पड़ोसन जवान सेक्स कहानी में मैंने एक भाभी को पटाकर उसकी चूत मार ली थी। दोबारा उसे चोदने के लिए एक दिन मैं उसे होटल में ले गया और इतना चोदा कि वह मेरे लंड की दीवानी हो गई।
हर बार की तरह सबसे पहले कामुकताज डॉट कॉम पर सभी पाठकों को मेरा सादर प्रणाम!
आशा करता हूँ कि आप सब कुशल-मंगल होंगे और अपने चाहने वालों का भी ध्यान रख रहे होंगे!
इस साईट की वजह से ही हम सबको अपनी कहानी यहां पर एक दूसरे के साथ साझा करने का अवसर मिलता है।
आज मैं प्रतोष सिंह हाज़िर हूँ अपनी एक Jawan Padosan Sex Kahani के साथ जिसमें मैं बताऊंगा कि कैसे मैंने एक सेक्सी भाभी के दिल की तमन्ना पूरी की।
आप सबने मेरी पिछली कहानी में पढ़ा कि कैसे मैं भाभी के साथ एक बार रासलीला रचा चुका था।
अब मैं भाभी की चूत का दीवाना हो गया था और मुझसे रहा नहीं जा रहा था।
तो मैंने भाभी से बात करके मिलने का प्लान बनाया तो भाभी ने मेरे सामने एक शर्त रखी कि वो मिलेगी तो जरूर, लेकिन इस बार सब कुछ उसके हिसाब से ही होगा।
मैंने भी झट से कह दिया- सब मंजूर है मेरे सरकार, आप पहले मिलो तो सही!
तभी मैंने डेज़ी भाभी से कहा कि साड़ी पहन कर आना तो वह मान गई।
फिर वो दिन आ गया जिस दिन हम दोनों मिलने वाले थे।
मैं पहले ही तय जगह पर पहुँच गया था और उसका इंतजार कर रहा था।
वह जैसे ही आई तो मैं उसके पीछे-पीछे चलने लगा।
उसके मटकते हुए चूतड़ों को देखकर मैं एकदम से रोमांचित होने लगा कि आज फिर भाभी की चुदाई करने को मिलेगी।
कसम से दोस्तो, उसकी मटकती हुई गांड को देखकर किसी का भी लन्ड खड़ा हो सकता था।
जाकर हम दोनों ने होटल में रूम लिया और एसी चला दिया ताकि रूम जल्दी से ठंडा हो जाए।
बाहर काफी गर्मी थी और हम दोनों को काफी पसीना आ गया था।
मैं डेज़ी को अपनी तरफ खींचते हुए बांहों में कसने लगा तो वो बोली- अरे रुकिये जनाब! मुझे वॉशरूम जाना है पहले!
वो वाशरूम में जाकर दरवाजा लगाने लगी तो मैंने रोक दिया।
मैं बोला- दरवाजा नहीं बैंड करना है, अब हमसे भी क्या शर्माना!
फिर उसने दरवाजा खुला ही रखा।
वह मेरे सामने ही कमॉड पर बैठ गई।
उसकी चूत देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैं जल्दी से जाकर वहीं बैठी हुई की ही चूत चाटने लगा।
भाभी बोली- थोड़ा तो सब्र करो जानेमन … आज तुम्हारी सारी प्यास मिटा दूंगी।
फिर मैं वापस आ गया।
वो भी बाहर आ गई।
फिर वो अपने कपड़े उतारने लगी तो मैंने रोक दिया।
मैं बोला- यह शुभ काम तो मुझे ही करने दो।
उसने अपने बदन को मेरे हवाले कर दिया।
मैंने भी उसे पलंग के किनारे पर बैठा कर उसकी साड़ी और पेटीकोट को उठा दिया और उसकी चूत को नाक लगा कर सूंघने लगा।
आह्ह … क्या खुशबू थी उसकी चूत की … खाने का मन कर रहा था।
फिर मैंने भाभी की पैंटी उतारी और उसे बेड पर धक्का देकर गिरा दिया।
टांगें फैलाकर मजे से मैं उसकी चूत की फांकें चाटने लगा।
धीरे-धीरे वो भी गर्म होने लगी; उसके हाथ मेरे सिर पर आ टिके थे।
भाभी की चूत ने अब रस छोड़ना शुरू कर दिया था।
उसकी चूत से अब नमकीन स्वाद आने लगा था जिससे मेरी प्यास और ज्यादा बढ़ने लगी थी।
मैं तेजी से उसकी चूत को खाने लगा, चूत में जीभ भीतर तक घुसाने लगा।
चूत में गहराई में जीभ को और ज्यादा स्वाद मिल रहा था।
ऊपर से मेरी नाक उसकी चूत पर बिल्कुल सट गई थी जिससे साथ ही साथ उसकी मस्त चूत की खुशबू मेरी सांसों में जा रही थी।
भाभी अब पूरी गर्म होने लगी।
वह मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी।
कुछ देर बाद जब कामुकता अपने चरम पर पहुँच गई तो डेज़ी भाभी ने मुझे उठाया और बिस्तर पर आने को कहा।
बिस्तर पर आते ही मैंने उसके साड़ी के पल्लू को हटाया और उसके होंठों पर होंठ रख दिए।
मैं लगातार उसे किस किये जा रहा था।
वह भी मेरा साथ दे रही थी।
कुछ देर तक हम किस करते रहे।
फिर मैंने उसका ब्लाउज खोल कर अलग कर दिया।
उसकी चूचियां नंगी करके मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए।
नंगा होकर मैं उसके ऊपर लेट गया और जोर से उसकी चूचियों को भींचते हुए उसके होंठों को चूसने लगा।
फिर मैंने उसकी चूत रगड़नी शुरू कर दी।
वह चुदासी होकर चूत को मेरी हथेली पर रगड़ने की कोशिश करने लगी।
फिर हम 69 पोजीशन में हो लिए।
भाभी की चूत को मैं मस्ती में चूसने लगा।
वह भी पूरे जोश में आकर मेरे लंड को लॉलीपोप की तरह चूस रही थी।
हम दोनों चुसाई के खेल में इतने खो गये कि मैं उसके मुंह में ही झड़ गया और वह मेरे मुंह में झड़ गई!
दूसरे राउंड के पहले हमने थोड़ा सा आराम किया और स्टेमिना बचाकर रखा।
लेकिन साथ ही मैंने भाभी को गर्म रखने के लिए उसे किस करना और बदन पर चूमना-चाटना जारी रखा।
मेरा लौड़ा कुछ देर में फिर से तैयार होने लगा।
लंड तनाव में आने के बाद मैं उठा और जींस की पैंट से चॉकलेट फ्लेवर कॉन्डम निकाल लाया।
भाभी ने कंडोम देख कर कहा- मेरी शर्त बताने का समय आ गया।
मैंने उसे आश्चर्य भरी नजरों से देखा; सोचा कि अब इसके दिमाग में क्या खुराफात आई है?
फिर उसने कहा- आज बिना कंडोम के ही करेंगे! मैं आपका लन्ड अपनी चूत में महसूस करना चाहती हूँ।
मैंने कहा- तो पहले बोलना चाहिए था!
मन ही मन मैंने खुश होते हुए कहा.
वह बोली- अगर पहले बता देती तो आपके चेहरे पर जो ये भाव देखने को मिला वह कैसे मिलता?
कहकर वह हंसने लगी।
फिर उसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मुझे तकिया के ऊपर धकेल कर पागलों की तरह बेतहाशा चूमने लगी, मेरे बदन को चाटने लगी।
कुछ देर इसी तरह बदन चाटने के बाद उसने अचानक ही गप्प … से मेरा लन्ड अपने मुंह में ले लिया और एकदम मस्ती में चूसने लगी।
मैं इस हमले के लिए तैयार नहीं था।
मैंने खुद को संभाला और उसके सिर को पकड़ कर अपने लन्ड से उसका मुंह चोदने लगा।
मैं इतना रोमांचित हो गया था कि मैंने उसके सिर पर अपना दबाव बढ़ा दिया। लौड़ा मैंने गले तक ठूंस दिया जिससे भाभी को उबकाई आने लगी।
लेकिन मुझे इसमें बहुत मजा आ रहा था, बस चलता तो लंड को उसके गले से नीचे भी उतार देता।
फिर जब उससे सांस न ली गई तो उसने मुझे पीछे धकेलते हुए लंड को बाहर निकाल दिया।
वह हाँफ रही थी।
फिर वह पीछे लेट गई।
मैं भी उसके बगल में लेट गया।
फिर वह उठी और मेरी जांघों पर बैठते हुए लंड को चूत में लेने लगी।
बैठते हुए उसने लंड को चूत में उतरवा लिया और जोर-जोर से उछलने लगी।
कभी ऊपर-नीचे तो कभी गांड गोल-गोल घुमाते हुए वो मेरे लंड का कचूमर करने लगी।
मुझे लगा यह लौड़े को तोड़ डालेगी।
मैंने उसे रोकते हुए कहा- कुछ मुझे भी करने दोगी या अपनी ही मर्जी का करती रहोगी?
भाभी बोली- कुछ देर चुप पड़े रहो! मुझे अपने मन की करने दो … आह्ह।
लंड पर उछलते हुए उसने कहा.
वह लगातार मेरे लंड पर उछल रही थी और उसके मुंह से कामुक आवाजें निकल रही थीं- आह्ह … ओह्ह … उफ्फ … हाय … इस्स … अम्म … आह।
भाभी अपने चूचे मसलते हुए मेरे लन्ड पर कूद रही थी।
उसके कूदने के कारण चप-चप … घप-घप की आवाज भी निकल रही थी जिससे मेरा जोश भी बढ़ता जा रहा था।
भाभी की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी और पच-पच करते हुए चुदी जा रही थी।
मैं भी उसके चूचे कभी हाथ में लेकर भींचने लगता तो कभी मुंह ऊपर ले जाकर उन्हें पीने की कोशिश करता।
वह मेरे लंड से वीर्य की एक-एक बूंद को खींचने के इरादे से धक्के लगा रही थी।
अब मैं फिर से झड़ने के करीब पहुंचने वाला था।
डेज़ी की दोनों आंखें बंद थीं, उसे इतना आनंद आ रहा था कि वह मस्ती में बस उछलती ही जा रही थी।
लग रहा था जैसे लंड उसकी बच्चेदानी को छूकर आ रहा हो।
उसकी स्पीड और तेज हो गई … लगा जैसे कि वह भी झड़ने वाली है।
फिर एकदम से वह चीखने लगी और जोर जोर से आह-आह … आह-आह करती हुई पूरी कांपने लगी।
इसके बाद वह शांत पड़ती चली गई।
भाभी की चूत ने इतना पानी छोड़ा कि मेरा लंड भी सराबोर हो गया।
वह भी अब अपना लावा फेंकने पर मजबूर हो गया।
मैं भी डेज़ी भाभी की चूत में झड़ने लगा।
फिर डेज़ी मेरे बगल में लेट गई और हम दोनों कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे।
करीब 10-15 मिनट बीत जाने के बाद मैंने डेज़ी को उठने के लिए कहा और उसे बाथरूम में ले जाकर शावर चालू कर दिया।
फिर डेज़ी के बदन को सहलाते हुए कभी उसके होंठों को चूसता तो कभी उसके निप्पल!
इसी तरह नहाने का डबल मजा हम लेते रहे।
तकरीबन 20 मिनट तक नहाने के बाद थोड़ी शरारत मुझे सूझी।
शावर के नीचे डेज़ी को खड़ी करके उसके एक पैर को मैंने कमोड पर रख दिया, और फिर उसकी चूत पर मुंह चिपका दिया।
इतनी देर तक पानी गिरने के बाद डेज़ी का बदन थोड़ा ठंडा पड़ गया था।
जैसे ही मैंने चूत चुसना शुरू किया तो वह गनगना गई और अपनी आँखों को बंद करके उस पल का पूरी तरह से आनन्द लेने लगी।
कुछ देर तक चूत चूसने के बाद मेरा चुदाई का मूड होने लगा।
मैंने डेज़ी से पूछा- तुम ठीक हो?
उसने हां में जवाब दिया और वहां से निकल कर हम दोनों कमरे में आ गये!
वैसे तो मैं थका हुआ था लेकिन चूत की ललक ही ऐसी होती है।
भाभी के नंगे बदन को मैंने ऊपर से चूमना शुरू किया।
फिर धीरे धीरे नीचे आने लगा।
मैं उसकी चूत तक आ पहुंचा।
उसकी चूत की क्लिटोरिस को मैं दांतों से खींच-खींचकर उसे तड़पाने लगा।
इससे वह बार-बार चिहुंक उठती थी।
उसकी हालत खराब होने लगी तो वह मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी।
मगर वह थकी हुई थी तो मुझसे नहीं छूट पाई।
मैं कुछ देर तक और अपने मन की करता रहा।
जब भाभी से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने कहा- छोड़ दीजिए चूत को … बहुत जलन हो रही है।
चूत को मैंने चूसना छोड़कर ढेर सारा थूक उस पर लगा दिया।
मैंने उसे डॉगी स्टाइल में आने को कहा।
वह तैयार हो गई।
मैं जान गया था कि वह भी दोबारा से चुदना चाह रही है, वरना वह मना ही कर देती।
मैंने धीरे से उसकी चूत में लंड को घुसाया और गांड पर थप्पड़ लगाते हुए लंड फंसाता चला गया।
पट-पट … चट-चट की आवाज के साथ धीरे-धीरे मैंने पूरा लंड डेज़ी भाभी की चूत में उतार दिया।
भाभी के चूतड़ लाल हो गए।
फिर मैं उसे चोदने लगा।
अबकी बार मैं जानता था कि इतनी जल्दी झड़ने वाला नहीं हूं।
इसलिए मैं जोर जोर से धक्के लगाते हुए भाभी की चुदाई करने लगा।
भाभी की चूत पहले से ही चुदकर दर्द कर रही थी इसलिए अबकी बार वह हर धक्के के साथ दर्द में कराह रही थी।
मुझे भाभी की चुदाई करने में अब और ज्यादा मजा आ रहा था।
उधर भाभी के मुंह से लगातार दर्द और मजे की मिली जुली सिसकारियां निकल रही थीं- आआहह … आईईई … ओह्ह … ऊंह्ह आह्ह … आह्ह मेरी चूत … उफ्फ ऊईई … आह्ह।
डेज़ी को घुमा कर अब मैंने बिस्तर पर लिटा दिया।
अब मैं उसके चूचे पीते हुए उसे चोदने लगा।
कभी उसके होंठों को चूसते हुए लंड घुसाने लगता।
अब पड़ोसन जवान सेक्स से उसकी हालत खराब होने लगी।
वह रोने को हो रही थी।
फिर मिन्नत करते हुए कहने लगी- प्लीज … आह्ह … आईई … छोड़ दीजिए … आआआ!
लेकिन मैंने चुदाई की स्पीड और तेज कर दी।
उसकी कमर को पकड़ कर मैं लगातार धक्के मारे जा रहा था।
वह चुदते हुए चिल्लाये जा रही थी।
दो-चार धक्कों के बाद मैं भी कांपते हुए झड़ गया।
तब जाकर कहीं डेज़ी के चेहरे पर सुकून दिखा और उसका चीखना-चिल्लाना बंद हुआ!
शरीर के साथ-साथ लन्ड का भी बुरा हाल हो गया था।
थोड़ा आराम करने के बाद डेज़ी ने कहा- जनाब का मन घर जाने का है या फिर हम दोनों यहीं घर बसा लें?
मैं बोला- यहीं बसा लेते हैं।
वह बोली- मेरी हिम्मत नहीं है कुछ और करने की अब! आपको जो करना है जल्दी से कर लीजिए।
यह सुनकर मैं तपाक से उठा और उसकी चूत पर मुंह लगा दिया।
मैं भाभी की चूत को चूसने लगा।
लगातार चुदाई के कारण उसकी चूत जल रही थी।
मैं जीभ की गर्मी से उसकी चूत को आराम देने लगा।
कुछ ही देर में वह आह्ह … आह्ह करके सिसकारने लगी।
लगभग 15 मिनट तक मैंने उसकी चूत का फलूदा खूब चाटा।
आखिरकार भाभी की चूत ने पानी का फव्वारा छोड़ दिया।
उसने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया और फिर चूसकर बोली- मेरी हालत आज ऐसी कर दी है तुमने कि अब मुझे चलने में भी तकलीफ होगी। आपने मुझे अपनी दीवानी बना लिया … दिल खुश कर दिया आपने मेरा! इस रोमांच के सामने ये दर्द कुछ भी नहीं है! मेरे पति ने आज तक मेरी ऐसी चुदाई नहीं की थी।
तो दोस्तो, अब डेज़ी भाभी मेरी दीवानी हो गई थी।
हमने आगे भी कई बार इसी तरह एक दूसरे की प्यास बुझाई और हसीन पल साथ में बिताये।
उनके बारे में मैं आपको आगे की कहानी में बताऊंगा!
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