प्रेमी के साथ वहशी चुदाई की कामना

देसी Xxx गर्ल चुदाई का मजा मैंने दिया अपने पड़ोस के जवान लड़के को! उस वक्त जवानी मेरे अंग अंग से फूट रही थी. मेरी बुर लंड मांग रही थी. मैंने उसे ललचाना शुरू कर दिया.

मेरा नाम मीनाक्षी है और हम तीन बहनें हैं.
मैं सबसे बड़ी हूँ. मेरे पिताजी सेना में थे.

यह Desi Xxx Girl Chudai Hindi Kahani 2005 की है, जब मेरे पिता जी ने गांव छोड़कर शहर में मकान बना लिया था.

मैंने गांव से इन्टरमीडिएट किया था.
दोनों छोटी बहनें छोटी कक्षाओं में पढ़ती थीं.
मां ग्रामीण परिवेश की महिला थीं और काफी सीधी थीं.
इस कारण से बाजार के सभी काम मुझे ही करने पड़ते थे.

बाद में मैंने डिग्री कालेज में एडमिशन ले लिया.
तब मेरी उम्र मात्र 19 साल थी.

मेरा रंग सांवला था लेकिन मेरा नयन नक्श को देखकर किसी का भी दिल मचल जाए, ऐसी सुंदर भी थी.
मेरी आवाज का कोई भी दीवाना हो जाए, ऐसा सुरीली आवाज है मेरी.
उस वक्त जवानी मेरे अंग अंग से फूट रही थी.

मेरे पिताजी ने एक परिवार को किराये पर दो कमरे दिए थे.
उनके यहां एक लड़का आता था जो थोड़ी दूर ही रहता था.
उसका नाम ललित था.

किरायेदार अकंल और ललित के परिवार की पुरानी जान पहचान थी.
ललित भी मेरी ही उम्र का था.
उसे देखकर मेरा मन मचलने लगा.
वह भी मेरी तरफ आकर्षित होने लगा.

जब भी हम दोनों अकेले होते तो एक दूसरे के बदन को छूते, जिससे हम दोनों के बदन में आग लग जाती थी.

मैं किसी तरह ठंडे पानी से नहाकर अपनी आग को शान्त करती.

रात को ललित के सपनों में खोकर अपनी चूत में हाथ फिराती जिससे मेरी चूत अपना कामरस छोड़ देती थी.

हम दोनों ही किसी ऐसे दिन का इन्तजार करने लगे थे कि जिस घर में कोई न हो.

एक दिन मेरी मां और पिता जी को गांव में जाना पड़ा.
किरायेदार अकंल को भी दो दिन के लिए बाहर जाना पड़ा.

घर में हम तीन बहनें, किरायेदार आंटी और उनके दो बच्चे थे.
जिस कारण आन्टी ने ललित को घर में रूकने के लिए बोल दिया.

जैसे ही मुझे इस बात का पता चला तो मेरा मन हवा में उछलने लगा.

मैंने जल्दी जल्दी खाना बनाया और दोनों बहनों को खाना खिलाने के बाद सोने के लिए कह दिया.
मैं दूसरे कमरे में सोने के लिए चली गयी.

पर मुझे नींद कहां आने वाली थी.
मेरी चूत में चींटियां रेंग रही थीं; मेरी चूत से कामरस निकल रहा था.

ललित के इन्तजार में मेरी आंख लग गयी.

थोड़ी देर में मुझे अहसास हुआ कि कोई मेरे होंठों को चूस रहा है.
मेरी आंखें खुल गईं.
मैंने भी ललित का साथ देना शुरू कर दिया.

उसके हाथ मेरी छातियों पर घूमने लगे.
मेरी छातियां पत्थर की तरह कठोर हो गईं.

इस अहसास में मेरी चूत ने कामरस छोड़ना शुरू कर दिया और वह लगातार बहे जा रही थी.

अब मैंने अपने कुर्ते को उतार दिया.
वह भूखे कुत्ते की तरह मेरी ब्रा के अन्दर कैद मेरी चूचियों पर ब्रा के ऊपर से ही टूट पड़ा.

कुछ ही पलों में उसने मेरी ब्रा फाड़ दी और मेरी चूचियों को एक एक करके चूसने लगा.

मेरी चूत से कामरस निकल कर मेरी जांघों से होता हुआ घुटनों तक आ गया.
मैंने भी उसकी टी-शर्ट और लोअर निकाल दिया.

उसने मेरी सलवार का नाड़ा खींच दिया.
मेरी सलवार झटके से नीचे से निकल कर अलग हो गयी.

मैं अब उसके सामने केवल एक पैंटी में थी.
मैंने भी ललित के अन्डरवियर और बनियान को निकाल दिया.

ललित ने मुझे गिरा दिया और मेरी पैंटी को निकालकर दूर फेंक दिया.

अब मेरी झांट रहित सफाचट चूत ललित के सामने थी.
ललित इतना बेसब्र था कि वह मेरे होंठ और चूचियों को छोड़ कर मेरी चूत पर टूट पड़ा.

मेरी चूत कामरस से तरबतर थी.
ललित ने चूत पर अपनी जीभ फिरानी शुरू कर दी.

मेरी सिसकारियां निकलने लगीं.
ललित एक प्यासे कुत्ते की तरह मेरी चूत चाट रहा था और मेरी चूत अपना रस छोड़े जा रही थी.
मुझसे सब्र ही नहीं हो रहा था.

मैंने ललित को अपने ऊपर खींच लिया लेकिन ललित तो कुछ और चाहता था.
उसने कहा कि जिस तरह उसने चूत चाटी है, मैं भी उसके लंड को चूसूँ.

मेरा मन नहीं हो रहा था मगर वह मान नहीं रहा था.

इधर मेरी चूत ललित का लंड मांग रही थी तो मैंने अनमने मन से ललित का लंड चूसना शुरू कर दिया.

थोड़ी देर बाद मुझे लंड चूसने में मजा आने लगा.
मैं एक रंडी की तरह ललित के लंड को चूस चूस कर उसका सारा पानी पी जाना चाहती थी.

मेरे गर्म होंठों और लंड चूसने के अन्दाज को देखकर ललित ने अपना लंड मेरे मुँह से निकाल कर मेरी चूत के मुहाने पर रख दिया.

मैं अभी संभल पाती कि उसने अपना लंड एक ही झटके में मेरी चूत के अन्दर पेल दिया.
मेरी तो जान ही निकल गयी; मेरी आंखों से आंसू निकल आए.
ऐसा लगा कि किसी ने गर्म लोहे की रॉड मेरी चूत में घोंप दी हो.

ललित मुझे घपाघप चोदने लगा, साथ ही मेरे मम्मों को दबाने लगा.

कुछ ही देर में मेरी चूत का दर्द गायब हो चुका था.
मुझे अपनी चूत चुदवाने में मजा आने लगा था तो मैं और भी गर्म हो गई थी.

मैंने उसे पकड़ लिया और अपनी गांड उठा उठा कर नीचे से धक्के लगाने लगी.
मुझे भी जोर की हवस चढ़ गयी थी.

मैं बड़बड़ाए जा रही थी- आह आह … और जोर से पेल दो … आह मजा आ रहा है आह.
ललित चोदते हुए बोला- साली पहले तो बड़े नखरे कर रही थी, अब लंड के नीचे मजा ले रही है.

‘आहह चोद दो ललित … तू बोल मत … आह बस चोद दे.’
उसकी जानवरों जैसी चुदाई और मम्मे मसले जाने से मुझे दर्द भी हो रहा था … मगर मजा भी खूब आ रहा था.

ललित किसी पगलाए सांड की तरह मेरी चूत फाड़े जा रहा था.

कुछ देर बाद उसके लंड से माल निकलने वाला था तो वह और भी तेजी से मेरी को भोसड़ा बना रहा था.
मैं तो कब की झड़ गयी थी.

उसने अचानक से मेरी चूत से लंड निकाला और मुझे खड़ा करके मेरे मुँह में अपना लंड पेल दिया.

वह मेरे मुँह को पकड़ कर लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
कुछ ही पलों में ललित ने तेज आह के साथ अपना पूरा माल मेरे मुँह में झाड़ दिया.

मेरे मुँह के अन्दर इतना अन्दर लंड घुसा था कि लंड की पिचकारी सीधे मेरे गले में उतर गयी.

एक बार तो मुझे कतई अच्छा नहीं लगा, मैं उल्टी जैसे करने लगी और ललित से छूट कर बाथरूम में भाग गयी.

बाथरूम में जाकर मैंने ललित के वीर्य के स्वाद को महसूस किया तो मुझे मजा आ गया.

मैंने चटखारा लिया और उल्टी करने की आवाजें करके नाटक करने लगी.

कुछ मिनट बाद मैं वापस कमरे में आई तो ललित सोफे पर चित लेटा था उसका लंड सिकुड़ गया था.
मैं ललित के साथ चिपक कर लेट गयी.

आज मेरी शादी हो गयी है, मेरे दो बच्चे हैं … किन्तु आज भी ललित की चुदाई को नहीं भूल सकी हूँ.

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कोविड काल में अचानक ललित का फोन आया.
मेरे दिल के सारे तार झनझना गए.

हम दोनों ने एक दूसरे के हाल-चाल पूछे.
फिर ललित ने सेक्सी बात शुरू कर दी.

मुझे मेरी पहली चुदाई याद आ गयी.
मेरी चूत में चींटियां सी रेंगने लगीं.
मैं ललित को पाने के लिए तड़पने लगी.

अब मेरे पति जब मेरे साथ सेक्स करते हैं तो मेरे ख्याल में ललित होता था.
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने ललित से चुदने का मन पक्का कर लिया.

हम दोनों ने देसी Xxx गर्ल हिंदी चुदाई का प्लान बनाया.
मुझे अपने मायके आना था.
समय निकाल कर ललित भी आने को लालयित था.

मैं अपने मायके पहुंच गयी.
उसी दिन मेरी भाभी अपने मायके चली गयी.

लगभग 4 बजे शाम को ललित घर आया.
घर में माता पिता थे.

ललित चुपचाप छत पर चला गया.

थोड़ी देर में मैं भी छत पर आ गयी.
छत से नीचे जाने वाले दरवाजे की कुण्डी लगा दी.

वैसे भी मम्मी दूध लेने चली गयी थीं; पापा सो रहे थे.

अब मेरे ऊपर आते ही ललित ने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और मेरे होंठों का रसपान करने लगा.

मैं भी ललित का पूरा साथ दे रही थी.

ललित के हाथ मेरी चूचियों पर फिसल रहे थे.
वह काफी बेसब्र हो रहा था.

मैंने गाउन पहना था.
उसने मेरा गाउन निकाल दिया.

मैं ब्रा और पैंटी में थी.
उसने मेरी ब्रा को खोलनी चाही लेकिन जल्द बाजी में मेरी ब्रा फट गई.

मैंने कहा- तुमने मेरी ब्रा क्यों फाड़ दी?
ललित पर चुदाई का भूत सवार था, उसने जबाव देने की जगह मेरी पैंटी को भी फाड़ दिया.

उसका यही जंगलीपन मुझे पसंद था.

अब वह घुटने के बल बैठ कर मेरी चूत को जीभ से चाटने लगा.
मेरी चूत अपना पानी छोड़ने लगी.

मेरे मुँह से अजीब अजीब आवाजें आने लगीं- आह ललित, मेरी प्यास बुझा दे … आज मेरी चूत फाड़ दे … मेरी जान तू साले अगर अपने बाप की औलाद है तो मेरी चूत के परखच्चे उड़ा दे आज … आह!
ये कह कर मैं अपनी चूत को ललित के मुँह पर रगड़ रही थी.

मेरी चूत से दो बार पानी निकल चुका था पर मेरी हवस नहीं बुझ रही थी.

अब ललित खड़ा हुआ और उसने मेरे बाल पकड़कर मुझे घुटनों के बल बैठा दिया.
वह अपना लंड मेरे मुँह में पेलने लगा.

मेरे मुँह से फच फच की आवाजें आने लगीं.

मैं ललित के लंड से निकले सारे माल को पी जाना चाहती थी लेकिन ऐन वक्त पर ललित ने अपना लंड मेरे मुँह से निकाल लिया क्योंकि वह आज मेरे चूत को चोदकर उसका भोसड़ा बनाने वाला था.

ललित मेरे हाथ दीवार पर टिका दिए और पीछे की तरफ से अपना लंड मेरी चूत में एक झटके में डाल दिया.

मेरे मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं.
ललित मेरे कूल्हे पकड़ कर काफी स्पीड से मुझे चोदे जा रहा था.

मैं उसके साथ चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी.
उसे मैं गालियां भी दे रही थी- चोद दे ललित … मादरचोद मेरी चूत का भोसड़ा बना दे. अपनी बीवी को भी ऐसे ही चोदता है क्या … आह.

ललित का वीर्य निकलने को तैयार ही नहीं था जबकि मैं तीसरी बार झड़ गयी.
मुझे लग रहा था कि ललित आज गोली खाकर आया है.

ललित ने अब मुझे फर्श पर लिटा दिया और फिर से अपने लंड को मेरी चूत में डालकर मेरी रेल बना दी.

उसकी चुदाई से मेरी जैसी चुदक्कड़ औरत भी हार मान गयी.
मैंने ललित से कहा- अब मेरी चूत को बख्श दे … मेरी चूत का रेशा रेशा ढीला हो गया.

पर ललित कहां मानने वाला था … उसका तो एक बार भी पानी नहीं निकला था.

अब उसने मुझे ऊंट जैसा बनने को कहा और वह मेरे कूल्हे पकड़ कर मेरी चूत में गोते लगाने लगा.
ललित का लंड मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था.

काफी देर बाद ललित ने पूछा- माल कहां निकालना है … चूत में निकालूँ या तेरी गांड में?

गांड का नाम सुनते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गए.
लेकिन चूत में माल निकलवाने का मतलब था कि दवाई खाओ, नहीं तो बच्चा होने की टेंशन.

तब भी मैंने ललित से कहा- मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दो.
ललित ने दो तीन और धक्के मारे.

उसने अन्तिम धक्का इतनी जोर से मारा कि मैं आगे को गिरते गिरते बची.
उसी समय ललित के लंड की पिचकारी मेरी चूत में महसूस होने लगी थी.
मेरी चूत ललित के पानी से भर गयी थी.

अब मैंने अपनी फटी हुई पैंटी से अपनी चूत से निकल रहे ललित के वीर्य को पौंछा और गाउन पहनने को हुई, तो ललित ने लंड को मुँह में लेकर लंड साफ करने को कहा.
मैंने ललित के लंड चाट चाट कर साफ किया, फिर अपना गाउन पहना.

ब्रा पैंटी की दुर्गति हो चुकी थी तो एक थैली में पैक करके ललित को थमा दी.
मैं तीन दिन मायके में रही.
तीन दिन ललित ने मेरी वर्षों की प्यास बुझा दी या यह कहा जाए कि मेरी वर्षों की प्यास को जगा दिया.

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हॉट बंगाली दुल्हन की लंड खड़ा कर देने वाली पहली सुहागरात!