दो चचेरी बहनों के साथ मस्त चुदाई – 1

वाइल्ड सेक्स इन गेम प्ले का मजा मैंने अपनी दो गर्लफ्रेंड के साथ लिया. दोनों आपस में चचेरी बहनें थी, कमसिन जवान थी, मुझसे कई बार चुद चुकी थी.

दोस्तो, होली के अवसर पर मैं लकी आपको सोनू और पिंकू के साथ रंगीन चुदाई की कहानी
दो चचेरी बहनों के साथ रंगीन होली
सुना रहा था.

अब इसमें उन दोनों के साथ पांसों (Dice) का खेल का मजा किस तरह से लिया गया, इसे इस वाइल्ड सेक्स इन गेम प्ले कहानी में पढ़ें.

फ्रेंड्स, पिछली बार जब मैं अपने फ़ॉरेन टूर पर गया था, तो कुछ सेक्स ट्वाएज़ लेकर आया था.
उनमें लूडो जैसे पांसे भी थे. उन पांसों में एक पर अंगों के नाम जैसे निपल्स/ब्रेस्ट, लंड/चुत, क्लिट/बाल्स, लिप्स, हिप्स और दूसरे पर उन अंगों पर की जाने वाली गतिविधियां लिखी थीं. उन पर चाटो, काटो, चूसो, मसाज करो, चूमो आदि भी लिखा हुआ था.

दोनों ही पांसों की छठी साइड पर एक ‘?’ का निशान बना हुआ था, जिसका मतलब खिलाड़ी के पास अपनी मर्ज़ी से कोई भी शब्द चुनने का विकल्प था.
आज पिंकू और सोनू के साथ उन्हीं पांसों के साथ खेल करने की योजना बनी.

मैं तो खेल को दुकानदार से समझ आया था, लेकिन इन दोनों के लिए सरप्राइज़ ही रखा था.
दोनों ही बहुत ही जोश में थीं.

खैर … शाम की चाय पीने और कुछ देर गपशप करने के बाद हम तीनों ही बेडरूम में चले गए.

मैंने अभी भी सरप्राइज़ बनाए रखते हुए पहले दोनों को आंखें बंद करने को बोला.

फिर सोनू के हाथ में दोनों सेट्स का एक एक पांसा थमा कर, उसे लूडो की तरह फेंकने को बोला.
‘अब आंखें खोलो.’

मेरी आवाज पर उन्होंने अपनी आंखें खोलीं और एकदम से भौंचक्की रह गईं.

सोनू के एक पांसे पर ‘हिप्स.’ और दूसरे पांसे पर ‘चूसो।‘ आया था.

पिंकू ने एक नटखट मुस्कान के साथ सोनू को इशारा किया और सोनू सकुचाती हुई अपने हिप्स उसकी तरफ करके खड़ी हो गई.
पिंकू ने पहले तो जींस के ऊपर से ही अपने होंठ थोड़े से रगड़े, फिर सोनू की जींस उतारने की कोशिश करने लगी.

‘पांसे में कपड़े उतारने की कोई बात नहीं लिखी है.’ सोनू ने विरोध किया.
‘लेकिन जींस के ऊपर से चूसा कैसे जाएगा जानेमन?’
मैंने उसके सूजे हुए मुँह पर एक चुम्मी देते हुए कहा और मैंने पिंकू के साथ मिल कर उसकी जींस उतार फेंकी.

फिर उसे बिस्तर पर आराम से पेट के बल लेटने का सुझाव दिया.
पिंकू ने मजे ले लेकर सोनू के नितंबों पर अपने होंठों से हल्के हल्के चूसना शुरू कर दिया.

वह धीरे धीरे बाएं नितंब से शुरुआत करके छोटे छोटे हिस्सों को इस तरह चूस रही थी कि एक इंच स्किन भी अछूती ना रहे.
मैं बगल में ही बैठ कर पिंकू के गाल सहला रहा था और उसके बालों को पीछे हटा हटा कर उसके काम को भी आसान कर रहा था.
साथ ही मैं खुद भी इस दिलकश नज़ारे का आनन्द ले रहा था.

धीरे धीरे पिंकू के होंठों का दबाव बढ़ रहा था और वह और ज्यादा जोश के साथ सोनू के मांसल नितंबों को अपने मुँह में भर भर कर ज़ोर ज़ोर से चूस रही थी.

‘दांत नहीं लगने चाहिए, उसका ऑप्शन अलग है!’
मैंने याद दिलाया.

पेट के बल लेटी सोनू ने अपना चेहरा तकिया में छुपा रखा था लेकिन उसकी तेज होती सांसों से उसकी गहराती हुई उत्तेजना का अंदाज़ा हो रहा था.
थोड़ी देर बाद मैंने भी एक चूतड़ का जिम्मा सम्हाला और उसको हल्के हल्के चूसना शुरू कर दिया.

अब मैंने और पिंकू ने एक एक नितंब को बांट कर उन पर अपनी चुसायी की करामात दिखानी शुरू कर दी.
सोनू के सुनहरे रंग के चूतड़ बिल्कुल लाल हो चुके थे और उसकी गहरी गहरी सांसों और ‘आह्ह उफ्फ् श्ह्ह्ह्ह् ह्ह् …’ की सिसकारियों से उसकी उत्तेजना का पता चल रहा था.

किसी को केवल नितम्ब चूस कर ही स्खलन करवाया जा सकता है, इसका अंदाज़ा मुझे भी नहीं था.

‘अब बस भी करो, मेरे हिप्स खा ही जाओगे क्या?’
सोनू ने हमारा ध्यान भंग किया.

‘लेकिन मैंने तो अभी शुरू ही किया है, पूरा मज़ा लिया ही नहीं!’
मैंने बनावटी विरोध किया.

‘खैर … अब छोड़ भी दो लकी, नहीं तो बेचारी कहीं बैठने लायक भी नहीं रहेगी!’ पिंकू ने हंसते हुए कहा.

हम लोग हंसते हुए अलग अलग लेट कर सुस्ताने लगे.
अब पिंकू की बारी थी. पिंकू ने आंखें बंद करके पांसे डाले.

उसके एक पांसे पर ‘लिप्स’ और दूसरे पर ‘चूसो’ लिखा हुआ आया.
जब तक वह बचने का कोई बहाना ढूंढती, मैंने उसे खींच कर अपनी गोदी में गिरा लिया और उसके होंठों पर धीरे धीरे अपने होंठों को छुआना शुरू कर दिया.

बीच बीच में मैं अपनी जीभ से उसके होंठों को हल्के से चाट भी लेता.

पिंकू के अधर उत्तेजना और इंतज़ार में गर्म हो रहे थे.
लेकिन मैं उसके होंठों को अपने होंठों के बीच दबाता और जब वह चूसे जाने की उम्मीद में उन्हें सिकोड़ती, तो अलग हट जाता.

आखिर पूरी तरह तड़पाने के बाद मैंने उसके संतरे की फांकों जैसे रसीले होंठों को अपने होंठों के बीच में दबा कर चूसना शुरू किया और देर तक उनका रसपान करता रहा.
काफी देर तक उसके होंठों का स्वाद लेने के बाद मुझे सोनू की याद आई, जो कि दूर बैठी बैठी इस सारे क्रियाकलाप को ध्यान से देख रही थी.
लेकिन अपने शर्मीले स्वभाव के कारण कोई उत्सुकता नहीं दिखा रही थी.

‘आओ, तुम भी अपने हिस्से का रस पी लो.’
मैंने उसे बुलाया.

उसने एक शर्मीली मुस्कान के साथ निढाल पड़ी पिंकू के होंठों को हल्के से किस किया और अपनी जीभ से धीरे धीरे सहलाना और चाटना शुरू कर दिया.

मैं सोनू का उत्साह बढ़ाने के लिए पीछे से उसकी गर्दन और कंधों पर धीमे धीमे होंठ छुलाते हुए चुंबन की बारिश कर रहा था और उसकी जुल्फें पीछे समेट समेट कर उन दोनों के आपस में हो रहे चुंबनों का लुत्फ ले रहा था.

पिंकू के लिए खुद पर काबू रखना मुश्किल हो रहा था.
उसने अपनी तरफ से पहल करके सोनू के होंठों को ज़ोर ज़ोर से चूसना चालू कर दिया.

अब दोनों ही सारा खेल भूल कर एक दूसरे के होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने की कोशिश कर रही थीं.

कभी पिंकू के होंठ सोनू के मुँह में होते, तो कभी पिंकू सोनू के होंठों का रसास्वादन कर रही होती.

अपनी दोनों महबूबाओं का यह जोशीला चुंबन युद्ध देख कर मैंने भी अखाड़े में कूदने का फैसला किया और अपनी जीभ भी उनके होंठों के जोड़े के बीच में घुसा दी.

अब तीनों अपनी जीभें एक दूसरे से टकरा टकरा कर Wild Sex In Game Play का आनन्द लेने लगे.
किसी एक ही अंग पर फोकस करके भी चरम सुख की सीमा पर पहुंचा जा सकता है, यह पहली बार ही पता चला.

लेकिन ऐसी पोज़ीशन में कुछ असुविधा हो रही थी, इसलिए मैं धीरे से पिंकू का सिर अपनी गोद से हटा कर वहां से हट गया और सोनू को पिंकू के ऊपर बॉडी टू बॉडी लंबा लेटने को बोला.

अब पिंकू नीचे तो सोनू उसके ऊपर मिशनरी पोजीशन में थी और उन दोनों का अधर चुसाऊ कार्यक्रम अब पूरे चेहरे, गर्दन और कंधों की चुम्मियों, बाइट्स और चूसने चाटने के फोरप्ले में बदल चुका था.

मैंने भी आलस छोड़ कर सोनू की नग्न पीठ पर गर्दन से शुरू करके गुंदाज नितंबों तक हल्के हल्के चुम्मे लेने शुरू कर दिए.
मेरे होंठों का दबाव उसकी पीठ पर क्रमशः बढ़ता हुआ लव बाइट्स और जीभ से चाटने की हरकतों में बदल रहा था.

कभी दांतों का दबाव तेज़ हो जाता, तो सोनू चिहुंक उठती और मैं उस जगह पर प्यार से चूम कर या जीभ से धीरे धीरे चाट कर जैसे सॉरी बोलता.

मैं ऐसे ही हरकतों को दोहराता हुआ उसकी जंघाओं पर पहुंचा और उन्हें भी अपनी इन्हीं चुम्मियों, चूसने-चाटने और काटने से नवाजा.

मैंने नोट किया कि दोनों की चूतें भी एक दूसरे से रगड़ खा खा कर पानी का झरना बनी हुई थीं.
मैं लालच पर काबू नहीं कर पाया और उनमें बारी बारी से उंगली करने लगा.

दो दो चूतों में एक साथ उंगली कर पाना एक अनोखा अनुभव था.
मैं कभी उनकी चूतों के होंठों को सहलाता, कभी कामकणिकाओं को मसलता, तो कभी चूतों में उंगलियों से ही चुदाई करने लगता.

उन दोनों की ‘ऊऊ ऊऊई ईई आअई ईईईई उफ ऊफ्फ’ की चीखें माहौल को बिल्कुल नशीला बनाने पर तुली थीं और उनकी सेक्सुअल कुश्ती और अधिक ऊर्जा से भरती जा रही थी.
वे दोनों ही एक दूसरे को बुरी तरह भींच भींच कर प्यार कर रही थीं और अपने अपने स्तन एक दूसरे के स्तनों से रगड़ रही थीं.

पिंकू तो हमेशा से ही जंगली घोड़ी की तरह ऊर्जावान रही है लेकिन शर्मीली सोनू भी उत्तेजित अवस्था में उसको भी मात दे रही थी.

काफी देर तक अपनी उंगलियों से ही चुदाई का मज़ा लेने के बाद मैंने उन दोनों को बीच में लेते हुए अपने हाथ पैरों पर घोड़ा बनते हुए अपना लौड़ा उनकी चूतों के बीच में घुसा दिया.

मेरे लंड पर दो दो चूतों के होंठों की रगड़ाई मेरे लौड़े को बिल्कुल लोहे के समान सख्त कर रही थी.
पिंकू ने मुझे नशीली स्माइल दी और नीचे से उछल उछल कर मेरे लंड पर अपनी चूत रगड़ने लगी.

सोनू भी उसका साथ बराबर दे रही थी.

‘यह तो बिल्कुल ही अनोखा सैडविच मसाज हो गया.’
मैंने मस्त होकर बोला और पिंकू के मुँह को चूमने लगा.

उधर से फारिग होकर मैंने सोनू के कान के पीछे और गर्दन को चाटना शुरू कर दिया.
उसके सुनहरी कपोलों के भी अनगिनत चुंबन ले लिए.

काफी देर तक इस नए सैंडविच मसाज का लुत्फ उठाने के बाद मैंने अपना लंड पिंकू की फुहारे छोड़ती हुई बुर में प्रवेश करा दिया.

पिंकू की ज़ोर की ‘आह ऊह्ह्ह श् आह.’ से लगा कि उसकी तरसती चूत को जैसे अमृत मिल गया हो.
मैंने उसकी उत्तेजना को बरकरार रखने की गरज से एक दो धक्के मार कर ही अपना लंड बाहर निकाल लिया और पीछे से सोनू की चूत में डाल दिया.

अब ‘ऊऊ ऊऊई ईई आअई ईईईई उफ्फ्फ फ्फ्फ …’ करने की बारी सोनू की थी.
फिर तो मैं बड़ी देर तक दोनों के चेहरों को चूमता चाटता और अपने लंड को बारी बारी दोनों की चूतों का आनन्द दिलाता रहा.

उन दोनों ही की सीत्कारों और जवाबी चूमा चाटी से जाहिर था कि उधर भी उतना ही मज़ा लिया जा रहा था.

आखिर में इस घर्षण का वही नतीजा हुआ, जो होना था.
मैं दोनों की चूतों के बीच में स्खलित हो गया और हांफता हुआ एक तरफ लेट गया.

दोनों तितलियां मेरे वीर्य की चिकनाई का फायदा उठाती हुई मेरा माल पूरी तरह सूख जाने तक एक दूसरे की चूत में अपनी चूत मसलती रहीं.

मेरे इशारे पर पिंकू पोज़ीशन बदलते हुए सोनू के नीचे ही नीचे 69 की पोज़ीशन में आ गई और सोनू की चूत को चाट चाट कर साफ करने लगी.

अब तक अपनी शर्म काफी कुछ छोड़ चुकी सोनू भी पिंकू की सेवा का वैसा ही बदला देने के लिए उसकी चूत पर पिल पड़ी और चाट चाट कर साफ करने लगी.

मेरा ऐसे ही ठंडे बैठे रहना, उन दो दो आग के शोलों की बेइज्जती होती, तो मैं भी शुरू हो गया.

आराम से बैठ कर पिंकू के ऊपर औंधी लेटी और उसकी बुर चाटने में बिज़ी सोनू के नितंबों को मैं हल्के हल्के से सहलाने लगा.
फिर आहिस्ता से मैंने अपनी उंगलियों से सोनू की चूत और गुदा के बीच के स्थान की मालिश करना शुरू कर दी.

करीब पांच मिनट तक ऐसा ही करने के बाद मेरी उंगलियों ने सोनू की गांड का रुख किया.
कुछ देर ऊपर ही ऊपर से मसाज करने के बाद उसकी गांड के छेद में एंट्री मार ली.

‘वहां पर नहीं … वहां अच्छा नहीं लगता!’
सोनू ने छिटकने की कोशिश की.

लेकिन पिंकू इस टाइम उसकी क्लिटोरिस पर मेहनत कर रही थी और इसके लिए उसके चूतड़ कस कर दबोच रखे थे इसलिए वह पूरी तरह उठ कर बैठ नहीं पायी.

खैर … मैंने थोड़ी देर के लिए अपनी हरकतों पर विराम लगाया और पिंकू को इशारा किया, तो उसने सोनू की चूत को छुट्टी देते हुए उसकी गांड को चाटना और जिह्वा चोदन शुरू कर दिया.

‘अच्छा अब यह लकी हटा, तो तुम चालू हो गईं?’
सोनू ने फिर से ज़रूर बोला लेकिन उसकी आवाज़ में अब उतना गुस्सा नहीं था.

कुछ मेरे मसाज का कमाल और कुछ पिंकू की नटखट जीभ का जादू था.
शायद अब सोनू भी थोड़ा थोड़ा अपनी गांड की आवभगत एंजॉय करने लगी थी.

उन दोनों को ऐसे ही अपने आप में व्यस्त छोड़ कर मैंने केवाई जैली की बोतल उठाई और अपने लौड़े को अच्छी तरह तर कर लिया.

फिर बिना किसी चेतावनी के सोनू के गुदा द्वार पर लंड को रख कर पूरी ताकत से अन्दर पेल दिया.

‘आह्हह ह्ह्ह मम्मी उहउ उउउ उफ्फ मर गई … मर गई!’
सोनू की गगन भेदी चीख पूरे कमरे में गूंज गई और उसकी गांड से मेरे लौड़े को भिगोती हुई खून की धारा सी बह निकली.

उसने छटपटा कर दूर हटने की नाकाम कोशिश की.
लेकिन वह ज़रा सा भी हिल-डुल नहीं सकी क्योंकि मुझे अपने लौड़े को सोनू की गांड की तरफ जाते देख कर ही मेरी मंशा भांपती हुई पिंकू ने सोनू के नितंबों को अपनी बांहों में … और सिर को अपनी जिम्नास्टिक टांगों से बुरी तरह दबोच लिया था.

मैंने मन ही मन कभी फुर्सत से पिंकू का शुक्रिया अदा करने का फैसला किया और सोनू की पीठ पर पूरा लेटते हुए उसके गालों पर बहते आंसुओं को चूम चूम कर सुखाने लगा.

‘पहली बार की ही तकलीफ़ है जानेमन, इसके बाद मज़ा ही मज़ा है. न मानो तो पिंकू से पूछ लो.’
मैंने समझाने की कोशिश की.

दर्द और गुस्से के मारे सोनू खामोश रही.
नीचे से पिंकू की जकड़ और ऊपर से मेरे बदन का दबाव था तो बच कर भागने की तो उम्मीद उसने छोड़ ही दी थी.

काफी देर तक उसे प्यार से चूमने चाटने के बाद मैं फिर से अपनी पोजीशन में आया और लंड को पूरा बाहर निकाल कर फिर से ज़ोर का धक्का मारा.

‘आह उफ्फ श्ह्ह्ह’ सोनू की फिर से चीख निकली लेकिन इस बार थोड़ा हल्की.

फिर तो मैंने आहिस्ता आहिस्ता अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ानी शुरू कर दी और हर धक्के के साथ सोनू की दर्द भरी चीखें धीरे धीरे उत्तेजना की सिसकारियों ‘आहा आहा उऽऽहू उऽऽहू.’ में बदलने लगीं.

सोनू की गांड की सील भी खुल चुकी थी और वह भी अब अनजाने में ही सही लेकिन धीरे धीरे अपने चूतड़ हिला हिला कर सहयोग कर रही थी.
हालांकि वह बिना पूछे ही अपने साथ हुई ज़बरदस्ती से कुछ नाराज़ भी थी और इसी लिए अपना मुँह भी फुलाए हुई थी.

खैर … उसकी अनुमति मांगने पर शायद वह कभी राज़ी न होती.

अब उसको मनाने की तरकीब भी सोचनी होगी क्योंकि यह भी हमारा बनाया हुआ रूल है कि कोई भी बात हो जाए, हर सेक्स सेशन के बाद हम आपस में दोस्त रह कर ही विदा लेंगे और रूठे हुए को मनाने की ज़िम्मेदारी बाकी दोनों पर होगी.

पिंकू भी अपनी पकड़ ढीली करके सुस्ता रही थी.

मैं लगातार धक्के मारते हुए पीछे से हाथ बढ़ा कर सोनू के उरोजों को सहला और मसल रहा था; उसके चूचुकों को उमेठ रहा था, गर्दन और कपोलों की चुम्मियां ले रहा था.
कुल मिला कर सोनू के आनन्द को बढ़ाने और गुस्से को कम करने की कोशिश कर रहा था.

फिर मैंने अपना लंड बारी बारी से कभी उसकी चूत तो कभी गांड में घुसाना शुरू कर दिया.
यह सर्प्राइज़ भी कि अब अगला धक्का किस छेद में लगेगा … आनन्द को बढ़ाने में सहायक होता है.

जब भी मेरा लौड़ा सोनू की चूत में जाता तो नीचे लेटी नटखट पिंकू अपनी जीभ निकाल कर उसको चाटती.
आखिर उसकी उत्तेजना देख कर मैंने अपना लौड़ा उसके मुँह में डाल दिया और वह एक भूखे बच्चे की तरह उसे ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.

फिर तो मैं बारी बारी से कभी पिंकू के मुँह तो कभी सोनू की गांड या चूत में लंड को पेलने निकालने लगा और तीनों छेदों का मज़ा लेता रहा.

जब आधे घंटे बाद मैं सोनू की गांड में स्खलित हुआ तो उत्तेजना का यह आलम था कि मानो मेरे माल का फव्वारा सोनू के हलक तक पहुंचा होगा.

मेरे लंड को बाहर निकालते ही वीर्य और खून का मिला जुला परनाला बह निकला.
जिसे पिंकू टिश्यू पेपर लेकर साफ करने में जुट गई.

करीब एक घंटे तक ऐसे ही अठखेलियां करने के बाद हम अलग अलग होकर हांफने लगे और निढाल होकर पड़ गए.

दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि आपको इस रंगीन गांड चुदाई की वाइल्ड सेक्स इन गेम प्ले स्टोरी में मजा आया होगा. प्लीज अपने कमेंट्स से बताएं.
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वाइल्ड सेक्स इन गेम प्ले स्टोरी का अगला भाग: बाथरूम में गांड चुदाई

भाई ने बहन की चूत मारी