पड़ोसी की प्यासी बेगम ने आकर चूत चुदवाई

आंटी हिजाब सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मैं अपनी छत पर कसरत करता था, सामने वाली आंटी मुझे देखती थी. एक दिन उसने मुझसे कसरत सीखने को कहा और वो मेरे घर आ गयी.

दोस्तो, मेरा नाम हिम त्रिपाठी है. यह नाम बदला हुआ है. मैं कानपुर से हूँ, मेरी उम्र 25 साल है.

Aunty Hijab Sex Story में आगे:

हाल ही में हमारे पड़ोस में एक नया परिवार रहने आया है.
उस परिवार में कुल चार लोग पति, पत्नी और दो बेटियां थीं.
दिखने में वो सब ठीक-ठाक लोग लग रहे थे.

इस तरह ये नया परिवार हमारे घर के सामने ही रहने लगा.
कुछ दिन बीत गए इसी तरह फिर लॉकडाउन लग गया.

आमतौर पर मैं कसरत करने जिम जाता था पर लॉकडाउन में घर में छत पर कसरत करने लगा था.

एक दिन मैंने देखा कि मेरे सामने वाले घर की आंटी मुझे देख रही थीं.
उसको देखकर मैं मुस्कुरा दिया.
वो भी मुझे देखकर मुस्कुरा दीं.

इस तरह रोज मैं शाम को कसरत करता था और वो रोज शाम को मुझे अपनी छत पर देख कर आ जाती थीं.

मैं उनके बारे में बता दूं.
वो 35 से 37 साल के बीच की बिल्कुल गोरे रंग की महिला थीं.
मम्मी से उनका काफी बात होती थी.

एक दिन वो छत पर थीं तो मुझसे बोलीं- मुझे भी वजन कम करने का मन है, क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?
मैंने कहा- बिल्कुल, पर आपको वजन कम करने की क्या जरूरत है, आप तो ऐसे ही इतनी सुंदर हो.
वो बोली- धत्त.

मैं बोला- अच्छा कल से आप भी आ जाइएगा. दोनों लोग साथ में कसरत करेंगे, पर पहले आप अपना नाम तो बता दीजिए.
वो बोली- आयशा परवीन.

मैंने बोला- तो परवीन आंटी आप कल शाम को आ जाइएगा.
वो गुस्से में बोली- तुम मुझे सिर्फ आयशा बुलाओ.
मैंने बोला- ठीक है, आ जाइएगा आयशा जी.

अगले दिन आंटी जी अपनी छत की जगह मेरी छत पर थीं.
उन्होंने हिजाब पहना हुआ था.

वो बोलीं- हिम शुरू करते हैं.
मैंने उनको कसरत बताई और कहा- हिजाब में कसरत नहीं हो सकती. आप इसको उतार दीजिए.
वो बोलीं- नहीं ऐसे ही ठीक है.
मैंने कुछ नहीं कहा.

उन्होंने कसरत शुरू कर दी. मैं सामने से हिजाब के अन्दर उनकी हिलती चूचियां देख सकता था.
मेरा पूरा ध्यान उधर ही था.

थोड़ी देर में वो मेरे पास आईं और बोलीं- इसको कहां उतार कर रख दूँ?
मैंने कहा- चाहे जहां रख दो. पूरी छत खाली है और यहां कोई नहीं आता.
वो कुछ नहीं बोलीं.

मैंने आगे पूछा- पर अचानक क्यों?
वो बोलीं- यार, पूरा बदन पसीने से भीग गया है.
मैं बोला- ठीक है.

तब मैंने उनको देखा वो पसीने से भीगी बहुत सेक्सी लग रही थीं.
वो अपना हिज़ाब उतार कर वहीं जमीन में उसे रखकर फिर से कसरत करने लगीं.

फिर बोलीं- हिम मुझे प्यास लगी है, कुछ है पीने को?
मैंने मजाक करते हुए कहा- क्या पिएंगी?
वो हंस कर बोलीं- तुमको.

हम दोनों हंसने लगे.

मैंने उनको पानी दिया.
पानी पीते समय उनके सीने के ऊपर गिर गया.
मुझे ऐसा लगा, जैसे वो बिना ब्रा के हैं.
फिर मैंने सोचा कि नहीं ऐसा नहीं हो सकता.

वो दूसरी कसरत करने लगीं.
आयशा गलत कर रही थीं और मैं उन्हें देख रहा था.

वो मुझसे बोलीं- हिम, तुम इधर आकर मुझे ये समझाओ. मुझे समझ नहीं आ रहा कि ये कैसे करना है?
मैं उनके पास गया और उनकी कमर से उनको पकड़ कर कसरत समझाने लगा.

मैंने उन्हें बिल्कुल चुचियों के नीचे से ही पकड़ा था.
मुझे कन्फर्म हो गया कि इन्होंने ब्रा नहीं पहनी है.

मैं यही सब सोच रहा था कि वो अचानक फिसल कर मेरे ऊपर गिर गईं और मेरा लंड उनके गांड की दरार में सैट हो गया, जो पहले ही उनके बिना ब्रा की चूचियों के छूने से और उनके पसीने से भीग चुके सेक्सी गोरे रंग को देख कर और सूंघकर जोश में आ गया था.

हम दोनों ऐसे ही जमीन पर लेटे लेटे हंसने लगे.
वो उठने की कोशिश ही नहीं कर रही थीं.
मैंने उठाया भी नहीं.

फिर एक मिनट बाद वो पलट गईं.
अब मेरा लंड ठीक उनकी चूत पर था. उनकी चूचियां मेरे सीने पर थीं.
उनके मम्मों के दबाव से मुझे उनकी चूचियां 36 साइज़ की लग रही थीं.

आंटी के होंठों से मेरे होंठ थोड़ा नीचे थे.
मैंने जल्दी से उनके होंठों पर जल्दी से एक किस्सी कर ली.
वो भी उस पल में खो गईं और हम दोनों ने एक लंबा सा स्मूच कर लिया.

फिर अचानक उनको होश आया.
वो उठीं और जाकर एक स्टूल पर बैठ गईं.

मैंने उन्हें सॉरी बोला.
तो आंटी बोलीं- कोई बात नहीं, हो जाता है.

फिर बोलीं- उन्होंने आज तक किसी को भी किस नहीं किया.
मैंने आश्चर्य से कहा- आपकी तो दो बेटियां हैं.

वो बोलीं- मेरे पति सिर्फ नशे में आते हैं दो मिनट तक करते हैं. ना किस न कुछ और बस … लगे और फिर जैसे ही उनका खत्म हुआ, वो अलग हो जाते हैं. अब तो ये किए भी हुए कई साल हो गए हैं. ये बच्चे भी मेरे नहीं, बहन के हैं, यहां रह कर पढ़ रहे हैं.

ये सब बोलते बोलते उनकी आंखों में आंसू आ गए.
वो आगे बोलीं- सब मुझे बांझ बोलते हैं.

मैंने उनको देखा कि उनकी आंखों में आंसू थे.

आंटी अपने भूरे बाल और पूरी पसीने में भीगी इतनी प्यारी लग रही थीं कि मुझसे रहा नहीं गया.
मैंने आंटी को दुबारा से किस कर लिया.
इस बार उन्होंने भी पूरा साथ दिया.

अब तक छत पर अंधेरा हो गया था.
फिर वो जल्दी जल्दी कपड़े उतारने लगीं.

मैंने जल्दी से हाथ बढ़ाकर छत पर जल रही बत्ती को बन्द कर दिया.

वो मेरे सिर पर, कभी गाल पर, कभी सीने पर, तो कभी गर्दन में चूमती जा रही थीं.
मैंने अपने होंठ आगे किए तो आंटी मेरे होंठों पर किस करने लगी थीं.

वो बोल रही थीं- हिम, तुम बहुत अच्छे हो … हिम तुम बहुत अच्छे हो मेरी जान आज से तुम मेरे हो.
मैंने कहा- तुम भी बहुत सुंदर हो आयशा जी.

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वो बोलीं- एक बार वो बोलो हिम, जो मैं चाहती हूँ.
मैंने बोला- मैं तुमको क्या बोलूं?

वो बोलीं- तुम मुझे आयशा जी नहीं, सिर्फ आयशा बुलाओ.
मैंने कहा- हां आयशा … वैसे तुम्हारे शौहर का क्या नाम है?

वो बोली- अभी उस बकचोद का नाम मत लो.
मैंने कहा- फिर भी.
वो बोलीं- शम्सुद्दीन है.

मैंने उन्हें चूमा.
उन्होंने फिर से पूछा- क्यों पूछ रहे थे?

मैंने कहा- वो चूतिया है, इतनी अच्छी लड़की को खुश नहीं रखता.
वो बोलीं- उस भड़वे मादरचोद के लंड में दम नहीं है.

आंटी के मुँह से गालियां सुनकर मैं चौंक गया.
फिर वो अपनी कुर्ती उतार कर अपनी बिना ब्रा की नंगी चूचियां मेरे गाल पर रगड़ने लगीं.

उसकी पसीने से भीगी चूचियां मेरे गालों में घिस रही थीं, मुझे मजा आ रहा था.

वो मेरी गोद में बैठी थीं.
मैंने चूचियों को पीना शुरू कर दिया और एक हाथ उसकी सलवार में डाल कर उसकी चूत टटोलने लगा.
उसने नीचे पैंटी भी नहीं पहनी थी.

मैंने- तुम ब्रा पैंटी नहीं पहनती क्या?
वो बोलीं- पहनती हूँ, पर आज जानबूझ कर नहीं पहनी थी.
मैंने कहा- क्यों?
वो बोलीं- तुम बिना बनियान के कसरत करते हो, तो मैंने सोचा कि मैं भी ऐसे ही करूं.

मैंने हंस कर कहा- बुद्धू हो.
वो बोलीं- हां, तेरे लिए ऐसी ही सही हूँ.

फिर मैं उनके मम्मों को पीने लगा.
अब तक मेरा हाथ नीचे आंटी की चूत को सहलाने लगा था.

वो ‘इशस्स इसस्स …’ करती हुई मुझे चूमे जा रही थीं.

अचानक उन्होंने मेरी छाती में काट लिया.
मैंने भी उनकी चूची पर काट लिया.

वो मेरे बरमूडा को खींचने लगीं.
मैं खड़ा हो गया. वो मेरे बरमूडे को खींचती हुई नीचे करती गईं.

बरमूडे और मेरी जॉकी दोनों एक साथ उतर गई और मेरा लगभग 6 इंच का लंड सीधे उनके होंठ से जा टकराया.

उन्होंने एकदम से मुँह हटाया तो उनके गाल पर लंड से निकला थोड़ा सा प्री-कम लग गया.

वो एक हाथ से अपने गाल से प्री-कम साफ करती हुई हंसने लगीं और दूसरे हाथ से मेरा लंड सहलाने लगीं.
मैं उनको ये करते देख रहा था.

उन्होंने मेरी तरफ देखा.
मैंने उन्हें किस किया और कहा- आयशा, ये हथियार आज रात तुम्हारा है.
वो हंस कर बोलीं- आज नहीं, हमेशा के लिए मेरा है.
मैंने कहा- जैसा मेरी आयशा चाहे.

उन्होंने तुरंत मेरे लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.
मुझे मजा आ गया.

वो बोलीं- लंड चूसना तो मैं कई बार वीडियो में देख चुकी हूँ. आज पहली बार मौका मिला है.

वो जल्दी जल्दी से लंड चाटने लगीं.
पहले उन्होंने मेरे लंड की टोपी की खाल को चाट कर पीछे किया, फिर गुलाबी सुपारे को जोर जोर से चाटने लगीं.

लगभग 5 मिनट बाद आयशा आंटी ने लंड चूसना बन्द कर दिया.
वो प्यासी निगाहों से मेरे खड़े लंड को देख रही थीं.

मैंने कहा- आंटी हिजाब सेक्स करते हैं, आप हिजाब ले लो!
आंटी ने मेरी बात मान ली और अपने सर पर, गर्दन पर हिजाब डाल लिया.

मैंने जल्दी से उनकी सलवार को उतार दिया और उनको एक मेज पर लिटा दिया.
फिर अपने लंड को उनकी चूत पर सैट किया और एक धक्का दे दिया.

मेरा लंड चूत के अन्दर नहीं गया.
मैंने उनकी तरफ देखा.

वो बोलीं- मेरे शेर, उस लवड़े का लंड बहुत छोटा सा है और लम्बे अरसे से ये सब मैंने किया भी नहीं है.
मैंने जोर लगा कर शॉट मारा तो वो आंटी की रिसती हुई चूत के अन्दर उसे फाड़ता हुआ घुस गया.

उसकी चीख निकल गयी.
नीचे से मम्मी की आवाज आई- क्या हुआ?

आंटी अपने आप पर काबू रखती हुई बोलीं- कुछ नहीं, कसरत करते हुए गिर गयी.
मैंने उनकी तरफ देखा.

हम दोनों हंसने लगे.

मैंने उनकी कमर पकड़ी, जो बिल्कुल मुलायम थी.
आंटी न मोटी थीं और न ही पतली. उनकी चूचियां 36 की थीं और निप्पल गोल भूरे व बड़े थे.

वो बोलीं- इसको बाहर निकालो.
मैंने लंड निकाला तो उनकी चूत से खून निकल रहा था.

आज सही मायने में आंटी की चूत की सील टूटी थी. आज तक वो चूतिया आंटी की चूत की सील भी नहीं तोड़ पाया था.

मैंने मन ही मन सोचा कि क्या मारू माल चोदने मिला है.

मैंने धक्के देने शुरू कर दिए.
वो भी मेरा पूरा साथ देने लगीं.

लगभग 30 मिनट के घमासान युद्ध के बाद वो हांफने लगीं और एक बार झड़ चुकी थीं.
वो मरी सी आवाज में बोलीं- अब मैं थक गई हूँ. तुम्हारा हुआ कि नहीं?

मैंने कहा- बस मैं भी झड़ने वाला ही हूँ. किधर लोगी?
वो बोलीं- अन्दर ही डाल दो.

मैंने चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी.
छत पर ठंडी हवा चलने लगी थी, चुदाई में मजा आ रहा था.
अंधेरे में सिर्फ हम दोनों के थपथप की आवाज ही आ रही थी.

कुछ पल बाद हम दोनों एक साथ गर्म हो गए और झड़ने लगे.
आंटी दुबारा फिर से झड़ने लगी थीं.

हम दोनों एक दूसरे से चिपक के लेट गए.

वो लेटी हुई बोलीं- बहुत मजा आया हिम … सच में तुम शेर हो. अब फिर से कब ये सुख दोगे?
मैंने बोला- अब तो रोज ही कसरत करने आना है न!
वो हंसने लगीं और बोलीं- जरूर जरूर मेरी जान!

मैंने बोला- तो आज से आयशा मेरी?
वो बोलीं- हां हमेशा के लिए तेरी!

दोस्तो, इस तरह से पड़ोसी की बीवी आयशा की प्यासी चूत मेरे लंड से चुदने लगी थी.
आपको मेरी आंटी हिजाब सेक्स स्टोरी कैसी लगी, प्लीज़ मेल से बताएं.

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