लॉकडाउन के बाद सहेली के भाई से चुद गई

Xxx वर्जिन गर्ल कहानी मेरी जवानी की शुरू की है. मेरी एक सहेली अपने चचेरे भाई को पसंद करने लगी थी. एक दिन मैं उसके घर गयी तो मैंने उन दोनों को सम्भोग मुद्रा में पाया.

दोस्तो, मैं रक्षा आपको अपनी सच्ची सेक्स कहानी सुना रही हूँ.
इस कहानी में मेरी सहेली और मजे मैंने भी ले लिए.

यह तब की Xxx Virgin Girl Kahani है जब लॉकडाउन ने दुनिया को जैसे जकड़ लिया था.
सड़कें सुनसान थीं, बाजारों की रौनक गायब थी और स्कूल की हंसी-ठिठोली अब केवल धुंधली यादों में सिमट चुकी थी.

मैं अपने छोटे से घर के एक कोने में बैठी, खिड़की से बाहर झांक रही थी.
बाहर की दुनिया खामोश थी और मेरे मन में भी एक अजीब-सी खामोशी पसरी थी.

मेरी सबसे प्यारी सहेली रितिका के साथ हमारी लंबी बातें अब फोन की स्क्रीन तक सिमट गई थीं.

रितिका और मैं स्कूल के दिनों से एक-दूसरे की हमराज थीं.

उसकी पतली काया, छोटे-छोटे स्तन और चुलबुली हंसी हमेशा मेरे लिए एक ताजगी का सबब थी.
हम अक्सर एक-दूसरे की देह को लेकर मजाक करते.

वह मेरे भरे-पूरे शरीर और बड़े स्तनों पर हंसती और मैं उसकी नाजुक काया को छेड़ती.
लेकिन उसकी आंखों की चमक और हंसी में जो जादू था, वह मुझे हमेशा बांध लेता था.

दूसरी तरफ मैं अपनी गोल-मटोल देह, बड़े स्तनों और कूल्हों के साथ हमेशा लोगों की वासना भरी नजरों का केंद्र रही.
मेरे कातिल जिस्म के दीवाने बहुत हैं.

उनकी ये भूखी नजरें मुझे कभी शर्मिंदगी देतीं, तो कभी गर्व का अहसास करातीं.

लॉकडाउन से ठीक पहले रितिका में कुछ बदलाव नजर आने लगा था.
वह बातें छुपाने लगी थी, जैसे कोई राज उसके मन में पल रहा हो.

उसकी आवाज में एक हल्की-सी झिझक थी और उसकी हंसी पहले जितनी बेफिक्र नहीं रही थी.
मैंने कई बार पूछा कि रितिका, क्या बात है? तू कुछ बता क्यों नहीं रही?
लेकिन वह हर बार टाल देती.

आखिरकार एक दिन जब हम दोनों फोन पर देर रात तक बात कर रहे थे, तब उसने झिझकते हुए खुलासा किया- रक्षा, मेरे बड़े पापा का लड़का बंटी हमारे घर आया है. उसकी नौकरी छूट गई है और अब वह कुछ दिन हमारे साथ ही रहेगा!’
मैंने हल्के-से हंसते हुए कहा- तो इसमें क्या? तेरा उससे क्या लेना-देना?

उसकी सांसें जैसे थम-सी गईं और फिर उसने धीरे से कहा- रक्षा, मुझे वह पसंद है!
मैं एक पल के लिए स्तब्ध रह गई.

रितिका, जो हमेशा प्यार और रिश्तों की बातों को हंसी में उड़ा देती थी, अब अपने भाई के लिए ऐसी बात कह रही थी!

मैंने हंसकर माहौल हल्का करने की कोशिश की- अच्छा, तो ये बात है! लॉकडाउन लगने वाला है, घर में ही मजे कर ले!
रितिका ने शर्माते हुए मुझे झूठमूठ का गुस्सा दिखाया- पागल है क्या? बंटी के साथ ऐसा कैसे?
मैंने मजाक में चुटकी ली- देख ले, बंटी से चुदने का मजा पूरा कर ले!

हम दोनों हंसते-हंसते लोटपोट हो गई.
लेकिन मेरे मन में कहीं एक अजीब-सी बेचैनी थी.

बंटी को मैंने पहले देखा था. वह लंबा, गोरा और उसकी आंखों में एक मतवालापन था, जो किसी भी लड़की को अपनी ओर खींच सकता था.

उसकी मुस्कान में एक रहस्य था और उसकी बातों में एक ऐसी गर्माहट जो दिल को छू लेती थी.

लॉकडाउन लग गया.
स्कूल बंद, दोस्तों से मिलना बंद और जिंदगी जैसे मेरे छोटे से कमरे में सिमट गई.
रितिका और बंटी की बातें शुरू हो गईं.

फोन पर रितिका मुझे बताती कि वे दोनों घंटों बात करते हैं.
बंटी उसे हंसाता था, उसकी तारीफ करता था और धीरे-धीरे उनके बीच का रिश्ता गहराने लगा.

रितिका की आवाज में एक नई चमक थी, जैसे वह किसी सपने में खोई हो- रक्षा, बंटी इतना अच्छा है. वह मेरी हर बात सुनता है. मुझे लगता है … मुझे लगता है कि मैं उससे प्यार करने लगी हूं.

मैं सुनती और हल्का-सा मुस्कुरा देती.
लेकिन मेरे मन में एक सवाल उठता क्या बंटी भी रितिका के लिए वैसा ही महसूस करता है?

एक दिन रितिका ने बताया- बंटी ने तुझसे बात करने की इच्छा जताई है.
मैंने हंसकर कहा- क्यों, अब तुझे अकेले मजा नहीं आ रहा क्या?
वह बोली- मिल के तो देख पगली!

उस बात पर मैंने सोचा कि चलो देखती हूँ, यह क्या चाहता है.

बंटी से मेरी बात शुरू हुई.
उसकी आवाज में एक अजीब-सी गर्माहट थी, जैसे वह हर शब्द को सोच-समझकर बोल रहा हो.

पहले तो वह सामान्य बातें करता रहा जैसे लॉकडाउन, बोरियत और पुरानी यादें.
लेकिन धीरे-धीरे उसकी बातें निजी होने लगीं.

‘रक्षा तू इतनी मजेदार है. तेरी हंसी में एक अलग ही बात है!’
जब उसने एक दिन यह कहा, तो मैंने उसे धन्यवाद कहा, लेकिन मेरे मन में एक हलचल-सी हुई.

फिर उसने मेरी देह की तारीफ शुरू कर दी.
‘रक्षा तू इतनी खूबसूरत है. तेरी बॉडी तो कमाल की है.’

उसका लहजा अब भारी हो चुका था और मेरे बड़े स्तनों और कूल्हों की बातें सुनकर मुझे असहजता हुई.
मेरे गाल कानों तक गर्म हो गए.

मैंने बात टालते हुए कहा- बंटी ये सब क्या बातें कर रहा है? रितिका को बता दूं क्या?

यह मैंने मजाक की टोन में कहा लेकिन मेरे मन के किसी कोने में एक अजीब-सी हलचल थी.

उसकी बातें अनुचित थीं, फिर भी उनमें एक आकर्षण था.
मैंने रितिका को सब बता दिया.

उसने हंसकर कहा- अरे, वह तो मजाक कर रहा होगा! बंटी ऐसा ही है.

लेकिन मैं देख रही थी कि बंटी अब रितिका को कम और मुझे ज्यादा ध्यान देने लगा था.

उसका हर मैसेज, हर कॉल, मेरे लिए एक पहेली बनता जा रहा था.

मैंने खुद को उससे दूर रखने की कोशिश की.
रितिका मेरी सहेली थी और मैं उसका दिल नहीं दुखाना चाहती थी.

लेकिन बंटी की बातें मेरे दिमाग में बार-बार घूमती थीं.
उसकी आवाज, उसकी तारीफें और उसकी आंखों की वह तीव्रता जो मैंने एक बार देखी थी.
ये सब मुझे बेचैन करने लगा था.

लॉकडाउन के कुछ महीने बाद, जब पाबंदियां हटीं, तो मैंने सोचा कि रितिका को सरप्राइज दूं.

उसके मम्मी-पापा दोनों काम पर जाते थे और घर में सिर्फ रितिका और उसका छोटा भाई रहता था.

मैं बिना बताए उसके घर पहुंची.
मैं पीछे के दरवाजे से अन्दर गई, ताकि उसे पता न चले.

मेरे मन में एक बच्चे सा उत्साह था.

मैं सोच रही थी कि रितिका मुझे देखकर चिल्ला उठेगी.
लेकिन जैसे ही मैंने घर में कदम रखा, मुझे एक अजीब-सी खामोशी ने घेर लिया.

रितिका का छोटा भाई हॉल में टीवी देख रहा था, उसकी आंखें स्क्रीन पर टिकी थीं.
मैंने किचन में झांका, रितिका वहां नहीं थी.

मेरे मन में एक उत्सुकता जगी.
उनके घर का एक कमरा अभी बन रहा था, जिसमें खिड़की पर सिर्फ पर्दा लटका था.

मैंने धीरे से पर्दा हटाया और जो देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए.
रितिका और बंटी एक-दूसरे के आलिंगन में थे.
उनके कपड़े बिखरे हुए थे और कमरे में एक कामुकता की गर्मी थी.

बंटी की हरकतें तेज और बेकाबू थीं.
मैं स्तब्ध थी और कुछ कुछ गर्म भी होने लगी थी इसलिए मैं छिप कर उनके खेल को देखने लगी थी.

रितिका की पतली काया बंटी के सामने जैसे नाजुक खिलौना थी.
वह उसे बिस्तर पर ले गया और उधर उसने चुदाई की पोजीशन बनाते हुए झट से उसकी चुत में अपने लंड को अपनी पूरी ताकत के साथ घुसेड़ना शुरू कर दिया था.

रितिका की सिसकारियां और चीखें कमरे में गूंज रही थीं.
मैं बेहद स्तब्ध थी. मेरे पैर जैसे जम गए थे.

बंटी ने रितिका के कूल्हों पर थप्पड़ मारे तो वह और तेजी से चिल्लाई.

मेरे मन में कई भावनाएं एक साथ उमड़ रही थीं.
गुस्सा, शर्मिंदगी और कहीं न कहीं एक अजीब-सी उत्तेजना.

मैं देखती रही, जैसे मेरे शरीर ने मेरे दिमाग का साथ छोड़ दिया हो.

तभी बंटी की नजर मुझ पर पड़ी.
उसने मुझे देखा और उसकी आंखों में एक चमक आ गई थी, जैसे वह मुझे चुनौती दे रहा हो.

उसने रितिका को सोफे पर ले जाकर और तेजी से मुझे अपना लंड दिखाते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया.
वह ऐसे कर रहा था मानो मुझे अपने लंड की ताकत दिखाना चाहता हो.

रितिका की चीखें अब और तेज हो गई थीं.

मेरे शरीर में एक जलन-सी दौड़ रही थी.
मेरे स्तन भारी हो रहे थे और मेरे निचले हिस्से में एक गर्माहट थी.

मैं पूरी तरह उत्तेजित हो चुकी थी.

बंटी ने रितिका को और कई तरह से चोदा और आखिर में उसने रितिका से अपने लंड को मुँह में लेने को कहा.

रितिका ने मना किया, लेकिन बंटी ने जबरदस्ती उसके मुँह में लंड डाल दिया.

मैं देख रही थी और मेरे मन में एक उलझन थी कि मैं रुक क्यों गई थी? मैं भाग क्यों नहीं रही थी?

अचानक मैंने आवाज लगाई- रितिका!
वह चौंक गई और जल्दी-जल्दी कपड़े पहनने लगी.

मैं अन्दर गई तब तक उसने बंटी को दूसरे दरवाजे से बाहर भेज दिया.
मैंने कहा- मैंने सब देख लिया है.

रितिका शर्मिंदगी से भरी थी.

उसने बताया कि वह और बंटी काफी समय से ऐसे ही मिल रहे थे.
मैंने उससे कुछ नहीं कहा लेकिन मेरे मन में एक तूफान उठ रहा था.

तभी बंटी फिर से अन्दर आया.

उसने रितिका को चाय बनाने भेजा और मेरे पास बैठ गया.
उसकी आंखों में वही हरामीपन था.

उसने मेरे स्तनों को छुआ और इससे पहले कि मैं कुछ कह पाती, उसका हाथ मेरी पैंट के अन्दर घुस गया था.
मेरे शरीर ने मुझे धोखा दे दिया.
मैं गीली थी.

उसने बेशर्मी से मुझे देखते हुए अपनी उंगलियां चाटीं.
मैंने भी उसे रोकने की कोशिश नहीं की.

रितिका चाय लेकर आई और बंटी फिर से उसके पास चला गया.

मैंने देखा कि वह रितिका को फिर से अपनी बांहों में ले रहा था.

इस बार तो मेरे सामने ही वह उसे फिर से चोदने लगा.

मैंने खुद को रोकने की कोशिश की लेकिन मैं टूट चुकी थी.

मैंने पास पड़ी सब्जी की टोकरी से एक खीरा उठाया और अपनी उत्तेजना को शांत करने लगी.

रितिका और बंटी का खेल चलता रहा और मैं खुद को रोक नहीं पाई.
आखिरकार मैं बाथरूम में चली गई.

रितिका ने मुझे आवाज दी.
और मैंने जवाब दिया कि मैं ठीक हूं.

लेकिन तभी बंटी ने बाथरूम का दरवाजा खटखटाया.

मैंने सोचा शायद रितिका है और दरवाजा खोल दिया.

बंटी अन्दर आया और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसने मुझे अपने नीचे खींच लिया.

मैंने भी उसके सामने समर्पण कर दिया.
वह मेरे मुँह में अपना लंड देने लगा.

मैंने भी उसके लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसा और कुछ ही देर में उसने मेरे मुँह में अपना वीर्य छोड़ दिया.
मुझे उसका वीर्य पसंद आ गया था.
मैंने उसे पूरा पी लिया.

उसने मेरे स्तनों को चूमा और बाहर चला गया.

मैं हॉल में बैठी थी, जब मेरा फोन बजा.

बंटी का कॉल था.
उसने कहा- रक्षा, जल्दी निकल. मुझे जाना है.

मैंने कुछ सोचा नहीं.
मैंने रितिका से कहा कि मुझे जाना है और मैं निकल गई.

बाहर बंटी खड़ा था.
वह मुझे साथ लेकर अपने किसी दोस्त के कमरे में ले गया.

उधर उसने मेरे साथ वह सब किया जो मुझे चाहिए था.
Xxx वर्जिन गर्ल में बस एक गड़बड़ यह हुई कि उसके दोस्त ने भी मुझे चोदा.

यह सब कैसे हुआ … मैं अगली बार लिखूँगी.

घर वापस आने पर मेरे मन में एक अजीब-सा खालीपन था.
मैंने जो किया, वह सही था या गलत, ये मैं आज तक नहीं समझ पाई.

आप मुझे बताएं कि आपको मेरी Xxx वर्जिन गर्ल कहानी कैसी लगी.
[email protected]

Share this Post :