स्टूडेंट पोर्न सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने जिस्म की आग बुझाने के लिए अपने टीचर को अपना जिस्म दिखाकर गर्म किया, फिर उसके साथ लंड चूत चूसने का खेल खेला.
माय डियर फ्रेंड्स, इस सेक्स कहानी के साथ मैं आपकी मनचली रीना एक बार फिर से अपनी कामुक जिन्दगी के सेक्सी पल लेकर हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग
मनचली गर्म लड़की को थी लंड की जरूरत
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं एक इंस्टीट्यूट में जाने लगी थी जिस वजह से मुझे बहुत से मर्दों से चुदाई की उम्मीद दिखाई देने लगी थी.
अब आगे Student Porn Sex Kahani:
मॉनिटर लड़के से अपनी हाजिरी लगवाने के बाद बाकी सभी लड़कों से मैंने थोड़ी और ज़्यादा बात की.
अब मैं सबसे अलग अलग बात करती, जैसे मॉनिटर से अलग समय पर और क्लास में 3 लड़के एक साथ थे तो उन तीनों के साथ अलग समय पर बात करती व उनके साथ घूमने भी जाती.
जो लड़का शादी में मिला था, वो अलग मिलता था.
अब इतने ही लड़के मुझे ठीक लगे थे, बाकी सब बाद में मिलेंगे तो उनसे भी बात करूंगी.
उस दिन समर सर एक घंटे बाद फिर से क्लास में आए और मुझे दूसरी क्लास में कपड़े सिलने को ले गए.
आज सिलते समय वो मेरे साथ बैठे और बोले- ये सब कपड़े जो तुमने सिले हैं, इन सबकी कल प्रदर्शनी लगेगी और अगर तुम ही चल कर अपना काउंटर सजाओ, तो ज्यादा अच्छा रहेगा. जिसका सबसे अच्छा सजा होगा, उसको अवॉर्ड भी मिलेगा.
मैं झट से तैयार हो गयी.
ये सब स्कूल से दूर एक जगह कार्यक्रम था तो टीचर जी बोले- इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तुमको कल सुबह जल्दी 8 बजे तक स्कूल आ जाना होगा और शाम को भी देर होगी.
मैंने कहा- हां सर, कोई बात नहीं है, लेकिन मैं वहां तक जाऊंगी कैसे. क्या यहां इंस्टीट्यूट की तरफ से कोई सवारी का इंतज़ाम होगा?
इस पर सर बोले- अपने साधन से जाना होगा.
मैंने कहा- नहीं सर, इतनी दूर मैं कैसे जाऊंगी.
तो सर कुछ सोचने लगे और बोले- मेरे साथ चलने में तुमको कोई आपत्ति तो नहीं?
मैंने कहा- नहीं सर.
वो बोले- तो ठीक है, मुझे भी कल दिन भर तुम्हारे साथ ही रहना है, तो मेरे साथ ही चलना और वापस भी आना.
मैंने ओके कह दी.
फिर घर पहुंच कर मैंने ड्रैस के रंग वाले कपड़े का बहुत सेक्सी सूट सिल लिया.
अगले दिन मैं सुबह जल्दी घर का काम कर लिया.
नाश्ता आदि करके और पति के लिए बना कर रख दिया.
उसके बाद मैं नहा कर कमरे में आई तो मैंने नीचे बिना पैंटी के एक एकदम फिटिंग की काले रंग की, लेकिन बिल्कुल झीनी लेग्गिंग पहनी जो मुझे एकदम टाइट थी. उसमें से मेरी बड़ी सी गांड कुछ अलग से ही नजर आ रही थी और पीछे से गौर से देखने से मेरे चूतड़ इतने गोरे थे कि नजर में आ रहे थे.
फिर मैंने ऊपर बिना ब्रा के कुर्ता पहना जो रात में सिला था.
उसका आगे से काफी बड़ा गला रखा था और ये स्लीवलेस था.
पीछे से भी डीप गले में डोरी दे रखी थी.
मैंने एक दुपट्टा लिया और बढ़िया से तैयार होकर मैं घर से निकल आयी.
कुछ ही समय में इंस्टीटयूट आ पहुंची.
उसके बाद मैंने अपना सामान रख कर प्रदर्शनी का सारा सामान लिया और सर के साथ गाड़ी से चल दी.
रास्ते में मैं उनके बदन से एकदम चिपक कर बैठी थी, जिसका मज़ा उन्होंने रास्ते भर लिया.
वहां पहुंच कर मैंने अपना दुपट्टा निकाल कर रख दिया और अपना स्टाल सजाने लगी.
जब मैं झुकती, तो आगे से सर मेरे बड़े बड़े बूब्स निहारते और पीछे से कुर्ती शार्ट थी, जिससे सर को मेरी गोरी गांड भी काली चुस्त लेग्गिंग में नजर आती.
इसी तरह दिन भर मैं सर के साथ रही. हमने काफी बातें भी की.
मैंने सर की खूब तारीफ भी की और हम दोनों दिन भर काफी करीब रहे.
उस दौरान सर ने काफी बार मेरे शरीर का स्पर्श भी किया. मेरे बूब्स और गांड को टच किया.
इसी तरह शाम के 6 बजे तक हमारा स्टाल हट गया.
उसके बाद मैं सर के साथ इंस्टीट्यूट आ गयी और उधर से अपनी सिलाई वाली क्लास में आ गई.
उस कमरे की चाबी मेरे पास थी.
मैं अन्दर आ गई और सब सामान यथावत रख कर मैंने अपने कपड़े बदलने की सोची.
क्योंकि ये काफी खुले कपड़े थे, जिसको पहन घर नहीं जा सकती थी.
इस टाइम तक मेरे पति मुझे घर पर मिल सकते थे.
तो मैंने पहले तो अपने सारे कपड़े निकाले और बैग से अपने दूसरे कपड़े निकालने लगी.
तभी अचानक से पूरा दरवाज़ा खुल गया और सर अन्दर आ गए. जब उन्होंने मुझे नंगी हालत में देखा, तो एक बार को तो वो मुझे ऊपर से नीचे तक देखते रह गए.
मैंने भी उनको अपने पूरे जिस्म के दर्शन कराने में कोई कोताही नहीं की.
वहां सामने रखी एक डंगरी मैंने बड़े आराम से पहन ली. इस डंगरी में मेरे चूतड़ बाहर को निकले दिख रहे थे और सामने से बटन लगाने के बाद भी बहुत कुछ खुला था.
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तभी सर थोड़ा नाटक करते हुए बोले- अरे माफ करना, मैं गलती से अन्दर आ गया.
तब मैंने बोला- और कोई नहीं है सर आ जाइए.
अब वो अन्दर मेरे पास आए और बोले- तुमने आज बहुत अच्छा किया.
मैं भी उनका सामने से शुक्रिया करते हुए बैग से पेटीकोट निकालने लगी और सर से बात करने लगी.
अब वो जाकर अपनी कुर्सी पर बैठ गए.
उसके बाद मैंने ब्लाउज पहनने के लिए उनकी तरफ पीठ कर दी और डंगरी उतार दी, जिससे मेरी नंगी पीठ हो गई और वो अपनी आंखें सेंकने लगे.
उसके बाद मैं ब्लाउज पहन कर उनके पास पीछे से हुक बंद करवाने गयी और उनकी तरफ घूम कर खड़ी हो गयी.
मैंने अदा से कहा- सर बटन लगा दीजिए.
वो भी थोड़ा नाटक करते हुए बोले- हां, थोड़ा सा नीचे हो.
मैं बेझिझक उनकी गोद में बैठ गयी.
वो एकदम से अकबका गए.
फिर वो अपने हाथ से मेरी पीठ सहलाते हुए अपने हाथ मेरे पेट पर लाने लगे.
सर मेरे पेट पर अपने हाथों से हल्के हल्के से सहलाने लगे.
मैंने एक पल भी नहीं गंवाया और एकदम से उन पर निढाल हो गयी.
उसी समय सर अपने दोनों हाथों को मेरे स्तन पर ले आए. पहले उन्होंने हल्का हल्का, फिर तेज तेज मेरे दूध मसलने शुरू कर दिए.
अब सर ने मेरे मम्मों से खेलते हुए पीछे से मेरा हुक खोल दिया. जिससे मेरी दोनों चूचियां नंगी हो गईं.
सर मेरे दोनों निप्पलों को अपनी उंगलियों में दबा कर मींजने लगे.
फिर वो मेरे गले को चूमने लगे, जिसके बाद मैं भी गर्मा गई.
अब मैं खुद अपने पैरों पर उठ कर सीधे खड़ी और उनकी तरफ मुँह करके उनकी गोद में बैठ गयी.
वो मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे बूब्स को मसलते रहे और काफी देर तक अपने होंठों से मेरे निप्पलों और मम्मों को चाटते रहे.
मुझे बेहद मजा आ रहा था.
कुछ देर के बाद सर मेरे पेटीकोट पर हाथ फेरने लगे, तो मैंने सर के गाल पर किस करते हुए धीरे से उनके कान में कहा कि सर अभी और ज्यादा ना करें, घर जाने में देर हो जाएगी.
मेरे कहने पर सर मान गए और मेरी गांड मसलते हुए मुझे उठ जाने दिया.
मैं उनकी गोद से उठी, तो सर ने अपना मुँह बढ़ा कर मेरी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया.
मैंने उन्हें मना नहीं किया और सर से अपनी चूची चुसवाते हुए मैंने सर की पैंट की चैन खोल दी.
मैंने सर की पैंट थोड़ी नीचे की और उसके बाद अंडरवियर भी थोड़ी सरका दी.
अब सर जी का 7 इंच का लौड़ा मेरे सामने खड़ा था. उसको मैंने पहले थोड़ा देर हाथ से सहलाया फिर अपने मुँह में गप से ले कर लंड चूसने लगी.
लंड चूसना मुझे शुरूआत में थोड़ा अटपटा और अजीब लगा लेकिन फिर मज़ा आने लगा.
कुछ ही देर में सर कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गए और मेरे सिर को पकड़ कर लंड मुँह में अन्दर तक ठूंस दिया.
वो खुद अपनी कमर हिला कर मेरे मुँह को चूत समझ कर चोदने से लगे.
मैं समझ गयी कि सर चरम पर आ गए हैं और झड़ने वाले हैं.
उनका वीर्य मैं मुँह से बाहर निकलवाना चाहती थी लेकिन उनका मुझपे दबाव इतना ज्यादा था कि मैं उनको अलग न कर सकी.
कुछ ही सेकंड में मेरे मुँह में एक गर्म और नमकीन लावा की बाढ़ सी आ गई.
सर का वीर्य मेरी जुबान को स्वाद दिलाता हुआ मेरे हलक के नीचे उतर गया.
सर के लंड से निकले वीर्य का स्वाद पहली बार में मुझे बड़ा अजीब सा लगा मगर मैं गटक गई.
पोर्न स्टूडेंट सेक्स के बाद मैं खड़ी हुई और अपने कपड़े पहनने लगी.
उसमें सर भी मेरी मदद करने लगे.
वो मेरे दूध दबाते हुए मुझे ब्लाउज पहना रहे थे और मुझे चूम भी रहे थे.
तभी मेरे पति का कॉल आया. उन्होंने पूछा- कब तक आओगी?
तो मैं बोली- बस थोड़ी देर में निकल रही हूँ.
फिर मैं घर आ गयी.
आज रात उस ऑटो वाले लड़के से काफी गर्म बातें हुईं और उसको मैंने अपनी नंगी फोटो भी दी.
उसने चुदाई के लिए भी बोला तो मैंने उसको कुछ दिन रुकने को बोला.
मैं उसको थोड़ा जानना चाहती थी ताकि कल को मुझे किसी दिक्कत का सामना न करना पड़े.
अगले दिन मैं फिर से माल लौंडिया बन कर साड़ी ब्लाउज में अपने इंस्टीट्यूट पहुंची.
कुछ देर मॉनिटर से बोलने पर मेरी अटेंडेन्स लग गयी. उसके बाद मैं उस लड़के के पास गई, जो कल शादी में मिला था.
आज मैं उसको गले लगा कर मिली और थोड़ी देर उससे बात करने के बाद मैंने उसको अपनी कल वाली फोटोज मुझे भेजने को कहा.
मैंने ये जाहिर करते हुए उसको अपना मोबाइल दे दिया कि मुझे ज़्यादा जानकारी नहीं है, कैसे भेजते हैं, तुम भेज दो.
फिर मैं अपने कपड़ों का स्केच बनाने लगी. वो लड़का मेरा मोबाइल देखने लगा.
मैंने मोबाइल में अपनी कुछ हॉट तस्वीर रखी थीं, जैसे ब्रा और पैंटी में. पूरी नंगी वाली सारी फोटो हटा दी थीं.
मैंने बाजू से देखा, तो वो मेरी वही सब फोटो देख रहा था. उसके बाद उसने मुझे मोबाइल दे दिया.
कुछ देर बाद सर ने मुझे मैसेज किया कि मेरी लंड खड़ा है, आकर बिठा दो.
मैं समझ गयी कि सेक्स करने के लिए सर मुझे बुला रहे हैं. मैं उसी कमरे में चली गयी.
कुछ देर बाद सर आए और मुझपर लगभग टूट से पड़े.
मेरे होंठों को चूसने लगे और मेरे बूब्स मसलने लगे. फिर उन्होंने मेरा ब्लाउज खोल दिया और मेरे दोनों बूब्स खूब चाटे.
फिर उन्होंने मुझे अपनी कुर्सी पर बिठा दिया और मेरी साड़ी नीचे से उठा कर मेरी चूत चाटने लगे.
कुछ देर में मैं झड़ गयी, मेरी चूत का सारा पानी सर ने पी लिया और चाट कर चूत साफ़ कर दी.
उन्होंने मुझे उठाया और खुद बैठ गए. मैं समझ गई कि मेरी बारी आ गई है.
मैंने उनका लौड़ा पैंट से निकाल कर काफी देर चूसा. उन्होंने आज फिर से मेरे मुँह में ही लंड झाड़ दिया.
सर का लंड जल्दी खड़ा नहीं हो पाता था तो मैं समय ज्यादा लगने का बहाना करके अपनी क्लास में आ गयी.
अब आज का दिन इसी तरफ से पार हुआ.
और अगले दिन जब मैं सुबह घर से निकली, तो सर का कॉल आया ‘कहां हो?’
तो मैंने बताया- सर, अभी घर से निकली हूँ.
सर बोले- ठीक है, आज इंस्टीट्यूट मत जाना. उसी के बाहर ही मिलना.
मैंने हामी भर दी और वहां पहुंची तो सर मुझे बाइक पर बिठा कर अपने रूम पर ले गए. उनका कमरा वहीं पास में ही था.
मुझे घर ले जाते ही सर ने मुँह अन्दर किया और गेट बंद करते से सर मुझ पर झपट पड़े.
उन्होंने मेरे पूरे चेहरे को चूमा और हम दोनों ने एक दूसरे के होंठों को अपने होंठों से भींच लिया.
सर ने मेरे होंठ को खूब चूमा और लार को पिया.
फिर सर ने मेरे बाल पकड़े और मेरे बालों पर लगी क्लिप को निकाल दिया.
मेरे पूरे बाल खुल गए और सर ने मेरे बालों में अपना हाथ घुमा कर अपने हाथ में मेरे बालों को फंसा लिया.
उन्होंने मेरा सर खींचते हुए मेरे होंठों को फिर से खूब जोर जोर से चूसा.
मैंने भी सर के शर्ट के बटन खोलकर शर्ट को उतार दिया.
मैं उनकी छाती को चूमने और चाटने लगी.
फिर उनको चूमते हुए नीचे तक आयी और सर की बेल्ट निकाल कर उनकी पैन्ट उतार दी.
कुछ ही पल बाद सर मेरे सामने पूरे नंगे खड़े थे और मैं घुटने पर बैठ कर सर का लंड चूसने लगी.
आज किसी के आने भय नहीं था तो मैं बिंदास लंड चूस रही थी.
दोस्तो, आज समर सर के साथ मुझे अपनी चुदाई करवानी थी. वो सब कैसे हुआ, मैं स्टूडेंट पोर्न सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूँगी. आप अपना प्यार मेल और कमेंट्स से जरूर दें.
स्टूडेंट पोर्न सेक्स कहानी का अगला भाग: चुदासी चूत की चुदाई कहानी