टीचर के रूप में एक रण्डी-4

प्रिंसिपल सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं लौड़ों की प्यासी हो गयी थी। स्कूल के प्रिंसिपल ने कैसे मुझे होटल में लेजाकर चोदा. पढ़ कर मजा लें मेरी चुदाई की कहानी!

दोस्तो, मैं सविता एक बार फिर से अपनी प्रिंसिपल सेक्स कहानी लायी हूं। कहानी के तीसरे भाग
स्कूल के दो मास्टरों से चुद गयी
में आपने देखा कि प्रिन्सिपल ने मुझे दो अध्यापकों के साथ मिलकर एक काम करने का जिम्मा सौंपा और काम करते हुए उनकी कामवासना भी मैंने जगा दी।
दोनों ने मेरी चूत और गांड चोद डाली।

मेरे काम से प्रिन्सिपल बहुत खुश हुए। उन्होंने मुझे डिनर का न्यौता दिया और उस शाम रेस्तरां में ले गये।
वहां मेरी जांघ सहलाते रहे और हम दोनों गर्म हो गये।

हमने होटल जाने का प्लान किया और जल्दी से एक अच्छे होटल में पहुंच गये।

अब आगे की प्रिंसिपल सेक्स कहानी:

यह कहानी सुनें.

कमरे में पहुंचते ही वो मुझपर एकदम से टूट पड़े और मैं भी उनका बराबरी से साथ देने लगी। हम दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे।

उन्होंने एक एक करके मेरे कपड़ों को मेरे जिस्म से उतार फेंका और खुद भी नंगे होकर मेरे जिस्म पर टूट पड़े।

वो मेरे नंगे बदन को चाटने लगे। ऐसा लग रहा था जैसे कभी उन्होंने नंगी औरत का जिस्म देखा ही न हो।
मैं भी मदहोश होती जा रही थी। मेरे बदन का हर हिस्सा चूमा और रगड़ा जा रहा था।

फिर मेरी चूत और गांड को उन्होंने बढ़िया से चाटा और फिर मेरे मुंह में अपना 7 इंची लंड दे दिया।
मैंने पूरे मन से सर का लंड चूसा.

अब वो मुझे चोदने के लिए बेकाबू थे। फिर वो मुझे नीचे पटक कर चोदने लगे।
उन्होंने दस मिनट तक मेरी चूत चोदी और फिर दूसरे राउंड में 20 मिनट तक मेरी गांड मारी।
हमें वहीं पर रात के 11 बज गये।

चुदाई होने के बाद हम वहां से निकले और फिर उन्होंने मुझे मेरे घर छोड़ दिया।

अब अगले दिन फिर जब मैं स्कूल पहुंची तो दिन साधारण बीत रहा था।

फिर लंच के टाइम में एक 40 साल के लगभग का आदमी मेरे केबिन में आया।
दिखने में वो बहुत बड़ा आदमी मालूम हो रहा था क्योंकि उसके हाथ में बहुत महंगा फ़ोन था और गले में चार मोटी मोटी सोने की चेन थी। कलाई पर सोने का ब्रेसलेट और उंगलियों में कई अंगूठी भी थी।

वो मेरे पास आया और बोला- मैडम मेरा नाम विजय सिंह है और मैं कवीश, जो आपकी क्लास 12 में पढ़ता है, के बारे में बात करने आया हूं।

अब ये सुन कर मैंने उनको बैठने को बोला और वो मुझसे बताने लगे कि मेरा बेटा पढ़ने में ठीक है बस उसकी अंग्रेज़ी कमज़ोर है तो क्या आपको उसको अपने घर पर ट्यूशन दे सकती हैं? उसके लिए मैं आपको पाँच हज़ार रुपये महीना दूंगा।

अब ये रकम सुनकर मेरे मन में भी लालच आ गया तो मैंने हामी भर दी और बोली- उसको 5 से 6 बजे तक भेज दीजियेगा।

जाते जाते वो बोले- मैडम अगर आपको कोई दिक्कत न हो तो आप अपना नंबर दे दीजिये। अगर कोई बात करनी होगी तो मैं आपको कॉल कर लूंगा।
मैंने उनको अपना नंबर दे दिया और वो चले गए।

उस दिन स्कूल से घर आने के बाद मैं सो गई और मेरी आँख खुली मेरा फ़ोन बजने से, तो मैंने उठाया तो उधर से एक लड़का बोला- मैम आपका घर किधर है? ट्यूशन के लिए पापा ने आपसे बात की थी।

इतना सुन कर मेरी भी नींद खुली और मैंने उसको अपने घर का रास्ता समझाया।
फिर मैंने थोड़ा फ्रेश होकर एक शॉ़र्ट नाइटी पहन ली और कुछ ही देर में वो लड़का भी मेरे घर आ गया।

इसका नाम कवीश था और इसकी उम्र 18 साल से ऊपर थी और दिखने में भी स्मार्ट था।

मैंने इसको पढ़ाना शुरू किया तो पढ़ते पढ़ते इसकी नज़र बार बार मेरी नंगी टांगों को घूरती रहती।

जब मैं झुक कर इसको कुछ बताती या समझती तो इसकी नज़र मेरी चूचियों की गहराई पर ही होती थी।
कई बार को मैंने नोटिस किया लेकिन नज़र अंदाज़ कर दिया और ये आज एक घंटा पढ़ने के बाद चला गया।

अब इसी तरह की सामान्य ज़िन्दगी मेरी चलती रही लेकिन इसी बीच कभी कभी मेरे स्कूल के प्रधानाचार्य मुझे मौका पाकर चोद लेते।
वो दोनों टीचर भी एक दो बार चोद चुके थे।
एक दो बार मैं उसी गार्डन में भी फिर से चुद चुकी थी।

मैं उस लड़के को पढ़ाती रही और अब वो मुझसे खुलने लगा।
उसके पिता से भी मेरी बात हो जाती थी।

एक दिन की बात है कि मैं दुकान पर गयी। मुझे किचन के लिए इंडक्शन चूल्हा लेना था और ए.सी. की बात भी करनी थी।

जिस दुकान पर मैं गयी वो इत्तेफाक से उनकी ही दुकान निकली जिनके लड़के को मैं ट्यूशन पढ़ाती थी।

वो मुझे देखकर एकदम चौंक गए और बोले- अरे मैडम, कैसे आना हुआ?
मैंने उनको सारी बात बतायी।

मैंने चूल्हा तो ले लिया मगर ए.सी के पैसे नहीं थे।
वो कहने लगे- आप ए.सी ले जाओ, पैसे धीरे धीरे करके दे देना।
इस तरह से मेरी दोनों चीजें घर आ गयीं।

दो लड़के आये और ए.सी फिट करके चले गये।

इस तरह धीरे धीरे कवीश के पापा विजय मेरे दोस्त बन गये।

एक बार मैं उनके साथ घूमने गयी। उसने मुझे कोल्ड ड्रिंक पीने के लिए दी।
मैं पीने लगी और उसको भी देने लगी तो उसने नहीं पी।

वो पीने के बाद मुझे चुदास लगने लगी।
मैं वहां के पब्लिक टॉयलेट में गयी तो मेरी चूत अपने आप पानी छोड़ने लगी।

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था तो मैं विजय की कार में चली गयी क्योंकि चाबी मेरे पास थी।

जब मैं अंदर गयी तो मैंने पानी ढूंढते हुए डैशबोर्ड खोला तो उसमें मैंने पाया कि काम उत्तेजना बढ़ाने वाली गोली रखी थी।

उसमें से दो गोली गायब थी तो तुरंत मुझे पूरा मामला समझ आ गया कि विजय ने मुझे चोदने का प्लान बनाया हुआ है।
मैं भी जल्दी ही किसी के लंड से चुदना चाह रही थी।

तुरंत मैंने विजय को कॉल करके बुलाया और गाड़ी के अंदर आते ही मैं उस पर टूट पड़ी।
मैंने उसकी पैंट उतार कर जोर जोर से उसका लंड चूसना शुरू कर दिया।

अब वो भी मेरी चूत को खाने लगा। वो वहां खुले में चुदाई नहीं करना चाहता था इसलिए मुझे अपने घर ले आया।
फिर घर आकर मैंने तुरंत उसको नंगा किया और खुद नंगी होकर उसके लन्ड पर चढ़ गई।

उस टाइम मैं उससे करीब तीन बार चुदी लेकिन इतना चुदने के बाद भी मेरी चूत को शांति नहीं मिली थी।
फिर वो बोला- अब मेरे बीवी आने वाली है, तुमको जाना होगा।

मैं अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गयी और ऑटो करके घर आ पहुंची।
घर आकर मैं सबसे पहले शावर के नीचे गयी।

ठंडे पानी से मेरे बदन में कुछ गर्मी कम हुई; तब जाकर मुझे कुछ आराम मिला।

उस दिन के बाद से विजय हर संडे को मेरी चूत और गांड फाड़ने लगा।
मैं उसकी पक्की चुदक्कड़ हो गयी थी और वो मुझपर बहुत पैसे भी खर्च करता था।

एक दिन जब मैं विजय से मिली तो वो बोला कि मुझे कुछ महीनों के लिए इस देश से बाहर जाना है।
ये बात सुन कर मैं थोड़ा उदास हुई मगर उस दिन हमने बहुत जोशीला सेक्स किया।

विजय के जाने के बाद मुझे उसके लंड की कमी होने लगी।
मैंने उसके बेटे से चुदने का मन बना लिया।

उस दिन जब कवीश आया तो आज मैं बहुत सेक्सी तरीके से तैयार होकर उसको पढ़ा रही थी।

आज मैं उससे बहुत खुलकर बातें भी करने लगी और मैंने उससे बात करते हुए पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड है?
वो थोड़ा हिचकिचाने लगा.

तो मैंने उसको बोला- डरो नहीं, मैं कुछ नहीं कहूंगी और न तुम्हारे पापा को बताऊंगी।

उसके बाद उसने हां में अपना सिर हिलाया।
अब मैंने उसके आगे पूछते हुए कहा- कौन है?
तो उसने बताया कि उसकी मौसी की लड़की है।
अब मैंने पूछ लिया कि कभी सेक्स किया है?

वो एकदम से चौंक गया।
फिर उसने बताया कि कैसे वो उसके घर जाकर उसको चोदता है।

मैं पूछने लगी- जब वो नहीं होती है तो कैसे काम चलाते हो?
वो कहने लगा- हाथ से कर लेता हूं और आपको ही सोचकर मुठ मारता हूं।
मैं ये सुनकर हैरान रह गयी कि वो भी बेबाकी से बोल पड़ा।

मगर ये बात मुझे पहले से पता था कि कवीश मुझे चोदना चाहता था।
मैंने कहा- अगर मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड बन जाऊं तो तुम क्या करोगे?
उसने किताबें एक तरफ डालीं और मुझे लेकर लेट गया और लगा मेरे होंठों को चूसने।

मैं तो यही चाहती थी, मैं उसका साथ देने लगी।

मेरे गले को चूमते और चाटते हुए वो मेरे बूब्स तक आया और उनको भी दबाते हुए मेरे कपड़े उतार फेंके।

फिर चूचियों को नंगी करके इस तरह पीने लगा जैसे कोई बच्चा पीता है।

उसके बाद उसने मेरी चूत चाट कर मेरा पानी पी लिया।
मैंने भी उसको नंगा किया और उसका 6 इंच का लंड चूसने लगी।

तीन चार मिनट की चुसाई में ही वो झड़ गया।

कुछ देर तक हम चूमा चाटी करते रहे और फिर गर्म होने लगे।

अबकी बार वो मेरी गांड के छेद को चाटने लगा।

कुछ देर बाद मैंने फिर से उसके लन्ड को चूस कर खड़ा किया।

अब वो मुझे सोफे पर अपने ऊपर बिठा कर चोद रहा था और मैं भी उससे उचक उचक कर मादक उफ्फ्फ … अहह … अहह … की सिसकारियों के साथ चुदवा रही थी।

अब करीब आधे घंटे बाद वो झड़ने को हुआ तो मैंने उसका सारा माल अपनी चूचियों पर गिरा लिया जिसके कुछ देर बाद फिर उसका लन्ड खड़ा करके उससे गांड भी मरवायी।

अब उस दिन मैंने उसको रात में 9 बजे तक छोड़ा और इसी के कुछ देर बाद मेरे मकान मालिक भी आ गए।

अब इसी तरह मैं कवीश से रोज़ चुदवाने लगी और उसी के बाद मैंने उस स्कूल में काफी और लड़कों से भी अपनी चूत चुदवायी।

फिर मेरे स्कूल में होली की छुट्टी हो गयी लेकिन मैं वापस अपने घर नहीं गयी बल्कि यहीं रुक गयी। उस दिन मेरे मकान मालिक की बीवी भी अपने मायके चली गयी थी।

अब उन तीन दिनों के लिए मैं भी खाली थी तो होली वाले दिन जब मैं सोकर उठी तो मेरे मकान मालिक नीचे आये और मुझे रंग लगा दिया।

उसके बाद वो मुझसे मेरा प्लान पूछने लगे।
मैंने भी कह दिया- मैं तो पूरा दिन घर पर ही रहूंगी।

वो कहने लगे- आपको दिक्कत न हो तो मेरे साथ मेरे दोस्तों के यहां चलो, वहां पर सब मिलकर मस्ती करेंगे।
मैं झट से तैयार हो गयी।
मर्दों के नाम पर तो मैं कहीं भी जाने के लिए तैयार थी।

हम चलने लगे। मगर जाने से पहले उन्होंन मुझे ठंडाई पिला दी जिसमें भांग मिली होने के कारण मैं टुल्ल हो गयी।

जब मैं उनके साथ वहां पहुंची तो सब लोग काले पीले हो रखे थे।
सबसे महेंद्र जी ने मिलवाया।

वो लोग मेरे गले मिलकर बधाई देने लगे और रंग लगाने लगे।
इस बहाने कुछ कमीनों ने मेरी गांड और चूचियों को भी दबाया।

मैं भी पूरी रंगीन हो गयी थी।
उन लोगों से मिलकर मुझे भी चुदास चढ़ने लगी थी।

फिर मैंने देखा कि कुछ लोग एक तरफ नाच रहे थे। सारे मर्द मस्ती में चूर थे।

मैंने अपनी साड़ी को कमर पर बांधा और फिर उस तरफ जाने लगी।
तभी किसी ने बीच में आकर मुझे फिर से एक गिलास भांग पिला दी।

अब मुझे सब कुछ हवा में उड़ता दिखने लगा।

मैं उनके बीच पहुंच गयी और मटकने लगी।
मेरे भीगे सेक्सी बदन को देखकर उनसे रुका न गया और वो मेरे चारों ओर कौओं की तरह मंडराने लगे।

वो मुझे घेरकर नाच रहे थे। उसी में से कोई मेरी गांड में अपना लन्ड रगड़ते हुए नाच रहा था तो कोई मेरी नंगी कमर पकड़ कर नाच रहा था।

कुछ तो मेरी चूचियों को भी रगड़ने लगे और अब इसी बीच मैं भी एकदम से गर्म हो गयी और मुझे भी जोर की चुदास चढ़ने लगी।

अब तक वो सब मेरे ब्लाउज में हाथ देकर मेरे बूब्स दबाने लगे थे।

मैं किसी भाड़े की रंडी की तरह उनके बीच में झूम रही थी। कोई मेरी गांड दबा रहा था तो कोई चूत को पकड़ने की कोशिश कर रहा था।

अब मुझे जोर से पेशाब आने लगी। वहां मैं बाथरूम खोजने लगी। मुझे नशे के कारण कुछ समझ नहीं आ रहा था।

तभी किसी ने मुझे गिरने से बचाते हुए पकड़ा और एक तरफ मुझे सोफे पर अपनी गोद में लेकर बैठ गया।

वो मेरी चूचियों को दबाने लगा। अब तक मैं इतनी गर्म हो चुकी थी कि मैंने खुद ही साड़ी उतार दी।
ये देखकर काफी मर्द मेरे पास आ गए और सबने मुझे गोद में उठा लिया।

मेरी पैंटी निकाल कर मुझे नंगी कर दिया।
सब लोग मुझे हर तरफ से नोंचने लगे। किसी का लंड मेरे मुंह में आता तो किसी का गांड में रगड़ जाता। कोई चूत में उंगली दे देता तो कोई गांड में।
फिर सबने मुझे बारी बारी से चोदा।

मैं होश में नहीं थी कि मेरे साथ क्या हो रहा है। मैं किसी दूसरी दुनिया में थी।
भांग और इतने सारे मर्दों के लौड़ों का नशा हो गया था मुझे।

पता नहीं कब तक उन्होंने मुझे चोदा होगा। मैं तो बेहोश हो गयी थी।

मेरी आँख जब खुली तो मैंने देखा वहां अंधेरा हो चुका था। मैं उठने लगी। मगर मेरी चूत और गांड खून से सनी थीं। उन सब मर्दों का वीर्य मेरे पूरे शरीर पर लगा था।

कोई हिस्सा ऐसा नहीं था बदन पर जहां वीर्य न गिरा हो। मेरे साथ गैंग बैंग हो गया था। अब मैं वहां से बड़ी मुश्किल से खुद को संभालते हुए उठी।

मैं नंगी ही वहां पर नहाई और फिर कपड़े पहन कर महेंद्र जी को देखने लगी। मैं अंदर गयी तो पाया कि वो चार आदमियों के साथ दारू पीकर लुढ़के हुए थे।

मैंने उनको वहां से उठाया और गाड़ी के पास लेकर आयी। मैंने चाबी ली और फिर उनको घर तक लेकर आयी। हम दोनों किसी तरह अंदर गये और मैं जब मैं उनको लिटाकर जाने लगी तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया।

मैं उनके पास ही लेट गयी और पता नहीं कब फिर मुझे नींद आ गयी।

हम दोनों की आंख फिर अगले दिन ही खुली।

वो भी नींद से जागे तो वो मुझसे पूछने लगे कि मैं यहां कैसे पहुंचा तो मैंने उनको बताया।
वो कहने लगे कि तुम वहां पार्क में कहां गायब हो गयी थी?

मैंने सोचा कि महेंद्र जी को शायद दारू के नशे में पता नहीं चला कि वहां मेरी कैसी रंडियों वाली चुदाई हुई है।
फिर मैंने बहाना बना दिया।

वो उठे और मैं उस दिन उन्हीं के बाथरूम में नहाई।

हम दोनों नहाकर खाने की तैयारी करने लगे। मगर इसी बीच मेरा तौलिया फिसल गया और मैं उनके सामने नंगी हो गयी।
मुझे इस हालत में देख कर उनका लन्ड भी खड़ा हो गया जिसके बाद वो आज मुझपर टूट पड़े।

फिर उस पूरे दिन और उसके अगले दिन जब तक उनकी बीवी नहीं आ गयी उन्होंने मुझे बहुत चोदा।

इसी तरह मैं अपनी नौकरी करते हुए सबसे चुदवाती रही और करीब एक साल बाद मेरा वहां से तबादला हो गया।

मैं दूसरे शहर जाकर भी वहां खूब चुदी। मेरे नये मकान मालिक जिनके दो कुँवारे बेटे थे उनके साथ भी चुदी। वहां के प्रिंसिपल, अध्यापक और लड़कों के पिता आदि से चुदवाती रही।

हर साल मेरा तबादला होता रहा और मैं अपनी रण्डीगिरी को अपने साथ लिये हर स्कूल में चुदवाती रही। अब मैं टीचर के रूप में एक बहुत बड़ी रण्डी बन चुकी हूं।

ये थी मेरी प्रिंसिपल सेक्स कहानी। आपको मेरी स्टोरी कैसी लगी इस बारे में अपनी राय जरूर भेजें।
मेरा ईमेल आईडी है [email protected]