शब्बो चाची की चुदाई हो गयी-3

फ्री इंडियन मेड पोर्न स्टोरी में 40 साल की कामवाली चाची को घर के मालिक के युवा बेटे ने अच्छे से चोद दिया. कामवाली की कुंवारी गांड भी फाड़ दी.

दोस्तो, शब्बो चाची की चुदाई की कहानी के दूसरे भाग
घर की नौकरानी की नंगी चूत
में आपने पढ़ा था कि वीरू और शब्बो दोनों ही एक दूसरे की प्यास बुझाने में लगे हुए थे।
शब्बो की चूत का पानी दो बार निकल चुका था मगर वीरू अभी भी मैदान में डटा था।

इतने में ही वीरू का ध्यान शब्बो की गांड पर गया। वो उसको गांड चुदाई के लिए तैयार होने के लिए कहने लगा लेकिन शब्बो मना कर रही थी।
मगर वीरू के ऊपर जैसे चुदाई का भूत सवार था।

अब आगे Free Indian Maid Porn Story:

शब्बो ने गांड चुदाई के लिए मना कर दिया।
वीरू ने उसकी गांड को प्यार से सहलाते हुए कहा- डर मत मेरी रांड चाची, आज तुझे ज़न्नत के मजे दिलाऊंगा, बस कुछ देर अपनी गांड ढीली कर दे.

उसकी बात मानते हुए कामवाली शब्बो ने भी अपनी गांड को उसके हवाले कर दिया।

वीरू ने उसकी 44 के आकर की गांड देख कर उसको सहलाया और एक तड़तड़ाता हुआ थप्पड़ उसकी गांड पर जमा दिया.

वीरू के हाथ की पांचों उंगलियां अब शब्बो की गोरी गांड पर साफ़ दिखाई देने लगीं।
मार मारकर शब्बो की गांड को वीरू ने लाल करना चालू कर दिया.

वो दर्द में कराहते हुए बोली- आआह मालिक … प्लीज छोटे मालिक … बस करो, बहुत दर्द हो रहा है, चाहे जितनी मर्जी गांड मार लो मगर थप्पड़ से दर्द न दो वीरू बाबा!
शब्बो अब उससे रहम की भीख मांगने लगी.

वीरू ने भी अब उसकी लाल हुई गांड को फैलाया तो उसकी गांड का छेद उसके सामने उभर कर आ गया।

अपनी बीच की उंगली पर थूक लगाते हुए उसने वो उंगली शब्बो चाची के गांड के छेद में घुसाने का प्रयास किया.
शब्बो की चूत तो उसका शौहर ठीक से खोल नहीं पाया तो गांड खोलने का सवाल ही नहीं पैदा होता।

ऐसी तंग चुस्त गांड को फाड़ने के लिए उसको बड़ी मेहनत करनी पड़ेगी ये सोच कर वीरू ने अपने कमरे में रखी तेल की शीशी उठायी.
शब्बो की गांड को एक हाथ से खोलते हुए उसने तेल उस छेद पर टपकाना चालू किया।

ठंडा ठंडा तेल गांड पर गिरते ही शब्बो की सिसकारी निकल गयी और अब वो उस मजे के लिए धीरे धीरे खुलने लगी।
वीरू की उंगलियां अब उस गांड के भूरे रंग के छेद पर मंडराने लगी थीं.

ऐसा मजा आज तक कभी शब्बो को नसीब नहीं हुआ था।
अपने नामर्द शौहर को मन में गाली देते हुए उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और गांड के छेद पर हो रही मालिश का मजा लेने लगी- आह्ह्ह मालिक, मेरे खुदा … इतना मजा देते हो कि मैं मरने को तैयार हो जाती हूं। ऐसे ही करो छोटे मालिक … आज चाहे कुछ भी हो जाए … आपकी शब्बो रांड की गांड आपके लौड़े पर कुर्बान होने दो.

शब्बो को अब जो मजा मिल रहा था उसका परिणाम उस छेद पर भी हो रहा था। उसका वो भूरा छेद अब खुलना चालू हो गया था और एक बार फिर से उसकी चूत में गीलापन आने लगा.

धीरे धीरे खुलते हुए उस गांड के छेद में वीरू ने पहले तो अपनी एक उंगली घुसाई, फिर दूसरी और फिर आखिर में तीनों उंगलियां डालकर वो शबाना की गांड की उसके लौड़े से मालिश करने के लिए तैयार करने लगा.

करीब 15 मिनट तक उसने शब्बो की गांड को प्यार से सहलाया।
शबाना को अब उसने अपने सामने बिठाते हुए बोला- ले चाची, देख कैसे तेरी इस रंडी चूत ने मेरे लौड़े को ख़राब कर दिया है, चूस ले इसको मेरी रखैल चाची, फिर देख कैसे तेरी इस गांड को फाड़ कर रखता हूँ!

शबाना के हाथ अभी भी बंधे थे तो उसने अपने होंठों की मदद लेते हुए वीरू का लौड़ा मुँह में ले लिया।

खुद की चुत से बाहर निकले उसके लौड़े पर शबाना को अपनी चूत के पानी की खुशबू और स्वाद दोनों आ रहे थे.

शब्बो अब कुतिया की तरह उसके सामने बैठकर उसका लौड़ा चूस रही थी।
वीरू का हाथ अब भी शबाना की गांड का छेद मसल रहा था, दूसरे हाथ से शब्बो का सिर अपने लौड़े पर दबा रहा था.

दोनों सिसकार रहे थे। दोनों के जलते बदन माहौल को भी गर्मा रहे थे।

शब्बो का मुँह वीरू के लौड़े पर ऐसे दब चुका था कि अब उसके लौड़े का सुपारा शबाना के हलक तक घुस रहा था।

अपने लौड़े को एक तरह से वो धार करवा रहा था ताकि शब्बो चाची की गांड इस लंड रूपी तलवार से चीरने में आसानी हो जाए।
शबाना की लार उसके टट्टे भी गीले करने लगी थी और वीरू को अब उसकी गांड चोदने को उकसा रही थी.

लौड़े को अच्छे से गीला करवाने के बाद वीरू ने शब्बो को फिर से बिस्तर पर दबाया और फिर से उसकी गांड को खोलकर उस गीले और तेल से चमकते हुए छेद पर थूक लगाया।

एक हाथ से अपना लौड़ा पकड़ते हुए उसको शबाना चाची की गांड पर रखा.
उसका फूला हुआ सुपारा गर्म था।
शब्बो उस गर्म सुपारे की आहट अपनी गांड पर महसूस कर रही थी।

उसकी रगड़ शबाना को अपनी गांड में लौड़े को लेने के लिए उत्तेजित कर रही थी और शब्बो ने ये चीज बिना किसी लाज के बोल दी- क्या मस्त लौड़ा है छोटे मालिक आपका … देखो कैसे गांड फुदक रही है मेरी, घुसा दो अब मेरी गांड में लौड़ा … मेरे खुदा … चोदो अपनी इस रांड शबाना को!

शबाना को गांड मरवाने के लिए अब वीरू से मिन्नतें करनी पड़ रही थीं।
ये सुनकर वीरू मुस्कराया और उसने शब्बो के बाल अपनी मुठ्ठी में भरकर बोला- हा हा … हा हा माँ की लौड़ी … अब तो बड़ा मचल रही है सड़क छाप कुतिया की तरह?

अपना लौड़ा अच्छे से उसकी गांड पर रगड़ने के बाद धीरे से उसने अपना सुपारा शबाना की गांड के अंदर धकेला.

छेद गीला होने के कारण ‘पक’ की आवाज करते हुए सुपारा गांड में दाख़िल हुआ और शबाना दर्द से बिलखने लगी- आआ आअह्ह हल्ला हहह … धीरे मालिक … प्लीज निकालो मालिक … बहुत दर्द हो रहा है, मैं नहीं कर पाऊँगी।
गिड़गिड़ाते हुए शबाना रोने जैसी शक्ल करते हुए बोली।

मगर अब शेर के मुँह को खून लग चुका था अब तो शिकार होना तय था.

वीरू जानता था कि अगर गांड में लंड को धीरे धीरे चलाया तो यह चिल्ला चिल्लाकर पूरा मौहल्ला इकट्ठा कर लेगी इसलिए उसने शबाना के मुंह को तकिये पर दबा दिया ताकि जब उसकी गांड में लंड जाए तो मुंह से निकलने वाला शोर तकिये में ही दब कर रह जाए।

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इधर शबाना को भी अंदाजा हो गया था कि आज उसकी गांड का कबाड़ा बनना तय है तो उसने भी उस तकिये को मुँह में लेकर दबाया और तभी वीरू का एक दमदार धक्का उसको लगा.

शबाना को ऐसे लग रहा था कि किसी ने उसकी रीढ़ की हड्डी पर हथौड़ा मार दिया है और उसकी जान अब कुछ ही पल में निकलने वाली है, शबाना लगभग बेहोश हो चुकी थी.

वीरू का 7 इंच का लौड़ा उस मुसलमानी अधेड़ उम्र की शबाना खान की गांड को तहस नहस करते हुए अंदर घुस चुका था।
गांड की नाजुक चमड़ी फटने से खून की बूंदें वीरू के लौड़े पर और गद्दे पर बिख़र चुकी थीं.

कुछ देर तो वो बेजान रही मगर जैसे जैसे वीरू ने बिना रुके उसकी गांड का छेद फाड़ना चालू किया तो उसकी तड़प सामने आने लगी।

शरीर में बची कुची ताकत लगाकर वो अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी.

शब्बो पहले से ही इतनी घायल हो चुकी थी कि अब उसका विरोध बिल्कुल ना के बराबर था और ऊपर से वीरू जैसा गबरू जवान उसकी कमान संभाले हुए था.

बेचारी चिल्लाने की कोशिश करती तो ऊपर से वीरू उसका सिर पूरी ताकत से तकिये में दबा देता।
कमर को पकड़कर वो बिना किसी परिणाम की परवाह किये शब्बो की गुदाज 44 इंच की गांड खोदे जा रहा था.

खून की कुछ बूंदें बिस्तर को ये बता रही थीं कि युद्ध बड़े घमासान तरीके से हो रहा है।
तकिये पर गिरते शब्बो के आँसू बयान कर रहे थे कि शब्बो की इज्जत उसकी चूत से नहीं बल्कि उसकी गांड से लूटी जा रही है.

वीरू का हर एक शॉट शब्बो को हिलाकर रख दे रहा था।
कुछ पल के बाद तो उसने अपने आप को उसके हवाले करके चुपचाप धक्के सहने में ही भलाई समझी।

वीरू ने उस अबला चुदक्कड़ शबाना की गांड को पूरी तरह से खोल कर रख दिया.

सुपारे का उसकी गांड के अंदर की दीवारों पर घिसना अब शबाना के बदन में फिर से नयी जान फूंकने लगा था।
तकिये से गर्दन हिलाते हुए उसकी चीखें अब सिसकारियों में बदल चुकी थीं.

और जैसे ही इसका आभास वीरू को हुआ कि शबाना की गांड से उसके लौड़े का निकाह हो चुका है तो उसने भी शबाना को ऊपर उठा लिया.

फिर उसने शब्बो चाची के हाथ खोलकर उसको पीछे से अपनी बाँहों में भर कर कहा- क्यों चाची? अब बता किसकी माँ रंडी की तरह चुद रही है छिनाल? देख साली क्या मस्त गांड है तेरी बहनचोद, मेरे लौड़े से चुदवाने वाली हफ़सा की रंडी अम्मी!

शब्बो ने भी अपना हाथ नीचे लगाकर देखा तो उसकी चूत का पानी दूसरी बार अपने आप ही गिर गया था।
गांड से खून निकला था और गांड का वो छेद अब सूज गया था।

शब्बो चाची अब आँखें बंद करके पहली बार हो रही इस गुदामैथुन का मजा लेने में व्यस्त थी कि तभी वीरू ने अपना हाथ आगे की तरफ बढ़ाया और अपनी बीच की 3 उंगलियां शबाना के गीले भोसड़े में पेल दीं.

आज शबाना की जिंदगी का सबसे बड़ा दिन था।
जिंदगी में पहली बार उसकी चूत में 7 इंच का लौड़ा घुसा था, पहली बार उसकी गांड फट गयी थी किसी लौड़े से!
उसे एक साथ गांड और चूत की चुदाई का मजा मिल रहा था.

शबाना वीरू की इस दोहरी चुदाई से पूरी तरह ठंडी हो चुकी थी।
उसकी चूत बार बार पानी छोड़ रही थी और वीरू उसके बदन से ऐसे खेल रहा था जैसे कि वो एक चुदाई का खिलौना है.

कभी शबाना की गांड तो कभी उसकी चूत में घुसकर उसका लौड़ा शबाना के जिस्म का भोग लगा रहा था।
वीरू के टट्टों में उबलता हुआ उसका कामरस शबाना चाची की चूत या गांड में खाली होने के लिए व्याकुल था.

शबाना के चूचे बुरी तरह से पिस चुके थे, बदन लाल हो गया था और उसका हुलिया देखकर ऐसा लग रहा था कि वो एक सस्ती बाजारू रंडी है और आज पहली बार इसकी नथ उतारी गयी है.

वीरू ने भी आज पहली बार किसी चूत में अपना लौड़ा घुसाया था, बड़ी देर से चल रही इस चुदाई में उसका लौड़ा भी फूलकर कुप्पा बन चुका था।

उसके टट्टे अब चीख रहे थे कि कब उनमें जमा हुआ माल बाहर निकले और वो चैन की साँस लें.

वीरू ने आखिरी बार शबाना को देख कर कहा- आआहह मेरी रंडी चाची … मेरा निकलने वाला है। आपकी चूत में निकालूंगा आज, आज आप मेरे बच्चे की भी अम्मी बनोगी, मेरी रंडी चाची … ले साली निकला आआ मेरा … आह्ह तेरी मां की चूत …आह्ह … अहाह हअह्ह गया।

वीरू के टट्टे शब्बो की चूत में खाली होने लगे।
माल की पिचकारी शबाना के बच्चेदानी में घुस रही थी मगर उसको इस बात की कोई चिंता नहीं थी और वीरू को वो अपनी बाँहों में दबाते हुए वो उसके कामरस की गर्माहट अपनी चूत में महसूस कर रही थी.

शबाना के जिस्म पर लेटे हुए वीरू ने शब्बो चाची को जोर से जकड़ रखा था।
शब्बो ने उसके सिर पर प्यार से हाथ घुमाते हुए उसको भी इस आनंद का मजा लेने दिया।

तभी उसको याद आया कि वीरू का सारा माल उसकी चूत में ही निकल चुका था- हायला … काफिर की औलाद मेरे पेट में?
कहते हुए उसने वीरू को अपने आप से अलग करने की कोशिश की मगर वीरू ने उसको उठने नहीं दिया।

उल्टा उसको दबाकर फिर से उसको किस करने लगा. शबाना ने भी अपनी किस्मत को स्वीकार करके उस जवान लड़के के रस को अपनी कोख़ में जमा होने दिया.

इसके बाद तो लगभग हर रोज शबाना अपने इस नए जवान काफ़िर मालिक के लौड़े से चुदवाने लगी।
उसका हर छेद वीरू ने चोद चोदकर संतुष्ट कर दिया था.
अपने शौहर से ज्यादा अब उसको वीरू प्यारा लगने लगा था.

आज करीब तीन सालों से शबाना शर्माजी के घर पर काम कर रही है और इस बीच उसकी ढली हुई जवानी फिर से निखर कर बाहर आ गयी है.

आगे आपको बताऊंगा कि कैसे वीरू ने अपने दोस्त के साथ मिलकर शबाना को डबल चुदाई के मजे दिलवाये और कैसे शबाना चाची ने अपनी नई ब्याही बेटी हफ़सा को वीरू के लौड़े से चुदवाया.

तब तक के लिए सुरक्षित रहिये … पेलते रहिये।
फ्री इंडियन मेड पोर्न स्टोरी कैसी लगी ये भी जरूर बताना।
मेरा ईमेल आईडी है [email protected]

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