं थे. कपड़ों के ऊपर से ही ये सब हो रहा था.
उसने कहा- अब आगे बढ़ो न!
मैंने कहा- आगे बढ़ने के लिए कपड़े हटाने पड़ेंगे … हटा दूँ?
वह कुछ कहती कि तभी कोई कॉरीडोर में आता दिखाई दिया.
मैंने उससे अलग होते हुए कहा- यहां कुछ भी करना ठीक नहीं है.
वह भी अपने कपड़े ठीक करने लगी.
हम दोनों अलग अलग होकर बैठ गए और वह कुछ करने लगी, मैं किताब पढ़ने लगा.
थोड़ी देर बाद ही छुट्टी हो गयी थी.
उस दिन इससे अधिक कुछ भी नहीं हो पाया था.
बस यह था कि वह अपनी प्यास मुझसे बुझवाना चाहती थी, यह बात खुल कर सामने आ गई थी.
उसके बाद शाम को करीब 5 बजे सीमा का फ़ोन आया- सर, क्या कल आप छुट्टी कर सकते हो, मैं भी कल ऑफिस नहीं जाऊंगी … दोनों मिलकर कहीं चलते हैं.
मैंने कहा- हां ठीक है. मैं ऑफिस के लिए ही निकलूंगा, पर ऑफिस नहीं आऊंगा.
सीमा बोली- ठीक है, मैं भी वही करूंगी.
हम दोनों ने प्लान बनाया और एक जगह पर मिलने का तय किया.
मैं बाइक से उसी जगह पर पहुंच गया.
वह वहीं पर दुपट्टा से चेहरा ढक कर खड़ी थी.
फिर हम दोनों एनसीआर में एक होटल में गए.
उधर करीब 11 बजे पहुंच गए थे.
कमरा बुक किया.
हम दोनों जैसे ही कमरे के अन्दर पहुंचे, पागलों की तरह एक दूसरे को चाटने लगे.
एक एक करके सारे कपड़े उतार दिए.
अब वह सिर्फ पैंटी में थी और बेड पर लेटी नशीली आंखों से मुझे निहार रही थी.
क्या खूब लग रही थी.
फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके मम्मों को मसलने लगा, उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.
हम दोनों के होंठ और गाल लाल हो गए थे.
मैंने उसके होंठों पर जीभ को फिराना शुरू किया और मम्मों से होते हुए नाभि पर, फिर पैंटी के पास पहुंच गया.
फिर एक गहरी सांस लेकर मैंने पैंटी को सूंघा तो मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी.
मेरा तो लंड खड़ा हो गया था, लौड़े के ऊपर से थोड़ा लसलसा सा पानी भी निकलने लगा था.
मैंने उसकी पैंटी खोली तो देखा उसकी चूत भी पानी पानी हो चुकी थी.
उसकी चूत को मैंने थोड़ा फैला कर देखा तो एकदम टाइट चूत थी.
अन्दर का रंग एकदम गुलाबी था.
मैंने जीभ को लगाया तो वह सिहर गयी और गांड हिलाने लगी.
मैं उसकी चूत पर अपनी जीभ फिराने लगा.
वह अपने दोनों हाथ ऊपर करके तकिए को अपनी मुट्ठी में पकड़ने की कोशिश कर रही थी.
फिर कुछ देर बाद वह अपनी चूत को उछालने लगी.
मैं एक उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगा.
वह काफी ज्यादा कामुक हो चुकी थी, उसके माथे से पसीना निकलने लगा था.
वह कहने लगी- अब बर्दाश्त के बाहर है, मुझे चोद दो … मेरी वासना की पूर्ति कर दो … मेरा मन भर दो … चोद दो मुझे … आज मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ.
तब वह मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
वह ऐसे लंड चूस रही थी कि न जाने कितनी प्यासी हो.
मेरे भी तन बदन में आग लग चुकी थी.
मैं उसकी ज्वाला को शांत करने के लिए तैयार था.
जैसे ही उसने मेरा लंड अपने मुँह से निकाला, मैंने उसकी दोनों टांगों को फैला कर उसकी चूत पर लंड का सुपाड़ा रख दिया और एक ही झटके में अन्दर घुसा दिया.
वह ‘आआ अह मर गई …’ की आवाज़ निकालने लगी.
मैं झटके पर झटके दे रहा था और कुछ ही देर में वह भी मजा लेने लगी.
वह कभी अपने बूब मसलती तो कभी मेरे बालों में उंगली फिराती.
इस तरह से मैंने उसे काफी देर तक चोदा और झड़ कर हम दोनों निढाल होकर सो गए.
करीब एक घंटा बाद जब हम दोनों उठे तो एक दूसरे को चूम कर मुस्कुराने लगे.
बहुत तेज भूख लग आई थी.
फिर नीचे जाकर हम दोनों ने खाना खाया और मैंने वहीं मेडिकल स्टोर से सेक्स समय बढ़ाने वाली दवा ले ली.
अब तो हमारे बीच सेक्स और भी ज्यादा वाइल्ड और हार्डकोर हो गया था.
मैंने उसे हचक कर चोदा. उसकी चूत का सत्यानाश कर दिया.
शाम को ऑफिस के टाइम पर ही होटल से अपने अपने घरों को निकल गए.
उसके बाद मैंने कई बार सीमा को चोदा. कई बार उसके घर जाकर भी उसे चोदा.
तो ये थी मेरी कोवर्कर चुदाई कहानी, आप अपना विचार बताना न भूलें.
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