देसी माल लड़की XxX कहानी में पढ़ें कि मेरे घर में गाँव से एक जवान नौकरानी आई तो मैं उसके गदराये बदन को देख उसे चोदने पर उतारू हो गया. कैसे चोद पाया मैं उसे!
नमस्कार दोस्तो, मेरी सेक्स कहानी में आप सभी का स्वागत है.
कहानी के पहले भाग
गाँव से आयी जवान कामवाली
में अभी तक आपने पढ़ा कि कैसे मेरी मां ने लच्छो, जो कि मेरी गांव की नौकरानी की बेटी थी, उसे मेरे पास दिल्ली भेजा.
उसे देखने के बाद मेरा दिल उस पर आ गया और मैं उसे चोदने की जुगाड़ में लग गया.
लेकिन लगभग छह महीने के बाद भी मैं उसके साथ कुछ नहीं कर पाया.
हालांकि मैंने उसे अपनी चूत में उंगली करते हुए देखा था और इससे मुझे अंदाजा लग लगा था कि उसको भी चुदाई का मन करता है इसलिए वो उंगली करती है.
लेकिन मैं चाह कर भी उसे कुछ नहीं कह पा रहा था.
अब आप Desi Maal Ladki XxX Kahani में आगे पढ़िए कि किस तरह से मुझे एक मौका मिल गया, जिससे लच्छो को मैंने चोद लिया और वो मुझे हर तरह का सुख देने लगी.
दोस्तो, जितना पैसा मैं उसे देता था, उस पैसे से उसका काम नहीं चल रहा था क्योंकि उसे अपने घर भी पैसे भेजने पड़ते थे.
इसलिए लच्छो ने कई बार मुझसे कहा कि मेरा और जगह पर भी काम लगवा दीजिए, जिससे मैं कुछ ज्यादा पैसे कमा सकूं.
लेकिन हर बार मैं उसकी ये बात टाल जाता क्योंकि मुझे डर था कि इतनी मस्त लड़की को देख कोई न कोई इसे चोद लेगा और मैं ऐसा नहीं होने देना चाहता था.
इसलिए मैंने लच्छो के पैसे डबल कर दिए, इसके साथ ही मैं उसकी जरूरत का हर सामान उसके लिए लेकर आता.
साड़ी गाउन यहां तक कि चड्डी और ब्रा भी मैं उसके लिए लाने लगा.
लेकिन लड़कियों की कुछ ऐसी जरूरतें भी होती हैं, जिसे वो किसी से बता नहीं सकती.
लच्छो वैसे भी बहुत कम ही बाजार जाती थी. घर का सारा सामान मैं ही लेकर आता था.
एक दिन लच्छो कुछ परेशान सी दिख रही थी, जिसे मैं भांप गया था.
मेरे पूछने पर भी उसने मुझे कुछ नहीं बताया लेकिन जब मैं ऑफिस के लिए निकलने लगा तो लच्छो ने मुझे एक कागज दिया और कहा कि इसमें जो लिखा है, आते समय आप ले आइएगा.
मैंने कागज जेब में रख लिया और चला गया.
रास्ते में कार चलाते समय मैंने वो कागज देखा तो उसमें सेनेटरी पैड लिखा था जिसे लड़कियां मासिकधर्म के समय इस्तेमाल करती हैं.
मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई और मैं चल दिया.
शाम को आते समय मैं उसके लिए वो ला दिया और उसे दे दिया.
इतने महीनों से मेरे साथ रहते हुए लच्छो मुझसे काफी घुलमिल गई थी और घर को अच्छे से सम्हाल रही थी.
फिर मार्च का महीना आया और मैंने होली के लिए ऑफिस से एक हफ्ते की छुट्टी ले ली क्योंकि मैं हर त्यौहार पर गांव जाता था.
मैंने छुट्टी ले ली थी लेकिन अचानक से मेरा मन बदल गया और मैंने गांव जाना कैंसिल कर दिया.
अब मैं और लच्छो घर पर ही होली में रहने वाले थे.
मैंने बहुत सोचसमझ कर ये फैसला लिया था.
इन एक हफ़्तों में मुझे लच्छो को हर हाल में पटाना था और उसकी चुदाई करनी थी क्योंकि अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
रोज उसकी कमसिन जवानी को देख देख कर मैं बहुत ज्यादा उतावला हो गया था.
अब मैं लच्छो को चोदे बिना नहीं रह सकता था.
होली के दिन मैंने और लच्छो ने घर का सारा काम जल्दी खत्म कर लिया और दोपहर तक दोनों ही फ्री हो गए.
खाना खाने के ठीक पहले मैं अपने रूम में शराब की बोतल खोली और वहीं बैठकर पीने लगा.
कुछ ही देर में मैं पूरी तरह से नशे में हो गया.
मैं अपने बेडरूम में बैठा हुआ था, तभी लच्छो खाने के लिए पूछने आई.
उस वक्त मेरे अन्दर नशा पूरी तरह से हावी हो गया था.
मैंने लच्छो को अपने पास बुलाया और कहा- लो लच्छो, आज तुम भी मेरे साथ पियो.
उसने पीने से मना कर दिया लेकिन मैंने उसे जोर देते हुए कई बार कहा और डरते हुए ही सही उसने एक ग्लास शराब पी ली.
जब उसे थोड़ा नशा हुआ तो मैंने फिर से एक ग्लास बनाया और उसे दे दिया. इस बार उसने बिना मना किए ही शराब पी ली.
इस तरह से मैंने उसे तीन ग्लास शराब पिला दी.
अब वो तो जैसे हवा में उड़ रही थी जुबान से एक भी शब्द नहीं निकल रहे थे और वो कुर्सी पर बैठी बैठी ही डोल रही थी.
मैं उस वक्त भले नशे में था लेकिन इतना होश में था कि मैं क्या कर रहा हूँ, इसका अच्छे से पता था.
उस वक्त लच्छो ने साड़ी पहनी हुई थी और उसकी कमर और नाभि मुझे साफ साफ दिख रही थी जो कि मुझे उत्तेजित कर रही थी.
कुछ देर तक मैं लच्छो से यहां वहां की बात करता रहा.
फिर मैंने उससे पूछा- ये बताओ तुम इतनी हसीन हो खूबसूरत हो, तुम्हारा कोई लड़का दोस्त बना कि नहीं?
उसने मुझे बताया कि गांव में मेरी दोस्ती एक लड़के से थी और उसके बारे में मेरी मां को पता चल गया था, जिसके कारण ही उन्होंने मुझे यहां काम करने के लिए भेज दिया.
मैंने सोचा कि अगर इसका उस लड़के के साथ चक्कर था, तो जरूर उसने इसे चोदा भी होगा.
तो मैंने बात घुमाते हुए पूछा- क्या तुम लोग कभी अकेले में भी मिले थे?
उसने शर्माते हुए जवाब दिया- जी साहब, मिली थी.
अब मैंने उससे और खुलते हुए पूछा- एक लड़की और लड़का जब अकेले में मिलते हैं, तो जानती हो न क्या होता है?
वो अपने हाथों को मसलते हुए चुपचाप बैठी रही और कोई जवाब नहीं दिया.
मेरे दुबारा पूछने पर उसने अपना सर हिलाकर हां में जवाब दिया.
उस वक्त तक लच्छो पूरी तरह से पसीने पसीने हो गई थी.
अब मैंने उसकी खूबसूरती की तारीफ़ करना शुरू कर दिया क्योंकि मैं उसे और ज्यादा ओपन करना चाहता था.
जल्द ही मैंने लच्छो से बात करते हुए अपने दिल की बात कह दी- मैं तुम्हें पसंद करता हूँ.
ऐसा सुन लच्छो बिल्कुल चुप हो गई.
पर मैं उससे बार बार उसकी राय जानने के लिए उससे पूछता रहा.
और जब उसने जो जवाब दिया, उसकी उम्मीद मुझे काफी कम थी.
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वो बोली- अगर ये सब बात आप किसी को नहीं बताएंगे तो मैं आपकी बात मानने के लिए तैयार हूं.
इतना सुन मैं तुरंत बिस्तर से उठा और उसके हाथ अपने हाथ में लेते हुए बोला- तुम मेरा विश्वास करो, हमारी कोई भी बात कभी किसी को पता नहीं चलेगी.
अब मेरा रास्ता बिल्कुल साफ हो चुका था, जो चीज मैं लच्छो से चाहता था उसके लिए वो तैयार हो गई थी.
मैंने बिना देर किए उसे कुर्सी से उठाया और अपने गले से लगा लिया.
लच्छो भी नशे में झूमती हुई मेरे सीने से लग गई.
मैं लच्छो के गालों को चूमते हुए उसके होंठों को चूमने लगा और XxX माल लच्छो भी मेरा साथ देने लगी.
जल्द ही मैंने उसकी साड़ी को अलग कर दिया और फिर उसके ब्लाउज और पेटीकोट को भी निकाल दिया.
मैंने भी अपनी बनियान और लोवर को निकाल दिया.
मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके बड़े बड़े गदराए दूध पर टूट पड़ा.
लच्छो बिना शरमाये मेरे सर को अपने दूध पर दबाने लगी और उसके मुँह से ‘आह आह ओओह ओओह ऊईईई …’ निकलने लगा.
जल्द ही मैंने उसकी ब्रा को भी निकाल दिया और अब हम दोनों ही केवल चड्डी में रह गए.
मैं लच्छो को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया.
मुझे बस उसके बड़े बड़े दूध दिखाई दे रहे थे और मैं उनको बेरहमी से मसलते हुए चूमने लगा.
मैंने उसके दूध को इतना मसला कि उसे जलन होने लगी और वो दूध को छुड़ाने लगी.
उसके दूध पर जगह जगह मेरे काटने के निशान पड़ गए थे.
फिर मैं उसके दूध को छोड़कर उसे चूमते हुए नीचे की तरफ आने लगा, उसके पेट नाभि को चूमते हुए मैं उसकी चूत तक आ गया.
चड्डी के ऊपर से ही उसकी चूत को चूमते हुए उसकी मोटी मोटी जांघों को चूमते हुए उसमे अपने दांत के निशान छोड़ता चला गया.
मेरे इतना चूमने से ही लच्छो बेहद गर्म हो गई थी और उसकी चड्डी सामने से पूरी तरह से गीली हो गई थी.
मैंने दोनों हाथों से उसकी चड्डी को पकड़ा और एक झटके में नीचे सरकाते हुए उतार दिया.
उसकी फूली हुई चूत को देख मैं बेकाबू हो गया और अपने होंठ उसकी चूत पर लगा दिए.
लच्छो भी पूरी जोश में थी और उसने भी अपनी टांगें फैला दीं.
मैंने उसकी दोनों जांघों को पकड़ा और मलाई की तरह उसकी चूत को चाटने लगा.
‘ओओह साहब ओओह क्या कर रहे हैं ओओह आह आह ऊईईई मांआ … बस सस्स करो न आह आह.’
कुछ ही देर में लच्छो इतनी ज्यादा गर्म हो गई कि अपने हाथ पैर पटकने लगी.
मैं भी काफी ज्यादा उतेजित हो गया था और मैं भी अपनी चड्डी उतार कर अपने लंड को उसके सामने मसलने लगा.
उसने मेरे लंड को एक नजर देखा और अपनी आंख बंद कर ली.
मैंने उसके पैरों को फैलाया और उसके घुटनों में अपने हाथ डालकर उसके ऊपर सवार हो गया.
मेरा लंड बिल्कुल उसकी चूत में ही लगा हुआ था.
काफी दिनों से मैंने चुदाई नहीं की थी इसलिए मेरे अन्दर उस वक्त ज्यादा ही उतावलापन था.
जैसे ही मैंने लंड पर थोड़ा जोर लगाया मेरा सुपारा चूत में घुस गया.
कसम से दोस्तो … लच्छो की चूत अन्दर से किसी भट्ठी की तरह गर्म थी.
मैंने कहा- बाप रे कितनी गर्म है तेरी!
लच्छो ने कहा- सीईईई साब, आराम से डालिए … दुख रहा है.
मैं उसकी गर्म चूत का मजा लेने के लिए लंड को आराम से अन्दर डालता चला गया.
‘बसस्स साहब जी बसस्स …आहह उईई मांआआ.’
जल्द ही मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया.
लच्छो ने अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ को जकड़ लिया.
मैंने आधा लंड बाहर निकाला और फिर से देसी माल लड़की की चूत के अन्दर पेल दिया.
‘ऊऊईई अम्माआआ … साहब जी आराम सेईईई …’
ऐसे ही मैं कई बार लंड आधा बाहर करते हुए अन्दर तक पेलता रहा, जिससे उसकी कसी हुई चूत में मेरा लंड आराम से अन्दर बाहर होने लगा.
इसके बाद मैंने अपने दोनों हाथों को उसके पैरों से निकाला और उसकी पीठ को कस कर जकड़ते हुए लच्छो को अपने सीने से चिपका लिया.
अब मैंने अपनी रफ्तार तेज करते हुए उसकी चुदाई शुरू कर दी.
‘ऊईईई साहब ऊईईई आह साहब आराम से आह आह दर्द हो रहा है आह आराम से करिये आह.’
जल्द ही मैं अपनी पूरी रफ्तार से लच्छो को चोदने लगा.
मेरे धक्के जब उसकी चूत पर पड़ते तो चट चट की आवाज से पूरा कमरा गूंज उठता.
लच्छो जोर जोर से बोल रही थी- साहब, आराम से करिये आह आह मर गईईई आह!
मुझे चोदते हुए कुछ ही समय हुआ था कि लच्छो झड़ गई और उसके बाद मेरा भी ज्वालामुखी फूट गया और उसकी चूत में मैंने अपना पानी भर दिया.
मैंने सोचा कि इतनी जल्दी मेरा कैसे निकल गया लेकिन मैं इतना ज्यादा उत्तेजित था और लच्छो की कसी हुई चूत के कारण ऐसा हुआ था.
मैंने लंड बाहर निकाला और लच्छो के बगल में लेट गया.
कुछ समय बाद लच्छो उठी और अपने कपड़े लेकर जाने लगी.
मैं जल्दी से उठा और उसे पीछे से जकड़ लिया.
‘बस साहब अब जाने दीजिए.’
‘नहीं, अभी मेरा मन नहीं भरा … अभी नहीं.’
ऐसा कहते हुए मैंने उसे फिर से बिस्तर पर पटक दिया.
दोस्तो, देसी माल लड़की XxX कहानी के अगले भाग में पढ़िए और जानिए कि कैसे मैंने लच्छो को आगे कितनी बुरी तरह से चोदा.
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