हॉट बेब xXx पोर्न स्टोरी में पढ़ें कि कैसे बहन की चुदक्कड़ जेठानी की चुदाई के बाद उसने अपनी बड़ी बेटी को मेरे बड़े लंड का स्वाद चखाया. पहले तो वो नखरे कर रही थी पर …
साथियो, मैं चन्दन सिंह!
मेरी पिछली कहानी
बहन की चुदक्कड़ जेठानी को खूब पेला
में आपने मेरी बहन की विधवा जेठानी नंदा की चुदाई की घटनाएँ पढ़ी.
मैंने उस कहानी में नन्दा की दो बेटियों का भी वर्णन किया था.
अब आगे Hot Babe xXx Porn Story:
इस तरह एक सप्ताह बाद जब मैं ऑफिस में बैठा था, नंदा का फोन आया.
मैं चेम्बर को अन्दर से लॉक करके उससे आराम से बात करने लगा.
नंदा ने बात शुरू करने से पहले माफी मांगते हुए कहा- यार चन्दन, वादे के मुताबिक मैं हार गई. यहां आकर जब मैंने पूना से अपनी बड़ी बेटी को बुलाया और धीरे से समझाया. तो वो बोली कि मम्मी आजकल की लड़कियों को इतना समय नहीं है. मेरी जवानी तो बहुत पहले ही आ गयी थी. अब बारह साल तक सेक्स का क्या इंतजार करती. मेरी तो छोड़ ही दो. आज का जमाना बदल गया है. रही मेरी शादी की बात, तो सुन लो मुझे शादी किए डेढ़ साल हो गया है. हमने कोर्ट मैरिज कर ली. आपको डर के कारण नहीं बताया.
साथ में ही वो ये भी बोली कि मैं अपने पति के सेक्स से संतुष्ट हूँ.
फिर जब मैंने उसे प्यार से और कुछ गुस्सा से समझाया, तब भी नहीं मानी. आखिर में उसे सुसाइड की धमकी दी, तब वो एक रात के लिए मानी. अब मैं जानती हूं कि इसने शादी कर ली, कुछ दिनों बाद अपनी सेलरी भी देना बंद कर देगी. इसके साथ छोटी वाली भी ने यही सब किया है. अब सब कुछ तुम्हारे हाथ में है. तुम चाहो तो मुझे बचा सकते हो. कल ही तुम जयपुर पहुंच जाओ और बड़ी वाली ने एक रात के सेक्स का कहा है, उसे एक रात में ऐसा आनन्द दे दो कि वो अपने पति के पास जाए, तो उसे तुम्हारी ही याद आए.
मैं तुम्हारा अहसान जिन्दगी भर नहीं भूलूंगी.
मैंने नंदा से कहा- ठीक है कल ही पहुंचता हूँ.
वो बोली- मैं टिकट भेजती हूँ.
कुछ ही देर में टिकट कल सुबह के दस बजे के आ गए.
मैं कम्पनी से निकल कर घर पहुंचा और जयपुर जाने की तैयारी करने लगा.
सूटकेस तैयार करके मैं पीने बैठ गया.
पीकर मैंने डिनर का पूछा.
बहू बोली- तैयार है.
मैंने बहू से कह कर कमरे में ही थाली मंगवा ली. डिनर करके मैं सो गया.
दोस्तो, अब कल नंदा की बड़ी लड़की को चोदने की बारी है.
सुबह उठा, नहा धोकर तैयार हुआ और टैक्सी पकड़ कर एयरपोर्ट पहुंचा.
लगेज जमा करवा करके मैं बार में चला गया. उधर जाकर दो पैग पीकर आ गया.
जयपुर की सवारियों की लाइन देख कर मैं भी लग गया.
कुछ ही देर में सीट पर बैठ कर नंदा को बता दिया.
वो बोली- हम दोनों आपको रिसीव करने आएंगी.
नियत समय पर हवाई जहाज उड़ा.
मैं डेढ़ घंटा में जयपुर पहुंच गया.
माँ बेटी दोनों ही मुझे लेने आई थीं.
जब वो पास आईं तो नंदा ने पत्नी की तरह लिपट कर बेटी को अहसास करवाना चाहा.
मैंने सामान लेकर गाड़ी में रखा. नंदा और मैं पिछली सीट पर बैठ गए.
नंदा की बेटी रुचिका गाड़ी चलाने लगी.
कुछ ही देर में हम घर आ पहुंचे.
नंदा बोली- ड्रिंक बना दूँ?
‘हां अगर रुचिका साथ में बैठ कर एन्जॉय करे.’
नंदा बोली- रुचि क्या तुम हमारे साथ ड्रिंक लोगी?
वो ‘नहीं …’ बोली.
नंदा उठ कर रुचिका के पास गयी.
पता नहीं क्या समझा कर वो रुचि को ले आयी.
उसके चेहरे से बिल्कुल अहसास नहीं हो रहा था.
वो जबरदस्ती पीने को बैठी थी रुचि ने ही वाइन के तीन पैग बना कर सभी के हाथ में दे दिए.
सभी चियर्स करके पीने लगे.
नंदा ने हंसी मजाक की बातें करना शुरू करके माहौल को हल्का कर दिया.
हम सब हंसी मजाक में काफी देर तक पीते रहे थे.
हमें मालूम ही नहीं पड़ा कि वक्त कैसे कट गया.
जब रुचि की आवाज लड़खड़ाने लगी, तब मुझे महसूस हुआ.
मैंने नंदा के मोबाइल में रुचि के अधिक टुन्न होने का मैसेज किया.
जब नंदा के मोबाइल ने आवाज की, तो उसने मेरे मैसेज को पढ़ कर लिखा कि कोशिश करो कि ये एक दो पैग और पी ले.
मुझे सिगरेट की तलब लगी.
मैंने जेब में देखा, नहीं मिली तो सूटकेस के अन्दर से निकाल कर टेबल पर रखी और एक सिगरेट सुलगाई.
मुझे सिगरेट पीता देख कर रुचि ने भी सिगरेट की इच्छा व्यक्त की.
मैंने पैकेट उसके आगे कर दिया.
उसने एक सिगरेट होंठों से लगाई और ऐसे पीने लगी, जैसे उसे रोज पीने की आदत हो.
नंदा उसे देखती रह गयी.
रुचि सिगरेट के साथ पैग भी पीने लगी.
नंदा उचित समय जान कर बोली- मैं लंच की तैयारी करती हूं, तुम दोनों एन्जॉय करो.
इतना कह कर वो चली गयी.
रुचि उसके जाने के बाद मेरे सोफे पर आ गई और मुझसे चिपक कर बोली- मम्मी, आपकी बहुत तारीफ करती हैं. ऐसा क्या जादू कर दिया आपने उन पर?
जब वो मुझसे चिपकी हुई थी तो मेरा लंड फुंफकारने लगा.
मैं आपको रुचि के बारे में बताऊं कि उसका सीना 30 इंच, कमर 24 इंच और नितम्ब 32 इंच के होंगे. पांच फीट के करीब कद और बालों का स्टाइल बहुत अच्छा था.
उसके लम्बे लम्बे बाल गांड के नीचे तक लहरा रहे थे.
मुझे लम्बे बाल वाली लौंडिया काफी पसन्द आती थीं.
रुचि अचानक से मेरे पैंट की जिप खोलने लगी, जिप खोल कर ऊपर से भी खोलने लगी.
मैंने पूछा- इतनी जल्दी क्या है?
वो बोली- बस आइटम देखना चाहती हूँ.
मैंने कहा- कमरे में चल कर भी देख सकती हो.
वो मानी नहीं, अपना एक हाथ किसी तरह पैंट के अन्दर पहुंचा कर उसने लंड टटोलना शुरू कर दिया.
जब अपने हाथ में लंड लेकर वो नापतौल करने लगी, तो हैरान होकर बोली- ये क्या माजरा है … इतना बड़ा. अब जल्दी से कमरे में चलो.
हम दोनों उठे कमरे में पहुंच गए.
वो पैंट को नीचे खींचने लगी.
मैंने एतराज किया और कहा- ऊपर से शुरू करो. एक कपड़ा तुम्हारा उतरेगा, तब मेरा भी एक कपड़ा उतरेगा.
इस तरह हम दोनों ने कपड़े उतारे.
उसने लंड को देखा और आश्चर्यचकित रह गयी, वो हाथ में लंड लेकर टटोलने लगी.
अच्छी तरह लंड देख कर बोली- सिर्फ दिखने में ही बड़ा है … या बड़ा जैसा काम करने लायक भी है?
उसका उपहास मुझे चुभ गया.
मैंने उस पर एक हाथ रख कर दूसरे हाथ को कंधे के पास रखा और झटके से उठा लिया.
उसे उठा कर मैंने इस तरह ऊंचा रखते हुए इस तरह घुमाया कि उसकी दोनों टांगें मेरी कमर में लिपट गईं.
अब उसकी चूत मेरे लंड के ऊपर थी. उसकी कमर के ऊपर एक हाथ रखा और होंठों का चुम्बन लेने लगा.
दूसरे हाथ से लंड को उसकी चूत पर ऊपर से नीचे रगड़ने लगा.
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रुचि बोली- गुड … बहुत ज्यादा जानकार हो.
मैं मुस्करा कर रह गया.
जब उसकी चूत पनियाने लगी तो मैं समझ गया.
वैसे भी रुचिका वजन में हल्की थी.
मैंने उसी आसन में उसकी चूत पर लंड सैट कर दिया और ऊपर से उसके शरीर को नीचे खींचा.
मेरा लंड सीधा उसके गर्भाशय से जा टकराया.
रुचिका जोर से चीख पड़ी- हाय मम्मी … मर गई … आंह फट गई मेरी … हाय मम्मी बचाओ.
नंदा दौड़ती हुई कमरे में आयी और नजारा देख कर हंसती हुई बोली- पहली बार मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था. कुछ देर में नार्मल हो जाओगी.
इतना बोल कर नंदा किचन में चली गयी.
मैं रुचिका को लेकर, अपने पैर नीचे रख कर बैठ गया.
मैंने बैठी अवस्था में भी रुचिका के पैरों को यथावत कमर से लपेटे रखा.
अब उसकी गांड के नीचे हाथ डाल कर उसे ऊंचा नीचा करने लगा.
दर्द के कारण वो मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी.
मैंने एक हाथ से बूब्स मसले और दूसरे को कंधे के पीछे कर लिया ताकि वो उठ नहीं जाए.
अब चूचे से हाथ हटा कर उसकी गांड के नीचे रख कर उसको ऊंचा नीचा करने लगा.
मैंने नीचे लंड की तरफ देखा तो कुछ खून सा दिखाई दिया.
रुचिका अपनी माँ को लगातार आवाज देती जा रही थी.
करीब सात आठ मिनट बाद रुचिका शान्त होने लगी.
अब उसको दर्द की जगह आनन्द मिल रहा था.
मैंने बदस्तूर उसे ऊपर नीचे करना जारी रखा.
कुछ ही देर में उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और तभी एकदम से उसकी चूत से पानी छूटा.
उसे बड़ा सुखद अहसास हुआ.
वो मेरे होंठों को चूसने लगी. वो निढाल होकर मुझे पर झूल गई थी.
अब मुझे अहसास हुआ कि रुचिका को बिस्तर पर लिटा देना चाहिए.
रुचिका को ज्यादा मजा लेने के लिए उसे बिस्तर पर लेटने को कहा.
वो मेरे ऊपर से उठी. पानी और खून की कुछ बूंदें नीचे गिर गईं.
उसने अपनी माँ की तरह अपने कपड़ों से चूत को साफ किया.
जब मेरे लंड को देखा, तो उसे भी साफ कर दिया और कपड़े को सिराहने की तरफ रख कर बिस्तर पर लेट गयी.
मैं उसके ऊपर जाकर लेट गया और एक बार फिर से चुदाई शुरू हुई.
आधा घंटा में वो दो बार पानी छोड़ चुकी थी.
मैंने रुचिका से कहा- अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ.
वो मेरे ऊपर आकर बैठ गयी और लंड को अपनी चूत में ले लिया. वो लंड चूत में लेकर घुटनों के बल ऊपर नीचे होने लगी.
जब मैंने उसको उसकी माँ के द्वारा चूत को संकुचित करने के बारे में बताया, तो वो कोशिश करने लगी.
चार पांच बार में वो बिल्कुल अपनी माँ की तरह चूत को संकुचित करना सीख गई.
चूत संकुचित करते हुए चुदाई करते उसे दस मिनट भी नहीं हुए कि उसकी चूत ने एक बार और पानी छोड़ दिया.
इस बार वो सीधे मेरे सीने के ऊपर निढाल होकर गिर गयी.
पांच मिनट बाद वो बोली- माँ सच ही कहती थीं. तुम्हारे लंड से एक बार जिसने चुदाई करवा ली, वो पुरानी चुदाई भूल जाएगी.
अब वो सिरहाने रखे कपड़े से चूत और लंड को साफ करने लगी.
वो चूत दिखाती हुई बोली- देखो मेरी चूत में जलन हो रही है. अब जल्दी से इस बार स्खलित हो जाना. आज की रात वैसे भी तुम्हें सह चुकी हूँ. अब मैं खुद आज की रात तुम्हें छोड़ने वाली नहीं हूँ. कल सुबह मेरी फ्लाइट है, जाने से पहले पूरा मजा लेना चाहूंगी.
इस बार रुचिका बड़े जोर जोर से चुदाई करने लगी.
उसकी चूत संकुचित होने व फटाफट करने से मेरा स्खलन होने वाला था.
मैंने रुचिका से कहा- मेरा अब होने वाला है.
रुचिका उसी तरीके से ऊपर नीचे होने लगी.
रुचिका ने ऐसा वक्त चुना कि हम दोनों एक साथ स्खलित हो गए.
मेरे लंड से वीर्य की धार उसकी चूत में गिरने से पहले मैंने उसे झटके से नीचे लिटा दिया.
एक दो धक्के मुझे और देने पड़े और हम दोनों सुखद अहसास में आ गए.
दोनों एक दूसरे को बांहों में समेटे न जाने कितनी देर लिपट कर यूं ही पड़े रहे.
अंत में हॉट बेब पोर्न रुचिका ने होंठों को बड़े चाव से चूमा.
जब हम दोनों चुदाई से फ्री हुए तो मैंने कपड़े पहनने को कहा.
मगर उससे पूर्व रुचिका ने कमरे में अटैच बाथरूम में नहाने को कहा.
पहले मैं नहा आया, बाद में रुचिका नहाने गयी.
तब तक मैं किचन में पहुंच गया और नंदा को पीछे से जकड़ लिया, अपने दोनों हाथ उसके बूब्स पर रख कर अपना मुँह उसके कंधों पर रख दिया.
नंदा ने पूछा- सफलता मिली या नहीं?
मैंने कहा- वो नहा कर आ रही है तुम ही पूछ लेना.
इतना कह कर मैं बाहर आकर पैग लगाने लगा.
तभी रुचिका आई और सीधे किचन में चली गयी.
किचन से कुछ देर बाद नंदा बाहर आई और बोली- भूख लगी आई होगी, भोजन भी तैयार है. तुम्हारा पीना पूरा हो गया हो तो डाइनिंग टेबल पर खाना लगा दूँ.
मैंने हां कहा.
माँ बेटी दोनों खाना लगाने लगीं.
जब खाना लग गया, तब हम तीनों ने मिल कर भोजन किया.
माँ बेटी को ‘दो घंटा नींद लूंगा …’ कह कर मैं रुचिका वाले कमरे में आकर सो गया.
लेटते ही कुछ देर में मुझे नींद आ गयी.
पता नहीं कब, किसने एयर कंडीशनर चालू कर दिया और कब मेरे ऊपर चादर डाल दिया गया.
एक तरफ माँ दूसरी तरफ से बेटी चादर के नीचे दोनों मुझसे चिपक कर सो गईं.
जब बहुत जोर से बाथरूम लगी, तब मेरी आंख खुली.
पहले तो मैं समझने की कोशिश करने लगा कि मैं कहां हूँ.
जब देखा तो दोनों तरफ से महिलाएं चिपकी हुई थीं.
धीरे धीरे दिन की घटनाएं याद आने लगीं.
मैंने चादर को मुँह से हटाया तो सामने अंधेरा छा गया था.
हालांकि रात जैसा अंधेरा भी नहीं था. उन दोनों के चेहरे साफ दिख रहे थे.
रुचिका के चेहरे पर अद्भुत शान्ति छाई हुई थी.
नंदा के चेहरे को देखा, वो अतृप्त लग रही थी.
मैं उन दोनों के बीच से उठा, तब दोनों की आंखें खुल गईं.
नंदा बोली- हाय राम, कितनी देर से सो रहे थे, पता ही नहीं चला शाम हो गयी.
तब तक मैं बाथरूम में पहुंच गया था. वापिस आया, तब तक लाइट जल चुकी थी.
मेरे बाद रुचिका और नंदा बाथरूम में गईं, तब तक मैं बाहर लॉबी में आ गया.
कुछ ही देर में माँ बेटी दोनों आईं.
नंदा रुचिका से बोली- शाम को क्या बनाऊं भोजन में?
रुचिका बोली- ज्यादा कुछ इच्छा नहीं है, अगर आज उबले अंडे हों, तो एक आध आमलेट का परांठा बना लो, उसी से काम चल जाएगा.
नंदा बोली- तू ये मांसाहारी कब से हो गयी?
रुचिका बोली- एक बार खाओगी तो दूसरी बार खुद इच्छा करोगी.
नंदा उसकी तरफ देखने लगी कि क्या बोल रही है.
रुचिका बोली- बाहर रहते हैं, तो घर जैसा खाना हर जगह नहीं मिलता. इस कारण अण्डे की आदत पड़ गयी है.
नंदा बोली- मैं और चंदन जाकर बाजार से लेकर आते हैं.
उसने स्कूटी की चाबी ली और घर के बाहर आकर बोली- स्कूटी तुम चलाओ, मैं रास्ता बताती रहूंगी.
सामान खरीदते समय मैंने नंदा से रुचिका के बारे में पूछा.
नंदा बोली- मैं जानती थी एक बार तुम से करा लेगी, उसके बाद इसका पति भी इसे संतुष्ट नहीं कर पाएगा. रुचिका ने तुम्हारी बहुत प्रसंसा की है और वो बोली है कि अब कुछ ऐसा करो कि सप्ताह में एक बार मिलन होता रहे.
मैंने नंदा से कहा- आज की रात मुझे उसके साथ मजा कर लेने दो, फिर कल सुबह देखना.
तभी नंदा बोल पड़ी- वो तो ठीक है मगर तब तक मेरा क्या होगा?
मैं बोला- कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है. मुझे भी कल मुंबई पहुंचना जरूरी है. अब तुम छोटी वाली को सैट करो.
इस तरह हम सामान खरीद कर घर आने लगे और आते समय मेडिकल दुकान से कुछ दवा की गोलियां ले लीं.
दोस्तो, नंदा की बड़ी लौंडिया मेरे लौड़े से चुद चुकी थी और अब छोटी की चूत चुदाई बाकी थी.
सेक्स कहानी के आने वाले भागों में आपको माँ बेटियों के साथ मेरी चुदाई का मजा मिलेगा.
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