होटल में रिसेप्शनिस्ट को चोदा

सेक्स इन होटल Xxx कहानी में पढ़ें कि मेरी कहानी पढ़कर एक पाठिका ने मुझे मिलने बुलाया. मैं होटल ने रुका तो वहां की रिसेप्शनिस्ट को ही सेट कर लिया, वो मेरे रूम में चुदी.

दोस्तो, मैं संदीप सिंह!
आप लोगों ने मेरी पिछली कहानी
जीजाजी की बहन मेरे लंड से चुदने को बेताब
पढ़ी और उसके लिए मुझे आपके हजारों की तादाद में मेल भी मिले.

आज फिर से अपनी नई Sex In Hotel Xxx Kahani लेकर हाजिर हूँ.

मेरी कहानी पर फैन मेल में एक मेल एक पाठिका का आया था.
उससे मेरी बात चालू हो गई.
वो जयपुर से थी.

मैंने उसे देखा भी नहीं था. फिर भी मैं उसे चोदने के बारे में सोचने लगा था.

अचानक ही मेरा जयपुर जाने का हुआ.

मैंने उससे इस बारे में बताया कि मैं जयपुर आ रहा हूं.
उसने मुझसे कहा- कब आ रहे हो?
मैंने पूछा- क्यों तुम अभी जयपुर में नहीं हो क्या?

वो बोली- मैं अभी जयपुर में ही हूँ और बस ये जानना चाह रही थी कि तुम कब आ रहे हो?
मैंने उसकी इस बात से समझ लिया कि वो भी मुझसे मिलने को बेताब थी.

मैंने उसे अपने लंड के बारे में बताया था और अपने चोदने के तरीके भी बताए थे. उसी सबको लेकर वो मुझसे मिलने के लिए काफी उत्साहित थी.
शायद वो मुझसे चुदना भी चाहती थी.

मैंने उसे अपने कार्यक्रम के बारे में सब बताया और तय समय पर जयपुर आ गया.

वहां मैंने उसे अपने होटल का पता देने का बता दिया और मिलने आने का कह दिया.
उसने कहा- ठीक है, आप मुझे होटल में चैक इन करने के बाद बता दीजिएगा.

मैं जब होटल में गया तो वहां पर रिसेप्शन पर एक हॉट लड़की बैठी थी.
वो साड़ी में थी और बड़ी ही कामुक दिख रही थी.

मैंने उससे हैलो कहा.
उसने भी मुझसे हैलो कहा.

वो मुझे अजीब नजरों से देख रही थी.
शायद ये उसकी हवस थी या अदा थी.
जो भी था, साली बड़ी सेक्सी माल थी.

उसने मुझसे कहा- यस सर, मैं आपकी क्या खिदमत कर सकती हूँ?
मैंने उसकी नजरों में नजरें डाल कर देखा और मुस्कुरा दिया.
वो भी मुस्कुरा दी.

मैंने आंख मटका कर उससे सवालिया अंदाज में कहा- खिदमत?
वो शायद कुछ समझ गई थी.

उसने बनते हुए कहा- मेरा मतलब मैं आपकी क्या सेवा कर सकती हूँ.
मैंने कहा- ओह … खिदमत माने सेवा?
वो बोली- जी सर, सही पकड़े हैं.

उसने ये ‘भाभी जी घर पर हैं …’ सीरियल के अंदाज में कहा था.

मुझे मसखरी सूझी तो मैंने अपने हाथ उसके मम्मों की तरफ बढ़ाते हुए कहा- मैंने अभी क्या पकड़ा है? आप कहें तो पकड़ सकता हूँ.
वो खिलखिला कर हंस दी.

फिर उसने मुझसे मेरा नाम पूछा- सर आपका नाम?
मैंने बताया.

वो बोली- सिंगल रूम या डबल?
मैंने कहा- डबल पर …

वो मेरी तरफ देख कर बोली- पर?
मैंने कहा- डबल बेडरूम में सिंगल आदमी के साथ डबलिंग करने वाला?

वो मेरी तरफ देख कर हंस दी और कुछ नहीं बोली.

कुछ लिखने के बाद उसने मेरी तरफ देखा.
मैंने उसकी तरफ देख कर भवें उठा दीं.

वो मुस्कुरा कर बोली- आपका आइडेंटिटी कार्ड?
मैंने दे दिया.

उसने जल्दी जल्दी सब भरा और मुझसे पेमेंट करने के लिए कहा तो मैंने उससे ट्रांस्फर करने की बात कही.
उसने मुझे क्यूआर कोड दिखा दिया और मैंने उसे पेमेंट कर दिया.

फिर मैं अपने रूम में आ गया पर मैं अपना आईडी कार्ड वहीं भूल आया था.
मैंने सोचा कि कार्ड कहां जाएगा, बाद में ले लूंगा.

अब मैंने अपनी उस पाठिका को मैसेज कर दिया कि किस होटल में हूँ.
मैं अपनी पाठिका के आने का वेट करने लगा.

मैंने एक सिगरेट सुलगाई और फ्रेश होने जाने लगा.

काफी रात हो चुकी थी, लगभग दस बज गए थे. मैंने अपनी पाठिका को मिलने को रात का ही समय दिया था ताकि उसे चोदने के लिए पूरी रात मिल सके.

मैंने सोचा कि जब तक वो आती है, तब तक मैं नहा लूं.
बैग में से मैंने बोतल निकाली और एक नीट पैग गटक कर बाथरूम में चला गया.
फ्रेश होकर मैं नहाने गया तो रूम का दरवाजा खुला रह गया.

तभी वो रिसेप्शन वाली मेरे रूम में आ गई.
उसका नाम दिव्या था.

मैं आपको दिव्या के बारे में बता दूँ.
उसका फिगर 34-30-36 का था. उसका रंग दूध सा गोरा और वो साड़ी में एकदम सेक्सी माल लग रही थी.

दिव्या मेरे रूम में आ गई और मेरे बेड के पास आकर मेरा फोन देखने लगी.
फोन में मेरी उस पाठिका की चैट ओपन थी.
उसमें काफी सारी नंगी पिक्स थीं जो दिव्या ने देख ली थीं.

तभी मैं बाथरूम से आ गया.

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मैंने दिव्या को देखा तो मैं थोड़ा चौंक गया कि ये रूम में कैसे आ गई?
उसका ध्यान मेरी तरफ नहीं गया.
वो मेरे फोन में चैट पढ़ने में व्यस्त थी.

मैंने थोड़ी खखारने की आवाज की, तो उसने मुझे देखा और बोली- आप अपना कार्ड वहीं भूल आए थे.
मैं केवल तौलिए में था, बोला- अरे हां, बेड पर रख दो.

दिव्या- आप किसी का वेट कर रहे हैं क्या?
मैं- हां एक दोस्त का.

दिव्या- या लड़की का?
मैं- वो भी दोस्त ही है ना!
दिव्या- अगर नहीं आई तो?
मैं- देखा जाएगा, क्या होता है … तुम बैठो.

उसने धीरे से कहा- वो डबलिंग वाली बात.
मैं हंस दिया.
वो भी मुस्कुरा दी.

मैंने पूछा- तुम्हारी ड्यूटी?
उसने कहा- मेरी ड्यूटी खत्म हो गयी है.

मैंने उससे कहा- कुछ पियोगी?
वो मेरी तरफ देखने लगी.

मैंने बोतल उसके हाथ में थमा दी.
वो गिलास में पैग बनाने लगी.

फिर हम दोनों ने गिलास उठाए और चियर्स बोल कर सिप करने लगे.
दिव्या मेरे बेड पर बैठ गई.
मैं उसके पास जाकर बैठ गया.

मैंने उसकी आंखों में वासना का खुमार अलग ही देख लिया था.

दिव्या- आप क्या करते हैं?
मैं- मैं लेखक हूं.

दिव्या- हां पढ़ा मैंने अभी कि क्या लिखते हैं आप!
ये बोल कर उसने शरारत वाली हंसी बिखेर दी.

मैं- अच्छा … कैसी लगी?
दिव्या- क्या ये सब सच है जो लिखा है?
मैं- हां बिल्कुल, इसी लिए तो मैं यहां आया हूं.

दिव्या- पर वो नहीं आएगी.
मैं- क्यों?

दिव्या- देख लेना नहीं आएगी.
मैं- तो फिर मेरा क्या होगा?

ये कह कर मैंने उसकी तरफ देखा और उसके गाल पर किस कर दिया.
ऐसा लगा जैसे वो इसी का इन्तजार कर रही थी, वो पहले से ही तैयार थी.

अब हम दोनों की नज़रें मिलीं, दोनों कुछ नहीं बोले.
फिर वो हल्का सा मुस्कुराई.

मैंने फिर से उसका हाथ पकड़ा और सीधे होंठों पर किस कर दिया.
मेरा एक हाथ उसके गाल पर और दूसरा उसके हाथ पर था.
उसने भी मेरे सीने पर हाथ रखा हुआ था.

हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे.
मैं उस पाठिका के बारे में भूल चुका था और दिव्या में खो गया था.

हम दोनों 15 मिनट तक एक दूसरे को चूमते रहे.
फिर हम अलग हुए.

मैंने उसकी आंखों में चुदाई की भूख देखी.
मैं भी सेक्स के लिए ही मूड बनाए हुए था. मैं उठा और मैंने कमरे का डोर बंद कर दिया.

वापस आकर मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और चूमने लगा, उसके मम्मों दबाने लगा.
उसने मेरा लंड पकड़ लिया और दबाने लगी.

मैंने उसकी साड़ी खोल दी.
उसने मेरा तौलिया हटा दिया.

मैंने उसे अपनी बांहों में उठाया और बेड पर लिटा दिया.
वो सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट में थी.

मैं उसके पास जाकर लेट गया और उसको किस करने लगा, साथ ही उसके मम्मों को भी दबाने लगा.

उसके मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं- आआहह उम्म म्म्म संदीप आआह!
उसे मेरे नाम की जानकारी थी.

मैं उसके गले पर अपनी जीभ घुमाने लगा, दांतों से लव बाईट करने लगा.
फिर गले पर चूमता हुआ मैं नीचे मम्मों पर आ गया.
ब्लाउज के ऊपर से ही उसके दोनों मम्मों को एक एक करके चूसने लगा, उसके क्लीवेज को चाटने लगा.

मैंने उसका ब्लाउज उतार दिया और ब्रा को ऊपर करके निप्पलों को चूसने लगा.
दिव्या- आआ आहह इस्स्सस खा जाओ इनको … पूरा चबा जाओ संदीप आआह!

अपना हाथ मैंने धीरे से पेटीकोट में डाला और चूत को ढूंढ कर अपनी उंगली उसकी चूत के चारों ओर घुमाने लगा, फिर हथेली से चूत को ऊपर से ही मसलने लगा.
मैंने उसका पेटीकोट भी उतार दिया और उसके मम्मों को एक एक करके चूसने लगा.

उन पर कट्टू करने लगा.
फिर मैं नीचे जाने लगा और उसकी चूत में उंगली डाल दी.

दिव्या थोड़ी चीख उठी.
उसकी आवाज थोड़ी कम करने के लिए मैंने ऊपर आकर उसके लिप्स पर किस किया.

उसे मजा आने लगा तो वो मेरी उंगली को अपने हाथ से पकड़ कर अन्दर बाहर करवाने लगी.
साथ ही एक हाथ से मेरे सीने पर नाखून लगाने लगी.

मैं फिर से नीचे आ गया और उसकी चूत को जीभ से चाटने लगा.
पहले ऊपर की तरफ किस किया और फिर जीभ अन्दर बाहर करने लगा.

उसकी चूत के ऊपर दांत लगाने लगा.
दिव्या- आआआह बस बहुत हुआ संदीप चोद दो इसको … मुझे अपनी रण्डी बना लो आज की रात … आआहह्ह उम्मम्म म्म इस्स्स अब नहीं झेला जाता आहह!

मैं फिर भी उसकी चूत चाटता रहा और दोनों हाथों से उसके मम्मों को मसलता रहा.
बड़ा मजा आया था उसकी चूत चाटने में!

फिर मैंने उसे अपना लंड थमा दिया.
दिव्या प्यार से लंड हिलाने लगी और मेरे बिना कहे लंड चूसने लगी.

क्या अदा थी उसकी … ये सोच कर मैं तो पागल ही हो रहा था.
वो मेरे गोटे मसलने लगी, उनको मुँह में लेकर चाटने लगी.

सच में बहुत मजा आ रहा था इस सेक्स इन होटल Xxx में!

मैंने देर न करते हुए उसे बेड पर लिटाया, उसकी चूत पे मेरा लंड सैट किया और पूरी ताकत से एक बार में ही अन्दर कर दिया.
दिव्या की चीख निकल गई.

मैंने उसे किस करना चालू कर दिया, उसके मम्मों को मसलने लगा, निप्पलों को चूसने लगा.

थोड़ी देर में वो कमर उठा कर मेरा लंड अन्दर लेने लगी- थोड़ा और अन्दर आहह … ऐसे ही करो … आह मजा आ गया आज तो … आह चोदो और इसको फाड़ दो इसको अह संदीप चोद दो आज.

मैंने अपना एक हाथ उसके मम्मों पर और दूसरे हाथ का अंगूठा उसके मुँह में डाल दिया और उसे धकापेल चोदने लगा.

पूरे कमरे में फच्च फच्च की आवाजें आ रही थीं.

दिव्या- आआह आह मजा आ गया … चोदो, आहह इतना मजा कभी नहीं आया आआह उम्मम्म उम्म्म यस्स यस फक मी आआ आह्ह यस!

मैं भी पूरा मदहोश होकर उसको धक्कम पेल चोद रहा था.
दोनों को बहुत मजा आ रहा था.

मैंने उसे अलग अलग पोजीशन में चोदा कभी घोड़ी बना कर, तो कभी लंड पर बिठा कर, तो कभी मिशनरी पोज में … मैंने अलग अलग तरीके से उसे तृप्त कर दिया था.

वो दो बार झड़ चुकी थी, फिर भी गांड उठा कर चुदे जा रही थी.

मैंने उसको कम से कम आधा घंटा तक ऐसे ही हचक कर चोदा.
दिव्या को चोदने के चक्कर में मैं उस पाठिका के बारे में भूल ही गया था.

वो आई नहीं, पर चोदने का मकसद पूरा हो गया था.
मैंने उसे रात भर में चार बार चोदा और बहुत मजे किए.

जाते जाते दिव्या अपना एड्रेस दे गई कि अगली बार यही फिर से करेंगे.

मुझे उसके बारे में और कुछ पता नहीं चला.
वो शादीशुदा थी या कुंवारी … कुछ भी नहीं मालूम हुआ था, बस उसे यूं ही चोद दिया था.

कैसी लगी आपको मेरी ये सेक्स इन होटल Xxx कहानी. मुझे मेल करके बताइएगा जरूर.
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