प्राइवेट सेक्रेटरी की अदला बदली करके चुदाई-3

चुत गांड सैंडविच सेक्स कहानी में दो लड़कियां दो मर्दों से बहुत बरे तरीके से चुद रही हैं. मेरी सेक्रेटरी की चूत मेरा साथी मार रहा था, मुझे उसकी गांड का छेद दिख रहा था.

दोस्तो, मैं विराज आपको पाटिल जी की सेक्रेटरी किरण और मेरी सेक्रेटरी रेशमा की ग्रुप सेक्स कहानी सुना रहा था.
कहानी के पिछले भाग
एक दूसरे की गांड चैट कर गंदा सेक्स
में अब तक आपने पढ़ा था कि पाटिल जी रेशमा की चुदाई का मजा ले रहे थे और किरण से अपने लंड को साफ़ करवा रहे थे.

अब आगे Chut Gand Sandwich Sex Kahani:

रेशमा को अचानक से अपनी चूत में घुसे ब्लाउज से थोड़ी परेशानी हुई, पर वो तो बस किरण के गांड के नीचे दबी पड़ी थी.

किरण के चूतड़ रेशमा से बड़े थे, शायद 42 इंच के रहे होंगे.
उन विशाल चूतड़ों के नीचे रेशमा का मुँह पिचक गया होगा, जिस वजह से वो कुछ नहीं कर सकी.

रेशमा का भोसड़ा पौंछने के बाद पाटिल साहब ने फिर से अपना लंड रेशमा की चूत में घुसा दिया और जबरदस्त तरीके से वो रेशमा को भोगने लगे.

किरण के बाल पकड़ कर उन्होंने उसको रेशमा के ऊपर से अलग किया और खुद रेशमा को अपने बदन के नीचे दबोच लिया.

रेशमा ने भी पाटिल जी को अपनी बांहों में भर लिया और अपनी दोनों टांगें ऊपर करके पाटिल जी की पीठ पर बांध दीं.

इस कारण अब पाटिल जी का लौड़ा पूरा अन्दर तक चोट करने लगा था और रेशमा किसी कुतिया की तरह कुईं-कुईं करने लगी.

किरण वहीं पर बैठकर उन दोनों को देखती रही और मैं नंगा सोफे पर बैठा दारू का गिलास खाली करने में लगा हुआ था.
जैसे ही किरण की नजर मुझ पर गयी, तो वो भी बिस्तर से नीचे उतर कर मेरे पास आ गयी.

मेरे हाथ का दारू का गिलास लेते हुए उसने एक ही घूँट में पूरा गिलास खाली कर दिया और फिर से मेरे लौड़े को चूसने के लिए मेरे सामने आकर बैठ गयी.

मैंने भी मेरी दोनों टांगें खोल दीं ताकि किरण आराम से मेरे लौड़े को चूस सके.
उसके गले में लटका हुआ बेल्ट अब भी वहीं था, जिसे मैं अपने हाथ में लेकर फिर से उसको किसी कुतिया की तरह खींच कर अपने लौड़े पर दबाने लगा.

सबसे पहले किरण ने मेरे काले गोटों से शुरूआत की.
अपनी जीभ कुतिया की तरह बाहर निकालते हुए उसने मेरे टट्टों को चाटना चालू किया और धीरे धीरे अब उसकी जीभ मेरे गेंदों से लेकर मेरे सुपारे तक घूमने लगी.

मैं भी अपनी गांड नीचे से उठाते हुए उसका मुँह फिर से चोदने लगा.

मेरा पूरा लंड उसके गले में घुसा जा रहा था, पर साली बिना किसी शिकायत के पूरा लौड़ा निगल गयी.
कुछ देर ऐसे ही उसका मुँह चोदने के बाद मैंने लौड़ा बाहर निकाल लिया और दोनों पैर ऊपर करके सोफ़े पर रख दिए.

ऐसे करने से अब मेरी गांड भी किरण के सामने आ गयी और मैंने झट से उसका मुँह अपनी गांड में दबा दिया.

मैं- सूंघ मेरी गांड रंडी की औलाद, साली तेरी मां ने भी दस लौड़े ख़ाकर तुझे पैदा किया होगा. आंह रंडी चूस भोसड़ी वाली खा जा मेरी गांड.

किरण ने भी फुर्ती दिखाते हुए अपनी जीभ बाहर निकाली और मेरी गांड का छेद कुरदने लगी.
मैं भी आहें भरते हुए गांड चुसवाने का मजा लेता रहा और सामने रेशमा की चुदाई देखता रहा.

उधर पाटिल जी ने रेशमा की चूत को बाजारू रंडी की चूत की तरह रौंदना जारी रखा था.
उसके चूचे चूसते हुए और उसके निप्पल को काटते हुए पाटिल जी की कमर जोर जोर से ऊपर नीचे हो रही थी.

मेरी गांड चाटने से अब मेरे लौड़े को फ़िर से होश आना चालू हो गया और देखते देखते मेरा लौड़ा भी पूरा टनटना गया.
मैं मन में सोच ही रहा था कि अब मुझे किरण को भी वैसे ही चोदना है.

पर तभी पाटिल जी ने अपना लौड़ा रेशमा की चूत से बाहर निकाला.
शायद उम्र के हिसाब से उनकी शक्ति कम हो गयी थी तो वो खुद बिस्तर पर लेट गए और उन्होंने रेशमा को उनके ऊपर आने का इशारा किया.

पाटिल जी- चल आ जा हिजड़े की औलाद, मादरचोद बैठ मेरे लौड़े पर कुतिया … आज मेरे लौड़े पर बिठाकर तुझे जन्नत घुमा लाता हूँ छिनाल.
रेशमा ने भी झट से पाटिल जी का लंड हाथ में लिया और वो उनके ऊपर आ गयी.

लंड को चूत से मुहाने पर रखती हुई वो धीरे धीरे नीचे बैठती चली गयी और मुश्किल से दस सेकंड के अन्दर लौड़ा फिर से उसकी भोसड़ी में ग़ायब हो गया.

रेशमा की चूत को आज सच में मजा मिल रहा था, उसकी चुदाई की हवस आज पूरे जोरों पर थी और वो अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए पाटिल जी के लौड़े पर कूद कूद कर चुदवा रही थी.

पाटिल जी ने भी उसको अपनी बाजुओं में कस लिया और उसकी चूचियां चूसते हुए वो भी नीचे से धक्के लगाने लगे.

मेरी आंखों के सामने रेशमा किसी पराये मर्द से दो कौड़ी की बाजारू रंडी की तरह चुद रही थी.
उन दोनों की कामक्रीड़ा देख कर मेरा लौड़ा भी अब फनफनाने लगा था.

तभी मेरा ध्यान रेशमा की गांड के छेद पर चला गया. उसके झुके होने की वजह से खुली उसकी नूरानी गांड खुल चुकी थी.

हर एक धक्के के साथ चीख चीख कर रेशमा का भोसड़ा पानी छोड़ रहा था.
पर मेरा ध्यान अब उसकी गांड के छेद पर टिक गया था जिसे मैंने कल सुबह ही पहली बार अपने लौड़े से खोल दिया था.

किरण रंडी अब भी मेरे गांड और लौड़े को चूस चूस कर गीला कर रही थी.
मेरे लंड की सारी नसें फूल चुकी थीं और उनमें ख़ून दौड़ने लगा था.

मैंने किरण का सर पकड़ कर जोर जोर से उसका मुँह चोदना चालू कर दिया.

किरण का थूक अब उसके सीने पर टपक रहा था, पर साली जी-जान लगा कर मेरे लौड़े से अपना मुँह चुदवा रही थी.

जैसे ही उसके थूक से मेरा लौड़ा पूरा गीला हुआ, वैसे ही मैंने अपना लौड़ा उसके मुँह से बाहर निकाला.

किरण को वहीं पर छोड़ कर मैंने अपना मोर्चा रेशमा की तरफ बढ़ाया और छलांग लगा कर बिस्तर पर चढ़ गया.
रेशमा की पीठ पर अपना हाथ रख कर और मैंने पाटिल जी को रूकने का इशारा किया.

पाटिल जी ने भी अपने धक्के रोकते हुए मेरे मन को समझ लिया और रेशमा को कसके अपनी बांहों में भर लिया.
मैंने रेशमा के चूतड़ खोल दिए और उसकी गांड के छेद पर ज्यादा सा थूक फैंक दिया.

रेशमा कुछ समझ पाती, इससे पहले मैंने अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर रख कर पूरा ज़ोर देकर लौड़ा अन्दर घुसाता चला गया.
वो इस हमले से बुरी तरह से चिल्लाने लगी.

आज तक उसकी जिंदगी के सबसे बड़े लौड़े, उसकी चूत और गांड में एक साथ घुसे थे.
चुदाई का दर्द क्या होता है, ये उसको आज पहली बार महसूस हो रहा था.

जब तक मेरे लौड़े ने रेशमा की गांड को फैलाया, तब तक मैंने उसकी पीठ दबा कर रखीं.

उसकी फूली हुई चूचियां पाटिल जी के सीने में पूरी तरह से धंसी हुई थीं.

धीरे धीरे मैंने भी अपना लौड़ा रेशमा की गांड में अन्दर बाहर करना चालू कर दिया.

रेशमा की चीखें चारों और गूंजने लगीं.
वह रहम की भीख मांगने लगी, हमारे चुंगल से छूटने के लिए तड़पने लगी.

पर पाटिल जी ने नीचे से और मैंने ऊपर से उसको पूरी तरह जकड़ रखा था.

रेशमा- उफ्फ अम्मी मर गयी. वीरू जी प्लीज ऐसा जुल्म ना करो … फट गयी मेरी गांड … आह प्लीज रूक जाओ मालिको. एक एक करके चोद लो.

उसकी चीखों को नजरअंदाज करते हुए मैंने एक हाथ से उसकी पीठ पर दबाव बनाया और दूसरे हाथ से उसके बिखरे हुए बाल अपनी मुट्ठी में भर लिए.
मैंने बालों को खींच कर उसका मुँह पीछे की तरफ कर लिया.

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रेशमा की पीठ विपरीत दिशा में घूम गई थी.
वो अब किसी कमान की तरह पीछे की तरफ हो गयी और उसकी चूचियां खुलकर पाटिल जी के मुँह के सामने लहराने लगीं.

रेशमा की आंखों में देखते हुए मैंने कहा- तेरी मां का भोसड़ा चोदूं साली रांड, बड़ी आग है ना तेरे भोसड़े में कुतिया? आज देख, कैसे तेरी उस चूत और गांड का छेद बड़ा करके भेजूंगा तुझे तेरे उस नामर्द शौहर के पास … रंडी साली.

रेशमा ने अपना एक हाथ पाटिल जी के छाती पर ऱखा था और दूसरे हाथ से अपने बाल, जिनको मैं खींच रहा था, उनको छुड़ाने की कोशिश कर रही थी.

दो तरफा चुदाई से रेशमा की आंखों से निकलता पानी उसके दर्द की गवाही दे रहा था.
एक हाथ से उसके बाल और खींचते हुए मैंने दूसरे हाथ से उसकी कमर पकड़ी और पूरी ताकत से उसकी गांड में लौड़े को पेलने लगा.

आगे से पाटिल जी ने भी अपनी कमर उठा दी.

पाटिल जी का और मेरा लौड़ा सरपट रेशमा की चूत और गांड फाड़ने में व्यस्त हो गया.
एक साथ दोनों नाजुक जगह पर हो रही रगड़न से रेशमा भी पिघलने लगी.

धीरे धीरे उसकी चीखें अब मादक सिसकारियों में बदल गईं और दर्द से पीड़ित उसका बदन चुदाई से मिलने वाले सुख का मजा लेने लगा.
रेशमा भी अब थोड़ी बहुत कमर हिलाती हुई दो-दो लौड़े एक साथ लेने लगी.

पाटिल जी- आआहह देखो विराज जी, कैसे ये रंडी एक साथ दो-दो लौड़े लेकर चुद रही है मादरचोद, चुद ले रेशमा रंडी, मादरचोद तेरे नामर्द शौहर की मां का भोसड़ा.
मैं- सही कहा सर आपने, इस रंडी को एक दिन जरूर उस सुअर के सामने चोदूंगा और उसे बताऊंगा कि कैसे उसकी पाक बेगम दो-दो लौड़े से चुदने वाली रांड है.

हमारी ऐसी कामुक बातों से रेशमा को भी लगने लगा कि सच में उसे अपने नामर्द शौहर के सामने चुदवाना चाहिए ताकि उसे भी पता चले कि उसकी बीवी को उसकी छोटी सी लुल्ली से संतुष्टि नहीं मिलती.

रेशमा की कमर पर रखा हुआ मेरा हाथ मैं उसके सीने पर ले गया और उसका एक चूचा पकड़ कर जोर जोर से मसलने लगा.

उसके चूचुक कठोर होकर एक इंच तक उभर गए थे.
एक चूचुक को अपनी दो उंगलियों से मरोड़ते हुए मैंने रेशमा के कान की लौ चूसना चालू कर दिया.

रेशमा इस वार को बर्दाश्त नहीं कर सकी और उसने भी गालियां निकालना शुरू कर दीं.
उसने हम दोनों के लौड़े पर जोर जोर से उछलना चालू कर दिया- आअह उहह अम्म्मीईई आआ आहह फाड़ो जोर जोर से मेरा भोसड़ा मादरचोदो, रंडी बना दो मुझे उस सुअर के सामने, देख सलमान कैसे मैं आज दो-दो लौड़ों से चुद रही हूँ मादरचोद … हहह उफ्फ!

रेशमा की चूत इतना पानी बहा रही थी कि पाटिल जी के लौड़े की चुदाई से उसकी भोसड़ी से पच-पच की आवाजें निकल रही थीं.
उसकी गांड का छेद भी मेरे लौड़े को जोर से रगड़ कर चुद रहा था.

रेशमा बस आंखें बंद करके अपने दोनों छेद पराए मर्दों से चुदवा रही थी.
जिंदगी के ये हसीन पल उसके लिए किसी सपने से कम नहीं थे.

रेशमा की चूत का मजा लेते पाटिल जी को अब रेशमा की गांड की सवारी भी करनी थी तो उन्होंने मुझे इशारे से ही कहा कि उनको ऊपर आना है.
मैंने भी उनकी बात मानते हुए अपना लौड़ा रेशमा की गांड से बाहर निकला.

बिस्तर से नीचे उतर कर मैंने पाटिल जी के लिए जगह बनाई.

पर तभी मेरी नजर किरण पर गयी जो दारू पीती हुई हमारी चुदाई देख कर अपनी चूत मसल रही थी.

मैं- आ जा मेरी रखैल की औलाद, चल कमीनी अपने मालिकों का लौड़ा चूस चूस कर फिर से गीला कर दे छिनाल.

किरण झट से दारू का गिलास टेबल पर रख कर मेरे पास दौड़ी.
अपने घुटनों पर बैठ कर उसने मेरा लौड़ा झट से अपने मुँह में ले लिया, जो अभी अभी रेशमा की गांड के छेद से बाहर निकला था.

उधर पाटिल जी ने भी रेशमा को अपने ऊपर से नीचे धकेला और वो भी किरण के मुँह के सामने आकर खड़े हो गए.

अब किरण दो-दो लौड़े चूस रही थी जो रेशमा की चूत और गांड से बाहर आए थे.
वो उनको बड़े मजे से चूस रही थी.

रेशमा दर्द और सुख दोनों एक साथ अनुभव करके ऐसे ही नंगी बिस्तर पर लेटकर अपनी उखड़ी हुई सांसों को काबू करने की कोशिश कर रही थी.

मैंने अपना लंड किरण के हाथ से छुड़वाया और बिस्तर पर लेटते हुए रेशमा को अपने ऊपर से लिया.

रेशमा ने भी मेरे लौड़े को अपने हाथ में लेकर अपनी चूत के मुहाने रख दिया. रेशमा की चूत अब झड़ने के लिए तड़प रही थी.
उसने मेरे लौड़े को चूत में जल्दी से घुसाया और जोर जोर से अपनी कमर आगे पीछे करते हुए खुद को मेरे लौड़े से चुदवाने लगी.

पाटिल जी किरण को लौड़ा चुसवा रहे थे और रेशमा की फूली हुई गांड का छेद देखकर किरण का मुँह चोदे जा रहे थे.

पाटिल जी- आअह तेरे मां को चोदूं बहनचोद, चूस अच्छे से लौड़ा मादरचोद आज देख कैसे इस हिजड़े की बीवी की गांड फाड़ कर इसे घर भेजूंगा.

किरण ने भी मालिक का हुकुम मानते हुए लौड़े पर थूक दिया और जोर जोर मुठ मारते मारते लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.

पाटिल जी ने अपने दोनों हाथों से किरण के सर को पकड़ा और अपनी कमर आगे-पीछे करते हुए लंड को किरण के गले तक घुसाने लगे.

कुछ ही देर में किरण की लार ने पाटिल जी का लौड़ा पूरी तरह से गीला कर दिया.
पाटिल जी किरण को वहीं पर छोड़कर बिस्तर पर आ गए.

रेशमा भी अब इस बात को जानती थी कि पाटिल जी उसकी गांड को चोदने के फ़िराक में हैं.
यही सोच कर उसने खुद अपने हाथ पीछे ले जाकर अपने चूतड़ खोल दिए.

रेशमा की गांड का फटा हुआ छेद देख कर उन्होंने अपना लौड़ा उस छेद पर टिकाया और जोर से कमर आगे करते हुए सुपारा गांड में घुसा दिया.
इस बार रेशमा के चेहरे पर सिर्फ दर्द की हल्की सी झलक दिखाई दी, पर उसकी चीख नहीं निकली.

रेशमा की गांड का छेद भरपूर खुला हुआ था और उसने भी अब मस्ती से दो लंड से एक साथ चुदने की ठान ली थी.
गांड का छेद चौड़ा करते हुए रेशमा ने खुली गांड से पाटिल जी के लौड़े का स्वागत किया.

खुद बकरी सामने से कटने को राजी हो तो कसाई कहां पीछे रहने वाला था.

दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि आपको रेशमा की सैंडविच चुदाई की कहानी पढ़कर मजा आया होगा.
यही मजा चुत गांड सैंडविच सेक्स कहानी के अभी आने वाले भागों में मिलेगा.

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