वाइफ पोर्न सेक्स कहानी में पढ़ें कि पराये मरद से चुद कर एक नवविवाहिता ने अपने पति को अपनी हरकत बता दी. साथ ही उस पराये मर्द की बीवी को अपने पति के लंड के नीचे लाने का प्रबंध भी किया.
कहानी के दूसरे भाग
औरत की चूत की दूसरी सील
में अब तक आपने पढ़ा कि आदित्य की पत्नी दीपाली उसकी अनुपस्थिति में ज़रा सी लापरवाही के कारण मकान मालिक वैभव की ओर आकर्षित होती है और अपनी मर्जी से नए आनंद की तलाश में उसके पास चुदने पहुंच जाती है। एक दूसरे के शरीर, मन और आत्मा को तृप्त करने के बाद उन दोनों के द्वारा, आदित्य और मेनका को भी मस्ती के नए रिश्तों में सम्मिलित करके आनंद के नए शिखरों को छूने का निर्णय लिया जाता है।
अब आगे Wife Porn Sex Kahani:
उसने वैभव को रोका, पलंग से उठी, कोल्ड क्रीम की शीशी से बहुत सारी कोल्ड क्रीम लेकर अपने बूब्स पर लगाई और बिस्तर पर लेट गई।
उसके बाद उसने वैभव को अपने ऊपर आने का इशारा किया।
दीपाली ने दोनों बोबों और उंगलियों के बीच वैभव का लंड फंसा लिया।
वैभव ने कमर हिलाना शुरू की।
जब लंड आगे की ओर जाता तो दीपाली जुबान हिला हिला कर लंड के सुपारे को सहला देती।
इस दोहरे खेल के कारण वैभव मस्ती में झूम रहा था.
कुछ ही देर की मस्ती भरी मेहनत के बाद वीर्य का तूफान लंड के अग्र भाग में इकट्ठा हो गया।
वैभव के धक्कों में तेजी आ गई, उसकी आंखें बंद होने लगीं।
जैसे ही लंड की नसों ने फड़कना शुरू किया, इसका संकेत दीपाली की उंगलियों तक पहुंचा और उसने अपने होंठ भींच लिए।
वैभव के मुंह से जोरों से आवाज निकली- आ…ह!
उसके बाद एकदम वेग से वीर्य की पिचकारी छूटी।
कुछ कतरे दीपाली के चेहरे पर पड़े, कुछ उसके बूब्स पर!
वैभव जब थोड़ा पीछे हटा तो अंतिम कुछ बूंदें पेट पर!
दीपाली इस वीर्य स्नान से एक अजीब सा आनंद का अनुभव कर रही थी।
अभी तक आदित्य ने तो चुदाई करते समय केवल उसके पेट पर ही डिस्चार्ज किया था।
उसके चिकने बदन पर वीर्य की बूंदें ऐसी लग रही थीं जैसे कि कमल के फूल पर ओस की बूंदें गिरी हुई हों।
उसका यह रूप विलक्षण था, ऐसे रूप की तो वैभव ने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
उसके बाद कमरे में वीर्य की मादक गंध फैल गई।
वैभव और दीपाली दोनों दो-दो बार झड़कर पूरी तरह तृप्त हो चुके थे।
क्योंकि दीपाली को वीर्य स्नान के बाद अब नहाना जरूरी था तो वैभव बोला- मैं भी साथ चलता हूं।
दीपाली बोली- चलो … लेकिन कोई शरारत मत करना।
वैभव ने कहा- नहीं करूंगा यार!
दोनों बाथरूम में गए, शॉवर चलाया, पानी में भीग कर दीपाली का नग्न सौंदर्य और भी निखर आया।
ऐसे में वैभव के हाथ कैसे रुकते?
वे दीपाली के स्तनों पर पहुंच गए!
दीपाली मना करती भी तो कैसे?
उसको भी तो वैभव के हाथों का स्पर्श अच्छा लग रहा था।
इसके पहले कि दोनों बहकें, दीपाली ने वैभव को रोक दिया और कहा- मेरे प्रीतम, मैं जानती हूं कि यदि तुम फिर से मूड में आ गए तो एक घंटे तक मुझे सोने नहीं दोगे। लगता है कामदेव की तुम पर कुछ विशेष कृपा है।
वैभव बोला- कामदेव की कृपा का तो पता नहीं … पर तुम्हारे मादक बदन और रसीली चूत की मेहरबानी जरूर है।
दीपाली हंसी.
फिर उसने कहा- विभु, कितना भी मस्का लगा लो, अब कुछ भी करने नहीं दूंगी। अब मैं भी सोऊंगी और तुम भी चुपचाप बिना कोई मस्ती किये सोओगे।
चरमसुख की प्राप्ति के बाद दिमाग और नहाने के बाद दोनों के शरीर बिल्कुल हल्के हो गए थे।
थोड़ी ही देर में दोनों सुख भरी नींद की आगोश में थे।
सुबह जब दीपाली की नींद खुली तब पहले तो दीपाली को ऐसा लगा कि जैसे वह आदित्य की बाहों में है.
पर धीरे-धीरे उसे सब याद आ गया और फिर इस बात पर उसका ध्यान गया कि वह वैभव की बांहों में पूर्णतः नग्न थी।
वासना का तूफान निकल चुका था इसलिए अब दीपाली पर लाज हावी होने वाली थी कि उसकी नज़र वैभव के लंड पर पड़ी जो रात के आराम के बाद फिर फनफना रहा था।
वैभव के चेहरे पर तृप्ति भरी मुस्कान थी।
दीपाली के दिल में प्रेम उमड़ा, उसने झुक कर वैभव के लंड को चूमा और फिर उसको मुंह में लेकर उस पर गोल गोल जुबान घूमने लगी।
वैभव की नींद खुल गई, उसने दीपाली को लंड चूसते देखा तो वह गदगद हो गया।
उसने दीपाली को पकड़ के घुमाया और अपना मुंह उसकी चूत पर लगा दिया।
फिर शुरू हुआ 69 का वह मजेदार दौर, जिसके कारण दोनों के शरीर में कामवासना की लपटें उठने लगीं।
दोनों की इच्छा इस बार मुखमैथुन से सुख पाना नहीं बल्कि एक दूसरे को सुख देना था।
करीब 10 मिनट तक यह खेल चला, फिर दोनों की मेहनत रंग लाई और दोनों का चरम उमड़ने घुमड़ने लगा।
इधर दीपाली की चूत फड़कना प्रारंभ हुई, उधर वैभव के लंड से वीर्य का झरना फूट पड़ा।
इस बार दीपाली ने वैभव के लंड को मुंह से बाहर नहीं निकाला बल्कि वीर्य के हर एक कतरे को बड़े प्यार से गटकती रही।
वैभव और दीपाली दोनों की आंखें चरम सुख के इन क्षणों में बंद थीं और सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं।
जब दोनों सामान्य हुए तो दीपाली की आंखों में ‘मस्ती भरी विशिष्ट चमक और होठों पर मीठी प्रेम पगी मुस्कान का अनुपम दृश्य’ वैभव के दिमाग में स्थाई रूप से अंकित हो गया।
वैभव ने कहा- दीपाली, अभी तो तूने गजब ही कर दिया। ऐसे अनोखे सुख की मैंने ना तो कल्पना की थी, ना ही कामना!
दीपाली ने भी बोला- तुम्हारे साथ मेरी यह प्रेम क्रीड़ा मेरे लिए भी, मधुर स्मृतियों का तीर्थ बन के रहेगी।
वह आगे बोली- अच्छा विभु, अब मैं चलती हूं, आदित्य कभी भी आ सकता है और वह भी आते ही मुझे ठोकेगा।
दोनों इस बात पर हंस पड़े।
दीपाली ने कहा- आज ही विश्वामित्र और मेनका का मिलन भी करवा दिया जाए?
वैभव ने कहा- क्यों नहीं? उनकी मिलन यामिनी के बाद हम चारों के बीच में कामुकता के नए संबंध शिखर स्थापित होंगे।
वैभव को पहले लग रहा था कि कहीं सुबह दीपाली, किसी अपराध बोध से ग्रस्त ना हो। आदित्य के साथ बेवफाई का दंश उसे अंदर ही अंदर लज्जित ना करे!
लेकिन यहां तो मामला बिल्कुल उल्टा था।
वह और अधिक मुखर, और अधिक कामुक दिखाई दे रही थी।
सुबह जिस तरीके से उसने वीर्य की अंतिम बूंद तक अपने मुंह में निचोड़ ली, वह वैभव के लिए आनंद की पराकाष्ठा थी।
दीपाली अपने कमरे में आने के बाद फ्रेश होने के बाद नहाने की तैयारी कर ही रही थी कि आदित्य आ गया।
तब दीपाली ने चाय बनाई और उससे पूछा- पहले नाश्ता करोगे या नहाओगे?
उसने कहा- सबसे पहले तो तेरे को चोदूंगा!
और उसको लेकर पलंग पर पड़ गया।
दीपाली उसको रोकने की नाकाम कोशिश कर रही थी पर उसके सिर पर वासना का भूत सवार था, उसने दीपाली की नाइटी खोलकर फेंकी और पैंटी नीचे खींच दी।
उसने देखा कि दीपाली की चूत एकदम चिकनी थी जबकि वह घना जंगल छोड़कर गया था।
वह फटाफट दीपाली की चूत पर अपने होंठ रखकर जुबान से लप-लप करते हुए चाटने लगा।
उसे चूत रस में हल्का सा वीर्य का स्वाद भी आया।
उसके बाद वह आगे बढ़ा दीपाली के स्तन चूसे फिर होठों का रस लेने लगा।
उसे दीपाली के मुंह से भी वीर्य की गंध सी महसूस हुई उसने पूछा- दीपाली, क्या बात है यार, मेरी जुबान को तेरी चूत और मुंह से वीर्य जैसा अहसास हो रहा है।
दीपाली बोली- बताती हूं … बताती हूं, ज़रा सब्र तो करो! पहले तुम यह बताओ कि तुम्हें मेनका कैसी लगती है?
इस पर आदित्य ने कहा- अरे यार पूछ मत, मेनका ने तो मेरी तपस्या भंग कर रखी है। मैं तो कब से उसे चोदना चाहता हूं, वह ज़रा लाइन तो दे।
दीपाली बोली- बस तो फिर तुम आज रात, मेनका के साथ सुहागरात मनाने की तैयारी करो।
आदित्य चौंक गया, उसने पूछा, अरे! ऐसे कैसे? यह तू क्या कह रही है?
उसके बाद आदित्य ने दीपू की चुदाई शुरू की और दीपू ने कल सुबह से लेकर आज सुबह तक की सारी घटनाएं पूरे रस लेकर आदि को सुना दी।
आदि भी सब कुछ सुनकर आश्चर्य चकित हो रहा था कि एक ही दिन में वैभव और दीपू ने किस्मत से मिले इस मौके का कितना जमकर फायदा उठाया था।
वह जोश में भर गया.
दीपू सोच रही थी कि कल दो बार ओरल से और एक बार चुदाई से झड़ी हूं तो इस बार उसे चरम सुख मिलना कठिन रहेगा।
लेकिन कुछ तो दोनों के बीच हुई कामुक बातों और कुछ आदित्य को चढ़े हुए जोश का ऐसा मिलाजुला असर हुआ कि दीपाली का चरम उठने लगा.
और वह आवेश में जोर जोर से चिल्लाने लगी- बहुत मजा आ रहा है आदी … ज़ोर से चोद, रगड़ अपने लंड से, ऐसे, हां ऐसे, बहुत मजा आ रहा है, जोर से चोद कमीने!
कुछ ही देर में दीपाली की आवाज सुनाई दी- अरे मर गई … अरे मैं … गई! मैं गई!
दीपाली इतना ज़ोर से बोल रही थी कि नीचे वैभव उसकी कामुक आवाजें सुन के पुनः उत्तेजित हो रहा था।
उसकी इच्छा तो हुई कि अभी ऊपर जाकर वह भी दीपाली की चूत में लंड डाल दे.
लेकिन शाम को मेनका आने वाली थी और आते ही उस की चुदाई भी करनी थी।
इतना तो वैभव समझ गया था कि दीपाली ने एक बार फिर जबरदस्त ऑर्गेज्म प्राप्त किया था।
4 बजे दीपाली की आवाज आई- विभु, ऊपर आ जाओ! चाय तैयार है।
वैभव के होठों पर मुस्कान आ गई।
दीपाली ने भी उसी की तरह द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग किया था।
ऊपर जाते ही वैभव का सामना आदित्य से हुआ जो बहुत गुस्से में दिखाई दे रहा था।
उसने कहा- मिस्टर वैभव, तुम्हारे मकान में रहते हैं तो किराया देते हैं। तुमको कल मौका क्या मिला, तुमने तो मेरी दीपू को ही पेल दिया?
वैभव कुछ समझे और जवाब दे, उसके पहले ही दीपाली की खनकदार हंसी सुनाई दी।
उसके बाद आदित्य भी जोर जोर से हंसने लगा, वैभव खिसिया के रह गया।
अगले ही पल उसे पूरा माजरा समझ में आ गया।
आदित्य और दीपाली मिलकर उसके मजे ले रहे थे.
फिर हंसी मजाक चलता रहा।
आदित्य और वैभव ने नॉनवेज जोक्स का सिलसिला शुरू कर दिया।
एक ही दिन में दीपाली पूरी तरह से बदल चुकी थी।
वह दोनों बेशर्म मर्दों के बीच, निर्लज्ज हो कर अश्लील चुटकुलों का लुत्फ उठा रही थी।
कुछ समय बाद वैभव ने कहा- मेनका आने वाली है, मैं चलता हूं।
शाम को मेनका आई, स्टेशन से घर आते ही वैभव ने उसको बाहों में भींच लिया और बेडरूम की ओर चल दिया।
वहां जाकर उसने मेनका के कपड़े उतारना शुरू कर दिए.
मेनका चकित थी, उसने पूछा- दो दिन ही तो हुए हैं, ऐसा भूत क्यों चढ़ा है चुदाई का?
वैभव ने कहा- बस पूछ मत और हर एक लम्हे का मजा लेने की कोशिश कर!
वैभव का लंड तो सुबह ही दीपाली ने निचोड़ा था इसलिए उसकी तो चोदने की बिल्कुल इच्छा नहीं थी लेकिन वह मेनका को झड़ाना चाहता था।
मेनका ने भी वैभव की बात मानकर अपना सारा ध्यान अपनी चूत पर केंद्रित कर लिया।
जहां वैभव अपने होंठ और जुबान से उस की चूत को तरंगित कर रहा था।
कुछ ही पलों में मेनका के मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं।
दस मिनट के घमासान चूत चूषण से मेनका ने चरमसुख वाले गहन तनाव के उपरांत, राहत की सांस ली और मीठी नींद सो गई।
वैभव भी उसके साथ सो गया।
जब दोनों उठे तो शाम ढल चुकी थी.
वैभव उठ कर शेविंग किट ले आया और नंगी पड़ी मेनका की चूत पर उगी झांटों को साफ कर के चूत को चिकना करने लगा।
उसके बाद मेनका और वैभव दोनों चुहलबाजी करते हुए साथ में नहाए।
नहाने के बाद वैभव ने पलंग को गुलाब की पंखुड़ियों से पाट दिया।
वैभव ने कहा- आज तेरे लिए स्वर्ग को ज़मीन पर उतारना है।
मेनका बोली- सिर्फ मेरे लिए?
वैभव ने कहा- हां यही समझ ले।
रात का डिनर बाजार से आर्डर कर दिया था, आदित्य तथा दीपाली भी साथ थे।
खाना खाते समय सब कुछ सामान्य था, मेनका को रत्ती भर भी भनक नहीं लगी कि उसके पीछे क्या कुछ घट चुका है।
खाना खाने के बाद आधा पौन घंटा चारों बातें करते रहे।
उसके बाद आदित्य और दीपाली गुड नाइट कह कर ऊपर चले गए।
मेनका भी अब मस्ती के मूड में आ चुकी थी, वह वैभव से पहले बेडरूम में चली गई।
वैभव जब कमरे में आया तो देखा कि बिना ब्रा, पैंटी के पारदर्शी सैक्सी नाइटी में मेनका की जवानी छलक रही थी.
यानि मेनका पर भी अब वासना की रंगत चढ़ चुकी थी।
वैभव बोला- ये हुई ना बात!
उसके बाद वैभव ने अपनी जेब से एक काली पट्टी निकाली और मेनका की आंखों पर बांध दी।
मेनका अब इंतजार कर रही थी कि कब उसकी नाइटी उतरेगी, कब उसके जिस्म में वासना का तूफान उठेगा और कब उसे फिर से राहत के वे जादुई पल हासिल होंगे।
वैभव ने नाइटी की डोर खींची, नाइटी के गिरते ही मेनका पूरी नंगी हो चुकी थी।
उसके बाद वह मेनका के कूल्हों के बीच में लंड को टिका कर, दोनों हाथों से मेनका की मक्खन के टीलों को सहलाने लगा; उसकी निप्पलों को अपने अंगूठे और तर्जनी में पकड़कर हौले हौले मसलने लगा।
मेनका चुदने को आतुर होने लगी; उसने पीछे हाथ ले जाकर वैभव के कड़क लंड को पकड़ लिया।
तभी मेनका बोली- आज लंड भी चिकना कर रखा है, पलंग पर गुलाब की पंखुड़ियां बिखेर रखी हैं, मेरी आंखों पर काली पट्टी बांध रखी है, इरादा क्या है मेरे हुजूर का?
वैभव ने कहा- तू आज मिलने वाले आनंद के सिवा कुछ मत सोच!
उसके बाद वैभव के होंठ मेनका के स्तनों पर अपना कमाल दिखाने लगे।
मेनका की चूत से दुनिया का सबसे स्वादिष्ट, नशीला पेय पदार्थ बहने लगा।
उसके मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं, उसकी बेताबी बढ़ती जा रही थी।
उसने कहा- आज पागल कर दोगे क्या? अब लंड को जल्दी अंदर डालो।
वैभव ने मेनका की एक न सुनी और फिर से पिल पड़ा उसकी चिकनी चूत चाटने में!
मेनका ने कहा- ऐसा क्या चस्का लगा है, शाम को तो चूत चाटी थी कुत्ते? कई बार सोचती हूं कि ऐसे में कोई बूब्स चूसने वाला हो तो मजा कितना बढ़ जाए।
इतने में उसके दोनों स्तनों की निप्पलों को दो जोड़ी होंठ चूसने में जुट गए।
मेनका ने चौक कर अपनी आंखों की पट्टी खींच ली।
उसने देखा कि उसकी चूत वैभव नहीं, आदित्य चाट रहा था और उसके स्तनों को दीपाली और विभु चूस रहे थे।
यह देख वह अवाक रह गई.
चरमसुख के कारण उसका दम फूला हुआ था, शरीर कमान की तरह अकड़ा हुआ था और अनियंत्रित आनंद की लहरें, तीर की तरह आदित्य के होठों से टकरा रही थीं।
वह सोच रही थी कि इतना सब कुछ एक साथ कैसे घटित हो गया?
मेनका का आवेग जब शांत हुआ तब उसे अपनी स्थिति का ध्यान आया।
वह एक पराये जोड़े और पति के सामने पूरी तरह नंगी पड़ी हुई थी।
उसे लग रहा था कि इन सब से नज़रें कैसे मिलाऊंगी?
जब वैभव ने देखा कि मेनका आंखे बंद करके पड़ी है तो उसने मेनका को छेड़ा और कहा- उठो मेनका, तुमने कलयुगी विश्वामित्र की तपस्या भंग करके अपनी एक पुरानी ख्वाहिश पूरी कर ली है।
यह सुन के मेनका ने आंखें खोली और मुस्कुराते हुए कहा- मैंने नहीं, कलयुगी विश्वामित्र ने तुम्हारे साथ मिल के, धोखे से मेनका की तपस्या भंग की है।
सब हंस पड़े।
एक दिन पहले ये चारों शराफत के पुतले थे जो अब बेशर्मी के प्रतीक बन चुके थे।
मेनका उठी और सबके लिए कॉफी बनाकर लाई।
उसके बाद मेनका ने पूछा- यार, अब तो तुम लोग बता दो, ये सब चमत्कार हुआ कैसे?
इस पर वैभव और दीपाली ने अभी तक का पूरा किस्सा मेनका को सुना दिया।
इतनी कामुक घटनाओं से भरे किस्से को सुनते सुनते बेख्याली में मेनका का हाथ अपनी चूत पर चला गया.
वह फिर से रिस रही थी।
आज वह दो बार ओरल से तो झड़ चुकी थी लेकिन औरत को तब तक संतुष्टि नहीं मिलती जब तक उसकी चूत में लंड न जाए।
यह तो निश्चित था कि उसको अब वैभव के सामने आदित्य के नए लंड से चुदना था जिसने अभी अभी उसकी चूत चूस के दीपाली और वैभव के सहयोग से उसे शानदार ऑर्गेज्म दिया था।
अभी कमरे में चार जवान जिस्म कामुकता और मस्ती से लबालब भरे थे; चारों वर्जित फल के आनंद में डूबे थे।
कमरे में गुलाबों की महक के साथ वीर्य की गंध ने वातावरण को नशीला कर दिया था।
ऐसे माहौल में बहकते हुए मेनका ने शरारत भरे स्वर में कहा- आइये आदित्यमित्र जी, तुमने मेनका की तपस्या तो भंग तो कर ही दी है तो अब ‘उसके साथ संभोग कर के भोग भी लो।’
सब हंस पड़े।
आदित्य आगे बढ़ा, मेनका को बाहों में भरा, उस के होंठ चूमे, स्तन सहलाए फिर उस के दोनों कंधों पर हाथ रख कर उसे नीचे झुकाया।
मेनका बेहिचक घुटनों के बल बैठ गई।
आदित्य मेनका के चेहरे को अपने लंड से सहलाने लगा।
लंड जब उस के होठों के समीप आया तो उस ने मेनका के अधखुले होठों के बीच रखकर हल्का सा जोर लगाया।
मेनका ने आदित्य के लंड को मुंह में ले लिया और किसी स्वादिष्ट आइसक्रीम की तरह उसको चूसने लगी।
“हर मर्द को औरत, इस पोज में सबसे सुंदर लगती है!”
दीपाली और वैभव, मेनका को आदित्य का लंड चूसते देख कर मुस्कुरा रहे थे।
इससे एक बात सिद्ध होती है कि एकाधिकार की भावना ही झगड़े की जड़ है। यदि वह नहीं हो तो प्रेम बढ़ता है। यदि पति पत्नी आपसी सहमति से एक दूसरे को नियंत्रण मुक्त करें तो जीवन अधिक सरस, अधिक आनंद से सकता है।
किसी पराए मर्द से एकांत में मिलना ही स्त्री के शरीर में सनसनी प्रारंभ कर देता है.
ऐसे में दीपाली और वैभव के सामने, आदित्य का लंड चूसना, मेनका की उत्तेजना में उबाल ला रहा था।
मेनका के चूसने से आदित्य का लंड अच्छे से कड़क हो गया तो आदित्य ने मेनका को घोड़ी बनाया, उसके चूतड़ों को तड़ातड़ करके लाल कर दिया.
‘फूल सी कोमल औरत को मर्द के थप्पड़, बस यहीं अच्छे लगते हैं।’
और फिर आदित्य ने मुख लार से सने चिकने लंड को मेनका की चूत के बीचों बीच रख कर एक ज़ोर का झटका लगाया।
मेनका की सिसकारी के बीच लंड सट्ट से जड़ तक चला गया।
इस आसन में बस एक ही समस्या है कि चोदने वाला, औरत के स्तन नहीं चूस सकता.
वैभव और दीपाली ने मेनका के झूलते हुए भारी स्तनों को देखा तो दोनों उनको चूसने लगे।
पीछे से आदित्य के धक्कों के कारण मेनका की चूत में मस्ती का चक्रवात उठने लगा।
मेनका चुदते हुए यही सोच रही थी कि जीवन का सही मजा तभी है जब हर औरत को वैभव और आदित्य जैसे रसिक पति मिलें।
अदित्य और मेनका की लाइव चुदाई देख दीपाली और वैभव की वासना भी भड़कने लगी।
वैभव का लंड इतना कड़क को गया कि यदि अब किसी चूत में नहीं घुसा तो जैसे टूट जाएगा।
वैभव ने दीपाली को इशारा किया.
दीपाली की चूत में भी गुदगुदी हो रही थी; उसे भी लंड के घर्षण चाहिए थे।
वह खुशी खुशी मेनका की तरह घोड़ी बन गई।
अब कैसा मनोहारी दृश्य था … आदित्य और वैभव पूरी मस्ती में एक दूसरे की पत्नी की धधकती हुई चूतों को चोद रहे थे।
वैभव ने कहा- दीपाली, शाम को आदि से चुदवाते समय जैसी गालियां अभी भी बकना।
दीपाली ने हंस के कहा- मैं तुम को सुनाने के लिए ही इतनी जोर से बोल रही थी।
ऐसे उत्तेजक वातावरण में दोनों कामदग्ध औरतों को चरमसुख में ज्यादा देर नहीं लगनी थी।
दस मिनट ही हुए होंगे, मेनका और दीपाली दोनों की चूतों में सरसराहट बढ़ गई।
दोनों चिल्लाई- अब रुकना मत कमीनो, अब रुकना मत! जोर से चोदो … हां और जोर से चोदो! अरे भोसड़ी को लंड में दम नहीं है क्या? रगड़ो जोर से!
आदित्य और वैभव की धक्के लगाने की गति तेज हो गई.
मेनका और दीपाली की चूत में एकदम जैसे ज्वालामुखी का विस्फोट हुआ।
दोनों की चूतें जोर जोर से फड़क रही थी और उन दोनों को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कि गर्म लावा उन की चूत से बाहर आ रहा हो।
दोनों मर्दों को चूत चोदते हुए, उन दोनों की गांड ललचा रही थी।
तो दोनों ने आंखों ही आंखों में कुछ तय किया और एक साथ लंड को निकाल कर उनकी गांड के संकरे छेद में दम लगा के घुसेड़ दिया।
इसके पहले कि मेनका और दीपाली के मुंह से गालियां निकलती, आदित्य और वैभव ने एक साथ कहा- हमारी दोनों कामुक बीवियों को विवाह की वर्षगांठ पर बधाई हो, कैसा रहा आज का चुदाई समारोह?
चारों हंसने लगे.
आदित्य बोला- आज रात की सारी मस्ती अधूरी रह जाती यदि आज तुम दोनों की गांड नहीं मारी होती।
दीपाली और मेनका भी एक दूसरे के पतियों की शरारत पर मुस्कुराने लगी।
वे दोनों तो परपुरुष आनंद में यह बात तो भूल ही गईं थीं कि रात के बारह बज गए हैं और आज उन चारों की विवाह की वर्षगांठ है।
उनने अपने अपने पतियों को बुलाया, बांहों में जकड़ के उन के होठों को चूमते हुए कहा- आई लव यू डियर, आज तुमने जो मस्ती का खजाना हमें दिया है, इसकी याद हमेशा हमारे साथ रहेगी।
एक दिन पहले तक की दो पतिव्रता नारियां आज गैर मर्द के साथ कामवासना के सारे खेल चुकी थीं।
वैभव मेनका की तो फिर भी ये पांचवीं वर्षगांठ थी किंतु आदित्य और दीपाली की तो यह पहली वर्षगांठ थी।
इस वर्षगांठ में दोनों जोड़ों ने पहली बार नए स्वाद का मज़ा लिया था।
इसके बाद तो दोनों जोड़ों को अपनी हर वर्षगांठ पर, इस वर्षगांठ की याद जरूर आएगी।
अब सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि बाद में वैभव और आदित्य दोनों को ही मेनका और दीपाली के चरित्र में कुछ भी घटा हुआ महसूस नहीं हुआ।
इस के उलट ‘दोनों के व्यवहार में अधिक प्रेम, प्रेम में अधिक मस्ती तथा मस्ती में अधिक जोश महसूस होने लगा।’
आशा है, रसिक पाठकों को इस वाइफ पोर्न सेक्स कहानी ने सनसनी से भर दिया होगा।
आप की प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार रहेगा।
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