दो चचेरी बहनों के साथ मस्त चुदाई- 2

बाथरूम में गांड चुदाई कहानी में मेरे साथ दो चचेरी बहनें सेक्स का मजा ले रही थी. चुदाई के बाद आराम करने के बाद हम बाथरूम में गए तो वहां मैंने गांड चुदाई का मजा लिया.

दोस्तो, होली के अवसर पर मैं लकी आपको दो कामुक लड़कियों के साथ चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
सेक्स टॉय से चुदाई का मजा
में अब तक आपने पढ़ा था कि किस तरह से मैंने सोनू की कुंवारी गांड मार ली थी और हम तीनों थक कर लेट गए थे.

अब आगे Bathroom me Gand Chudai Kahani:

कुछ देर बाद मैं हिम्मत करके उठा और तीन बीयर मग्स में अनार का जूस और एक प्लेट में भुने हुए मेवे लेकर आया.

खाने पीने के बाद हम लोग कुछ स्वस्थ हुए.

‘अब गुस्सा थूक दो मेरी जान, गांड मरवाने वाली तुम पहली लड़की नहीं हो! कई लड़कियां तो प्रेग्नेंसी और गर्भ निरोधक गोली के साइड इफ़ेक्ट्स से बचने के लिए चूत के बदले गांड मरवाना ही पसंद करती हैं. अब देखो अपनी पिंकू ही कितना पहले ही अपनी दोनों सीलें तुड़वा चुकी है.’

मैंने अभी तक कुछ इस गुदा चुदाई के नए तजुर्बे के थ्रिल और कुछ दर्द और बेबसी को याद करके हकबकाई, खट्टे मीठे के मिश्रित अहसास के साथ किसी सोच में बैठी सोनू को मनाने कि कोशिश की.

‘मैं अननेचुरल सेक्स बिल्कुल पसंद नहीं करती.’
सोनू मुझे अभी तक गुस्से से घूर रही थी.

मैं उसके अनजाने में ही चूतड़ हिला हिला कर सहयोग को याद करके मुस्कुराने लगा.

‘हाथ कंगन को आरसी क्या? अभी डेमो दे देते हैं.’
पिंकू ने भी सुर में सुर मिलाया.

लेकिन मैं अभी तक के जोरदार सेशन के बाद कुछ निढाल और अनमना महसूस कर रहा था.

पिंकू मेरी हिचकिचाहट नोटिस करके बनावटी गुस्से से चिल्ला कर बोली- लकी, बड़े चालाक बनते हो? तुम्हारी बारी तो रह ही गई, तुम पांसे नहीं डालोगे? पांसे फेंको पहले!
सोनू के होंठों पर भी कुछ मुस्कान आई.

उसके गुस्से को पूरी तरह दूर करने के लिए मैंने बिना नानुकुर के पांसे फेंके.

इत्तेफाक से मेरे दोनों ही पांसों में क्वेस्चन मार्क आ गया.
अब मैं पूरी तरह उनके रहमो करम पर था और वे दोनों मेरा कोई भी अंग लेकर उस पर कोई भी मनचाही कारगुजारी कर सकती थीं.

खैर … क्या करता? खेल तो मेरा ही शुरू किया हुआ था.

आपस में काफी देर तक खुसुर-पुसुर करने के बाद पिंकू ने मेरे लंड और सोनू ने निप्पलों को चुना और चूसने का फैसला किया.

अब आपस में हुए सलाह मशवरे के मुताबिक, सोनू ने मेरे निप्पलों को हल्के होंठों से किस देना शुरू किया और पिंकू ने यही काम मेरे लंड और ट्टटों पर करना चालू कर दिया.

दोनों के होंठों का दबाव धीरे धीरे बढ़ता हुआ सख्त रगड़ में बदलता जा रहा था लेकिन किसी ने अभी तक चूसना शुरू नहीं किया था.

सोनू अपने अधरों को थोड़ा सा खोल कर मेरे निपल्स पर रखती.
लेकिन जैसे ही मैं चूसे जाने की उम्मीद करता, वह अपना मुँह हटा लेती और मुझे एक नटखट स्माइल देते हुए दूसरे निप्पल पर कुछ और करने लगती.

उसका यह नया नटखटपन देख कर मैं खुश भी हो रहा था लेकिन उत्तेजना से तने हुए मेरे निपल्स सोनू के होंठों से पिसने के लिए तड़प भी रहे थे.
उसने अपनी आदत के मुताबिक ही मेरी ज़बरदस्ती का बदला अपनी मीठी हरकतों से मुझे परेशान करके लेना शुरू कर दिया था.

उधर पिंकू मेरे लंड और पोतों पर अपनी कुशल कारीगरी दिखा ही रही थी.
उसके तजुर्बेकार होंठों की कारीगरी से मेरा लौड़ा भी लोहे की रॉड की तरह तन गया था.

लेकिन जैसे ही उसको लगता कि मैं झड़ने वाला हूँ, वह अपने होंठ हटा लेती और मेरे लंड की जड़ को अपनी तर्जनी और अंगूठे से ज़ोर से भींच लेती.
कुल मिला कर मेरी हालत दयनीय थी.

मेरा लंड और निपल्स इस तरह फनफना रहे थे मानो शरीर छोड़ कर बाहर ही निकल पड़ेंगे.
मेरे मुँह से भी ‘आह उफ्फ् शह्ह् …’ जैसी आवाजें निकल रही थीं.

‘अब डेमो दिया जा सकता है.’ सोनू की गांड चुदायी को देख कर बड़ी देर से अपनी गांड की खुजली मिटाने को बेताब पिंकू ने कहा.

वह मुझे फिर से एक और लंबी रेस के लिए तैयार कर चुकी थी.
‘नेकी और पूछ पूछ!’ मैंने हंसते हुए कहा और एक सीधी बैक वाली कुर्सी पर बैठ गया.

पिंकू आकर मेरे लौड़े को हल्के हल्के सहलाती हुई मेरे सामने बैठ गई.
अपनी जीभ से लंड को चाट चाट कर और उसको अपने मुँह में भर कर अपने थूक से तर करने लगी.

काफी देर तक ऐसा लाड़ दुलार दिखने के बाद उसने ढेर सारी लार मेरे लौड़े पर थूकी और पलट कर कर मेरे लंड को अपनी गांड पर सैट करके, मेरे सीने पर अपनी पीठ को रगड़ती हुई आहिस्ता आहिस्ता बैठती चली गई.
सामने आईने में उसके चेहरे पर तनिक भी दर्द के भाव नहीं थे … बल्कि खुजली मिटने की भारी राहत सी दिखाई दे रही थी.

मुझे तो मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरे लंड को किसी मखमली कपड़े में लपेट दिया गया हो.

अभी अभी कामरस से भीगी फुहार छोड़ती चूतों की चुदाई के बाद यह सूखी मखमली सुरंग से एक ताजा बदलाव महसूस हो रहा था.

वैसे थोड़ी देर पहले ही सोनू की गांड की भी सील तोड़ी ही थी लेकिन वहां भी जैली और खून का गीलापन मौजूद था.

पिंकू ने धीरे धीरे मेरे लौड़े पर ऊपर नीचे उठना बैठना चालू कर दिया.

मुझे कुछ नहीं करना पड़ रहा था और मैं उस मखमली सुरंग के जरिए हो रही अपने सांप की मसाज को एंजॉय कर रहा था.

पिंकू कभी दायें बाएं होती, तो कभी आगे पीछे एक लय में हिलती, तो कभी अपनी सुरंग को मेरे लंड के चारों तरफ गोल गोल घुमाती हुई मेरे मूसल से अपनी ओखली की कुटाई करने लगती.
ऐसा लग रहा था मानो उसकी पूरी गांड में खुजली हो रही हो और उसे मेरे लंड से खुजा रही हो.

मैंने पीछे से हाथ बढ़ा कर पिंकू की चूत में उंगली डाल कर चेक किया, तो वहां पर कामरस का झरना बह रहा था.
धीरे धीरे मैंने अपनी उंगलियों से उसकी कामकणिका को मसलना और उसकी चूत की चुदाई भी शुरू कर दी.

‘इधर आकर देखो, गांड चुदवाने से भी स्खलन का मज़ा लिया जा सकता है.’ मैंने दूर से ही यह नज़ारा देख रही सोनू को पास बुलाया और उसका हाथ पकड़ कर उसकी उंगलियां पिंकू की चूत में घुसवा दीं.
सोनू अविश्वास के साथ कभी मुझे, तो कभी पिंकू को देख रही थी.

मैंने सोनू का मुँह पिंकू की चूत से लगाया तो वह खुद ही बढ़-चढ़ कर पिंकू की क्लिटोरिस को चूसने लगी और अपनी जीभ से उसकी चूत चुदाई करने लगी.
पिंकू का तो मारे उत्तेजना के बुरा हाल था.

एक के बाद एक झटके आ रहे थे और मुँह से आह उफ्फ् श्हह्ह् जैसी आवाज़ें निकल रही थीं.

ऐसे में मैं तो उसके पीछे से उसकी चूचियों और निप्पलों की मसाज कर रहा था लेकिन वह अपने हाथों से सोनू का सिर सहलाने के अलावा उनका और कुछ उपयोग नहीं कर पा रही थी.

हालांकि मैंने उसके पूरे शरीर को पीछे से बांहों में भर कर अपने साथ चिपका कर दबोच रखा था, फिर भी उसकी ऐसी उछल कूद से मेरे लिए उसको सम्हालना मुश्किल हो रहा था.

मुझे यह डर भी लग रहा था कि कहीं मेरे लंड को ही कोई चोट न लग जाए.

मेरे कहने पर सोनू जैसे ही उसके सामने खड़ी होकर कुछ करने का सोचती, पिंकू ने उसकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसना और बुर को उंगली से चोदना शुरू कर दिया.

इससे उसका खुद का उछलना कूदना कुछ कम हुआ और मैंने राहत की सांस ली.
खुद ही मैंने आगे मुँह बढ़ा कर सोनू के दूसरे चूचुक को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा.

दोनों चूचियां एक साथ चूसी जाना … एक पर पुरुष, तो दूसरी पर स्त्री की जिव्हा का और होंठों का स्पर्श … और साथ साथ चूत की उंगली वाली चुदाई … आह … सोनू पर क्या बीत रही थी पता नहीं!
लेकिन मेरे दोनों हाथों में पिंकू के दोनों दूध के कटोरे, मुँह में सोनू का निप्पल और लंड पर मखमली रगड़ाई चल रही थी.

इससे मुझे मेरी पांचों उंगलियां घी और सिर कढ़ाई में महसूस हो रहा था.
लेकिन मेरी यह खुशी ज्यादा देर नहीं चली, क्योंकि थोड़ी ही देर बाद पिंकू ने तड़प कर सोनू को बुरी तरह दबोच लिया और भींच भींच कर हग करने लगी.

सोनू ने मेरी तरफ एक झेंपती हुई मुस्कान फेंकी, तो मैंने भी उसके नर्म गालों को प्यार से खींचते हुए एक भरपूर चुंबन ले लिया.
मुझे एक और आइडिया आया और मैं पिंकू की गांड में लौड़ा पिरोए हुए ही उठ कर खड़ा हो गया.

लेकिन इससे यह हुआ कि छोटे कद की पिंकू अपने पैर हवा में लहराती हुई मेरे लौड़े पर टंग सी गई.
मैंने फिर से बैठते हुए, सोनू को पिंकू की पेंसिल हील वाली सैण्डलें लाकर उसे पहनाने को बोला.

अब हाइ हील सैन्डलों को पहनने के बाद पिंकू फर्श पर आसानी से खड़ी हो गयी थी.
मैंने मस्ती से उसकी चूचियों को मसलते हुए कमरे में टहलना शुरू कर दिया.

उसको थोड़ा आगे की तरफ झुका कर घोड़ी की सवारी का नाटक करते हुए उसके चूचुकों को घोड़ी की लगाम की तरह जिधर मोड़ना होता, उधर वाले निप्पल को खींच देता.
उसकी टांगों के आगे पीछे हिलने से उसकी गांड में पड़े मेरे लौड़े की भी अच्छी मालिश हो रही थी.

मैंने म्यूजिक भी शुरू कर दिया और उसी हालत में हमने डांस भी किया.

पिंकू भरपूर आनन्द उठाती हुई पूरा पूरा सहयोग दे रही थी और बार बार सीधी खड़ी होकर अपनी पीठ मेरी छाती से रगड़ रही थी.
उसकी गांड में लौड़ा पड़ा होने के बावजूद पिंकू को इस तरह एंजॉय करती देख कर सोनू ताज्जुब भरी नज़रों से उसे निहार रही थी.

अभी ताज़ा ताज़ा गांड की सील टूटने का दर्द और झटका शायद अभी तक गया नहीं था.
मैंने सोनू को भी खींच कर अपने साथ लिपटाते हुए उसके होंठों से अपने होंठ सिल दिए.

फिर एक की गांड में लौड़े की रगड़ का सुख लेने लगा … तो दूसरी के मुँह में जीभ से चुदाई करते हुए डांस करने लगा.

हम तीनों एक ही शरीर के समान एक साथ बहुत देर तक म्यूजिक पर थिरकते रहे.

अब मेरे लिए भी खुद को रोकना बस के बाहर होता जा रहा था.
मैं भी ‘आह उईईई …’ की तेज आवाज़ निकालते हुए स्खलित हो गया.
हम तीनों ही एक के ऊपर एक फर्श पर ही गड्डम-गड्ड होकर पड़ गए.

बहुत देर तक ऐसे ही नीम बेहोशी में रहने के बाद मैंने आंखें खोल कर पिंकू की तरफ देखा, तो वह कुनमुना रही थी.
उसके पीछे वाले छेद से अभी भी मेरा वीर्य बूंद बूंद करके रिस रहा था.

शाम अब रात में बदलने को थी.
मैं धीरे से उठ कर गीजर ऑन करने के लिए बाथरूम में चला गया.

खटपट सुन कर दोनों तितलियों ने भी आंखें खोलीं और घड़ी देखती हुई उठ कर बैठ गईं.

‘शॉवर टाइऽऽम …’
मैंने अनाउंस किया और दोनों को लगभग धकेलता हुआ बाथरूम में ले गया.

शॉवर पैनल ऑन करके हम लोग एक दूसरे के बदन पर साबुन मलने लगे.

एक दूसरे की पीठ छातियों और गुप्तांगों पर साबुन लगाया.
फिर मुझे सोनू की गांड चुदाई के प्रति बदली हुई सोच को परखने के लिए एक शरारत सूझी तो उसके पीछे खड़े होकर उसकी पीठ की रगड़ाई करने लगा.

उसके आगे हाथ बढ़ा कर उसकी चूचियों और चूत को भी रगड़ा.

पिंकू भी कहां पीछे रहने वाली थी.
वह भी मेरे पीछे आकर अपनी गुदाज छातियों से ही मल-मल कर मेरी पीठ साफ करने लगी.

यूं ही सोनू की पीठ पर साबुन का झाग बनाते बनाते ही मैंने उसे आगे झुकाया और उसके नितंबों पर साबुन मलने लगा.
फिर धीरे से उसकी गांड में भी उंगली शुरू कर दी.

थोड़ी देर बाद उंगली पकड़ कर पौंचा पकड़ने की कहावत के अनुसार उसके छेद में दो उंगलियां घुसा कर उसे चौड़ा करने लगा.
सोनू की समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करे.

वैसे यह कोई बड़ी बात भी नहीं थी.
हम लोग वैसे भी हर सेक्स सेशन के पहले और बाद एक दूसरे को नहलाते ही रहे हैं.

पहले दो फिर तीन उंगलियों को अच्छी तरह नहाने वाले जैल में तर करके उसकी गांड में घुसा दीं.

गांड की मसाज करते हुए जब उसकी गांड का छल्ला कुछ ढीला सा लगा, तो मैंने एक बार फिर अपना लौड़ा उसके छेद पर टिका कर पूरी ताकत से अन्दर पेल दिया और साथ ही उसको अपनी ओर खींचते हुए अपने बदन से चिपका लिया.

‘उई ईई ईई ईए आह्ह्ह …’ उसके मुँह से फिर चीख तो निकली.

लेकिन इतने साबुन और इतनी देर से मसाज से उसकी सुरंग इतनी चिकनी और चौड़ी हो गई थी … और मांस पेशियां इतनी ढीली हो गई थीं कि मेरा लंड बिना किसी परेशानी के अन्दर तक घुसता चला गया.

अब मझोले कद की होने के बावजूद लड़की की हाइट लड़के से कुछ तो कम होती ही है … इसलिए वह पंजों के बल उचकने के बाद भी मेरे लंड पर टंग सी गई.

इसी के चलते उसके अपने वज़न से ही मेरा लौड़ा पूरी तरह उसकी गांड में घुस गया.

उस पर पिंकू, जो कि सोनू की गांड पर मेरी बाथरूम गांड फक की कारस्तानियों को देख कर सतर्क हो गई थी, तेजी से आगे आई और सोनू को बीच में सैंडविच बनाते हुए हम दोनों से लिपट सी गई.

मैंने ऊपर नीचे धक्के लगाते लगाते अचानक हाथ बढ़ा कर शॉवर को वार्म से चिल्ड पर कर दिया.
एकाएक ठंडे पानी की फुहार पड़ते ही तीनों को सुरसुरी आ गई लेकिन साथ ही साथ उत्तेजना का भी एक और झटका आया.

हम तीनों के ही निपल्स कुछ ठंड और कुछ उत्तेजना से तने हुए थे … और मैं चार चार निपल्स को बारी बारी उमेठ रहा था, एक दूसरे से रगड़ रहा था.

सोनू की तो पीठ मेरी तरफ थी और नीचे से मेरा खंभा भी उसकी गांड में घुसा हुआ था.
लेकिन पिंकू हाथ बढ़ा कर मेरे निपल्स को उमेठती हुई बदला चुका रही थी.

सोनू की हालत देखने काबिल थी.
उसने अपने हाथों से पिंकू के कंधों का सहारा लिया हुआ था और अपने गाल उसके सिर पर टिका रखे थे.

पंजों के बल खड़े खड़े थक जाने पर जैसे ही एड़ियां फर्श पर टिकाती, मेरा लौड़ा और अन्दर तक धंस जाता.
उससे बचने के लिए फिर पंजों पर उचकती.

उसका चोदन उसी के बदन के ऊपर नीचे होने से हो रहा था.

आज तीन तीन बार झड़ चुकने के कारण मेरा लौड़ा भी चौथी बार झड़ने में नखरे दिखा रहा था.

आखिर में मैंने अपना सामान बाहर निकाला और वह दोनों उसे चूस चूस कर झड़वाने की कोशिश करने लगीं.
पिंकू मेरे पोते हल्के हल्के से भींच रही थी.

सोनू का भी इतने प्यार से मुझे नटखट मुस्कान देते हुए और मेरे लौड़े को चूसना देख कर मुझे उससे माफी मिल जाने का पूरा अहसास हो गया था.

आखिर में मैं सोनू के मुँह में झड़ ही गया.

‘अभी गटकना नहीं!’ पिंकू ने चिल्ला कर बोला और जल्दी से सोनू के होंठों से होंठ मिला कर डीप किसिंग करने लगी.

दोनों तब तक एक दूसरे के मुँह में जीभ डाल डाल कर घुमातीं और चूसती रहीं, जब तक मेरे माल का आधा आधा बंटवारा नहीं कर लिया और उसे गटक नहीं गईं.

इसके बाद हम लोगों ने तौलिया से एक दूसरे के बदन को सुखाया और कपड़े पहन कर एक दूसरे से विदा ली.

कल रविवार है.
मैं आज स्कॉच के दो पैग लगा कर रात भर और कल पूरे दिन सोऊंगा.
नेटफ्लिक्स पर कोई सस्पेंस थ्रिलर मूवी देखूंगा और सोमवार से अपने काम पर लग जाऊंगा.

वे दोनों भी अपने अपने प्रोफेशन में व्यस्त रहेंगी.

अगले हफ्ते देखते हैं कि क्या प्रोग्राम बनता है.
आपको इस सत्य संस्मरण वाली बाथरूम में गांड चुदाई कहानी को पढ़ कर कैसा लगा, प्लीज बताएं.
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हॉट कपल का सेक्सी रोमांटिक सेक्स