मेरी प्यारी चाची का बर्थडे गिफ्ट-1

हॉट लेडी सेक्स कहानी मेरी चाची के उफ़नते हुस्न और गदराए जिस्म की है. चाची भी मुझमें रुचि लेने लगी. एक दिन मैंने चाची की चूची चूस ली. कैसे?

आपने दिनाँक 4 जनवरी 2021 को प्रकाशित मेरी कहानी
कोटा में कोचिंग और चुदाई साथ साथ
पढ़ी और उसे काफ़ी पसन्द किया, इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ.

उस कहानी में मैंने बताया था कि कोटा में कोचिंग के लिए मैं, मेरी चाची की बहन सरिता के घर पर रहता था. वहीं रहते हुए मैंने सरिता आँटी को जमकर चोदा था.

मेरी चुदाई के तरीके से सरिता आँटी को शक हो गया था कि मैं मेरी चाची रश्मि को भी चोद चुका हूँ.

आँटी के हर रोज ज़ोर देने पर एक दिन मैंने उन्हें मेरी रश्मि चाची की चुदाई का किस्सा सुना ही दिया.

वो हॉट लेडी सेक्स कहानी इस प्रकार से थी, आप भी सुनें:

हमारा परिवार एक तीन बेडरूम के घर में रहता था. जब मैं प्लस टू में था तो मेरे चाचा की ट्रांसफर हमारे शहर में ही हो गई थी।

चाचा की शादी को 5 साल हो चुके थे. उनके एक वर्ष का बेटा था. ट्रांसफर पर पहले चाचा अकेले आये और उनका सोने का इंतजाम मेरे कमरे में ही कर दिया.

जब चाचा ने अपने परिवार के लिए अलग मकान लेने की बात की तो मम्मी पापा चाचा से बोले- तुम बच्चों को ले आओ और जब तक मकान नहीं मिलता तब तक इसी मकान में इकट्ठे रह लेंगे.

लेकिन हमारे शहर में मकानों की बहुत दिक्कत थी.

चाचा कुछ रोज़ बाद चाची और उनके बेटे को ले आये और उनको मेरे वाला कमरा दे दिया गया.

मेरी चाची को मैंने बहुत दिनों बाद देखा था.
जब उनकी शादी हुई थी तो चाची पतली सी, सुन्दर सी, मोटी आखों वाली लड़की हुआ करती थी.
लेकिन अब बच्चा होने और उम्र थोड़ा बढ़ने से चाची का शरीर भर गया और चाची सेक्स बम्ब तो क्या, सेक्स की तोप बन चुकी थी.

चाची जब हमारे घर रहने आई तो मैं चाची के उफ़नते हुस्न और गदराए जिस्म को देखता ही रह गया.
उस समय उनकी उम्र कोई 30-32 होगी. लम्बाई लगभग 5 फुट 3 इंच, रंग तो दूध जैसा गोरा था ही!
शरीर भरने से चाची की चूचियों का साइज भी 34 से ऊपर और गांड तथा चूतड़ों का साइज 36 हो गया था.

चाची ने काफी नीची, नाभि दर्शना साड़ी पहन रखी थी.

जब चाची सोफे पर बैठी तो उन्होंने अपनी एक टाँग को उठाकर जब दूसरी पर रखा तो उनकी साड़ी कुछ ऊपर उठ गई जिससे उनकी सुडौल गोरी पिंडली दिखाई देने लगी.
और मेरी नज़र वहीं अटक गई.

चाची ने हाथ पाँव की सुंदर नर्म उंगलियों में बहुत सुन्दर नेल पेंट लगा रखा था. उनके गोरे पाँव में काली सैंडल बहुत ही सेक्सी लग रही थी.

साड़ी के ऊपर चाची ने डीप गले का ब्लॉउज पहन रखा था जिसमें से उनकी दोनों सुड़ौल चूचियों के बीच की घाटी साफ दिखाई दे रही थी.
उन्होंने बालों का बहुत ही सुन्दर जूड़ा बनाया हुआ था और सिर पर काला चश्मा रखा हुआ था.

कुछ देर बाद चाची अपने बेटे को लेकर मेरे कमरे में चली गई.
साथ ही मेरी मम्मी व चाचा भी वहीं पहुँच गए.

जब मैं अपना सामान वहाँ से उठाने लगा तो चाचा चाची ने मना कर दिया और कहा कि कोई जरूरत नहीं है तुम हमारे साथ ही रहो.
लेकिन मम्मी ने कहा- दो चार दिन में इसका एक दीवान खरीद कर ड्रॉइंगरूम में डाल देंगे, यह वहीं पढ़ लेगा तथा वहीं सो जाया करेगा, वैसे भी इसे तो कोटा में कोचिंग के लिए जाना ही है.

चाचा मुझे बहुत प्यार करते थे, कहने लगे- कोई बात नहीं, जब दीवान आ जायेगा तब देखेंगे, तब तक यह हमारे साथ ही सो जाएगा.
यह कह कर चाचा कमरे से बाहर चले गए.

मैं अलमारी में अपनी एक बुक ढूंढने लगा.

मेरी मम्मी चाची से धीरे से कहने लगी- नहीं, राज बाहर ही सो जाया करेगा, तुम लोगों को भी तो प्राइवेसी चाहिए?
चाची- अरे दीदी, अब हमें कोई प्राइवेसी की जरूरत नहीं है, सब नॉर्मल हो गया है.

मम्मी- क्या नॉर्मल हो गया है, अभी तो तुम्हारी शादी को 5 साल ही हुए हैं.
चाची- ये बात तो आप अपने देवर जी से पूछना, बिस्तर पर लेटते ही इनके खर्राटे शुरू हो जाते हैं, बच्चा होने के बाद इनका मुझमें इंटरेस्ट ही नहीं रहा.

मम्मी- चल छोड़, बेकार की बातें मत कर!
और यह कह कर मेरी मम्मी वहाँ से जाने लगी.

मैंने चुपचाप उनकी ये बातें सुन लीं.
दरअसल उन दोनों को ध्यान ही नहीं रहा कि मैं भी वहीं था, या वे समझ रही थी कि मैं अभी इन बातों को समझता नहीं हूँ.

जाते हुए मम्मी ने मुझसे कहा कि मैं दूसरे कमरे में अपने छोटे भाई बहन के साथ सो जाऊं.

चाची के आने से 15 दिन पहले ही मेरा 18वां जन्मदिन मनाया गया था और उस दिन फोन पर जब चाची से बात हुई थी तो चाची ने जन्मदिन की बधाई देते हुए मुझसे कहा था- आज तुम 18 साल के हो गए हो, अब तुम्हें कोई स्पेशल गिफ्ट देना होगा.

बालिग़ होने का अहसास, चाची का सुन्दर गदराया बदन, चाचा का चाची के लिए आकर्षण कम होना और चाची द्वारा स्पेशल गिफ्ट की बात, ये चारों बातें मुझे अनायास ही एकदम इकट्ठी मिल गईं और चाची के प्रति मेरे ख्यालों में रोमांच भरने लगा.

चाची और मोंटू से घर में रौनक आ गई.
मैं हर वक्त चाची के संग रहने लगा.

चाची भी मुझमें रुचि दिखाने लगी. चाची दिन भर बात बात में मुझसे चुहलबाजी करने लगी.

एक रोज मैंने चाची से कहा- चाची, वो आप मुझे मेरा स्पेशल बर्थडे गिफ्ट देने वाली थी, उसका क्या हुआ?
चाची रहस्यमयी मुस्कान के साथ धीरे से बोली- देखते हैं, सब्र रखो.

मेरे एग्जाम खत्म हो चुके थे, अतः मैं अक्सर क्रिकेट खेलने चला जाता था.

अब मेरे अन्दर जवानी आ रही थी, मेरा कद 5 फ़ीट 8 इंच, कंधे, छाती, हाथ पाँव की मांसपेशियां मजबूत बन रहीं थीं. वजन लगभग 59 किलो हो चुका था. हल्की दाढ़ी मूछें आ चुकी थीं, परन्तु चेहरे पर मासूमियत और कच्चापन था.

जब मैं खेल कर वापिस आता था तो अक्सर चाची मुझे पीने के लिए दूध गर्म करके दे देती थी.

एक रोज जब मैं वापिस आया तो घर पर चाची अकेली थी और मोंटू को अपना दूध पिला रही थी.
उस दिन चाची ने बहुत ही सुन्दर सलवार कमीज़ पहन रखा था.

चाची ने मुझे देखकर मोंटू को बेड पर लिटा दिया और बड़े आराम से अपने मम्मे को शर्ट से ढक लिया.

मैं उनके सामने बैठ गया और उनके सुड़ौल मम्मों को देखने लगा.
चाची भी मेरी ओर अजीब नजरों से देखने लगी.

कुछ देर बाद मैंने कहा- चाची, मुझे दूध दे दो.
चाची मुस्कराते हुए बोली- दूध तो आज बिल्ली पी गई.

मैंने नाराजगी के लहजे में कहा- चाची, ये क्या बात हुई, अब मैं क्या पीऊँ?
मैं उदास हो गया और चाची के मम्मों की ओर देखने लगा.

मैंने दो मिनट बाद फिर कहा- मुझे नहीं पता, मुझे दूध चाहिए.
चाची कुछ देर मेरी ओर देखती रही फिर अपने मम्मे की ओर इशारा करके बोली- ले, यहाँ से पी ले!

मैं चाची को अजीब नजरों से देखने लगा.
चाची फिर बोली- क्या हुआ?
मैंने कहा- मैं पी भी लूँगा, फिर न कहना?
चाची- तो मना कौन कर रहा है?

मोंटू सो चुका था. चाची की आंखों में खुमारी चढ़ी हुई थी… अंगड़ाई लेते हुए बोली- फिर आ जा!

जैसे ही मैं चाची की ओर बढ़ा, चाची ने तुरन्त मुझे अपना हाथ लगाकर रोक दिया.

मैंने नाराज़ हो कर कहा- ये क्या मतलब, अब क्या हो गया?
चाची- पागल है तू, किसी को बता देगा तो मेरे जूते पड़ेंगे.
मैं- मैं क्यों बताऊँगा?
चाची- नहीं, तू बता देगा, पहले प्रॉमिस कर कि किसी को बताएगा नहीं.
मैं- प्रॉमिस.

चाची- मेरी कसम खा.
मैं- आपकी कसम चाची, मैं किसी को नहीं बताऊँगा.

चाची- देख, राजू अगर तूने किसी से भी ये बात की तो मैं किसी को मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहूँगी, मैं तो मर ही जाऊँगी.
मैं- मेरा विश्वास करो, मैं नहीं बताऊँगा.

कमरा बंद नहीं था, केवल जाली का दरवाजा बन्द था और उसमें से बाहर का साफ दिखाई दे रहा था.

चाची ने जाली के दरवाजे पर नज़र डाली और जल्दी से अपना एक साइड का शर्ट थोड़ा सा ऊपर करके एक मम्मा बाहर निकाला और उसे एक हाथ से संभालते हुए मेरी तरफ कर दिया.

सुन्दर और सुडौल गोरे मम्मे के चारों ओर गुलाबी रंग का घेरा और उसके ऊपर किशमिश जैसा कत्थई रंग का निप्पल था.

मैंने बैठे बैठे अपने कांपते हाथों से पकड़ कर चाची के सुडौल सख्त मम्मे के निप्पल को अपने मुँह में ले लिया.

जैसे ही मैंने चाची के मम्मे को मुँह लगाया चाची के शरीर में गनगनाहट भर गई.
नर्म निप्पल मेरे एक चुसके से सख्त हो गया.

चाची ने अपनी आंखें बंद कर लीं.

चूँकि चाची बेड पर बैठी थी इसलिए मुझे काफ़ी झुकना पड़ रहा था.
मैंने अपना एक हाथ चाची की कमर में डाल लिया, कमर पर हाथ लगते ही चाची मजे से एकदम टेढ़ी मेढ़ी होकर अपनी कमर को झटके देने लगी.

चाची बराबर जाली के दरवाजे के बाहर भी देखे जा रही थी.
मेरे सिर को चाची ने पीछे से पकड़ा और अपनी चूची पर दबा लिया.

मैंने अपना दूसरा हाथ चाची के दूसरे मम्मे पर रख लिया और मम्मे को इतनी जोर से चूसा कि चाची मजे से आ…आ… ईईई करने लगी.

चाची ने अचानक मुझसे अपना मम्मा छुड़ा कर शर्ट के अन्दर कर लिया.

खीज़ कर मैंने कहा- क्या हुआ?
चाची- चल हट, कोई आ जायेगा, मैं तेरे लिए दूध ला रही हूँ!
और ऐसा कहते हुए चाची किचन में चली गई.

मैं भी चाची के पीछे पीछे किचन में चला गया.

चाची- क्या हुआ, यहाँ क्यों आये हो?
मैं कुछ नहीं बोला, बस चाची की चूचियों की ओर देखता रहा.

चाची- देख राजू, तुमने मेरी कसम खाई है, यह बात किसी को मत बताना.
मैं- नहीं बताऊँगा, आप विश्वास रखो, लेकिन मैंने आपका दूध ही पीना है.

चाची- लेकिन मेरे इनसे तो दूध आता ही नहीं है, जब तुमने पिया… तो आया था क्या?
मैं- आया तो नहीं, परन्तु अच्छा लगा.
चाची- अब तू बड़ा हो गया है.

मैं- चाची, पिलाओ न!
चाची ने मेरे सिर को सहलाया और बोली- फिर कभी पिलाऊंगी, अब ये गिलास वाला दूध पी कर खेलने जा.

अब चाची के प्रति मेरा आकर्षण कई गुणा बढ़ गया. मैं चाची के साथ अधिक से अधिक समय बिताने का मौका ढूंढने लगा.

एक रोज में चाची के कमरे में गया तो चाची ने एक बहुत ही टाइट पैंट पहन रखी थी … दरअसल पहन नहीं रखी थी बल्कि फंसा रखी थी.

चाची मुझे देख कर कहने लगी- देख राज, ये मेरी शादी के वक्त की पैंट है, देखो कितनी टाइट हो गई है, अब फंसती ही नहीं है, इसका आगे से बटन भी बन्द नहीं हो रहा, तुम जरा हेल्प कर दो.

मैं चाची को देखकर दंग रह गया.
पैंट चाची की जांघों के बीच बुरी तरह से घुसी हुई थी. सामने से पैंट इतनी टाइट थी कि चाची की चूत उसमें से फूलकर बिल्कुल बाहर दिखाई दे रही थी.

चाची ने ऊपर एक टाइट शर्ट पहन रखा था जिसमें से चाची के चूचे शर्ट के बटनों को तोड़कर बाहर निकलने को हो रहे थे.

पैंट की चैन आधी बन्द होने से और ऊपर का बटन बन्द न हो पाने के कारण सामने से पैंट इतनी खुली हुई थी कि चाची की छोटी सी पैंटी दिखाई दे रही थी.

चाची बोली- जरा ये सामने के ऊपर वाले बटन बन्द करो.

मैंने चाची की पैंट के बटन बन्द करने की कोशिश की तो मेरे हाथ कांपने लगे.
मैं एकदम चाची की उभरी हुई चूत की मोटी फाँकों को देखे जा रहा था.

नर्म और गदराए पेट में चाची की गोल धुन्नी (नाभि) और धुन्नी के नीचे से पैंटी तक का नँगा भाग देखकर मेरे कान लाल हो गए, गला सूखने लगा.
मेरे हाथ इधर उधर लग रहे थे लेकिन मुझसे बटन नहीं लग रहा था.

कभी मैं सोचता कि अभी चाची को पकड़कर बांहों में भर लूँ; कभी दिमाग में आता कि चाची की उस पैंट को उनकी कच्छी समेत नीचे खिसका कर चाची को नंगी कर दूँ और चाची को गिरा कर चोद दूँ.

मेरी साँसें तेज़ हो गईं.

फिर ध्यान आया कि ये तो मेरी चाची है, माँ समान है, चाचा मुझे कितना प्यार करते हैं.
अचानक मैंने चाची की पैंट को छोड़ा और बाहर निकल गया.

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लेखक के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दी जा रही है.

हॉट लेडी सेक्स कहानी जारी रहेगी.

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