दीदी ने मुझसे अपनी कुंवारी चूत चुसवाई

दीदी की पुसी लिक करना किसी किसी को ही नसीब होता होगा. मुझे यह मौक़ा मिला कि मैंने अपनी बड़ी बहन की कुंवारी बुर चाट कर, उन्हें अपना लंड चुसवा कर मजा लिया.

कामुकताज डॉट कॉम के सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार.

मेरा नाम राजीव है. मेरी फैमिली में चार लोग हैं.
मेरे अलावा मम्मी पापा और दीदी.

दीदी मुझसे दो साल बड़ी हैं. उनका नाम लूसी है.
मेरी दीदी दिखने में बहुत मासूम लगती हैं.

वे देखने में बहुत सुंदर हैं, बहुत ही ज्यादा गोरी हैं और थोड़ी चबी भी है.
उनकी हाइट कम है, लेकिन देखने में बहुत आकर्षक हैं.
उनको देखकर किसी की भी नियत ख़राब हो सकती है.

दीदी बी.कॉम के फाइनल ईयर की स्टूडेंट हैं.
मैं एक मेडिकल स्टूडेंट हूँ.

यह कहानी Didi Ki Pussy Lick करके मजा लेने की है.

दीदी मुझको बहुत प्यार करती हैं.
हम दोनों में बहुत प्यार है. हम दोनों एक ही रूम में अलग अलग बेड पर सोते हैं और वहीं अपनी पढ़ाई भी करते हैं.

दीदी ने मुझको पढ़ाई में बहुत हेल्प की है.
ऐसे में दीदी के प्रति मेरे मन में कभी भी बुरा ख्याल नहीं आया था.

कभी कभी पढ़ाई करते करते मैं दीदी के बेड पर ही सो जाता था.
दीदी भी मुझको नहीं उठाती थीं और मुझको अपने बिस्तर पर ही सोने देती थीं.
ऐसा अक्सर होता रहता था.

यह बात कुछ दिन पहले की है.

एक दिन ऐसे ही दीदी के साथ ही सोया हुआ था.
उसी वक्त मेरी नींद किसी वजह से खुल गई.
मैंने देखा कि दीदी अपना एक पैर मेरे शरीर पर चढ़ा कर लेटी हुई हैं और मुझे जोर से पकड़कर सो रही हैं.

यह मुझको जरा अजीब सा लग रहा था लेकिन मैंने दीदी को ऐसे ही सोने दिया.

ऐसे सोने में मुझको भी अच्छा लग रहा था कि कोई लड़की मुझको अपनी बांहों में सुला रही है.

वह रात तो ऐसे ही बीत गई लेकिन एर अन्दर हलचल मच गई थी और उस दिन शायद पहली बार मैंने अपनी दीदी के जिस्म की गर्माहट का अहसास किया था.

उसके बाद जब भी मैं दीदी के साथ सोता तो इस बात को देखता था कि मेरी दीदी मेरे साथ ऐसे ही चिपक कर सोती थीं.
मुझको भी बहुत मज़ा आने लगा था और ऐसे में मेरा लंड खड़ा होने लगा था.

शुरुआत में तो नहीं लेकिन बाद में मैं कुछ ही देर में अपनी चड्डी में ही झड़ जाता था.
इतना सब होने के बाद भी मैं दीदी के साथ कुछ नहीं करता था.

कुछ दिन ऐसे ही ये सब चलता रहा.
मैं भी दीदी को इस बारे में कुछ नहीं बोलता और न ही दीदी कुछ बोलतीं.

फिर एक दिन मैं दीदी के पास सोया हुआ था.
इस बार मैंने जानबूझ कर दीदी के ऊपर अपना पैर चढ़ा दिया और एक हाथ दीदी के बूब्स पर रख दिया.

जब उनकी तरफ से कोई प्रतिकार नहीं हुआ तो मैंने उनका एक दूध दबा भी दिया.

दीदी अभी भी कोई रियेक्ट नहीं कर रही थीं.
इससे मेरा मनोबल और बढ़ गया.

मैंने कुछ देर बाद अपना एक हाथ दीदी की पैंटी में डाल दिया और उनकी चूत सहलाने लगा.

दीदी आराम से सो रही थीं और कोई रियेक्ट भी नहीं कर रही थीं.

कुछ देर बाद मैंने दीदी को हिलता हुआ सा देखा तो अपनी दम साधे उसी पोजीशन में लेटा रहा.
तभी दीदी ने अपने पैरों को थोड़ा और फैला दिया, इससे उनकी चूत सहलाने में मुझे आसानी हो गई.

मेरा हाथ अभी भी दीदी की पैंटी में ही घुसा हुआ था तो मैंने उनकी फैली हुई टांगों के बीच चिकनी चूत को और आसानी से सहलाना शुरू कर दिया.

कुछ देर बाद दीदी की चूत गीली हो गयी और दीदी झड़ गईं.

उनके झड़ते समय उनका जिस्म थोड़ा अकड़ भी गया था, जिसे मैंने बखूबी महसूस भी किया था.

इससे मुझे बेहद सनसनी हुई थी और मैं भी अपने लौड़े को हिला कर सो गया था.

ऐसे ही ये सब बहुत दिन तक चलता रहा.
अब भी हम दोनों इससे आगे नहीं बढ़ रहे थे.
न ही दीदी की तरफ से कुछ सिग्नल मिल रहा था और न ही मैं कुछ ज्यादा कर पा रहा था.

फिर एक दिन पढ़ाई करते करते मैं दीदी के पास ही सो गया.
रात के दो बजे के आसपास मेरी नींद खुल गई.

दीदी मुझको पकड़ कर आराम से सो रही थीं.
मैंने दीदी को साइड में कर दिया और उठ कर लाइट ऑन की, उन्हें एक बार गौर से देखा.
आज दीदी नाइटी पहन कर सोई थीं.

मैं बाथरूम में जाकर पेशाब करके वापस आकर दीदी के पास ही लेट गया.

कुछ देर बाद मैंने दीदी की नाइटी को उठाया तो देखता ही रह गया.
दीदी ने आज पैंटी नहीं पहनी थी.

मैं आज पहली बार किसी लड़की की नंगी चूत देख रहा था.
दीदी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और एकदम पिंक चूत थी.

चूत देख कर मन कर रहा था एक किस ले लूँ … पर डर लग रहा था कि अगर दीदी जाग गईं तो मेरी तो कहानी लिख जाएगी.

हालांकि मुझको पता था कि दीदी को सब पता है, वे सोने का नाटक कर मजे लेती हैं.
तब भी मेरी गांड फट रही थी.

कुछ देर तक मैंने सोचा, फिर दीदी के पैरों के बीच में आ गया.
मैंने दीदी के पैर फैला कर उनकी चूत पर एक किस किया.

किस करते समय मैंने ध्यान से देखा कि दीदी के पूरे शरीर पर करंट सा दौड़ गया था.
मैं रुक गया.

फिर कुछ पल बाद देखा कि दीदी बड़े आराम से अपनी चूत खोले सो रही हैं.

अब मैं दीदी की चूत को अच्छे से देखने लगा.
उनकी चूत बहुत टाइट थी और चूत की फाँकें बहुत मोटी थीं.

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दीदी की चूत का छेद बहुत छोटा सा था; यानि दीदी अभी तक किसी से नहीं चुदवाई थीं.

यह देख कर मैं बहुत खुश हुआ कि दीदी की चूत की सील मैं ही तोड़ूँगा.

उसके बाद मैंने दीदी की चूत को दो तीन बार चूमा मगर दीदी ने अपनी आंखें नहीं खोलीं और न ही कुछ प्रतिक्रिया की.

मैंने अपनी जीभ से चूत को चाट लिया … तब भी कुछ नहीं हुआ.
बस मैं समझ गया कि दीदी सोने का ड्रामा कर रही हैं और चूत का काम चौबीस किया जा सकता है.

मैं अब बिंदास अपनी बहन की चूत को चूसने लगा था.
दीदी की चूत की बड़ी ही कामुक खुशबू थी जो मुझको मदहोश कर रही थी.
मैं भी मस्त होकर चूत चूसने में लगा था.

उसी दौरान एक बार तो दीदी के मुँह से आह भी निकल गई थी लेकिन मैंने देखा कि दीदी अपनी आंखों को जोर से बंद की हुई हैं.
इससे सब समझ में आ गया कि दीदी जाग रही हैं और अपनी चूत चुसाई का मजा ले रही हैं.

फिर चूत चूसते चूसते देखा कि दीदी के शरीर में ऐंठन आने लगी है और दीदी जोर जोर से सांस लेने लगी हैं.
मैं समझ गया दीदी झड़ने वाली हैं.

फिर 5 मिनट बाद दीदी झड़ गईं और मेरे मुँह में उनके नमकीन माल का बाद ही मस्त स्वाद आया.
मुझे बहुत मज़ा आया.

मैंने दीदी की चूत की पूरा पानी चाट चाट कर पी लिया और बाद में भी दीदी की चूत को चूसता रहा.

कुछ देर बाद मैं अपना लंड दीदी के चूत पर रगड़ने लगा, दीदी की चूत के छेद में लंड सैट कर अन्दर डालने लगा.
अब दीदी ने करवट ले ली.

शायद दीदी अभी अपनी चूत में लंड नहीं लेना चाहती थीं; वे अभी सेक्स नहीं करना चाहती थीं … बस अपना चूत चुसवा कर मजे लेना चाहती हैं.

मैंने भी उनकी भावना को समझा और उनकी चूत देख कर अपना लंड हिलाया और माल निकाल कर दीदी के बाजू में ही सो गया.

दीदी ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया.
हम दोनों भाई बहन सो गए.

अगली रात फिर से मैंने दीदी की चूत चूसी और उन्हें झाड़ कर चूत का रस चाट लिया.

ऐसे ही हम दोनों भाई बहन का चूत चुसवाने का खेल चलता रहा.

फिर एक दिन मैं दीदी के पास सोया हुआ था.

दीदी रात में नाइटी पहन कर सोने लगी थीं लेकिन आज दीदी ने पैंटी भी पहनी थी.
मैँ दीदी के बूब्स दबाने लगा और उनके एक दूध को नाइटी के ऊपर से ही चूसने लगा.

फिर मैंने दीदी की गर्दन में किस किया और उनके होंठों को चूम लिया.

इसके बाद मैं दीदी की नाइटी उतारने लगा तो देखा कि दीदी खुद से अपना जिस्म उठा कर नाइटी उतारने में मेरी हेल्प कर रही हैं.
मैंने दीदी की नाइटी को उतार दिया.

मेरे सामने मेरी दीदी ब्रा और पैंटी में थीं. उनकी ब्रा और पैंटी दोनों रेड कलर की थीं और दीदी बहुत सेक्सी लग रही थीं.
ऐसा लग रहा था मानो हुस्न की परी मेरे सामने लेटी हुई है.

मैंने दीदी की ब्रा को भी उतार दिया.
उनके दोनों दूध एकदम तने हुए थे.

मैंने दीदी के मम्मों को खूब चूसा और मसल मसल कर लाल कर दिया.

दीदी आंख बंद करके मजे ले रही थीं उनकी हल्की हल्की आह आह भी निकल रही थी.
उसके बाद मैं अपनी दीदी की पैंटी उतारने लगा.

दीदी ने अपनी गांड उठा कर पैंटी उतरवाने में भी हेल्प की.
अब दीदी बिल्कुल नंगी थीं.

मैंने अपनी दीदी के पूरे शरीर को किस किया और बाद में मैं दीदी की चूत को चूसने लगा.

दीदी अपने मुँह को जोर से हाथ से दबा कर रखी थीं ताकि कामुक सिसकारियां ना निकलें.
तब भी थोड़ी तो निकल ही जा रही थीं.

कुछ देर बाद दीदी ने अपनी चूत की मलाई मेरे मुँह में ही छोड़ दी और मैं दीदी की चूत का खट्टा रस पी गया.

दीदी की चूत चूसे जाने से पूरी लाल हो गई थी.
अब मैंने दीदी की चूत के ऊपर ही अपना लंड हिलाना चालू किया और मुठ मार कर उनकी चूत के ऊपर ही टपका कर नंगा सो गया.

फिर से कुछ दिन तक हम दोनों भाई बहन का ऐसे ही ये खेल चलता रहा.

सुबह सोकर उठने के बाद हम दोनों भाई बहन ऐसे रहते थे मानो हम दोनों कुछ करते ही नहीं हैं.
मतलब एकदम नार्मल रहते थे.

फिर एक दिन मैंने दीदी की चूत चूस कर आधे रास्ते में छोड़ दी.
दीदी व्याकुल हो उठीं.

मैंने उनके दूध चूसना शुरू किए और उसके बाद उनके कान को चूसते हुए कहा- दीदी, मुझे लंड अन्दर पेलना है.
दीदी कुछ नहीं बोलीं.

मैंने दांव खेला और कहा- यदि चूत चुसवानी है तो लंड भी चूसना पड़ेगा!
दीदी ने अब भी कुछ नहीं कहा.

मैंने कहा- मैं लेट रहा हूँ तुम मेरे लंड को चूसो.
ये कह कर मैं लेट गया.

कुछ मिनट बाद दीदी ने अपने हाथ से मेरे लौड़े को सहलाया.
मैंने टांगें फैला दीं.

दीदी ने अपनी जीभ से लंड के सुपारे को चाटा तो पापा कसम लंड हिचकोले खाने लगा.
और दीदी ने मेरे लौड़े को चूसना शुरू किया तो मैंने उनके सर पर हाथ रख कर लंड पर दबा दिया.

दीदी गोंगों करने लगीं.
यह मेरी चाल थी कि दीदी मुझसे कुछ कहें.

वही हुआ दीदी ने लंड से मुँह हटाया और बोलीं- चूस तो रही हूँ. तुम मुझे दबाओ नहीं!
मैंने भी कहा- अब जब लंड चूत को चूसना ही है तो क्यों न एक साथ चूसें?

दीदी कुछ नहीं बोलीं, बस मुस्कुरा दीं.
मैंने दीदी को अपनी बांहों में भर लिया और उन्हें प्यार करने लगा.

दीदी बोलीं- ये सब किसी को बताना नहीं!
मैंने कहा- यह भी कोई बताने वाली बात है क्या?

वो हंस दीं और हम दोनों 69 में आकर एक दूसरे का लंड चूत चूसने लगे.
दोस्तो, हम दोनों भाई बहन में अब खुल कर चुसाई चलने लगी थी.

दीदी अभी चुदाई करवाने के मूड में नहीं हैं. मगर उन्होंने वादा किया है कि चूत की ओपनिंग वो मेरे लौड़े से ही करवाएंगी.
जब मैं अपनी दीदी की चूत की सील तोड़ूँगा, तब वह सेक्स कहानी आपको जरूर बताऊंगा.

आपको मेरी दीदी की पुसी लिक कहानी कैसी लगी, प्लीज बताएं.
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