मराठी मुलगी चुद गई होटल में-2

हॉट लड़की की चूत का पानी मैंने निकलवाया उसकी चूत चाट कर होटल के कमरे में! वो मेरी ऑफिस सहकर्मी थी। वो अपने बॉयफ्रेंड से चुद चुकी थी पर बिना मजे के!

दोस्तो, मैं मुंबई से राहुल श्रीवास्तव आपका स्वागत करता हूं।

कहानी के पिछले भाग
लड़की की पहली बेमजा चुदाई की कहानी
में आपने पढ़ा था कि मैं और मेरी ऑफिस सहकर्मी मंजुला ऑफिस के काम से जयपुर गये हुए थे।
दोनों खाना खाते हुए शराब पीने लगे और मेरा मन मंजुला को चोदने का करने लगा।

बातों में ही मैंने उसे सेक्स के लिए उकसाने की कोशिश की।
वो अपनी पहली चुदाई की कहानी बताने लगी और मेरा मकसद सफल होता दिखा।

अब पढ़ें कि मैंने कैसे Hot Ladki Ki Chut Ka Pani निकाला:

मैंने खुल कर उसके सामने जानबूझकर अब चूत और लण्ड का नाम लिया जिससे वो शर्मा गई।
उसने कोई एतराज नहीं किया जिससे मुझे रास्ता साफ दिखने लगा।

मैं उठा और उसके पास जाकर उसका हाथ पकड़ कर उसे उठाया और उसके गाल को पकड़ कर उसके होंठों पर एक छोटा सा किस किया।
दरअसल अब मैं उसकी प्रतिक्रिया देखना चाहता था।

मेरे होंठ लगते ही उसने आंखें बंद कर लीं और मेरी कमर को कस कर पकड़ लिया।
अब मुझे कोई संदेह नहीं रह गया था।

बस फिर क्या था … मैं कस कर उसके होंठों को चूसने लगा।
हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए और जिस्मों को सहलाते हुए एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे।
कभी मैं उसके ऊपर का होंठ चूसता तो कभी नीचे का।

मंजुला की पकड़ मेरी कमर पर और मजबूत होती जा रही थी।

हम दोनों एक दूसरे की जीभ को कसकर चूस रहे थे।

मेरे सीने पर उसकी चूचियों का दबाव बढ़ गया था।

उसके खड़े निप्पल मेरे सीने में धंस गए थे। अब उसके हाथ मेरे चूतड़ों पर आकर जोर से दबाने लगे और मुझे उसकी तरफ खींचने लगे।
मैंने भी अपना हाथ उसकी नाइट शर्ट में डाल दिया।

जैसा कि मेरा अनुमान था, अंदर ब्रा नहीं थी।
आह्ह … क्या सख्त चूचियां थीं!

खड़े निप्पलों को मैंने भी जोर से दबा दिया।
मंजुला- आह्ह सर … धीरे से!

तभी डोरबेल बजी और हम अलग हो गए।
मंजुला तुरंत वाशरूम में चली गई।

मैंने दरवाजे पर देखा तो खाना आ गया था।

वेटर को मैंने 100 का नोट दिया और बोला कि बर्तन सुबह ले जाना।
उसके जाते ही रूम बंद किया और एहतियातन मास्टर लॉक लगा दिया और मंजुला को आवाज़ दी।

मंजुला जब बाहर आई तो उसकी आँखें झुकी थीं।
शायद शर्मा रही थी।
मैं- क्या हुआ? आओ खाना खाते हैं। मैंने कहते हुए ऐसे जाहिर किया जैसे कुछ हुआ ही नहीं था।
मंजुला- कुछ नहीं सर।

फिर हम दोनों ने खाना खाया और फिर मैं बेड पर अधलेटा सा बैठ गया।

मंजुला ने एक नज़र मेरी तरफ देखा और अपनी आँखें झुका कर बोली- सर मैं चलती हूं।
मैं- कहाँ जा रही हो, यहाँ आओ मेरे पास!

मंजुला की लाल आँखें बता रही थीं कि वह अभी भी रम के सुरूर में है। उसकी चाल में डगमगाहट थी।

वो धीरे से बेड के पास आकर खड़ी हो गई।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और आपने पास बैठा लिया।

मंजुला- सर मैं जाती हूं, रात काफी हो गई है।
मैं- यहीं रुक जाओ, बातें करेंगे। तुम इस हाल में नहीं हो कि अपने रूम तक जा सको, और कोई देखेगा तो क्या सोचेगा?

मंजुला- लेकिन सर, आपके पास पूरी रात रहूंगी तो सब क्या सोचेंगे?
मैं- किसी को क्या पता चलेगा? जयपुर की बात जयपुर में ही ख़त्म हो जाएगी। और वैसे भी, तुम कह रही थी कि लाइफ को खुल कर एन्जॉय करना चाहिए।

मंजुला- सर पर आप मेरे बॉस हैं।
मैं- बॉस मैं ऑफिस में हूँ, काम पर हूँ। अभी हम दोनों सिर्फ दोस्त हैं। दोस्त ना होते तो तुम मेरे से अपने दिल की बात शेयर नहीं करती और अपने अनुभव को मुझे इतनी आसानी से ना बताती। हाँ, फिर भी तुमको कोई ऐतराज़ है तो मैं तुम्हारे साथ कुछ नहीं करूँगा लेकिन तुम्हारी हालत ऐसी नहीं है कि तुम कमरे में जा सको। तुम बेड पर सो जाओ, मैं सोफे पर सो जाऊंगा।
मंजुला- सर …ऐसा नहीं है कि मेरा दिल नहीं करता, लेकिन मेरे दोनों अनुभव काफी ख़राब हैं, इसलिए डर लगता है।

मैं- मैं इतना कह सकता हूँ कि जो मज़ा तुमको अपने दोस्तों से नहीं मिला, वो मैं दे दूंगा। तुम्हारा ये अनुभव तुमको सेक्स की बुरी यादों से भी निकाल देगा।
मंजुला- नहीं सर, शायद मैं न कर पाऊं … सॉरी सर!
मैं- ठीक है, तो तुम यहीं सो जाओ, मैं सोफे पर सो जाता हूँ।

मंजुला- लेकिन सर, क्या अच्छा लगेगा कि आप वहां सोफे पर और मैं यहां बेड पर? ये बेड काफी बड़ा है। कम्बल भी दो हैं। हम दोनों आराम से सो सकते हैं।

मैंने घड़ी देखी रात के 11.45 हो रहे थे और मंजुला के नखरे देख कर गुस्सा भी आ रहा था कि चुदना भी है और नखरा भी करना है।

दोस्तो, लड़कियों की ये अदा होती है, चुदने से पहले हज़ार नखरे करेंगी।

ऐसे मौके पर लड़कियां सारी शराफत अपने अंदर ले आएंगी, हमको बोलेंगी नहीं, और अंदर से लंड लेने के लिए बेचैन हो रही होंगी।
लेकिन सही भी है, हम मर्दों को इसी अदा से तो मज़ा आता है, और ये नखरा लण्ड में करंट दौड़ा देता है, आपके अंदर वासना की चिंगारी जला देता है, सोये लण्ड को जगा देता है।

मुझे ये तो पता था कि हल्की सी पहल पर मंजुला कटे पेड़ की तरह मेरी बाँहों में गिर जाएगी।
लेकिन इसके लिए मैं जबरदस्ती कर नहीं सकता था क्योंकि बात नौकरी पर आ जाती।

इसलिए उसकी बात मान कर मैंने बेड पर एक तरफ खिसक कर उसके लिए जगह बना दी।

ये सब करते हुए मैंने अपनी टी शर्ट ये कहते हुए उतार दी कि मुझे ऐसे ही सोने की आदत है।

ज्यादातर लड़कियों को बालों से भरी चौड़ी छाती पसंद आती है। ये उनके अंदर वासना की चिंगारी जलाती है।

यहां भी ऐसा ही हुआ।

मंजुला ने बोला तो कुछ नहीं, मगर वो मेरे बालों से भरे चौड़े सीने को एकटक देखती रही।
मेरे टोकने पर वो हड़बड़ा कर बेड पर लेट गई।

इस बीच उसकी तरफ देखते हुए मैंने उसको बोला- अगर तुम्हारी भी कोई आदत हो कुछ उतार कर सोने की, तुम भी उतार सकती हो। मैं किसी को कुछ नहीं बोलूंगा और ना कुछ देखूंगा।

ये सुन कर मंजुला हंसने लगी।

इधर मेरा लण्ड साला झुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।

बगल में मौजूद चूत के ख्याल से ही लण्ड बार बार झटके ले रहा था।
हालाँकि नाइट लैंप की रोशनी में हम दोनों ही एक दूसरे को देख सकते थे।

मैंने अभी तक कम्बल खोला नहीं था क्योंकि कमरा काफी गर्म सा था।

सर्दी महसूस नहीं हो रही थी अंदर! मैंने देखा कि मंजुला अभी भी मेरी छाती को घूर रही थी।
मैं- मंजुला मेरे पास आओ।

मंजुला मेरी बात सुनकर चुप रही।
शायद वो कश्मकश में थी।

मैंने एक बार और बोला- इधर आओ।
वो थोड़ा सा सरक कर करीब आ गई।

मैं एक हाथ बढ़ाकर उसके गाल को सहलाने लगा।

फिर मैंने उसको अपने पास खींचा और उसके रसीले होंठों को चूसने लगा।
मंजुला शांत सी थी, न विरोध किया, न ही सहमति सी दिखाई।

कुछ रम का असर, कुछ वक़्त की नज़ाक़त और कुछ गरमा गर्म चुम्बन!
साथ ही कुछ पिछले दो घंटे की कामुक बातों का भी असर था।

इन सबने उसकी कश्मकश को सहमति में बदल दिया और करीब 5 मिनट के बाद उसने हरकत की।
वो मेरी कमर में हाथ डालकर मुझसे चिपक गई। वो गर्म हो गई थी और उसके होंठ अब मेरा साथ दे रहे थे।

अब वो पूरी तरह मेरे से लिपट गई।

मैंने उसकी नाइट शर्ट में हाथ डाल दिया और उसकी चूचियों को मसलने लगा।

वो और भी जोर से मेरे से चिपक गई।
उसके हाथ मेरी पीठ को सहलाने लगे।

उसकी चूचियां मेरी पूरी हथेली में भर कर आ रही थीं।

चूचियों को मसलने से उसकी सिसकारी निकलने लगी- आह्ह … उम्म … सीईई … आह्ह।

मैं भी उसका नग्न जिस्म देखने के लिए बेताब था, उसके कसे हुए निप्पल चूसने के लिए बेताब था।

मैंने उसकी नाइट शर्ट निकाल दी।
उसका ऊपर का नंगा बदन पूरा मेरे सामने था।

आह्ह … क्या गोरी चूचियां थी … बिल्कुल गोल, तनी हुई।
उन पर हल्के ब्राउन निप्पल … वाह … क्या माल था यारो!

उसको छू कर मुझे ऐसा लगा कि उसके आशिकों ने उसकी चूचियों को कसकर मसला नहीं था।

रुई की तरह सफ़ेद मुलायम सी, मक्खन के माफिक … जो मेरे चुम्बनों से गर्म हो कर सख्त हो गई थीं।

अब मैंने उसे बेड पर लिटा दिया।
मंजुला अपनी चूचियों को अपने दोनों हाथों से छुपाने की नाकामयाब कोशिश कर रही थी।
मैंने झुक कर निप्पल को मुंह में भर लिया।

चूचियों पर मुंह लगते ही वो सिसकार उठी- आह्ह सर … मत करो न प्लीज … कुछ हो रहा है।

मैं उसकी सारी बातों को अनसुना करके उसकी चूचियों को मसलने में लगा था।
मेरे होंठ एक चूची को चूस रहे थे तो दूसरी को मेरे हाथ मसल रहे थे।

मंजुला- सर … नहीं … आह्ह … आईईई … उम्म् … मैं पागल हो जाऊंगी सर … स्स्स … आह्ह … आह्ह … उम्म्म … आह्ह … आईई … स्स्स … ओह्ह … रुकिए सर … धीरे से!

मैं- मंजुला मेरे को मत रोको आज, तुमको मैं वो मज़ा दूंगा जो तुमको तुम्हारे यारों ने नहीं दिया। तुम अभी भी कच्ची कली हो जिसको मैं जवान कर दूंगा।

वो अब लगातार सिसकार रही थी- आह्ह … आईई … स्स्स उफ्फ … सर बहुत अच्छा लग रहा है … ऐसा मजा उनके साथ नहीं आया था। मुझे और मजा दो सर … अह्ह … हय … उम्म … आह्ह!

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करीब 20 मिनट तक उसकी चूचियों, गर्दन और कान को अच्छे से मैंने चूसा।
मैंने उसकी चूचियों का पूरा रस निचोड़ लिया।
उसके ऊपर के बदन पर जगह जगह लाल निशान हो गए थे।

उसका बदन कांप रहा था और मैं उसके साथ चिपक गया।
उसने भी मेरी कमर को पकड़कर अपने से चिपका लिया।

उसकी चूचियां मेरे सीने में दब गईं और उसकी खड़े निप्पलों की चुभन मेरे सीने पर महसूस हुई।

मंजुला- सर, आप कितना मज़ा देते हो … मेरा तो पेशाब ही निकल गया नीचे!
तब मुझे पता चला कि वो मेरे चुम्बन से ही झड़ गई।
मैं- मंजुला वो पेशाब नहीं, तेरी चूत का पानी था, तेरा ओर्गाज्म था।

मैंने तुरंत लैपटॉप खोला और उसमें एक फोरप्ले वाली पोर्न मूवी लगा दी।
मंजुला उसको ध्यान से देखने लगी।

पोर्न में एक लड़का एक लड़की की चूत को जीभ से चाट रहा था और लड़की सिसकारी ले रही थी।

थोड़ी देर में वो लड़का उठा और उसके सामने खड़ा होकर अपना लण्ड सहलाने लगा।
उसने लड़की का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर दबा दिया।

लड़की वैसे ही थोड़ी देर तक लण्ड को पकड़ कर देखती रही।

फिर लड़के ने उसके सिर को पीछे से पकड़ कर उसका मुँह अपने लण्ड से लगा दिया।
लड़की अपना मुँह खोल कर लंड को चूसने लगी।

मंजुला को मैं साथ ही साथ बता रहा था कि ओरल सेक्स ऐसे होता है।

एक तरफ मंजुला पोर्न देखने में बिज़ी थी, वहीं मैं उसके बदन को सहला रहा था।

धीरे से मैंने एक हाथ उसकी लोवर में डाल दिया और जब तक वो कुछ समझती, मैं उसकी चूत को सहलाने लगा जिससे उसकी आह्ह … निकल गई।

मंजुला भी गर्म हो चुकी थी, वो अब विरोध भी नहीं कर रही थी।

मैंने उसकी लोअर और पैंटी, दोनों को एक साथ नीचे खिसका दिया।
मंजुला ने सहयोग किया और थोड़ी देर में ही दोनों कपड़े जमीन पर पड़े थे।

पोर्न मूवी में अब लड़की जमीन पर बैठ कर लण्ड चूस रही थी और लड़का उसकी चूचियों को मसल रहा था।

मंजुला का बदन कांप रहा था।
ये सब शायद उसके लिए नया सा था।

मैंने उसकी टांगों को खोल कर देखा तो चूत पर हल्के रेशमी काले बाल थे।
चूत के बीच में एक हल्का सा चीरा और थोड़े से भूरे, बाहर की ओर निकले हुए चूत के होंठ … मुझे मंजुला की चूत स्पष्ट दिखाई दे रही थी।

मंजुला की चूत के होंठ बहुत खूबसूरत लग रहे थे।
जहाँ ये मिल रहे थे वहाँ पर क्लिटोरिस दिख रही थी।

मैंने मंजुला की चूत को सहलाते हुए उसके क्लिटोरिस को अपनी दो उंगलियों में पकड़ लिया और हल्के-हल्के दबाने लगा।

फिर मैंने उस चीरे को खोला तो अंदर एक गुलाबी और छोटा सा छेद मौजूद था जो उतेज़ना में कभी खुल रहा था तो कभी बंद हो रहा था।
उसमें से निकलता लिसलिसा सा चूतरस उसे और भी मादक बना रहा था।

इस रिसती हुई रसीली चूत को देखकर मेरे मुंह में ढेर सारा पानी आ रहा था।

इधर लैपटॉप में अभी भी लड़की जमीन पर बैठ कर लण्ड चूस रही थी और लड़का उसकी चूचियों को मसल रहा था।

यहां मंजुला का बदन कांप रहा था, चूत का छूना उसे अब चुदाई की ओर आगे धकेल रहा था।

मंजुला की आंखें बंद थीं। उसका ध्यान भी लैपटॉप से हट कर मेरी हरकतों का मज़ा लेने में लग गया था।

फिर उसकी टांगों को फैला कर मैंने झुक कर चूत का चुम्बन किया और उसकी चूत को चाटने लगा।

उसके मुंह से कामुक सीत्कार निकलने लगे- आह्ह … आईई … स्स्स उफ्फ … सर … अह्ह … उम्म!

मैं जीभ से चूत को नीचे से ऊपर तक चाट रहा था।
चूत का नमकीन रस मुझ पर जादू सा कर रहा था।

मंजुला- ऊईईई मम्मी … आह्ह … न..नहीं स्सर्र … रुकिये … स्स्स … आहा हाह … आऊऊऊ!

उसकी उत्तेजना अब उसे पागल किये जा रही थी। मंजुला के दोनों हाथ मेरे सिर के बालों को कस क़र पकडे हुए थे।

वो मेरे सिर को चूत में दबा रही थी।
ये सब मंजुला के लिए बड़ा ही अलग अनुभव था।
न उसने ऐसी चुसाई सोची थी और न ही कभी ऐसा उसके साथ किसी ने किया था।

सभी पुरुष जानते होंगे कि चूत की चुसाई औरत को पागल कर देती है।

चूत की मस्त चुसाई औरत के जिस्म में करंट दौड़ा देती है जिससे वो संभोग के नशे में चूर हो जाती है।
इसमें इतना सारा रस चूत से निकलता है कि चूत एकदम से चिकनी हो जाती है।
ऐसी भीगी हुई चूत में लंड का प्रवेश बहुत अच्छी तरह से और सुगमता से होता है।

अब मैं जीभ को नुकीली करके चूत के छेद में गोल-गोल घुमाने लगा।
मंजुला तो होश खो बैठी थी।

उसके मुँह से निकलती सिसकारियां और उत्तेजक आवाज़ें मुझे भी जंगली बना रही थीं- आह आह आह … ओह्ह … ओह्ह ओह्ह … ईईई … उफ्फ्फ … बस करो … ऊह्हह … मम्मी … हय … सहन नहीं कर पा रही सर … आईई … आह्ह!

मंजुला अब कांपने लगी और उसकी जांघों की पकड़ मेरे शरीर पर बढ़ने लगी।
उसके शरीर का कंपन बता रहा था कि वो इस चुसाई को अब ज्यादा देर नहीं झेल पाएगी।

कुछ ही पलों के बाद उसने जांघों से मेरे सिर को जकड़ लिया।
मेरा दम घुटता सा महसूस हुआ।

उसकी पूरी बॉडी एक बार उछली और आईई … आह … हांह हह … आहहह मर गई … आईईई … करते हुए लम्बे सीत्कारों के साथ वो शांत होती चली गई।
मेरा पूरा मुंह उसकी चूत के लिसलिसे रस से सन गया।

काम और सम्भोग में डूबी नारी का सौंदर्य जिसने भोगा और देखा होगा इसे वही समझ सकता है।
हॉट लड़की की चूत का पानी निकलने से उसका चेहरा पूरा लाल हो रहा था।
आंखें गुलाबी नशे में डूबी हुई थीं।

उसके बिखरे बाल, गहरी सांसों के साथ ऊपर नीचे होती चूचियां, कांपता बदन, तेज़ और धौकनी सी चलती सांसें।

ये सब अपने आप में एक बेहद कामुक नाजारा था।

ये सौंदर्य होता है नारी का जो कोई पुरुष ही समझ सकता है, उसमें एक उन्माद जगाता है।

मंजुला मुझे अपने ऊपर खींचकर मेरे होंठों को चूसने लगी। साथ ही मेरे चूत के रस से भीगे चेहरे को चाट कर वो हॉट लड़की अपनी चूत का पानी का आनंद लेने लगी। मुझे खुद भी याद नहीं रहा कि कब मैं नग्न हो गया था।

मेरा लण्ड पूर्ण रूप से उत्तेजित था।
लण्ड का टोपा प्रीकम से चमक रहा था।

मैंने मंजुला के शांत होते ही उसको उठा कर नीचे खड़ा कर दिया और खुद बेड पर बैठकर उसका हाथ अपने लण्ड पर रख कर आगे पीछे करने लगा।

मंजुला की आंखें अभी भी लाल थीं, बाल बिखरे थे, होंठ गीले थे।
मैं खींचकर उसके होंठों पर होंठों को रखकर उन्हें चूसने लगा।

मेरे हाथ उसकी चिकनी पीठ को सहलाते हुए उसके मांसल चूतड़ों को दबाने लगे।

अब उसकी पकड़ मेरे लंड पर और ज्यादा कसने लगी।
वो अब गर्म हो चुकी थी।

अब वक़्त था लण्ड का मज़ा देने का … सेक्स का अगला पाठ पढ़ाने का!

मैंने चुम्बन से ध्यान हटाकर उसके सिर को नीचे झुका दिया।

मंजुला समझ तो गई लेकिन फिर भी एक हिचक सी थी उसके अंदर!
उसने कभी लण्ड मुँह में नहीं लिया था।

मगर मैं वासना के उन्माद में कुछ सोच भी नहीं पा रहा था इसलिए बिना उसकी इच्छा की परवाह किये मैंने लंड को उसके मुंह से सटा दिया।

उसने एक बार नजरें ऊपर करके मेरी तरफ देखा, मैंने उसके निप्पल को दो उंगलियों के बीच लेकर मसल दिया।

जैसे ही उसका मुंह खुला मैंने लंड अंदर दे दिया और उसके सिर को पकड़ कर उसके मुंह में लंड आगे पीछे करते हुए उसके मुंह की चुदाई करने लगा।
वो गूं … गूं … गूं … की आवाज करते हुए मेरे धक्के झेलने लगी।

कुछ ही पलों में उसकी आंखों में पानी आने लगा।
इस मामले में वो अनाड़ी थी, लंड चूसने की कला से अनजान थी।

फिर भी, उसके मुंह की गर्मी और मुलायम जीभ का स्पर्श मुझे पागल बना रहे थे। मेरे मुंह से आवाजें निकलने लगीं- आह्ह … आह्ह … हाय … मंजुला … मेरी रानी … आह्ह … आह्ह … ओह्ह।

इतनी देर से जो लावा रोक कर रखा था वो अब बाहर फूटने वाला था। मैंने लंड को मुंह से निकलवा दिया और उसका हाथ लंड पर रखवा दिया और मुठ मरवाने लगा।

मैंने अपना हाथ हटाया तो उसका हाथ ही अब मेरे लंड की तेजी से मुठ मार रहा था।

कुछ ही सेकंड में मेरा लावा विस्फोट कर उसके चेहरे, बॉडी आदि सब को नहलाने लगा।
मैं स्खलित होते ही निढाल होकर बेड पर पीठ के बल लेट गया।
साथ ही वो भी मेरे ऊपर आ लेटी।

मैंने उसको कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया।

उसके बदन पर लगा मेरे लंड का रस हम दोनों के जिस्मों पर फैलने लगा।

सांसें जब सामान्य हुईं तो हम उठे और देखा कि दोनों का बदन मेरे वीर्य में सना हुआ था।

वो बहुत शर्मा रही थी।

मैं उठा और उसे लेकर बाथरूम में चला गया, जाकर मैंने शावर चालू कर दिया।

दोनों का वीर्य निकलने के कारण जो ऊर्जा खोई थी, वह शावर के हल्के गर्म पानी में नहाने से वापस आने लगी।
शावर के बाद हम वापस बेड के पास आ गए।

मेरे पास अभी पूरे दस दिन का वक्त था।

मंजुला की चूत की सील तो टूट चुकी थी लेकिन उसकी असली चुदाई अभी तक हुई नहीं थी।
इसलिए मैं इत्मिनान से उसको चोदना चाहता था।

वैसे भी, होटल के स्प्रिंग वाले गद्दे में चोदने का मज़ा ही कुछ और होने वाला था।

अब मुंजला अपने कपड़े उठाने लगी तो मैंने उसके हाथ से वो कपड़े छीन कर सोफे पर फेंक दिए।

उसने एक बार विरोध भी किया और बोली कि उसको ऐसे नींद नहीं आएगी।

लेकिन, अभी मैं उसे सोने नहीं दे सकता था, उसकी असल चुदाई तो अब होनी थी।

मैं बोला- कोई बात नहीं, कपड़े थोड़ी देर बाद पहन लेना।
कहते हुए मैंने उसको बेड पर धकेल दिया।
मंजुला गिरते ही बेड पर उछाल खा गई।

उसके उछाल के साथ ही उसकी चूचियां भी हवा में उछल गईं।

उस नग्न सुंदरता को देख मेरा लंड भी तनाव में आने लगा।

चूत से मिलने की उसकी अधूरी इच्छा अब पूरी करवाने का समय आ गया था।

आपको मेरी कहानी में मजा आ रहा होगा, अपनी राय इस बारे में जरूर दें।
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