मौसी की जेठानी को मौसाजी के सामने चोदा

हॉट फॅमिली सेक्स कहानी में पढ़ें कि मौसाजी के आने बाद भी मौसी ने अपनी जेठानी के साथ मेरी चुदाई का सेटिंग कर दी. मौसी को मौसा ने चोदा.

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मौसी और उनकी जेठानी का लेस्बियन सेक्स
में आपने पढ़ा कि मैंने मौसी और उनकी जेठानी को आपस में पूरी तरह से खोलने के लिए उन दोनों का लेस्बियन सेक्स करवा दिया. फिर मैंने 3सम चुदाई की उन दोनों के संग!

अब आगे हॉट फॅमिली सेक्स कहानी:

शाम को मेरी आँख खुली तो देखा घड़ी में चार बज रहे थे।

मैंने एक नजर कमरे में घुमाई तो मुझे रूपाली कहीं भी दिखाई नहीं दी लेकिन नीतू अभी भी मेरे बगल में अलसाई हुई निर्वस्त्र पड़ी थी।
उसके चेहरे पर पर शांति और तृप्ति के भाव स्पष्ट दिखाई दे रहे थे।

कुछ देर तक तो मैं उसी तरह उसके बगल में लेटा रहा और नीतू के नंगे जिस्म की काया को देखता रहा.
लेकिन कुछ देर बाद जब रूपाली को देखने की इच्छा बलवित होने लगी तो मैंने उठने का निश्चय किया।

मैं जैसे से बेड से उठने को हुआ तो मेरे हिलने से नीतू की नींद टूट गई। मैं बेड से उठ कर खड़ा हुआ तो नीतू की नजर मेरी नजर से टकराई और नीतू के चेहरे पर मुस्कान तैर गई।

इससे पहले कि मैं अपने कपड़े पहन पाता … नीतू लपक कर मेरे पास आयी और मेरे होंठों पर अपने होंठों से एक छोटा सा चुम्बन चिपका दिया।
मैंने भी जवाब में उसके माथे को चूम लिया।

हमने अपने कपड़े पहने और रूपाली को देखने के लिए कमरे से बाहर निकल गये।

रूपाली बगल वाले कमरे की साफ़ सफाई कर रही थी जिसमे कल नीतू और मेरी सुहागरात हुई थी।
हमारे मिलन की गवाही कमरे का कोना कोना दे रहा था। पूरा कमरा अस्त व्यस्त हुआ पड़ा था कमरे में यहाँ वहां हर जगह फूल बिखरे पड़े थे बेड पर मेरे और नीतू का मिलन रस पड़े पड़े सूख गया था।

मैंने नीतू की कमर में चिकोटी काट कर उसे कमरे का हाल दिखाया तो वो शर्म से झेम्प गई।

रूपाली से मैंने सफाई करने का कारण पूछा तो रूपाली ने बताया- थोड़ी देर पहले आपके मौसा का फ़ोन आया था कि वो अपना काम खत्म करके हर्ष के साथ आज रात आठ बजे तक घर आ जायेंगे. इसलिये घर को साफ़ सुथरा कर रही हूँ!

मैंने दोनों को वहीं उनके काम के साथ छोड़ दिया और रसोई में चला गया कुछ खाने के लिये।
देखते ही देखते घर पहले जैसा साफ़ सुथरा हो गया।

शाम को दोनों ने मिलकर खाना बनाया।

रात नौ बजे मौसा और हर्ष घर आये तो रूपाली सज संवरकर खड़ी थी।
मौसा जी ने आते ही नीतू को नमस्ते की और रूपाली को गले लगा लिया जैसे वो कितने दिनों बाद रूपाली से मिल रहे हों।

उधर मैं दरवाजे के एक तरफ खड़ा होकर ये सब देख रहा था और अपने मन में बुदबुदा रहा था कि ‘साले इतना भी भावुक होने की कोई जरूरत नहीं है. तेरे जाने के बाद मैंने तेरी बीवी को लंड की कोई कमी नहीं होने दी है. और तेरी प्यारी नीतू भाभी ने तो टांगें उचका उचका कर मेरा लंड खाया है.’

मौसा जी की नजर मेरे पर पड़ते ही मेरे चेहरे पर एक बनावटी मुस्कान आ गई और मैंने भी उनसे नमस्ते कर ली।

फिर हम सब साथ बैठकर बातें करने लगे. मैंने मौसा जी से उनके काम के बारे में पूछा और वो मेरी पढ़ाई के बारे में।
इन्ही सब में रात के ग्यारह बज गये थे.

सबने जल्दी जल्दी खाना खाया और दोनों औरतें रसोई समेटने में लग गई।
मैं रूपाली के बेडरूम में हर्ष के साथ खेल रहा था और मौसा जी सामने बैठकर अपना काम कर रहे थे।

थोड़ी देर बाद रूपाली कमरे में आयी और मुझे देखते ही उसके मुख पर शरारत भरी मुस्कान आ गई.
लेकिन मैं उसकी इस मुस्कान का कारण नहीं जान सका.

हाँ यह जरूर तय था कि नीतू और इसने मिलकर कोई कलाकारी सोची है।

रूपाली ने हर्ष को मेरे पास से उठाया और अपनी गोद में ले लिया और मौसा जी से सोने का आग्रह किया।
रूपाली ने मुझसे भी कहा कि मैं भी जा कर बगल वाले कमरे में सो जाऊं. दीदी भी वहीं पर सो जाएगी।

इतना सुनते ही मुझे रूपाली और नीतू का सारा खेल समझ आ गया; मैं चुपचाप उठा, रूपाली के कमरे से बाहर निकल गया।

जब मैं बगल वाले कमरे में पंहुचा तो देखा कि नीतू बेड पर लेटी हुई थी और मेरा बिस्तर जमीन पर लगा हुआ था।

मैं चुपचाप अपने बिस्तर पर गया और अपनी चड्डी को छोड़ कर सारे कपड़े उतार दिय और बिस्तर पर लेट गया क्योंकि मैं अक्सर रात को सोते वक़्त केवल चड्डी में सोता हूँ।

थोड़ी देर तक मैं लेटा रहा फिर नीतू ने उठ कर कमरे की लाइट बंद कर दी।

इस समय पूरे घर में अँधेरा था कुछ सुनाई दे रहा था तो दोनों कमरों में चलते हुए पंखे की आवाज़!

मैं उसी तरह लेटा रहा, फिर मुझे कब नींद आ गई मुझे पता ही नहीं चला।

आधी रात के बाद मुझे ऐसा लगा कि जैसे कोई मेरे सीने को चाट रहा हो और मेरे लंड को हाथों से सहला रहा हो।

अधिक थकान के कारण मेरी आँखें भी नहीं खुल पा रही थी और उधर लंड पर दबाव बढ़ता ही जा रहा था.

तभी ‘उठो न …’ की आवाज ने मुझे नींद से लाकर वास्तविकता में पटक दिया.
यह आवाज नीतू की थी ये हाथ नीतू के थे अरे ये नीतू ही तो थी।

मैं अपने बिस्तर पर उठ कर बैठ गया और नीतू से पूछा- क्या हुआ?

तो नीतू ने बताया- मैं अभी मूतने के लिए बाथरूम गई थी तो वापस आते समय रूपाली के कमरे से कुछ आवाजें सुनाई दी. तो मैं खिडकी पर खड़ी हो गई और देखने लगी. रूपाली और देवर जी ने अभी अभी चुदाई शुरू की है इसलिये मुझे भी चुदने का मन करने लगा तो मैंने तुमको जगा दिया. क्योंकि मेरी आँखों के सामने मस्त लंड पड़ा हुआ था तो मैं तुमसे चुदने के लिए तुम्हारा लंड सहलाने लगी।

उन दोनों की चुदाई देखने का मन मेरा भी करने लगा तो मैं बिस्तर से उठ गया।

इससे पहले मैं कमरे से बाहर निकलता, नीतू ने मेरी चड्डी दोनों हाथों से उतार दी और अपनी मुट्ठी में मेरे लंड को पकड़ लिया।

मेरे लंड को मुट्ठी में पकड़े पकड़े ही हम कमरे से बाहर आ गये.

मैं रूपाली कमरे के बाहर खिड़की से अंदर का नजारा देख रहा था।

अंदर हल्की नीले रंग की रोशनी में ज्यादा कुछ साफ़ नजर नहीं आ रहा था बस इतना पता चल रहा था कि रूपाली नीचे लेटी हुई है और मौसा उसके कपड़े उतार रहे हैं।

यह सब देखकर नीतू भी मेरे लंड को जोर से मसलने लगी जिससे लंड में थोड़ी हरकत होने लगी थी।

मैंने नीतू को वहीं गोदी में उठा लिया और कमरे में आ गया।

कमरे आते ही मैंने नीतू का नाईट गाउन उतार कर फेंक दिया और उसके होंठ चूमने लगा.
फिर उसके चूचों को दबाते और पीते हुए नीचे बैठने लगा।

मौसी की जेठानी नीतू की टांगों को खोलकर उसकी चूत के सुलगते लबों पर अपनी जीभ रख दी और उसकी चूत को लब बाईट देते हुए उसकी चूत चाटने लगा।

जितना मैं उसकी चूत चाटता, उतना ही उसकी चूत पनिया जाती।

फिर मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में उतार दी और अंदर गोल घूमाते हुए उसकी चूत का दाना चूसने लगा।

नीतू अपनी पूरी ताकत से मेरा सर अपनी चूत में घुसाए जा रही थी जैसे वो मेरे जीभ को अपनी चूत के अंतिम छोर तक घुसा लेगी।
इससे पहले नीतू झड़ती, मैं उठ खड़ा हुआ और नीतू को उसके घुटनों पर झुकाते हुए उसके मुंह में लंड ठूंस दिया।

नीतू भी मेरा लंड कुल्फी जैसे चूसने लगी, कभी सुपारा खोल लंड पर लगी मलाई चाटती तो कभी सुपारे के छेद पर अपनी जीभ घूमा कर मेरे जोश को कई गुना बढ़ा देती।

मैं भी पूरी ताकत से उसके मुंह को चोदने में लगा हुआ था।

थोड़ी देर बाद नीतू ने लंड मुंह से निकाला और चुदाई शुरू करने का आग्रह किया तो मैंने नीतू को कमर से पकड़कर हवा में उठा लिया।
हम दोनों इस तरह एक दूसरे से चिपके हुए थे कि नीतू की चूचियां मेरे सीने में धंसी जा रही थी।

नीतू ने अपनी बांहें मेरी गर्दन में डाल दी और मेरी कमर पर पर अपनी टांगों से एक घेरा सा बना लिया।
कमरे के शांत वातावरण में केवल हमारे दिल से निकलती धड़कनों की ही आवाज सुनाई दे रही थी।

मैं नीतू की पीठ पर प्यार से हाथ फेर रहा था. कभी मैं उसकी गांड के छेद को अपनी उंगली से सहला देता तो नीतू वासना मचल जाती और मुझसे और जोर से चिपक जाती।

मैंने नीतू के कान में धीरे से बोला- डाल दूँ?
तो नीतू ने तुरंत अपनी गर्दन हाँ में हिला दी. जैसे वो कबसे इसका इन्तजार कर रही हो।

मैंने नीतू के दोनों चूतड़ पकड़ के उसे थोड़ा सा हवा में उचकाया और उससे लंड को चूत सीध में रखने को कहा.
तो नीतू ने एक हाथ से लंड को चूत सामने रख दिया।

मैं धीरे धीरे उसके चूतड़ों को ढीला छोड़ते हुए उसके बदन को नीचे करने लगा।

उसकी चूत से लंड छूते ही मेरे सुपारे पर उसका चूतरस लग गया।
मैं नीतू की कमर पर दबाव बनाते हुए लंड को चूत में घुसाने लगा।

इस अवस्था में लंड डालने में थोड़ी मुश्किल हो रही थी।
थोड़ी देर बाद पूरी तरह से लंड घुस जाने के बाद हमने चैन की सांस ली।

मैंने नीतू को दीवार से सटा दिया और धीमे धीमे लंड को अंदर बाहर करने लगा।

बगल वाले कमरे में रूपाली चुद रही थी, इस कमरे में नीतू … बस बीच में थी तो केवल ये दीवार … लेकिन मैं फिर भी रूपाली के कमरे की कुछ आवाज सुन पा रहा था।

मैं नीतू को प्यार से चोद रहा था.
कुछ मिनटों के बाद मुझे रूपाली के कमरे से जोर जोर से मौसा जी से हुँकारने की आवाजे आने लगी।

मौसा जी तेजी से रूपाली को चोदने में लगे.
उनके हर धक्के में हम्म हम्म्म जैसा शोर था।

कुछ पल बाद मौसा जी बोले- लो सम्भालो मेरी रानी मैं आने वाला हूँ!
कुछ और मिनट तक रूपाली के कमरे शोर आया, फिर शांति छा गई जैसे मौसा जी ने अपना सारा वीर्य रूपाली की चूत में उगल दिया हो।

फिर मौसा जी के खर्राटों की आवाज आने लगी यानि अब मौसा जी से कुछ नहीं होने वाला उन्होंने अपना चरम बिंदु प्राप्त कर लिया था।

मैंने अपने धक्के लगाने बंद कर दिय और रूपाली के बारे में सोचते हुए मौसा जी को कोसने लगा- साले अपना तो झड़वा कर सो गया, रूपाली का झड़ना तो दूर अभी तो वो ठीक से गर्म भी नहीं हुई होगी. जब चोदने की ताकत नहीं हैं तो क्यों रूपाली को परेशान करता है उसे तेरे लंड से पूर्ण संतुष्टि नहीं मिलेगी!

नीतू ने मुझसे फिर से चुदाई चालू करने को कहा तो मैंने उसे फर्श पर लिटा दिया और उसकी चूत में मशीन जैसे लंड अंदर बाहर करने करने लगा।

थोड़ी देर में नीतू की चूत में दर्द होने लगा और नीतू ने दर्द से बिलखते हुए कहा- थोड़ी धीरे करो राहुल … दर्द हो रहा है. इतना दर्द न दो. मुझे प्यार से चोदो. जैसे हमेशा करते हो. मेरी आवाजें सुन कर तुम्हारे मौसा आ जायेंगे.

लेकिन मैंने नीतू की एक न सुनी और उसी तेजी से उसकी चूत फाड़ता रहा।
लगातार नीतू के मुंह से दर्द भरी सिसकारी निकलती रही.

मैं तो सोच रहा था कि अगर मौसा जी आते हैं तो आ जायें … वो भी देख लें कि असली चुदाई इसे कहते हैं जैसे अभी मैं उनकी प्यार भाभी की चूत फाड़ रहा हूँ।

मैंने नीतू को उसकी दोनों टांगें उठा कर चोदने लगा। उसकी गीली चूत में लंड पच्चर- पच्चर करते हुए अंदर बाहर हों रहा था।

थोड़े समय बाद नीतू के मुंह से सिसकारी निकलने लगी- उम्म्म … उन्न्ह्ह … राहुल बहुत मजा आ रहा है आअह्ह … और अंदर डालो, ऐसे ही चोदते रहो पूरी रात मुझे … प्लीज राहुल।

मैंने उसकी ऐसे आवाजें सुनकर अपना लंड बाहर निकाला और पूरे जोश से फिर से उसकी चूत में घुसा दिया।
लंड के अन्दर जाते नीतू की आँखें बंद हो गई और उसके मुंह से सीईई … निकल गई।

उसके चेहरे पर लंड लेने की अलग ही ख़ुशी थी।
मेरे हर धक्के पर वो फर्श पर पीछे को खिसक जाती और मुंह से … सीईई … आई … आह्ह … ह्म्म्म कर रही थी।

मैं भी अपनी पूरी ताकत से उसे हचक कर चोदने में लगा हुआ था. जिससे मेरे भी मुंह से ह्म्म्म … ह्म्म्म जैसे आवाज आ रही थी।

नीतू अभी तक आँखें बंद करके चुद रही थी.
लेकिन जैसे ही उसने अपनी आँखें खोली तो उसने प्यारी सी स्माइल पास कर दी जिससे मैं खुद को रोक न सका और आगे झुक उसकी एक चूची मुंह में भर ली।
चूची और चूत पर हो रहे दोहरे हमले को नीतू सह न सकी और कुछ देर बाद उसने मेरी कमर पर अपनी टांगों का एक घेरा बना दिया और लगभग हाँफते हुए कहा- प्लीज राहुल, अब रुकना मत … ऐसे ही और तेजी से चोदो मुझे! मैं आने वाली हूँ … हूँ … हुन्न!

नीतू इतना बोल पाई कि उसकी चूत ने रस का बाँध खोल दिया और उसकी चूत किसी जल प्रपात की तरह बहने लगी।

मैं उसकी लगातार बहती चूत में धक्के लगाये जा रहा था जिससे उसकी चूत से फच्च फच्च जैसा सुकून देने वाला शोर हो रहा था।
जब भी मैं नीतू की चूत में धक्के लगाता तो उसकी चूत से कुछ रस चूत की दीवारों से होते हुए फर्श पर गिर जाता।

एक लम्बे स्खलन के बाद नीतू बेसुध सी हो गई.
लेकिन अभी मेरा झड़ना बाकी था तो उसने बाकी का काम मेरे ऊपर डाल दिया।

मैंने उसकी कमर को अपने हाथों में पकड़ लिया और पुनः धक्के लगाने शुरू कर दिया।

एक ही पोजीशन में बहुत देर तक चोदने से मैं बोर हो गया इसलिये मैंने नीतू से कुतिया बनने को कहा.
तो वो फर्श पर घुटने टिका कर झुक गई।

पास में पड़े नीतू के गाउन से मैंने उसकी चूत अच्छे से पौंछ कर सुखा दी।

मैंने पीछे से अपना लंड उसकी चूत के मुंहाने पर रखा और एक बार में ही पूरा लंड अंदर डालकर उसे चोदने लगा।

अब नीतू की चूत एक बार फिर से किसी कमसिन जवान कुंवारी लड़की की तरह कसी हुई लग रही थी।
जैसे जैसे मेरी रफ़्तार बढ़ती जा रही थी, वैसे वैसे नीतू के मुंह से फिर से सीईईई … आअह्ह … हायय निकल रही थी।

थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाल कर उसकी गांड में डाल दिया।
नीतू इस हमले से सम्भल नहीं पाई और उसके मुंह से घुटी सी आआह निकल गई।

अब मैं पहले से ज्यादा तेजी से नीतू की गांड मारने लगा; मेरे हर धक्के पर पट्ट- पट्ट जैसे आवाज आने लगी थी और समय के साथ शोर बढ़ता ही जा रहा था।

इतना शोर सुनकर रूपाली का तो पता नहीं लेकिन मौसा जी सच में आ जाते शायद मौसा जी सच में बहुत गहरी नींद में सो रहे थे।

थोड़ी देर बाद नीतू की गांड में जलन होने लगी थी इसलिये अब वो मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी थी.
लेकिन मेरी मजबूत पकड़ के आगे वो हिल भी न सकी इसलिये अंत में मुझसे कहा- राहुल प्लीज रुक जाओ. अब मैं और नहीं सह सकती तुम्हारे लंड को … बहुत जलन हो रही है पीछे!

लेकिन इस समय मैं अपने झड़ने के बहुत करीब था इसलिये सब अनसुना करते उसकी गांड चोदना जारी रखा।

कुछ समय बाद मुझे लगा कि मैं अब झड़ने वाला हूँ तो मैंने अपना लंड उसकी गांड से निकाल लिया और उसे फर्श पर घुटने के बल बैठा दिया।

मैंने नीतू से मुंह खोलने को कहा तो उसने भी ये सब जल्दी से खत्म करने के लिए अपना मुंह खोल दिया।
अपना लंड मैंने उसके मुंह में अंदर घुसाया और उसका मुंह चोदने लगा तो नीतू भी अपनी जीभ से मेरे लंड हरकत करने लगी।

कुछ देर बाद मुझे लगा कि अब मैं कभी भी झड़ जाऊंगा तो मैंने नीतू की गर्दन को थोड़ा पीछे की झुका दिया और झड़ने लगा।

मेरे लंड से एक के बाद एक रस की कई पिचकारी निकल रही थी जो नीतू के गले से होते हुए उसके पेट में जा रही थी।

शुरू में वीर्य की केवल फुहार निकल रही थी लेकिन बाद में वीर्य की मोटी मोटी बूँदें निकलने लगी।

समय के साथ मेरे लंड से जितना भी वीर्य निकल रहा था वो सारा नीतू के पेट में जा रहा था. जब मेरा लंड पूरी तरह से झड़ कर मुरझाने लगा तो नीतू ने मेरे लंड पर लगा बचा हुआ वीर्य चूस कर साफ़ कर करने लगी।

पूर्णरूप से झड़ने के बाद मैंने उसके मुंह से अपना लंड निकाला और हम दोनों वहीं फर्श पर पसर गये।

थोड़ी देर बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और आपनी जगह जा कर लेट गये।
बिस्तर पर लेटते ही मुझे नींद आ गई।

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जल्दी ही इससे आगे की कहानी लिखने की कोशिश करूंगा.

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