इंडियन कॉलेज पोर्न गर्ल सेक्स कहानी मेरी गर्लफ्रेंड की सहेली की चुदाई की है. मेरी GF ने ही उसकी दोस्ती मेरे साथ करवायी थी सिर्फ सेक्स के लिए. वो मुझसे कैसे मिली और चुदी?
एक दिन मेरे पास मेरी गर्लफ्रेंड तमन्ना का फोन आया और बताया कि उसकी एक सखी आयेज़ा अली मुझसे मिलना और मजे करना चाहती है और आजकल मेरे ही शहर में रहकर पढ़ाई कर रही है।
मेरी पिछली कहानी थी: मासूम सी माशूका
उसी शाम आयेज़ा का फोन आया, हमारी बातें होने लगीं और नजदीकियां बढ़ने लगीं।
यह Indian College Porn Girl Sex Kahani इसी आयेज़ा की है.
एक दिन मैंने आयेज़ा को मिलने के लिए टेक्स्ट किया और जवाब का इंतजार करने लगा।
कुछ ही देर में आयेज़ा का मैसेज आया कि वह फ्री है.
तो मैंने उसे तैयार होने का कहा।
आयेज़ा ने मुझसे आधा घंटा मांगा.
तो मैंने कुछ देर और इंतजार किया और उसकी यूनिवर्सिटी के पास पहुंच गया।
इतने में ही आयेज़ा का मैसेज आ गया कि वह तैयार है.
तो मैंने वहीं क़रीब ही एक जगह का एड्रेस बता दिया।
आयेज़ा अभी तक नहीं पहुंची थी तो मैंने तमन्ना को फ़ोन मिलाया, वह अभी सोकर उठी थी।
मैंने उसे बताया- आयेज़ा से बात हुई है, वह मिलने आ रही है। किस टाइप की है? कुछ बताओ।
तमन्ना ने जवाब दिया- मैं आपको उसके बारे में और उसे आपके बारे में सब बता चुकी हूं। हम बहुत पुरानी सहेलियां हैं और एक-दूसरी की राजदार भी हैं।
मैंने कुछ और पूछ कर कॉल काट दी।
इतने में किसी ने मुझे पुकारा और मेरे पास आई और साथ में एक खुश-बदन, खुश महक लहराती हुई लड़की।
यह तो तमन्ना के बताए हुए फिगर से कहीं ज्यादा हसीन थी।
जिस्म हल्का सा भरा हुआ था मगर यही उसे और ज्यादा खूबसूरत बना रहा था।
मेरी तो नजरें उस पर गड़ गईं।
लाल शर्ट के साथ ब्लैक जीन्स पहने वह बला की हसीन लग रही थी।
भरे-भरे गाल और स्याह काली आंखें!
थोड़ी सी उठी हुई नाक और ठोढ़ी में पड़ता वो गड्ढा।
वह मुझे खुद को देखते हुए मुस्कुराई और बोली- ऐसे क्या देख रहे हैं?
मैं हड़बड़ा गया और कहा- कुछ नहीं बस; तमन्ना ने तुम्हारी तारीफ कुछ कम ही की थी! तुम तो उस से ज्यादा ही हसीन हो!
ये सुनकर वो हंस पड़ी।
उसकी हंसी भी उसकी ही तरह बहुत खूबसूरत थी।
मेरे मन में एक जलतरंग सी गूंज उठी थी, मैं दोबारा उसे देखने लगा और फिर पूछा- कैसा लगा तुम्हें हमारा शहर?
“अभी तक देखा ही कहां है! जब से आई हूं बस यूनिवर्सिटी, हॉस्टल और पास के एक पार्क में दोस्त के साथ गई थी! आपका इंतजार था बस!”
आयेज़ा मुझे काफी जहीन लगी।
हर बात का सुलझा हुआ जवाब देती है और मौका पाकर अपनी खनकती हुई आवाज में हंसना नहीं भूलती।
कुल मिलाकर वह एक पढ़ाकू स्टूडैंट थी।
वहां से चलकर हम पास ही एक होटल रेस्तरां में पहुंच गए।
हमने एक रूम ले लिया.
रूम की तरफ बढ़ते हुए मैं किसी मामूली की तरह ही उसके पीछे था।
पहुंचकर बैठे ही थे कि उसकी दिलकश आवाज मेरे कानों से टकराई- तमन्ना ने आपकी काफी तारीफ की थी!
मैंने जल्दी से उसके चेहरे पर नजर डाली, पता नहीं था कि किस सिलसिले में तारीफ की थी।
मैं फिर से हड़बड़ा सा गया और कुछ देर उसके चेहरे को देखता रहा।
वह फिर बोली- और ये आप मुझे देखकर गुमसुम क्यों हो जाते हैं?
मैं झेंप गया।
कैसे बताऊं कि शिकारी खुद ही शिकार हो गया है।
मैंने कहा- बस ऐसे ही!
हम आमने-सामने ही सोफे पर बैठे हुए थे और सामने ही बैड था।
इतने में मैसेज की बेल बजी।
तमन्ना का मैसेज था।
उसने आयेज़ा का पूछा कि बात कहां तक पहुंची है? आपके करीब हो गई है या अभी तक दूर-दूर है?
मैंने तमन्ना को रिप्लाई किया कि बस अभी रूम में पहुंचे हैं और मैं अभी तक झिझक ही रहा हूं। समझ नहीं आ रहा कि कैसे पहल करूं।
उसने रिप्लाई दिया कि मैंने आयेज़ा को सब बताया हुआ है, जैसे चाहे शुरू कर दें।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई तो मैंने मोबाइल रखते हुए उठकर दरवाजा खोला।
वेटर आया था, हमने लस्सी मंगवाई थी, वो लेकर!
मैंने उससे ट्रे ली और अंदर आया तो आयेज़ा ने जल्दी से मेरा मोबाइल साईड में रखा।
मैं वो ट्रे उसके बराबर में रखते हुए उसके सामने बैठ गया।
अब मैंने उसके चेहरे को देखा तो अंदाजा हुआ कि वो मेरे मैसेज पढ़ चुकी है।
उसके चेहरे पर एक स्माइल थी।
मैं ट्रे उसके बराबर में रखते हुए उसके सामने बैठ गया और मोबाइल हाथ में उठाया।
आयेज़ा की तरफ से एक मैसेज भेजा गया था ‘मैं तैयार हूं!’
मैंने आयेज़ा की तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रही थी।
उसकी आंखों में शरारत साफ दिख रही थी।
और तभी आयेज़ा ने हाथ बढ़ाकर लस्सी का गिलास उठा लिया तो मैंने भी उसे देखते हुए दूसरा गिलास ले लिया और गटागट पी गया।
उसने लस्सी पीकर अपना गिलास नीचे रखा तो मेरी हंसी छूट गई।
लस्सी का सफेद दायरा उस के होंटों पर बन गया था।
मुझे हंसता हुआ देख आयेज़ा पूछने लगी- क्या हुआ, क्यों हंस रहे हैं?
मैंने बताया- तुम्हारी मूंछें बन गईं हैं!
तो उसने टिश्यु से साफ करना चाहा मगर फिर भी कुछ हिस्सा रह गया था और मैं बदस्तूर हंसे जा रहा था।
आखिरकर उसने टिश्यू मेरे हाथ में दिया कि खुद साफ कर दें।
मैं टिश्यु लेता हुआ उसके पास में जा बैठा।
टिश्यु उसके चेहरे की तरफ बढ़ाया.
मगर फिर एक और ख्याल आया और मैंने उसके चेहरे को थामते हुए अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।
वह थोड़ी सी पीछे को हुई मगर फिर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
उसके होंठ उसी की तरह मुलायम और नर्म-नर्म थे।
मैं उसके होंठों को साफ करते हुए ऊपरी होंठ पर किस करने लगा तो उसने अपनी आंखें बंद कर लीं।
कुछ देर ऐसे ही किस करते हुए मैंने उसके सिर को अपनी गोद में रखा और ऊपर झुक गया।
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तब मैंने उसका चश्मा उतारकर साईड में रखा।
आयेज़ा की आंखें अब भी बंद ही थीं।
उसकी लंबी ज़ुल्फ़ें सोफ़े पर बिखरी हुई थीं और उनके बीच उसके चेहरे पर झुका हुआ मैं उसे चूमे जा रहा था।
उसके भरे-भरे गालों पर मैं अपने होंठ रखता जो फिसले-फिसले जाते थे।
लाल और गोरे गालों के थोड़ा ऊपर ही उसकी स्याह बड़ी सी आंखें जो उस वक़्त बंद थीं।
मैं अब तक उसके पूरे चेहरे पर अपने होंठों के निशान बना चुका था।
अब मैंने उसे सहारा देकर उठाया और अपनी गोद में बिठा लिया।
उसकी टांगें अपने दाएं-बाएं रखते हुए बड़ी मुश्किल से उठाया था और अपनी बांहों में लेते हुए खुद से लिपटा लिया।
उसका जिस्म उतना भारी नहीं है जितना उसका सीना।
मोटी और बड़ी-बड़ी चूचियां, अपनी पूरी उठान के साथ।
लाल रंग की शर्ट में बुरी तरह से फंसी हुई चूचियां मुझ से टच होते हुए अपनी सख्ती मुझे बता चुकी थीं।
मैं उसके होंठों को चूमते हुए उसे चुदने के लिए तैयार कर रहा था।
एकदम से उसने अपने होंठों से मेरे होंठों को छुआ तो मेरे पूरे जिस्म में एक लज्जत की लहर दौड़ गई।
एक वो शुरूआत हो गई जो मालूम नहीं कहां जाकर खत्म होनी थी।
हमने बारी मुक़र्रर कर ली थी।
दो से तीन बार वो मेरे होंठों को चूमती और फिर मैं जवाब देता।
आयेज़ा की बंद आंखें अब खुलीं और उनमें एक अजीब सी चमक थी।
दो चमकीली स्याह आंखें पलकें झपकाए बिना मुझ पर गड़ी हुई थीं।
हमारे जिस्मों में जहां लज्जत की लहरें घूम रही थीं, वहीं पर सनसनाहट की एक लहर भी आई, जो मेरे ऊपर बैठी आयेज़ा के जिस्म से निकलकर मेरे पूरे बदन में फैल रही थी।
उसके चेहरे को छोड़ते हुए मेरे हाथ नीचे को बढ़े और उसके कूल्हे सहलाने लगे.
तो आयेज़ा आपे से बाहर होकर तेजी से मेरे होंठ चूसने लगी।
अब मैंने उसे जीभ निकालने को कहा.
तो उसने जीभ निकाली और मैं उसे चूसने लगा।
उसकी बेक़रारी बढ़ती जा रही थी।
अब पुरानी आयेज़ा के अंदर से एक नई आयेज़ा निकली और उसने मेरे हाथ पकड़कर अपने सीने पर रख दिए।
अब उसने मेरे हाथों पर अपने हाथ रखे और हल्का सा दबाया तो मैं आहिस्ता से उसकी चूचियां दबाने लगा।
आयेज़ा ने अपने हाथ वहां से हटाकर मेरे सिर पर रख दिए।
मुझे तो खुली छूट मिल गई और मैं पूरी आजादी से उसकी मचलती हुई चूचियों को दबाने लगा.
फिर उसे थोड़ा सा करीब लाते हुए अपने होंठों को उसकी शर्ट के ऊपर ही फेरने लगा और हाथों को नीचे ले जाकर उसकी कमर से नीचे का सफर शुरू कर दिया।
उसकी कमर ज्यादा पतली नहीं बल्कि हल्की सी भरी हुई है और बड़ी सी गांड है उसकी!
मैं बिना किसी झिझक के उसके चूतड़ दबाने लगा।
आयेज़ा के होंठ अब भी मेरे चेहरे पर घूम तो रहे थे.
मगर अब उसकी बेचैनी महसूस होने लगी।
गांड के नीचे से उसकी गर्मी मेरे लन्ड पर भी महसूस होने लगी और अब वो भी उठने लगा।
मैंने आयेज़ा को इसी तरह गोद में भर के उठाया तो उसने मेरे इर्द-गर्द टांगें लपेट लीं।
मैं उसे बैड पर लाकर उसे अपने बराबर में लिटाते हुए उसकी तरफ करवट करके लेटा तो मगर बैड पर होने के बजाय मैं आधे से ज्यादा उसके ऊपर ही झुका हुआ था।
अब मैंने उसके चेहरे को फिर से चूमना शुरू किया और नीचे से हाथों ने भी मनमानी शुरू कर दी।
कुछ देर तक उसके चेहरे को चूमने के बाद में थोड़ा सा सीधा होकर लेटा और उसे खुद पर खींचने लगा।
थोड़ी सी ज़ोर आजमाईश के बाद वो मेरे ऊपर आ गई।
अब उसका चेहरा मेरे चेहरे के ऊपर था; दोनों हाथों को मेरे सिर के दाएं-बाएं बैड पर रखते हुए वह मुझ पर झुकी हुई थी।
उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां मेरे सीने पर दब गईं।
अब मैंने उसे थोड़ा सा ऊपर को उठाया और अपने सिर के नीचे एक तकिया रख लिया।
इसके बाद उसकी शर्ट के निचले हिस्से को हाथों में पकड़ा कि तभी मेरी नजर उसके चेहरे पर पड़ी, स्याह आंखें चमक रही थीं, होंटों पर आरज़ू भरी मुस्कुराहट थी।
उसने अपने हाथों को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया।
खुला इशारा मिलते ही मैंने अपने हाथों को हरकत दी.
मैं ज्यादा ऊपर अपने हाथ नहीं उठा सका तो बाक़ी शर्ट उसने खुद ही उतारी और अब गोरी-चिट्टी भारी-भरकम चूचियां मेरे सामने थीं।
मैंने ब्रा के ऊपर से एक बार दबाते हुए उन्हें उठाया.
लेकिन आयेज़ा कुछ ज्यादा ही गर्म हो गई थी तो उसने पीछे हाथ बढ़ाकर खुद ही ब्रा की हुक भी खोल दी।
और अब मेरी आंखों के सामने थीं बड़ी-बड़ी चूचियां और उनके गुलाबी निप्पल जिनके साथ एक बड़ा सा तिल भी था।
वो मुझे खुद को चूमने की दावत देने लगा।
आयेज़ा की आंखें भी यही कह रहीं थीं तो मुझे मानने पर क्या एतराज?
मैं इसी तरह उठकर बैठ गया और गोद में बैठी आयेज़ा की चूचियों को पकड़ते हुए मुंह में लेने लगा तो उसकी एक सिसकारी सी निकली।
उसकी चूचियां वैसे तो मीडियम साइज की हैं मगर गोलाई में काफी उभरी हुई हैं।
मैं एक हाथ में उसे किसी आम की तरह थामता और मुंह में लेकर चूसने लगता।
मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर था और दूसरा हाथ बारी-बारी दोनों चूचियों को मुंह में पहुंचा रहा था।
आयेज़ा ने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए।
वह अब खुलकर सामने आ गई।
शर्म-ओ-हया के साथ-साथ अब वह एक गर्म लड़की भी थी जो हर मज़े को हर अंदाज से एन्जॉय करने की कोशिश करना चाह रही थी।
और अब ब्रा खुलने के साथ ही वह और भी खुलकर सामने आ गई।
उसकी आंखों में ख्वाहिश के डोरे तैरने लगे।
वह मेरे हाथों को पकड़कर अपनी चूचियों पर दबाने लगी तो मैंने भी दबाव बढ़ा दिया।
आयेज़ा की एक तेज लेकिन भिंची हुई चीख निकली।
मेरे हाथों की पकड़ में उसकी भारी-भरकम चूचियां फंसी हुई थीं।
मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और उसकी जीन्स उतारने लगा।
मैं आधी जीन्स उतार चुका था और वह घोड़ी सी बनी हुई मेरे ऊपर झुकी हुई थी।
अब मैंने उसकी चूची को थोड़ा दबाया तो वह सिसकियां भरने लगी और साथ ही हल्की सी चीख भी मारती जिसमें एक इशारा था कि अभी और गुंजाइश बाकी है।
मैंने उसकी चूचियों को चाट-चाट कर गीला कर दिया।
गोरी-गोरी चूचियां लाल सुर्ख हो गईं, उन पर कहीं-कहीं मेरे दांतों के निशान भी थे।
अब मैंने उठते हुए आयेज़ा को बैड पर लिटाया तो उसने लेटते ही टांगें भी उठा लीं।
मैंने उसका इशारा समझकर आधी बची जींस भी उतार दी।
अब सामने आईं उसकी भरी हुई जांघें जिनके दरमयानी हिस्से पर लाल रंग की पैंटी लिपटी हुई थी।
मैं उसे भी उतारता चला गया।
आयेज़ा के हरकतें शोख होने लगीं।
उसने अपने पैर मेरे सीने पर रखते हुए मुझे खुद से दूर रखने की कोशिश की तो मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा जो शरारत से चमक रहा था।
अब मैं उसकी टांगें फैलाते हुए बीच में आया और उसके सीने पर झुका जहां चूचियां अब फैली हुई थीं और उनके गुलाबी निप्पल मचल रहे थे।
गोल-गोल चूचियां, चारों तरफ एक सी गोलाई लिए हुए।
मैं अपने बाएं हाथ से उसकी चूचियों को संभाल रहा था और सीधा हाथ नीचे ले जाकर अपनी पैंट उतारने लगा।
जल्द ही मेरा लंड पैंट की क़ैद से बाहर आ गया।
खुली फ़िज़ा में आया तो लंड में भी जान सी आई और चंद ही सेकंड में तन गया।
टोपा ग़ुस्से में था और हल्की सी लरज के साथ फूलने लगा।
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मैंने आयेज़ा की तरफ देखा.
वह मेरे चेहरे को ही देख रही थी जैसे पूछ रही हो कि क्या माजरा है?
मैंने उसकी टांगें दाएं-बाएं फैलाते हुए मोड़ दीं और पंजों के बल बैठते हुए पोज़ीशन संभाल ली।
उसकी भरी-भरी टांगों के बीच मेरा लंड भी भरा-भरा सा लग रहा था, फूला-फूला सा लग रहा था।
मगर चूत के ऊपर रखते हुए चूत बेचारी छुप सी गई।
आयेज़ा ने अपनी टांगों को थामते हुए मुझे इशारा किया तो मैंने भी लंड संभाल कर चूत पर रख दिया।
अब मैंने दबाव बढ़ाया तो टोपे ने चूत की दोनों दीवारों को चीरा और अंदर की तरफ लपका।
आयेज़ा की एक तेज चीख निकली तो मैंने उसकी चूचियां छोड़ते हुए उसकी टांगों को थाम लिया।
अभी टोपा ही अंदर फंसा था और आयेज़ा की हाय-हाय चालू थी।
जितनी सुरीली आवाज थी उतनी ही सुरीली आहें भी।
मैंने दोबारा से दबाव बढ़ाया और आधा लंड अंदर उतार दिया।
अब आयेज़ा की पहले से ज्यादा कराहें निकलने लगीं और टांगें भी उतनी ही तेजी से हिलने लगीं।
मगर वह पूरी तरह से मेरे क़ाबू में थी और बार-बार मुझे देखते हुए मुंह खोले और बंद किए जा रही थी।
शायद वह कुछ कहना चाहती थी और दोनों हाथों से मुझे रुकने का इशारा भी कर रही थी।
अब मैंने लंड को बाहर खींचा और फिर अंदर धकेल दिया।
वह फिर से लरजी और चूचियां भी उछलीं मगर उसका मुंह अब भी खुला ही था।
मैंने कुछ देर रुककर धक्के देना शुरू कर दिया।
लंड किसी तरह से फंसता-फंसाता आने-जाने लगा।
आयेज़ा की चूत ने काफी ज्यादा पानी छोड़कर रास्ता साफ करने की कोशिश की लेकिन लंड किसी सूरत मानने को तैयार ना था।
वह इसी तरह उसकी चूत में फंसता हुआ गुजरता जा रहा था।
आयेज़ा आधा लंड समेट चुकी थी; वो बुरे तरीक़े से उसकी चूत फंसी हुआ था।
मैं कुछ देर और लंड को आगे-पीछे करता रहा।
आयेज़ा का मुंह अब कुछ बंद हुआ और उसने एक नजर नीचे देखा और फिर एक ज़ोरदार आह निकाली- उफ … हाय … ओई!
तमन्ना ने उसे जो कहानी सुनाई होगी, हकीकत उससे अलग थी।
शायद तमन्ना ने मजे की दास्तान सुनाई थी और यहां दर्द का सबब था।
वहां सिसकारियां और मजे के किस्से थे और यहां पर सिसकियों, आहों और हाय का तूफान था।
आयेज़ा अब धीरे-धीरे नॉर्मल होने लगी।
नीचे देखने का बाद उसे पता चल गया कि आधा लंड अभी बाहर ही है तो उसने मुझे कहा- जान, बस अभी कुछ देर इतना ही करते रहो।
मुझे क्या ऐतराज होता?
मैं अपनी नॉर्मल स्पीड से अंदर-बाहर करने लगा.
कुछ ही देर में आयेज़ा की चूत ने हार मानी और पानी छोड़ने लगी.
तो मैं कुछ देर तक लंड हिलाता रहा और फिर बाहर खींच लिया।
अब वह उठी और अपनी टांगों के बीच हाथ रखती हुई बोली- उफ … क्या घुसा दिया था आपने? मुझे ऐसा दर्द कभी नहीं हुआ।
मैं क्या बोलता?
बस खामोश ही रहा।
मेरा लंड उसी तरह खड़ा मुस्कुरा रहा था.
तो आयेज़ा मेरे पास बैठी और दोनों हाथों में उसे थाम लिया और फिर दोनों हाथों से उसको ऊपर-नीचे करने लगी।
मैं लेटा हुआ उसकी बाजुओं के बीच से उसकी मोटी-मोटी चूचियों को देख रहा था जो हिलती हुई मुझे चूसने का न्यौता दे रही थी।
मैंने हाथ बढ़ाकर उन्हें थामा और खींचने लगा।
उधर आयेज़ा ने मेरे लंड से खेलने के बाद अब उसे मुंह में ले लिया और चूसने लगी; चारों तरफ से चाट-चाट कर उसे नहलाने लगी।
मैं उसे भी देखता, उसकी चूचियों को भी देखता, पीछे से भरी हुई कमर और बड़ी सी गांड को भी देखता।
आयेज़ा ने लंड को चूस-चूस कर चमका दिया.
तभी मैंने उसे कहा- घोड़ी बन जाओ!
और खिसक कर उसे जगह बताई.
तो वह उसी जगह घोड़ी बन गई।
मैं उठकर उसके पीछे गया और दोनों भरे-भरे चूतड़ों के बीच लंड रखता हुआ दबाने लगा।
नीचे से आयेज़ा ने भी लंड को राह दिखाई और चूत पर टिकाने लगी।
मैं आगे को झुका और अपने हाथ उसके कंधों पर रखकर कोहनी उसकी कमर पर रख दी।
कोशिश थी कि कोहनी की नोक उसे ना चुभे, बस अपने अगले बदन का वजन उसकी कमर पर डालूं.
मैं अपनी कोशिश में कामयाब भी हुआ।
आयेज़ा थोड़ी सी नीचे को हुई और फिर वजन संभाल कर उठी।
मेरा लंड अब तक उसकी टांगों के बीच फंसा हुआ उसकी चूत की गर्मी को महसूस कर रहा था।
अब मैंने अगले हिस्से पर वजन बढ़ाते हुए अपनी कमर को हिलाया और लंड थोड़ा अंदर धकेला तो आयेज़ा की ‘ऊह … ऊई’ निकल गई.
तो मैं कुछ देर रुका और फिर से एक धक्का लगाया।
आयेज़ा के मुंह से फिर एक कराह और ‘ऊह … ऊई … मर गई की आवाज निकली।
वह आगे को होना चाहती थी लेकिन मैंने नहीं होने दिया।
मैंने पैर जमा कर पीछे से फिर एक धक्का दिया और आधा लंड अंदर पहुंच गया।
आयेज़ा बुरे तरीके से हिली और शायद बैलेंस खोकर दाएं-बाएं गिर भी पड़ती मगर मैंने उसे संभाल लिया।
जब वह सेट हो गई तो मैं फिर से धक्के लगाने लगा।
आयेज़ा अब लरजने के साथ-साथ हिल भी रही थी।
हिलने के साथ सिसकारियां भर रही थी, साथ साथ कुछ कांप भी रही थी।
मैंने इसी तरह धक्के लगाते हुए अपनी स्पीड बढ़ाई तो वह तेज आहें भरने लगी और ‘ऊई … हाय … उफ्फ …’ के साथ नीचे लटकी हुई उसकी चूचियां उछलने लगीं।
अब मैंने उसके ऊपर से हाथ हटाए और झुककर उसकी चूचियां पकड़ लीं.
तो आयेज़ा थोड़ी सी ऊपर को उठी और गांड भी थोड़ी सी उठा ली जिससे मेरा मजा और बढ़ गया।
चूचियां पकड़ने के चक्कर में जो झटका मारा था तब पूरा लंड अंदर उतरा, वह एक फिर चीखती हुई आगे को हुई.
लेकिन चूचियां मेरे हाथ में ही थीं तो मैंने वापसी का रास्ता दिखा दिया।
जिस स्पीड से वह गई थी उसी स्पीड से वापिस आई।
इसके बाद मैंने पूरा लंड ही घुसाए रखा।
हर झटके के साथ उसकी कमर और गांड भी ऊपर को झटका खाते और उसकी नॉनस्टॉप हाय-हाय मच गई।
आयेज़ा की आगे निकलने की कोशिशें नाकाम हो गईं और पीछे से फंसा हुआ लंड उसे सुकून नहीं दे रहा था।
वह जान-जान की रट लगाने लगी।
मैंने फिर से पूरा लंड बाहर निकाला और वापस धकेल दिया.
तो उसने ऊई … की आवाज के साथ फिर से कमर उछाली और गांड नीचे की।
इतने में दूसरा झटका पड़ा और इसी तरह उसकी कमर ऊपर और गांड नीचे को होती रही।
आयेज़ा की ऊई … ऊई … और हाय पूरे कमरे में गूंजने लगी।
मैंने उसकी चूचियां अब तक संभाली हुई थीं और मेरे झटके तेज होने लगे।
आयेज़ा आगे को होती तो चूचियों पर जोर पड़ता जिससे दर्द बढ़ जाता.
इसलिए मैंने पोजीशन बदलने का सोचा और लंड बाहर निकाल लिया।
अब उसे बैड के किनारे पर लाकर खुद नीचे उतर गया।
आयेज़ा बैड के बीच के हिस्से में किनारे पर थी, उसकी टांगें बैड पर थीं।
मैंने उसे और आगे को खींचा और बिल्कुल किनारे पर लाकर दोनों टांगें सीधी फैला दीं।
और अब उसकी जाँघों के बीच में थी पानी में गीली हुई एक लकीर जिसके सामने मेरा लंड नई लड़ाई की तैयारी कर रहा था।
आयेज़ा अब दोनों चूचियों को अपने हाथों में दबोचे हुए ये सब देख रही थी।
उसने अपना सिर थोड़ा सा उठाया हुआ था।
उसकी जीभ बाहर निकलती और होंटों पर घूमकर वापस चली जाती।
मैंने अपने लंड को उसकी चूत के ऊपर रखा और दबाव बढ़ाने लगा।
आयेज़ा की टांगें पूरी फैली हुई थीं जिन्हें मैंने उसकी जांघों की अंदरूनी साईड पर हाथ रखकर थाम लिया।
लंड गप गप की आवाज निकालता हुआ अंदर-बाहर होने लगा।
आयेज़ा ऊपर को उठी और अपनी चूचियों पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली।
मैं जांघों को थामते हुए दबाव बढ़ाने लगा।
उसकी सिसकारी निकल रही थी। वह अपने होंठों पर जीभ फेरे जा रही थी और मैं दबाव बढ़ाते हुए और ज्यादा अंदर घुसाने की कोशिश में था।
आयेज़ा ने पूरा लंड अंदर ले लिया था तो मैंने उसकी टांगें समेट कर सीधी ऊपर को उठाईं और अपनी बाजुओं में दबोच लीं।
नीचे से लंड ने भी स्पीड पकड़ी और आयेज़ा की गर्मगर्म सिसकारियां फिर से गूंजने लगीं ‘ऊई … आह … उफ्फ … हाय … इस्स …’
मैं अब पूरा लंड खींचकर बाहर निकालता और फिर उसी स्पीड से अंदर भेजता और इसके साथ ही उसकी आवाज तेज होती जिससे मेरी हरकत तेज होती जा रही थी।
इसका अंदाजा आयेज़ा की ऊंची और तेज सिसकारियों से भी होने लगा।
उसका पूरा जिस्म लरज रहा था।
मेरे झटके और तेज हुए और इसके बाद तूफानी झटकों की बारी आई।
मगर कुछ देर में आयेज़ा हिल-हिल कर बैड के ऊपर खिंचने लगी और मैं भी झटके देते हुए उसे ऊपर धकेलने लगा.
इसी तरह धक्के देता हुआ मैं उसे ऊपर लाते हुए खुद भी बैड पर पहुंच गया।
उसके जिस्म की कंपकंपाहट और सिसकारियां और बढ़ गईं।
उसकी उठी हुई टांगें मेरी बाहों में थीं और नीचे से फैली हुई चूत के बीच लंड अपनी दौड़ जारी रखे हुए था।
आयेज़ा और मैं दोनों बैड के बीच में पहुंच चुके थे।
धक्के और झटके एक सेकंड के लिए भी नहीं रुके और इसी तरह आयेज़ा भी एक लम्हे के लिए चुप नहीं हुई। वह मुंह खोले सिसकारियां भरती रही, अपनी सुरीली आवाज में मुझे पुकारती रही।
मैंने स्पीड और तेज की और फिर गुर्राहटों के साथ झटके और बढ़े।
आयेज़ा ने भी चीखों के साथ मेरा साथ दिया।
वह भी झड़ने वाली थी और मैं भी!
कुछ और ताकतवर झटके पड़े तो बैड भी चूं-चूं करने लगा।
और फिर एक तेज गुर्राहट के साथ में झड़ने लगा।
आयेज़ा भी मेरे साथ ही आई।
उसकी चूत में पानी का एक सैलाब सा आया और एक तेज फुरफुरी भी।
कुछ देर बाद मैंने लंड बाहर निकाला और उसके साथ लेट गया।
आयेज़ा ने मुझसे लिपटकर पप्पियों की बौछार कर दी।
हम दोनों काफी देर तक लिपटे रहे।
फिर मैंने आयेज़ा को तैयार होने का कहा और खुद भी उठ गया।
वह तैयार हुई तो मैं उसे यूनिवर्सिटी छोड़ आया।
आज भी हमारा मिलना बदस्तूर जारी है।
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