हॉट इरोटिक लेस्बो सेक्स कहानी में अदला बदली का सेक्स करने के लिए एक भाभी ने अपनी जवान किरायेदार को अपनी बातों के जाल में उलझाकर उसे लेस्बियन सेक्स के लिए गर्म कर दिया.
मेरी सबसे पहली कहानी
किरायेदार के साथ वासना के खेल
अधिकांश पाठकों को बहुत पसंद आई थी, उसके लिए उन सभी कामुक पाठकों का शुक्रिया अदा करती हूं।
लेकिन कुछ ऐसे भी थे जिनको वह अविश्वसनीय लगी.
उनसे मेरा यह कहना है कि जब किसी औरत की कामुकता, उसके सर पर चढ़ जाए तो फिर उसे नए लंड से चुदने से, कोई भी रोक नहीं सकता और जीवन में बहुत कुछ ऐसा घटता है, जो अविश्वसनीय होता है।
एक कहावत भी है कि
“सत्य हमेशा कल्पना से भी अधिक अजीब होता है।”
जैसा कि माना जाता है, हर मर्द के अपने जीवन में कम से कम दो या अधिक औरतों के साथ, शारीरिक संबंध होते हैं।
इस लिहाज से यदि सोचें तो यदि 100 मर्द, दूसरी औरतों के साथ चुदाई का आनंद लेने में लगे हुए हैं तो निश्चित रूप से औरतों की संख्या भी 200 या अधिक होगी।
कहने का मतलब यह है कि औरतें मुखर कम होती हैं लेकिन उन की कामुकता, मर्द की कामुकता से किसी भी तरह कम नहीं होती।
कुछ जिज्ञासु पाठकों का यह भी प्रश्न था कि “क्या फिर बाद में कहानी और आगे बढ़ी या नहीं?”
तो उस पर मेरा कहना यह है कि यदि औरत के जिस्म पर एक बार यदि कोई गैर मर्द चढ़ गया हो और वह पास में ही रहता हो तो कहानी खत्म नहीं होती निरंतर चलती है।
मन भरने तक वो मर्द उस औरत के जिस्म से जब मौका मिले, तब खेलता रहता है।
कुछ पाठकों का यह भी प्रश्न था कि किरायेदार से चुदने के बाद, फिर आपने अपने किराएदार, रवि की जवान बीवी सपना की चूत, अपने पति को दिलवाई या नहीं?
तो ऐसे पाठकों में छुपे लेखक की मैं प्रशंसा करना चाहती हूं कि उनका अनुमान एकदम सही था।
वास्तव में तो जब रवि मुझे दूसरी बार चोद रहा था, तभी मेरे दिमाग में यह ख्याल आया था कि सपना को भी मनोज का न केवल नया, बल्कि रवि के लंड से अधिक लंबा, अधिक मोटा और अधिक दमदार लंड दिलवाऊंगी।
आपको जीवन में यदि खुलकर चुदाई का आनंद लेना है तो फिर बीवी को या पति को, पता लगने का डर नहीं होना चाहिए।
रवि और मेरे दोनों परिवारों में कोई तनाव ना हो, उसके लिए यह जरूरी था कि मेरा पति मनोज भी, रवि की पत्नी सपना की जवानी को रौंद डाले।
यह बात केवल पति पत्नी के रिश्ते में ही लागू नहीं होती बल्कि सास बहू, देवरानी जेठानी, ननद भाभी, बुआ भतीजी, मामी भांजी, अंतरंग सहेलियां सब रिश्तों में लागू होती है।
औरत हो या मर्द, सबको यही, किसी को पता लगने का, बदनामी का डर रोकता है, कुदरत की इस नेमत के मजे लेने से।
यदि केवल औरतें बी एक दूसरे को सहयोग करें तो नए लंड से चुदाई करवाना बहुत आसान है क्योंकि मर्द को तो जरा सा संकेत चाहिए, वो कभी भी, किसी नई चूत को चोदने के लिए मना नहीं करेगा।
‘किरायेदार के साथ वासना के खेल’ में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरे पति के ट्रेनिंग पर जाने के बाद, एक हफ्ता तो मैंने बिना चुदे जैसे तैसे निकाला। उस के बाद मेरी बेचैनी बढ़ने लगी।
मेरी वासना के कारण मेरा जिस्म, मेरी चूत, चुदाई की डिमांड करने लगे.
तो मैंने आते जाते मेरे बूब्स को घूरने वाले, अपने जवान किरायेदार से चुदवाने की ठान ली और मैं उसके पास एक रात, पारदर्शी गाउन पहन के चुदने पहुंच गई।
हमारी दो बार की चुदाई के उपरांत उसकी पत्नी सपना आ चुकी थी और मेरी उससे बात भी हुई थी.
यहां तक आपने पढ़ा था तो मैं अब शुरू करती हूं उससे आगे की दास्तान इस Hot Erotic Lesbo Sex Kahani में!
मैं एक गैर मर्द, अपने जवान किरायेदार रवि से चुदने के उपरान्त नीचे चली आई।
यह पहला मौका था जब पति की अनुपस्थिति में, बिना पति की जानकारी में लाए, मैंने किसी गैर मर्द का लंड अपनी चूत में ले लिया था।
इस कारण मेरे मन में एक अपराध बोध था.
इसलिए मेरी इच्छा थी कि रवि की जवान बीवी, सपना को कैसे भी करके मेरे पति से चुदने के लिए तैयार किया जाए।
कोई भी औरत मर्द की तुलना में किसी दूसरी औरत के सामने अपनी काम कल्पना का इजहार अधिक आसानी से कर सकती है।
इसलिए मुझे सपना की ख्वाहिशों को टटोलना था और उसकी हसरतों को जगाना था।
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अभी मेरे पति के लौटने में एक हफ्ता बाकी था; इतना समय मेरे लिए बहुत था।
मुझे न केवल सपना को, बल्कि रवि को भी मनोज द्वारा, सपना की चुदाई के इस नए खेल के लिए तैयार करना था।
मेरा कामुक दिमाग इसके लिए योजना बनाने में सक्रिय हो गया।
अगले दिन मैंने सपना को छेड़ा- कल रात तो तू इतने दिन में लौटी तो रवि ने खूब तंग किया होगा? पलंग पर खूब उधम मची होगी?
सपना पहले तो शरमा गई क्योंकि पहली बार मैं उससे इस तरह की बातें कर रही थी।
लेकिन यह भी इंसान की फितरत है कि उसे सैक्स संबंधी बातें अच्छी लगती हैं और जो इस तरीके की बातें करता है, उससे अपने आप निकटता बढ़ती चली जाती है।
वह बोली- कहां यार आंटी, रात में तो इनका सिर दुख रहा था, सुबह भी बोले यार आज ठीक नहीं लग रहा है, रात को देखेंगे।
मेरे को चोदने के बाद, रात को तो ठीक है, रवि ने सपना को चोदने से मना किया ही था.
लेकिन एक हफ्ते बाद लौटी अपनी जवान बीवी को उसने सुबह भी नहीं चोदा, उसकी इस बात से मुझे पता नहीं क्यों अपने आप पर गर्व की सी अनुभूति हुई।
रात को मेरी चुदाई करने के बाद रवि के व्यवहार में भी बड़ा परिवर्तन आ गया था.
वास्तव में यह भी मर्द के स्वभाव की कमजोरी होती है कि जब तक उसे किसी लड़की या औरत की चूत चोदने को न मिले, तब तक तो वो चापलूसी की हद तक विनम्र बना रहता है लेकिन जैसे ही एक बार चूत मिल जाए तो फिर उसके स्वभाव में थोड़ा अधिकार, थोड़ी मनमर्जी और थोड़ा अक्खड़पन आ ही जाता है।
ऐसा ही रवि के साथ हुआ, वो मुझे अकेली पाकर मस्ती मारने के मूड से चाहे जब घर में घुस आता; कभी बांहों में जकड़ कर मेरे होंठ चूसता, कभी पीछे से दबोच के मेरे बोबे सहलाता तो कभी आगे से बांहों में कस के मेरे कूल्हे दबा देता।
एक दिन तो उसने गजब ही कर दिया, मुझे प्लेटफार्म पर जबरदस्ती झुकाया, मेरी साड़ी पेटिकोट ऊपर किया, पैंटी नीचे करने लगा.
मैंने रोकने की कोशिश की तो बोला- भेनचोद, आज तो कुछ भी हो जाए, तुझे तो चोद के ही जाऊंगा।
उसने मेरी चूत तथा अपने लंड को मुखलार से चिकना किया और मेरी चूत में अपना कड़क लंड घुसेड़ के फटाफट धक्के लगाए.
और आधे मिनट से कम में, अपने लंड का सारा तनाव मेरी चूत में पहुंचा दिया।
मेरी चूत से उस का वीर्य बहते बहते पैरों की पिंडली तक पहुंच गया था।
उसी प्रकार, एक बार उसने गांड मारने की जिद पकड़ ली.
उसने मुझे जबरन झुकाया और किचन के प्लेटफार्म पर रखे डिब्बे में से देसी घी में उंगली भरी और मेरी गांड में लगा दिया और थोड़ा घी अपने लंड पर भी लगा लिया।
उसके बाद में जिस तरीके से उसने फटाफट चूत को चोदा था, उसी प्रकार मेरी गांड मार के वीर्य की पिचकारी छोड़कर अपना तूफान ठंडा कर के और कामसुख हासिल करके ऑफिस चला गया।
जाहिर है जब मुझे इस तरीके से चूत चुदाने में मजा नहीं आया तो गांड मरवाने में तो क्या ही आता?
उसकी इन हरकतों से मुझे थोड़ी चिढ़ सी होने लगी।
एक दिन की बात है, वो कहने लगा- यार मधु, आजकल तो सपना को चोदने की मेरी बिल्कुल इच्छा नहीं होती। जी करता है, जब भी लंड खड़ा हो बस तेरी ही चुदाई करूं, तेरी ही गांड मारूं।
जब भी किसी मर्द को नई चूत मिलती है तो ऐसा होना कुदरती है, दिन-रात वो उसी नई चूत को चोदने के सपने देखता रहता है।
थोड़े अरसे के लिए उसका लंड तो तन्नाता है लेकिन अपनी पत्नी को चोदने की उसकी इच्छा खत्म सी हो जाती है।
मुझे लगा यह मौका अच्छा है, मैंने कहा- साले कमीने, तू केवल मेरे को चोदेगा तो फिर सपना को क्या मेरा पति मनोज चोदा करेगा?
यह सुनकर वो एकदम सकपका गया, बोला- हां … यदि सपना मनोज अंकल से चुदाना चाहे तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है। मैं उसे नहीं रोकूंगा।
रवि की तरफ से तो हरी झंडी मिल गई थी. अब बस सपना को नए लंड का चस्का लगाना था।
इतना तो निश्चित था कि उसको मनोज के नए लंड से चुद के विलक्षण आनंद मिलने वाला था।
बस संकोची सपना को मनोज से चुदने के लिए राजी करना था।
इससे पहले कि कहानी आगे बढ़े, मैं जरा सपना के बारे में थोड़ी जानकारी दे दूं।
उसका गोरा चिकना बेदाग बदन, बड़ी बड़ी आंखें, गुलाब की पंखुरी से पतले नाजुक होंठ, 32 इंच के बूब्स, छोटे लेकिन जवानी के उफान से भरे हुए, 30 की कमर और 34 के चूतड़!
यूं समझ लो चलती फिरती कयामत।
मैंने कई बार मेरे पति को उसे एकटक घूरते और अपना लंड सहलाते देखा है।
अब ऐसे पके माल का जब मेरे पति लुत्फ उठाएंगे, उस वक्त की कल्पना मुझे भी रोमांचित कर रही थी।
जैसे यह भी मेरी एक फैंटेसी बन गई थी, जिसे मुझे हर हाल में पूरा करना था।
सपना को आए तीन दिन हो गए थे।
उस दिन दोपहर में सपना जब मेरे पास आई तो मैंने उससे पूछा- क्यों री, अभी तक तेरे रवि का मूड बना या नहीं?
वह झेंप गई फिर मायूसी भरे स्वर में बोली- यार आंटी, रात में बहुत बेमन से केवल एक शो हुआ। उनकी तो जैसे इच्छा ही नहीं थी, मैंने ही जैसे तैसे उन्हें तैयार किया।
सपना आगे बोलने लगी- यार आंटी, तुम ही बताओ कि यदि मर्द की इच्छा नहीं हो तो क्या औरत को मजा आ सकता है? मेरे को तो बिल्कुल मजा नहीं आया।
तब मैंने सोचा कि सब कुछ मेरे मन मुताबिक हो रहा था. सपना के साथ रवि के इस तरह के व्यवहार ने मेरी राह आसान कर दी थी।
फिर मैंने उससे पूछा- अच्छा यह बता, तेरा शादी से पहले कोई बॉय फ्रेंड था? तूने पहले कभी किसी से ठुकवाया?
उसने कहा- नहीं यार आंटी, मेरी सील रवि ने ही तोड़ी और साला बहुत जल्दी थक गया, आजकल तो हरामखोर का, जब देखो, सिर दुखता रहता है। मैं तो हमेशा अतृप्त रहती हूं यार!
मैंने उसे कहा- मेरे पास तेरी सारी समस्याओं का हल है!
उसने मेरी तरफ जिज्ञासा से देखा कि मैं क्या कहना चाहती हूं.
फिर मैंने कहा- देख पहले तो तू मुझे ये आंटी बोलना बंद कर. जब मस्ती की बातें चल रही हों तो आंटी बोलना स्पीड ब्रेकर का काम करता है. तू तो मुझे अपनी सहेली ही समझ और मधु बोल!
इतना सुनना था कि वो मेरे सीने से लग गई, हम दोनों के स्तन भी आपस में मिल रहे थे।
जब मुझे उसके आम जैसे बूब्स से गुदगुदी हुई तो उसे भी निश्चित रूप से मेरे खरबूजे जैसे स्तनों का स्पर्श पाकर कामसुख मिला ही होगा।
मैंने एक कदम आगे बढ़ते हुए उस के थरथराते होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उस के बांए स्तन को कस के दबा दिया।
उसने कोई विरोध नहीं किया, उसने अपने आप को ढीला छोड़ के जैसे मेरे हवाले कर दिया था।
मैं खुश थी क्योंकि मैंने अपने लक्ष्य की राह पर एक पड़ाव पार कर लिया था।
फिर मैंने बिना वक्त गंवाए उसके टॉप को उतार दिया.
मेरे इस अचानक हुए हमले से वह आश्चर्यचकित थी और उसका शरीर कामोत्तेजना में कांप रहा था।
उसे मेरी ये सैक्सी हरकतें अच्छी लगने लगी थीं। उसके दोनों दूधिया कबूतर ब्रा के पिंजरे से आज़ाद होने को फड़फड़ा रहे थे।
इसके पहले कि मैं उसकी ब्रा उतारती, वह भी जोश में आ गई, उसने भी मुझे नंगी करना शुरू कर दिया।
उसने जैसे ही मेरा कुर्ता उतार और मेरे स्तन देखे, उसके मुंह से निकला- वाह मेरी जान, यार तेरे बूब्स तो बहुत बड़े और गदराए हुए हैं। रवि बोलता भी है कि तेरे बोबे तो छोटे छोटे हैं संतरे जैसे! मधु आंटी के देख, कितने मस्त हैं पके खरबूजों जैसे!
तो मैंने उसको मस्का लगाते हुए कहा- इधर मनोज बोलता है कि सपना के बूब्स मस्त हैं। तेरे तो दोनों हाथों में भी नहीं आते, जब कि सपना के दोनों बोबे एक एक हाथ में ले कर चूसने को मिल जाएं तो मज़ा आ जाए।
प्रिय मित्रो, मेरी यह कहानी 3 भागों में होगी.
मुझे आशा है कि आपको हॉट इरोटिक लेस्बो सेक्स कहानी का यह पहला भाग पसंद आया होगा.
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